एनजीटी ने ग्रेटर नोएडा में खुले में सीवेज का पानी बहाने के मामले की जांच के लिए एक समिति बनायी

नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के 93 गांवों में खुली जमीन, सड़कों,गलियों में सीवेज का पानी बहाने एवं बड़े नालों से ऐसे गंदे पानी के रिसाव के आरोप लगाने वाली एक याचिका पर गौर करने के लिए एक समिति बनायी है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि याचिका में जो आरोप लगाये गए हैं, उससे असंतोषजनक दशा तथा जल (प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण) अधिनियम, 1974 के प्रावधानों एवं ‘जनविश्वास सिद्धांत’ का उल्लंघन झलकता है। अधिकरण ने कहा कि नागरिकों के स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार और संपोषणीय विकास के सिद्धांत को लागू करने में भी प्रशासन विफल रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘उपरोक्त के मद्देनजर सीपीसीबी, राज्य पीसीबी, जीएनआईडी (ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण), गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी एवं उत्तर प्रदेश के शहरी विकास सचिव की संयुक्त समिति इस विषय पर गौर करे एवं उपचारात्मक कार्रवाई करे।’’ पीठ ने कहा, ‘‘सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) एवं राज्य पीसीबी अनुपालन एवं समन्वय के लिए संयुक्त रूप से नोडल एजेंसी होंगे। समिति दो सप्ताह में बैठक कर सकती है, संबंधित स्थल का दौरा कर सकती है,संबंधित पक्षों के साथ संवाद कर सकती है और उपचारात्मक कार्रवाई हेतु कार्ययोजना बना सकती है।’’

  प्रदीप कुमार एवं अन्य की ओर से दायर की गयी अर्जी पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें ग्रेटर नोएडा के 93 गांवों में खुली जमीन, सड़कों,गलियों में सीवेज का पानी बहाने एवं बड़े नालों से ऐसे गंदे पानी के रिसाव का आरोप लगाया गया है।