संघर्ष से ही निकलता है समाधान का रास्ता : टिकैत

गाजियाबाद : भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि संघर्ष से ही समाधान का रास्ता निकलता है। किसानों ने अपना बलिदान देकर ठंड, गर्मी और बरसात की परवाह किए बगैर खुले आसमान के नीचे धरना जारी रखा। सरकार अब धीरे-धीरे मांगों पर विचार करने लगी है। तीन कृषि कानून जनता के लिए नुकसानदेह थे, जो वापस हुए हैं। अब फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी समेत किसानों की मांगों की बारी है।


बुधवार को वह सदरपुर में मधुबन बापूधाम आवासीय योजना में भूमि अधिग्रहण के बढ़े मुआवजे की मांग के लिए स्थानीय किसानों के अनिश्चितकालीन धरने में पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक जनवरी को फसल के दाम दोगुना करने की बात कही थी। इसे किसान साल के शुरू में देखेगा। स्थानीय किसानों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि 'हमारा जिला-हमारा कलेक्ट्रेट' नारे के साथ जैसे दिल्ली को चारो ओर से घेरा गया है। ठीक वैसे ही डेरा डालो और मांग पूरी न होने तक धरना जारी रखो। अभी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस करने में सहमति बनाई है। अभी किसानों की फसलों के एमएसपी, बिजली बिल, किसानों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने की मांग बाकी है। वह अपनी सभी मांगों को पूरा कराए बगैर वापस नहीं लौटेंगे। 


राजबीर सिंह, गौरी शंकर, बोस चौधरी, महेंद्र मुखिया, सुरदीप शर्मा, सुनील सहरावत, आशु चौधरी आदि मौजूद थे। बुनकर मार्ट का काम रुकवाया : बढ़े मुआवजे की मांग को लेकर धरनारत सदरपुर और स्थानीय किसानों ने बुनकर मार्ट में चल रहे निर्माण कार्य को जबरन रुकवा दिया। उन्होंने बुनकर मार्ट पर भाकियू का बैनर लगाते हुए यहां कार्य कर रहे श्रमिकों को काम न करने की चेतावनी भी दी। छह को कलेक्ट्रेट या जीडीए पर धरना : धरना स्थल पर मौजूद किसानों ने पांच दिसंबर तक मांगे पूरी न होने पर छह दिसंबर को जीडीए कार्यालय परिसर या कलेक्ट्रेट में अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी। धरने में सक्रिय भूमिका निभा रहे गौरी शंकर ने बताया कि पंचायत कर तय किया जाएगा कि धरना कलेक्ट्रेट या जीडीए में कहां दिया जाए।