बिजली उपभोक्ताओं के लिए स्मार्ट मीटर बड़ी मुसीबत बनते जा रहे हैं। ज्यादातर उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटरों के तेज चलने और भार जपिंग की शिकायत हैं। वैसे तो कुल लगाए गए स्मार्ट मीटर में से पांच प्रतिशत पर चेक मीटर लगाए जाने का दावा पावर कारपोरेशन प्रबंधन कर रहा है लेकिन राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है कि मानकों के मुताबिक चेक मीटर नहीं लगाए जा रहे हैं। परिषद अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
वर्मा का कहना है कि प्रदेश में लगाए गए लगभग 32.47 लाख स्मार्ट मीटर में से करीब दो लाख उपभोक्ता ऐसे हैं जिनके परिसर में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगे है। दोनों ही तरह के स्मार्ट मीटर के तेज चलने की शिकायतें आ रही हैं। संबंधित उपभोक्ताओं की भार जंपिंग की शिकायतें भी हैं। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियों द्वारा मानकों के अनुसार पांच प्रतिशत चेक मीटर नहीं लगाए जा रहे हैं। इससे मीटरों के सही चलने का मिलान नहीं हो पा रहा है। वर्मा ने बताया कि स्मार्ट मीटरों के तेज चलने और भार जंपिंग की शिकायतों पर कोई कार्रवाई भी नहीं हो रही है।मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में दो दर्जन से अधिक स्मार्ट मीटर में भार जंपिंग की शिकायतें आई थीं, जिसके चलते साफ्टवेयर में बदलाव किया गया। ऐसी ही शिकायतें प्रदेशभर से हैं जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जाए।
पहली अगस्त तक कुल लगाए गए 32.47 लाख स्मार्ट मीटर में सिंगल फेस के 31.99 लाख और थ्री फेस के 42,468 मीटर हैं। वर्मा ने बताया कि 1.67 लाख स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की अभी बिलिंग नहीं शुरू की गई है। एक साथ कई माह का बिल मिलने पर भी संबंधित उपभोक्ता परेशान होंगे। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि भारत सरकार के नियमों के तहत पांच प्रतिशत उपभोक्ताओं के परिसर में जो पुराने मीटर हैं उन्हें चेक मीटर के रूप में लगाकर रीडिंग की मिलान होनी चाहिए थी।
इस तरह से चेक मीटर की कुल संख्या लगभग 1.57 लाख होनी चाहिए लेकिन जानबूझकर चेक मीटर लगाने में हीला-हवाली की जा रही है। इस संबंध में पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल का कहना है कि अगर किसी को स्मार्ट मीटर तेज चलने की शिकायत है तो उपभोक्ताओं की संतुष्टि के लिए चेक मीटर लगाने के निर्देश दिए गए हैं।