मैं कर्नाटक की हिजाब गर्ल हूं

पिछले साल कर्नाटक की हिजाब गर्ल खूब चर्चा में रही। दुनियाभर में सुर्खियां बटोरीं। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में जिरह हुई। सोशल मीडिया पर मीम्स बने। कई लोगों ने तारीफ की, विदेश में पढ़ाई के ऑफर मिले, तो कुछ लोगों ने विरोध भी किया।

मैं वहीं हिजाब गर्ल मुस्कान खान हूं। जिसने अपने कॉलेज में कुछ हिंदू कट्टरवादी लड़कों के जय श्री राम का नारा लगाने पर अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए थे। उसके बाद दुनियाभर में मेरी वाहवाही तो हुई, लेकिन जिस दौर से मैं और मेरा परिवार गुजरा, वो कभी भूल नहीं सकती।

मैं कर्नाटक के मंडेया की रहने वाली हूं। फिलहाल बीकॉम सेकेंड ईयर में हूं। मेरे तीन भाई-बहन हैं। अब्बू का अपना बिजनेस है। मां घर पर रहती हैं। अब्बू ने हमेशा हम भाई-बहनों को पढ़ाने पर जोर दिया। अब्बू का कहना था कि पढ़-लिखकर लड़कियां अपने पैरों पर खड़ी हो जाएं, तो फिर उन्हें किसी के आसरे नहीं रहना पड़ेगा।

10वीं के बाद मेरे साथ की ज्यादातर लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी। उनकी शादी कर दी गई, लेकिन मैंने कॉलेज में दाखिला लिया, क्योंकि हमारे लिए पढ़ाई और परिवार ही सब कुछ था। राजनीति और किसी तरह की दुनियादारी से कोई वास्ता नहीं था।

उस दिन कॉलेज में जो हुआ, उस पर हर किसी ने मुझ पर कमेंट किए। रिश्तेदार अब्बू से कह रहे थे कि इसे कॉलेज क्यों भेजा, हंगामा हो गया न, इन सब चीजों की क्या जरूरत थी…? पर अब्बू ने मेरा साथ दिया। हिम्मत बनकर वे मेरे साथ खड़े रहे। कोई और होता तो शायद पढ़ाई छुड़वा देता, कॉलेज भेजना बंद करा देता, लेकिन अब्बू ने कहा कि तुमने जो किया ठीक किया।

दरअसल, सारा विवाद शुरू होता है हिजाब से। इस्लाम इल्म की इजाजत देता है। औरत को आजादी देता है। मुझे लगता है कि हिजाब डालना या नहीं डालना उसकी निजी चॉइस है। कोई किसी पर थोप नहीं सकता है।

हम कभी भी स्कूल या कॉलेज बुर्का पहन कर नहीं गए। घर से बुर्का पहनकर जाते थे और कॉलेज में हमें ड्रेस बदलने के लिए एक कमरा दिया गया था। वहां बुर्का निकाल कर हम सिर पर स्कार्फ बांध लेते थे। जो लड़कियां स्कार्फ नहीं बांधती थीं, वे कंधे पर दुपट्टा लेती थीं। कभी उस अनुशासन को नहीं तोड़ा।

बीते साल की बात है। बड़े भाई का रोड एक्सीडेंट हो गया था। उसे सिर में गहरी चोट आई थी। वह सीरियस था। कुछ कहा नहीं जा सकता था। हम सब डिप्रेशन में थे। दिन-रात रोते और दुआ करते बीतता था। घर में मातम जैसा माहौल था। इसी वजह से कई दिनों से मैं स्कूल भी नहीं जा पा रही थी।

एक दिन मेरी क्लासमेट का फोन आया कि इकोनॉमिक्स का असाइनमेंट जमा करने की कल आखिरी तारीख है। मेरा ध्यान तो भाई में ही था, कोई तैयारी की नहीं थी। मैंने फौरन अपनी स्कूटी निकाली और कॉलेज पहुंच गई।

मुझे पता नहीं था कि कॉलेज में क्या चल रहा है। मैंने गेट पर स्कूटी खड़ी की। उस वक्त कुछ लड़के मुझे घूर रहे थे और जय श्री राम के नारे लगा रहे थे। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं अंदर गई तो वे कहने लगे कि बुर्का निकालो, बुर्का निकालो, निकालो इसे।

जबकि मैंने चूड़ीदार सूट के साथ हिजाब पहना था। वहां सिर्फ मैं और नारा लगा रहे लड़के ही मौजूद थे। बाकी कोई और नहीं था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। फिर वे लोग एकदम मेरे सामने आ गए। नारेबाजी करने लगे। इस पर मैंने भी चिल्ला कर बोल दिया अल्लाह हू अकबर..अल्लाह हू अकबर...अल्लाह हू अकबर।

इससे वे लोग और गुस्से में आ गए, लेकिन मैं डरी नहीं। सच बताऊं, तो मुझे नहीं पता कि उस वक्त मुझे कहां से हिम्मत आई थी।

मैंने यह सब पहली बार देखा था। ऐसी भीड़ से पहली बार सामना हुआ था। मुझे अंदर से इतना गुस्सा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती। मेरा दिल जार-जार रो रहा था कि मेरा भाई बिस्तर पर है, उसकी जिंदगी खतरे में है और ये लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। मुझे परेशान कर रहे हैं। इसी बीच एक टीचर आए और मुझे कॉलेज के अंदर ले गए।

मैं कॉलेज में ही थी। इसी बीच मेरा वीडियो वायरल हो गया। एक सहेली ने बताया कि मुस्कान तेरा वीडियो यूट्यूब पर आ रहा है, मैंने ध्यान नहीं दिया। इतने में पता लगा कि कॉलेज में धारा 144 लग गई है। एक दोस्त ने मैसेज किया कि मुस्कान तुम टीवी पर आ रही हो, मैंने तब भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

मुझे प्रिंसिपल ने बुलाया और पूछताछ की। मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया। थोड़ी देर बाद पुलिस भी आ गई। मुझे देखकर पूछने लगे कि तुम्हीं हो न वो? फिर मैंने अब्बू को फोन लगाया। उन्हें बताया कि मेरे साथ ऐसा-ऐसा हुआ है। अब्बू ने कहा कि कोई बात नहीं, तुम घर आ जाओ।

मैं घर पहुंची तो मेरा ही इंतजार हो रहा था। अब्बू के दोस्त भी घर पर ही थे। वे कह रहे थे कि देखो तुम्हारी बेटी ने क्या किया है। कैसे मीडिया में आ रही है। मैंने अब्बू को सारी बात बताई। मां लगातार रो रही थीं। वे कह रही थीं कि तुमने ऐसा क्यों किया, तुम्हें कुछ हो जाता तो…।

मैंने टीवी ऑन किया। मेरा ही वीडियो टीवी पर चल रहा था। इसी बीच मीडिया वाले भी घर आ गए। मीडिया वालों की कतार लग गई। सब आवाज दे रहे थे कि मुस्कान को बाहर भेजो, मुस्कान को बाहर भेजो। मुस्कान बताओ आखिर हुआ क्या था, घटना की जानकारी दो।

इस पर पहले तो अब्बू ने मुझे मना कर दिया कि कुछ कहना नहीं है, कहीं जाना नहीं है। इधर मीडिया की भीड़ बढ़ती जा रही थी। वे वापस जाने को तैयार नहीं थे। फिर अब्बू के कहने पर मैं बाहर आई और मीडिया को सारी बात बताई।

इसके बाद तो हर दिन मीडिया वाले घर आने लगे। विदेशी मीडिया वाले भी बहुत आए। हम लोग पागल हो गए थे, परेशान हो गए थे रोज-रोज एक ही सवाल का जवाब देते-देते।

खैर उस घटना के बाद अल्लाह ने दुनिया में इतनी इज्जत दी, इतनी शोहरत दी कि मेरे पास शब्द नहीं हैं। हर जगह से मुझे दुआएं और तारीफें मिल रही थीं। कॉलेज में जो मेरी नॉन मुस्लिम दोस्त थीं, वे भी फोन करके बोल रही थीं कि मुस्कान तुमने अच्छा किया है।

हालांकि ये एक पक्ष था, जो दुनिया को दिख रहा था। एक दूसरा पक्ष भी था जिससे सिर्फ मैं और मेरा परिवार ही गुजर रहा था। मेरे खिलाफ समाज का एक तबका खड़ा हो गया था। हमारे अपने ही हमें कोस रहे थे। पापा को ताने मार रहे थे। कई कट्टरवादी लोग धमकी भी दे रहे थे।

घर में सभी लोग डर गए थे। कई महीने हम सोए नहीं, ठीक से खाना नहीं खाया, अम्मी हमेशा कहती थी कि तूने ऐसा क्यों किया। कोई तुम्हारे साथ कुछ गलत कर देगा तो क्या होगा, हम कहां जाएंगे..वगैरह, वगैरह। खैर इस घटना के बाद मैंने रेगुलर कॉलेज जाना छोड़ दिया था। पढ़ाई डिस्टर्ब हो गई। अब मैं ओपन स्टडी कर रही हूं।

मुझे कई विदेशी यूनिवर्सिटीज से पढ़ाई के लिए ऑफर आए, लेकिन मैं परिवार को छोड़कर नहीं जा सकती। मुझे भारत पसंद है, अपने देश से प्यार है और मुझे यहीं रहना है। यहां जिन कॉलेजों से मुझे पढ़ने के लिए ऑफर आए, वहां मेरे सब्जेक्ट नहीं थे। इसलिए मैंने घर पर ही रहकर ओपन स्टडी करना शुरू किया।

अब्बू मुझे शेरनी बुलाते थे और आज भी कहते हैं कि तुम सच में शेरनी हो। इतनी हिम्मत उन लड़कियों में ही होती है, जिनके पापा उनका साथ देते हैं। मैं अगर पढ़ी-लिखी नहीं होती तो रोकर या डरकर भाग जाती, लेकिन मैं जानती हूं कि मेरे अधिकार क्या हैं।

मुझे लगता है कि मैं उस कॉलेज की स्टूडेंट थी और लड़के भी उसी कॉलेज के स्टूडेंट थे। अगर उन्हें जय श्री राम कहने का हक था तो मुझे भी अल्लाह हू अकबर कहने का हक था। जैसा उनका हक, वैसा मेरा हक।

आज सब ठीक हो चुका है। मैंने उन लड़कों को भी माफ कर दिया है। उनसे कोई रंजिश नहीं है। एक और बात, यहां की पुलिस और सरकार ने हमारा साथ दिया। आज भी हम कहीं जाते हैं तो उन्हें बताकर जाते हैं। वे लोग हमारी हिफाजत करते हैं।

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राहुल गांधी का अब क्या होगा

नई दिल्ली: राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहे। शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951’ की धारा 8 के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है।

एक दिन पहले, यानी गुरुवार को सूरत की कोर्ट ने उन्हें मानहानि का दोषी पाया और 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। राहुल ने 2019 के चुनावी भाषण में मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी। इसी मामले में उन पर मानहानि का मुकदमा चल रहा था। सूरत कोर्ट ने इसी पर फैसला सुनाया था। हालांकि उन्हें फौरन जमानत भी दे दी थी।

सांसदी जाने के बाद राहुल गांधी के पास अब क्या रास्ते हैं, 

सवाल 1: राहुल की संसद सदस्यता खत्म करने के फैसले को क्या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?

जवाब : राहुल गांधी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। भारतीय संविधान में अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकते हैं और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं।

इसे 2022 के आखिरी महीनों में UP की रामपुर सीट से सपा विधायक आजम खान के केस के उदाहरण से भी समझ सकते हैं।

27 अक्टूबर 2022 को रामपुर की कोर्ट ने हेट स्पीच के केस में आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई। इसके ठीक अगले दिन UP विधानसभा सचिवालय ने आजम की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी। इसके अगले ही दिन चुनाव आयोग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया कि 10 नवंबर को उप चुनाव का शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।

आजम इस पूरी प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। उनकी दलील थी कि अयोग्य करार देने, सीट खाली करने और उप चुनाव के लिए शेड्यूल जारी करने में इतनी तेजी उचित नहीं, वो भी तब जब कन्विक्शन के खिलाफ सेशन कोर्ट में उनकी अपील सुनी जानी है।

आजम की इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग, विधानसभा सचिव और UP सरकार से सवाल पूछा कि मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई जा रही है। आजम को सांस लेने का मौका दिया जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और उनकी पीठ ने सेशन कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक उप चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही सेशन कोर्ट को 10 दिन के भीतर आजम खान की अपील पर सुनवाई पूरी करने को कहा था। हालांकि, बाद में सेशन कोर्ट ने आजम खान के कन्विक्शन पर कोई राहत नहीं दी।

यानी आजम की तरह राहुल गांधी भी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

सवाल-2 : अगर हायर कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द हो जाती है तो क्या राहुल की सदस्यता बहाल हो जाएगी?

जवाब : मानहानि मामले में 2 साल की सजा के खिलाफ राहुल गांधी हायर कोर्ट में अपील करेंगे। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल कहते हैं कि अगर बड़ी कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द कर दे या रोक लगा दे तो उनकी लोकसभा सदस्यता बरकरार रहेगी।

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि हाईकोर्ट से राहुल के कन्विक्शन को रद्द कर दिया जाता है, या फिर उनकी सजा को कम कर दिया जाता है, तो भी खुद ब खुद उनकी सदस्यता फिर से बहाल नहीं होगी। इसके लिए राहुल गांधी को फिर से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा।

इसकी वजह है कि स्पीकर खुद अपने फैसले को नहीं पलटेंगे। हाईकोर्ट या संविधान पीठ का फैसला आया तो वे अपने फैसले को बदल सकते हैं।

वहीं अगर ऐसा कोई फैसला आने से पहले वायनाड में उप चुनाव हो गए तो राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल नहीं हो पाएगी।

सवाल-3 : राहुल की सदस्यता जाने के बाद क्या खाली हुई वायनाड सीट पर उप चुनाव होंगे?

जवाब : हां होंगे, क्योंकि लोकसभा के आम चुनाव मई 2024 में होने हैं। यानी अभी इसे होने में 6 महीने से ज्यादा का समय है। संविधान के मुताबिक, आम चुनाव होने में अगर 6 महीने से ज्यादा का समय है ताे केरल की वायनाड सीट पर उप चुनाव होगा।

सवाल-4 : अगर वायनाड सीट पर उपचुनाव हुए तो क्या राहुल गांधी फिर चुनाव लड़ पाएंगे?

जवाब : राहुल गांधी दो हालातों में ही वायनाड सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैंं…

1. उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले मानहानि के मूल केस में राहुल की कन्विक्शन पर बड़ी अदालत रोक लगा दे।

अभी तक राहुल ने सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना कि चूंकि फैसला 150 पेज का है और गुजराती में है। ऐसे में इसका अनुवाद करवाया जा रहा है।

2. राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा दे या इसे रद्द कर दे। ये सब कुछ उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो राहुल वायनाड से उप चुनाव लड़ पाएंगे।

मौजूदा हालात को देखते हुए इन दोनों विकल्पों की संभावना कम है। राहुल को कहीं से भी राहत मिलने से पहले उप चुनाव हो सकते हैं।

सवाल-5 : अगर ऊपरी अदालत से राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिली, तो क्या होगा?

जवाब : राहुल की कानूनी लड़ाई दो मोर्चों पर होगी।

1. मानहानि के केस में दोषी करार दिए जाने के खिलाफ।

2. दो साल की सजा के आधार पर सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन के खिलाफ।

मानहानि केस में राहुल की कन्विक्शन को रद्द नहीं किया जाता या उस पर रोक नहीं लगती तो उन्हें एक महीने बाद दो साल की सजा काटनी होगी और वह इसके 6 साल बाद भी कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो राहुल के चुनावी राजनीति के करियर में 8 साल का ब्रेक लग जाएगा।

अगर अपील में सजा 2 साल से कम हो जाती है तो राहुल को कानूनी लड़ाई लड़ने का एक और विकल्प मिल जाएगा।

सवाल 6 : क्या इससे पहले भी दोषी साबित होने के बाद सांसदों की सदस्यता खत्म हुई है और वो दोबारा चुनाव नहीं लड़ सके?

जवाब : देश में ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ के आने के बाद से अब तक कई सांसदों-विधायकों को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है...

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ममता-अखिलेश ने बनाया नया मोर्चा

पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने BJP और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाने का फैसला किया है। शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इसके बाद अखिलेश ने कहा कि भगवा खेमे को हराने के लिए सपा मजबूती से TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ खड़ी रहेगी।

वहीं, ममता बनर्जी इसी मुद्दे पर 23 मार्च को ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक से भी मुलाकात करेंगी।

ममता से मुलाकात करने के बाद अखिलेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बंगाल में हम ममता दीदी के साथ हैं। हम भाजपा और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग 'BJP वैक्सीन' लगवा लेते हैं, उन्हें CBI, ED या IT से कोई फर्क नहीं पड़ता। संविधान की रक्षा के लिए समाजवादी पार्टी कोई भी बलिदान देने को तैयार है। अगर हम UP में भाजपा को हरा सकते हैं, तो पूरे देश में भाजपा को हराया जा सकता है।

पहले भी ममता की तारीफ कर चुके हैं अखिलेश
UP के पूर्व CM अखिलेश यादव ने भाजपा पर देश की संपत्ति को बेचने का आरोप भी लगाया। इससे पहले एक कार्यक्रम में अखिलेश 2021 के विधानसभा चुनाव में BJP को हराने के लिए ममता की तारीफ कर चुके हैं।

उधर, TMC सांसद सुदीप बंद्दोपाध्याय ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि BJP विदेश में दिए राहुल गांधी के एक बयान को लेकर संसद में हंगामा कर रही है। जब तक राहुल गांधी माफी नहीं मांगते, तब तक BJP संसद चलने नहीं देगी। मतलब साफ है कि वे कांग्रेस का इस्तेमाल कर संसद नहीं चलने दे रहे हैं। BJP चाहती है कि राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा बनें, जिससे BJP को मदद मिले।

TMC सांसद बोले- कांग्रेस विपक्ष का बिग बॉस नहीं
TMC सांसद ने कहा कि यह सोचना भ्रम है कि कांग्रेस विपक्ष का 'बिग बॉस' है। ममता बनर्जी 23 मार्च को नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगी। हम अन्य विपक्षी दलों से भी BJP और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाने के लिए बात करेंगे। उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह तीसरा मोर्चा है, लेकिन क्षेत्रीय दलों के पास BJP का मुकाबला करने की ताकत है।

वो साल 1997 था। महीना था, दिसंबर। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें ऐलान किया कि वो और उनके समर्थक ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। ममता की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल ही रही थी कि खबर आई कि उन्हें कांग्रेस से 6 साल के लिए बाहर कर दिया गया है। शायद पार्टी के इस फैसले का अंदाजा ममता को पहले ही हो चुका था। 

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कांग्रेस से गठबंधन पर चौटाला को ऐतराज नहीं

रियाणा के पूर्व सीएम और इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला रविवार को हिसार पहुंचे और दूरदर्शन केंद्र पर जाकर धरने पर बैठे कर्मचारियों को समर्थन दिया। चौटाला ने हरियाणा की मौजूदा BJP-JJP सरकार को लुटेरी सरकार बताया और BJP को हराने के लिए जरूरत पड़ने पर कांग्रेस से समझौते की संभावना से भी इनकार नहीं किया।

चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करने संबंधी सवाल पर चौटाला ने कहा कि हमारा किसी से द्वेष या दुश्मनी नहीं है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही चौटाला गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने हुड्‌डा का हालचाल जानने के लिए उनसे मुलाकात की थी। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में BJP को हराने के लिए देशभर की तमाम सियासी पार्टियां एकजुट होने की कोशिश कर रही हैं। जदयू नेता और बिहार के सीएम नीतिश कुमार भी कह चुके हैं कि कांग्रेस को आगे बढ़कर इसकी पहल करनी चाहिए।

चौटाला ने कहा कि हम तो इतना ही चाहते हैं कि समूचे देश का भविष्य उज्जवल हो। किसी समय हमारा देश गरीब मुल्कों की आर्थिक मदद किया करता था और आज नौबत ये आ चुकी है कि देश को चलाने के लिए लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है।

चौटाला ने कहा कि प्रदेश में विकास के नाम पर एक ईंट नहीं लगी। उनकी सरकार के समय जो सड़कें बनी थी, मौजूदा सरकार उनकी मरम्मत तक नहीं करवा पा रही। भाजपा और जजपा प्रदेश को लूटने में लगी है। सत्ता पक्ष से जुड़े लोग भी सरकार को छोड़कर भाग रहे हैं।

इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने भविष्यवाणी की कि बहुत जल्दी BJP और JJP का गठबंधन टूट जाएगा और मनोहर लाल की सरकार अल्पमत में आ जाएगी। उन्होंने प्रदेश में जल्दी विधानसभा चुनाव होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया।

बजट में उम्मीद न रखें

चौटाला ने हरियाणा सरकार के बजट सत्र के बारे में कहा कि इस सरकार ने अतीत में कुछ दिया होता तो भविष्य की उम्मीद होती है। ये तो लुटेरे हैं, किसी को कुछ देने वाले नहीं। इनेलो सुप्रीमो ने कहा कि उनकी पार्टी की पदयात्रा से अंदाजा हो जाएगा कि लोग क्या चाहते हैं? इस सरकार का अंत बहुत जल्दी होगा।

सरकार बंद कर चुकी हिसार दूरदर्शन केंद्र

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जनवरी में हिसार दूरदर्शन केंद्र को बंद कर दिया। इसी के विरोध में अनुबंधित कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। कर्मचारी अब तक हिसार के BJP लोकसभा मेंबर बृजेंद्र सिंह, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा समेत भाजपा और जजपा के तमाम विधायकों को अपना मांग पत्र सौंप चुके हैं। वह शहर के जनसंगठनों के साथ मिलकर BJP विधायकों के घर के आगे धरना भी लगा चुके हैं।

राज्यसभा में उठ चुका मामला
हिसार दूरदर्शन केंद्र का मामला राज्यसभा में उठ चुका है। सासंद दीपेंद्र हुड्‌डा ने यह मामला उठाया था। हिसार दूरदर्शन केंद्र चौधरी देवीलाल के नाम पर था और उनकी स्मृति में तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री सुषमा स्वराज ने इसका उद्घाटन किया था।

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मेघालय BJP चीफ बोले- मैं बीफ खाता हूं

मेघालय में BJP के प्रदेशाध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने कहा है कि वे बीफ खाते हैं और इससे उनकी पार्टी को कोई दिक्कत नहीं है। मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग होनी है। इससे हफ्तेभर पहले मावरी ने न्यूज एजेंसी IANS को दिए इंटरव्यू में NPP से गठबंधन, गो मांस बैन और CAA जैसे मुद्दों पर बात की। इसी दौरान उन्होंने यह बयान दिया।

क्या राज्य के 90% ईसाई भाजपा के कट्‌टर रुख को अपना लेंगे, इस पर मावरी बोले- भाजपा की सरकार को 9 साल हो चुके हैं। हमने अब तक किसी चर्च पर हमला नहीं देखा। बीफ खाने पर भी रोक नहीं है। मैं बीफ खाता हूं और मैं बीजेपी में हूं, इसमें कोई दिक्कत नहीं है। हमें विश्वास है कि मेघालय की जनता इस बार भाजपा के साथ है।

वोटिंग से 10 दिन पहले BJP ने NPP से गठबंधन तोड़ा
मेघालय में चुनाव प्रचार करने पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नॉर्थ तुरा में 17 फरवरी की रैली में NPP से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि BJP अब सभी 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मारवी भी उस दौरान मौजूद थे। उन्हें जनवरी 2020 में मेघालय भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। 

पढ़िए अर्नेस्ट के इंटरव्यू की खास बातें...

  • मेघालय में हमने NPP के साथ कोई गठबंधन नहीं किया है। न हमने 2018 में ऐसा किया। हम अपने दम पर लड़ रहे हैं और वे अपने दम पर। NPP पिछले 5 साल से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रही है। जबकि हमारी पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाया है।
  • हम MDA सरकार में थे, लेकिन भाजपा के केवल दो विधायक और एक मंत्री था। मंत्रालय में हमारे पास कोई महत्वपूर्ण विभाग नहीं था। जिन विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ, वे या तो NPP या उनके गठबंधन सहयोगी UDP के पास थे। हमने पिछले साल कई RTI लगाई थी। जिसके जरिए हमें भ्रष्टाचार का पता चला। हमारे पास सारे रिकॉर्ड हैं।
  • हम लोकल लेवल पर गठबंधन छोड़ने या बनाने का फैसला नहीं ले सकते। मेघालय के हालात के बारे में वरिष्ठों को बताया जा चुका है। इस मामले में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के अध्यक्ष या दिल्ली में पार्टी के नेताओं को फैसला करना चाहिए।
  • हमने सभी 60 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। रिजल्ट के बाद हम ऐसी पार्टियों से गठबंधन कर सकते हैं जिनके हाथ भ्रष्टाचार में न डूबे हों। हम TMC या कांग्रेस के साथ नहीं जा सकते। अभी हम ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर ध्यान दे रहे हैं।
  • कॉनराड संगमा के भ्रष्टाचार पहले ही बता चुका हूं। अगर TMC जीतती है, तो राज्य में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ होगी।
  • मेघालय में EVM को लेकर गलत जानकारी शेयर करने के आरोप में एक व्यक्ति को अरेस्ट किया गया है। इस बात की जानकारी चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर ने दी है। आर संगमा नाम के व्यक्ति ने 16 फरवरी को EVM का एक वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया था, जिसमें दावा किया जा रहा था कि किसी भी बटन को दबाने पर सभी वोट भाजपा को जा रहे हैं। 
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अखिलेश और मायावती ने दी योगी सरकार को बधाई

लखनऊ, 26 मार्च। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बधाई दी है। दोनो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने योगी सरकार को लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन और जनता की सेवा करने की सलाह भी दी है। योगी सरकार के शुक्रवार को संपन्न शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किये जाने के बावजूद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी,महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव,बसपा अध्यक्ष मायावती नहीं पहुंचे थे। हालांकि अखिलेश और मायावती ने ट्विटर के जरिये नई सरकार को बधाई एवं शुभकामनायें प्रेषित की हैं। सुश्री मायावती ने शनिवार को ट्वीट किया, “यूपी में नई भाजपा सरकार के गठन की बधाई तथा यह सरकार संवैधानिक व लोकतांत्रिक मूल्यों एवं आदर्शों के साथ कार्य करे।” इससे पहले श्री अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था, “नई सरकार को कि वो सपा के बनाए स्टेडियम में शपथ ले रही है। शपथ सिर्फ़ सरकार बनाने की नहीं, जनता की सच्ची सेवा की भी लेनी चाहिए।” लखनऊ के अटल बिहारी वाजपेयी स्टेडियम में योगी सरकार के 52 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा,केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा 12 राज्यों के मुख्यमंत्री एवं पांच राज्यों के उपमुख्यमंत्री शामिल हुये थे।

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अखिलेश को सपा विधायक दल का नेता चुना गया

लखनऊ, 26 मार्च। उत्तर प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में दूसरे सबसे बड़े दल के रूप में उभरी समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव को विधानसभा में पार्टी के विधायक दल और विधानमंडल दल का नेता चुना गया है। यहां स्थित सपा मुख्यालय में शनिवार को हुयी पार्टी विधायक दल की बैठक में अखिलेश को सभी विधायकों ने सर्वसम्मति से नेता चुन लिया। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने विधायक दल की बैठक के बाद यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बैठक में अखिलेश को सर्वसम्मति से पार्टी के विधानमंडल दल का नेता भी चुना गया। गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव में सपा के 111 विधायक जीते हैं। इस प्रकार विधानसभा में दूसरा सबसे बड़ा दल होने के नाते सपा मुख्य विपक्षी पार्टी होगी। ऐसे में अखिलेश का नेता प्रतिपक्ष बनना लगभग तय है। विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश ने आजमगढ़ से लोकसभा सदस्य के पद से इस्तीफा दे दिया था। उत्तम ने बताया कि सपा के वरिष्ठ विधायक अवधेश प्रसाद ने अखिलेश को विधायक दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा और विधायक आलम बदी ने उसका समर्थन किया। इसके अलावा विधायक लालजी वर्मा ने अखिलेश को विधानमंडल दल का नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा। सपा के चुनाव चिन्ह पर विधायक बने प्रसपा नेता शिवपाल सिंह यादव को बैठक में नहीं बुलाये जाने के बारे में उत्तम ने कहा कि आज केवल सपा के विधायकों को बुलाया गया था। बैठक में सहयोगी दलों के किसी विधायक को नहीं बुलाया गया था। उन्होंने स्पष्ट किया, “सहयोगी दलों के जो विधायक सपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव जीते उन्हें और सहयोगी दलाें के विधायकाें की बैठक 28 मार्च को बुलायी गयी है, चाहे वे शिवपाल यादव हों, पल्लवी पटेल या ओपी राजभर हों, सब को 28 मार्च को बुलाया जाएगा।”

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लगातार दूसरी बार जनादेश हासिल करने वाले पहले मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के चुनावी इतिहास में चार दशक बाद योगी आदित्यनाथ ने नया अध्याय जोड़ा है। इस अवधि में वह लगातार दूसरी बार जनादेश हासिल करने वाले पहले मुख्यमंत्री है। चुनावी समर में लोकप्रियता या समीकरण के बल पर एक बार सफलता मिल सकती है। लेकिन दूसरी बार की सफलता नेतृत्व की नेकनीयत व विश्वसनीयता पर आधारित होती है। तब नेतृत्व के यह दो गुण कारक बन जाते हैं। इस कारण चालीस वर्षों के दौरान किसी मुख्यमंत्री को दोबारा जनादेश नहीं मिला।

 

योगी आदित्यनाथ अपनी नेकनीयत व विश्वसनीयता को कायम रखने में सफल रहे। केंद्र में नरेंद्र मोदी को भी इस आधार पर सफलता मिलती रही है। गुजरात के बाद उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में भी अपनी यह विशेषता कायम रखी। इस लिहाज से नरेंद्र मोदी व योगी आदित्यनाथ एक ही धरातल पर है। दोनों परिवारवाद की राजनीति से दूर हैं। समाज सेवा में पूरी निष्ठा व ईमानदारी से समर्पित रहते हैं।

 

विधानसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोरोना की तीसरी लहर को लेकर संशय था। उस समय योगी आदित्यनाथ ने चुनाव प्रचार की जगह कोरोना आपदा प्रबंधन को वरीयता दी। जनपदों की यात्रा कर रहे थे। सभी जगह कोरोना चिकित्सा व्यवस्था का जायजा ले रहे थे। आपदा प्रबंधन की पूरी व्यवस्था के बाद ही उन्होंने चुनाव प्रचार की तरफ ध्यान दिया। इसी प्रकार चुनाव परिणाम आने के बाद वह जन कल्याण कार्यों में सक्रिय हो गए। उन्होंने बारह से चौदह वर्ष आयु के बच्चों के वैक्सीनेशन अभियान का शुभारंभ किया। इस अभियान के सुचारू संचालन हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया।

 

कोरोना आपदा प्रबंधन में योगी मॉडल की प्रशंसा दुनिया में रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसकी सराहना की थी। इस पूरी अवधि में योगी आदित्यनाथ ने कई बार प्रदेश की यात्राएं की थी। वह अनवरत प्रबंधन का जायजा लेते रहे। वैक्सिनेशन के संबन्ध में भी केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का प्रभावी संचालन सुनिश्चित किया गया। योगी आदित्यनाथ वैक्सिनेशन केंद्रों में पहुंच कर लोगों का उत्साह वर्धन करते रहे। इसके चलते उत्तर प्रदेश ने वैक्सिनेशन का रिकार्ड कायम कर दिया। यह यात्रा अगले चरण के रूप में जारी है।

 

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सर्वाधिक टेस्ट व सर्वाधिक वैक्सीनेशन करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है। राज्य में अब तक करीब तीस करोड़ वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं। प्रदेश में वैक्सीन की पहली डोज के शत प्रतिशत से अधिक के लक्ष्य को प्राप्त किया जा चुका है। अब तक एक सौ तीन प्रतिशत से ऊपर वैक्सीन की प्रथम डोज पूरे प्रदेश में उपलब्ध करवाई जा चुकी है। सेकेण्ड डोज भी प्रदेश में बयासी प्रतिशत से अधिक लोगों ने ले ली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बारह से चौदह आयु वर्ग के बच्चों के कोविड टीकाकरण अभियान का शुभारम्भ डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल चिकित्सालय में किया।

 

बारह से चौदह साल के बच्चों को प्रदेश के तीन सौ केन्द्रों में यह वैक्सीन उपलब्ध करवाई जा रही है। सभी के लिए प्रर्याप्त वैक्सीन उपलब्ध है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देश में चले भारत के कोरोना प्रबन्धन की दुनिया में सराहना हुई है। यहां तक कि अन्य देशों में भी भारत के कोरोना प्रबंधन मॉडल को अपनाया गया है। कोरोना के खिलाफ लागू किए गये फोर टी फॉर्मूले के तहत ट्रेस, टेस्ट, ट्रीट और टीका, इन सभी में उत्तर प्रदेश अग्रणी है।

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चुनाव आयोग का एलान: राज्यसभा की 13 सीटों पर 31 मार्च को होगा चुनाव, छह राज्यों से चुने जाएंगे सांसद

नई दिल्ली। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अब निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा के 13 सीटों के लिए चुनाव का एलान कर दिया है। यह चुनाव 31 मार्च को होगा। इसमें छह राज्यों से सांसद चुने जाएंगे। इनमें से पांच पंजाब से, तीन केरल से, दो असम से और एक-एक हिमाचल, त्रिपुरा और नगालैंड से होगा। जिन सांसदों की जगह पर चुनाव होगा वे सभी 2 से 9 अप्रैल के बीच रिटायर हो रहे हैं। निर्वाचन आयोग ने उन सभी सांसदों का नाम भी जारी किया है जिनका कि कार्यकाल पूरा हो गया है। असम से रानी नाराहा और रिपुण बोरा, हिमाचल प्रदेश से आनंद शर्मा, केरल से ए के एंटनी, एमवी श्रेयम्स कुमार और सोमाप्रसाद के, नगालैंड से केजी केन्ये, त्रिपुरा से झरना दास और पंजाब से सुखदेव सिंह, प्रताप सिंह बाजवा, श्वेत मलिक, नरेश गुजराल और शमशेर सिंह दुलो शामिल हैं।

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सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वालों के लिए लिया है बड़ा फैसला : पीएम मोदी

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जनऔषधि दिवस के मौके पर उन्‍होंने कहा कि जन औषधि केद्रों पर आठ सौ करोड़ रुपये की दवाएं बिकी हैं। उन्‍होंने कहा कि इसके तहत सरकार मध्‍यम वर्ग के लोगों की जेब का धन बचाकर उन्‍हें फायदा पहुंचाने का काम कर रहे हैं। इन केंद्र पर अब तक 21 करोड़ सैनेट्री नेपकींस बिक चुके हैं। ये एक रुपये में यहां से लिए जा सकते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया के कई देशों में कोरोना रोधी वैक्‍सीन के लिए लोगों को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। लेकिन भारत ने इसको सभी को फ्री में लगाने का फैसला किया। इस पर अब तक सरकार ने तीस हजार करोड़ रुपये खर्च किए हैं। सरकार ने फैसला किया है कि आधे निजी मेडिकल कालेज में अब सरकारी मेडिकल कालेज के बराबर ही फीस लगेगी। सरकार की कोशिश है कि हर जिले में एक बड़ा अस्‍पताल हो। सरकार ने कई दवाओं की कीमत को बेहद कम किया है। जन औषधि केंद्रों के मालिकों से बात कर रहे हैं। इस दौरान उन्‍होंने बिहार की महिला से बात कर उनसे इस बारे में जानकारी हासिल की। महिला ने बताया कि जन औषधि केंद्र से मिली दवाओं के चलते उन्‍हें काफी फायदा हो रहा है। ये सस्‍ती होने के साथ-साथ गुणवत्‍ता में भी अच्‍छी है। पीएम मोदी ने कहा कि मध्‍यम वर्ग की आमदनी का बड़ा हिस्‍सा दवाओं पर खर्च होता है। यदि दवाएं सस्‍ती हों तो सभी का लाभ होगा। इसलिए मध्‍यम वर्ग इसको आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है। ओडिशा के सुरेश ने बताया कि उन्‍हें भी इससे काफी फायदा हुआ है। हर माह दवाओं पर खर्च होने वाला करीब दो से ढाई हजार रुपया अब बच जाता है। पीएम मोदी ने उनसे पूछा कि वो ऐसी दवाओं के बारे में बताएंं जो दवाएं उन्‍हें जन औषधि केंद्र पर नहीं मिलती हैं। इसके जवाब में उन्‍होंने बताया कि ऐसी कोई दवाई नहीं है जो वहां पर नहीं मिलती हैं। कर्नाटक की बबीता से भी पीएम मोदी ने पूछा कि उन्‍हें इससे कैसे लाभ मिला। बबीता ने बताया कि वो इस योजना और इसके केंद्रों का लोगों के बीच जागरुक करती हैं। पीएम मोदी ने कहा कि वो सोशल मीडिया के जरिए इसका अधिक से अधिक प्रचार कर सकती हैं। गुजरात की उर्वशी से भी उन्‍होंने इसके लाभ के बारे में जानकारी हासिल की। इस मौके पर पीएम ने उनसे कहा कि वो पीएम आवास योजना का लाभ उठाने वालों के पास जाकर इस योजना के लिए उन्‍हें जागरुक करें। छत्‍तीसगढ़ के डाक्‍टर शैलेश की पीएम मोदी ने तारीफ की वो इस दिशा में काम कर रहे हैं। इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मनसुख मांडविया समेत अन्‍य लोग भी शामिल हैं। कार्यक्रम की शुरुआत में मांडविया ने कहा कि देश में मिलने वाली जेनेरिक दवाओं की कीमत 50-80 फीसद तक कम है और इनकी गुणवत्‍ता विश्‍व स्‍तर की है। पीएमओ से दी गई जानकारी के मुताबिक इस इवेंट को जन औषधि जन उपयोगी का नाम दिया गया है। इससे पहले किए गए अपने ट्वीट में पीएम मोदी ने इसको जन औषधि को मेडिसिन रिवोल्‍यूशन बताया था। आपको बता दें कि पूरे देश में एक मार्च से जन औषधि सप्‍ताह मनाया गया है। इस दौरान लोगों को इस बारे में जानकारी के साथ उनके बीच इसकी जागरुकता को बढ़ाने का भी काम किया गया है। जन औषधि परियोजना के तहत इसमें लोगों को जेनेरिक दवाओं के इस्‍तेमाल और इनके फायदे बताए गए। इस दौरान कई दूसरे इवेंट भी चलाए गए जिसमें जन औषधि संकल्‍प यात्रा, मैत्री शक्ति सम्‍मान, जन औषधि बाल मित्र, जन औ‍षधि जन जागरण अभियान, आओ जन औषधि मित्र बनाएं और जन औषधि जन आरोग्‍य मेला भी शामिल है। पीएम मोदी की दूर्गामी सोच पर आगे बढ़ते हुए इन दवाओं को न सिर्फ सस्‍ता किया गया है बल्कि लोगों तक इनकी पहुंच बनाने की भी पूरी कोशिश की गई है। पूरे देश में आज जन औषधि केंद्र के करीब 8600 स्‍टोर्स खुले हुए हैं जहां पर ये दवाएं आसानी से और सस्‍ती कीमत पर खरीदी जा सकती हैं। इसमें देश के लगभग हर जिले को शामिल किया गया है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री जन औषधि योजना की शुरुआत पीएम नरेन्‍द्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को की थी।इस योजना के तहत सरकार द्वारा उच्च गुणमवत्ता वाली जैनरिक दवाईयों के दाम बाजार मूल्य से कम कर इन्‍हें बेचा जाता है। इसके लिए सरकार ने जन औषधि स्टोर। सरकार की योजना इनके स्‍टोर्स अगले कुछ समय में बढ़ाकर दस हजार करने की है, जिससे ये हर जन को आसानी से हासिल हो सकें।

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