iPhone पर पेगासस स्पायवेयर जैसे अटैक का अलर्ट

एपल ने iPhone पर पैगासस जैसे स्पायवेयर अटैक का खतरा जताया है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आईफोन यूजर्स को 'मर्सनरी स्पायवेयर' के जरिए टारगेट किया जा रहा है। इसके जरिए iPhone को एक्सेस करने की कोशिश की जा रही है।

इसे लेकर एपल ने भारत सहित उन 91 देशों के अपने यूजर्स को वॉर्निंग मेल भेजा है, जो 'मर्सनरी स्पायवेयर' अटैक के संभावित शिकार हो सकते हैं। यह स्पायवेयर इजरायल के NSO ग्रुप के पेगासस की तरह है। इसका मकसद डिवाइस का अनऑथराइज्ड एक्सेस हासिल करना है।

मर्सिनरी स्पायवेयर अटैकर्स बहुत कम संख्या में कुछ खास लोगों और उनके डिवाइसेज को टारेगट करने के लिए बहुत अधिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं। इन स्पाइवेयर अटैक्स की कॉस्ट लाखों डॉलर होती है। उनका पता लगाना और रोकना बहुत कठिन होता है।

कुछ भारतीय यूजर्स को एपल ने वॉर्निंग मेल भेजा

एपल ने 11 अप्रैल को भारतीय समयानुसार रात करीब 12:30 बजे कुछ भारतीय यूजर्स को वॉर्निंग मेल भेजा है। इसके सब्जेक्ट में लिखा है- अलर्ट: एपल ने आपके iPhone पर एक टार्गेटेड मर्सिनरी स्पायवेयर अटैक का पता लगाया है

मेल में लिखा है, 'Apple ने पाया है कि आप एक 'मर्सनरी स्पायवेयर' अटैक का शिकार हो रहे हैं, जो आपके Apple ID -xxx- से जुड़े iPhone को दूर से ही हैक करने की कोशिश कर रहा है। कृपया इसे गंभीरता से लें।'

मर्सिनरी स्पायवेयर अटैक काफी दुर्लभ हैं और रेगुलर साइबर क्रिमिनल एक्टिविटी या कंज्यूमर मालवेयर की तुलना में बहुत अधिक सोफेस्टिकेटेड हैं। इन हमलों में लाखों डॉलर खर्च होते हैं और काफी कम लोगों को टारगेट किया जाता है।

स्पायवेयर कैसे काम करता है?

आपके डिवाइस में घुसपैठ करता है: ऐसा तब हो सकता है जब आप किसी अनसेफ वेबसाइट पर जाते हैं, अनजाने में कोई अनसेफ ऐप इंस्टॉल करते हैं, या यहां तक कि कोई फाइल अटैचमेंट भी खोलते हैं।

आपके डेटा को कैप्चर करता है: एक बार जब स्पायवेयर आपके डिवाइस पर होता है, तो यह डेटा एकत्र करना शुरू कर देता है, जो आपकी वेब एक्टिविट से लेकर स्क्रीन कैप्चर और आपके कीस्ट्रोक्स तक कुछ भी हो सकता है।

किसी थर्ड पार्टी को डेटा देता है: कैप्चर किया गया डेटा स्पायवेयर क्रिएटर तक पहुंचने के बाद वह इसे या तो सीधे खुद इस्तेमाल करता है या थर्ड पार्टी को बेच देता है। डेटा में क्रेडिट कार्ड और बैंक लॉगिन डिटेल्स भी शामिल हो सकती है।

पिछले साल अक्टूबर में एपल ने भेजा था थ्रेट नोटिफिकेशन

पिछले साल अक्टूबर में एपल ने भारत सहित कई देशों में 'स्टेट स्पॉन्सर्ड' अटैक का नोटिफिकेशन भेजा था। भारत में वह थ्रेट नोटिफिकेशन TMC नेता महुआ मोइत्रा, कांग्रेस नेता शशि थरूर समेत विपक्षी दलों के कई लीडर्स और कुछ जर्नलिस्ट को भेजा गया था।

एपल ने थ्रेट नोटिफिकेशन में लिखा था - एपल को लगता है कि आपको स्टेट स्पॉन्सर्ड अटैकर्स निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आपकी एपल ID से जुड़े आईफोन को रिमोटली कॉम्प्रोमाइज करने यानी हैक करने की कोशिश की जा रही है।

यदि आपका डिवाइस किसी स्टेट-स्पॉन्सर्ड अटैक से कॉम्प्रोमाइज हुआ है, तो वो आपका सेंसिटिव डेटा, कम्युनिकेशन और कैमरा और माइक्रोफोन तक एक्सेस कर सकते हैं। यह संभव है कि यह एक फॉल्स अलार्म हो, लेकिन इस चेतावनी को गंभीरता से लें।" हालांकि सरकार ने फोन हैकिंग के आरोपों को खारिज किया था।

इन्फॉर्म और असिस्ट करने के लिए थ्रेट नोटिफिकेशन

एपल की वेबसाइट के अनुसार, थ्रेट नोटिफिकेशन उन यूजर्स को इन्फॉर्म और असिस्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिन्हें स्टेट-स्पॉन्सर्ड अटैकर्स की ओर से टारगेट करने की कोशिश की गई हो। इस नोटिफिकेशन में लॉकडाउन मोड इनेबल करने समेत फोन को सिक्योर करने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं इसकी भी जानकारी दी जाती है।

लॉकडाउन मोड डिवाइसेज को एक्सट्रीमली रेयर और हाइली सोफेस्टिकेटेड साइबर अटैक्स से बचाने में मदद करता है। जब लॉकडाउन मोड इनेबल होता है, तो आपका डिवाइस उस तरह काम नहीं करेगा जैसा वह आमतौर पर करता है। अटैक को रोकने के लिए कुछ ऐप्स, वेबसाइट और फिचर्स को लिमिटेड कर दिया जाता है।

सिक्योरिटी के लिए तीन स्टेप्स फॉलो करें...

लेटेस्ट सॉफ्टवेयर में अपने डिवाइसेज को अपडेट करें, क्योंकि इसमें लेटेस्ट सिक्योरिटी फिक्सेज शामिल होते हैं।

डिवाइसेज को पासकोड से प्रोटेक्ट करें। एपल ID के लिए टु फैक्टर ऑथेंटिकेशन और मजबूत पासवर्ड यूज करें।

ऐप स्टोर से ही ऐप्स इंस्टॉल करें। अननोन सेंडर के लिंक या अटैचमेंट पर क्लिक न करें। स्टॉन्ग और यूनीक पासवर्ड यूज करें।

 


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गैस सिलेंडर, क्रेडिट कार्ड से लेकर FASTag तक 11चीजो में 1अप्रैल से हुआ बड़ा बदलाव

अप्रैल के महीने की शुरुआत के साथ ही नए फाइनेंशियल ईयर 2024-2025 की शुरुआत हो चुकी है। ऐसे में देश के कई नियमों में बदलाव होने वाला है। गैस सिलेंडर के दाम बदल गए हैं। साथ ही पैन-आधार लिंकिंग, क्रेडिट और डेबिट कार्ड समेत फास्टैग केवाईसी, एनपीएस अकाउंट से जुड़े कई नियमों में भी आज यानी 1 अप्रैल से बदलाव होने जा रहे हैं। नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत हो गई है और नए नियम-कायदे भी लागू हो गए हैं। आइए 1 अप्रैल से लागू होने वाले 11 नए नियमों के बारे में जानते हैं।

1. LPG Commercial Cylinder Price

1 अप्रैल से गैस-सिलेंडर की कीमत में बदलाव हुआ है। IOC से मिले अपडेट के अनुसार 19 किलो के सिलेंडर की कीमत में बदलाव हुआ है। सिलेंडर के दाम (LPG Commercial Cylinder Price) घट गए हैं और नए दाम को आज से लागू भी कर दिया गया है। दिल्ली में 19 किलो का सिलेंडर 1764.50 रुपये, मुंबई में 1717.50 रुपये, कोलकाता में 1879 रुपये और चेन्नई में 1930 रुपये की कीमत के साथ मिलेगा। जानकारी के लिए बता दें कि पिछले महीने मार्च में 19 किलो के सिलेंडर की कीमत बढ़ी थी। हालांकि, इस महीने अप्रैल में कमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत घट गई है।

2. NPS Account

पेंशन नियामक पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा 1 अप्रैल 2024 से एनपीएस खाताधारकों के खाते की सुरक्षा के लिए लॉगिन पर एक नया स्टेप जोड़ दिया है। सीआरए सिस्टम तक पहुंचने और पासवर्ड आधारित यूजर्स के लिए  टू फैक्टर आधार बेस्ड ऑथेंटिकेशन को जरूरी कर दिया गया है। ऐसे में सब्सक्राइबर्स आधार नंबर और मोबाइल नंबर आए ओटीपी को एंटर करके आसानी से लॉगिन कर सकेंगे।

3. FASTag KYC

अब तक के निर्देशों के अनुसार फास्टैग यूजर्स ने केवाईसी डिटेल्स अपडेट नहीं किया है तो आज यानी 1 अप्रैल से उनके फास्टैग अकाउंट और डिवाइस को अमान्य घोषित कर दिया जाएगा। 1 अप्रैल 2024 से सभी फास्टैग यूजर्स के लिए फास्टैग केवाईसी जरूरी है। अगर आपने केवाईसी नहीं की है तो बैंक खाते से फास्टैग को डीएक्टिवेट कर दिया जाएगा।

4. PAN-Aadhaar Link

अब तक के निर्देशों के अनुसार पैन से आधार लिंक करने की आखिरी तारीख 31 मार्च 2024 थी। अगर आपने भी पैन से आधार लिंक नहीं किया है तो आपका आधार कार्ड इनएक्टिव कर दिया जाएगा। हालांकि, अभी तक कोई अपडेट सामने नहीं आया है कि पैन से आधार लिंक करने की समय सीमा बढ़ी या नहीं। ऐसे में 1 अप्रैल के बाद से पैन कार्ड यूजर्स के लिए समस्या बढ़ सकती है।

5. IRDAI Policy Surrender Value

1 अप्रैल 2024 से बीमा ग्राहकों के लिए पॉलिसी सरेंडर पर भी नया नियम लागू हो रहा है। नियम के तहत पॉलिसी सरेंडर वैल्यू को पॉलिसी सरेंडर अवधि से तय किया जाएगा। सरल भाषा में कहें तो नए नियम के मुताबिक पॉलिसी सरेंडर की अवधि जितनी लंबी होगी, उतनी ही ज्यादा उसकी सरेंडर वैल्यू भी होगी। अगर ग्राहक 3 साल के अंदर पॉलिसी सरेंडर करते हैं तो सरेंडर वैल्यू कम हो सकती है।

6. SBI Credit Card

भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड के नियमों में बदलाव कर दिया गया है। अगर आपके पास SBI कार्ड Elite एडवांटेज, सिम्पली क्लिक SBI कार्ड, AURUM, SBI कार्ड Elite, SBI कार्ड पल्स समेत कुछ कार्ड के जरिए रेंट का भुगतान करते हैं तो आपको 1 अप्रैल से उस पर रिवॉर्ड पॉइंट्स नहीं मिलेंगे।

7. ICICI Bank Credit Card

आईसीआईसीआई बैंक की ओर से लाउंज एक्सेस पर बेनिफिट भी बढ़ा दिया है। पिछले कैलेंडर तिमाही में यूजर 35 हजार रुपये खर्च करके हवाई अड्डे के लाउंज का इस्तेमाल कर सकेंगे। अगर आपने जनवरी-फरवरी-मार्च 2024 के दौरान कम से कम 35 हजार रुपये खर्च किए हैं तब ही आप अप्रैल-मई-जून 2024 तिमाही में लाउंज एक्सेस के लिए एलिजिबल होंगे।

8. YES Bank Credit Card

अगर आप यस बैंक के ग्राहक हैं और एक कैलेंडर तिमाही में अपने कार्ड के जरिए 10 हजार रुपये तक खर्च करते हैं तो आप  हवाई अड्डे के लाउंज एक्सेस के लिए एलिजिबल होंगे।

9. E-Insurance

IRDAI द्वारा 1 अप्रैल 2024 से एक और नियम लागू किया जा रहा है। नियम के तहत पॉलिसी खोलने के बाद पॉलिसीधारक को डिजिटल फॉर्मेट अपनाना होगा। इसका मतलब ये है कि पॉलिसीधारक के लिए ई-बीमा खाता खोलना जरूरी हो गया है। ऐसे में पॉलिसियों का प्रबंधन और संचालन करना आसान हो सकेगा।

10. Ola Money Wallet

ओला मनी ने स्मॉल प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट वॉलेट पर स्विच कर लिया है। ऐसे में 1 अप्रैल से यूजर्स हर महीने सिर्फ 10 हजार रुपये जमा कर सकेंगे।

11. अप्रैल से ये चीजें हुईं महंगी 

1 अप्रैल से देश में कुछ चीजें महंगी भी हुई हैं। बता दें कि 1 अप्रैल से दवाइयां 12% महंगी हो गई हैं। इसके अलावा कई राज्यों में शराब के दाम बढ़ा दिए गए हैं। इसकी कीमत में बढ़ोतरी की गई है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीदना भी महंगा हो गया है। 1 अप्रैल 2024 से फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME-II) के तहत मिलने वाली सब्सिडी को सरकार ने बंद कर दिया है, जिसके कारण इलेक्ट्रिक गाड़ियों को खरीदना भी महंगा हो गया है।


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कॉल फॉरवर्ड करने की सुविधा पर लगी रोक

सरकार ने साइबर फ्रॉड के बढ़ते मामलों पर लगाम लगाने के लिए कॉल फॉरवर्ड करने की सुविधा बंद करने का निर्णय लिया है. इसके लिए दूरसंचार विभाग की ओर से सभी टेलीकॉम कंपनियों को निर्देश दिया गया है और उन्हें 15 अप्रैल से इस सुविधा को बंद करने के लिए कहा गया है.

दूरसंचार विभाग ने दिया ये निर्देश

दूरसंचार विभाग का यह निर्देश यूएसएसडी पर आधारित कॉल फॉरवर्डिंग के लिए है. विभाग के द्वारा दूरसंचार कंपनियों को कहा गया है कि वे यूएसएसडी बेस्ड कॉल फॉरवर्डिंग को 15 अप्रैल से बंद कर दें. साथ ही सरकार ने कंपनियों को कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कहा है.

क्या है यूएसएसडी बेस्ड सर्विस?

यूएसएसडी बेस्ड सर्विसेज के तहत ग्राहकों को कई सुविधाएं मिलती हैं, जिनमें कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा भी शामिल है. उसके अलावा आईएमईआई नंबर चेक करने से लेकर बैलेंस चेक करने तक कई काम यूएसएसडी के माध्यम से होते हैं. इन सेवाओं में कस्टमर को अपने फोन से एक्टिव कोड डायल करना होता है. एक्टिव कोड में हैशटैग और स्टार जैसे सिंबल और डिजिट का कॉम्बो होता है.

साइबर फ्रॉड में इस्तेमाल की आशंका

सरकार को इस बात का अंदेशा है कि फोन से जुड़े साइबर फ्रॉड और साइबर अपराध के मामलों में यूएसएसडी सेवाओं का गलत इस्तेमाल हो रहा है. इसी कारण सरकार ने 15 अप्रैल से यूएसएसडी बेस्ड कॉल फॉरवर्डिंग सर्विसेज को बंद करने के लिए कहा है. अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डेटा यानी यूएसएसडी पर बेसड कॉल फॉरवर्डिंग सेवाओं को *401# सर्विस भी कहा जाता है.

करना होगा फिर से एक्टिवेट

सरकार के निर्देश के बाद यूएसएसडी बेस्ड कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा 15 अप्रैल से बंद हो जाएगी. सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों से कहा है कि वे ग्राहकों को कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा फिर से एक्टिवेट करने के लिए विकल्प प्रदान कर सकती हैं. जिन ग्राहकों ने अभी यूएसएसडी से कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा अपने फोन में एक्टिव कराया हुआ है, उनसे कंपनियां 15 अप्रैल के बाद सर्विस को रिएक्टिवेट करने के लिए कहेंगी. इसके लिए ग्राहकों को यूएसएसडी से इतर दूसरे विकल्प दिए जाएंगे. कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि कॉल फॉरवर्डिंग की सुविधा बिना ग्राहक की मर्जी के या उसकी जानकारी में आए एक्टिवेट न हो.


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तेजस के एडवांस वर्जन मार्क-1A विमान की पहली टेस्ट फ्लाइट

देश में बने फाइटर जेट तेजस के एडवांस्ड वर्जन मार्क 1A के पहले एयरक्राफ्ट की टेस्ट फ्लाइट कामयाब रही है। इस सीरीज के पहले एयरक्राफ्ट LA5033 ने बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) सेंटर में 15 मिनट की फ्लाइट ली।

तेजस का पिछला वर्जन मार्क 1A पहले ही वायुसेना में शामिल हो चुका है। नए वर्जन में AESA (एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे) रडार, एडवांस्ड बियॉन्ड-विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल और हमले से खुद को बचाने की क्षमता है।

HAL के पायलट ने तेजस के एडवांस्ड वर्जन को 15 मिनट उड़ाया

बेंगलुरु में HAL के फिक्स्ड विंग एयरक्राफ्ट के चीफ टेस्ट पायलट ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) केके वेणुगोपाल ने नए वर्जन की टेस्ट फ्लाइट ली। एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) ने एडवांस्ड वर्जन को डेवलप किया है। HAL इसका निर्माण कर रहा है।

HAL 2024-2028 तक 83 एयरक्राफ्ट की डिलीवरी करेगा

HAL को 2021 में भारतीय वायुसेना के लिए 83 तेजस मार्क-1ए बनाने के लिए 46,898 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट मिला था। कंपनी के पास मार्च 2024-फरवरी 2028 तक 83 एयरक्राफ्ट की डिलीवरी करने का समय है।

2025 तक हर साल 24 फाइटर एयरक्राफ्ट बनाने का लक्ष्य

इससे पहले HAL को 8,802 करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट के तहत 40 तेजस एमके-1 का ऑर्डर मिला था। इसमें से 32 सिंगल-सीट LCA फाइटर्स और दो डबल सीट ट्रेनर की डिलीवरी हो गई है। 6 डबल सीट ट्रेनर की डिलीवरी बाकी है।

नवंबर, 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेजस फाइटर प्लेन में उड़ान भरी थी, जिसके बाद फाइटर एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट को बढ़ावा मिला। HAL ने भी इसके निर्माण में तेजी कर दी है। कंपनी 2025 तक हर साल 24 विमान तैयार करने के लक्ष्य तक पहुंच सकती है।

MiG सीरीज के विमानों को रिप्लेस करेगा LCA मार्क-1ए एयरक्राफ्ट

भारतीय वायुसेना तेजस के LCA वैरिएंट से अपनी मौजूदा MiG सीरीज के विमानों को बदलने की तैयारी में है। LCA मार्क-1ए विमान MiG-21, MiG-23 और MiG-27 को रिप्लेस करेगा। LCA मार्क-1ए के 65% से ज्यादा उपकरण भारत में बने हैं।

LCA मार्क-1ए को एयरोस्पेस में भारत की आत्मनिर्भरता और मेक-इन-इंडिया की तरफ बड़ा कदम माना जा रहा है। स्वदेशी तेजस मार्क-1ए को पाकिस्तान बॉर्डर के पास राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयरबेस पर तैनात करने की योजना है।

मोदी ने तेजस फाइटर प्लेन में उड़ान भरी:कहा- गजब का एक्सपीरियंस था, देश की स्वदेशी क्षमताओं पर भरोसा और बढ़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में शनिवार 25 नवंबर को तेजस फाइटर प्लेन में उड़ान भरी। पीएम ने कहा- तेजस में सफलतापूर्वक सॉर्टी की। ये गजब का अनुभव रहा। इस उड़ान से मेरे अंदर देश की स्वदेशी क्षमताओं पर भरोसा और बढ़ गया है।

एयरफोर्स को मिला पहला ट्विन सीटर तेजस एयरक्राफ्ट:यह हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम; ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बुधवार को इंडियन एयर फोर्स को पहला ट्विन सीटर लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस सौंप दिया। यह ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। यह वजन में हल्का और हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है। भारतीय वायु सेना ने


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ISRO ने लॉन्च किया 21वीं सदी का 'पुष्पक विमान'

इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने शुक्रवार (22 मार्च) सुबह कर्नाटक के चित्रदुर्ग में 'पुष्पक' विमान को सफलतापूर्वक लैंड करवाया. इसरो ने एक ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी है. पुष्पक विमान एसयूवी के साइज का पंखों वाला रॉकेट है, जिसे 'स्वदेशी स्पेश शटल' भी कहा जा रहा है. ये रियूजेबल रॉकेट सेगमेंट में सफलता हासिल करने की दिशा में भारत की तरफ से उठाया गया एक बड़ा कदम है. 

इसरो ने कहा कि रियूजेबल लॉन्च व्हीकल (आरएलवी) टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में RLV LEX-02 लैंडिंग एक्सपेरिमेंट के जरिए मील का पत्थर हासिल किया गया है. इस टेस्ट को कर्नाटक के चित्रदुर्ग में बने एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (एटीआर) में सुबह 7.10 बजे किया गया. पंखों वाला पुष्पक (आरएलवी-टीडी) ऑफ-नॉमिनल ऊंचाई से छोड़े जाने के बाद रनवे पर सटीकता के साथ सफलतापूर्वक लैंड हुआ. एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर के जरिए रॉकेट को आसमान से गिराया गया था.

तीन बार हुआ पुष्पक रॉकेट का टेस्ट

पुष्पक रॉकेट की ये तीसरी फ्लाइट थी. 2016 में पुष्पक रॉकेट का पहला टेस्ट किया था, जब इसे बंगाल की खाड़ी में एक वर्चुअल रनवे पर लैंड कराया गया. हालांकि, फिर से पूरी तरह से डूब गया था और कभी रिकवर नहीं किया. दूसरा टेस्ट 2023 में हुआ था, जब इसे लैंडिंग के लिए चिनूक हेलिकॉप्टर से ड्रॉप किया गया. इसरो इस रॉकेट का लगातार टेस्ट कर रहा है, ताकि चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इसकी काबिलियत को परखा जा सके. 

10 साल पहले शुरू हुआ था पुष्पक रॉकेट तैयार करने का काम

पुष्पक को पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में अभी काफी साल लगने वाले हैं. रॉकेट को पुष्पक नाम रामायण में जिक्र किए गए पुष्पक विमान से मिला है. पुष्पक विमान धन के देवता कुबेर का वाहन था. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा था कि पुष्पक लॉन्च व्हीकल भारत के स्पेस मिशन को किफायती करने की दिशा में बड़ा कदम हैं. इस स्पेस शटल को तैयार करने का काम 10 साल पहले शुरू हुआ था. इस पर इंजीनियर्स और वैज्ञानिकों की टीम ने दिन-रात किया है.

पुष्पक रॉकेट की खासियत

पुष्पक 6.5 मीटर लंबा और 1.75 टन वजनी एयरोप्लेन जैसा स्पेसक्राफ्ट रॉकेट है. इसे स्पेस में भेजने के लिए तैयार किया गया है. ये बाकी के रॉकेट के स्टेज के साथ अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है.

स्पेस से मिशन पूरा करने के बाद रॉकेट जब पृथ्वी की ओर लौटेगा, तो इसमें एक छोटा सा थ्रस्ट दिया जा सकता है. इसके जरिए ये वहीं लैंड करेगा, जहां इसरो इसे करवाना चाहेगी.

केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. सरकार का मकसद रियूजेबल रॉकेट तैयार करना है, ताकि भविष्य के मिशन पर होने वाले खर्च को कम किया जा सके. 

रॉकेट में दो से चार स्टेज होते हैं, जिसमें से सबसे ऊपरी स्टेज में सबसे महंगे उपकरण लगाए गए होते हैं. पुष्पक सबसे ऊपरी स्टेज है. इसे रियूजेबल बनाया जा रहा है, ताकि धरती पर वापस लौटने पर महंगे उपकरण फिर से काम में आएं. 

पुष्पक रॉकेट का इस्तेमाल आगे चलकर चक्कर लगा रही सैटेलाइट्स की रिफ्यूलिंग करने के लिए भी किया जा सकता है. इसके अलावा ये भारत के स्पेस में गंदगी कम करने के अभियान का भी हिस्सा है. 



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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर गूगल का नारी शक्ति को सलाम

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को मनाया जाता है। इस मौके पर गूगल ने भी महिलों को सपोर्ट करते हुए खास डूडल बनाया है। गूगल ने अपने डूडल को लेकर ऑफिशियल ब्लॉग पोस्ट में जानकारी दी है कि यह डूडल सालों से हुई प्रगति को दर्शाता है, जिसमें अलग-अलग पीढ़ियों की महिलाएं दिख रही हैं।

महिला दिवस पर गूगल डूडल की खास बातें

गूगल का कहना है कि इस डूडल के साथ वह महिला दिवस और लैंगिक समानता की दिशा में हो रही प्रगति को सेलेब्रेट करता है।

इस डूडल में अलग-अलग पीढ़ियों की महिलाएं हैं, जिसमें एक बूढ़ी महिला हाथ में किताब लिए ज्ञान साझा करती नजर आ रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर गूगल के डूडल को सोफी डियाओ ने डिजाइन किया है।

डूडल के पीछे की कहानी को लेकर गूगल का कहना है कि लोगों को दूसरी पीढ़ी के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताना चाहिए। ताकि हम अलग-अलग पीढ़ियों से कुछ सीख सकें।


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जादुई जिन्न बना Digital India, घर बैठे शिक्षा के साथ भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में भी मिली मदद

वर्ष 2015 के जुलाई माह में मिशन डिजिटल इंडिया लांच किया गया तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि यह देश की आर्थिक तस्वीर बदल देगा। ये जादुई जिन्न नागरिक सुविधाओं को आपके द्वार तक पहुंचा देगा। चंद सेकेंड में लाखों रुपये का ट्रांजेक्शन करा देगा। घर बैठे शिक्षा और शहर जाए बगैर इलाज उपलब्ध करा देगा।

सामान खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना होगा और गांव वालों को किसी सरकारी काम के लिए शहर नहीं जाना होगा। रोजगार के नए आयाम खुल जाएंगे और गांवों में बैठे-बैठे विदेश में अपने सामान को बेच सकेंगे। फोन से खाना मंगाने लगेंगे तो घूमने जाने के लिए टैक्सी बुलाने लगेंगे। गरीबों को घर बैठे उनके हिस्से की राशि मिल जाएगी और उनके नाम पर किए जाने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लग जाएगी।

विश्व का बादशाह भारत

किसानों की खेती का तरीका बदल जाएगा। इन सबसे ऊपर यह कि यह मिशन भारत को डिजिटल दुनिया का बादशाह बना देगा। डिजिटल भारत का ही नतीजा है कि पिछले वर्ष 5.63 करोड़ लोगों आयुष्मान भारत के तहत इलाज कराया है। जीडीपी में डिजिटल इकोनाम की हिस्सेदारी आठ प्रतिशत पहुंच गई, जो 2025 तक 20 प्रतिशत तक हो जाएगी।

सबके लिए समान रूप से उपलब्ध

डिजिटल इंडिया मिशन के तहत किए गए प्रयास का ही नतीजा है कि आज पूरी दुनिया भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) के माडल को अपनाने के लिए इच्छुक दिख रही है। विकसित देश तक भारत के डिजिटल भुगतान की सेवा अपने यहां लांच कर रहे हैं। मिशन डिजिटल इंडिया से जुड़ी सेवाओं की सबसे खास बात यह रही है कि यह लोकतांत्रिक तरीके से अमीर-गरीब, बड़े शहर -छोटे शहर व गांव सबके लिए समान रूप से समान दर पर उपलब्ध रही।

तेजी से फैला इंटनेट

पिछले नौ सालों में मोबाइल फोन व इंटरनेट सेवा का तेजी से प्रसार हुआ। इंटरनेट सेवा के मूल्य को काफी सस्ता रखने से ग्रामीण सेक्टर में तेजी से इंटरनेट का प्रसार हुआ । वर्ष 2015 में 30 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे थे, जिनकी संख्या अब एक अरब के पार जा चुकी है। सस्ते मोबाइल फोन में कम दरों पर इंटरनेट के उपलब्ध होने से शहरों की तरह ही ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट की पैठ बन गई और डिजिटल सेवा के मामले में गांव व शहर में कोई फर्क नहीं रह गया ।

योजनाओं को मिला विस्तार

सरकारी योजनाओं की ई-डिलीवरी डिजिटल इकोनामी व डिजिटल सेवा के विस्तार को सरकार ने मोबाइल फोन में इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने के बाद ई-सर्विस और सरकारी योजनाओं की ई-डिलीवरी शुरू की। डिजिटल मदद से देशभर के लोगों को आधार से जोड़ा गया और बैंक खाते खोले गए। जन्म प्रमाण-पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण- पुत्र जैसी दर्जनों सेवाओं को घर बैठे उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण इलाके में कामन सर्विस सेंटर खोले गए, जहां से सेवानिवृत्त कर्मचारी बिना शहर के चक्कर लगाए पेंशन जारी रखने के लिए ई-प्रमाण पत्र दे सकते हैं।

दुनिया का डिजिटल बाजार भारत

सरकारी सेवाओं की ई-डिलीवरी के लिए सरकार ने उमंग एप लांच किया और इस पर नागरिक सैकड़ों सरकारी सेवा हासिल करने लगे। देखते-ही-देखते भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा डिजिटल बाजार बन गया और फिजिकल व्यापार ई-कामर्स में बदलने लगा। इस साल ई-कामर्स का बाजार 100 अरब डालर के पार जाने का अनुमान है। आनलाइन शिक्षा का कारोबार 3.2 अरब डालर तक पहुंच गया।


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गगनयान से पहले वुमन रोबोट व्योममित्रा अंतरिक्ष में जाएगी

वुमन रोबोट एस्ट्रोनॉट ह्यूमनॉइड व्योममित्रा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन से पहले अंतरिक्ष में उड़ान भरेगी। यह जानकारी दिल्ली में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह दी।

ह्यूमनॉइड का मतलब ऐसे रोबोट से है, जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से इंसान जैसा बर्ताव कर सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि मानवरहित व्योममित्रा मिशन इसी साल जुलाई 2024 के बाद निर्धारित किया गया है। जबकि गगनयान 2025 में भेजा जाना है।

कौन है ह्यूमनॉइड व्योममित्रा

व्योममित्रा संस्कृत के दो शब्दों व्योम जिसका अर्थ है अंतरिक्ष और मित्र से मिलकर बना है। जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह व्योममित्रा मॉड्यूल के पैरामीटर्स की निगरानी करने चेतावनी जारी करने और लाइफ सपोर्ट ऑपरेशन्स कर सकती है। इसे ऐसे डिजाइन किया गया है जिससे यह अंतरिक्ष के वातावरण में मानव कार्यों का अनुकरण कर सके।

ह्यूमनॉइड कैसे काम करता है

ह्यूमनॉइड एक तरह के रोबोट हैं, जो इंसान की तरह चल-फिर सकते हैं। मानवीय हाव-भाव भी समझ सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोग्रामिंग के जरिए सवालों के जवाब भी दे सकते हैं। ह्यूमनॉइड के दो खास हिस्से होते हैं, जो उन्हें इंसान की तरह प्रतिक्रिया देने और चलने फिरने में मदद करते हैं।

सेंसर- इनकी मदद से आस-पास के वातावरण को समझते हैं। कैमरा, स्पीकर और माइक्रोफोन सेंसर्स से ही नियंत्रित होते हैं। ह्यूमनॉइड इनकी मदद से देखने, बोलने और सुनने का काम करते हैं।

एक्च्यूएटर- खास तरह की मोटर है, जो इंसान की तरह चलने और हाथ-पैरों के मूवमेंट में मदद करती है। इसकी मदद से ह्यूमनॉइड नॉर्मल रोबोट की तुलना में विशेष तरह के एक्शन कर सकते हैं।

भारत के पहले मैन स्पेस मिशन है गगनयान

गगनयान की टेस्ट व्हीकल फ्लाइट-टीवीडी 1 पिछले साल 21 अक्टूबर को हुई थी। इसका मकसद इमरजेंसी में क्रू एस्केप सिस्टम और पैराशूट सिस्टम की टेस्टिंग करना था। लॉन्चिंग व्हीकल मानव रेटिंग पूरी हो गई है। सभी प्रोपल्शन स्टेजेज प्रॉपर वर्किंग हैं। इसकी लॉन्चिंग की सभी तैयारियां हो चुकी हैं।

गगनयान प्रोजेक्ट के तहत अंतरिक्ष यात्रियों के दल को 400 किलोमीटर की कक्षा में भेज जाएगा। फिर इन्हें समुद्र में उतारकर पृथ्वी पर वापस लाने की सुरक्षित प्रक्रिया का प्रदर्शन किया जाएगा।

3 स्पेस कंपनियों ने पाई सफलता

अंतरिक्ष में लोगों को घुमाने के लिए दुनिया की 3 स्पेस कंपनियों ने अहम रोल निभाया है। इनमें सबसे पहली रिचर्ड ब्रैनसन की कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक (Virgin Galactic), दूसरी जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन (Blue Origin) और एलन मस्क की स्पेसएक्स (SpaceX) कंपनी है। इन कंपनियों के बाद चीन सहित कई दूसरे देश भी स्पेस टूरिज्म से जुड़े प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं।


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डिजिटल इंडिया और मीडिया।

मुंबई उपभोक्ता जनघोष : मीडिया का सामान्य अर्थ "संचार माध्यम" होता है । मीडिया' शब्द लैटिन भाषा के शब्द मीडियम से निकला है, इसका अर्थ माध्यम है। मीडिया एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। चूँकि मनुष्य स्वभाव से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है एवं वह देश-दुनिया में घटित घटनाओं की जानकारी लेने में रुचि लेता है, अत: उसकी इसी प्रवृत्ति को उल्लेखनीय रूप से शान्त करने के लिए 'मीडिया' का जन्म हुआ। वर्तमान इसका दायरा विस्तृत रूप ले चुका ।

वह दौर ही कुछ था जब मीडिया नहीं हुआ करता था , पर फिर भी लोगों को सूचना मिलती थी और वह शहर में घटने वाले हर घटना से वाकिफ रहते थे। राजा महाराजा के ज़माने में जब प्रजा को सुचना पहुंचाना होता था तब ढोल नगाड़े वालो का इस्तेमाल किया जाता था । यहाँ तक की जब किसी सॉशल इश्यूज जैसे " पेढ़ लगाओ, बेटी पढ़ाओ; बेटी बचाओ " , आदि तब कटपुतली का खेल दिखा कर लोगों को सही गलत का सिख दिया जाता था । 

मीडिया के पहले २ मुख्य प्रकार थे ; ब्रॉडकास्ट मीडिया और प्रिंट मीडिया । ब्रॉडकास्ट मीडिया में आता हैं टेलीविजन और रेडियो । प्रिंट मीडिया में आता है न्यूजपेपर और मैगजींस। अब एक और नया मीडिया जुड़ गया हैं जो की हैं " ऑनलाइन मीडिया " अर्थात " डिजिटल मीडिया " जो इंटरनेट के माध्यम से इस्तेमाल किया जाता हैं। जहाँ हर मिनट एंटरटेनमेंट मौजूद हैं और खबरे भी हर सेकेंड की मिलती हैं। डिजिटल मीडिया एक प्रकार का मीडिया है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, पॉडकास्ट, एप्लिकेशन आदि सहित डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से वितरित सामग्री और प्रचार को कवर करता है। कंपनियां और लोग सूचना स्रोत, मनोरंजन, गेम, व्यवसाय आदि सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग करते हैं। यह व्यापारिक दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी मंच प्रदान करता है। अधिकांश ग्राहक अब बड़े पैमाने पर डिजिटल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। कुछ उद्योग क्षेत्रों में यह संख्या बहुत अधिक है इसलिए व्यावसायिक दृष्टिकोण से डिजिटल मीडिया की समझ और उपयोग बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

डिजिटल मीडिया में आने वाले माध्यम हैं इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर, व्हाट्सएप , इत्यादि। जिसके प्रयोग से लोग घर बैठे पैसे कमाते हैं जैसे ब्लॉगिंग और ब्लॉगिंग ; Vlogging :– व्लॉगिंग का मतलब होता है वीडियो के फॉर्म में कंटेंट क्रिएट करना जिस में हम वीडियो रिकॉर्ड करते है और Bloging Meaning हैं अपने विचारों, भावनाओं, ज्ञान या किसी भी जानकारी को लिखकर डिजिटल माध्यम के द्वारा लोगों तक पहुँचना ।

 देश बदल रहा हैं अपने नए टैगलाइन के साथ – पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया । आज हर किसी के पास स्मार्टफोन होना उतना ही अनिवार्य है जितना की पढ़ाई करना क्योंकि हर किसी के प्रॉब्लम का सॉल्यूशन फोन में ही हैं। बैंक से काम से लेकर सरकारी डॉक्यूमेंटेशन , फ़ोन कॉल से लेकर वीडियो कॉलिन और एसएमएस से लेकर पिक्चर मैसेज।

#UJNews आप सभी को डिजिटल मीडिया का उसे करके अपने आप को नए पड़ाव पर चलने को कहना चाहता हैं ।

Edit By Priya Singh

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क्या भारत में दो टाइम ज़ोन होने चाहिये?

साल 2002 से संसद के हर सत्र में बार-बार दोहराया गय सवाल है; क्या भारत में दो समय क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव है और इसे लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? सबसे पहले ये सवाल मार्च 2002 में उठाया गया था, उस वर्ष के अगस्त में प्रश्न को प्रभावी ढंग से सुलझा लिया गया था। उस वर्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा गठित एक 'उच्च स्तरीय समिति' ने इस मुद्दे का अध्ययन किया था और निष्कर्ष निकाला था कि कई ज़ोन 'कठिनाइयों' का कारण बन सकते हैं जो "एयरलाइंस, रेलवे, रेडियो, टेलीविज़न" और टेलीफोन सेवाएं” के सुचारू कामकाज को बाधित करेंगे। इसलिए एकीकृत समय के साथ जारी रखना सबसे अच्छा था।

 

भारत पूर्व से पश्चिम तक लगभग 3000 किमी तक फैला हुआ है। देश के पूर्वी और पश्चिमी छोरों के बीच लगभग 28 डिग्री देशांतर है जिसके परिणामस्वरूप पश्चिमी और पूर्वी बिंदु के बीच लगभग दो घंटे का अंतर होता है। भारतीय मानक समय (उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में 82.5′ ई देशांतर के आधार पर गणना की गई), अधिकांश भारतीयों को प्रभावित नहीं करता है, सिवाय उन लोगों को छोड़कर जो पूर्वोत्तर क्षेत्र में रहते हैं जहां सूरज गर्मियों में सुबह 4 बजे के आसपास उगता है, और शाम 4 बजे से पहले सर्दियों में अंधेरा हो जाता है। इसलिए, पूर्वोत्तर क्षेत्र ने लंबे समय से उनके जीवन और उनकी अर्थव्यवस्थाओं पर एकल समय क्षेत्र के प्रभाव के बारे में शिकायत की है।

 

हाल ही में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनपीएल), जो भारतीय मानक समय (आईएसटी) को बनाए रखती है, ने भारत में दो समय क्षेत्रों और दो आईएसटी का सुझाव देते हुए एक शोध प्रकाशित किया: अधिकांश भारत के लिए आईएसटी-I और आईएसटी- II के लिए उत्तर-पूर्वी क्षेत्र - एक घंटे के अंतर से अलग। दो समय क्षेत्रों की मांग इसलिए बढ़ी क्योंकि उत्तरपूर्वी भारत और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अपने भूगोल के कारण, देश के बाकी हिस्सों की तुलना में जल्दी सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं।

 

लेकिन घड़ियां इसके लिए जिम्मेदार नहीं थीं और आधिकारिक काम के घंटे हर जगह समान थे, सुबह के समय मूल्यवान काम के घंटे खराब होने और इन क्षेत्रों में शाम के घंटों में अनावश्यक बिजली की खपत हुई इसलिए, व्यापक रूप से प्रचलित यू.एस. के पांच समय क्षेत्र और रूस के 11 के आधार पर भारत में भी कई टाइम जोन लागू करने की बात सामने आई। मगर विशेषज्ञ समिति ने, कई समय क्षेत्रों का समर्थन नहीं करते हुए, सिफारिश की कि पूर्वी राज्यों में काम के समय को एक घंटे आगे बढ़ाया जाए, ताकि सुबह के घंटों का "लाभदायक उपयोग" किया जा सके और इसमें संबंधित अधिकारियों द्वारा इस संबंध में केवल प्रशासनिक निर्देश शामिल होंगे।

 

लेकिन दो समय क्षेत्रों के लाभ अपनी जगह है हम उनको नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते; इससे कार्यबल के बीच और ऊर्जा की खपत में अधिक दक्षता आएगी। ऊर्जा की खपत में कमी से भारत के कार्बन फुटप्रिंट में काफी कमी आएगी, जिससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने के भारत के संकल्प को बढ़ावा मिलेगा। प्राकृतिक चक्रों के अनुसार दो अलग-अलग समय क्षेत्र होने से आर्थिक लाभ होते हैं क्योंकि लोग बेहतर काम करने और बेहतर योजना बनाने में सक्षम होंगे। कई सामाजिक नीतिगत उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है जैसे सड़क दुर्घटनाओं को कम करना और महिलाओं की सुरक्षा में सुधार करना।

 

दूसरी तरफ दो समय क्षेत्र होने की समस्या को देखे तो दो टाइम जोन होने से रेल हादसों की संभावना बढ़ जाएगी। रेलवे सिग्नल पूरी तरह से स्वचालित नहीं हैं, और कई मार्गों में सिंगल ट्रैक हैं। समय क्षेत्र के प्रत्येक क्रॉसिंग के साथ घड़ियों को रीसेट करना। दो समय क्षेत्र होने पर कार्यालय समय के बीच ओवरलैप कम हो जाता है। बैंकों, उद्योगों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को नए समय क्षेत्रों में समायोजन करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। दो जोन की डिवाइडिंग लाइन को चिह्नित करने में दिक्कत होगी। दो समय क्षेत्रों के प्रतिकूल राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं क्योंकि भारत धर्म, जाति, नस्ल, भाषा आदि के आधार पर विभाजित होने के अलावा, अब समय क्षेत्र की तर्ज पर विभाजित हो जाएगा।

 

भारतीय समय क्षेत्र के संबंध में सभी पहलुओं पर नए सिरे से विचार करने के लिए परामर्श की प्रक्रिया शुरू करना समय की मांग है। आईएसटी को आधे घंटे आगे सेट करने के कुछ शोधकर्ताओं के प्रस्ताव की जांच की जा सकती है और बहस की जा सकती है। इसका मतलब होगा कि आईएसटी को 82.5 डिग्री पूर्व से 90 डिग्री पूर्व में आगे बढ़ाना, जो पश्चिम बंगाल-असम सीमा के साथ एक देशांतर पर होगा, असम की मांग को पूरा करने में किसी तरह से मदद करेगा और उत्तर-पश्चिमी भारत से संबंधित असुविधाओं के बारे में संभावित शिकायतों से बचने में मदद करेगा। यदि अलग मानक समय की व्यवस्था से मानव श्रम का उचित प्रबंधन और बड़ी मात्रा में बिजली की बचत की जा सकती है तो इस संबंध में विचार किये जाने की आवश्यकता है।

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