शशि थरूर ने सुमित्रा महाजन के निधन की गलत खबर ट्वीट की, फेंक न्यूज के चक्कर में करा बैठे अपनी फजीहत

इंदौर/नई दिल्ली, (वेबवार्ता)। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने बृहस्पतिवार को ट्वीट करके लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का निधन हो जाने की बात कही, लेकिन भाजपा नेताओं द्वारा महाजन के स्वस्थ होने की जानकारी मिलने के बाद थरूर ने अपना ट्वीट हटा दिया। थरूर ने बाद में कहा कि महाजन के स्वस्थ होने की जानकारी मिलने से उन्हें राहत मिली है। उन्होंने ट्वीट किया,‘‘ अगर ऐसा है तो मुझे राहत है। मुझे यह जानकारी वहां से मिली जिसे मैं भरोसेमंद सूत्र समझता था....इसे वापस लेते हुए खुश हूं और इस बात से दुखी हूं कि कोई ऐसी खबर देगा।’’ पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के निधन की खबर को सरासर गलत करार देते हुए उनके एक स्थानीय सहयोगी ने बृहस्पतिवार देर रात कहा कि 78 वर्षीय भाजपा नेता एक स्थानीय अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रही हैं। स्थानीय भाजपा नेता और महाजन के पुराने सहयोगी राजेश अग्रवाल ने बताया, महाजन को बुधवार शाम बुखार की शिकायत पर शहर के बॉम्बे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। लेकिन इलाज के बाद अब उन्हें बुखार नहीं है और वह आरटी-पीसीआर जांच में कोविड-19 से भी मुक्त पाई गई हैं। उन्होंने बताया, अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहीं महाजन से मेरी बृहस्पतिवार देर रात बात हुई है। उनकी हालत एकदम ठीक है। इस बीच, ताई के छोटे बेटे मंदार महाजन ने भी वीडियो संदेश जारी कर कहा कि उनकी मां एकदम स्वस्थ हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे पूर्व लोकसभा अध्यक्ष के निधन की अफवाहों पर ध्यान न दें। इस बीच, महाजन के एक अन्य स्थानीय सहयोगी रामस्वरूप मूंदड़ा ने उनसे बृहस्पतिवार देर रात फोन पर हुई बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। इस ऑडियो में महाजन अपने निधन की गलत खबर फैलने पर नाराजगी जताते हुए कहती सुनाई पड़ रही हैं, क्या लोगों को इंदौर के प्रशासन से पुष्टि किए बिना मेरे बारे में ऐसी खबर प्रसारित करनी चाहिए? भाजपा नेता ने इस ऑडियो में कहा कि उनके निधन की गलत खबर से चिंतित रिश्तेदारों ने उन्हें फोन करना शुरू कर दिया। महाजन ने कहा कि केंद्र सरकार और मौजूदा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की ओर से भी उनके निधन की खबर का खंडन जारी होना चाहिए। ताई (मराठी में बड़ी बहन का संबोधन) के नाम से मशहूर महाजन ने इंदौर से वर्ष 1989 से 2014 के बीच लगातार आठ बार लोकसभा चुनाव जीते, लेकिन 75 साल से ज्यादा उम्र के नेताओं को चुनाव नहीं लड़ाने के भाजपा के नीतिगत निर्णय को लेकर मीडिया में खबरें आने के बाद उन्होंने वक्त की नजाकत को भांपते हुए पांच अप्रैल 2019 को खुद घोषणा की थी कि वह बतौर उम्मीदवार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगी।