'वोट चोरी' पर मार्च निकाल रहे राहुल-प्रियंका हिरासत में, पुलिस ने रोका तो बैरिकेडिंग से कूद गए अखिलेश यादव

बिहार में चुनाव आयोग के खिलाफ उठ रही विरोध की आवाज अब दिल्ली तक पहुंच गई है। संसद के मानसून सत्र में विपक्ष ने चुनाव आयोग के खिलाफ हल्ला बोलते हुए राजधानी की सड़कों पर मार्च निकालना शुरू कर दिया है।

इंडी गंठबंधन का यह मार्च संसद के मकर द्वार से चुनाव आयोग के दफ्तर तक निकाला जाएगा, जिसमें कई बड़े विपक्षी नेता शामिल हैं।

अखिलेश बैरिकेडिंग से कूदे

विपक्ष के मार्च के मद्देनजर पूरे मार्ग की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। कई जगहों पर बैरिकेडिंग भी लगी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव बैरिकेडिंग कूद कर आगे निकल गए, जिसका वीडियो भी सामने आया है।

विपक्ष क्यों निकाल रहा है मार्च?

विपक्ष का यह मार्च बिहार में चुनाव आयोग के द्वारा शुरू की गई स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) के खिलाफ है। विपक्ष का आरोप है कि इस प्रक्रिया के तहत कई लोगों के नाम काट दिए गए हैं। साथ ही विपक्ष ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 'वोट चोरी' का भी आरोप लगाया है।

कई दिग्गज नेता शामिल

संसद के मकर द्वार पर सभी विपक्षी नेताओं को एकत्रित किया गया। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और सांसद डिंपल यादव समेत कई बड़े नेता शामिल रहे। इंडिया गठबंधन में शामिल विपक्षी पार्टियों के ज्यादातर सांसदों ने इस मार्च में हिस्सा लिया है।

कहां से कहां तक निकलेगा मार्च?

विपक्ष का यह मार्च संसद के मकर द्वार से शुरू होकर चुनाव आयोग के दफ्तर तक जाएगा। नई दिल्ली से संसद मार्ग के पंडित पंत मार्ग पर निर्वाचन सदन (चुनाव आयोग का मुख्यालय) मौजूद है। विपक्ष का काफिला इसी मुख्यालय तक जाएगा।

संसद से चुनाव आयोग की दूरी कितनी?

बता दें कि संसद से निर्वाचन सदन की दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है। ऐसे में कर्तव्य पथ और रायसेना रोड से होते हुए विपक्ष के सांसद चुनाव आयोग के दफ्तर तक पहुंचेंगे।


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राहुल बोले- मोदी वोट चुराकर प्रधानमंत्री बने

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार 25 सीट के मार्जिन से प्रधानमंत्री बने हैं। 25 सीट ऐसी हैं, जिन्हें भाजपा ने 35 हजार या कम वोट से जीतीं। अगर हमें इलेक्ट्रानिक डेटा मिल जाए तो हम साबित कर देंगे कि मोदी चोरी करके प्रधानमंत्री बने हैं।

राहुल ने कहा- चुनाव आयोग को पिछले 10 साल की देश की सारी इलेक्ट्रानिक वोटर लिस्ट और वीडियोग्राफी देनी चाहिए। ये सब नहीं देंगे तो क्राइम है। भाजपा को चुनाव चोरी करने दे रहे हैं। पूरे देश को चुनाव आयोग से वोटर्स का डेटा मांगना चाहिए।

राहुल गांधी ने कर्नाटक के बेंगलुरु में फ्रीडम पार्क में आयोजित कांग्रेस की 'वोट अधिकार रैली' में ये बात कही। उनके साथ कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी रैली में शामिल हुए। 

बेंगलुरु पहुंचने से पहले राहुल ने X पोस्ट में लिखा- 'वोट चोरी' केवल चुनावी घोटाला नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र के साथ बड़ा विश्वासघात है। देश के गुनहगार सुन लें, वक्त बदलेगा, सजा जरूर मिलेगी।

राहुल ने गुरुवार को भी आरोप लगाया था कि कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 1,00,250 फर्जी वोट बनाए गए, जिससे भाजपा को फायदा हुआ। भाजपा-EC की मिलीभगत से यह धांधली हुई, जिसने PM मोदी को तीसरी बार सत्ता में पहुंचाया।

राहुल की स्पीच की 5 बड़ी बातें...

कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा में 6.50 लाख वोट हैं। उसमें से 1 लाख 250 वोट चोरी किए गए, मतलब 6 में से 1 वोट इन्होंने चोरी किए। 5 तरीके से चोरी की गई। डुप्लीकेट वोटर मतलब एक वोटर ने कई बार वोट किया। एक वोटर ने 5-6 पोलिंग बूथ में वोट डाला।

इन लोगों का कोई एड्रेस भी नहीं है। करीब 40 हजार ऐसे वोट हैं। एक एड्रेस पर कई वोटर हैं। एक बेडरूम के घर में 40-50 वोटर दिखा दिए। जब हम उन्हें ढूंढने गए तो वहां कोई नहीं था। उस घर का मालिक बीजेपी नेता निकला।

कर्नाटक की सरकार पैसा देकर चोरी की गई थी। मेरे पास सबूत है कि लोकसभा में भी चोरी की गई। भाजपा की विचारधारा संविधान के खिलाफ है। कर्नाटक का डेटा निकालने में हमें 6 महीने लगे, 1 वोट को लाखों वोटर से चेक किया।

हर एक नाम को चेक किया, चुनाव आयोग का पूरा डेटा हमारे लिए सबूत है। हमें एक सीट की सच्चाई निकालने के लिए 6 महीने लगे, अगर EC ने डेटा नहीं दिया तो हम ये काम 20-25 सीटों पर भी कर सकते हैं। आप छिप नहीं सकते एक न एक दिन आपको विपक्ष का सामना करना पड़ेगा।

जहां फार्म 6 का मिसयूज किया गया, वहां 34 हजार वोट थे। फार्म 6 नए वोटर्स के लिए होता है, लेकिन 34 हजार ऐसे वोटर्स हैं जिनकी एज 60, 70 और 80 साल है। डुप्लीकेट वोटर्स ने पहले कर्नाटक में वोट दिया। इसके बाद महाराष्ट्र और यूपी में भी वोट दिया।

राहुल के भाजपा-EC पर लगाए पहले के आरोप

7 अगस्त: राहुल बोले- वोटर लिस्ट में गड़बड़ी

राहुल ने दिल्ली के इंदिरा भवन ने 1 घंटे 11 मिनट के प्रजेंटेशन दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वोटर लिस्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने कर्नाटक, तमिलनाडु और हरियाणा में चुनाव आयोग पर बीजेपी के साथ देने का दावा भी किया। अब इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पहले ECI जबाव देता था, आज जब कोई ECI से सवाल पूछता है तो वो जवाब नहीं बल्कि सत्ता पक्ष के नुमाइंदे की तरह उलटे इल्जाम लगाता है, विपक्षी पार्टियों की मांगों पर गौर किये बिना केवल अनर्गल बयानबाजी करता है।

2 अगस्त: राहुल बोले- मोदी धांधली से PM बने

राहुल गांधी ने 2 अगस्त को कहा था कि भारत का इलेक्शन सिस्टम मर चुका है। हम आने वाले कुछ दिनों में आपको साबित कर देंगे कि लोकसभा चुनाव में कैसे धांधली हो सकती है और हुई भी।

भारत के पीएम के पास बहुत कम बहुमत है। अगर 10-15 सीटों पर भी धांधली न होती तो वे भारत के प्रधानमंत्री भी नहीं होते। राहुल ने ये बातें दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एनुअल लीगल कॉन्क्लेव- 2025 में कही थीं।

ECI ने लिखा-कांग्रेस को आपत्ति तो कोर्ट जा सकती है

चुनाव आयोग की ओर से जारी किए गए लेटर में लिखा- कांग्रेस ने पहले भी नवंबर 2024 के चुनावों के बाद ऐसे ही आरोप लगाए थे, जिनका विस्तृत जवाब 24 दिसंबर 2024 को दिया गया था।

पत्र में बताया गया है कि चुनाव पूरी पारदर्शिता से, कानून के अनुसार और हजारों अधिकारियों की निगरानी में कराए गए। आयोग ने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस को कोई कानूनी आपत्ति थी तो वह कोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल कर सकती थी।

1 अगस्त: EC ने कहा- ऐसे निराधार आरोपों को नजरअंदाज करते हैं

इलेक्शन कमीशन ने एक बयान जारी करते हुए कहा था कि चुनाव आयोग ऐसे निराधार आरोपों को नजरअंदाज करता है। लगातार दी जा रही धमकियों के बावजूद, हम सभी चुनाव अधिकारियों से कहना चाहते हैं कि वे पहले की तरह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करें। गैरजिम्मेदाराना बयानों को नजरअंदाज करें।

1 अगस्त 2025: राहुल बोले- मेरे पास चोरी के 100% सबूत हैं

राहुल ने आगे कहा कि मैं इसे हल्के में नहीं, बल्कि सौ प्रतिशत प्रमाण के साथ कह रहा हूं। जैसे ही हम इसे जारी करेंगे, पूरे देश को पता चल जाएगा कि चुनाव आयोग भाजपा के लिए वोट चुराने का काम कर रहा है। हमें मध्य प्रदेश चुनाव, लोकसभा चुनाव में शक था, महाराष्ट्र चुनाव के दौरान हमारा शक और बढ़ गया। 

24 जुलाई 2025: आप सोचते हैं कि बच जाएंगे, ये आपकी गलतफहमी है

राहुल ने कहा, 'चुनाव आयोग ने कर्नाटक की एक सीट पर धोखाधड़ी कराई। हमारे पास इसके 100% सबूत हैं। एक ही निर्वाचन क्षेत्र में 50, 60 और 65 साल के हजारों नए वोटरों को सूची में जोड़ा गया है और 18 साल से ज्यादा उम्र के वोटरों को सूची से हटा दिया गया है।'

कांग्रेस सांसद ने कहा, 'हमे अभी एक सीट की जांच में यह गड़बड़ी मिली। मुझे पूरा यकीन है कि हर सीट पर यही नाटक चल रहा है। मैं चुनाव आयोग को एक मैसेज देना चाहता हूं। अगर आपको लगता है कि आप इससे बच निकलेंगे, तो ये आपकी गलतफहमी है।


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डिंपल के अपमान पर दोहरी उलझन में फंसी अखिलेश यादव की पार्टी, भाजपा के हमलों से बढ़ रही है चुनौती

मैनपुरी सांसद डिंपल यादव पर मुस्लिम मौलाना की टिप्पणी ने समाजवादी पार्टी को दोहरी उलझन में फंसा दिया है। एक तरफ मुस्लिम वोट बैंक को नाराज न होने देने की चुनौती है तो दूसरी तरफ महिला संबंधी मुद्दों पर पार्टी की आक्रामक रणनीति के कमजोर पड़ने का डर सता रहा है। 

मुश्किल इसलिए भी अधिक है, क्योंकि टिप्पणी किसी सामान्य नेता या कार्यकर्ता पर नहीं, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी पर हुई है और दूसरी तरफ भाजपा लगातार इस मुद्दे को गरमा रही है। सपा मुखिया की चुप्पी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। 

ऐसे में फिलहाल सपा वेट एंड वाच की नीति पर चल रही है। रणनीति के तहत नेताओं-कार्यकर्ताओं को विरोध जताने की छूट दे दी गई है, परंतु बड़े नेताओं का मौन अभी जारी रहेगा। दूसरी तरफ भाजपा की कोशिश विवाद को लंबे समय तक खींचकर सपा को बैकफुट पर बनाए रखने की है।

सपा मुखिया पिछले दिनों डिंपल और अन्य पार्टी सांसदों के साथ दिल्ली में संसद के पास स्थित मस्जिद में गए थे। इस पर एक न्यूज चैनल पर बहस के दौरान आल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने मस्जिद के अंदर डिंपल के पहनावे को लेकर विवादित टिप्पणी की। 

इसके बाद लखनऊ से दिल्ली तक राजनीति गर्माई हुई है। अपमान और उस पर सपा की चुप्पी को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बना लिया है। भाजपा के सांसदों ने संसद भवन के बाहर इसे लेकर प्रदर्शन किया। यहां महिला कल्याण मंत्री बेबीरानी मौर्य ने सीधे अखिलेश पर हमला बोला। 

कहा कि सपा मुखिया की चुप्पी कहीं न कहीं उनकी वोट बैंक की लालसा को दर्शाती है। क्या उन्होंने सत्ता के लिए अपनी पत्नी का अपमान स्वीकार कर लिया है? सपा का मौन क्या इस सोच की सहमति है कि सपा में महिलाओं की गरिमा अब मौलवी तय करेंगे? भाजपा के अन्य नेता भी लगातार सपा को घेर रहे हैं।

इससे सपा की बेचैनी बढ़ी है। माना जा रहा है कि सपा अपने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फार्मूले में शामिल मुस्लिम वोट बैंक को नाराज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। 

टिप्पणी मामले में बयानबाजी से उसे नुकसान की आशंका है। इसके चलते ही प्रकरण पर शुरुआत में पूरी तरह चुप्पी साधी गई। परंतु अब भाजपा की रणनीति से सपा को महिला सम्मान का मुद्दा हाथ से फिसलता दिख रहा है और पार्टी इस दोहरी उलझन से निकलने का रास्ता तलाश रही है। 

इसके तहत ही मुकदमा दर्ज कराने के साथ ही पार्टी फ्रंटल संगठनों को विरोध के लिए आगे किया गया है, जिससे बड़े नेताओं की चुप्पी भी बनी रहे और विरोध का संदेश भी चला जाए।



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चुनाव से पहले बिहार के नेता हो रहे इधर-उधर, BJP-JDU के कई कद्दावर नेताओं ने थामा कांग्रेस का दामन

 बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की मंशा से पार्टी में नए लोगों को जोड़ा जा रहा है। इसी सिलसिले में रविवार को कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में आयोजित मिलन समारोह में पूर्णिया की मेयर के पति और समाजसेवी जितेंद्र कुमार ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।

इसके अलावा भाजपा अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के सह संयोजक कुणाल किशोर सहनी और जदयू के प्रदेश महासचिव कुणाल अग्रवाल भी अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस में शामिल हुए। जितेंद्र कुमार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम और भाजपा नेता कुणाल को प्रदेश प्रभारी अल्लावरु ने सदस्यता दिलाई।

पार्टी की सदस्यता दिलाने के बाद राजेश राम ने कहा कि नए लोगों के कांग्रेस में शामिल होने से पूर्णिया में कांग्रेस पार्टी मजबूत होगी। कुणाल किशोर सहनी का कांग्रेस में स्वागत करते हुए अल्लावरु ने कहा कि उनके शामिल होने से अति पिछड़ा समाज में कांग्रेस मजबूत होगी।

मिलन समारोह में शकील अहमद खान, मदन मोहन झा, अंशुल अभिजीत, मोतीलाल शर्मा, राजेश राठौर, मंजीत आनंद साहू, रोशन कुमार सिंह समेत अन्य नेता मौजूद थे।


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भाषा विवाद के बीच कमल हासन ने तमिल में ली राज्यसभा सांसद की शपथ, तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा सदन

एक्टर और मक्कल निधि मय्यम (MNM) प्रमुख कमल हासन ने आज (25 जुलाई)  राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। उन्होंने तमिल भाषा में शपथ पत्र पढ़ा।

69 वर्षीय अभिनेता से राजनेता बने हासन ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "मैं बहुत गौरवान्वित और सम्मानित महसूस कर रहा हूं।"

कमल हासन ने किया DMK का समर्थन

बता दें कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कमल हासन की पार्टी ने डीएमके का समर्थन किया था। इसी समर्थन के बदले अब कमल हासन को डीएमके की तरफ से राज्यसभा सीट दी गई है।  

आधिकारिक तौर पर कमल हासन की पार्टी और डीएमके के बीच गठबंधन हुआ है। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2026 में तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव में डीएमके और एमएनएम साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।  

हासन ने 6 जून को तमिलनाडु सचिवालय में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था, उनके साथ मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन , उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन और वीसीके के थोल थिरुमावलवन, एमडीएमके के वाइको और तमिलनाडु कांग्रेस प्रमुख सेल्वापेरुंथगई सहित गठबंधन सहयोगियों के वरिष्ठ नेता मौजूद थे।

मैं राजनीति में कॉमन मैन की तरह आया हूं: कमल हासन 

मक्कल निधि मय्यम पार्टी के संस्थापक कमल हासन ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा था कि उनकी पार्टी न तो राइट विंग की विचारधार की समर्थक है, न ही लेफ्ट की। तमिल में मय्यम का मतलब 'केंद्र' होता है।

उन्होंने कहा था उनकी राजनीति में आने का मतलब लोगों की सेवा करना है। वो राजनीति में किसी स्टार की तरह नहीं बल्कि कॉमन मैन की तरह आए हैं। कमल हासन ने खुद की पार्टी को तमिलनाडु में तीसरे विकल्प के रूप में बताया है।


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नए उपराष्ट्रपति के लिए थावरचंद गहलोत, ओम माथुर का नाम

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के 3 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग ने इस पद के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। चुनाव की तारीखें जल्द घोषित की जाएंगी।

इस बीच, भाजपा इस पद के लिए अपनी विचारधारा के प्रति समर्पित कार्यकर्ता को उम्मीदवार बना सकती है। फिलहाल जिन नामों पर पार्टी में विचार चल रहा है, उनमें कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। अन्य नाम सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का भी है।

आयोग ने इस पद के लिए निर्वाचक मंडल, रिटर्निंग ऑफिसर और अन्य जरूरी चीजों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। आयोग की तैयारियों के बीच भाजपा की कोशिश होगी कि इस पद का उम्मीदवार किसी अन्य सहयोगी को बनाने की जगह अपने उम्मीदवार का नाम तय कर उसके नाम पर सहयोगी दलों को राजी करे।

दरअसल, जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक देश के 14वें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।

गहलोत जातीय समीकरण में भी फिट

थावरचंद गहलोत अभी कर्नाटक के राज्यपाल हैं। 77 वर्षीय गहलोत राज्यसभा में सदन के नेता रह चुके हैं साथ ही केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। भाजपा में वे सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। जातीय समीकरण (दलित) में भी वे फिट बैठते हैं। वह मध्य प्रदेश से हैं। उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है।

माथुर मोदी-शाह के करीबी

ओम माथुर अभी सिक्किम के राज्यपाल हैं। 73 वर्षीय माथुर पार्टी के कद्दावर नेता हैं और राजस्थान से आते हैं। वे गुजरात के चुनाव प्रभारी तब रहे हैं, जब पीएम मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। वे मोदी के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी करीबी माने जाते हैं। माथुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक रह चुके हैं।

भाजपा के नाम पर सहमति नहीं तो उप सभापति हरिवंश का नाम

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि निर्वाचन आयोग की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तारीख घोषित होते ही इस पद के लिए एनडीए प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। यदि भाजपा के किसी प्रत्याशी के नाम पर एनडीए में सहमति बनाने में समस्या आई तो मौजूदा उप सभापति हरिवंश भी इस पद के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं।

विपक्ष उतारेगा मजबूत प्रत्याशी

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, प्रत्याशी का चयन ठोक बजाकर ही किया जाएगा, क्योंकि विपक्ष से भी कोई मजबूत प्रत्याशी उतारे जाने की पूरी संभावना है। ऐसे में NDA इस पद के लिए प्रत्याशियों के कद, अनुभव व जातीय समीकरण को प्राथमिकता देगी।

6 स्टेप में चुन जाते हैं उपराष्ट्रपति...

स्टेप-1 : निर्वाचक मंडल का गठन करना

उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल करता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य शामिल होते हैं।

स्टेप-2: चुनाव की अधिसूचना जारी होना

निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना में नामांकन, मतदान और परिणाम की तारीखें होती हैं।

स्टेप-3: नामांकन प्रक्रिया

उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों द्वारा प्रस्तावक और 20 सांसदों द्वारा समर्थक के रूप में हस्ताक्षर के साथ नामांकन पत्र दाखिल करना होता है।

स्टेप-4 : सांसदों के बीच प्रचार होता है

केवल सांसद मतदाता होते हैं। इसलिए यह प्रचार सीमित दायरे में होता है। उम्मीदवार और उनके समर्थक दल प्रचार में शामिल होते हैं।

स्टेप-5: मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी

हर सांसद मतपत्र पर प्रत्याशियों को प्राथमिकता के क्रम में (1, 2, 3...) अंकित करता है।

स्टेप-6: मतों की गिनती और परिणाम

जीत के लिए कुल वैध मतों का साधारण बहुमत (50% से अधिक) प्राप्त करना होता है। रिटर्निंग ऑफिसर नतीजे की घोषणा करते हैं।


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देश को जल्द मिलेंगे नए उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने शुरू की प्रक्रिया

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति पद की चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी कारणों से सोमवार की देर रात इस्तीफा दे दिया था।

उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य मिलकर करते हैं। सत्ताधारी दल NDA के पास उपराष्ट्रपति चुनने के लिए पर्याप्त सांसद मौजूद हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि देश को जल्द ही नए उपराष्ट्रपति मिल सकते हैं।

संसद में 6 सीटें खाली

बता दें कि वर्तमान में लोकसभा की 543 सीटों में से एक सीट और राज्यसभा की 245 सीटों में से 5 सीटें खाली हैं। पश्चिम बंगाल की बशीरहाट सीट से कोई लोकसभा सांसद नहीं है। वहीं, राज्यसभा में जम्मू कश्मीर की 4 और पंजाब की 1 सीट खाली है।

कैसे बनते हैं उपराष्ट्रपति?

दोनों सदनों में सांसदों की कुल संख्या 786 है और उपराष्ट्रपति का चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार को महज 394 मतों की आवश्यकता है यानी 394 का बहुमत हासिल करके उपराष्ट्रपति बना जा सकता है। इस चुनाव में राज्यों की विधानसभा या विधान परिषद की कोई भूमिका नहीं होती है।

NDA के पास बहुमत से ज्यादा सांसद

सत्ताधारी दल NDA की बात करें तो, लोकसभा में इनके 293 और राज्यसभा में 129 सांसद मौजूद हैं। साफ है कि NDA के पास 422 सांसद हैं और उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जीताने के लिए 394 का बहुमत चाहिए, जो सत्ताधारी दल के सांसदों की वोटिंग से ही आराम से पूरा हो जाएगा।


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संसद मानसून सत्र का दूसरा दिन,बिहार वोटर लिस्ट मुद्दे पर विपक्षी सांसदों का संसद में प्रदर्शन

संसद के मानसून सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विपक्ष ने लोकसभा-राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही हंगामा किया। विपक्षी सांसदों की मांग है कि पहलगाम हमला, ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर सदन में चर्चा हो। PM इन पर जवाब दें। लोकसभा- राज्यसभा 2 बजे तक स्थगित है।

वहीं, बिहार वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर विपक्षी सांसदों ने मकर द्वार के बाहर नारेबाजी की। प्रदर्शन में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई सांसद शामिल हुए।

दूसरे दिन की कार्यवाही से पहले संसद भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर की बैठक हुई। इसमें केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा समेत अन्य मंत्री भी शामिल हुए। वहीं, I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं ने भी मीटिंग की।


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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा दिया

देश के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अपने पद इस्तीफा दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों को इसकी वजह बताया। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक का था। उन्होंने 10 जुलाई को एक कार्यक्रम में कहा था, 'ईश्वर की कृपा रही तो अगस्त, 2027 में रिटायर हो जाऊंगा।'

धनखड़ ने अनुच्छेद 67(ए) के तहत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को त्यागपत्र सौंपा। लिखा- स्वास्थ्य की प्राथमिकता और डॉक्टरी सलाह का पालन करते हुए मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से त्यागपत्र दे रहा हूं।

उन्होंने पत्र में राष्ट्रपति को उनके सहयोग और सौहार्दपूर्ण संबंधों के लिए धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल को भी सहयोग के लिए आभार जताया। हालांकि, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही उनका इस्तीफा प्रभावी होगा।

11 अगस्त 2022 को धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उपराष्ट्रपति चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराया था। धनखड़ को कुल 725 में से 528 वोट मिले थे, जबकि अल्वा को 182 वोट मिले थे।

इस समय संसद का मानसून सत्र चल रहा है। उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। सत्र के बीच में पद से इस्तीफा देने वाले धनखड़ देश के पहले उपराष्ट्रपति हैं। साथ ही कार्यकाल के बीच में इस्तीफा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति भी हैं।

पढ़िए त्याग पत्र में धनखड़ ने क्या लिखा

माननीय राष्ट्रपति जी .. सेहत को प्राथमिकता देने और डॉक्टर की सलाह को मानने के लिए मैं संविधान के अनुच्छेद 67(a) के अनुसार अपने पद से इस्तीफा देता हूं। मैं भारत के राष्ट्रपति में गहरी कृतज्ञता प्रकट करता हूं। आपका समर्थन अडिग रहा, जिनके साथ मेरा कार्यकाल शांतिपूर्ण और बेहतरीन रहा। मैं माननीय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद के प्रति भी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। प्रधानमंत्री का सहयोग और समर्थन अमूल्य रहा है और मैंने अपने कार्यकाल के दौरान उनसे बहुत कुछ सीखा है। माननीय सांसदों से मुझे जो स्नेह, विश्वास और अपनापन मिला है, वह मेरी स्मृति में हमेशा रहेगा। मैं इस बात के लिए आभारी हूं कि मुझे इस महान लोकतंत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में जो अनुभव और ज्ञान मिला, वह अत्यंत मूल्यवान रहा। यह मेरे लिए सौभाग्य और संतोष की बात रही है कि मैंने भारत की अभूतपूर्व आर्थिक प्रगति और इस परिवर्तनकारी युग में उसके तेज विकास को देखा और उसमें भागीदारी की। हमारे राष्ट्र के इतिहास के इस महत्वपूर्ण दौर में सेवा करना मेरे लिए सच्चे सम्मान की बात रही। आज जब मैं इस सम्माननीय पद को छोड़ रहा हूं, मेरे दिल में भारत की उपलब्धियों और शानदार भविष्य के लिए गर्व और अटूट विश्वास है। गहरी श्रद्धा और आभार के साथ, जगदीप धनखड़

अगले उपराष्ट्रपति के लिए बिहार से JDU सांसद हरिवंश दौड़ में शामिल

धनखड़ के इस्तीफे के बाद उनके उत्तराधिकारी की अटकलें भी शुरू हाे गई हैं। ऐसे में बिहार से JDU सांसद हरिवंश भी संभावित उम्मीदवारों में देखे जा रहे हैं। वे 2020 से राज्यसभा के उपसभापति पद पर आसीन हैं। हालांकि, उनका कार्यकाल भी इसी महीने खत्म हो रहा है।

उपराष्ट्रपति का इस्तीफा स्वीकार हुआ तो नया उपराष्ट्रपति चुने जाने तक राज्यसभा के उपसभापति ही सभापति (अनुच्छेद 91 के तहत) होंगे, लेकिन उन्हें उपराष्ट्रपति का पदभार नहीं मिलेगा। क्योंकि संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है।

राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में उनका पदभार उपराष्ट्रपति को मिलता है। यदि उपराष्ट्रपति का पद खाली है और राष्ट्रपति भी अनुपस्थित हैं यानी देश से बाहर हैं तो ऐसे में राष्ट्रपति का पदभार CJI को दिया जाता है। पद खाली होने पर उपराष्ट्रपति कितने दिन में चुना जाए, इसकी समय-सीमा तय नहीं।

पिछले महीने कार्यक्रम के बाद धनखड़ के सीने में दर्द उठा था

25 जून को उत्तराखंड में एक कार्यक्रम के बाद जगदीप धनखड़ की अचानक तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें तुरंत नैनीताल राजभवन ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने उनका चेकअप किया। धनखड़ नैनीताल में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के गोल्डन जुबली समारोह में बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे थे।

कार्यक्रम खत्म होने के बाद धनखड़ पूर्व सांसद महेंद्र सिंह पाल के कंधे पर हाथ रखकर बाहर निकले। फिर महेंद्र पाल से गले लगकर रोने लगे। करीब 10 कदम चलने पर धनखड़ के सीने में अचानक दर्द उठा। पूर्व सांसद महेंद्र पाल और सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें संभाला था।

इससे पहले जगदीप धनखड़ को 9 मार्च 2025 को अचानक सीने में दर्द की शिकायत पर AIIMS दिल्ली में भर्ती कराया गया था। 12 मार्च 2025 को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया था।

जयराम बोले- PM जगदीप धनखड़ से मन बदलने को कहें

जगदीश धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने पर विपक्ष सवाल कर रहा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने X पोस्ट में कहा- इस अप्रत्याशित इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं ज्यादा है। PM मोदी धनखड़ को मन बदलने के लिए मनाएं। यह राष्ट्रहित में होगा। खासतौर पर कृषक समुदाय को बहुत राहत मिलेगी।

शिवसेना (UBT) नेता आनंद दुबे ने कहा- स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की खबर चिंताजनक है। हम उनकी कुशलता की कामना करते हैं। मानसून सत्र का पहला दिन था और उसी दिन उनका इस्तीफा हैरान करने वाला है। इस सरकार में क्या चल रहा है? स्वास्थ्य चिंता का विषय होता तो इस्तीफा सत्र से कुछ दिन पहले या बाद में भी दिया जा सकता था।


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PM मोदी दो दिन के अर्जेंटीना दौरे पर पहुंचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दो दिन के दौरे पर अर्जेंटीना पहुंच गए। यहां होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका स्वागत किया।

PM बनने के बाद मोदी का यह दूसरा अर्जेंटीना दौरा है। इससे पहले वे 2018 में G20 समिट में हिस्सा लेने अर्जेंटीना गए थे।

PM मोदी और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर जेवियर मिलई के बीच आज द्विपक्षीय बातचीत होगी। इसके अलावा वो भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे।

मोदी की यात्रा के दौरान भारत-अर्जेंटीना के बीच डिफेंस, एग्रीकल्चर, एनर्जी, परमाणु सहयोग, व्यापार और निवेश पर चर्चा हो सकती है। दोनों देशों में लिथियम सप्लाई पर भी समझौता संभव है।

अर्जेंटीना के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार है। मोदी 2 जुलाई से 10 जुलाई तक, 5 देशों की यात्रा पर हैं। वे घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बाद अर्जेंटीना पहुंचेंगे। इसके बाद उनका अगला पड़ाव ब्राजील है।

अर्जेंटीना में मोदी के दौरे का शेड्यूल

5 जुलाई:

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से मुलाकात करेंगे।

भारत-अर्जेंटीना बिजनेस समिट 2025 में हिस्सा लेंगे।

महत्वपूर्ण समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर करेंगे।

भारतीय मूल के लोगों के साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे

6 जुलाई :

अर्जेंटीना के विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री, और ऊर्जा मंत्री के साथ बैठक करेंगे।

लिथियम और लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की सप्लाई जैसे मुद्दों पर समझौता कर सकते हैं।

ब्राजील के लिए रवाना होंगे, जहां वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी रहते हैं। दोनों देश डिफेंस सेक्टर में सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच फरवरी, 2025 में मिलिट्री ज्वाइंट एक्सरसाइज और इक्विपमेंट पर चर्चा हुई थी।

भारत और अर्जेंटीना G20, G77 और यूनाइटेड नेशन के सदस्य हैं। 2023 में G20 समिट की मेजबानी को लेकर अर्जेंटीना ने भारत की सराहना की थी और अफ्रीकन यूनियन (AU) को G20 में सदस्यता देने का समर्थन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच ₹53 हजार करोड़ का बिजनेस

भारत, अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। दोनों देशों के बीच, 2019 और 2022 के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर 6.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (53 हजार करोड़ रुपए) पहुंच गया है।

भारत अर्जेंटीना को पेट्रोलियम तेल, कृषि रसायन और दोपहिया वाहन एक्सपोर्ट करता है, जबकि भारत, अर्जेंटीना से वनस्पति तेल (जैसे सोयाबीन और सूरजमुखी), लेदर और अनाज इंपोर्ट करता है।

दोनों देश शांतिपूर्ण न्यूक्लियर प्रोग्राम और एनर्जी में सहयोग पर भी जोर देते हैं। अर्जेंटीना, भारत की न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) सदस्यता का समर्थन करता है। भारत ने NSG सदस्यता के लिए 2016 में आवेदन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच लीथियम को लेकर दो बड़े समझौते हुए

15 जनवरी, 2024 में भारत ने अर्जेंटीना के साथ लिथियम माइनिंग खनन के लिए एक समझौता किया था।

200 करोड़ रुपए की लागत वाले इस समझौते के तहत, भारत की सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) को अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्राइन ब्लॉक आवंटित किए जाएंगे।

दोनों देशों ने लिथियम खोजने और खनन में सहयोग बढ़ाने के लिए 19 फरवरी, 2025 को एक समझौता (MoU) किया है। भारत अभी तक लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है। यह समझौता चीन पर निर्भरता कम करने के लिए किया गया था।

अर्जेंटीना 100 सालों में 9 बार दिवालिया हुआ

अर्जेंटीना 20वीं सदी की शुरुआत में दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। यह कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से भी आगे था। इसके बावजूद, 1816 में स्पेन से आजादी के बाद से अर्जेंटीना 9 बार अपने कर्ज चुकाने में नाकाम रहा है।

1930 से 1970 तक सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने, आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए इम्पोर्ट पर टैरिफ को बढ़ा दिया।

इसका सबसे बुरा असर खेती पर पड़ा। इम्पोर्ट कम होने से देश में अनाज की कमी हो गई, जिससे 1940-50 के दशक में भुखमरी के हालात बन गए।

1980 के दशक में तानाशाही के दौरान सरकारी खर्च और विदेशी कर्ज 75% तक बढ़ा। जरूरत की चीजों की कीमतें 5000% तक पहुंच गई। ब्रेड, दूध, और चावल, इस भयंकर मंहगाई से सबसे अधिक प्रभावित हुए।

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी जीडीपी 474.8 बिलियन डॉलर (लगभग 40 लाख करोड़ रुपए) और प्रति व्यक्ति जीडीपी 12 हजार डॉलर (10 लाख रुपए) है। इसके बावजूद, ये देश आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है।






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