राजनाथ सिंह के करीबी, बीजेपी नेता ने कानून की उड़ाई धज्जियाँ

स्मिता यादव

गाज़ियाबाद : स्मिता यादव: वसुंधरा आवास विकास कॉलोनी में बीजीपी नेता ने उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद् अधिनियम-1965 कानून की उस धारा की धज्जियाँ उड़ा रहें है जिसके आधार पर आवास एवं विकास परिषद् द्वारा नेता जी के एक आवासीय प्लाट में दूसरे प्लाट को मर्ज़ कर मानचित्र के विपरीत भव्य ईमारत के हो रहे अवैध निर्माण को सील/ध्वस्तीकरण/ और एफ.आई.आर दर्ज कराई गई थी।


पहली बार 06/04/21 को नेता जी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था जिसमें सात दिन में निर्माण, जो प्लाट में प्रथम तल की छत अवैध डाली गई है हटाने की चेतावनी दी गई थी। और आज चार मंजिला ईमारत का ढांचा तेयार हो चुका है कागज़ी कार्यवाही के पूरा होने के साथ, बिल्डिंग का निर्माण भी पूरी हो जायेगा। 


कारण बताओ नोटिस का जवाब नही देने और निर्माण न हटानें के बाद दिनांक 17/05/20 को सक्षम अधिकारी द्वारा ध्वस्तीकरण अवैध निर्माण को गिराने का आदेश किया गया था।


अवैध निर्माण कार्य नही रुकने पर सक्षम अधिकारी द्वारा सहायक अभियन्ता व प्रभारी को 24/07/21 को निर्माण व उससे सम्बंद्ध सुविधा को सील एवं सम्बंधित प्रभारी निरीक्षक को निगरानी के आदेश देने का आदेश पारित किया था। 


अब शायद बीजेपी नेता के अवैध निर्माण की निगरानी पुलिस कर रही है जिससे कानून की धज्जियाँ उड़ाते हुए बिल्डिंग में और तेज़ी से अवैध निर्माण कार्य चल रहा है। हलाकि सील नोटिस में स्थानीय पुलिस द्वारा उक्त परिसर को पुलिस अभिरक्षा में लेने की बात कही गई है। देखना यह है कि जिम्मेदारी किसकी है। इसके बाद एफ.आई.आर भी की गई है लेकिन अवैध निर्माण को नही रोका गया। 


आवास विकास से सम्बंधित अधिकारी ने कहा कि उक्त प्रकरण में सम्बंधित एक्ट के अनुसार कार्यवाही पूरी हो चुकी हैं जिला प्रशासन से प्रशासनिक सहयोग / पुलिस बल हेतु अनुरोध किया गया है जैसे ही इस मामले में मजिस्ट्रेट नियुक्त किये जायेगे तो कार्रवाही की जाएगी। 


अखिल भारतीय उपभोक्ता परिषद् के महामंत्री एवं उपभोक्ता जनघोष मैगज़ीन के संपादक जाने आलम (जानू चौधरी) ने बताया कि उक्त मामले में आवास विकास परिषद् द्वारा कागज़ी कार्यवाही होती रही है सील/नोटिस में इस परिसर को पुलिस अभिरक्षा में लेने की बात कही गई है तो उक्त परिसर में कोई गतिविधि न हो यह पुलिस की जिम्मेदारी बनती है। आवास विकास परिषद् के अधिकारीयों ने कागज़ी कार्यवाही तो की है लेकिन अगर चाहते तो यह अवैध निर्माण नही हो पाता। क्योकि जिस कानून के तहत सील एवं ध्वस्तीकरण की शक्ति अधिकारीयों को मिलती है वही कानून अवैध निर्माण को रुकवाने की शक्ति भी देता है और मुझे लगता है कि अवैध निर्माण को रुकवाने के लिए किसी मजिस्ट्रेट की जरुरत नही है ध्वस्तीकरण के लिए मजिस्ट्रेट का होना जरुरी है। जानू चौधरी ने कहा कि जिलाधिकारी महोदय को मजिस्ट्रेट नियुक्ति में देरी से सम्बंधित पत्र लिखूंगा फिर शायद न्यायालय ही एक मात्र रास्ता बचेगा।