जब गुरु नानक देवजी के चमत्कार से लोगों को मिला मीठा जल

वैसे तो हर गुरुद्वारा अपने आप में खास है लेकिन नानक प्याऊ गुरुद्वारे की स्थापना खुद श्री गुरु नानक देवजी ने की थी। 1505 में दिल्ली में आगमन हुआ तो वह जी.टी. रोड के ऊपर सब्जी मण्डी के बाहर एक बाग में रुके। लोगों ने ऐसे पैगंबर के दर्शन किए जो अपना उपदेश कविता और संगीत के माध्यम से देते थे। कहते हैं उस समय इस इलाके में पाने का पानी नसीब नहीं होता था। जमीन से खारा पानी निकलता था, जिसके कारण लोग परेशान हो रहे थे। तभी गुरु नानक देव जी ने अपनी शक्ति से, अपनी दृष्टि से, जमीन से मीठा पानी निकाला। जिसके बाद यहां रहने वाले तमाम लोगों ने यहां पानी पिया। बाग के मालिक ने यह बाग गुरु के चरणों में भेंट कर दिया। वहां यादगारी स्थान बनवा दिया जो ‘श्री गुरु नानक प्याऊ दी संगत’ करके प्रसिद्ध हो गया। यहां गुरु जी ने अनेक यात्रियों की आत्मक प्यास बुझाई। गुरु साहिब द्वारा कायम की गई सेवा व दान की परंपरा 514 साल से यानि आज भी लगातार चल रही है। जहां से पानी निकला वहां कुआं आज भी बना हुआ है। इसके साइड में बने एक प्याऊ से लोगों को पानी पिलाया जाता है।


दिल्ली के बड़े गुरुद्वारों में से एक है नानक प्याऊ। गुरुद्वारा बंगला साहिब के अलावा सिर्फ नानक प्याऊ में ही सरोवर बना हुआ है। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (डीएसजीपीसी) गुरुद्वारे का पूरा ख्याल रखती है। कमिटी के प्रेजिडेंट मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि हाईवे के पास होने से गुरुद्वारे में रोजाना लाखों लोग आते हैं। यहां पर इनके रहने से लेकर खाने तक का पूरा इंतजाम होता है। सिरसा के मुताबिक नानक प्याऊ गुरुद्वारे में सबसे पहले लंगर खुद गुरु नानक देवजी ने शुरू किया था और तब से अब तक यहां लंगर इसी तरह चलता आ रहा है। रोजाना ही हजारों लोग यहां खाना खाने आते हैं। कोई भी भूखा नहीं जाता। सिरसा ने बताया कि गुरुपूरब पर यहां एक लाख से ज्यादा लोग पहुंतचे हैं। यहां डिस्पेंसरी, स्कूल, इंस्टिट्यूट और मैरिज हॉल भी बना हुआ है। बाहर से आने वाले लोगों के लिए डिस्पेंसरी में रोजाना स्पेशल डॉक्टर्स बैठते हैं।


प्रकाश पर्व की तैयारियां

सिरसा ने बताया नानक प्याऊ में ग्रैंड सेलिब्रेशन की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। हाल ही में गुरुद्वारा साहिब को पूरी तरह से रेनोवेट किया गया है। इसके कपाट 7 नवंबर को अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह आकर खोलेंगे। वहीं 9 से समागम शुरू होंगे। 3 दिन ऐतिहासिक कार्यक्रम होंगे साथ ही 12 नवंबर को रकाबगंज साहिब गुरुद्वारे में मेन समागम कराया जाएगा। नानक प्याऊ गुरुद्वारे को पूरा नया लुक दिया गया है। गुरुद्वारे के आसपास एनवायरनमेंट को देखते हुए ग्रीनरी का पूरा ख्याल रखा गया है। कई हजार पौधे लगाए गए हैं।