अमित शाह से 'करीबी' अमरिंदर सिंह की धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल खड़ा करती है:हरीश रावत

देहरादून/चंडीगढ़ : कांग्रेस महा सचिव और पंजाब में पार्टी मामलों के प्रभारी हरीश रावत ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि वह पंजाब की बहुमत की सरकार को गिराने की कोशिश न करें। साथ ही आरोप लगाया कि अमरिंदर सिंह की अमित शाह जैसे भाजपा नेताओं के साथ ''करीबी'' उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि पर सवाल खड़ा करती है।


उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की बातचीत आगे बढ़ी है।


देहरादून में एक संवाददाता सम्मेलन में रावत ने कहा कि चन्नी दलित मुख्यमंत्री हैं और सभी पार्टियों को उनका सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा, “लेकिन मैं भाजपा की केंद्र सरकार को चेतावनी देता हूं कि पंजाब की बहुमत की सरकार को गिराने की कोशिश न करें।”


रावत ने यह चेतावनी ऐसे समय में दी है जब पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। हालांकि, सिंह ने कहा था कि मुलाकात के दौरान उन्होंने गृह मंत्री से किसानों के आंदोलन के बारे में चर्चा की थी।


उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री ने सिंह पर निशाना साधते हुए कहा कि वह अपने सहयोगियों व पार्टी नेतृत्व द्वारा बार-बार याद दिलाने के बावजूद बेअदबी मामले समेत कई अहम मुद्दों पर अपना वादा पूरा करने में नाकाम रहे।


रावत ने आरोप लगाया कि अपनी जिद के कारण सिंह को ऐसा लगने लगा था कि उन्हें विधायकों, मंत्रियों और पार्टी नेतृत्व समेत किसी की सलाह की जरूरत नहीं है।


शाह से सिंह की मुलाकात को लेकर रावत ने कहा, '' अमित शाह और भाजपा के अन्य नेताओं के साथ उनकी करीबी उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि पर संदेह पैदा करती है।''


कांग्रेस नेता ने प्रेसवार्ता में आरोप लगाया कि आमतौर पर पंजाब में ऐसा माना जाता है कि सिंह और बादल (विपक्षी शिअद नेता) अंदरूनी तौर पर एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।


उन्होंने कहा, '' मैंने हमेशा उन्हें विनम्रता से सुझाव दिया कि चुनावी वादे पूरे करें। कम से कम पांच बार मैंने सिंह से चर्चा की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।''


उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार बहुत सारे अच्छे कदम उठा रही है जिसमें हर परिवार को 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। इसके अलावा, बालू पर लगा नियंत्रण भी हटाया जाएगा।


उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी और सिद्धू के बीच तनातनी के बारे में पूछे जाने पर कहा कि समस्या का कोई न कोई समाधान निकल आएगा और दोनों नेताओं के बीच बातचीत सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ी है।


रावत ने अमरिंदर सिंह को आगाह किया कि वह भाजपा का मुखौटा न बनें। उन्होंने कहा कि वह कैप्टन के उस बयान से हैरान हैं जिसमें उन्होंने अपने ‘अपमान’ की बात की है। उन्होंने कहा, “अमरिंदर सिंह से उम्मीद थी कि वह चुनौतीपूर्ण समय में कांग्रेस और सोनिया जी को मजबूती देंगे।”


वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि वह 1980 से कांग्रेस से जुड़े हैं और तीन बार पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और दो बार मुख्यमंत्री बने हैं। उन्होंने कहा, “अपमान की बात कहने से पहले उन्हें (अमरिंदर सिंह) कांग्रेस के उन नेताओं से तुलना कर लेनी चाहिए थी जिन्हें उनसे काफी कम मिला।”


रावत ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक तब बुलाई गई जब 43 विधायकों ने कैप्टन के खिलाफ बगावती तेवर दिखाने शुरू किए और इस बैठक की सूचना उन्होंने स्वयं अमरिंदर सिंह को दी थी।


उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि अमरिंदर 'अपमान' संबंधी बयान कहीं किसी दबाव में तो नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कैप्टन को भाजपा के जाल में न फंसने के प्रति आगाह भी किया। हालांकि, यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस अमरिंदर सिंह की वापसी के लिए कोई प्रयास करेगी? रावत ने इस मसले पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।