फूलों की बारिश से हुआ दिल्ली से पंजाब जा रहे किसानों का स्वागत

जींद :  दिल्ली में एक साल से अधिक समय तक विभिन्न मांगों को लेकर धरना दे रहे किसान अब घर वापिस जा रहे है। हाइवे के रास्ते दिल्ली से पंजाब जा रहे किसानों का जोरदार स्वागत बांगर के लोगों द्वारा किया गया।


खटकड़ टोल पर आस-पास के गांवों से भारी तादाद में किसान, युवा, मजदूर, महिलाएं पहुंची। यहां किसानों को फूलों की बारिश की गई।


हाइवे पर उचाना की अतिरिक्त मंडी के पास आढ़ती एसोसिएशन द्वारा लगाए गए भंडारे में पहुंचे पर किसानों का स्वागत किया। यहां पर हरियाणा, पंजाब भाईचारा जिंदाबाद के नारे लगाते हुए पंजाब, हरियाणा के किसान आपस में गले मिले। हाइवे पर खड़े होकर पंजाब जाने वाले किसानों को भंडारे में लेकर लोग जा रहे थे। उचाना की अतिरिक्त मंडी में लगे भंडारे में किसानों के लिए स्पेशल देशी घी की जलेबी के अलावा खीर, हलवा, पूरी-सब्जी, पकौडे का प्रबंध किया हुआ था। लस्सी, कढ़ी, रायत भी बनाया हुआ था। यहां पर सुबह पांच बजे से ही किसान आने लगे थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया किसानों की संख्या यहां पर बढ़ती गई। करीब दस हजार से अधिक किसानों के खाने की व्यवस्था की हुई थी। आस-पास के गांवों से पहुंचे किसान गांव से दूध लेकर यहां पहुंचे ताकि चाए, खीर में दूध की कमी न पड़े। दिल्ली से आ रहे किसानों ने अपने-अपने ट्रैक्टरों को फूलों, गुब्बारों से सजाया हुआ था।


अतिरिक्त मंडी में लगाए गए डीजे पर किसानी गाने पूरे दिन बजे। यहां पर युवा, बुजुर्ग, महिलाएं डीजे पर झूमी। बुजुर्ग महिला राजकौर, बलिंद्रकौर ने कहा कि अपनी जमीन, युवा पीढ़ी को लेकर लड़े गए इस आंदोलन में जीत किसानी की हुई। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी के साथ-साथ सभी के भाईचारे की जीत इस आंदोलन में हुई। सरकार को झूकना पड़ा जो कानून सरकार ने बनाए थे उन्हें वापिस लेना पड़ा। पंजाब से आ रहे किसानों ने हरियाणा के किसानों को पगड़ी बांध कर स्वागत भी किया।


किसानों ने कहा कि एक साल तक धरनों पर ही हर पर्व मनाए गए। अब घर वापिसी के बाद आज का दिन उनके लिए होली, दिवाली जैसा है। 700 से अधिक किसानों को इस आंदोलन में खोने का दर्द है। ये जीत आंदोलन में जो मौत का ग्रास बने किसान है उनको समर्पित है। आंदोलन में किसानों ने देखा कि कौन उनके साथ है कौन उनके खिलाफ।