सरकार ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार आइलैंड की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया X पर इसकी जानकारी दी।
शाह ने कहा- देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 23 जनवरी 2023 को नेताजी की 126वीं बर्थ एनिवर्सरी पर अंडमान और निकोबार आइलैंड के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का फैसला लिया था।
28 दिसंबर 2018 में अंडमान-निकोबार के हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप और रॉस द्वीप के नाम बदले थे। हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप, नील द्वीप को शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप नाम दिया गया।
शाह ने सोशल मीडिया X पर लिखा...
देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है।
इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है। यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा माँ भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है।
साल 2018 में PM मोदी ने पोर्ट ब्लेयर का दौरा किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारतीय धरती पर तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पोर्ट ब्लेयर के मरीना पार्क में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने सभी लोगों से मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू कीजिए और नेताजी को सम्मान दीजिए। 'इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां मौजूद लोगों से सुभाष बाबू जिंदाबाद के नारे लगवाए।
नेताजी देश ने सबसे पहले यहीं फहराया था तिरंगा
यही वह स्थान है, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश में आजादी से पहले तिरंगा फहराया था। यहां की सेलुलर जेल में वीर सावरकर समेत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने कई साल सजा के तौर पर बिताए थे। वे देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे।