रावण की जन्मभूमि, शिवलिंग की पूजा, मनोकामना होती है पूरी

उत्तर प्रदेश:गौतम बुद्ध नगर (नोएडा):दोस्तों आज हम आपको उस गांव की जानकारी आपसे सााझा करेंगे, जिसका संबंध त्रेतायुग के महा प्रतापी, महा ज्ञानी महापंडित दशानन से है। जी हां हम बात कर दिल्ली से सटे नोएडा के बिसरख गांव की। कहा जाता है इस गांव में स्थित एक मंदिर में स्थापित शिवलिंग त्रेतायुग की है। इस मंदिर में रावण ने भोलेनाथ को बार बार अपना शीश काटकर अर्पित किया। जिसके बाद रावण को  भगवान शिव ने दस सिरों का वरदान दिया था। तब से रावण को  दशानन के नाम से भी जाना जाने लगा। इसी मंदिर में रावण दसों दिशाओं को बांधकर भोलेनाथ का पूजन करता था। सूत्रों के अनुसार कहा ये भी जाता है इस मंदिर में सभी प्रकार की पूजा अर्चना की जाती है। यहां तंत्र मंत्र संबंधित सभी प्रकार की क्रिया की जाती है। यहां पर फाल्गुन ओर श्वावण मास में भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले को देखने के लिए लोग दूर दूर से आते है। इस मंदिर में रावण के पिता विश्रवा ऋषि ने ही अष्टभुजी शिवलिंग की स्थापना की थी। नोएडा के बिसरख गांव का उल्लेख शिवपुराण में भी मिलता है। महंत रामदास के अनुसार ये गांव में भगवान राम और रावण की साथ में पूजा करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है, यहाँ पर रावण ने शिव को अर्पित किए थे अपने शीश, सभी भक्तों की  मनोकामना होती है पूरी,लेकिन इस गांव में रामलीला का आयोजन कभी नहीं किया जाता है। साथ ही इस गांव में रावण का पुतला दहन भी नहीं किया जाता है। आपकों बता दे इस मंदिर में दस शिवलिंग थे। जिसमें एक को छोड़ कर सभी शिवलिंग को अलग अलग दिशा में स्थापित कर दिया था।

मेले में दर्शन को आते दूर दूर से भक्त : 

नोएडा के बिसरख गांव में एक भव्य शिव मंदिर स्थित है। जहां पर फाल्गुन और सावन के महीने में दर्शन-पूजन करने आसपास के इलाकों के साथ-साथ दूर-दूर से भक्त आते हैं। कहा जाता है कि शिव मंदिर में जो अष्टभुजी शिवलिंग विराजमान हैं। जिसकी स्थापना रावण के पिता विश्रवा ऋषि ने कराई थी। इस मंदिर की शिवलिंग की गहराई आज तक रहस्यमई बताई जाती है। कहा जाता है कि बहुत पहले के समय में यहां पर खुदाई भी करवाई गई थी, लेकिन कोई छोर नहीं मिलने पर खुदाई को बंद करवा दिया गया था।

बुद्धिमानी और पराक्रमी का मिला वरदान :

माना जाता है कि रावण भी इसी गांव के अष्टभुजी शिवलिंग की पूजा अर्चना करते थे। इसके बाद रावण की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने रावण को इसी जगह बुद्धिमान और पराक्रमी होने का वरदान दे दिया था। इस मंदिर के ट्रस्ट के अनुसार, गांव में आज भी खुदाई होने पर कभी-कभी शिवलिंग निकल जाते हैं। इसी वजह से सालों साल गांव में पूजा- अर्चना करने आने भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती। इस मंदिर की भव्यता और दिव्यता भी बेमिसाल है।

Story by Vaibhav Bhardwaj 

Photo by Pooja Ranjan