बजरंग पुनिया को मां ने खिलाया चूरमा, तिलक लगाकर किया स्वागत

सोनीपत : भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया सोमवार देर रात ओलंपिक टोक्यो से कांस्य पदक लेकर अपने घर पहुंचे। सोनीपत में उनकी मां ओम प्यारी ने अपने लाडले को तिलक लगाकर उसका स्वागत किया और देशी घी से बना चूरमा खिलायाए तो बेटे बजरंग ने अपनी मां के गले में पदक पहनाया। पहलवान ने कहा कि अब वह अगले मुकाबलों के लिए तैयारियां करेंगे।


सोनीपत में डीजे और ढोल की थाप पर थिरकते बच्चे, बूढे और जवान खुशियों की इस बेला में बजरंग के घर पर भारी संख्या में एकत्र थे। ओलंपिक खेलों से कुश्ती मुकाबलों में कांस्य पदक लेकर सोनीपत पहुंचे बजरंग पुनिया ने कजाकिस्तान के पहलवान को 8-0 से हराकर कुश्ती में यह पदक जीता है। बजरंग पूनिया रेसलिंग के लगभग हर बड़े इवेंट में मेडल जीतने वाले रेसलर हैं। हरियाणा के झज्जर जिले के गांव खुड्डन में उनका जन्म 26 फरवरी 1994 को हुआ। वर्ष 2015 से पहलवान का परिवार सोनीपत में इसलिए रहने लगा कि बजरंग सोनीपत में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के रीजनल सेंटर में प्रशिक्षण लेकर अच्छे से कुश्ती कर पाएं। बजरंग पुनिया बताते हैं कि अब वह आने वाले कुश्ती मुकाबलों के लिए तैयारियों में लगेंगे।


बजरंग के पिता बलवान सिंह को अपने बेटे के ओलंपिक में मेडल जीतने पर बेहद खुशी है और उन्हें विश्वास है कि उनका बेटा आने वाले समय में देश के लिए और भी अच्छा करके दिखाएगा। उन्हें भरोसा है कि बेटा आगामी ओलंपिक में अपने इस मेडल का रंग भी बदलेगा। सितंबर 2019 में ओलंपिक्स के लिए क्वॉलिफाई करने वाले बजरंग ने इसी साल मार्च में हुए मैटेओ पेल्लिकोन रैंकिंग सीरीज टूर्नामेंट में मंगोलिया के तुल्गा तुमुर ओचिर को हराकर वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप स्पॉट हासिल किया था।


बजरंग ने वर्ष 2013 एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप और वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज़ मेडल्स जीते थे। फिर साल 2014 में बजरंग ने अपने मेडल्स का रंग बदला. इस बार उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स और एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप, तीनों में सिल्वर मेडल अपने नाम किए। उन्होंने 2017 की एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। वर्ष 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में भी गोल्ड मेडल्स जीते। इसी साल हुई वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता। जबकि अगले साल की वर्ल्ड चैंपियनशिप में उनके नाम कांस्य पदक रहा।