न्यायाधीश को रिश्वत देने की कोशिश पर एएसआई समेत तीन को सजा

नई दिल्ली : न्यायाधीश को रिश्वत की पेशकश करने के मामले में विशेष अदालत ने दिल्ली पुलिस के एक सहायक उपनिरीक्षक समेत तीन लोगों को दोषी ठहराते हुए तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई है। आरोपियों ने अदालत में ग्रुप सी के पदों पर भर्ती के लिए न्यायाधीश को रिश्वत देने का प्रयास किया था।


राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश किरण बंसल ने पुलिस के सहायक उपनिरीक्षक तारा दत्त के अलावा आरोपी मुकुल कुमार और रमेश कुमार को सजा सुनाई है। इस मामले में एक अन्य आरोपी दयानंद शर्मा की मुकदमा लंबित रहने के दौरान ही मौत हो गई। दयानंद शर्मा दिल्ली नगर निगम में स्पेशल मजिस्ट्रेट था।


अदालत ने आरोपियों को भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों और आपराधिक साजिश करने के आरोप में दोषी ठहराते हुए सजा दी है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि अभियोजन पक्ष पुख्ता साक्ष्य देकर बिना किसी संदेह के आरोपियों का अपराध साबित करने में सफल रहा है। न्यायाधीश ने कहा है कि तथ्यों से साफ है कि दोषी तारा दत्त, मुकुल कुमार और रमेश कुमार ने 50 हजार रुपये स्वीकार करने के लिए न्यायाधीश चंद्र शेखर को उकसाने के लिए आपराधिक साजिश रची थी। साथ ही कहा कि उक्त साजिश को अंजाम देने के लिए सुरेंद्र कुमार के माध्यम से रुपये से भरा लिफाफा न्यायाधीश को देने के लिए दिया था। दोषी मुकुल ने अदालत में ग्रुप सी (चपरासी) की नौकरी के लिए रिश्वत की पेशकश की थी। अदालत ने मामले में नायब कोर्ट की गवाही पर भरोसा किया। साथ ही आरोपियों की फोन कॉल रिकॉर्ड से भी पता चला कि वे उस समय एक-दूसरे से संपर्क में थे। इसके अलावा तीस हजारी अदालत में तारा दत्त की उपस्थिति सीसीटीवी फुटेज और उसकी मोबाइल फोन लोकेशन के माध्यम से स्पष्ट हुई। इससे पता चला कि सभी षड्यंत्र में शामिल थे।


2017 में अदालत में ग्रुप सी की भर्ती चल रही थी। न्यायिक अधिकारी चंद्रशेखर नियुक्ति समिति में सदस्य थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार, सहायक पुलिस उपनिरीक्षक तारा दत्त ने न्यायाधीश चंद्रशेखर को उनके कोर्ट के नायब कोर्ट (कर्मचारी) के जरिए 50 हजार रुपये से भरा लिफाफा देने का प्रयास किया, ताकि न्यायाधीश मुकुल को चपरासी नियुक्त करने में मदद करें। मामले के चौथे आरोपी दयानंद शर्मा, जिसकी मौत हो गई, उस पर न्यायाधीश के नाम पर रिश्वत मांगने का आरोप था।