आत्मनिर्भर भारत का मंत्र

मोदी जी के नेतृत्व में वैश्विक क्षितिज पर उभरते और तेजी से बढ़ते हुए भारत के समक्ष कोविड-19 महामारी एक विपत्ति की भाँति आई। यद्यपि यह वैश्विक समस्या है फिर भी आबादी के दृष्टि से विश्व के दूसरे बड़े देश के लिए यह बड़ी चुनौती है। पहले ही दिन से मोदी जी ने इस विपत्ति को संजीदगी के साथ लिया और जनजन में कोरोना से लड़ने का हौसला भरा। परिणाम यह कि कोरोना से होने वाली मृत्युदर अन्य विकसित देशों के मुकाबले भारत में बहुत कम है। आज हमारे वैज्ञानिकों ने स्वदेशी वैक्सीन की खोज कर ली, हमारी फर्मा कंपनियों ने उसका उत्पादन शुरू किया है। 70 करोड़ से ज्यादा लोग वैक्सिनेट हो चुके हैं।


औसत एक दिन में ही इतना टीकाकरण होता है जो किसी यूरोपीय देश की आबादी से ज्यादा है। इस विस्मयकारी अभियान को आज दुनिया देख और सराह रही है। कोरोना ने विश्व की तमाम अर्थव्यवस्थाओं को ध्वस्त किया है..अपना देश भी अछूता नहीं। लेकिन हम देश की कृषि व्यवस्था के दमपर अपने पाँवों में खड़े हैं। मोदीजी ने कृषि क्षेत्र को सबसे संभावनाओं वाले क्षेत्र के रूप में रेखांकित किया है। वे खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने की दिशा में कटिबद्ध हैं। कोरोना की सबसे ज्यादा मार श्रमिकों, सीमांत किसानों व फुटपाथ व्यापारियों पर पड़ा है। सभी फिर से सँभले और समाज की मुख्यधारा में बने रहें, इसके लिए 20 लाख करोड़ का बजट दिया है। साथ ही ‘आत्मनिर्भर भारत का मंत्र भी।


विश्वास की पुनर्प्रतिष्ठा


जो कश्मीर स्वतंत्रता के बाद से ही नासूर की तरह लहकता था उस नासूर से अब मुक्ति मिल चुकी है। अनुच्छेद 370 इतिहास का विषय बन चुका है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख अब एक राज्य के रूप में पुष्पित पल्लवित हैं। मुस्लिम माताओं-बहनों को तीन तलाक जैसे नारकीय रिवाजों से मुक्ति मिल चुकी है। सभी देशवासी एक हैं, एक-सा उनका अधिकार हो, सभी के लिए एक विधान हो, इस दिशा में भी देश आगे बढ़ चुका है। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा हमारे स्वाभिमान, आस्था व विश्वास की पुनर्प्रतिष्ठा का रहा है। रामजन्म भूमि में भगवान राम का विशाल और गरिमामयी मंदिर अब आकार लेने को है। यह सब मोदीजी के लौह व्यक्तित्व और अटल इच्छाशक्ति का परिणाम है। ईश्वर नरेंद्र भाई मोदी को इतना सामर्थ्य दे कि विजयी विश्व तिरंगा प्यारा-गीत की पंक्तियों से उतरकर यथार्थ के धरातल पर फलीभूत हो।



(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं।)