असाधारण ताकत से लबरेज भारतीय वायुसेना

सेनाएं देश की आन, बान, शान होती हैं, बिना इनके कोई देश खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर सकता। इन्हीं की बदौलत हमारे जानमाल की रक्षा-सुरक्षा सुनिश्चित होती है। 8 अक्टूबर को भारतीय वायुसेना अपनी स्थापना की वर्षगांठ मनाती है। यह दिवस हम भारतवासियों को गौरवान्वित कराता है। वायुसेना की ये 89वीं वर्षगांठ है। वैसे वायुसेना के अलावा जल और थल की उपयोगिता और जरूरत हमारे लिए सब्जी में नमक जैसी है। लेकिन इंडियन एयर फोर्स की अहमियत कुछ अलहदा है। दैवीय आपदाएं हों, तूफान का कहर हो, विदेशों में आए संकट के दौरान फंसे अपने नागरिकों को एयरलिफ्ट करना हो या हमारे दूसरे सशस्त्र बलों की आसमानी सुरक्षा का जिम्मा, यह सब एयरफोर्स के कंधों पर ही होता है।


भारतीय वायुसेना से जुड़ा एक-एक जवान खुद को इसलिए भाग्यशाली मानता है कि उन्हें ऐसे तंत्र से जुड़ने का अवसर मिला जो देश की रक्षा में अपनी अग्रणी भूमिका निभाता है। वायुसेना के योगदान को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता, जितना भी कहा जाए, कम होगा। मौजूदा खतरों के अंदेशों पर गौर करें तो पूर्वी लद्दाख में बीते कुछ दिनों से चीन के साथ हमारा तनातनी जैसा माहौल है। लेकिन वायुसेना विंग जिस मुस्तैदी के साथ मोर्च पर डंडा गाड़े खड़ा, उसे देखकर सीना चौड़ा होता है। दो-तीन दिन पहले बॉर्डर की सुरक्षा को लेकर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने खुद कहा भी था कि कि चीन ने पूर्वी लद्दाख के पास तीन ठिकानों पर अपनी वायु सेना तैनात की है। उनका ये बयान पूर्वी लद्दाख और उत्तरी मोर्चे पर चीन द्वारा काफी संख्या में सैनिकों को तैनात करने के अलर्ट के बाद आया। दरअसल चीन भी हमारी तैयारियों को देखकर भयभीत है। वह इस सच्चाई से वाकिफ हैं कि भारत की वायुसेना दूसरे मुल्कों के मुकाबले बहुत तगड़ी है। जबसे राफेल के बेड़े भारतीय वायुसेना में जुड़े हैं, वायुसेना की ताकत और बढ़ गई है।


पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक करके हमारी वायुसेना अपनी ताकत का लोहा मनवा चुकी है। भूल से भी दोबारा से पाकिस्तान भविष्य में कोई हिमाकत नहीं करेगा। हमारी एयरस्ट्राइक के बाद उन्होंने कई मर्तबा गीदड़भभकी दी थी कि वे भी देर-सवेर भारतीय सीमा में एयरस्ट्राइक करेंगे और अपने यहां तीन सौ से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने का बदला लेंगे। खुदा न खास्ता गलती से भी उनकी ओर से कोई एयर स्ट्राइक हो जाती, तो उसके बाद पाकिस्तान का नामोनिशान मिट जाने का जिम्मेदार वह खुद होंगे। पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक करने के बाद दुनिया ने हमारी वायुसेना की ताकत को ठीक से भांपा, खासकर चीन ने। एयर चीफ ने आगे बताया कि चीन-पाक साझेदारी और दो मोर्चों पर युद्ध से भी हमें डरने की जरूरत नहीं है। दोनों मुल्क मिलकर भी हमारा बाल बांका नहीं कर सकते। दरअसल, वायुसेना में ऐसे लड़ाकू विमान शामिल हैं जिसकी मारक क्षमता पाकिस्तान के उस पार तक की है।


पिछले सप्ताह एयर चीफ मार्शल ने केंद्र सरकार विशेषकर प्रधानमंत्री को अपनी तैयारियों से अवगत कराते हुए बेफ्रिकी पर पूर्ण आश्वासन दिया था। सरकार का एक इशारा मात्र होगा पीओके हवाई मारक नहीं झेल पाएगा। पाकिस्तान अधिकृत पीओके में छोटे स्ट्रिप्स हैं जहां हेलीकॉप्टर जल्दी से उड़ान नहीं भर सकते हैं, वहां आबादी कम है, पहाड़ और जंगल ज्यादा हैं। उन जगहों पर भी लड़ाई लड़ने की भारतीय वायुसेना ने कमर कसी हुई है। कुछ मीडिया खबरों में आया है कि अफगानिस्तान में मालिबानियों के कब्जे के बाद चीन-पाक उनका इस्तेमाल कश्मीर में कर सकते हैं। उन खबरों को ध्यान में रखकर ही वायुसेना ने जबरदस्त तैयारियां की हुई हैं। सूचना कुछ ऐसी भी हैं कि चीन ने समूचे पूर्वी लद्दाख में बड़ी संख्या में फौज की तैनाती की है। लेकिन भारत भी हर खतरे से निपटने के लिए तैयार है।


गौरतलब है कि बीते कुछ ही दिनों के अंतराल में वायु सेना के अधिकारियों के बीच दर्जनों बार मीटिंग हो चुकी हैं। हमारे सीमा क्षेत्र से सटे उनकी अग्रिम मोर्चों पर हुई उनकी तैनाती वास्तविक रूप से हमारे लिए चिंता का विषय है, बावजूद इसके वायुसेना उनकी सभी गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं। हमारी वायुसेना इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ सैनिक संख्याओं में भी इजाफा कर रही हैं, जो किसी भी खतरे का सामना करने के लिए जरूरी भी है। ये आधुनिक भारत है, इससे टकराने का मतलब मुंह की खाना।


वायुसेना की 89वीं वर्षगांठ पर अधिकारियों की तरफ से गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर अपनी ताकत को दर्शाने के रूप में कई तरह की प्रदर्शनियों का आयोजन होगा, जिसे देखकर निश्चित रूप से दुश्मनों के दांत खट्टे होंगे। भारतीय वायुसेना अपने असाधारण सैन्य शक्ति के लिए जानी जाती है। एशियाई देशों में जब भी कोई संकट आया तो उन्होंने हमारी वायुसेना की मदद ली। ‘ऑपरेशन रेनबो’ को शायद ही कोई भूले।


ऑपरेशन के तहत श्रीलंका के लिए एयरलिफ्ट ऑपरेशन चलाया गया था। श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर राहत कार्यों के लिए छह मध्यम लिफ्ट हेलिकॉप्टरों को श्रीलंका भेजा गया था। तीन हेलीकॉप्टरों ने 27 दिसंबर 2004 को और तीन ने 28 दिसंबर 2004 को अपनी पोजीशन लेकर काटुनायके और मिन्नी रिया बेस में हताहत निकासी, राहत सामग्री का वितरण, मेडिकल टीमों की तैनाती की और खाद्य सामग्री गिराई थी।


वहीं, ऑपरेशन ’कैस्टर’ जो मालदीव के लिए एयरलिफ्ट ऑपरेशन था जिसमें मालदीव सरकार के अनुरोध पर 02 पैराड्रॉप मॉडिफाइड, लंबी रेंज के एवीआरओ को 28 दिसंबर 04 को मालदीव में भेजा था। उन एयरक्राफ्टों ने विभिन्न छोटे रनवे पर लैंडिंग कर मालदीव के अंदर अंतरमहाद्वीपीय ऑपरेशन को अंजाम दिया था। इनके वायुयान से खाद्य सामग्री गिराना, जल और सामग्रियों की आपूर्ति और मेडिकल टीमों की तैनाती करना था।


यही कारण है ज्यादातर देश हमारी वायुसेना की तारीफ करते नहीं थकते। पलक झपकते ही कोसों मीलों की दूरी तय करने की अद्भुत क्षमता हमारी वायुसेना में ही विद्यमान है। ये ऐसे कारनामे हैं जिन्हें दुनिया ने देखे हुए हैं, इसलिए भारत पर हवाई हमला करने से पहले कोई भी देश सौ बार सोचेगा और मनन-मंथन करेगा। भारतीय वायुसेना के गठन की वर्षगांठ पर हमारी एयर शक्ति को दुनिया जरूरी देखेगी।


-डॉ. रमेश ठाकुर-

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)