कोरोना पग रहा पसार!

देश के हर कोने में कोरोना होली उत्सव के बाद से ही नये दस्तक के साथ तेजी से फिर से पग पसार रहा है और लोग असावधान भी नजर आ रहे है। इसी तरह के परिवेष में असम, पाडूचेरी, तमिलनाडू, , केरल व पं बंगाल के विधानसभा चुनाव भी हो रहे है जहां चार चरणों के चुनाव सम्पन्न हो तो गये है पर अभी पं बंगाल में चार चरणों के चनाव बाकी है। जहां सभी राजनीतिक दल धुंआधार प्रचार में लगे हुये है। इस तरह की प्रक्रिया में कोरोना पसरने का भय किसी को नहीं दिखाई दे रहा है। वहां की चुनावी स्थिति को देखकर ऐसा लगता है कि इन स्थानों पर कोरोना है ही नहीं तभी तों कोरोना बचाव के किसी नियम का पालन होता नजर नहीं आ रहा है। पं. बंगाल चुनाव प्रचार में सत्ता पक्ष से लकर विपक्षी दल सभी सभी सत्ता पाने की भूख में कोरोना जैसे खतरनाक बीमारी को पग पसारने में जोरदार मदद कर रहें है। इस दिषा में केन्द्र की सत्ताधारी भाजपा भी किसी से कम नहीं नजर आ रही है। इस तरह के परिवेष में रैली एवं जनसभाएं आयोजित की जा रही है जहां किसी भी तरह की सोषल डिस्टेंसी नहीं नजर आ रही। जहां चेहरे पर बिना मास्क लगाये भीड़ एक दूसरे पर गिरती नजर आ रही है। इस तरह के परिदृष्य को उजागर करने में देष के वे सभी जागरूक नेता भी षामिल है जो कोरोना से बचाव के लिये सभी को मास्क पहनने एवं सोषल डिस्टेसी के नियमों को पालन करने की सलाह देते रहते है। इस तरह के परिवेष में जहां देषभर से कोरोने के तेजी से फैलने की खबर आ रही है, चुनाव आयोग भी आखिर मौन क्यों है ? यह बात समझ में नहीं आ रही है। कोरोना से बचाव हेतु देषभर में टीकाकरण की प्रक्रिया चल रही है जिसके तहत इसके प्रथम चरण में स्वास्थ्य कर्मी एवं सेवा कर्मियों को टीके लगाये गये, दूसरे चरण में देष के वरिश्ठ नागरिकों को एवं तीसरे चरण में 45 वर्श की आयु तक के नागरिकों को टीकाकरण की प्रक्रिया षुरू की गई। चौथे चरण में 18 वर्श से लेकर समस्त नागरिकों को इस अभियान से जोड़ने का भावी कार्यक्रम सरकार का है जिसे देषभर में अमल में लाया ज रहा है। इस तरह के जागरूक अभियान से देष अभी भी अधिकांष आम नागरिक वंचित है जो इस टीके को लगाने में भयभीत हो रहे है। इस तरह के संक्रमण बीमारी जिससे बचाव का कोई और रास्ता नहीं है फिर भी लोग इससे दूर होते नजर आ रहे है।इसके भयंकर परिणाम को पूर्व में देखा जा चुका है जिसने कईयों को हमसे छीन लिया। हमारे पर्व, त्योहार, रिष्तें नातें को तहस नहस कर दिया। हम एक दूसरे से मिलना जुलना बंद कर दिये। लाखों - करोड़ों घर के चूल्हें बंद हो गये। आवागमन तक बंद हो गया। कईयों के रोजगार छीन गये। मौत का मातम इस तरह छाया कि अपनें से अपनें दूर होते गये। लाष को उठाने में भी लोग कतराने लगे। इस तरह का संक्रामक वायरस आज तक नहीं आया जिसने पूरे विष्व को हिला दिया। आर्थिक कमर टूट गई। इस दौरान हमने हर तरह के नियमों का पालन किया। घर में कैद रहकर, मास्क पहनकर, आपस में दूरी बनाकर एवं बार - बार अपने हाथ धोकर इससे लड़ने का रास्ता ढ़ूढ़ लिया और सफलता भी मिली। इसके बढ़ते ग्राफ पर ब्रेक भी लग गया। धीरे - धीरे बंद द्वार भी खुलने लगे। सुरक्षा के साथ मिलने जुलने की प्रक्रिया भी षुरू हो गई। टीकाकरण आने से लोगों ने एक नई राहत की ष्वांस ली पर फिर से लापरवाही षुरू हो गई। हम बहुत जल्दी ही उस भयावह स्थिति को भूल गये तभी तो कोरोना फिर से नये दस्तक के साथ देष में प्रवेष कर चुका है। चारों ओर इसके पग पसरने की बात सामने आ रही है। देष की सत्ता तो बदलती रहेगी। जब लोग हीं नहीं रहेंगे तो किस पर हुकुमत रहेगी। इस तरह के परिवेष में ये बात सभी को समझनी होगी विषेश रूप से हमारे जन नेताओं को जो सत्ता पाने की भूख में सबकुछ भूल बैठे है। चुनाव समय पर होने चाहिए पर परिवेष के अनुसार नियमों का भी पालन होना चाहिए। चुनाव आयोग को इस दिषा में विचार कर सकरात्मक कदम उठाने का निर्णय लेना चाहिए जिससे कोरोना पग पसारने में सफल न हो सके।