यूपी गेट पर किसानों ने मनाया विजय दिवस

गाजियाबाद : यूपी गेट बॉर्डर पर शनिवार को किसानों ने विजय दिवस मनाया। किसानों ने मंच से सुखमणी साहब का पाठ कर पूजा अर्चना की। यूपी गेट से रविवार सुबह को जत्थों के निकलने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। जबकि भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत तीन दिन के दौरे के बाद सबसे बाद में यूपी गेट बॉर्डर छोड़ेंगे।


यूपी गेट पर सुबह से ही किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। मंच पर सुबह करीब 10 बजे से सुखमणी साहब का पाठ शुरू हुआ। पाठ कर गुरुवाणी की गई। सुखमणी पाठ के दौरान ही भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत को सरूपा पहनाया गया। भाकियू राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि रविवार से तीन दिन में यूपी गेट बॉर्डर को खाली कर दिया जाएगा। सामान खोलने और बांधने में थोड़ा समय लगेगा। हालांकि रविवार से वह तीन दिन अमृतसर, चंडीगढ़ व हरियाणा के दौरे पर रहेंगे। चंडीगढ़ में चल रहे तीन धरने को समाप्त कराएंगे। हरियाणा में आयोजित होने वाली पंचायतों में भाग लेंगे। 14 दिसंबर की शाम को यूपी गेट वापस आएंगे। फिर 15 दिसंबर को यूपी गेट से वापस घर की ओर रूख करेंगे। वह सबसे बाद में ही यूपी गेट बॉर्डर से जाएंगे। साथ ही विभिन्न मुद्दों को लेकर राज्य सरकारों से वार्ता की जाएगी। 15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक होगी। जरूरत पड़ने पर सरकार से भी बात की जाएगी। सरकार समझौते के आधार पर किसानों की सभी बातों को मानेगी। मंच से भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैट ने किसान आंदोलन को सफल बनाने वाले किसान और अन्य लोगों को बधाई दी। इसके मंच से किसान नेता योगेंद्र यादव ने भी किसानों को बधाई और शुभकामनाएं दी।


यूपी गेट पर किसान के परिवारों के सदस्यों का पहुंचने का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। बहनों ने किसानों का टीका कर उनके एक साल चले आंदोलन की जीत होने पर बधाई दी। किसानों का कई स्थानों पर टीका कर उनके ऊपर पुष्प वर्षा भी की। दिल्ली निवासी रीना चौहान ने बताया कि विजय दिवस किसानों की जीत का प्रतीक है। इस उपलक्ष्य को भव्य व यादगार बनाने के लिए अपने किसान भायों का टीका करने पहुंची हैं। उन्होंने दिनभर हजारों किसानों का टीका कर उनका मुंह भी मीठा किया।


यूपी गेट पर किसान के परिवारों के सदस्यों का पहुंचने का सिलसिला शनिवार को भी जारी रहा। बहनों ने किसानों का टीका कर उनके एक साल चले आंदोलन की जीत होने पर बधाई दी। किसानों का कई स्थानों पर टीका कर उनके ऊपर पुष्प वर्षा भी की। दिल्ली निवासी रीना चौहान ने बताया कि विजय दिवस किसानों की जीत का प्रतीक है। इस उपलक्ष्य को भव्य व यादगार बनाने के लिए अपने किसान भायों का टीका करने पहुंची हैं। उन्होंने दिनभर हजारों किसानों का टीका कर उनका मुंह भी मीठा किया।


यूपी गेट पर अधिकांश किसानों के माथे पर तिलक ही लगा नजर आया। कुछ लोगों के पहुंचने पर किसान तिलक को विजय का प्रतीक बताते दिखे। किसान मूछों में ताव देकर विजयी तिलक कहकर इतराते दिखे। साथ ही किसान घर वापस जाने और खुशी मनाने के पीछे सरकार द्वारा भेजे गए लिखित प्रपत्र का भी बखान किया। किसानों ने कहा कि अब सरकार ने सब कुछ लिखित में दिया है तो सरकार को कुछ वक्त देना चाहिए।


यूपी गेट पर शनिवार को काफी भीड़ बढ़ गई। किसान अपनी सहूलियत व सुविधाओं के हिसाब से पहुंचते रहे। इससे यूपी गेट पर चारों को लोगों के अलावा वाहन ही वाहन नजर आए। यूपी गेट के अलावा मैक्स के सामने स्थित सड़क पर भी वाहन खड़े दिखे। यूपी गेट पर यूपी, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड व महाराष्ट्र के नंबरों की लिखे वाहन खड़े दिखे। इनमें सबसे ज्यादा वाहन यूपी के अलावा उत्तराखंड के ही रहे।


यूपी गेट पर कुछ युवा किसान लंगर का खाना खाकर मौज मस्ती भी करते दिखे। इनमें से कुछ युवा किसान दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की लेन पर क्रिकेट खेलते भी दिखे। कभी-कभी उनकी बॉल एक्सप्रेसवे दिल्ली की ओर से आने वाली लेन पर भी पहुंचती रही। साथ ही कुछ बच्चे एक्सप्रेसवे पर गिल्ली डंडा खेल का भी आनंद लेते दिखे।


किसान आंदोलन के दौरान भी यूपी गेट से एंबुलेंस सहित जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को निकाला जा रहा है, लेकिन शनिवार को यूपी गेट पर वाहनों का दबाव बढ़ने, सामान को लादने, किसानों की भीड़ बढ़ने से आवागमन में परेशानी आई रही। साथ ही एंबुलेंसों को निकलने में सबसे ज्यादा परेशानी आई। भीड़भाड़ के चलते उनका तेजी निकलना दिनभर प्रभावित हुए रहा। ऐसे में किसानों ने एंबुलेंस को निकालने में मदद की। जबकि, पैदल चलने वाले लोगों को वाहनों के आवागमन करने से मंच तक पहुंचने में परेशानी आई। एक दूसरे को मिठाई खिलाने का सिलसिला भी गेट से लेकर मंच संचालन तक चलता रहा। इससे भी जगह-जगह किसानों की भीड़ लगी रही।


वहीं तड़के से ही किसानों ने अपने-अपने टेंट, झोपड़ी व कैंपों को खोलना शुरू कर दिया। दूरदराज के किसान तंबू खोलने और अपना सामान बांधने में जुटे रहे।खोड़ा किसान चेक पोस्ट के आसपास से लेकर मंच और मैक्स के पास वाले प्रवेशद्वार के आसपास से भी कई झोपड़ी व टेंट हट गए। किसानों ने उनको अपनी सुविधानुसार ट्रक, मेटाडोर व टैक्टर में भरा। फिर उनको अपने घरों की ओर रवाना कर दिया। जबकि कुछ किसानों को स्थाई कैंप, टेंट व झोपड़ियों को खोलने में खासी परेशानी आ रही है। शुरूआत में टेंट व झोपड़ियों को वेल्डिंग मशीन से बेल्ड कर दिया था। टेंट व झोपड़ी की छत आसानी से खोल दी गई। लेकिन लोहे के ढांचे को हटाने में मशीनों का प्रयोग करना पड़ा। युवा किसान टेंट व झोपड़ियों की छत पर चढ़े नजर आए। उन्होंने ग्लैडर मशीन व ड्रिल मशीन से लोहे के ढांचे को खोला। जबकि बुजुर्ग किसान नीचे ही रहकर युवाओं को काम में मदद करते रहे।