स्टारिलंग मॉल की बिल्डिंग को पैदा होता खतरा

स्टारलिंग   मॉल में अक्सर रहती है भीड भाड,नए मॉल की खुदाई बनी जी का जंजाल 

कहां है भूजल,खनन विभाग और न्यू औखला इंडस्ट्रियल डेवलप मेंट एथारिटी

उत्तर प्रदेश के जिला गौतम बुद नगर नोएडा के सेक्टर 106 में स्थित स्टारलिंग मॉल जहां पर लगभग तमाम तरह की सुविधाएं होने के कारण अक्सर भीड भाड रहती है। स्टारलिंग मॉल के बराबर वाली भूमि खाली पडी हुई थीं। कहा तो ये जाता है कि ये जमीन लाल डोरे में थीं, अभी कुछ समय पहले स्टारलिंग मॉल की बराबर और पीछे वाली दीवार से सटाकर लगभग चार हजार वर्ग मीटर इस जमीन पर कमर्शियल  मॉल बनाने के लिए बेसमेंट खोदा गया और करोड़ों रूपए की मिटटी बेच दी गई। जिससे स्टारलिंग मॉल की बिल्डिंग की मजबूती को खतरा पैदा हो सकता है, यदि कोई हादसा हुआ तो सैंकडों लोगों की जान जा सकती है, सवाल ये उठ रहा है कि क्या जिला खनन विभाग के द्वारा प्राधिकरण के द्वारा स्वीकृत नक्शा देखने का प्रयास किया कि क्या बिल्डिंग के लिए स्वीकृत नक्शे के अनुसार ही खुदाई की गई अथवा बिल्डर के द्वारा तमाम नियम कायदे कानून को ताक पर   रखते हुए काम आरंभ किया गया। वैसे भी देखा जाए तो पूरे देश में दिल्ली एनसीआर प्रदूषण से प्रभावित  है, जिसमें गाजियाबाद नोएडा सबसे प्रदूषित क्षेत्र है। ऐसे में प्रदूषण विभाग का दायित्व अधिक ही बढ जाता है। उसे ये देखना चाहिए कि ग्राम हाजीपुर के खसरा नंबर 412 की जमीन पर मॉल निर्माण के लिए जो खुदाई आदि की जा रही है, मॉल से संबंधित एनओसी जैसे सीटीई अनुमति दी गई है या नहीं। वैसे तो  पर्यावरण की अनुमति भी आवश्यक होती है। न्यू औखला इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी के एरिया में अवैध निर्माण होने की कोई बात नहीं है, लेकिन उक्त भूमि के बराबर में स्टारलिंग मॉल की उंची बिल्डिंग बनी हुई है, यदि कोई भूंकप या ज्यादा बारिश होने के कारण कोई हादसा हुआ तो कौन जिम्मेदार होगा।  सवाल ये भी उठ रहा है कि नए मॉल के निर्माण के दौरान जो भूजल दोहन हो रहा है, वह कौन देखेगा और क्या भूजल विभाग से भूजल दोहन की अनुमति हासिल की गई है।

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राम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी

अयोध्या में निर्माणाधीन श्रीराम मंदिर को बम से उड़ाने की धमकी मिली है. बताया गया है कि 21 सितंबर को धमाका होगा. उत्तर प्रदेश पुलिस के कंट्रोल रूम डॉयल 112 पर मंगवार को यह सूचना आई. इस सूचना से यूपी पुलिस ही नहीं, केंद्रीय एजेंसियों में भी हड़कंप मच गया. आनन फानन में सूचना देने वाले की जांच की गई. इस में पता चला कि यह सूचना बरेली के रहने वाले एक बच्चे ने दी थी.

बच्चे ने पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि मंगलवार को वह यूट्यूब पर वीडियो देख रहा था. इसी दौरान उसने एक वीडियो देखा, जिसमें यह संदेश दिया गया था कि 21 सितंबर को राम मंदिर को बम से उड़ा दिया जाएगा. इस वीडियो को देखने के बाद उसने सोचा कि पुलिस को सूचित करना चाहिए. इसलिए उसने पुलिस कंट्रोल रूम में फोन किया था. पुलिस के मुताबिक जैसे ही कंट्रोल रूम में यह सूचना आई, तुरंत अयोध्या में विशेष अलर्ट घोषित कर दिया गया.

सघन नाकाबंदी और जांच पड़ताल शुरू कर दी गई. इसी के साथ कंट्रोल रूम में फोन करने वाले व्यक्ति को भी ट्रैस करने की कोशिश की गई. इस दौरान पता चला कि यह फोन कॉल बरेली के फतेहगंज पूर्वी के इटौरिया गांव से आया था. इस इनपुट के बाद पुलिस उस पते पर पहुंची तो फोन करने वाला व्यक्ति आठवीं का छात्र निकाला. पुलिस ने उसे भरोसे में लेकर विधिवत पूछताछ की. इस दौरान उसने बताया कि यूट्यूब पर वीडियो देखकर उसने फोन किया था.

पुलिस ने बताया कि चूंकि बच्चे ने जब कंट्रोल रूम में फोन किया था तो उसने केवल इतना ही कहा था कि राम मंदिर में 21 सितंबर को विस्फोट होगा. कंट्रोल रूम से बच्चे से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन उसने फोन काट दिया. इसलिए संदेह और बढ़ गया. फिलहाल पुलिस इस बच्चे से पूछताछ करने के साथ ही उस वीडियो की भी जांच कर रही है, जिसे देखकर बच्चे ने पुलिस को फोन किया था.

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हापुड़ में गाजियाबाद के वकील का विवादित बयान

उत्तर प्रदेश के हापुड़ में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में अभी भी गाजियाबाद के वकीलों का प्रदर्शन लगातार जारी है। गाजियाबाद के वकील सोमवार को प्रदर्शन करने के लिए हापुड़ में भी गए थे। इस दौरान ही गाजियाबाद बार एसोसिएशन के पूर्व सचिव नितिन यादव का एक विवादित बयान सामने आ गया है। सोशल मीडिया पर इसकी बयान की एक वीडियो भी खूब वायरल हो रही है।

नितिन यादव ने मंच से कहा, ‘ये पुलिस की तो कोई हस्ती ही नहीं है। जो आपके सामने टिक सके। हमने गाजियाबाद में कोई भी ऐसा दिन नहीं छोड़ा, जब पुलिसवाले हमने पीटे ना हों। हमने यहां कप्तान भी पीटे हैं और जज भी पीटे हैं। फिर से मौका आएगा तो हापुड़ कोतवाली पुलिस के एक-एक सिपाही को हम फिर मारेंगे। मैं नितिन यादव कहता हूं, हम उस कोतवाली के एक-एक सिपाही को नहीं रहने देंगे।’

दरअसल, गाजियाबाद के ही वकील सोमवार को हड़ताल पर थे। दोपहर के वक्त ही सारे चैंबर बंद कराकर वकीलों ने हापुड़ के लिए प्रस्थान किया और वहां पहुंचकर स्थानीय पीड़ित वकीलों को उन्होने अपना समर्थन दिया। इसी दौरान गाजियाबाद बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष नितिन यादव ने भी धरने को संबोधित करते हुए ये विवादित बयान दिया। सोशल मीडिया पर इस बयान की अब खूब आलोचना हो रही है।

 

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गणेश चतुर्थी पर लॉन्च होगा जियो एयर फाइबर

 जियो एयर फाइबर के लॉन्च के तारीख का इंतजार कर रहे ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है. देश में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के मौके पर 19 सितंबर को जियो एयर फाइबर लॉन्च होगा. रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी ने 46वीं एन्युअल जनरल मीटिंग में इसका एलान किया है. जियो एयर फाइबर के आने जाने के बाद 5G नेटवर्क और बेहतरीन वायरलेस टेक्नोलॉजी की मदद से ग्राहकों को वायरलेस ब्राडबैंड सेवा मिल सकेगी. इस सुविधा की शुरूआत के साथ टेलीकॉम सेक्टर में जियो एयर फाइबर के आने से बड़े पैमाने पर बदलाव होने की उम्मीद है.

JioAirFiber से कनेक्टिविटी होगी आसान

एन्युअल मीटिंग (AGM) में मुकेश अंबानी ने कहा कि हमारी व्यापक ऑप्टिकल फाइबर उपस्थिति हमें 200 मिलियन से अधिक परिसरों के करीब रखती है. उन्होंने कहा कि अभी भी देश के कई हिस्सों में फिजिकल कनेक्टिविटी उपलब्ध कराना कठिन है. जिसके चलते लाखों ग्राहक ब्रॉडबैंड की सुविधा से फायदा नहीं उठा पाते हैं. ऐसे में ग्राहकों को JioAirFiber तकनीकी की मदद से वायरलेस ब्राडबैंड की सेवा मिल सकेगी.

 

दिसंबर 2023 तक देश के सभी हिस्सों में पहुंच जाएगी 5G सेवा: मुकेश अंबानी

मुकेश अंबानी ने एन्युअल मीटिंग मे सोमवार को कहा कि हमने 5G इंटरनेट सेवा करीब 9 महीने पहले, अक्टूबर 2022 में लॉन्च किया था, आज हमारे देश के 96 फीसदी से अधिक शहरों में इस सुविधा की पहुंच हो चुकी है. हम दिसबंर 2023 तक पूरे देश को इस सेवा से कवर करने की राह पर हैं. ऑप्टिकल फाइबर के जरिए हम मौजूदा समय में प्रतिदिन करीब 15,000 परिसरों को जोड़ सकते हैं. लेकिन JioAirFiber के साथ, हम प्रति दिन 150,000 परिसरों तक कनेक्शन का विस्तार कर सकते हैं. मतलब JioAirFiber के आ जाने से कनेक्टिविटी की रफ्तार 10 गुना बढ़ जाएगी. आने वाले तीन सालों में JioAirFiber 200 मिलियन से अधिक हाई पेइंग होम (high-paying homes) और परिसरों तक हो जाएगा.

 

 


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सांसद ने संसद में बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया

श्रीमती जया बच्चन माननीय। सांसद ने संसद में बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया, जिसके लिए हम उनके भाषण को निम्नानुसार सलाम करते हैं;

“वरिष्ठ नागरिकों को मार डालो।

सरकार को सभी सीनियरों को मार देना चाहिए। 65 वर्ष की आयु के बाद के नागरिक क्योंकि सरकार इन राष्ट्र निर्माताओं पर ध्यान देने को तैयार नहीं है।

"क्या भारत में वरिष्ठ नागरिक होना अपराध है?

  भारत के वरिष्ठ नागरिक 70 वर्ष के बाद चिकित्सा बीमा के लिए पात्र नहीं हैं, उन्हें ईएमआई पर ऋण नहीं मिलता है। ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. उन्हें कोई काम नहीं दिया जाता, इसलिए वे जीवनयापन के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं.उन्होंने सेवानिवृत्ति की आयु यानी 60-65 तक सभी कर, बीमा प्रीमियम का भुगतान किया था। अब सीनियर सिटीजन बनने के बाद भी उन्हें सारे टैक्स चुकाने होंगे। भारत में वरिष्ठ नागरिकों के लिए कोई योजना नहीं है। रेलवे/हवाई यात्रा पर मिलने वाली 50% छूट भी बंद कर दी गई है. तस्वीर का दूसरा पहलू यह है कि राजनीति में विधायक, सांसद या मंत्री पद पर बैठे वरिष्ठ नागरिकों को हर संभव लाभ दिया जाता है और उन्हें पेंशन भी मिलती है। मैं यह समझने में असफल हूं कि अन्य सभी (कुछ सरकारी कर्मचारियों को छोड़कर) को समान सुविधाओं से क्यों वंचित रखा गया है। सोचिए, अगर बच्चे उनकी परवाह नहीं करेंगे तो वे कहां जाएंगे। अगर देश के बुजुर्ग चुनाव में सरकार के खिलाफ जाएंगे तो इसका असर चुनाव नतीजों पर पड़ेगा। सरकार को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा.


  सीनियर्स के पास सरकार बदलने की ताकत है, उन्हें नजरअंदाज न करें। उनके पास सरकार बदलने का जीवन भर का अनुभव है। उन्हें कमजोर मत समझो! वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए बहुत सारी योजनाओं की आवश्यकता है। सरकार कल्याणकारी योजनाओं पर बहुत पैसा खर्च करती है, लेकिन वरिष्ठ नागरिकों के बारे में कभी ध्यान नहीं देती। इसके विपरीत, बैंकों की ब्याज दरों में कमी के कारण वरिष्ठ नागरिकों की आय घट रही है। यदि उनमें से कुछ को परिवार और स्वयं का समर्थन करने के लिए अल्प पेंशन मिल रही है, तो यह भी आयकर के अधीन है। इसलिए वरिष्ठ नागरिकों को कुछ लाभों पर विचार किया जाना चाहिए:

(1). 60 वर्ष से ऊपर के सभी नागरिकों को पेंशन दी जानी चाहिए

(2). सभी को हैसियत के मुताबिक पेंशन दी जाए

 (3). रेलवे, बस और हवाई यात्रा में रियायत।

(4). अंतिम सांस तक सभी के लिए बीमा अनिवार्य होना चाहिए और प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा किया जाना चाहिए।

(5). वरिष्ठ नागरिकों के अदालती मामलों को शीघ्र निर्णय के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

(6). हर शहर में सभी सुविधाओं से युक्त वरिष्ठ नागरिकों के घर

(7). सरकार को 10-15 साल पुरानी पुरानी कारों को स्क्रैप करने के नियम में संशोधन करना चाहिए। यह नियम केवल वाणिज्यिक वाहनों के लिए लागू किया जाना चाहिए। हमारी कारें ऋण पर खरीदी जाती हैं और हमारा उपयोग 10 वर्षों में केवल 40 से 50000 किमी तक होता है। हमारी कारें नई जैसी ही अच्छी हैं। यदि हमारी गाड़ियाँ नष्ट हो जाती हैं तो हमें नई गाड़ियाँ दी जानी चाहिए।



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पुरानी संसद में मोदी की 50 मिनट की आखिरी स्पीच

पुरानी संसद में सोमवार को संसद की कार्यवाही का आखिरी दिन है। मंगलवार यानी 19 सितंबर से संसद की कार्यवाही नई पार्लियामेंट बिल्डिंग में होगी। पीएम मोदी ने पुराने भवन में 50 मिनट की आखिरी स्पीच दी।

पीएम ने इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद करते हुए कहा- ये वो सदन है जहां पंडित नेहरू का स्ट्रोक ऑफ मिडनाइट की गूंज हम सबको प्रेरित करती है। इंदिरा गांधी के नेतृत्व में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम का आंदोलन भी इसी सदन ने देखा था।

उन्होंने कहा, 'सदन ने कैश फॉर वोट और 370 को भी हटते देखा है। वन नेशन वन टैक्स, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन, गरीबों के लिए 10% आरक्षण भी इसी सदन ने दिया।

केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक संसद का विशेष सत्र बुलाया है। स्पेशल सत्र में पांच बैठकें होंगी। इस दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे। उधर विपक्षी पार्टियों ने सरकार से सवाल-जवाब करने के लिए 9 मुद्दों की लिस्ट तैयार की है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A से 24 पार्टियां इस सेशन में हिस्सा लेंगी।

 मोदी के स्पीच की बड़ी बातें

प्लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला बच्चा पार्लियामेंट पहुंचा
 पीएम ने पहली बार संसद में प्रवेश करने की यादों को ताजा करते हुए कहा- पहली बार एक सांसद के रूप में इस भवन में मैंने प्रवेश किया तो सहज रूप से मैंने संसद भवन की चौखट पर अपना शीश झुका दिया। इस लोकतंत्र के मंदिर को श्रद्धाभाव से नमन करने के बाद मैंने अंदर पैर रखा। मैं कल्पना नहीं कर सकता, लेकिन भारत के लोकतंत्र की ताकत है कि रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर गुजारा करने वाला एक बच्चा पार्लियामेंट पहुंचता है। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि देश मुझे इतना सम्मान देगा।'

परिवार पुराना घर छोड़कर जाता है, तो कई यादें ले जाता है

 पीएम ने कहा- इस सदन से विदाई लेना एक बेहद भावुक पल है, परिवार भी अगर पुराना घर छोड़कर नए घर जाता है तो बहुत सारी यादें उसे कुछ पल के लिए झकझोर देती हैं। हम इस 

सदन को छोड़कर जा रहे हैं, तो हमारा मन मस्तिष्क भी उन भावनाओं से भरा हुआ है और अनेक यादों से भरा हुआ है। उत्सव-उमंग, खट्टे-मीठे पल, नोक-झोंक इन यादों के साथ जुड़ा है।'

 देश के पूर्व प्रधानमंत्रियों को याद किया
 पंडित नेहरू, शास्त्री से लेकर अटल, मनमोहन सिंह तक कई नाम हैं जिन्होंने इस सदन का नेतृत्व किया। सदन के माध्यम से देश को दिशा दी है। देश को नए रंग रूप में ढालने के लिए उन्होंने परिश्रम किया है, पुरुषार्थ किया है। आज उन सबका गौरवगान करने का अवसर है। सरदार वल्लभ भाई पटेल, लोहिया, चंद्रशेखर, आडवाणी न जाने अनगिनत नाम जिन्होंने हमारे इस सदन को समृद्ध करने में, चर्चाओं को समृद्ध करने का काम किया है।

नेहरू जी के गुणगान में कौन होगाजो ताली नहीं बजाएगा
 पीएम मोदी ने इस दौरान विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा- बहुत सी बातें ऐसी थी जो सदन में हर किसी की तालियों की हकदार थी। लेकिन शायद उसमें भी राजनीति आगे आ गई। नेहरू जी का गुणगान अगर इस सदन में होगा, तो कौन सदस्य होगा जो उस पर ताली नहीं बजाएगा। शास्त्री जी ने 65 के युद्ध में देश के सैनिकों का हौसला इसी सदन से बढ़ाया था। वहीं इंदिरा गांधी ने इसी सदन से बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के आंदोलन का नेतृत्व किया।

अब तक 7500 से अधिक प्रतिनिधि दोनों सदनों में  चुके
 शुरुआत में महिला सदस्यों की संख्या कम थी, धीरे धीरे उनकी संख्या बढ़ी। प्रारंभ से अब तक 7500 से अधिक प्रतिनिधि दोनों सदनों में आ चुके हैं। इस कालखंड में करीब 600 महिला सांसद आईं। इंद्रजीत गुप्ता जी 43 साल तक इस सदन के साक्षी रहे। शफीकुर्रहमान 93 साल की उम्र में सदन आ रहे हैं। हमारे यहां संसद भवन के गेट पर लिखा है, जनता के लिए दरवाजे खोलिए और देखिए कि कैसे वो अपने अधिकारों को प्राप्त करते हैं। वक्त के साथ संसद की संरचना भी बदलती गई। समाज के सभी तबके के लोगों का यहां योगदान रहा है।'

संसद पर आतंकी हमला, हमारी जीवात्मा पर हमला था

 पीएम मोदी ने 2001 में संसद में हुए हमले को भी याद किया। पीएम ने कहा- यह हमला इमारत पर नहीं बल्कि हमारी जीवात्मा पर हमला हुआ था। ये देश उस घटना को कभी नहीं भूल सकता। आतंकियों से लड़ते हुए जिन सुरक्षाकर्मियों ने हमारी रक्षा की, उन्हें कभी नहीं 

संसद पर आतंकी हमलाहमारी जीवात्मा पर हमला था
 पीएम मोदी ने 2001 में संसद में हुए हमले को भी याद किया। पीएम ने कहा- यह हमला इमारत पर नहीं बल्कि हमारी जीवात्मा पर हमला हुआ था। ये देश उस घटना को कभी नहीं भूल सकता। आतंकियों से लड़ते हुए जिन सुरक्षाकर्मियों ने हमारी रक्षा की, उन्हें कभी नहीं भूला जा सकता। आतंकियों से लड़ते- लड़ते, सदस्यों को बचाने के लिए जिन्होंने अपने सीने पर गोलियां झेलीं आज मैं उनको भी नमन करता हूं।

संसद भवन में पसीना और परिश्रम मेरे देशवासियों का
 आजादी के बाद इस भवन को संसद भवन के रूप में पहचान मिली। इस इमारत का निर्माण करने का फैसला विदेशी शासकों का था। हम गर्व से कह सकते हैं कि इस भवन के निर्माण में पसीना और परिश्रम मेरे देशवासियों का लगा था। पैसे भी मेरे देश के लोगों के लगे।'

स्पेशल सत्र के पहले दिन के अपडेट

  • कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा में कहा - पोखरण के समय विदेशी ताकतों ने हमें रोकने की बहुत कोशिशें की लेकिन हम रूके नहीं। अटल जी ने पूरी दुनिया को एक संदेश दिया। उस परमाणु परीक्षण के बाद हम पर प्रतिबंध लगाए थे, उसको हटाने का काम मनमोहन सिंह ने किया। जिन पर बीजेपी मौन रहने का आरोप लगाती थी। वो मौन नहीं रहते थे। दरअसल वो बात कम, काम ज्यादा करते थे।
  • राज्यसभा में बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हमसे हर बार यही पूछा जाता है कि 70 साल में क्या किया? हमने वही किया जो आज आप लोग आगे बढ़ा रहे हैं, उसे शुरू किया। जब हमने 1950 में लोकतंत्र को अपनाया, तो कई विदेशी विद्वानों ने सोचा कि यहां लोकतंत्र विफल हो जाएगा क्योंकि यहां लाखों अशिक्षित लोग हैं। हमने उन्हें गलत साबित किया। हमने यही किया है 70 सालों में।

 मोदी ने सत्र के पहले कहाये सत्र छोटा है लेकिन ऐतिहासिक है

पीएम सुबह 10.45 बजे संसद पहुंचे। उन्होंने कहा- 'ये सत्र छोटा है लेकिन समय के लिहाज से बड़ा है। पीएम ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा- सभी सांसद उमंग और उत्साह के वातावरण में मिले। रोने-धोने के लिए बहुत समय होता है करते रहिए। जीवन में कुछ पल ऐसे भी होते हैं, जो उमंग से भर देते हैं। मैं इस छोटे सत्र को इसी रूप में देखता हूं।'

स्पेशल सत्र में पांच बैठकें होंगी
 स्पेशल सत्र में पांच बैठकें होंगी। इस दौरान चार बिल पेश किए जाएंगे। उधर विपक्षी पार्टियों ने सरकार से सवाल-जवाब करने के लिए 9 मुद्दों की लिस्ट तैयार की है। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A से 24 पार्टियां इस सेशन में हिस्सा लेंगी।

इससे पहले 17 सितंबर को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नई पॉर्लियामेंट बिल्डिंग में तिरंगा फहराया। वहीं सत्र शुरु होने से पहले ऑल पार्टी मीटिंग हुई। इस दौरान कई पार्टियों ने महिला आरक्षण विधेयक को पेश करने और पारित करने की जोरदार वकालत की।

19 राज्यों के कुल विधायकों में महिलाओं की संख्या 10% से भी कम
 कानून मंत्री रहते किरेन रिजिजू ने दिसंबर 2022 में संसद को बताया था कि मप्र समेत 19 राज्यों के कुल विधायकों में महिलाओं की संख्या 10% से भी कम हैं। जबकि दिल्ली, बिहार समेत 7 राज्यों में 15% तक हैं। अभी लोकसभा में 78 तो राज्यसभा में 32 महिला सांसद हैं। कुल सांसदों में 11% महिलाएं हैं।

सीएसडीएस के मुताबिक 2019 की जीत में भाजपा को 36% वोट महिलाओं के मिले थे। जबकि कांग्रेस को 20% तो बाकी दलों को 44% वोट महिलाओं के मिले थे।

सुप्रीम कोर्ट से अधिकतम आरक्षण 50% तय है, बावजूद इसके कई राज्य आरक्षण सीमा बढ़ा रहे हैं, जिसे बाद में कोर्ट में चुनौती मिल रही है।

 संसद के विशेष सत्र में ये 4 बिल पेश होंगे...

1. मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्तिशर्तें और पद अवधिबिल, 2023
 यह बिल चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और अन्य इलेक्शन कमिश्नर (ECs) की नियुक्ति को रेगुलेट करने से जुड़ा है। बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे।

बिल की स्थिति - मानसून सत्र में 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश हो चुका।

विपक्ष का रुख: राज्यसभा में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध किया था। विपक्षी दलों ने कहा- सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें।

आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें।

मायने : इस बिल के जरिए सिलेक्शन पैनल से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को बाहर रखा जाएगा। चुनाव आयुक्त के पद पर उम्मीदवारों को चुनने के लिए एक सर्च कमेटी होगी। कमेटी में कैबिनेट सचिव और दो सचिव रैंक के अधिकारी होंगे। ये 5 लोगों के नाम सुझाएंगे। ये नाम आगे सिलेक्शन कमेटी को भेजे जाएंगे।

2. एडवोकेट्स अमेंडमेंट बिल 2023
 इस बिल के जरिए 64 साल पुराने अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करना है। बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का भी प्रस्ताव है।

बिल की स्थिति - मानसून सत्र के दौरान 3 अगस्त को राज्यसभा से पास हो चुका। इसके बाद 4 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जा चुका।

विपक्ष का रुख: इस बिल को लेकर विपक्ष की तरफ से अभी तक विरोध नहीं किया गया।

मायने : इस विधेयक में प्रावधान है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय‚जिला न्यायाधीश‚सत्र न्यायाधीश‚जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी (जिला कलेक्टर के पद से नीचे नहीं) दलालों की सूची बना और प्रकाशित कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति जो दलाल के रूप में काम करता है जबकि उसका नाम दलालों की सूची में शामिल है, उसे तीन महीने तक की कैद, 500 रुपये तक का जुर्माना या दोनों लगाया जा सकता है।

3. प्रेस एवं रजिस्ट्रेशन ऑफ पीरियॉडिकल्स बिल 2023
 यह बिल किसी भी न्यूजपेपर, मैग्जीन और किताबों के रजिस्ट्रेशन और पब्लिकेशंस से जुड़ा है। बिल के जरिए प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 को निरस्त कर दिया जाएगा।

बिल की स्थिति - मानसून सत्र के दौरान 3 अगस्त को राज्यसभा से पास हो चुका। इसके बाद 4 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जा चुका।

विपक्ष का रुख: इस बिल को लेकर विपक्ष की तरफ से अभी तक विरोध नहीं किया गया।

मायने : इस बिल के लागू होने के बाद डिजिटल मीडिया भी रेग्युलेशन के दायरे में आएगा। साथ ही न्यूजपेपर्स और मैग्जीन के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस आसान हो जाएगा। साथ ही कोई व्यक्ति जो किसी आतंकवादी या गैरकानूनी गतिविधि के लिए दोषी ठहराया गया हो, या जिसने राज्य की सुरक्षा के खिलाफ काम किया हो, उसे मैग्जीन छापने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

4. पोस्ट ऑफिस बिल, 2023
 यह बिल 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम को खत्म कर देगा। इस बिल के जरिए पोस्ट ऑफिस के काम को और आसान बनाने साथ ही पोस्ट ऑफिस के अधिकारियों को अतिरिक्त पॉवर देने का काम करेगा।

बिल की स्थिति - मानसून सत्र में 10 अगस्त को राज्यसभा में पेश हो चुका।

विपक्ष का रुख: इस बिल को लेकर विपक्ष की तरफ से अभी तक विरोध नहीं किया गया।

मायने : केंद्र सरकार के भारतीय डाकघर अधिनियम में प्रस्तावित सुधार से कर्मचारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में डाक पार्सल खोलने की अनुमति मिलेगी। इसके अलावा अधिकारियों को टैक्स चोरी के संदेह होने पर उन्हें संबंधित अधिकारियों को भेजने की भी शक्ति मिलेगी।

विपक्ष के वो 9 मुद्दे जिन पर सरकार को घेरने की तैयारी...
 एक तरफ जहां सरकार कुछ अहम बिल पेश करने वाली है। वहीं विपक्ष भी केंद्र सरकार को घेरने की पूरी तैयारी कर चुका है। I.N.D.I.A में शामिल लोकसभा और राज्यसभा सांसदों ने 5 सितंबर को मल्लिकार्जुन खड़गे के घर मीटिंग की।

इस बैठक में निर्णय लिया गया कि I.N.D.I.A अलायंस में शामिल 28 पार्टियों में से 24 पार्टियां संसद के स्पेशल सेशन में शामिल होंगी। 6 सितंबर को सोनिया गांधी ने पीएम को एक चिट्ठी लिखी थी। जिसमें सोनिया ने 9 मुद्दे उठाए थे।

इन 5 बड़े मुद्दों पर हंगामा हो सकता है

1. INDIA नाम को लेकर विवाद : विपक्षी गठबंधन ने 18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई बैठक में अपने अलायंस के INDIA नाम का ऐलान किया था। हालांकि इस नाम को लेकर बीजेपी काफी हमलवार है। पीएम मोदी ने इसे घमंडिया गठबंधन तक कह दिया था। वहीं अब देश का नाम INDIA से भारत करने की चर्चा हो रही है। दरअसल G20 समिट के दौरान डिनर के लिए दिए गए इन्विटेशन कार्ड में प्रेसीडेंट ऑफ भारत लिखा था। वहीं मीटिंग के दौरान पीएम के आगे देश के नाम की पट्‌टी पर BHARAT लिखा था। विपक्ष का आरोप है कि सरकार INDIA गठबंधन के नाम से डरकर देश का नाम बदलने वाली है।

 2. चीन का नया मैपइस सेशन में विपक्ष एक बार फिर से भारत-चीन बॉर्डर विवाद पर केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। चीन ने 28 अगस्त को एक नया मैप जारी किया था जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को उसने अपना हिस्सा बताया है। हालांकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि चीन हमेशा से ऐसी हरकतें करता रहता है। राहुल गांधी ने हाल ही में लद्दाख दौरे पर कहा था कि चीन ने हमारे इलाके में घुसपैठ की है। पूरा लद्दाख इस बात को जानता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस पर बयान देना चाहिए।

3. वन नेशनवन इलेक्शन : केंद्र सरकार ने 1 सितंबर को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर एक कमेटी बनाई है। इस कमेटी में गृह मंत्री अमित शाह समेत 8 मेंबर्स हैं। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी भी इसमें शामिल हैं। हालांकि उन्होंने कमेटी में काम करने से इनकार कर दिया है।

 4. अडाणी-हिंडनबर्गविपक्ष इस सेशन में अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की जांच JPC से कराने को लेकर फिर एक बार हंगामा कर सकता है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अडाणी समूह से जुड़े पूरे प्रकरण की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के माध्यम से ही बाहर आ सकती है। कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर लगातार मुखर है। राहुल गांधी ने अडाणी और प्रधानमंत्री की तस्वीर संसद में भी दिखाई थी। इसके बाद एक मामले में उनकी सांसदी चली गई, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सदस्यता फिर से बहाल कर दी।

5. मणिपुर हिंसामणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर 3 मई से हिंसा जारी है। राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले मानसून सत्र में भी विपक्ष ने सरकार को इसी मुद्दे पर घेरते हुए कामकाज ठप कर दिया था। राज्य सरकार ने 29 अगस्त को एक दिन के लिए विधानसभा का सत्र भी बुलाया था, लेकिन विपक्ष के हंगामे के बाद इसे स्थगित कर दिया गया था। कांग्रेस ने इसे लेकर काला झंडा भी फहराया था।

 19 सितंबर से नए पार्लियामेंट में होगा विशेष सत्रनई संसद में अधिकारी गुलाबी रंग की नेहरू जैकेट पहनेंगे

नए संसद भवन में जाते समय संसद कर्मचारी नई ड्रेस पहनेंगे। इस ड्रेस में नेहरू जैकेट और खाकी रंग की पैंट को शामिल किया गया है। लोकसभा सचिवालय के एक इंटरनल सर्कुलर के अनुसार ब्यूरोक्रेट्स बंद गले सूट की जगह मैजेंटा या गहरे गुलाबी रंग की नेहरू जैकेट पहनेंगे। उनकी शर्ट भी कमल के फूल के डिजाइन के साथ गहरे गुलाबी रंग में होगी।

संसद के विशेष सत्र से 38 दिन पहले हुआ था मानसून सत्र

मानसून सत्र 20 जुलाई से 11 अगस्त तक चला था। पूरे सत्र में विपक्ष ने मणिपुर में हो रही हिंसा को लेकर जमकर हंगामा किया। वे PM मोदी से मणिपुर पर बोलने की मांग कर रहे थे। इसके लिए विपक्ष ने 26 जुलाई को केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया था। अगले दिन यानी 27 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

अविश्वास प्रस्ताव पर 8 से 10 अगस्त तक बहस हुई। पीएम ने 10 अगस्त को जवाब दिया। इस दौरान विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया और अविश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से गिर गया।

 मानसून सत्र में 25 विधेयक पेश, 23 पास हुए

संसद के मॉनसून सत्र में केंद्र सरकार की ओर से कुल 25 विधेयक पेश किए गए। इनमें से 20 विधेयक लोकसभा में पेश किए गए थे। वहीं, 5 विधेयक राज्य सभा में पेश किए गए। दोनों इस सत्र में पेश होकर दोनों सदनों में पास हुए कुल विधेयकों की संख्या 23 रही।

 

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GST विवादों को निपटाने में आएगी तेजी

6 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद, केंद्र सरकार ने GST एपीलेट ट्रिब्यूनल का ऐलान कर दिया. सरकार ने 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के लिए GST एपीलेट ट्रिब्यूनल की 31 राज्य पीठों की स्थापना के लिए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है.

सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 3 बेंच                                 

नोटिफिकेशन के मुताबिक, कर्नाटक, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में कई बेंच होंगी, जबकि अन्य में सिर्फ एक होगी. दिल्ली को छोड़कर ज्यादातर केंद्र शासित प्रदेशों में कोई स्वतंत्र पीठ नहीं है और इसे दूसरे राज्यों के साथ साझा करना होगा.

नोटिफिकेशन के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 3 बेंच होंगी, जो कि लखनऊ, वाराणसी, गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज में स्थापित की जाएंगी. इसके बाद गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में 2-2 बेंच होंगी.

 2017 में लागू किए गए गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स ने पूरे भारत के लिए एक प्रभावी और यूनिफाइड टैक्स मैकेनिजम बनाया. लेकिन कोई उचित एपीलेट मैकेनिज्म नहीं होने की वजह से शिकायतों और मुद्दों का हल निकालना मुश्किल हो गया, हाई कोर्ट्स में मामलों की लाइन लग गई. GST काउंसिल की पिछली बैठक में, रेवेन्यू सेक्रेटरी संजय मल्होत्रा ने संकेत दिया था कि ट्रिब्यूनल साल के अंत तक शुरू हो जाएंगे.

2022 में हुआ था मंत्रियों के समूह का गठन

जुलाई 2022 में GST ट्रिब्यूनल्स की स्थापना को लेकर मंत्रियों के एक समूह का गठन किया गया था. बाद में फरवरी 2023 में, काउंसिल ने GST ट्रिब्यूनल्स की स्थापना की इजाजत देते हुए रिपोर्ट पारित करने पर सहमति जताई थी.

मौजूदा नोटिफिकेशन GST ट्रिब्यूनल्स की स्थापना पर कुछ स्पष्टता देती है, हालांकि, अब भी इस पर कोई सफाई नहीं है कि ये कस्टम, एक्साइज और सर्विसेज टैक्स एपीलेट ट्रिब्यूनल की जगह लेगा या नहीं.

 

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SDM मीरगंज ने फरियादी को बनाया मुर्गा

उत्तर प्रदेश में फरियादी को मुर्गा बनाने के आरोपी एसडीएम पर गाज गिरी है. बरेली जिलाधिकारी ने तहसील मीरगंज से एसडीएम उदित पवार नयके को हटा दिया है. बता दें कि बरेली के तहसील मीरगंज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में फरियादी मुर्गा बने हुए नजर आ रहा है. आरोप है कि एसडीएम उदित पवार नयके ने फरियादी को मुर्गा बनने के लिए कहा. एसडीएम दफ्तर में मुर्गा बने फरियादी का वीडियो बनाकर किसी ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. बताया जाता है कि ग्राम मंडनपुर के दो दर्जन से ज्यादा लोग फरियाद करने पहुंचे थे. मामला श्मशान भूमि की पैमाइश और शिव मंदिर की जगह की समस्याओं का था.

नप गए फरियादी को मुर्गा बनवाने के आरोपी एसडीएम

आरोप है कि एसडीएम ने फरियाद सुनने के बजाय एक शख्स को मुर्गा बनाने का आदेश दिया. एसडीएम के आदेश पर फरियादी दफ्तर में मुर्गा बन गया. किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया. वीडियो देखते-देखते वायरल हो गया. मामला जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी तक पहुंचा. उन्होंने वायरल वीडियो का संज्ञान लेते हुए वीडियो की जांच करवाई. जांच के क्रम में एसडीएम उदित पवार नयके की प्रथम दृष्टया लापरवाही पाई गई.

 वीडियो वायरल होने के बाद जिलाधिकारी की कार्रवाई

उन्होंने कार्रवाई करते हुए एसडीएम उदित पवार नयके को मुख्यालय अटैच करने का फरमान सुनाया. एसडीएम उदित पवार नयके ने आरोप को निराधार बताया है. उन्होंने सफाई में कहा कि फरियादी स्वेच्छा से मुर्गा बना था. उसके साथियों ने वीडियो और फोटो बना लिया. मैंने किसी से मुर्गा बनने के लिए नहीं कहा था. वीडियो वायरल होने के बाद बरेली प्रशासन की जमकर किरकरी हो रही है. लोगों ने प्रशासन की संवेदनशीलता पर सवाल उठाए हैं. आरोपी एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई पर जिले में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. 

 

 

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PM मोदी ग्लोबल लीडर अप्रूवल लिस्ट में फिर टॉप पर

पीएम मोदी के लीडरशिप को लेकर दुनिया में एक बार फिर भारत का डंका बजा है. मॉर्निंग कंसल्ट के ग्लोबल लीडर अप्रूवल सर्वे में पीएम मोदी दुनिया के मोस्ट पॉपुलर लीडर बनकर उभरे हैं. पीएम मोदी को 76 फीसदी रेटिंग मिली है जो दुनिया के किसी भी दूसरे लीडर्स से ज्यादा है. लिस्ट में दूसरे स्थान पर स्विट्जरलैंड के प्रेसिडेंट एलेन बर्सेट हैं जो पीएम मोदी से 12% नीचे हैं. खास बात यह है कि इस लिस्ट में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सातवें स्थान पर हैं. उन्हें 40% रेटिंग मिली है जो मार्च के बाद से उनकी हाईएस्ट रेटिंग है.

 मोदी की डिसएप्रूवल रेटिंग भी सबसे कम
 6 से 12 सितंबर (2023) के बीच एकत्रित किए गए डाटा में पीएम मोदी की डिसएप्रूवल रेटिंग भी दुनिया में सबसे कम (सिर्फ 18%) है. वहीं लिस्ट के टॉप 10 लीडर्स में कनाडा के जस्टिन टुडू की डिसएप्रूवल रेटिंग सबसे अधिक 58% है. डिसएप्रूवल रेटिंग उस आंकड़े को कहते हैं जिनमें सर्वे में शामिल किए जाने वाले लोग नेताओं को इनकार या नापसंद करते हैं.

मॉर्निंग कंसल्ट एक पॉलिटिकल इंटेलिजेंस रिसर्च फर्म है. दुनियाभर के 22 नेताओं पर सर्वे किया गया. इसमें साउथ कोरिया के प्रेसिडेंट यू सोक-यूल और चेक गणराज्य के प्रेसिडेंट पेट्र पावेल की अप्रूवल रेटिंग सबसे कम, केवल 20 % है.

 पिछले कुछ सालों से PM लगातार लिस्ट में टॉप पर है

हाल में हुए इस तरह के सर्वे में पीएम मोदी पिछले कुछ सालों से लगातार इस लिस्ट में टॉप पर बने हुए हैं. पीएम मोदी ने हाल ही में दुनिया के कई देशों का दौरा किया है जहां ग्लोबल लीडर्स के बीच उन्हें काफी सम्मान मिला है.

अभी संपन्न हुए जीG20 शिखर सम्मेलन के बाद दुनियाभर में पीएम मोदी के नेतृत्व और भारत की सराहना हुई है. इसमें शामिल होने आए वर्ल्ड लीडर्स ने रूस-यूक्रेन वार समेत अन्य ग्लोबल समस्याओं पर साझा सहमति और बयान भी जारी किया. इसकी वजह से पीएम मोदी के नेतृत्व की चर्चा पूरे विश्व में हुई है.

 

 

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गाजियाबाद में बीजेपी ने सपताल को बनाया जिलाध्यक्ष

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी ने जिलों की टीम में बड़ा बदलाव किया है। बीजेपी में महत्वपूर्ण पद माने जाने वाले महानगर अध्यक्ष के पद पर एक बार फिर संजीव शर्मा को मौका मिला है। जिला अध्यक्ष पद पर दिनेश सिंघल को हटाकर सतपाल प्रधान को नियुक्त किया गया है। संजीव को एक बार फिर से इस पद को मिलने के पीछे चार विधायकों और राज्यसभा सदस्य द्वारा की मजबूत पैरवी को माना जा रहा है। वही केंद्रीय मंत्री और सांसद वीके सिंह के लिए यह झटका हो सकता है। केंद्र और प्रदेश में सत्तासीन बीजेपी में महानगर जिला अध्यक्ष पद काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यही कारण है कि पार्टी के वरिष्ठ नेता तक अपने किसी नजदीकी को इस पद को दिलाने के लिए पूरा जोर लगा देते हैं। 2019 में अजय शर्मा के स्थान पर संजीव शर्मा को महानगर अध्यक्ष पद दिलाने में केंद्रीय मंत्री और सांसद वीके सिंह ने मजबूत पैरवी काम आई थी।

हालांकि, विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार से चार विधायकों के टिकट कटने की सुगबुगाहट हुई। इसके बाद वीके सिंह की विधायकों से तल्खियां बढ़ गई थी। संजीव इन विधायकों के ग्रुप में शामिल हो गए थे। नगर निगम चुनाव के दौरान मेयर पद को लेकर एमएलसी दिनेश गोयल के आवास पर एक बैठक कर वीके सिंह पर की कार्यप्रणाली पर कई सवाल उठाकर एक पत्र वायरल हुआ जिसमें विधायकों के हस्ताक्षर थे। इससे पार्टी में हड़कंप मच गया था। हालांकि बाद में एमएलसी दिनेश गोयल ने खुद को इससे अलग कर विधायक अतुल गर्ग, सुनील गोयल, नंदकिशोर गुर्जर, अजीत पाल और राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल पर पूरा ठीकरा फोड़ दिया था।

यह तय माना जा रहा था की संजीव शर्मा इस बार फिर से महानगर अध्यक्ष पद नहीं ले पाएंगे। वीके सिंह की प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नजदीकियां और संगठन में गहरी पैठ मानी जाती हैं। वहीं दूसरी ओर चारों विधाायक और राज्यसभा सदस्य संजीव को एक बार फिर से इस पद पर लाने के लिए जोर लगा रहे थे। राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल ने कहा कि जो संगठन का फैसला है, वह उचित है। संजीव ने करीब 4 साल तक जिस प्रकार से संगठन चलाया और पार्टी को मजबूत किया उसके बाद उन्हें इस पद पर दोबारा नवाजा जाना कोई चौकाने वाला नहीं है।
 
 सतपाल को क्यों मिला मौका
 बीजेपी के जिला अध्यक्ष पद पर सतपाल प्रधान का चुना जाना भी पार्टी में काफी चौंकाने वाला फैसला माना जा रहा है। संगठन में चर्चा यह है कि लोनी में नगर पालिका चुनाव में जिस प्रकार से अध्यक्ष पद पर नामांकन के लिए अंतिम समय तक किसी प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की गई थी, ऐसे में पार्टी के कहने पर सतपाल प्रधान ने अपनी पत्नी पुष्पा को चुनाव मैदान में उतार दिया था। हालांकि सतपाल में इसके लिए ना तो पहले कभी कोई दावेदारी की थी और ना ही पास उसकी उनके पास इसकी तैयारी थी। पुष्पा को जिताने के विधायक नंदकिशोर गूर्जर ने पूरी ताकत लगा दी थी परंतु वह आरएलडी प्रत्याशी रंजीता धामा से हार गई थीं।

 

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