केंद्रीय बजट 2023-24 की तैयारी पूरी

नई दिल्ली: 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2023-24 पेश होने वाला है। इसकी तैयारी पूरी हो चुकी है। बजट से संबंधित डॉक्यूमेंट्स की प्रिंटिग शुरू होने के साथ ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मौजूदगी में पारंपरिक हलवा सेरेमनी गुरुवार (26 जनवरी) को मनाई गई। इस मौके पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत किशनराव कराड, पंकज चौधरी और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

क्या है हलवा सेरेमनी?
बजट को अंतिम रूप देने से पहले वित्त मंत्रालय में हलवा बनाया जाता है। यह रस्म लंबे समय से चली आ रही है। शुभ काम की शुरुआत मीठे से करना हलवा सेरेमनी की प्रमुख वजह है।

दो साल से नहीं मनाई जा रही थी हलवा सेरेमनी
साल 2021 और 2022 में कोव‍िड-19 महामारी के कारण इस रस्‍म को नहीं न‍िभाया गया था। इसकी जगह कोर कर्मचारियों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मिठाई दी गई थी। ये वो कर्मचारी हैं जो बजट के बनाने की प्रक्रिया में शामिल रहते हैं और इन्हें एक तरह से नजरबंद रखा जाता है। केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा संसद में बजट पेश करने के बाद ही ये अधिकारी और कर्मचारी अपने परिवार के सदस्यों और दोस्तों के संपर्क में आते हैं। इसका मकसद बजट को गोपनीय रखना होता है।

बजट होता क्या है?
जिस तरह से हमें अपने घर को चलाने के लिए एक बजट की जरूरत होती है, उसी तरह से देश को चलाने के लिए भी बजट की जरूरत पड़ती है। हम अपने घर का जो बजट बनाते हैं, वो आमतौर पर महीनेभर का होता है। इसमें हम हिसाब-किताब लगाते हैं कि इस महीने हमने कितना खर्च किया और कितना कमाया। इसी तरह से देश का बजट भी होता है। इसमें सालभर के खर्च और कमाई का लेखा-जोखा होता है।

बजट की पूरी प्रोसेस

1. सबसे पहले वित्त मंत्रालय एक सर्कुलर जारी कर सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों, स्वायत्त संस्थाओं को नए साल के लिए एस्टीमेट बनाने के लिए कहता है। उन्हें नए साल के लिए अनुमान देने के अलावा पिछले साल की खर्च और आमदनी का ब्योरा भी देना होता है।

2. एस्टीमेट मिलने के बाद केंद्र सरकार के आला अफसर उसकी पड़ताल करते हैं। इस पर संबंधित मंत्रालयों और व्यय विभाग के अधिकारियों की गहन चर्चा होती है। इसके बाद आंकड़ों को सिफारिशों के साथ वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाता है।

3. वित्त मंत्रालय सभी सिफारिशों पर गौर करने के बाद विभागों को उनके खर्च के लिए राजस्व का आवंटन करता है। राजस्व और आर्थिक मामलों का विभाग हालात को गहराई से समझने के लिए किसानों और छोटे कारोबारियों के प्रतिनिधियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों से संपर्क करता है।

4. प्री बजट मीटिंग में वित्त मंत्री संबंधित पक्षों के प्रस्ताव और मांगों को जानने के लिए उनसे मिलते हैं। इनमें राज्यों के प्रतिनिधि, बैंकर, कृषि विज्ञानी, अर्थशास्त्री और कर्मचारी संगठन के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। प्री-बजट मीटिंग खत्म होने के बाद वित्त मंत्री सभी मांगों पर अंतिम फैसला लेते हैं। बजट को अंतिम रूप दिए जाने से पहले वित्त मंत्री प्रधानमंत्री से भी बात करते हैं।

5. बजट पेश होने से कुछ दिन पहले हलवा सेरेमनी होती है। एक बड़ी सी कड़ाई में तैयार किया जाने वाला हलवा वित्त मंत्रालय के स्टाफ में बांटा जाता है। इसी के साथ बजट की छपाई प्रक्रिया शुरू होती है। प्रक्रिया में लगे अधिकारी और सपोर्ट स्टाफ बजट पेश होने तक मंत्रालय में ही रहते हैं। इस वित्त वर्ष के बजट की प्रिंटिंग नहीं हुई और संसद सदस्यों को उसकी सॉफ्ट कॉपी दी गई।

6. वित्त मंत्री आम बजट को लोकसभा में पेश करते हैं। 2016 तक फरवरी के अंतिम दिन पेश होता था। 2017 से यह हर साल 1 फरवरी को पेश होने लगा। इस साल पहली बार बजट के सभी दस्तावेज Union Budget मोबाइल पर उपलब्ध कराए गए।