पाकिस्तान में अचानक बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या 307 हुई

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में अचानक आई बाढ़ के कारण मरने वालों की संख्या बढ़कर 307 हो गई है। मरने वालों में 13 बच्चे भी शामिल हैं।

प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, 21 अगस्त तक रुक-रुक कर मूसलधार बारिश के जारी रहने की संभावना है। पीडीएमए के प्रवक्ता फैजी ने बताया कि मरने वालों में 279 पुरुष, 15 महिलाएं और 13 बच्चे शामिल हैं। 23 लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें 17 पुरुष, चार महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं।

पाकिस्तान के इन जिलों में है बुरा हाल

प्रभावित जिलों में बाजौर, बुनेर, स्वात, मनाहरा, शांगला, तोरघर और बटाग्राम शामिल हैं। बुनेर सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां 184 लोगों की मौत हुई है। शांगला में 36 लोगों की मौत हुई, इसके बाद मनसेहरा में 23, स्वात में 22, बाजौर में 21, बट्टाग्राम में 15, लोअर दीर में पांच और एबटाबाद में एक बच्चे की डूबने से मौत हो गई।

इतने घर हो गए तबाह

फैजी ने बताया कि अब तक 74 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें से 63 आंशिक रूप से और 11 पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।


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बागेश्वर जिले में बर्ड फ्लू के लक्षण मिलने पर जिला प्रशासन हुआ अलर्ट

 एवियन इन्फ्लूएंजा यानी बर्ड फ्लू के लक्षण मिलने पर जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। कौसानी के ग्राम सोली के 10 किमी दायरे में कुक्कुट पक्षियों तथा उनके उत्पादों की बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया है। जिले से कुक्कट पक्षियों के आवागमन को अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है। मृत मुर्गियों के निस्तारण को सरकारी गाइडलाइन का पालन करना होगा।

कुलिंग करने के निर्देश

कलक्ट्रेट में जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने बर्ड फ्लू नियंत्रण के लिए गठित जिलास्तरीय समिति को यह दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने संबंधित विभागों को आपसी समन्वयक से कार्य करने तथा ग्राम सोली के एक किमी दायरे में सभी पक्षियों को सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार तुरंत समाप्त यानी कुलिंग करने के निर्देश दिए।

डीएम ने कहा कि जनपद में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। यह सभी कदम केवल जनहित में बुनियादी सुरक्षा उपाय के रूप में उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा नगर निकायों के अधिशासी अधिकारियों को लगातार मानिटरिंग करने, वन विभाग को प्रवासी पक्षियों की निगरानी करने तथा सीमावर्ती चेकपोस्ट पर पुलिस को सतर्कता बरतने के भी निर्देश दिए गए।

बैठक में मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी, उप जिलाधिकारी गरुड़ प्रियंका रानी, उप जिलाधिकारी कपकोट अनिल रावत, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी अनुपमा ह्यांकि, उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी पंकज जोशी आदि उपस्थित थे।



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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का असर सबसे अधिक अमेरिकी जनता पर पड़ेगा

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों से टैरिफ वसूलना शुरू कर चुके हैं। इसमें भारत भी शामिल है। बीते 8 अगस्त से वह भारत से 25 फीसदी का टैरिफ वसूल रहे हैं। वहीं उन्होंने भारत पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। यानी हिंदुस्तान पर कुल 50 फीसदी का टैरिफ लगा है। इस टैरिफ वार के बीच Goldman Sachs की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें यह दावा किया गया है कि इसका असर अमेरिकियों पर पड़ेगा

रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी उपभोक्ताओं की टैरिफ संबंधी आशंकाएं जल्द ही सच साबित हो सकती हैं, क्योंकि व्यवसाय टैरिफ मूल्य का अधिक बोझ सीधे खरीदारों पर डालना शुरू कर देंगे।कोर पर्सनल कंज्यूमर एक्सपेंडिचर इंडेक्स — जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में मुद्रास्फीति की दर को मापता है, जिसमें खाद्य और ऊर्जा को शामिल नहीं किया जाता — जून में 2.8% पर था।

CPI में होगी बढ़ोतरी

गोल्डमैन के विश्लेषकों ने रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर में सीपीई साल-दर-साल बढ़कर 3.2% हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि टैरिफ से अतिरिक्त लागतों को हटाने पर, मुद्रास्फीति की दर 2.4% होती। विश्लेषकों ने कहा कि अब तक टैरिफ ने इस सूचकांक में 0.2% की वृद्धि की है और जुलाई में इसके 0.16% और 2025 के शेष भाग में 0.5% बढ़ने की उम्मीद है।

अमेरिका के इतने लोग होंगे प्रभावित

ब्लूमबर्ग के साथ साझा किए गए गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषण के अनुसार, जून तक टैरिफ लागत का लगभग 22% उपभोक्ताओं पर डाला जा चुका है। हालांकि, कंपनी ने कहा कि अगर टैरिफ पिछले वर्षों की तरह ही चलते रहे तो यह संख्या बढ़कर 67% हो जाएगी।

कोर पर्सनल कंज्यूमर एक्सपेंडिचर इंडेक्स — जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में मुद्रास्फीति की दर को मापता है, जिसमें खाद्य और ऊर्जा को शामिल नहीं किया जाता जून में 2.8% पर था।

गोल्डमैन के विश्लेषकों ने रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर में सीपीई साल-दर-साल बढ़कर 3.2% हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि टैरिफ से अतिरिक्त लागतों को हटाने पर, मुद्रास्फीति की दर 2.4% होती। विश्लेषकों ने कहा कि अब तक टैरिफ ने इस सूचकांक में 0.2% की वृद्धि की है और जुलाई में इसके 0.16% और 2025 के शेष भाग में 0.5% बढ़ने की उम्मीद है।

टैरिफ़ के कारण मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्याज दरें कम करने की मांगों को बार-बार खारिज किया है। पावेल के खिलाफ राष्ट्रपति के सबसे हालिया कदम में, उन्होंने केंद्रीय बैंक में एक महत्वपूर्ण पद पर अपने एक आलोचक को नियुक्त किया है।

ब्याज दरों में बदलाव

फेडरल रिजर्व ने इस साल 5 बार ब्याज दरों को 4.25% से 4.5% के समान स्तर पर बनाए रखने के लिए मतदान किया है। पावेल ने कहा है कि फेड अधिकारी ब्याज दरों में कटौती करने से पहले अर्थव्यवस्था पर टैरिफ के प्रभाव का बेहतर आकलन करना चाहते हैं। इन फैसलों ने ट्रंप को नाराज़ कर दिया है, उनका तर्क है कि फेड आर्थिक विकास पर अंकुश लगा रहा है।


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एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल पर सियासी संग्राम छिड़ा

 भारत सरकार ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में घोषित किया है। इसी दिन भारत-पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था। जिसके कारण लाखों लोगों की जिंदगियों पर गहरा असर देखने को मिला।

इस बीच इस मुद्दे को अच्छे से समझने के लिए एनसीईआरटी के एक नए मॉड्यूल की घोषणा की है। बताया जा रहा है कि भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के इतिहास को अब बच्चे इस NCERT के नए मॉड्यूल से समझेंगे। नए मॉड्यूल में बांटवारे का जिम्मेदार कांग्रेस, जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन को ठहराया गया है।

जानिए क्या है NCERT का नया मॉड्यूल

दरअसल, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने 14 अगस्त यानी विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर एक विशेष मॉड्यूल जारी किया है।

कहा जा रहा कि NCERT के नए मॉड्यूल में बताया गया कि भारत का विभाजन किसी एक व्यक्ति के कारण नहीं हुआ, बल्कि इसके लिए तीन लोग या पक्ष जिम्मेदार थे। जिसमें...

मुहम्मद अली जिन्न- उन्होंने बंटवारे की मांग की।

कांग्रेस- इस बंटवारे की मांग को स्वीकार किया।

लॉड माउंटबेटन- इस बंटवारे को मंजूर किया।

NCERT के दो मॉड्यूल

जानकारी के अनुसार, एनसीईआरटी द्वारा जारी मॉड्यूल को 'विभाजन के अपराधी' के शीर्षक के नाम जारी किया गया है। इस नए मॉड्यूल को कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9 से 12वीं के छात्रों के लिए अलग-अलग रूप से तैयार किया गया है। ध्यान देने योग्य बात है कि यह मॉड्यूल किसी भी कक्षा में कोई पाठ के तौर पर नहीं पढ़ाया जाएगा। बल्कि इसको पूरक शैक्षिक सामग्री के तौर पर पेश किया जाना है इसके माध्यम से पोस्टर, वाद-विवाद, प्रोजेक्ट्स और चर्चाओं के माध्यम से बच्चों को सिखाया जाना है।

बंटवारे के दौरान नेताओं की रही अलग-अलग राय

मॉड्यूल के अनुसार, आजादी के समय देश के बड़े नेताओं के पास बंटवारे को लेकर अलग-अलग राय थी। बताया गया है कि सरदार वल्लभ भाई पटेल शुरुआत से ही बंटवारे के खिलाफ थे। हालांकि, बाद में उन्होंने इसे किसी तरीके से स्वीकार किया।

जुला1947 में बॉम्बे की एक महासाभा में उन्होंने कहा था कि देश अब युद्ध का मैदान बन चुका है। देश में दोनों समुदाय अब शांति से नहीं रह सकते। ऐसे में बंटवारा किया जाना चाहिए।

भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने कहा था कि भारत का बंटवारा मैंने नहीं किया है। यह भारतीय नेताओं ने खुद मंजूर किया। उन्होंने कहा था कि मेरा काम केवल इसको शांति से लागू कराना है था। जल्दबाजी में मेरे से गलती हो गई। लेकिन बंटवारे के बाद जो कुछ भी हुआ उसके लिए भारतीय ही जिम्मेदार थे।

इस खास मॉड्यूल में बताया गया कि महात्मा गांधी इस बंटवारे के खिलाफ थे। उन्होंने 9 अगस्त 1947 को एक प्रार्थना सभा में कहा था कि अगर कांग्रेस बंटवारे को मानती है, तो यह मेरी सलाह के खिलाफ होगा, लेकिन मैं इसका विरोध हिंसा या गुस्से में नहीं करूंगा। हालांकि, इस दौरान ऐसे हालात बने कि नेहरू और सरदार पटेल ने गृहयुद्ध के डर से बंटवारे को स्वीकार कर लिया।

जल्दबाजी के कारण खराब हुए नतीजे

एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल के मुताबिक, लॉर्ड माउंटबेटन ने एक बड़ी गलती की थी। माउंटबेटन ने हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दिया। हालांकि, बंटवारे को पूरा करने में केवल 5 हफ्तों का वक्त मिला। बंटवारे के कई दिनों बाद तक पंजाब में लाखों लोगों को ये भी नहीं पता था कि वह भारत के नागरिक बने हैं या पाकिस्तान के नागरिक बने हैं।



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नई Mahabharat के श्री कृष्ण का बदल गया है पूरा अवतार

2013 में आई महाभारत (Mahabharat) को काफी पसंद किया गया था। शो की सबसे बड़ी खासियत बैकग्राउंड म्यूजिक और कलाकारों का चयन था। जिसे सबसे ज्यादा पसंद किया गया था, वो थे श्रीकृष्ण का किरदार निभाने वाले अभिनेता सौरभ राज जैन (Sourabh Raaj Jain)। 

सौरभ राज जैन ने महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका निभाई थी। आज भी सौरभ अपने ऑन-स्क्रीन किरदार के लिए दर्शकों के दिलों पर राज करते हैं। उन्हें देख मन में सिर्फ श्रीकृष्ण की छवि बनती है। ऑन-स्क्रीन उनके मुस्कुराने के हाव-भाव या फिर उपदेश देने का अंदाज काबिल-ए-तारीफ था। उनके डायलॉग डिलीवरी करने का अंदाज, हर सीन को शिद्दत से निभाना, सब कुछ बहुत खूबसूरत था। एक्टर ने अपने किरदार को इतनी शिद्दत से निभाया था कि उन्होंने दर्शकों के दिलों में अपने लिए खास बना ली।

सौरभ राज जैन ने यूं तो छोटे पर्दे पर भगवान विष्णु समेत कई किरदार निभाए हैं, लेकिन श्रीकृष्ण के रोल के लिए वह छा गए। आज वह कहां हैं और क्या कर रहे हैं, चलिए आपको उनके बारे में बताते हैं।

टीवी शो से शुरू किया था करियर 

सौरभ ने साल 2004 में रेमिक्स शो से अपना करियर शुरू किया था। फिर वह कसम से और मीत मिला दे रब्बा जैसे डेली सोप में दिखाई दिए। महाभारत से पहले उन्होंने जय श्री कृष्ण में भगवान विष्णु का किरदार निभाया था। शानदार परफॉर्मेंस के दम पर उन्हें देवों के देव महादेव में भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका निभाने का मौका मिला। 

विदेशों में भी चलाया जादू

सौरभ राज जैन को घर-घर में पहचान महाभारत ने दिलाई। इसके बाद उन्होंने महाकाली में भगवान शिव की भूमिका निभाई। वह पौराणिक शोज के अलावा रियलिटी शोज नच बलिये 9 और खतरों के खिलाड़ी सीजन 11 का हिस्सा भी रह चुके हैं।

इन दिनों अभिनेता टीवी शो तू धड़कन मैं दिल में नजर आ रहे हैं। वह कर्म (इंग्लिश), चेक इन बैंकोक (इंडोनेशियन) और ओम नमो वेंकटेशाय (तेलुगु) जैसी फिल्मों में नजर आ चुके हैं। 


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बिहार में 17 अगस्त से 'मतदाता अधिकार यात्रा' शुरू

एसआईआर को लेकर सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग के खिलाफ विपक्ष का आक्रामक रुख कम होता नहीं दिख रहा है। इसी रुख को जारी रखते हुए विपक्षी नेता अब कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में बिहार में एक बड़ा आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं।

बिहार में 17 अगस्त से 'मतदाता अधिकार यात्रा' शुरू हो रही है। इस यात्रा में राहुल गांधी के अलावा बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और महागठबंधन के सभी सहयोगी दलों के बड़े नेता भी शामिल होंगे।

राहुल गांधी के अनुसार, इस यात्रा का उद्देश्य कथित वोट चोरी के खिलाफ आवाज उठाना और एक साफ-सुथरी मतदाता सूची सुनिश्चित करना है। राहुल गांधी ने इसे न केवल चुनावी मुद्दा बताया है, बल्कि लोकतंत्र, संविधान और एक व्यक्ति, एक वोट के सिद्धांत की रक्षा की लड़ाई भी बताया है।

यह यात्रा बिहार के विभिन्न जिलों से होकर गुज़रेगी और कई जगहों पर जनसभाएँ आयोजित की जाएँगी। यात्रा 17 अगस्त से शुरू हो रही है। यात्रा की औपचारिक शुरुआत औरंगाबाद के बिहार औद्योगिक क्षेत्र मैदान से दोपहर 12 बजे से 2 बजे के बीच होगी।

इसके बाद, यात्रा शाम 4:30 बजे डेहरी के अंबेडकर चौक (काराकाट, रोहतास) से शुरू होगी। दिन का समापन औरंगाबाद के रमेश चौक पर एक जनसभा के साथ होगा। रात्रि विश्राम औरंगाबाद में होगा।

यात्रा 18 अगस्त को सुबह 8 बजे कुटुम्बा, औरंगाबाद से शुरू होकर सुबह 11 बजे शिवगंज पहुँचेगी। यात्रा शाम 4 बजे गुरारू से फिर शुरू होगी और गया में समाप्त होगी। रात्रि विश्राम गया में होगा।

यात्रा 19 अगस्त को नवादा के वज़ीरगंज क्षेत्र से शुरू होकर शाम को नालंदा, नवादा पहुँचेगी। रात्रि विश्राम नालंदा में होगा। 20 अगस्त को यात्रा विश्राम करेगी। यह राजीव गांधी की जयंती है। 21 अगस्त को यात्रा नालंदा के शेखपुरा से शुरू होकर लखीसराय होते हुए शाम को मुंगेर पहुंचेगी।

इस क्रम में यात्रा मुंगेर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, बेतिया, गोपालगंज, सीवान, छपरा पहुंचेगी। अगले दिन यात्रा भोजपुर पहुंचेगी जहां एक बड़ी रैली की भी तैयारी की जा रही है। 31 अगस्त को यात्रा में विराम रहेगा। जबकि 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में महागठबंधन की एक बड़ी रैली के साथ यात्रा का समापन होगा।

इधर, राहुल गांधी ने इस यात्रा को जनांदोलन बताया है और युवाओं, मजदूरों और किसानों से इसमें शामिल होने की अपील की है। उनका कहना है कि यह यात्रा वोट की चोरी के खिलाफ सीधी लड़ाई है, जिसका मकसद हर नागरिक के वोट के अधिकार को सुनिश्चित करना है।


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14 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हुई वॉर 2

अयान मुखर्जी के निर्देशन में बनी वॉर की सीक्वल वॉर 2 इन दिनों बॉक्स ऑफिस पर तबाही मचा रही है। फिल्म को लेकर काफी समय से फैंस के बीच एक्साइटमेंट बनी हुई थी। पहले से ही अंदाजा लगाया जा रहा था कि यह फिल्म धमाकेदार कलेक्शन करेगी। अब इसका सबूत भी मिल गया है।

वॉर की रिलीज के 6 साल बाद सीक्वल वॉर 2 आई जिसका निर्देशन सिद्धार्थ आनंद की जगह अयान मुखर्जी ने किया। फिल्म में ऋतिक रोशन (Hrithik Roshan), जूनियर एनटीआर (Jr NTR) और कियारा आडवाणी (Kiara Advani) लीड रोल में हैं। फिल्म 14 अगस्त को सिनेमाघरों में उतरी और इसने आते ही पहले दिन कमाई से सभी को दंग कर दिया। हैरानगी की बात है कि कूली (Coolie) से क्लैश भी फिल्म का कुछ बिगाड़ नहीं पाई।

दो दिन में वॉर 2 का कलेक्शन

वर्ल्डवाइड कलेक्शन बताने से पहले आप जान लीजिए कि यह फिल्म सिर्फ भारत में ही 100 करोड़ क्लब में शामिल हो गई है और सिर्फ दो दिन में। पहले दिन जहां वॉर 2 ने 51.5 करोड़ रुपये का बिजनेस किया था, वहीं दूसरे दिन कलेक्शन 56.5 करोड़ रुपये रहा। इस लिहाज से टोटल कलेक्शन 108 करोड़ रुपये हो गया है।

वॉर 2 का वर्ल्डवाइड कलेक्शन

वहीं, बॉलीवुड हंगामा की रिपोर्ट के मुताबिक, ऋतिक रोशन स्टारर वॉर 2 ने पहले ही दिन 73 करोड़ रुपये का बिजनेस किया और दुनियाभर में यह कारोबार 113 करोड़ रुपये का हो गया है जिसमें से सिर्फ विदेशी बाजारों में कलेक्शन 26.3 करोड़ रुपये है। अगर इस बिजनेस में दूसरे दिन का कलेक्शन एड किया जाए तो कमाई 170 करोड़ रुपये के करीब होती है। इस लिहाज से फिल्म का टोटल कारोबार (ग्रॉस कलेक्शन मिलाकर) दूसरे दिन तक 200 करोड़ के आसपास हो सकता है। फिलहाल, ऑफिशियल डाटा का इंतजार है।


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मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर उत्साह

नटवर नागर के 5252वें जन्मोत्सव का उत्साह है। शनिवार रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर कंस के कारागार में लाला का प्राकट्य होगा। जन्मस्थान भी अद्भुत रंगों से सजा है। जन्मोत्सव पर ठाकुरजी मेघधनु (इंद्रधनुषी रंग की) पोशाक धारण करेंगे। सीएम योगी मथुरा में आए हैं।

इसमें नाम के अनुरूप इंद्रधनुष के सात रंगों का प्रयोग रेशम, जरी, रत्नों के रूप में किया गया है। कंस की कारा (गर्भगृह) को 221 किलो चांदी की परत से सजाया जाएगा। गर्भ गृह में पुष्प बंगला बनेगा। मां योगमाया मंदिर में सिंहासन, अस्त्र-शस्त्र, पादुकाएं लगभग 51 किलोग्राम चांदी से तैयार कराई गई हैं। भगवान श्रीकृष्ण सिंदूर पुष्प बंगला में विराजमान होंगे। जन्मोत्सव पर आपरेशन सिंदूर की झलक दिखाई देगी।

मथुरा पहुंचे सीएम योगी

भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मथुरा पहुंचे। वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर कान्हा के दर्शन करने पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को हेलीकाप्टर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय पहुंचे। यहां से वे जन्मस्थान पहुंचे। जन्मस्थान पर उन्होंने सभी को कृष्ण जन्मोत्सव की बधाई दी। सीएम ने भारत माता की जय का नारा लगाया और राधे राधे का नाम लिया। जन्मस्थान में सीएम योगी ने गर्भ गृह में ठाकुरजी के दर्शन किए। इसके बाद योगमाया, केशव देव महाराज का पूजन किया। भागवत भवन युगल सरकार के दर्शन किए।


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वीरेंद्र सहवाग ने अपने वनडे संन्‍यास को लेकर किया बड़ा खुलासा

भारतीय टीम के पूर्व विस्‍फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने खुलासा किया कि वो 2007-08 में वनडे क्रिकेट से संन्‍यास लेने का मन बना चुके थे, लेकिन महान बल्‍लेबाज सचिन तेंदुलकर ने उन्‍हें रोक दिया था।

सहवाग ने पदमजीत सहरावत के पोडकास्‍ट पर बातचीत करते हुए 2007-08 सीबी सीरीज को याद किया, जहां कप्‍तान एमएस धोनी ने पहले तीन मैचों के बाद उन्‍हें टीम से बाहर कर दिया था। इस सीरीज में भारत, ऑस्‍ट्रेलिया और श्रीलंका ने हिस्‍सा लिया था।

वीरू ने खोला राज

2007-08 में ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज में मैंने पहले तीन मैच खेले और फिर एमएस धोनी ने मुझे टीम से बाहर कर दिया। मुझे कुछ समय तक टीम में नहीं चुना गया। फिर मुझे लगा कि अगर मैं प्‍लेइंग 11 का हिस्‍सा नहीं हूं तो वनडे क्रिकेट खेलने का कोई मतलब नहीं।

तेंदुलकर ने बदलवाया फैसला

निराश होकर वनडे क्रिकेट से संन्‍यास लेने का मन बना चुके सहवाग ने तेंदुलकर से सलाह ली। उन्‍होंने तेंदुलकर को अपने मन की बात बताई। इसके बाद दोनों के बीच जो बातचीत हुई, उसने उनके करियर को बदल दिया।

मैं तेंदुलकर के पास गया और कहा- मैं वनडे से संन्‍यास लेने का सोच रहा हूं। उन्‍होंने कहा- नहीं, मैं 1999-2000 में इसी तरह के समय से गुजरा हूं, जहां मुझे लगा कि मुझे क्रिकेट छोड़ना चाहिए। मगर वो समय आया और गया। आप खराब दौर से भी गुजरते हैं, लेकिन यह समय बीत जाता है। जब तुम भावुक हो तो कोई फैसला मत लो। खुद को एक या दो सीरीज का समय दो और फिर फैसला लो।

वीरू का धांसू कमबैक

वीरू ने सचिन की सलाह मानी और टीम में धांसू कमबैक किया। उन्‍होंने खूब रन बनाए और 2011 वर्ल्‍ड कप में भारत को चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई। वैसे, वीरू ने 251 वनडे में भारत का प्रतिनिधित्‍व किया और 35.05 की औसत व 104.33 के स्‍ट्राइक रेट से 8273 रन बनाए, जिसमें 15 शतक और 38 अर्धशतक जड़े।

बेटे आर्यवीर को संदेश

पूर्व भारतीय ओपनर ने अपने बेटे आर्यवीर के बारे में भी बातचीत की। आर्यवीर के लिए सहवाग ने कहा कि अनचाहे तौर पर भी तुलना का सामना करना पड़ेगा, लेकिन उसे दबाव नहीं लेना चाहिए।

वीरू ने कहा, 'हमेशा ही वो दबाव आप पर रहेगा। मगर आपको दबाव नहीं लेना चाहिए। दबाव ऐसी चीज है जो आप दो ना कि लो। उम्‍मीद करता हूं कि वो भारत के लिए खेले या रणजी ट्रॉफी तक का सफर तय करे।'


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टेलीग्राफ से लेकर 5G तक का सफर और अब स्वदेशी 6G टेक्नोलॉजी पर हमारा फोकस

देश आज 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आज देश जहां खड़ा है उस आधुनिक भारत की नींव इसके गौरवशाली इतिहास में है। ऐसा ही एक सेक्टर भारत के टेलीकॉम सेक्टर की बात करें तो हम हाई स्पीड 5G नेटवर्क तक पहुंच चुके हैं। इतना ही नहीं भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हैं, जिसके पास अपनी टेलीकॉम टेक्नोलॉजी सिस्टम है।

इतिहास में देखें तो भारत में टेलीकॉम की शुरुआत साल 1851 में टेलीग्राफ लाइन से हुई और आज देश में 97 करोड़ टेलीकॉम यूजर हैं। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम आपको आज भारत की टेलीकॉम सेक्टर के डेवलपमेंट की जानकारी शेयर कर रहे हैं।

भारत में टेलीफोन की शुरुआत

भारत में टेलीफोन सर्विस की शुरुआत साल 1882 से हुई। देश में सबसे पहले कोलकाता, बॉम्बे (मुंबई) और मद्रास (चेन्नई) में टेलीफोन एक्सचेंज ओपन किए गए। उस वक्त देश में ब्रिटिश शासन था और टेलीफोन सर्विस को आम लोगों से दूर रखा गया था। यह सर्विस सिर्फ कुछ चुनिंदा सेवाओं के लिए थी। कोलकाता एक्सचेंज की बात करें तो शुरुआत में सिर्फ 93 ग्राहक थे।

आजादी के बाद भी टेलीफोन कनेक्शन मिलना बिलकुल आसान नहीं था। आवेदन करने के बाद लोगों को महीनों और सालों का इंतजार करना पड़ता था। टेलीकॉम सेक्टर में सुधार 1990 में आर्थिक सुधार के बाद ही आया

प्राइवेट कंपनियों की शुरुआत

साल 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद देश में टेलीकॉम सेक्टर में प्राइवेट कंपनियों की एंट्री हुई। नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 1994 के बाद इस सेक्टर में विदेशी निवेश भी आने लगा और मोबाइल फोन, रेडियो पेजिंग और इंटरनेट सर्विस की शुरुआत हुई।

पहली मोबाइल कॉल

देश में पहली मोबाइल कॉल 31 जुलाई 1995 को हुई। यह कॉल केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम और पश्चिम बंगाल के सीएम ज्योति बसु के बीच हुई। उस वक्त मोबाइल फोन आज की तरह हल्के नहीं थे। इसके साथ नेटवर्क भी काफी कमजोर था और एक कॉल के लिए कॉलर और रिसीवर को करीब 16 रुपये प्रति मिनट तक देने होते थे।

हर जेब तक पहुंचा मोबाइल

प्राइवेट कंपनियों और विदेशी निवेश के आने से देश में टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई। 2000 के दशक तक मोबाइल खास लोगों से आम लोगों के बीच में पहुंच गया। देश में तेजी से मोबाइल सब्सक्राइबर्स का बेस बढ़ने लगा। साल 1999 में देश में 12 लाख लोगों के पास मोबाइल था और 20003 में करीब 2.73 करोड़ लोगों तक इसकी पहुंच हो गई। इसके साथ 2005 तक मोबाइल कनेक्शन ने लैंडलाइन को भी पीछे छोड़ दिया।

यह सब सस्ते GSM/CDMA नेटवर्क, प्रति मिनट के बजाय प्रति सेकंड बिलिंग सिस्टम और सस्ते चाइनीज फोन की वजह से मुमकिन हो पाया। साल 2008 में भारत 30 करोड़ कनेक्शन के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट बन गया।

डेटा और स्मार्टफोन की एंट्री

2010 में एक बार फिर से देश की टेलीकॉम इंडस्ट्री में क्रांती आई। सस्ते एंड्रॉयड फोन और डेटा के साथ लोग की पहुंच इंटरनेट से हुई। 2012 में Airtel ने 4G लॉन्च किया और 2016 में मुकेश अंबानी ने जब रिलायंस जियो के साथ इस इंडस्ट्री में कदम रखा तो सबकुछ बदल गया। उन्होंने वॉइस कॉलिंग, रोमिंग और डेटा के प्लान बदलकर टेलीकॉम सेक्टर की तस्वीर ही बदल दी। 2018 तक भारत दुनिया में सबसे ज्यादा मोबाइल डेटा यूज करने वाला देश बन गया।

5G की शुरुआत और 6G की राह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2022 में देश में 5जी सर्विस लॉन्च की। 2025 तक देश के सभी बड़े शहरों और जिलों में 5जी नेटवर्क मौजूद है। इसके साथ ही ग्रामीण भारत में भी 5G सर्विस पहुंचाने पर काम हो रहा है।

देश में फिलहाल कुल मोबाइल इंटरनेस सब्सक्राइबर्स की संख्या लगभग 97 करोड़ है। इसके साथ ही शहरों में टेली-डेंसिटी 131.45% और ग्रामीण टेली डेंसिटी 59.06% है। इसके साथ भारत ने तेजी से स्वदेशी 6G टेक्नोलॉजी पर भी काम शुरू कर दिया है।

स्वदेशी 6G टेक्नोलॉजी

5G के बाद अब भारत 6G टेक्नोलॉजी की ओर तेजी से कदम बढ़ रहा है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने B6GA (भारत 6G गठबंधन) की समीक्षा करते हुए बताया कि भारत का लक्ष्य 2023 तक देश को 6G में ग्लोबल लीडर बनाने का लक्ष्य रखा। B6GA मिशन के तहत भारत में 80+ संस्थाएं और 30+ स्टार्टअप जुड़े हैं।

6G विजन डॉक्युमेंट के तहत भारत अभी से स्वदेशी नेटवर्क, ग्रामीण स्मार्ट कनेक्टिविटी और हेल्थ व एग्रीकल्चर में 6G के उपयोग पर  काम कर रहा है। इसके साथ ही हमारा फोकस हाई-स्पीड इंटरनेट और स्मार्ट नेटवर्क के साथ भारत को टेक्नोलॉजी क्रिएटर और ग्लोबल इनोवेशन हब बनाने पर है।




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