विधानमंडल के मानसून सत्र के तीसरे दिन विधानसभा में बुधवार को श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास विधेयक-2025 पेश किया गया। यह विधेयक 26 मई को जारी हुए उप्र श्री बांके बिहारी जी मंदिर न्यास अध्यादेश का प्रतिस्थानी है।
इसके तहत न्यास का गठन स्वामी हरिदास की परंपरा के अनुसार मंदिर के रीति-रिवाज के आधार पर किया जाना है। विधेयक में स्पष्ट है कि मंदिर के चढ़ावे, दान और सभी चल-अचल संपत्तियों पर न्यास का अधिकार होगा।
इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियां, मंदिर परिसर और सीमा के भीतर देवताओं के लिए दी गई भेंट/उपहार, किसी भी पूजा-सेवा-कर्मकांड-समारोह-धार्मिक अनुष्ठान के समर्थन में दी गई संपत्ति, नकद या वस्तु, मंदिर परिसर के उपयोग के लिए डाक/तार से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक तक शामिल हैं।
मंदिर की संपत्तियों में आभूषण, अनुदान, योगदान, हुंडी संग्रह सहित श्री बांके बिहारी जी मंदिर की सभी चल एवं अचल संपत्तियां शामिल मानी जाएंगी।
विधानसभा में इस विधेयक को संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने रखा। विधेयक में स्पष्ट है कि न्यास का गठन स्वामी हरिदास की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है। स्वामी हरिदास के समय से चली आ रही रीति-रिवाज, त्योहार, समारोह और अनुष्ठान बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के जारी रहेंगे।
यह न्यास दर्शन का समय भी तय करेगा। पुजारियों की नियुक्ति करेगा और वेतन व भत्ते आदि निर्धारित करेगा। भक्तों और आगंतुकों की सुरक्षा तथा मंदिर के प्रभावी प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी इसी न्यास की होगी।
न्यास मंदिर का सर्वांगीण विकास व समुचित प्रबंधन करेगा। इसके गठन के बाद श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है, इसमें प्रसाद वितरण, वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्ग, पेयजल, विश्राम के लिए बेंच, पहुंच एवं कतार प्रबंधन कियोस्क, गोशालाएं, अन्नक्षेत्र, रसोईघर, होटल, सराय, प्रदर्शनी कक्ष, भोजनालय और प्रतीक्षालय जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं।
न्यास में 11 मनोनीत व सात पदेन होंगे सदस्य
न्यास में 11 मनोनीत और सात पदेन सदस्य होंगे। मनोनीत सदस्यों में वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों/पीठों से तीन प्रतिष्ठित सदस्य जिनमें साधु-संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य, स्वामी शामिल हो सकते हैं।
सनातन धर्म की परंपराओं, संप्रदायों/पीठों से तीन सदस्य, सनातन धर्म की किसी भी शाखा/संप्रदाय से तीन सदस्य (प्रतिष्ठित व्यक्ति/शिक्षाविद/विद्धान/उद्यमी/वृत्तिक/समाजसेवी), मंदिर में सेवारत गोस्वामी परंपरा से दो सदस्य जो स्वामी हरिदास जी के वंशज हों। इनमें एक राज-भोग सेवायतों व दूसरा शयन-भोग सेवायतों का प्रतिनिधित्व करेगा।
मनोनीत सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। पदेन सदस्यों में मथुरा के जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओ, बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ, धर्मार्थ कार्य विभाग का अधिकारी और राज्य सरकार का नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे।
हर तीन महीने में होगी बैठक
न्यास की बैठक हर तीन महीने में अनिवार्य होगी। आयोजन से 15 दिन पहले नोटिस देना होगा। बोर्ड/सदस्य सद्भावना-पूर्वक किए गए कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराए जाएंगे। न्यास को ₹20 लाख तक की चल/अचल संपत्ति स्वयं खरीदने का अधिकार होगा। इससे अधिक के लिए सरकार की स्वीकृति आवश्यक होगी। मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) एडीएम स्तर के अधिकारी होंगे।