अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर गूगल का नारी शक्ति को सलाम

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। इस मौके पर गूगल ने भी महिलों को सपोर्ट करते हुए खास डूडल बनाया है। गूगल ने अपने डूडल को लेकर ऑफिशियल ब्लॉग पोस्ट में जानकारी दी है कि यह डूडल सालों से हुई प्रगति को दर्शाता है, जिसमें अलग-अलग पीढ़ियों की महिलाएं दिख रही हैं।

महिला दिवस पर गूगल डूडल की खास बातें

गूगल का कहना है कि इस डूडल के साथ वह महिला दिवस और लैंगिक समानता की दिशा में हो रही प्रगति को सेलेब्रेट करता है।

इस डूडल में अलग-अलग पीढ़ियों की महिलाएं हैं, जिसमें एक बूढ़ी महिला हाथ में किताब लिए ज्ञान साझा करती नजर आ रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर गूगल के डूडल को सोफी डियाओ ने डिजाइन किया है।

डूडल के पीछे की कहानी को लेकर गूगल का कहना है कि लोगों को दूसरी पीढ़ी के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना चाहिए। ताकि हम अलग-अलग पीढ़ियों से कुछ सीख सकें।


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जादुई जिन्न बना Digital India, घर बैठे शिक्षा के साथ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में भी मिली मदद

वर्ष 2015 के जुलाई माह में मिशन डिजिटल इंडिया लांच किया गया तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह देश की आर्थिक तस्वीर बदल देगा। ये जादुई जिन्न नागरिक सुविधाओं को आपके द्वार तक पहुंचा देगा। चंद सेकेंड में लाखों रुपये का ट्रांजेक्शन करा देगा। घर बैठे शिक्षा और शहर जाए बगैर इलाज उपलब्ध करा देगा।

सामान खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना होगा और गांव वालों को किसी सरकारी काम के लिए शहर नहीं जाना होगा। रोजगार के नए आयाम खुल जाएंगे और गांवों में बैठे-बैठे विदेश में अपने सामान को बेच सकेंगे। फोन से खाना मंगाने लगेंगे तो घूमने जाने के लिए टैक्सी बुलाने लगेंगे। गरीबों को घर बैठे उनके हिस्से की राशि मिल जाएगी और उनके नाम पर किए जाने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लग जाएगी।

विश्व का बादशाह भारत

किसानों की खेती का तरीका बदल जाएगा। इन सबसे ऊपर यह कि यह मिशन भारत को डिजिटल दुनिया का बादशाह बना देगा। डिजिटल भारत का ही नतीजा है कि पिछले वर्ष 5.63 करोड़ लोगों आयुष्मान भारत के तहत इलाज कराया है। जीडीपी में डिजिटल इकोनाम की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत पहुंच गई, जो 2025 तक 20 प्रतिशत तक हो जाएगी।

सबके लिए समान रूप से उपलब्ध

डिजिटल इंडिया मिशन के तहत किए गए प्रयास का ही नतीजा है कि आज पूरी दुनिया भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) के माडल को अपनाने के लिए इच्छुक दिख रही है। विकसित देश तक भारत के डिजिटल भुगतान की सेवा अपने यहां लांच कर रहे हैं। मिशन डिजिटल इंडिया से जुड़ी सेवाओं की सबसे खास बात यह रही है कि यह लोकतांत्रिक तरीके से अमीर-गरीब, बड़े शहर -छोटे शहर व गांव सबके लिए समान रूप से समान दर पर उपलब्ध रही।

तेजी से फैला इंटनेट

पिछले नौ सालों में मोबाइल फोन व इंटरनेट सेवा का तेजी से प्रसार हुआ। इंटरनेट सेवा के मूल्य को काफी सस्ता रखने से ग्रामीण सेक्टर में तेजी से इंटरनेट का प्रसार हुआ । वर्ष 2015 में 30 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे, जिनकी संख्या अब एक अरब के पार जा चुकी है। सस्ते मोबाइल फोन में कम दरों पर इंटरनेट के उपलब्ध होने से शहरों की तरह ही ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पैठ बन गई और डिजिटल सेवा के मामले में गांव व शहर में कोई फर्क नहीं रह गया ।

योजनाओं को मिला विस्तार

सरकारी योजनाओं की ई-डिलीवरी डिजिटल इकोनामी व डिजिटल सेवा के विस्तार को सरकार ने मोबाइल फोन में इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के बाद ई-सर्विस और सरकारी योजनाओं की ई-डिलीवरी शुरू की। डिजिटल मदद से देशभर के लोगों को आधार से जोड़ा गया और बैंक खाते खोले गए। जन्म प्रमाण-पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण- पुत्र जैसी दर्जनों सेवाओं को घर बैठे उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण इलाके में कामन सर्विस सेंटर खोले गए, जहां से सेवानिवृत्त कर्मचारी बिना शहर के चक्कर लगाए पेंशन जारी रखने के लिए ई-प्रमाण पत्र दे सकते हैं।

दुनिया का डिजिटल बाजार भारत

सरकारी सेवाओं की ई-डिलीवरी के लिए सरकार ने उमंग एप लांच किया और इस पर नागरिक सैकड़ों सरकारी सेवा हासिल करने लगे। देखते-ही-देखते भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डिजिटल बाजार बन गया और फिजिकल व्यापार ई-कामर्स में बदलने लगा। इस साल ई-कामर्स का बाजार 100 अरब डालर के पार जाने का अनुमान है। आनलाइन शिक्षा का कारोबार 3.2 अरब डालर तक पहुंच गया।


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गगनयान से पहले वुमन रोबोट व्योममित्रा अंतरिक्ष में जाएगी

वुमन रोबोट एस्ट्रोनॉट ह्यूमनॉइड व्योममित्रा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन से पहले अंतरिक्ष में उड़ान भरेगी। यह जानकारी दिल्ली में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह दी।

ह्यूमनॉइड का मतलब ऐसे रोबोट से है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से इंसान जैसा बर्ताव कर सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मानवरहित व्योममित्रा मिशन इसी साल जुलाई 2024 के बाद निर्धारित किया गया है। जबकि गगनयान 2025 में भेजा जाना है।

कौन है ह्यूमनॉइड व्योममित्रा

व्योममित्रा संस्कृत के दो शब्दों व्योम जिसका अर्थ है अंतरिक्ष और मित्र से मिलकर बना है। जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह व्योममित्रा मॉड्यूल के पैरामीटर्स की निगरानी करने चेतावनी जारी करने और लाइफ सपोर्ट ऑपरेशन्स कर सकती है। इसे ऐसे डिजाइन किया गया है जिससे यह अंतरिक्ष के वातावरण में मानव कार्यों का अनुकरण कर सके।

ह्यूमनॉइड कैसे काम करता है

ह्यूमनॉइड एक तरह के रोबोट हैं, जो इंसान की तरह चल-फिर सकते हैं। मानवीय हाव-भाव भी समझ सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्रामिंग के जरिए सवालों के जवाब भी दे सकते हैं। ह्यूमनॉइड के दो खास हिस्से होते हैं, जो उन्हें इंसान की तरह प्रतिक्रिया देने और चलने फिरने में मदद करते हैं।

सेंसर- इनकी मदद से आस-पास के वातावरण को समझते हैं। कैमरा, स्पीकर और माइक्रोफोन सेंसर्स से ही नियंत्रित होते हैं। ह्यूमनॉइड इनकी मदद से देखने, बोलने और सुनने का काम करते हैं।

एक्च्यूएटर- खास तरह की मोटर है, जो इंसान की तरह चलने और हाथ-पैरों के मूवमेंट में मदद करती है। इसकी मदद से ह्यूमनॉइड नॉर्मल रोबोट की तुलना में विशेष तरह के एक्शन कर सकते हैं।

भारत के पहले मैन स्पेस मिशन है गगनयान

गगनयान की टेस्ट व्हीकल फ्लाइट-टीवीडी 1 पिछले साल 21 अक्टूबर को हुई थी। इसका मकसद इमरजेंसी में क्रू एस्केप सिस्टम और पैराशूट सिस्टम की टेस्टिंग करना था। लॉन्चिंग व्हीकल मानव रेटिंग पूरी हो गई है। सभी प्रोपल्शन स्टेजेज प्रॉपर वर्किंग हैं। इसकी लॉन्चिंग की सभी तैयारियां हो चुकी हैं।

गगनयान प्रोजेक्ट के तहत अंतरिक्ष यात्रियों के दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेज जाएगा। फिर इन्हें समुद्र में उतारकर पृथ्वी पर वापस लाने की सुरक्षित प्रक्रिया का प्रदर्शन किया जाएगा।

3 स्पेस कंपनियों ने पाई सफलता

अंतरिक्ष में लोगों को घुमाने के लिए दुनिया की 3 स्पेस कंपनियों ने अहम रोल निभाया है। इनमें सबसे पहली रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक (Virgin Galactic), दूसरी जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) और एलन मस्क की स्पेसएक्स (SpaceX) कंपनी है। इन कंपनियों के बाद चीन सहित कई दूसरे देश भी स्पेस टूरिज्म से जुड़े प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं।


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डिजिटल इंडिया और मीडिया।

मुंबई उपभोक्ता जनघोष : मीडिया का सामान्य अर्थ "संचार माध्यम" होता है । मीडिया' शब्द लैटिन भाषा के शब्द मीडियम से निकला है, इसका अर्थ माध्यम है। मीडिया एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। चूँकि मनुष्य स्वभाव से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है एवं वह देश-दुनिया में घटित घटनाओं की जानकारी लेने में रुचि लेता है, अत: उसकी इसी प्रवृत्ति को उल्लेखनीय रूप से शान्त करने के लिए 'मीडिया' का जन्म हुआ। वर्तमान इसका दायरा विस्तृत रूप ले चुका ।

वह दौर ही कुछ था जब मीडिया नहीं हुआ करता था , पर फिर भी लोगों को सूचना मिलती थी और वह शहर में घटने वाले हर घटना से वाकिफ रहते थे। राजा महाराजा के ज़माने में जब प्रजा को सुचना पहुंचाना होता था तब ढोल नगाड़े वालो का इस्तेमाल किया जाता था । यहाँ तक की जब किसी सॉशल इश्यूज जैसे " पेढ़ लगाओ, बेटी पढ़ाओ; बेटी बचाओ " , आदि तब कटपुतली का खेल दिखा कर लोगों को सही गलत का सिख दिया जाता था । 

मीडिया के पहले २ मुख्य प्रकार थे ; ब्रॉडकास्ट मीडिया और प्रिंट मीडिया । ब्रॉडकास्ट मीडिया में आता हैं टेलीविजन और रेडियो । प्रिंट मीडिया में आता है न्यूजपेपर और मैगजींस। अब एक और नया मीडिया जुड़ गया हैं जो की हैं " ऑनलाइन मीडिया " अर्थात " डिजिटल मीडिया " जो इंटरनेट के माध्यम से इस्तेमाल किया जाता हैं। जहाँ हर मिनट एंटरटेनमेंट मौजूद हैं और खबरे भी हर सेकेंड की मिलती हैं। डिजिटल मीडिया एक प्रकार का मीडिया है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, पॉडकास्ट, एप्लिकेशन आदि सहित डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से वितरित सामग्री और प्रचार को कवर करता है। कंपनियां और लोग सूचना स्रोत, मनोरंजन, गेम, व्यवसाय आदि सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग करते हैं। यह व्यापारिक दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी मंच प्रदान करता है। अधिकांश ग्राहक अब बड़े पैमाने पर डिजिटल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। कुछ उद्योग क्षेत्रों में यह संख्या बहुत अधिक है इसलिए व्यावसायिक दृष्टिकोण से डिजिटल मीडिया की समझ और उपयोग बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

डिजिटल मीडिया में आने वाले माध्यम हैं इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर, व्हाट्सएप , इत्यादि। जिसके प्रयोग से लोग घर बैठे पैसे कमाते हैं जैसे ब्लॉगिंग और ब्लॉगिंग ; Vlogging :– व्लॉगिंग का मतलब होता है वीडियो के फॉर्म में कंटेंट क्रिएट करना जिस में हम वीडियो रिकॉर्ड करते है और Bloging Meaning हैं अपने विचारों, भावनाओं, ज्ञान या किसी भी जानकारी को लिखकर डिजिटल माध्यम के द्वारा लोगों तक पहुँचना ।

 देश बदल रहा हैं अपने नए टैगलाइन के साथ – पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया । आज हर किसी के पास स्मार्टफोन होना उतना ही अनिवार्य है जितना की पढ़ाई करना क्योंकि हर किसी के प्रॉब्लम का सॉल्यूशन फोन में ही हैं। बैंक से काम से लेकर सरकारी डॉक्यूमेंटेशन , फ़ोन कॉल से लेकर वीडियो कॉलिन और एसएमएस से लेकर पिक्चर मैसेज।

#UJNews आप सभी को डिजिटल मीडिया का उसे करके अपने आप को नए पड़ाव पर चलने को कहना चाहता हैं ।

Edit By Priya Singh

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क्या भारत में दो टाइम ज़ोन होने चाहिये?

साल 2002 से संसद के हर सत्र में बार-बार दोहराया गय सवाल है; क्या भारत में दो समय क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव है और इसे लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? सबसे पहले ये सवाल मार्च 2002 में उठाया गया था, उस वर्ष के अगस्त में प्रश्न को प्रभावी ढंग से सुलझा लिया गया था। उस वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गठित एक 'उच्च स्तरीय समिति' ने इस मुद्दे का अध्ययन किया था और निष्कर्ष निकाला था कि कई ज़ोन 'कठिनाइयों' का कारण बन सकते हैं जो "एयरलाइंस, रेलवे, रेडियो, टेलीविज़न" और टेलीफोन सेवाएं” के सुचारू कामकाज को बाधित करेंगे। इसलिए एकीकृत समय के साथ जारी रखना सबसे अच्छा था।

 

भारत पूर्व से पश्चिम तक लगभग 3000 किमी तक फैला हुआ है। देश के पूर्वी और पश्चिमी छोरों के बीच लगभग 28 डिग्री देशांतर है जिसके परिणामस्वरूप पश्चिमी और पूर्वी बिंदु के बीच लगभग दो घंटे का अंतर होता है। भारतीय मानक समय (उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में 82.5′ ई देशांतर के आधार पर गणना की गई), अधिकांश भारतीयों को प्रभावित नहीं करता है, सिवाय उन लोगों को छोड़कर जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में रहते हैं जहां सूरज गर्मियों में सुबह 4 बजे के आसपास उगता है, और शाम 4 बजे से पहले सर्दियों में अंधेरा हो जाता है। इसलिए, पूर्वोत्तर क्षेत्र ने लंबे समय से उनके जीवन और उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर एकल समय क्षेत्र के प्रभाव के बारे में शिकायत की है।

 

हाल ही में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल), जो भारतीय मानक समय (आईएसटी) को बनाए रखती है, ने भारत में दो समय क्षेत्रों और दो आईएसटी का सुझाव देते हुए एक शोध प्रकाशित किया: अधिकांश भारत के लिए आईएसटी-I और आईएसटी- II के लिए उत्तर-पूर्वी क्षेत्र - एक घंटे के अंतर से अलग। दो समय क्षेत्रों की मांग इसलिए बढ़ी क्योंकि उत्तरपूर्वी भारत और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अपने भूगोल के कारण, देश के बाकी हिस्सों की तुलना में जल्दी सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं।

 

लेकिन घड़ियां इसके लिए जिम्मेदार नहीं थीं और आधिकारिक काम के घंटे हर जगह समान थे, सुबह के समय मूल्यवान काम के घंटे खराब होने और इन क्षेत्रों में शाम के घंटों में अनावश्यक बिजली की खपत हुई इसलिए, व्यापक रूप से प्रचलित यू.एस. के पांच समय क्षेत्र और रूस के 11 के आधार पर भारत में भी कई टाइम जोन लागू करने की बात सामने आई। मगर विशेषज्ञ समिति ने, कई समय क्षेत्रों का समर्थन नहीं करते हुए, सिफारिश की कि पूर्वी राज्यों में काम के समय को एक घंटे आगे बढ़ाया जाए, ताकि सुबह के घंटों का "लाभदायक उपयोग" किया जा सके और इसमें संबंधित अधिकारियों द्वारा इस संबंध में केवल प्रशासनिक निर्देश शामिल होंगे।

 

लेकिन दो समय क्षेत्रों के लाभ अपनी जगह है हम उनको नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते; इससे कार्यबल के बीच और ऊर्जा की खपत में अधिक दक्षता आएगी। ऊर्जा की खपत में कमी से भारत के कार्बन फुटप्रिंट में काफी कमी आएगी, जिससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने के भारत के संकल्प को बढ़ावा मिलेगा। प्राकृतिक चक्रों के अनुसार दो अलग-अलग समय क्षेत्र होने से आर्थिक लाभ होते हैं क्योंकि लोग बेहतर काम करने और बेहतर योजना बनाने में सक्षम होंगे। कई सामाजिक नीतिगत उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है जैसे सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और महिलाओं की सुरक्षा में सुधार करना।

 

दूसरी तरफ दो समय क्षेत्र होने की समस्या को देखे तो दो टाइम जोन होने से रेल हादसों की संभावना बढ़ जाएगी। रेलवे सिग्नल पूरी तरह से स्वचालित नहीं हैं, और कई मार्गों में सिंगल ट्रैक हैं। समय क्षेत्र के प्रत्येक क्रॉसिंग के साथ घड़ियों को रीसेट करना। दो समय क्षेत्र होने पर कार्यालय समय के बीच ओवरलैप कम हो जाता है। बैंकों, उद्योगों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को नए समय क्षेत्रों में समायोजन करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। दो जोन की डिवाइडिंग लाइन को चिह्नित करने में दिक्कत होगी। दो समय क्षेत्रों के प्रतिकूल राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि भारत धर्म, जाति, नस्ल, भाषा आदि के आधार पर विभाजित होने के अलावा, अब समय क्षेत्र की तर्ज पर विभाजित हो जाएगा।

 

भारतीय समय क्षेत्र के संबंध में सभी पहलुओं पर नए सिरे से विचार करने के लिए परामर्श की प्रक्रिया शुरू करना समय की मांग है। आईएसटी को आधे घंटे आगे सेट करने के कुछ शोधकर्ताओं के प्रस्ताव की जांच की जा सकती है और बहस की जा सकती है। इसका मतलब होगा कि आईएसटी को 82.5 डिग्री पूर्व से 90 डिग्री पूर्व में आगे बढ़ाना, जो पश्चिम बंगाल-असम सीमा के साथ एक देशांतर पर होगा, असम की मांग को पूरा करने में किसी तरह से मदद करेगा और उत्तर-पश्चिमी भारत से संबंधित असुविधाओं के बारे में संभावित शिकायतों से बचने में मदद करेगा। यदि अलग मानक समय की व्यवस्था से मानव श्रम का उचित प्रबंधन और बड़ी मात्रा में बिजली की बचत की जा सकती है तो इस संबंध में विचार किये जाने की आवश्यकता है।

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स्मासर्टफोन खरीदने से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान

आज के डिजिटल युग में स्मार्टफोन न केवल शौक बल्कि जरूरत भी बन गया है। ऑनलाइन शॉपिंग, बिल भुगतान, टिकट बुकिंग, सरकारी योजनाओं की जानकारी, ईमेल आदि सभी कुछ इस छोटे से यंत्र में समा चुका है। सही मायनों में काफी हद तक इसने कंप्यूटर को भी रिप्लेस कर दिया है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण आज मोबाईल के दाम काफी कम हो गए हैं।

 

अगर आप भी स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं या अपने पुराने फोन को बदलना चाहते हैं तो जरूरी है कि कुछ विशेष बातों पर ध्यान दें जैसेकि कंपनी, हार्डवेयर, आॅपरेटिंग सिस्टम, फीचर्स, रैम, मेमोरी, बैट्री, आफ्टर सेल्स सर्विस आदि ताकि आपके पैसों की सही कीमत मिले तथा भविष्य में आपको परेशानी भी न उठानी पड़े। कम कीमत में अधिक फीचर्स व स्पेसिफिकेशन्स पाने के लिए स्मार्टफोन का चुनाव करते समय पांच बातों का ध्यान रखें...

 

साइज 

आप अपनी सुविधानुसार 4-5 इंच का फोन चुन सकते हैं। चूंकि इससे बड़े साइज के फोन को रखना असुविधाजनक हो सकता है। अल्मोड व आईपीएस डिस्प्ले अच्छी मानी जाती है। 5 इंच से बड़ी डिस्प्ले एचडी (720गुणा1280) तो 5 इंच तक की डिस्प्ले फुल एचडी (1920गुणा1080) होनी अच्छी मानी जाती है।

 

प्रोसेसर, रैम व मेमोरी 

फोन ऑक्टासकोर या क्वाडकोर प्रोसेसर और कम से कम 2 जीबी रैम वाला हो। फोन की इंटरनल मेमेारी कम से कम 16 जीबी हो व उसमें मेमोरी काॅर्ड स्लाॅट भी हो तो अच्छा रहेगा।

 

ऑपरेटिंग सिस्टैम

बाजार में एंड्रायड, विंडोज व आईओएस ऑपरेटिंग सिस्ट्म और फायरफॉक्सच, सायोनोजे़न आदि साफ्टवेयर वाले फोन मिल रहे हैं। नये वर्जन वाले ओएस का फोन लें जैसे हो सके तो एंड्रायड 5.0 लॉलीपॉप वर्जन लें। चैक करें कि भविष्य में उसमें कोई अपग्रेड मिलेगा या नहीं। आईओएस वाले आईफोन काफी महंगे और इसके सभी एप्स पेबेल होने से एंड्रायड या विंडोज वाले फोन पर जा सकते हैं। एंड्रायड फोन में एप्स काफी मिल जाते हैं वो भी मुफ्त जबकि विंडोज फोन में आवश्यकतानुसार कम ही एप्स होते हैं।

 

कैमरा, बैटरी व कनेक्टिीविटी 

फोटोग्राफी का शौक है तो फोन का कैमरा 8-13 मेगापिक्सल का लें। कैमरे की गुणवत्ता, एलईडी फ्लैश और अन्य कैमरा फीचर्स को भी अच्छे से चैक कर लें। बैटरी कम से कम 2800 एमएएच की हो तो अच्छा रहेगा। यदि आप टूर पर रहते हैं तो रिमूवेबल बैटरी वाला फोन लें ताकि बैटरी रिपलेक्स की जा सके। अपनी सुविधा एवं बजट के हिसाब से फोन डबल सिम, सी.डी.एम.ए., जी.एस.एम., 3जी, 4जी आदि चुनें।

 

वारंटी व सर्विस सेंटर 

अधिकतर फोन एक साल की वारंटी के साथ मिलते हैं। पर घर के पास सर्विस सेंटर का न होना या फिर सपोर्टिंग रेप्युटेशन ठीक न होने पर वारंटी का भी कोई महत्व नहीं रहता। फोन एक्सेसरीज और मार्केट में स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता आदि को अच्छे से चैक कर लें। हो सके तो मोबाइल की डमी से उसकी लुक, डिजाइन, बिल्ड क्वालिटी, पोट्र्स व बटन प्लेसमेंट आदि को पहले से ही देखकर जांच लें।

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इन पांच एक्सरसाइज से तेज हो जायेगी स्मार्ट फोन की नेट स्पीड

भारत की नयी जेनरेशन के पास कम कम एक स्मार्ट फोन तो है। यह अच्छी बात है। इससे भी अच्छी बात यह है कि हर स्मार्ट फोन में इंटरनेट की सुविधा है और लगभग हर कोई किसी न किसी सोशल प्लेटफॉर्म से जुड़ा हुआ है। लेकिन सिर दर्द यह कि फोन स्मार्ट होने के बावजूद इंटरेनट स्पीड स्मार्ट नहीं है। कहने भर को 3जी, 4जी आ गया है, लेकिन स्पीड 2जी भी नहीं मिल पाती। कारण बहुत से हैं, लेकिन स्मार्ट फोन के इंटरनेट की स्पीड कुछ मामूली एक्सरसाइज करने से बढ़ सकती है। वो कौन-कौन सी एक्सरसाइज हैं हम आपको बता रहे हैं...

 

नेट यूज करने के बाद एंटीवायरस जरूर चलाएं

स्मार्टफोन के इंटरनेट ब्रॉउजर को वायरस का खतरा सबसे अधिक होता है। वायरस सबसे पहले इंटरनेट की स्पीड को कम कर देता हैं। इसलिए दिन में एक बार करें की वायरस स्कैनर से फोन को स्कैन करें।

 

अलर्ट पर ध्यान रखें और एप्स को अपडेट करते रहें

फोन पर आये हुए अपडेट को अनदेखा कर देते है, इस वजह से ब्रॉउजर सही से सपोर्ट नहीं करता और नेट की स्पीड धीमी हो जाती है। अपडेट के जरिए छोटी-छोटी कमियों को दूर कर ब्राउजिंग को बेहतर बनाया जा सकता है।

 

डाउनलोड्स फोल्डर भी स्कैन और क्लीन रखें

इंटरनेट से हम अधिकतर कुछ न कुछ डाउनलोड करते हैं। ऐसे में डाउनलोड फोल्डर भर जाता है और स्पीड कम हो जाती है।

 

इंटरनल स्पेस खाली रखें

स्मार्टफोन प्रयोग के दौरान इंटरनल मैमारी को जितनी खाली रहेगी फोन की परफॉर्मेंस उतनी अच्छी रहेगी। 

 

टैंपररी फाइल्स डिलीट करते रहें

इंटरनेट बूस्टर और एंड्रॉयड ऑप्टिमाइजर जैसे एप्लिकेशंस से टैंपररी फाइल्स को डिलीट करने भी इंटरनेट स्पीड बढ़ जाती है।

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इन स्मार्ट चार्जिंग टिप्स से बेहतर होगी फोन की परफॉर्मेंस

यूं तो स्मार्टफोन की बैटरी लाइफ बढ़ाने के लिए ढ़ेरों टिप्स अब तक आप पढ़ ही चुके होंगे, लेकिन फोन की बैटरी बचाने के तरीकों के अलावा और क्या उपाय हो सकता है फोन की बैटरी लाइफ बढ़ाने का सोचा है आपने? दरअसल फोन की बैटरी लाइफ बढ़ाने से ज्यादा अगर फोन को सही और स्मार्ट तरीकों से चार्ज करने पर ध्यान दिया जाएं तो सही मायने में आपको स्मार्टफोन सुरक्षित होगा। आज हम आपको अपने स्मार्टफोन की बैटरी चार्ज करने के कुछ ऐसे ही स्मार्ट तरीके सुझाएंगे, जिनसे फोन की बैटरी ज्यादा दिन तक चलेगी, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आपको स्मार्ट चार्जिंग के टिप्स दिए देंगेः


अनब्रांडेड या दूसरे चार्जर से बचें: फोन हमेशा अपने ही चार्जर से चार्ज करें यानि स्मार्टफोन खरीदते समय जो चार्जर साथ मिला है उसी से फोन को चार्ज करें। अनब्रांडेड या दूसरे फोन का चार्जर आपके फोन की बैटरी लाइफ को नुकसान पहुंचाता है जबकि सेल्स पैक में साथ मिला चार्जर उतना ही वोल्टेज फोन को देगा जितने की उसे जरूरत है, इतना ही नहीं जहां तक हो सकें मल्टी चार्जिंग से बचें। बहुत बार लोग कार या घर में फोन को चार्ज करने के लिए उसे मल्टी चार्जर पर लगा देते हैं इससे भी फोन की बैटरी डैमेज होती है।


पूरा डिस्चार्ज होने से पहले चार्ज करें: बहुत लोग सोचते हैं कि फोन की बैटरी जितना खींच सकती है खींचो, कुछ लोग मानते हैं कि फोन को हफ्ते में एक बार पूरी तरह डिस्चार्ज करके फुल चार्ज करना चाहिए, लेकिन यह सही तरीके नहीं हैं। ध्यान दें कि फोन बार-बार डिस्चार्ज न हो। एक टेक फर्म के अनुसार आपके फोन के लिए आइडियल चार्जिंग का प्रतिशत 40-80 फीसदी होना ज्यादा बेहतर साबित होता है और पूरी तरह डिस्चार्ज बैटरी से स्मार्टफोन की क्षमता घटती है।


फोन को चार्जर ओनली मोड पर चार्ज करें: लोग अक्सर अपना चार्जर जब कहीं भूल जाते हैं तो यूएसबी केबल से फोन को चार्ज करते हैं लेकिन यहां भी स्मार्ट चार्जिंग की जरूरत पड़ती है। ध्यान रखें कि यूएसबी से चार्जिंग के टाइम डाटा ट्रांसफर न करें और फोन को चार्जर ओनली मोड पर रखकर ही चार्ज करें, इससे टाइम तो बचेगा ही साथ ही फोन की परफॉर्मेंस भी ठीक रहेगी।


पुरानी बैटरी का उपयोग न करें: आप स्मार्टफोन के साथ मिली बैटरी को साल दर साल इस्तेमाल करते रहते हैं पर शायद आपको पता नहीं कि बैटरी यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार एक साल के इस्तेमाल के बाद बैटरी की कार्यक्षमता घटने लगती है। इसलिए अगर बैटरी एक साल से ज्यादा पुरानी हो गई है तो उसे बदल दें क्योंकि वही पुरानी बैटरी से चार्जिंग में न केवल टाइम ज्यादा खर्च होगा साथ ही बैकअप भी कम हो जाएगा।


कॉमन चार्जर से बैटरी चार्ज न करें: मार्केट में ऐसे बहुत से इलेक्ट्रोनिक्स आइटम्स है जिनको चार्ज करने के ले एक समान चार्जर का इस्तेमाल होता है यानि कॉमन चार्जर का प्रयोग होता है,लेकिन याद रखें की सभी इलेक्ट्रोनिक्स गैजेट्स एक समान वोल्टेज पर चार्ज नहीं होते क्योंकि प्रत्येक डिवाइस में वोल्टेज का स्केल अलग होता है। इसलिए कॉमन चार्जर से चार्ज करने पर इलेक्ट्रोनिक्स डिवाइस को क्षति पहुंचती है। इनके प्रयोग से बचें।



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जियाओमी रेडमी नोट की खास बातें

चीनी स्मार्टफोन कंपनी जियाओमी ने अपने रेडमी नोट को 2 वेरिएंट- डुअल सिम (2जी $ 3जी) और सिंगल सिम (4जी कनेक्टिविटी) वेरिएंट में भारत में लांच कर दिया है। सूचना के अनुसार रेडमी नोट को 2 दिसंबर को फ्लिपकार्ट पर सेल के लिए उतारा जाएगा जिसके लिए रेजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। लेकिन इसे खरीदने से पहले कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जरूर जान लें कि आखिर क्या खास है इस डिवाइस में।


जानिए डिस्प्ले, डिजाइन व प्रोसेसर की क्षमता

जियाओमी रेडमी नोट में 5.5 इंच का एचडी आईपीएस एलसीडी डिस्प्ले है जो कि 720गुणा1280 पिक्सल का रेजोल्यूशन प्रदान करने में सक्षम है। कंपनी द्वारा रेडमी नोट के डिस्प्ले को कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास3 की सुरक्षा भी प्रदान की गई है। जियाओमी रेडमी नोट का वजन केवल 199 ग्राम है और इसकी डायमेंशंस 154गुणा78.7गुणा9.5एमएम हैं। डिजाइन के मामले में भी यह डिवाइस काफी हद तक आकर्षक है। प्रोसेसर के मामले में रेडमी नोट के डुअल सिम वेरिएंट में 1.7 गीगा हट्र्ज ऑक्टा कोर मीडिया टेक प्रोसेसर है जबकि 4जी वेरिएंट में 1.6 गीगा हट्र्ज क्वालकॉल स्नैपड्रैगन400 सीपीयू प्रोसेसर है। डिवाइस के दोनो वेरिएंट में ही 2जीबी का रैम है जो इस डिवाइस को बेहतर स्पीड में चलाने के लिए सक्षम है।


कितना है एंड्रायड

एंड्रायड की बात करें तो जहां डुअल सिम वेरिएंट में एंड्रायड का 4.2 जेली बीन वर्जन है वहीं दूसरी ओर 4जी वाले वेरिएंट में एंड्रायड 4.4.2 किटकैट वर्जन है। फिलहाल कंपनी ने इन दोनों एंड्रायड को अपडेट करने की कोई आधिकारिक घोषणा तो नहीं की है लेकिन संभावना है कि एमआई सीरीज के स्मार्टफोन को एंड्रायड 5.0 लॉलीपॉप अपडेट मिलने के बाद रेडमी नोट के दोनों वेरिएंट को भी यह नया अपडेट प्राप्त हो सकता है।


कैमरा क्वालिटी कैसी होगी

जियाओमी रेडमी नोट के दोनों वेरिएंट में 13 मेगापिक्सल का रियर कैमरा है जिसे एफ/2.2 के अपर्चर व एलईडी फ्लैश का सपोर्ट मिला है। यह कैमरा 1080 पिक्सल के रेजोल्यूशन वाली एचडी वीडियो रेकार्डिंग करने में सक्षम है। इसके अलावा दोनो वेरिएंट में 5 मेगापिक्सल का फ्रंट कैमरा भी है।


बैटरी बैकअप

जियाओमी रेडमी नोट में 3, 100 एमएएच की लीथियम आयन पॉलिमर 2ए बैटरी है जिसे डिवाइस से अलग भी किया जा सकता है। उम्मीद है कि यह बैटरी डिवाइस को अच्छा पॉवर बैकअप देने में सक्षम साबित होगी। जियाओमी रेडमी नोट का फिलहाल केवल 3जी वेरिएंट 2 दिसंबर को फ्लिपकार्ट पर बिक्री के लिए उतारा जाएगा जिसकी कीमत कंपनी ने 8, 999 रुपये लगाई है।

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व्हाट्सएप, वी-चैट और स्काइपः क्या हैं फायदे और कितने हैं नुकसान

आज के बढ़ते हुए दौर में शायद ही कोई ऐसा स्मार्टफोन या मल्टीमीडिया मोबाइल होगा जिसमें इंस्टैंट मैसेंजर - व्हाट्सएप, वी-चैट, निम्बज व स्काइप जैसी सुविधा ना हो। आज हर कोई इन एप्स के जरिये लोगों से जुड़ रहा है। यह ट्रेंड बहुत तेजी से लोगों के बीच फैल गया है। सिर्फ निजी ही नहीं बल्कि व्यवसायिक तौर पर भी इन मैसेंजर का इस्तेमाल काफी बड़े पैमाने पर हो रहा है। यह मैसेंजर आपको इंटरनेट के माध्यम से फ्री मैसेजिंग, ऑडियो व वीडियो कॉलिंग, इमेज व वीडियो शेयरिंग, इत्यादि सुविधाएं देते हैं। इसके अलावा आप अपनी लोकेशन शेयर कर सकते हैं और साथ ही अपने दोस्त की भी लोकेशन का पता लगा सकते हैं।


इंस्टैंट मैसेजिंग एप्स आपके आइओएस, एंड्रायड व विंडोज मोबाइल पर आसानी से चलते हैं। इन मैसेंजर की सबसे अच्छी खासियत है इनकी तेजी से मैसेज पहुंचाने की क्षमता। आपने अपने मोबाइल से अभी सेंड का बटन बस दबाया ही था कि एक सेकेंड के अंदर वह मैसेज दूसरे व्यक्ति के स्क्रीन पर फ्लैश भी हो गया। इसके साथ ही अनगिनत फायदे देने वाले इन मैसेंजर को आप इंटरनेट द्वारा मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।


अपने मनोरंजन के अलावा इंस्टैंट मैसेजिंग एप्स आपको व्यापार से जुड़े कायरें में भी खासा मदद करते हैं। कुछ समय पहले तक दुनिया भर में मशहूर रहे मैसेंजर याहू व एमएसएन ने व्यापार जगत में लोगों को एक-दूसरे से जुड़े रहने में काफी योगदान दिया था। इन मैसेंजर के जरिये आप आसानी से गु्रप चैट कर सकते हैं जो आपको विभिन्न मुद्दों व प्रॉजेक्ट पर चर्चा करने में मदद करता है। मैसेंजर कोई भी हो, अंत में यह आपको कई तरह के फायदों से रूबरू कराते हैं जैसे कि आप हर समय सोशल साइट पर अपने दोस्तों, रिश्तेदारों व व्यवसाय-संबंधी लोगों से जुड़े रहते हैं।


यदि आप एक कंपनी दृष्टिकोण से सोच रहे हैं तो यह मैसेंजर आपको ढेर सारे फायदे देते हैं। इन पर मौजूद वीडियो कॉलिंग के ऑप्शन से आप दूर बैठे अपने क्लाइंट से आमने-सामने होकर बात कर सकते हैं या फिर एक कॉंफ्रेंस भी कर सकते हैं। यह सभी सुविधाएं आपके काम की उत्पादकता को बढ़ाती हैं व समय और पैसे को भी बचाती हैं। इसके साथ ही आप यदि व्यापार के सिलसिले से देश या शहर से बाहर गए हैं तो इन मैसेंजर की मदद से आप सबसे जुड़े रह सकते हैं।


कई विशेषताओं के होते हुए भी इन मैसेंजर में कुछ कमियां भी आंकी गई हैं। जैसे कि इनके ज्यादा इस्तेमाल से एक कंपनी की नेटवर्क बैंडविड्थ पर फर्क पड़ता है। इसके अलावा इन मैसेंजर द्वारा कई तरह के इंटरनेट वायरस का भी खतरा रहता है। साथ ही यदि कर्मचारियों को बिना रोक-टोक के मैसेंजर इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी जाए तो वो काम करने की बजाय अपने दोस्तों व रिश्तेदारों के साथ बातें करने में ज्यादा व्यस्त हो जाएंगे।


आपकी कही बात या आपका भेजा हुआ मैसेज कितनी सुरक्षा से रिसीवर तक पहुंचता है इस बात की कोई गारंटी नहीं है और यह बेहद गौर करने वाली बात है। मैसेंजर के लगातार इस्तेमाल से इंटरनेट व बैट्री भी काफी खर्च होती है। यह कुछ मुद्दे यदि साफ हो जाएं तो इन सुविधाओं को आप बेझिझक आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।




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