अयोध्या में आज 3 मिनट तक रामलला का सूर्य तिलक

रामनवमी पर अयोध्या में विराजमान रामलला का सूर्य तिलक होगा। 3 मिनट तक रामलला के मस्तक पर सूर्य किरणें पड़ेंगी। इसके लिए बेंगलुरु की कंपनी ने अष्टधातु के 20 पाइप से यह सिस्टम तैयार किया है। कंपनी ने 1.20 करोड़ का ये सिस्टम मंदिर को डोनेट किया है।

65 फीट लंबाई के इस सिस्टम में अष्टधातु के 20 पाइप लगाए गए हैं। हर पाइप की लंबाई करीब 1 मीटर है। इन पाइप को फर्स्ट फ्लोर की सीलिंग से जोड़ते हुए मंदिर के अंदर लाया गया है। गर्म किरणें रामलला के मस्तक पर न पड़े, इसलिए फिल्टर का इस्तेमाल किया गया है।

सूर्य तिलक में लगने वाले पाइप से लेकर मिरर तक, सभी चीजें बेंगलुरु की कंपनी ऑप्टिक्स एंड एलाइड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ऑप्टिका) ने तैयार की हैं। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की (CBRI) ने इसे डिजाइन किया है।

वहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु (IIA) ने पाइप, मिरर और फिल्टर को फिट किया है। इसकी लागत 1.20 करोड़ रुपए आई है। ऑप्टिका कंपनी के मालिक ने इसके लिए एक भी पैसा नहीं लिया है।

हर साल रामनवमी पर सूर्य किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी। साल 2043 तक इसकी टाइमिंग भी बढ़ेगी। 2043 में 2024 की टाइमिंग को रिपीट किया जाएगा।रामनवमी पर अयोध्या में विराजमान रामलला का सूर्य तिलक होगा। 3 मिनट तक रामलला के मस्तक पर सूर्य किरणें पड़ेंगी। इसके लिए बेंगलुरु की कंपनी ने अष्टधातु के 20 पाइप से यह सिस्टम तैयार किया है। कंपनी ने 1.20 करोड़ का ये सिस्टम मंदिर को डोनेट किया है।

65 फीट लंबाई के इस सिस्टम में अष्टधातु के 20 पाइप लगाए गए हैं। हर पाइप की लंबाई करीब 1 मीटर है। इन पाइप को फर्स्ट फ्लोर की सीलिंग से जोड़ते हुए मंदिर के अंदर लाया गया है। गर्म किरणें रामलला के मस्तक पर न पड़े, इसलिए फिल्टर का इस्तेमाल किया गया है।

सूर्य तिलक में लगने वाले पाइप से लेकर मिरर तक, सभी चीजें बेंगलुरु की कंपनी ऑप्टिक्स एंड एलाइड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड (ऑप्टिका) ने तैयार की हैं। सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की (CBRI) ने इसे डिजाइन किया है।

वहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स बेंगलुरु (IIA) ने पाइप, मिरर और फिल्टर को फिट किया है। इसकी लागत 1.20 करोड़ रुपए आई है। ऑप्टिका कंपनी के मालिक ने इसके लिए एक भी पैसा नहीं लिया है।

हर साल रामनवमी पर सूर्य किरणें रामलला का अभिषेक करेंगी। साल 2043 तक इसकी टाइमिंग भी बढ़ेगी। 2043 में 2024 की टाइमिंग को रिपीट किया जाएगा।

CBRI के साइंटिस्ट ने नाम न छापने की शर्त पर  बताया कि IIA बेंगलुरु की टीम के साथ मिलकर हमने इसे डिजाइन किया है। इसमें 4 मिरर और 4 लेंस का प्रयोग किया गया है। ये सभी हाई क्वालिटी की क्षमता वाले और बेहद कीमती हैं।

रामलला की मूर्ति का मुंह पूर्व दिशा में है। इसलिए इसे ऐसे लगाया गया है कि इसके ठीक उल्टी दिशा से किरणें मूर्ति की ओर रिफ्लेक्ट हो सकें। मंदिर के फर्स्ट फ्लोर की सीलिंग के ऊपर मिरर सेट किया गया है, जिस पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। वहां इससे जोड़ते हुए पाइप लगाए गए हैं।

हर मोड़ पर एक लेंस, ताकि किरणें आगे रिफ्लेक्ट होती रहें

पाइप को मंदिर की दीवार के पीछे इस तरह से सेट किया गया है कि वह किसी को दिखाई न दें। फिर एपर्चर के सहारे अन्य पाइप को जोड़ते हुए अंदर लाया गया है। हर मोड़ पर एक लेंस और दर्पण लगाया गया है, ताकि सूर्य की किरणें रिफ्लेक्ट होते हुए आगे बढ़ें।

भगवान की प्रतिमा के सामने भी पाइप को इस तरह फिट किया गया है कि वह किसी को दिखे नहीं। पाइप के अंतिम छोर पर भी एक दर्पण और लेंस का इस्तेमाल किया गया है। इनके जरिए ही सूर्य की किरणें सीधे रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी। इस पूरी डिजाइन में साइंटिफिक रीजन के साथ-साथ धार्मिक मान्यताओं का भी ख्याल रखा गया है।

दरअसल, मंदिर में मौजूद पुजारियों ने हमें बताया था कि लोहे के पाइप से सूर्य की किरणों का आना धार्मिक कारणों से ठीक नहीं था। इसलिए हमारी टीम ने कांच के अलावा, जहां भी अष्टधातु का इस्तेमाल करना था, वहां सिर्फ अष्टधातु का इस्तेमाल किया है।

इसमें अष्टधातु की 1 मीटर लंबाई वाली 20 पाइप का इस्तेमाल हुआ है। पाइप को फर्स्ट फ्लोर की सीलिंग से जोड़ते हुए अंदर लाया गया है। हर पाइप की लंबाई 1 मीटर है। मोटाई 3 MM और डायमीटर एरिया 200 MM का है।

गर्म किरणों को रोकने के लिए लगाए गए IR फिल्टर

CBRI के साइंटिस्ट ने बताया कि IR फिल्टर ग्लास का इस्तेमाल भी किया गया है, ताकि सूर्य की गर्म किरणें रामलला के मस्तक पर न पड़ें। इस ग्लास से सूरज की किरणों का तापमान 50 फीसदी तक कम हो जाता है। इसमें लगे दर्पण और लेंस की साइज 1 फीट से थोड़ा कम है। कहां कौन सी चीजें लगनी हैं? इसकी फिटिंग IIA बेंगलुरु ने की है।

टेस्टिंग में CBRI रुड़की, IIA बेंगलुरु के अलावा कंपनी के इंजीनियर और कर्मचारी भी लगे हुए हैं। इन तीनों संस्थानों के सहयोग से इस सिस्टम को अंतिम रूप दिया गया है। CBRI के साइंटिस्ट ने बताया कि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्राण प्रतिष्ठा के बाद पहली रामनवमी को बेहद खास बनाने के लिए सूर्य तिलक की प्लानिंग की थी।

बेंगलुरु की ऑप्टिका कंपनी से बातचीत के बाद हमने पहले अपने संस्थान में इसकी एक टेस्टिंग की। इसमें हमने भारतीय खगोलीय भौतिकी संस्थान बेंगलुरु (IIA) के वैज्ञानिकों की मदद ली। वहां पर प्रयोग सफल रहा। इसके बाद हमने राम मंदिर में फिटिंग का काम शुरू किया।

2043 तक हर साल बढ़ेगी सूर्य तिलक की टाइमिंग

CBRI के साइंटिस्ट ने बताया कि भारतीय खगोलीय भौतिकी संस्थान बेंगलुरु (IIA) के रिसर्च के मुताबिक, हर साल सूर्य तिलक का टाइम ड्यूरेशन बढ़ता जाएगा। 19 साल तक टाइम कुछ न कुछ बढ़ेगा। उसके बाद फिर से इसी रामनवमी की तरह ही रिपीट होगा। यानी 2024 रामनवमी को सूर्य तिलक जितनी देर का होगा, 19 साल बाद 2043 में उतनी ही देर के लिए सूर्य तिलक होगा। दरअसल, साल दर साल सूर्य ज्यादा देर तक निकलता है। फिर 19 साल बाद पहले की अवस्था में आ जाता है।

अब कोई मेंटेनेंस खर्च नहीं, ऑपरेटिंग आसान

CBRI के साइंटिस्ट ने बताया कि इसमें इस्तेमाल किया गया सारा सामान बहुत महंगा और अच्छी क्वालिटी का है। सालों साल ये खराब नहीं होगा। फिलहाल, इसे स्थायी रूप से लगाया गया है। इसका इस्तेमाल हर रामनवमी पर किया जाएगा। राम मंदिर में अभी निर्माण कार्य चल रहा है। तीसरे फ्लोर का काम खत्म होने के बाद एक बार फिर से इसे वहां शिफ्ट करना होगा।

उस टाइम कुछ सामान बढ़ाने पड़ सकते हैं। जैसे पाइप, मिरर और लेंस। हालांकि इसे हर साल इस्तेमाल करने के लिए कोई बड़ा मैकेनिज्म लगाने की जरूरत नहीं है। उसमें इस हिसाब से सारी चीजें सेट हैं। इसकी ऑपरेटिंग भी आसान है। यही वजह है कि मंदिर के पुजारी स्टाफ बाद में इसे ऑपरेट कर सकेंगे। बाकी कुछ लोगों को ट्रेंड भी किया जाना है।

अब बात सूर्य तिलक की धार्मिक मान्यता की

रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास ने तुलसीदास की एक चौपाई सुनाई,

''मास दिवस कर दिवस भा मरम न जानइ कोइ। रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन बिधि होइ।''

अर्थात मान्यता है कि जब भगवान राम का जन्म हुआ था, तो भगवान सूर्य इतने खुश हुए कि अपने रथ सहित अयोध्या आए और यहां पूरे एक महीने तक रुक गए। इससे अयोध्या में एक महीने तक रात ही नहीं हुई। यानी एक दिन एक माह के बराबर हो गया।

आचार्य सत्येन्द्र दास कहते हैं, ''भगवान राम सूर्यवंशी कुल के थे। सूर्य उनके कुल में मस्तक पर तिलक के रूप में लगाया जाता था। सूर्य उनके कुल का प्रतीक भी हैं और पूर्वज भी। ऐसे में जब 500 सालों बाद भगवान राम का भव्य मंदिर बना है, तो रामनवमी भी भव्यतम होनी चाहिए। सूर्य तिलक वैज्ञानिक तकनीक से हो रहा है, ये और अच्छा है।

सूर्य तिलक के साथ ही रामलला को सुनाया जाएगा सोहर

राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और विहिप के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि सैकड़ों साल के संघर्ष के बाद प्रभु राम का भव्य मंदिर बन कर तैयार हुआ है। भगवान राम सूर्यवंशी थे, तो पूर्वज का आशीर्वाद प्राप्त होना ही चाहिए। इसलिए वैज्ञानिक पद्धति से सूर्य तिलक किया जाएगा। साल भर से इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही थी, ये भगवान राम का आशीर्वाद है कि रामनवमी को उनका सूर्य तिलक होगा।

इसका परीक्षण भी एक दिन पहले किया जा चुका है। रामनवमी के दिन पूर्वांचल में शिशु के जन्म पर गाया जाने वाले सोहर भी रामलला को सुनाया जाएगा। सारी तैयारियां फाइनल स्टेज में हैं।

50 क्विंटल फूलों से सजेगा राम मंदिर

श्रीराम श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने रामजन्म उत्सव की व्यापक तैयारियां की हैं। रामनवमी पर करीब 50 क्विंटल देसी-विदेशी फूलों से राम मंदिर और पूरे परिसर को सजाया जाएगा। राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बताया, राम मंदिर के गर्भ ग्रह के अतिरिक्त सभी पांचों मंडपों रंग मंडप, नृत्य मंडप, गूढ़ी मंडप, प्रार्थना मंडप और कीर्तन मंडप समेत बाहरी दीवारों व शिखर, सीडीओ, परकोट के भागों को फूलों से सजाया जाएगा। इसमें देसी-विदेशी करीब 20 प्रकार से अधिक फूल इस्तेमाल किए जाएंगे।

फूल बेंगलुरु और दिल्ली से मंगाए गए हैं। राम मंदिर के साथ ही कनक भवन और हनुमानगढ़ी को भी फूलों से सजाया जाएगा। रामलला की भव्य पोशाक और दिव्य आभूषण के अलावा पूरे मंदिर और 70 एकड़ परिसर को सुगंधित फूलों से सजाया जाएगा।

हेलिकॉप्टर से बरसाए जाएंगे फूल

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन जिस तरह हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई थी, उसी तरह रामनवमी पर यानी 17 अप्रैल को भी पुष्प वर्षा की जाएगी। इसके लिए भी तैयारी चल रही है। हेलिकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा राम भक्तों पर की जाएगी।




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रामलला के सूर्य तिलक का ट्रायल

अयोध्या में शुक्रवार को राम जन्मभूमि मंदिर में रामलला के सूर्य तिलक का सफल ट्रायल किया गया। दर्पण के जरिए भगवान के मस्तक पर सूर्य की किरण डाली गई।

राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने बताया कि वैज्ञानिकों की मौजूदगी में शुक्रवार दोपहर 12 बजे सूर्य तिलक किया गया। इस सूर्य तिलक के एक मिनट 19 सेकेंड के वीडियो में रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास आरती उतार रहे हैं। इसी बीच सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर तिलक करती हैं।

17 अप्रैल को रामनवमी के मौके पर दोपहर ठीक 12 बजे रामलला का सूर्य तिलक किया जाएगा।

सूर्य तिलक के ट्रायल का विजुअल...

मुख्य पुजारी बोले- राज जन्म पर एक महीने अयोध्या में रुके थे सूर्य

आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि सूर्य तिलक का दृश्य अद्भुत था। वैज्ञानिकों ने जिस तरह से प्रयास किया, वह बहुत सराहनीय है। त्रेता युग में भी जब प्रभु राम ने जन्म लिया थे तो उस दौरान सूर्य देव 1 महीने तक अयोध्या में रुके थे। त्रेता युग का वह दृश्य अब कलयुग में भी साकार हो रहा है।

CBRI ने बनाया सूर्य तिलक का सिस्टम

IIT रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) ने यह सिस्टम बनाया है। प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक देवदत्त घोष के मुताबिक, यह सूर्य के पथ बदलने के सिद्धांतों पर आधारित है। इसमें एक रिफ्लेक्टर, 2 दर्पण, 3 लेंस, पीतल पाइप से किरणें मस्तक तक पहुंचाई गईं।

CBRI के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि रामनवमी की तारीख चंद्र कैलेंडर से तय होती है। सूर्य तिलक तय समय पर हो, इसीलिए सिस्टम में 19 गियर लगाए गए हैं, जो सेकंड्स में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदलेंगे। बेंगलुरु की कंपनी ऑप्टिका ने लेंस और पीतल के पाइप बनाए हैं। प्रोजेक्ट में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स भी शामिल है।.

50 क्विंटल फूलों से सजेगी राम जन्मभूमि, हेलिकॉप्टर से बरसाएंगे फूल

रामनवमी पर करीब 50 क्विंटल फूलों से राम मंदिर और 70 एकड़ में फैले परिसर को सजाया जाएगा। राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य डॉ. अनिल मिश्रा ने बतयाा कि देश और विदेश के करीब 20 प्रकार से फूल इस्तेमाल किए जाएंगे।

फूल बेंगलुरु और दिल्ली से मंगाए गए हैं। राम मंदिर के साथ ही कनक भवन और हनुमानगढ़ी को भी फूलों से सजाया जाएगा।

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन जिस तरह हेलिकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई थी, उसी तरह रामनवमी पर हेलिकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा राम भक्तों पर की जाएगी।


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तमिलनाडु के बन्नारी अम्मन मंदिर में कुंडम उत्सव मनाया गया

तमिलनाडु में मनाएं जानेवाले सभी त्योहार अद्भुत होते है और सभी त्योहार भगवान से जुड़े ही होते है। इसी क्रम में तमिलनाडु के बन्नारी अम्मन मंदिर में कुंडम उत्सव मनाया गया। यह मासी महीने के आखिरी मंगलवार को मनाया जाता है जिसमें देवी बन्नारी हैं की पूजा की जाती है। बन्नारी देवी को बारिश की देवी और देवी शक्ति के अवतार के रूप में माना जाता है।

इस उत्सव मने भक्त इसमें भक्त दहकते अंगारों पर चलते हैं। मान्यता है की ऐसे करने से उनकी मन्नतें पूरी होती हैं। अंगारों पर चलने की रस्म सैकड़ों साल पुरानी है। देवी बन्नारी का तमिल,कन्नड़ लोककथाओं में बहुत महत्व है


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होली पर अयोध्या-मथुरा से अमेरिका तक उड़े रंग

देशभर में आज होली मनाई जा रही है। वाराणसी और मथुरा-वृंदावन में सड़कें रंग से सराबोर लोगों से भरी हुई हैं। उज्जैन के महाकाल मंदिर में शाम को होलिका दहन के साथ होली की शुरुआत हुई। हालांकि भद्रा के कारण ज्यादातर जगह रात 11 बजे के बाद ही होलिका दहन किया गया।

इधर अयोध्या के राम मंदिर में विराजे बालक राम की पहली होली है। यहां कचनार के फूलों से खास गुलाल बनाया गया है। रामलला को कचौड़ी, गुजिया, खीर, पूड़ी समेत कई व्यंजनों का भोग लगाया गया।

राज्यों में होली की धूम...

राजस्थान में देसी-विदेशी लोग मिलकर खेल रहे होली

यहां गली-मोहल्लों में चंग की थाप पर फाग के गीतों पर लोग झूम रहे हैं। पुष्कर (अजमेर) में विदेशी पर्यटक रंग-गुलाल खेल रहे हैं। डूंगरपुर में 100 साल पुरानी परंपरा के तहत बच्चे, युवा और बुजुर्ग रंग-गुलाल व ढोल कुंडी के साथ होली के अंगारों पर चले।

मध्य प्रदेश के महाकाल मंदिर में भक्तों ने होली खेली

मध्यप्रदेश में होली का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। उज्जैन में महाकाल मंदिर में भस्मारती के दौरान बाबा महाकाल के साथ भक्तों ने होली खेली। भोपाल में चल समारोह होगा, इसमें ट्रकों से रंग-गुलाल उड़ाया जाएगा। पूरा शहर इसमें शामिल होगा। 

उत्तर प्रदेश में मथुरा में विदेशी पर्यटकों का डांस

यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में रुद्र अभिषेक किया। वाराणसी के अस्सी घाट पर पीएम मोदी के मुखौटे में लोग होली खेलते नजर आए। मथुरा में सड़कों से लेकर मंदिरों तक रंग-गुलाल उड़ रहे हैं। होली खेलने के लिए विदेश से लोग आए हैं। 

हरियाणा-पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल में होली

पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और हिमाचल में भी लोग रंगों के त्योहार पर एक दूसरे को रंग लगाकर शुभकामनाएं दे रहे हैं। 

बिहार में कल खेली जाएगी होली

बिहार में होली कल 26 मार्च मंगलवार को मनाई जाएगी। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 2 दिन होने से ऐसी स्थिति बनी है। 24 को होलिका दहन के एक दिन बाद 26 को होली मनाई जाएगी।

महाकाल मंदिर परिसर में हुआ होलिका दहन

होली की पूर्व संध्या पर उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में जमकर रंग-गुलाल उड़े। पंडे-पुजारियों और श्रद्धालुओं ने भगवान महाकाल के संग फूलों की होली भी खेली। एक-दूसरे को रंग लगाया और होली पर्व की बधाई दी।

रविवार शाम को संध्या आरती के बाद महाकाल मंदिर परिसर में ही होलिका दहन किया गया। इससे पहले पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा और अन्य पंडे-पुजारियों ने होलिका का विधि-विधान से पूजन किया। फिर होलिका की परिक्रमा की गई। 


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कई मायनों में है खास वृंदावन की फूलों वाली होली

हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर होली का उत्सव मनाया जाता है। ऐसे में साल 2024 में 25 मार्च को होली का पर्व मनाया जा रहा है। लेकिन ब्रज क्षेत्र यानी मथुरा, वृन्दावन, बरसाना और नंदगांव आदि में कई दिनों पहले से ही होली का त्योहार शुरू हो जाता है। इस दौरान लठमार होली, लड्डू होली और फूलों वाली होली भी खेली जाती है। इस स्थानों पर होली के पर्व का आनंद उठाने न केवल देश बल्कि विदेशों में भी लोग पहुंचते हैं।

यह है मान्यता

ब्रज क्षेत्र में होली का पर्व बड़े ही धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां पर लठमार होली, लड्डू होली और फलों वाली होली विश्व प्रसिद्ध हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण और राधा रानी और गोपियों संग फूलों वाली होली खेली थी। तभी से इस होली का चलन बना हुआ है।

ऐसे खेली जाती है ये होली

फूलवाली होली के दौरान, भक्त फूलों और फूलों की प्राकृतिक डाई से बने रंगों के साथ त्योहार खेलते हैं। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में फूल वाली होली की विशेष धूम देखने के मिलती है। इस अवसर पर भक्त मंदिर में एकत्रित होते हैं, जहां मंदिर के पुजारी भक्तों पर रंग-बिरंगे फूलों की वर्षा करते हैं। इसके साथ ही लोग एक-दूसरे पर गुलाब, कमल और गेंदे के फूल की पंखुड़ियां बरसाते हैं। इस दौरान लोग होली के गीत व भजन गाते हैं और नृत्य भी करते हैं

इसलिए भी है खास

फूलों की होली इस मायने में भी खास है क्योंकि यह होली प्रकृति का सम्मान करने का भी संकेत देती है। वहीं सिंथेटिक रंगों की तुलना में, फूलों का उपयोग स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी बेहतर माना जाता है, क्योंकि फूलों की होली से त्वचा और आंखों को सुरक्षित रहती ही हैं। साथ ही इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता।


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दिल्ली में नमाज पड़ते हुए लोगो को पुलिस ने लातो से मारा

दिल्ली में सड़क पर नमाज अदा कर रहे नमाजियों के साथ एक पुलिसकर्मी की बदसलूकी का VIDEO वायरल हो रहा है। इसमें वह नमाजियों को लात मार रहा है। मामला दिल्ली के इंद्रलोक इलाके का बताया जा रहा है।

मामला बढ़ने के बाद पुलिस की तरफ से जांच के आदेश दिए गए। इसके बाद आरोपी सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। उधर, मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हंगामा किया और पुलिस थाने का घेराव किया।

सब इंस्पेक्टर ने 2 लोगों को लात मारी

पुलिस अफसर सड़क पर नमाज कर रहे लोगों में एक शख्स को पीछे से लात मारता है। कुछ अपशब्द भी कहता है। इसके बाद वह दूसरे व्यक्ति को भी लात मारता है। फिर नमाज कर रहे लोगों को वहां से जाने के लिए कहता है।

सब इंस्पेक्टर की बदसलूकी के बाद कई लोग वहां एकत्रित हो जाते हैं और उससे बहस करते हैं। कई लोग पुलिस वाले का वीडियो बना रहे हैं। एक व्यक्ति की वीडियो में आवाज सुनाई देती है- 'ये पुलिस वाला सजदा कर रहे लोगों को लात मार रहा है।' दिल्ली पुलिस के डिप्टी कमिश्नर एमके मीणा ने कहा- मामले की एन्क्वायरी शुरू हो गई है। उचित कार्रवाई की जाएगी।


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ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में जारी रहेगी पूजा

उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर में व्यास जी के तहखाने में पूजा होने या न होने के मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया. जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच से फैसला आया. अदालत ने पूजा करने की अनुमति दे दी है.  मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने जिला जज वाराणसी के पूजा शुरू कराए जाने के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

अदालत ने वाराणसी जिला जज के 31 जनवरी के पूजा शुरू कराए जाने के आदेश को सही करार दिया. हाईकोर्ट के इस आदेश से व्यास तहखाने में पूजा जारी रहेगी. कोर्ट ने पूजा पर रोक नहीं लगाई . हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने की वजह से मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा. 

कोर्ट ने 15 फरवरी को दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया था. पांच कार्य दिवसों पर हुई सुनवाई के बाद अदालत ने जजमेंट रिजर्व कर लिया था. हिंदू पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन व विष्णु शंकर जैन ने बहस की थी.

किसने क्या कहा था?

जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी व यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने पक्ष रखा था. काशी विश्वनाथ ट्रस्ट की ओर से अधिवक्ता विनीत संकल्प ने दलीलें पेश की थीं. मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने व्यास जी तहखाने में पूजा अर्चना की इजाजत दिए जाने के जिला जज वाराणसी के फैसले को चुनौती दी थी 

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने जिला जज के 17 जनवरी और 31 जनवरी 2024 के फैसले को चुनौती दी है. जिला जज ने 31 जनवरी को तहखाना में पूजा शुरू कराए जाने का आदेश दिया था.

जिला जज के आदेश पर उसी दिन देर रात तहखाने को खोलकर पूजा अर्चना शुरू करा दी गई थी. हाईकोर्ट ने जिला जज के आदेश पर रोक नहीं लगाई थी जिसके चलते जिला कोर्ट के आदेश के तहत व्यास जी तहखाने में पूजा अर्चना हो रही है. 


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ब्रज में शुरू होली की धूम, मंदिरों में उड़ा अबीर-गुलाल

कान्हा की नगरी ब्रज की होली का अलग ही अंदाज देखने को मिलता है इसलिए ब्रज की होली पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। ब्रज की होली का महोत्सव बसंत पंचमी से शुरू हो जाता है, जो 40 दिनों तक चलता है। इस दिन वृंदावन के प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में सुबह श्रृंगार आरती के बाद भगवान के गालों पर गुलाल लगाया जाता है, इसके बाद प्रसाद के रूप में गुलाल भक्तों पर डालकर बृज की होली महोत्सव का शुभारंभ हो जाता है। बसंत पंचमी के दिन होलिका दहन के स्थलों पर होली का ढांड़ा गाड़े जाने की भी परंपरा है।

40 दिवसीय होली उत्सव शुरू

बांके बिहारी मंदिर के साथ ही ब्रज के लगभग सभी मंदिरों में गुलाल उड़ाकर होली खेली गई और इसके साथ ही ब्रज में 40 दिवसीय होली उत्सव शुरू हो गया है। ब्रज के मंदिर में हर रोज सुबह सुबह भगवान कृष्ण को अबीर गुलाल लगाने की परंपरा भी शुरू कर दी गई है। वैसे तो होलिका दहन 24 मार्च को तो होली का उत्सव 25 मार्च को मनाया जाएगा लेकिन ब्रज नगरी में अभी से होली की गजब रौनक देखने को मिल रही है। होली का उत्सव द्वापर युग से मनाया जा रहा है। ब्रज की होली का शुभारंभ बांके बिहारी मंदिर से और रंगनाथ मंदिर की होली के साथ इसका समापन होगा।

अनूठी परंपराओं के साथ ब्रज की होली

देश ही नहीं बल्कि सात समंदर पार से भी ब्रज की होली उत्सव को देखने और इसमें शामिल होने के लिए लोग आते हैं। अपनी अनूठी परंपराओं को लेकर देश और दुनिया में विशेष पहचान रखने वाली ब्रज की होली में होली गीत, पद गायन की प्राचीन परंपरा है, जिसे समाज गायन भी कहा जाता है। बरसाना स्थित श्रीजी मंदिर में ब्रजभाषा में रोजाना ठाकुरजी के सामने होली पदों का गायन किया जाएगा। गोस्वामीजन समाज गायन के दौरान आपस में एक-दूसरे को गुलाल लगाते हैं।

पूरे विश्व में है प्रसिद्ध

ब्रज की अनोखी होली सात समंदर पार से विदेशी श्रद्धालु और पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। इस पर्व पर ब्रज में आने के लिए विदेशी भी साल भर इंतजार करते हैं। बसंत पंचमी से शुरू हुई ब्रज की अनूठी होली के कार्यक्रमों को देखने और इसमें शामिल होने के लिए देश और दुनिया से श्रद्धालुओं का ब्रज में आगमन शुरू हो जाएगा। ब्रज में 40 दिनों होली का उल्लास रहता है और इसलिए यह भी कहा जाता है कि सब जब होरी या ब्रज होरा। बताया जा रहा कि होली के दौरान ब्रज में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।

ये होंगे होली के मुख्य कार्यक्रम

12 मार्च 2024 फुलेरा दूज, फूलों से खेली जाती है होली

17 मार्च 2024 को फाग आमंत्रण नंदगांव और बरसाना में लड्डू होली

18 मार्च 2024 को बरसाना में लठमार होली होगी

19 मार्च 2024 को नंदगांव में लठमार होली खेली जाएगी

20 मार्च 2024 को रंगभरी एकादशी पर श्रीकृष्ण जन्मस्थान, द्वारिकाधीश और वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में होली के रंग दिखेंगे

21 मार्च 2024 को गोकुल में छड़ीमार होली की धूम रहेगी।

24 मार्च 2024 होलिका दहन, फालैन में रात्रि में जलती होलिका से निकलेगा पंडा

25 मार्च 2024 होली उत्सव, धुलेंडी

27 मार्च 2024 को दाऊजी का हुरंगा, जाब गांव में हुरंगा, मुखराई में चरकुला नृत्य

02 अप्रैल 2024 को वृंदावन के रंगजी मंदिर में होली उत्सव का आयोजन


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कर्नाटक में मंदिरों पर टैक्स लगाने वाला बिल पास

कर्नाटक सरकार ने विधानसभा में मंदिरों पर टैक्स का एक बिल पास किया है। इसके तहत किसी मंदिर की आय 1 करोड़ रुपए है, तो उसे 10% और यदि मंदिर की आय 1 करोड़ से कम और 10 लाख से अधिक है तो उसे 5% टैक्स सरकार को देना होगा।

यह बिल कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती बिल 2024 है। इस को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस सरकार के विरोध में भाजपा समेत कई संत भी उतर आए हैं। हालांकि कांग्रेस ने बिल का बचाव करते हुए कहा है कि राज्य में 40 से 50 हजार पुजारी हैं जिनकी सरकार मदद करना चाहती है।

भाजपा के आरोपों का खंडन करते हुए सरकार ने कहा कि यह प्रावधान नया नहीं है, बल्कि 2003 से अस्तित्व में है। मौजूदा सरकार ने सिर्फ स्लैब में एडजस्टमेंट किया है।.

क्या हैं बिल के प्रावधान, जिन पर विवाद हुआ

कर्नाटक में 3 हजार सी-ग्रेड मंदिर हैं, जिनकी आय पांच लाख से कम है। यहां से धर्मिका परिषद को कोई पैसा नहीं मिलता है। धर्मिका परिषद तीर्थयात्रियों के लाभ के लिए मंदिर प्रबंधन में सुधार करने वाली एक समिति है।

5 लाख से 25 लाख के बीच आय वाले बी-ग्रेड मंदिर हैं, जहां से आय का 5% साल 2003 से धर्मिका परिषद को जा रहा है। धर्मिका परिषद को 2003 से उन मंदिरों से 10% राजस्व मिल रहा था जिनकी सकल आय 25 लाख से ज्यादा थी।

राज्य धर्मिका परिषद के काम

किसी अन्य धार्मिक संस्था को सहायता देना जो गरीब है या जिसको सहायता की जरूरत है।

हिंदू धर्म से जुड़े किसी भी धार्मिक उद्देश्य के लिए सहायता देना।

पुजारियों को ट्रेनिंग देना और वेद पाठशालाओं की स्थापना और रखरखाव करना।

किसी यूनिवर्सिटी और कॉलेज की स्थापना और रखरखाव करना, जिसका मकसद हिंदू धर्म, दर्शन या शास्त्रों का अध्ययन करना है।

मंदिर कला और वास्तुकला को बढ़ावा देना और हिंदू बच्चों के लिए अनाथालयों की स्थापना करना।

तीर्थयात्रियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए अस्पतालों की स्थापना करना।

कर्नाटक में 50 हजार पुजारी, टैक्स का पैसा इनके लिए इस्तेमाल होगा- रेड्‌डी

कर्नाटक के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने बताया कि यह प्रावधान नया नहीं है बल्कि 2003 से अस्तित्व में है। राज्य में 50 हजार पुजारी हैं जिनकी सरकार मदद करना चाहती है। अगर पैसा धर्मिका परिषद तक पहुंच जाता है तो हम उन्हें बीमा कवर दे सकते हैं। अगर उनके साथ कुछ होता है तो उनके परिवारों को कम से कम 5 लाख रुपए मिलें। प्रीमियम का भुगतान करने के लिए हमें 7 से 8 करोड़ रुपए की जरूरत है।

मंत्री ने कहा कि सरकार मंदिर के पुजारियों के बच्चों को स्कॉलरशिप देना चाहती है, जिसके लिए सालाना 5 से 6 करोड़ रुपए की जरूरत हेगी।

काशी के संत नाराज, बोले- ये टैक्स मुगलकालीन जजिया कर जैसा

काशी के संतों ने इस विधेयक की निंदा करते हुए कांग्रेस सरकार पर कटाक्ष किया है। संत समाज ने इस विधेयक को मुगल कालीन फरमान बताया है। साथ ही विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज करने और कर्नाटक के राज्यपाल से अखिल भारतीय समिति ने इसे मंजूर न करने की मांग की है।

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने इसकी मुगल काल के जजिया कर से तुलना की है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत में धर्म के आधार पर यह पहला मामला है। 

BJP का आरोप- सरकार मंदिरों के पैसे से खाली खजाना भरना चाहती है

भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सरकार मंदिरों के पैसे से अपना खाली खजाना भरना चाहती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने सरकार से पूछा कि राजस्व के लिए केवल अन्य धर्मों को छोड़कर हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बनाया जाता है।

उन्होंने आरोप लगाया, "यह विधेयक न केवल सरकार की दयनीय स्थिति को दर्शाता है, बल्कि हिंदू धर्म के लिए उनकी नफरत को भी दर्शाता है।



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कल्कि धाम शिलान्यास समारोह में आएंगे पीएम माेदी

ऐचोड़ा कंबोह के कल्कि धाम शिलान्यास समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा के लिए वैसे तो एसपीजी से लेकर पुलिस और पैरामिलेट्री फोर्स है। लेकिन इन सब पर पैनी निगाह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रहेगी।

सुरक्षा और कार्यक्रम की सफलता के लिए मुख्यमंत्री खुद ही पूरी कमान अपने हाथ में लेंगे। रविवार को वह ऐचोड़ा कंबोह के हेलीपैड पर दोबारा उतर सकते हैं। यहां वह व्यवस्था की समीक्षा के बाद रात्रि प्रवास भी करेंगे। यह प्रवास संभल में होगा या इसके आसपास। इस विषय पर सीधी बात करने से अधिकारी बच रहे हैं। हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने गोपनीय तैयारी शुरू कर दी है।

सीएम ने संभाला है कार्यक्रम

एक बात तो तय है प्रधानमंत्री सोमवार सुबह ही आएंगे। ऐसे में व्यवस्था का पूर्ण करने के लिए रविवार का ही दिन शेष है। बात अयोध्या के राम मंदिर की तैयारी हो या पीएम के अन्य जगहों पर हुए कार्यक्रम। सीएम आदित्यनाथ ने हर कार्यक्रम की सफलता का जिम्मा खुद ही संभाला और इसका असर रहा है। इधर, देर शाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संभल आने पर मुहर लग गई है। उनका कार्यक्रम आ गया है। वह एक घंटे तक कल्कि धाम शिलान्यास समारोह में मौजूद रहेंगे। इस दौरान वह जनता को भी संबोधित करेंगे।

भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 12 फरवरी को संभल के ऐचोड़ा कंबोह आकर अपनी मंशा भी जाहिर कर दी।

एसपीजी ने ली सुरक्षा की जिम्मेदारी

चूंकि कार्यक्रम की तैयारी अंतिम चरण में है और प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा खुद एसपीजी ले चुकी है। इसके बाद भी मुख्यमंत्री कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। ऐसे में उनके 18 फरवरी की दोपहर तक संभल के ऐचोड़ा कंबोह आना लगभग तय माना जा रहा है। चूंकि अगले दिन सुबह कार्यक्रम है और ऐसे में वह रात्रि प्रवास भी करेंगे। अब यह प्रवास संभल में होगा या आसपास इसकी तैयारी में प्रशासन जुटा है। अंदरखाने यह बात भी सामने आई है कि वह रात्रि प्रवास की जगह भी तय हो चुकी है।

गांवों के ऊपर घूमा सेना का हेलीकाप्टर 

सोमवार को कल्कि धाम शिलान्यास कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें प्रधानमंत्री के साथ कई अन्य वीवीआइपी के शामिल होने की संभावना है। ऐसे में शनिवार को सुबह से ही सेना के हेलीकाप्टर ने कार्यक्रम स्थल के साथ ही आसपास के गांवों के ऊपर से कई बार चक्कर काटे। दिन भर में कई बार हेलीकाप्टर को गांवों के ऊपर मंडराता देखकर ग्रामीण चौंक गए।

सभी सोच रहे थे कि शायद आज ही प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री कार्यक्रम में आ गए हैं। दिन भर कुछ-कुछ देर बाद एसपीजी अधिकारी कार्यक्रम स्थल और आसपास के करीब चार किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों का हवाई मुआयना करते हुए दिखाई दिए।

प्रधानमंत्री के हेलीपैड पर एसपीजी ने की ट्रायल लैंडिंग

कल्कि धाम कार्यक्रम स्थल के पास में तीन हेलीपैड बनाए गए हैं। जहां पर प्रधानमंत्री और उनकी सुरक्षा में लगे एसपीजी कमांडो के हेलीकाप्टर उतरेंगे। शनिवार सुबह करीब 10:45 बजे एसपीजी ने इन हेलीपैड का ट्रायल लिया और सुरक्षा की दृष्टि से हेलीकाप्टर को उतारकर देखा। ताकि सोमवार को कार्यक्रम के दौरान सफल लैंडिंग कराई जा सके। प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे एसपीजी कमांडो और सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हैं।


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