पीएम का दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिवसीय अमेरिका दौरे से भारत वापस आ गए हैं। प्रधानमंत्री जो हाथ भरा लेकर लौटे हैं उसमें कारोबार, सामरिक और रणनीतिक साझेदारी को विश्वसनीयता की गहराइयों तक ले जाने और सहयोग का अमेरिकी भरोसा है। इसके अलावा जापान, आस्ट्रेलिया के साथ बढ़ रहा सहयोगात्मक रिश्ता तथा क्वॉड के फोरम का मजबूत होना है। अमेरिका की कंपनियों के सीईओ ने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात में अच्छे संकेत दिए हैं। पीएम मोदी ने अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस से व्हाइट हाउस में मुलाकात कर एक बड़े मिथक को तोड़ दिया। पहले ऐसा कहा जाता था कि कमला हैरिस और जो बाइडेन का पीएम मोदी के प्रति नजरिया उतना अच्छा नहीं है। लेकिन, इस मुलाकात के बाद जो तस्वीरें दिखाई दी, उससे न केवल मोदी विरोधियों बल्कि पाकिस्तान के लिए भी कड़ा संदेश माना गया। कमला हैरिस ने पीएम मोदी से मुलाकात के बाद आतंकवाद पर पाकिस्तान को लताड़ भी लगाई। पीएम मोदी ने कमला हैरिस को भारत आने का निमंत्रण भी दिया। पीएम मोदी ने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। जो बाइडेन खुद पीएम मोदी को कुर्सी तक लेकर गए और उन्हें बैठाया। इस दौरान बाइडेन ने भारत-अमेरिका संबंधों के दशकों तक चलने वाली रूपरेखा को स्पष्ट किया। उन्होंने यहां तक कहा कि 2006 में मैंने उपराष्ट्रपति रहते हुए ऐलान किया था कि 2020 के बाद भारत-अमेरिका के संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंचेंगे। बाइडेन ने कमला हैरिस के भारतीय मूल के होने का जिक्र भी किया। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच आपसी संबंध अब नई ऊंचाइयों को छुएंगे। 


पीएम मोदी ने व्हाइट हाउस में आयोजित क्वाड की पहली प्रत्यक्ष बैठक में हिस्सा भी लिया। इस बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जापानी प्रधानमंत्री योशिहिडे सुगा और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने भी हिस्सा लिया। सभी नेताओं ने स्वतंत्र और सुरक्षित इंडो-पैसिफिक को लेकर अपनी प्रतिबद्धताओं को उजागर किया। साथ में अप्रत्यक्ष रूप से चीन की विस्तारवादी और आक्रामक नीतियों की आलोचना भी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करते हुए आतंकवाद और कोरोना महामारी पर दो टूक बातें सुनाई। उन्होंने सख्त लहजे में अफगानिस्तान की जमीन का किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल न करने की बात की। इसके अलावा उन्होंने कोरोना महामारी की उत्पत्ति जैसे मुद्दे को उठाकर चीन की दुखती रग पर हाथ रख दिया। पीएम मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में सुधारों में हो रहे विलंब को लेकर भी खरी-खरी सुनाई। मोदी ने अपने भाषण के दौरान भारत में विकास की गाथा को पूरी दुनिया के सामने भी रखा। संयुक्त राष्ट्र महासभा के फोरम से लेकर क्वॉड और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से चर्चा के दौरान अपनी चिंताओं को मजबूती के साथ साझा किया। आतंकवाद, कट्टरवाद को लेकर भी अपना पक्ष रखा। पाकिस्तान के अफगानिस्तान में बढ़ रहे दखल को लेकर भी भारत ने अपनी चिंताओं का साझा किया। भविष्य में इसके कारण क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर बढऩे वाली चिंताओं और आतंकवाद की संभावना तथा खतरे से आगाह किया। कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री का यह दौरा सार्थक रहा। बदली परिस्थितियों में दुनिया भारत की बातों को कितना गंभीरता से लेगी, यह देखने वाला होगा क्योंकि प्रधानमंत्री की बातों में न सिर्फ भारत के हित रहे, बल्कि संभावित खतरे से दुनिया को चेताना भी रहा।


-सिद्वार्थ शंकर-