युवतियों को पसंद आ रहे स्वच्छता के अत्याधुनिक तरीके, पीरियड में अपना रही हाइजीनिक मेथड

चित्रकूट। जागरूकता आने से माहवारी के दौरान पुराने गंदे कपड़े लगाने का चलन समाप्ति की ओर है। युवतियों को अब इस कठिन वक्त में हाइजीनिक मेथड पसंद आ रहे हैं। एन एफ एच एस-5 का आंकड़ा इसकी गवाही देता है। एनएफएचएस-5 के आंकडें के मुताबिक जिले में वर्ष 2015-16 में, जहां 31 फीसद युवतियां हाइजीनिक मेथड अपना रही थी। वहीं वर्ष 2019 -21 में यह आंकड़ा बढ़कर 55 फीसद पहुंच गया है।

 

आशा संगिनी सरिता शुक्ला ने बुधवार को बताया कि वह समय-समय पर महिलाओं को माहवारी के दौरान साफ सफाई रखने के लिए समझाती रहती हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं को प्रेरित करते हैं कि वह माहवारी के दौरान हाइजीनिक मेथड यानी पैड का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से वह कई प्रकार के संक्रमण से बची रहेंगी। उनके समझाने का युवतियों पर खासा प्रभाव पड़ रहा है।

 

स्त्री रोग विशेषज्ञ व सर्जन डॉ रफीक अंसारी बताते हैं कि योनि में पाया जाने वाला तरल पदार्थ अम्लीय (एसीडिक) होता है जो लगभग सभी प्रकार के संक्रमण को होने से रोकता है। माहवारी के दौरान यह तरल पदार्थ क्षारीय (बेसिक) हो जाता है, इससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। स्वच्छता के अभाव में संक्रमण का यह खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इसीलिए इस दौरान साफ सफाई की अतिरिक्त जरूरत होती है।

 

उन्होंने बताया कि किशोरावस्था में मासिक धर्म की शुरूआत में एक से अधिक बार पैड बदलना चाहिए। ताकि संक्रमण का खतरा बिल्कुल न रहे। पीरियड के दौरान खुजली सहित अन्य किसी भी प्रकार की दिक्कत होने पर उसे छिपाने की गलती न करें। बल्कि डाक्टर से परामर्श लें, अन्यथा की स्थिति में बैक्टीरिया व फंगस से सम्बंधित संक्रमण हो सकता है। साफ सफाई नजर अंदाज करने पर संक्रमण बच्चेदानी में भी पहुंच सकता है। यहां तक स्वच्छता न अपनाने से प्रजनन रोग भी हो सकता है।

 

जिला मुख्यालय में रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता गुड़िया का कहना है कि माहवारी के दौरान साफ सफाई जरूरी है। इसके लिए हाइजीनिक मेथड अपनाएं। उनका कहना है वह खुद इस कठिन समय में पैड इस्तेमाल करती हैं। उन्होंने अपील किया की महिलाएं माहवारी के दौरान पैड इस्तेमाल करें ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण की संभावना न रहे।