हरियाणा में बिजली वितरण प्रणाली में सुधार किया जाएगा। इसके लिए सभी जर्जर हो चुके पुराने तार, खंभे तथा पुराने ट्रांसफार्मर बदले जाएंगे। इसके अलावा पुलिस के लिए 35 बसें खरीदी जाएंगी। सरकारी स्कूलों में छठी से बारहवीं तक की छात्राओं को मुफ्त सेनेटरी नैपकिन दिए जाएंगे।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में सोमवार को हुई उच्चाधिकार प्राप्त क्रय समिति (एचपीपीसी) की बैठक में विभिन्न विभागों से जुड़े 1763 करोड़ रुपये के सामान खरीदने के प्रस्तावों को स्वीकृति दी गई। बोलीदाताओं से मोल-भाव के बाद दरें तय कर लगभग 10 करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की गई है।
ऊर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज, शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा, कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा, लोक निर्माण (भवन एवं सड़कें) मंत्री रणबीर गंगवा और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रुति चौधरी की मौजूदगी में हुई बैठक में सभी का गुणवत्ता पर फोकस रहा।
डिजिटल सेवाओं पर खर्च करेंगे सवा तीन करोड़ रुपये
कानून एवं व्यवस्था को मजबूत करने के लिए 12 करोड़ रुपये में 29 नई 52 सीटर बसें और छह मिनी बसें खरीदी जाएंगी। विद्युत आपूर्ति को बेहतर बनाने के लिए दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम और उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के लिए 234 करोड़ रुपये में एलटी एक्सएलपीई आर्मर्ड केबल, खंभे तथा 20 केवीए ट्रांसफार्मर खरीदे जाएंगे।
बैठक में डिजिटल सेवाओं के विस्तार और ई-गवर्नेंस को मजबूत करने के लिए उपकरणों के आधुनिकीकरण पर जोर दिया गया। इसके लिए लगभग सवा तीन करोड़ रुपये की लागत से क्लाउड सर्वर और स्टोरेज क्षमता सेवाओं को सुदृढ़ किया जाएगा। इससे राज्य में सरकारी सेवाओं के वितरण में पारदर्शिता, गति और कुशलता को और बढ़ावा मिलेगा।
बिजली तारों की गुणवत्ता लैब में टेस्ट की जाएगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी कार्य तय समयसीमा के भीतर पूरे होने चाहिए। राज्य सरकार की प्राथमिकता जनता को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराना है। प्रदेश सरकार वित्तीय संसाधनों के बेहतर उपयोग और पारदर्शी खरीद प्रणाली के माध्यम से विकास कार्यों को समय पर और उच्च गुणवत्ता के साथ पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी विद्युत केबल की गुणवत्ता की जांच मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में कराई जाए। यदि कोई सैंपल गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतरता तो संबंधित एजेंसी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए। विद्युत उपकरणों की खरीद में सुरक्षा मानकों के दृष्टिगत किसी प्रकार की ढिलाई न बरती जाए ताकि सुरक्षा और स्थायित्व सुनिश्चित हो सके।