रविवार को होने वाले भारत-मध्य एशिया संवाद में अफगान संकट, क्षेत्रीय संपर्क पर जोर

नई दिल्ली : पांच मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के संवाद के तीसरे संस्करण में अफगानिस्तान की स्थिति, संपर्क तथा विकास केंद्रित सहयोग को बढ़ावा देने पर रविवार को मुख्य जोर रहेगा।


विदेश मंत्री एस जयशंकर संवाद की मेजबानी कर रहे हैं, जिसमें कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान के उनके समकक्ष शामिल हो रहे हैं।


किर्गिज़ गणराज्य के विदेश मंत्री रुस्लान कज़ाकबाएव, उनके ताजिक समकक्ष सिरोजिद्दीन मुहरिद्दीन और कज़ाख विदेश मंत्री मुख्तार तिलुबर्दी पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं।


मुहरिद्दीन भारत-मध्य एशिया वार्ता में भाग लेने के साथ-साथ द्विपक्षीय दौरे पर भी भारत में हैं।


पिछले कुछ वर्षों में, भारत ऊर्जा संपन्न मध्य एशियाई देशों को अपने विस्तारित पड़ोस का हिस्सा मानते हुए उनके साथ समग्र सहयोग का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।


अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने पश्चिम एशियाई देशों के महत्व को मजबूत किया, जिनमें से तीन - ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान - युद्धग्रस्त राष्ट्र के साथ सीमा साझा करते हैं।


सभी पांच पश्चिम एशियाई देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने 10 नवंबर को अफगानिस्तान पर भारत द्वारा आयोजित क्षेत्रीय संवाद में भाग लिया। इसमें रूस और ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी शामिल हुए थे।


अधिकारियों ने कहा कि बातचीत में संपर्कशीलता और विकास परक सहयोग के साथ-साथ अफगानिस्तान में सामने आ रहे घटनाक्रम पर ध्यान केंद्रित होगा।


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बृहस्पतिवार को कहा था, “मंत्रियों के भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत करने पर चर्चा की उम्मीद है जिसमें व्यापार, संपर्कशीलता और विकास परक सहयोग पर विशेष रूप से जोर होगा।”


उन्होंने एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था, “उनके परस्पर हितों के क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान करने की उम्मीद है।”


भारत-मध्य एशिया संवाद की दूसरी बैठक का आयोजन पिछले साल अक्टूबर में भारत द्वारा डिजिटल वीडियो कॉन्फ्रेंस प्रारूप में किया गया था।