BBC डॉक्यूमेंट्री पर अमेरिका ने बदला स्टैंड

भारत में चल रहे BBC डॉक्यूमेंट्री पर विवाद में अमेरिका ने 48 घंटे में अपना स्टैंड बदल दिया। उसने प्रेस की स्वतंत्रता का हवाला देकर BBC डॉक्यूमेंट्री का साथ देने की कोशिश की। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने को प्रेस की स्वतंत्रता का मामला बताया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में फ्रीडम ऑफ स्पीच के महत्व को हाइलाइट्स करने का यह सही समय है और ऐसा भारत में भी लागू होता है।

इससे पहले मंगलवार को डॉक्यूमेंट्री विवाद के सवाल पर प्राइस ने कहा था- दोनों देशों के साझा मूल्य भारत और अमेरिका को दो संपन्न और जीवंत लोकतंत्र बनाते हैं।

अमेरिका ने कहा- हम डेमोक्रेटिक प्रिंसिपल्स को हाइलाइट करते हैं
बुधवार को प्रेस ब्रीफिंग में प्राइस ने कहा कि वॉशिंगटन दुनियाभर में प्रेस की स्वतंत्रता का सपोर्ट करता हैं। हम लगातार डेमोक्रेटिक प्रिंसिपल्स को हाइलाइट करते हैं, जिसमें फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन, धार्मिक विश्वास चुनने की आजादी, ह्यूमन राइट्स की मजबूती शामिल है, जिससे हमारे लोकतंत्र को मजबूती मिलती है। यही एक पॉइंट है, जिससे हम दुनिया भर में अपने रिश्ते बनाते हैं और इसी पॉइंट पर भारत के साथ भी हमारे रिश्ते को मजबूती मिलती है।

भारत में BBC डॉक्यूमेंट्री पर चले रहे विवाद को सिलसिलेवार समझिए...

17 जनवरी को पहला एपिसोड टेलिकास्ट हुआ, अगले दिन सरकार ने हटाया
BBC ने 17 जनवरी को गुजरात दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्री द मोदी क्वेश्चन का पहला एपिसोड यूट्यूब पर रिलीज किया। दूसरा एपिसोड 24 जनवरी को रिलीज होना था। इससे पहले ही केंद्र सरकार ने पहले एपिसोड को यूट्यूब से हटा दिया। भारत सरकार ने डॉक्यूमेंट्री को प्रधानमंत्री मोदी और देश के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हम नहीं जानते कि डॉक्‍यूमेंट्री के पीछे क्या एजेंडा है, लेकिन यह निष्पक्ष नहीं है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दुष्‍प्रचार है।

JNU के कुछ स्टूडेंट्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर BBC की प्रतिबंधित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने वाले थे। प्रशासन ने स्टूडेंट्स से डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग न करने की अपील की थी, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं थे। JNU प्रशासन ने स्टूडेंट्स से कहा था कि इस तरह की एक्टिविटीज यूनिवर्सिटी में शांति और सद्भाव को भंग कर सकती है।

छात्र नहीं माने और मंगलवार रात 9 बजे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने की योजना बनाई। JNU स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष आइशी घोष ने छात्रों के मोबाइल फोन पर डॉक्यूमेंट्री डाउनलोड करने के लिए QR कोड शेयर किया। इसी पर डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा रही थी। इसी दौरान छात्रों पर पथराव किया गया। पथराव किसने किया, यह पता नहीं चल पाया है। अंधेरे का फायदा उठाकर हमलावर भाग गए। इससे पहले यहां छात्र संघ कार्यालय की बिजली और इंटरनेट बंद कर दिया गया, जिसे देर रात बहाल कर दिया गया। आइशी ने 25 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई गई है।

जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस ने 7 छात्रों को हिरासत में लिया
बुधवार को जामिया मीलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी पहुंच गया। जामिया में विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर अब तक 7 छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इन पर माहौल खराब करने के प्रयास का आरोप है। SFI ने छात्रों की रिहाई तक स्क्रीनिंग टाल दी। यूनिवर्सिटी के चीफ प्रॉक्टर की शिकायत पर इन्हें हिरासत में लिया गया। जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने बताया कि विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर छात्र संगठन SFI यूनिवर्सिटी कैंपस का माहौल खराब करने का प्रयास कर रहा है। हम ऐसी किसी भी काम की अनुमति नहीं देंगे। छात्रों की किसी भी गैरजरूरी हरकत पर कार्रवाई होगी।

पंजाब यूनिविर्सिटी में भी हुई स्क्रीनिंग
बुधवार को पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) में भी स्टूडेंट सेंटर में विवादित डॉक्यूमेंट्री चलाने पर हंगामा हो गया। NSUI ने यह डॉक्यूमेंट्री चलाई। जिसे देखने कई स्टूडेंट्स जुट गए। इतने में यूनिवर्सिटी अथॉरिटी को इसकी भनक लग गई और प्रोजेक्टर पर चलाई गई इस डॉक्यूमेंट्री को तुरंत बंद करवा दिया गया। इससे पहले लगभग आधी डॉक्यूमेंट्री चल चुकी थी। 

राहुल गांधी बोले- सच हमेशा सामने आता है, एंटनी के बेटे ने कहा- इससे देश के लिए खतरा

  • राहुल गांधी ने मंगलवार को डॉक्यूमेंट्री बैन करने को गलत बताया है। राहुल ने कहा कि अगर आपने हमारे शास्त्रों को पढ़ा है, या आपने भगवत गीता या उपनिषदों को पढ़ा है तो आप देख सकते हैं कि सच्चाई हमेशा सामने आती है। आप उसे कैद नहीं कर सकते हैं। आप मीडिया को दबा सकते हैं। आप संस्थानों को कंट्रोल कर सकते हैं, आप CBI, ID और सभी चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन सच तो सच होता है।
  • कांग्रेस नेता अनिल एंटनी ने मंगलवार को कांग्रेस से अलग रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्थानों पर BBC के विचारों को रखने का मतलब देश की संप्रभुता को कमजोर करना है। यह बात ऐसे समय में कही है, जब केरल के कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने BBC डॉक्यूमेंट्री को दिखाने की घोषणा की है। अनिल केरल के पूर्व CM एके एंटनी के बेटे हैं।
  • इससे पहले हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में सोमवार को स्टूडेंट्स के एक समूह ने कैंपस के अंदर डॉक्यूमेंट्री "इंडिया: द मोदी क्वेश्चन" की स्क्रीनिंग की। पुलिस ने कहा कि इस बारे में लिखित शिकायत मिलने पर जांच शुरू की जाएगी।

एके एंटनी के बेटे का कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा
वहीं, BBC की डॉक्यूमेंट्री को बैन करने का समर्थन करने वाले कांग्रेस के नेता एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी ने बुधवार सुबह पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा- कांग्रेस ने मुझसे ट्वीट डिलीट करने को कहा था, लेकिन मैंने इनकार कर दिया। क्या चाटुकारिता ही योग्यता का मापदंड बन गई है। उन्होंने मंगलवार दोपहर 1 बजे ट्वीट कर कहा था कि भारतीय संस्थानों पर BBC के विचारों को रखने का मतलब देश की संप्रभुता को कमजोर करना है।

अनिल एंटनी बोले- ट्वीट के बाद धमकी भरे कॉल आए
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अनिल एंटनी ने कहा- मैं मानता हूं कि भले ही अंदरूनी तौर पर हमारे बीच कितने भी मतभेद हों, लेकिन हम बाहरी लोगों को उसका फायदा नहीं उठाने दे सकते। हमें एक पॉलिटिकल पार्टी के रूप में विदेशी ताकतों को हमारे मतभेदों का लाभ उठाकर देश में बंटवारा करने की छूट नहीं देनी चाहिए। इसी वजह से मैंने ट्वीट किया था, लेकिन पार्टी की तरफ से उसे डिलीट करने के लिए कहा गया। मेरे ट्वीट के बाद मुझे रातभर धमकी भरे फोन और मैसेज आते रहे। अब मुझे नहीं लगता कि मुझे ऐसे लोगों के साथ काम करना चाहिए। इसीलिए मैंने इस्तीफा दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट PM मोदी को क्लीन चिट दे चुका है
गुजरात में 2002 में हुए दंगों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने SIT का गठन किया था। कमेटी ने दंगों में नरेंद्र मोदी का हाथ नहीं पाया था। SIT ने कहा था कि मोदी के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले। जून 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने SIT की तरफ से मोदी को मिली क्लीन चिट को सही माना था।