सेब के दाम गिरने पर एक मंच पर पहली बार एकजुट 17 बागवान संगठनों ने भरी हुंकार

शिमला : हिमाचल प्रदेश में सेब की फसल के रेट गिरने से पैदा हुए संकट के बीच प्रदेश के 17 बागवान संगठनों ने एक बैनर के तले इकट्ठा होकर मांगों को लेकर हुंकार भरी है। सोमवार को राजधानी शिमला के कालीबाड़ी हाल में संयुक्त किसान मंच बनाकर एकत्रित हुए प्रदेश के कोने-कोने से आए सेब बागवानों ने दाम गिरने की समस्या को सुलझाने के लिए विचार साझा किए। 


इस सम्मेलन में सभी राजनीतिक विचारधारा से जुड़े बागवान आए। उन्होंने व्यापारियों, कारपोरेट घरानों आदि की धोखाधड़ी के अलावा सरकार की उदासीनता पर भी निशाना साधा। सम्मेलन में माकपा विधायक राकेश सिंघा और शिमला ग्रामीण के कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह भी मौजूद हुए। संयुक्त किसान मंच ने विधायकों को मंच पर बैठाने के बजाय सभागार में अग्रिम पंक्ति में सेब बागवानों के बीच में ही बैठाया, जिससे इस सम्मेलन के गैर राजनीतिक होने का संदेश दिया जा सके। 


जुब्बल कोटखाई से भाजपा से टिकट की दावेदार नीलम सरईक भी मौजूद रहीं। भाजपा से जुड़े बागवान नेता हरीश चौहान, माकपा नेता संजय चौहान समेत कई गणमान्य लोग मौजूद हुए। ज्यादातर बागवान नेताओं ने सेब के रेट में गिरावट को एक साजिश करार दिया। किसानों और बागवानों ने कारपोरेट घरानों की ओर से की जा रही लूट को बंद करने और अन्य फसलों के न्यूनतम मूल्य को कानूनी रूप से लागू करने की सरकार से मांग उठाई। 


यह पहला मौका रहा कि 17 किसानों-बागवानों के संघ ने एक साथ सेब के गिरते दामों को लेकर सेब खरीद कंपनियों की मनमानी के खिलाफ एक सुर में विरोध किया है। संवाद में मौजूद रहे इन लोगों ने एक सुर में प्रदेश सरकार से जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने की मांग की, वहीं सरकारी एजेंसियों एचपीएमसी और हिम फेड के माध्यम से सेब की खरीद सुनिश्चित करने की मांग उठाई। 


मिलकर प्रभावी ढंग से अपनी मांग उठा सकेंगे किसान बागवान : हरीश चौहान

संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान ने कहा कि सेब के दाम गिरने के बाद एक मंच पर एकत्र हुए बागवान इस समस्या के समाधान और भविष्य के लिए इसका स्थायी समाधान करने पर चर्चा के लिए एकत्र हुए हैं। संवाद में दो विधायक भी शामिल हुए हैं। हर राजनीतिक दल से जुड़े बागवान भी इसमें आए हैं। सभी की एक ही मांग है कि सेब के न्यूनतम मूल्य की गारंटी हो। 


किसानों-बागवानों को एकजुट करने की पहल अच्छी : नीलम सरईक

भाजपा नेत्री और बागवान नीलम सरईक ने कहा कि किसानों-बागवानों को एक मंच पर लाने की पहल अच्छी है। हम सरकार के खिलाफ नहीं हैं, मगर इस संवाद में किसानों-बागवानों के सुझावों पर मूल्य निर्धारण को ठोस नीति की मांग रहेगी। मंडी में जो रेट कम हुए हैं, उसके लिए किसी एक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, इसमें हम बागवानों की भी कमियां हो सकती हैं। इसमें किस तरह सुधार हो कि अच्छे दाम मिलें, इस पर विचार कर आगे बढ़ना होगा। 


सरकार की सेब सीजन के लिए व्यवस्थाओं में रही कमी : यशवंत छाजटा 

बड़े बागवानों में गिने जाने वाले जिला शिमला कांग्रेस अध्यक्ष यशवंत छाजटा ने कहा कि सेब के रेट में इस बार आई गिरावट के लिए सरकार की प्लानिंग में खामियां रही हैं। समय से रेट निर्धारण पर निर्णय नहीं लिया, ठोस नीति नहीं बनाई गई। गिरते दामों में सरकार के साथ कंपनियों की सांठगांठ से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि रेट सरकार तय करे, कंपनी नहीं। 


बागवानी को बचाने के लिए मिलकर बढ़ना होगा आगे : विजय राजटा 

किसान बागवान संघर्ष मंच नारकंडा से जुडे़ विजय राजटा ने कहा कि किसान को इस बार मंडी में अपने सेब को पिछले वर्ष के मुकाबले आधे दाम मिल रहे हैं। यह सेब खरीद कंपनियों की मनमानी और सरकार के इस पर कोई नियंत्रण न होने का नतीजा है, जिससे किसान को लागत भी नहीं मिल रही। इसके लिए सभी को एकजुट होकर एमआईएस के तहत सेब खरीद की व्यवस्था की मांग उठानी होगी। 


इस बार गंभीर हो गई सेब के रेट गिरने की समस्या : रोहित चौहान 

किसान सभा से जुडे़ जुब्बल के युवा बागवान और किसान सभा के सदस्य रोहित चौहान का कहना है कि पिछले तीन से चार सालों से सेब के रेट गिराए जाते रहे हैं, मगर इस बार रेट इतने गिरे हैं कि समस्या गंभीर हो गई। सरकार को न्यूनतम मूल्य तय करने के साथ भविष्य में इसका स्थायी समाधान करने के लिए सीए स्टोर खोलने के साथ मंडियों की व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। 


ग्रेड के हिसाब से तय करे सरकार सेब का रेट : ईशित भैहक

कोटगढ़ के युवा बागवान ईशित भैहक का कहना है कि सरकार स्वयं रेट तय करे। मार्केट पर लगातार निगरानी रखकर कंपनियों को कारोबार की अनुमति देने की व्यवस्था करे। इससे ही बागवानों के हित और करोड़ों की सेब आर्थिकी सुरक्षित रह सकेगी। इसके लिए सरकार को हितधारकों और बागवानों से सुझाव लेकर भविष्य के लिए ठोस नीति बनानी होगी।