आज से सावन के साथ कांवड़ यात्रा की शुरुआत, दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड में खास इंतजाम

सावन के पवित्र महीने की शुरुआत शुक्रवार यानी कि आज से हो चुकी है। देश भर के शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का दौर शुरू हो गया है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस पवित्र महीने में भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही कारण है कि सुबह से ही शिवालयों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। इसी के साथ, आज से कांवड़ यात्रा भी शुरू हो गई है, जो 9 अगस्त तक चलेगी। इस 28 दिन की यात्रा में हरिद्वार से करीब 4.5 करोड़ कांवड़ियों के आने की संभावना है।

गंगा घाटों पर उमड़ रही कांवड़ियों की भीड़

सावन के पहले दिन से ही हजारों शिव भक्त कंधे पर कांवड़ उठाए पवित्र गंगाजल लेकर निकल पड़े हैं। उनकी मंजिल शिव मंदिर है जहां जल चढ़ाकर यह साधना पूरी होगी। हरिद्वार में हर की पौड़ी से लेकर गंगा के अन्य घाटों तक कांवड़ियों की भीड़ उमड़ रही है। इस पवित्र यात्रा के लिए दिल्ली, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड में विशेष इंतजाम किए गए हैं। कांवड़ रूट पर सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं। पूरे रास्ते में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं, और CCTV कैमरों से निगरानी की जा रही है। खाने-पीने की दुकानों की लगातार जांच हो रही है, और फूड एंड सेफ्टी विभाग सैंपल ले रहा है। कांवड़ मार्ग पर नॉन-वेज दुकानें बंद कर दी गई हैं ताकि यात्रा की पवित्रता बनी रहे।

कांवड़ रूट पर मीट की दुकानों पर सख्ती

गाजियाबाद में कांवड़ रूट पर मीट की दुकानें खुली देख स्थानीय बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा, 'कांवड़ शुरू हो चुका है, सावन लग चुका है, पूर्णिमा है। कांवड़ मार्ग पर मीट-मुर्गे की दुकानों का लाइसेंस अब मान्य नहीं है। फील्ड में निकलिए और इन पर कार्रवाई करिए। वरना लोग कानून हाथ में लेंगे तो फिर कहेंगे कि क्या कर दिया।' विधायक ने पुलिस से चौकी इंचार्ज से जवाब मांगने और दुकानें बंद कराने का निर्देश दिया।

हिंदुओं की दुकानों पर लगे पोस्टर

उत्तर प्रदेश के मुरादनगर में कांवड़ रूट पर पड़ने वाली हिंदुओं की दुकानों पर पोस्टर लगाए गए हैं। गंगनगर और आसपास के इलाकों में हिंदू रक्षा दल के कार्यकर्ता तैनात हैं। उनका आरोप है कि कांवड़ लेने वाली महिलाओं के साथ दूसरे धर्म के लोग छेड़छाड़ करते हैं। हिंदू रक्षा दल के गौरव सिसोदिया ने कहा, 'हम कांवड़ियों की सुरक्षा और यात्रा की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए तैनात हैं।'

कांवड़ निर्माण को लेकर सामने आया विवाद

हरिद्वार में कांवड़ निर्माण को लेकर विवाद भी सामने आया है। कुछ संतों और महामंडलेश्वरों ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर मांग की है कि मुसलमानों को हरिद्वार की सीमा के बाहर कांवड़ बनाने की अनुमति दी जाए। उनका कहना है कि हरिद्वार में मुसलमानों को कांवड़ बनाने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। स्वामी यतींद्रानंद गिरी, जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर, ने इस मांग को जोरदार तरीके से उठाया। इसके जवाब में, हरिद्वार के ज्वालापुर इलाके की इंदिरा नगर कॉलोनी में कांवड़ बनाने वाले मुस्लिम कारीगरों का कहना है कि वे पीढ़ियों से यह काम करते आ रहे हैं। करीब 50 मुस्लिम परिवार अभी भी इस काम में लगे हैं। उत्तराखंड सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई रोक नहीं लगाई है।

पिछले साल 4 करोड़ कांवड़ियों ने की थी यात्रा

दिल्ली पुलिस ने कांवड़ियों से अपील की है कि वे निर्धारित रास्तों का ही उपयोग करें। एडिशनल कमिश्नर दिनेश कुमार गुप्ता ने कहा, 'हमने कांवड़ियों की सुरक्षा और सुविधा के लिए सभी जरूरी इंतजाम किए हैं। कृपया निर्धारित मार्गों का पालन करें।' बता दें कि सावन के महीने में 23 जुलाई को सावन की शिवरात्रि मनाई जाएगी। इसके बाद भी 9 अगस्त तक श्रद्धालु गंगाजल चढ़ाते रहेंगे। पिछले साल 4 करोड़ से अधिक कांवड़ियों ने इस यात्रा में हिस्सा लिया था, और इस साल यह संख्या और बढ़ने की उम्मीद है। यही वजह है कि प्रशासन ने पहले से ज्यादा पुख्ता तैयारियां की हैं।


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सावन सोमवार के दिन कब और कैसे करें महादेव की पूजा

सावन का महीना भगवान शिव की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। इस माह के दौरान शिव मंदिरो में बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। साथ ही महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भक्त रोजाना विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और सोमवार का व्रत भी किया जाता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। साथ ही कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि सावन सोमवार का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि (Sawan Puja Time) के बारे।

सावन सोमवार 2025 शुभ मुहूर्त (Sawan Somvar 2025 Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर सावन का पहला सोमवार पड़ रहा है। इस तिथि की शुरुआत 14 जुलाई को देर रात 01 बजकर 02 मिनट पर होगी और समापन 14 जुलाई को देर रात 11 बजकर 59 मिनट पर  होगा। ऐसे में 14 जुलाई को सावन सोमवार का पहला व्रत किया जाएगा और इसी दिन  गजानन संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 11 मिनट से 04 बजकर 52 मिनट तक

विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 20 मिनट से 07 बजकर 40 मिनट तक

निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

सावन सोमवार पूजा विधि (Sawan Somwar Puja Vidhi)

सावन सोमवार के दिन शुरुआत महादेव के नाम से करें। इसके बाद स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें। मंदिर की सफाई कर गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। भगवान शिव का अभिषेक करें और देसी घी का दीपक जलाकर पूजा-अर्चना करें। भगवान शिव को गंध, पुष्प, धूप, बेलपत्र, अक्षत समेत आदि चीजें अर्पित करें। व्रत कथा का पाठ करें। शिव मंत्रों और शिव चालीसा का पाठ करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं।

इन बातों का रखें ध्यान

सावन के महीने में तामसिक भोजन का भोजन का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

इसके अलावा काले रंग के कपड़े धारण न करें।

किसी से वाद-विवाद न करें

किसी के बारे में गलत न सोचें।

घर की साफ-सफाई का खास ध्यान रखें।


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पुरी में बहुड़ा यात्रा शुरू-सुरक्षा में 10 हजार जवान तैनात

ओडिशा के पुरी में बहुड़ा यात्रा शुरू हो गई है। इस यात्रा में महाप्रभु जगन्नाथ का नंदीघोष रथ, बलभद्र का तालध्वज और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ गुंडिचा मंदिर से जगन्नाथ जी के मुख्य मंदिर लौटते हैं।

रथ यात्रा की शुरुआत इस बार 27 जून को हुई थी और 28 जून को तीनों गुंडिचा मंदिर पहुंचे थे। यह जगन्नाथ मंदिर से करीब 3 किमी दूर गुंडिचा मंदिर स्थित है। यहां भगवान अपनी मौसी के यहां ठहरते हैं।

बहुड़ा यात्रा के लिए गुंडिचा मंदिर के बाहर, भक्तों की भारी भीड़ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगभग 10,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

श्री जगन्नाथ ट्रस्ट के मुताबिक पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे के बीच रथों की औपचारिक सफाई करेंगे। इसके बाद रथों पर घोड़े लगाए जाएंगे। रथ खींचने का काम शाम 4 बजे होगा।

रविवार सुबह 4 बजे गुंडिचा मंदिर में मची थी भगदड़

रविवार (29 जून) तड़के करीब 4 बजे गुंडिचा मंदिर में भगदड़ मच गई थी। इसमें 3 लोगों की मौत हुई थी, जबकि करीब 50 लोग घायल हो गए थे। यहां भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के दर्शन करने के लिए भारी भीड़ जुट गई थी, इसी दौरान भगदड़ मची।

जगन्नाथ रथ बाद में पहुंचा, लोगों में दर्शन की होड़ लग गई

पुरी की रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के सामने 9 दिन के लिए खड़ा कर दिया जाता है। यहां बलभद्र और सुभद्रा के रथ पहले पहुंच चुके थे। जगन्नाथ रथ बाद में पहुंचा, जिससे लोगों में उसके दर्शन करने की होड़ लग गई। इसी दौरान भगदड़ मची, जिसमें गिरने से कई लोग कुचल गए।

इस साल दो दिन निकली रथ यात्रा

रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून को हो गई थी। रथ यात्रा मार्ग पर 10 लाख से ज्यादा भक्त रथों के दर्शन करने और उन्हें खींचने आए हुए थे। भक्तों की भारी भीड़ की वजह से पहले दिन रथ गुंडिचा मंदिर नहीं पहुंच पाए। अगले दिन यानी 28 जून को रथ यात्रा फिर शुरू हुई और दोपहर में करीब 1.15 बजे तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गए थे।






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12 हजार से अधिक भक्तों ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन, अमरनाथ यात्रा के लिए तीसरा जत्था रवाना

पग-पग पर बेहतर सुविधाएं, चौड़ा मार्ग और कड़ी सुरक्षा व्यवस्था। न आतंकी खौफ, न कोई चिंता। बाबा बर्फानी की भक्ति में लीन शिवभक्त पैदल, घोड़े व पिट्ठू-पालकी में सवार होकर शिव के धाम पहुंचे।

श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा में विराजमान हिमलिंग स्वरूप भगवान शिव के प्रथम दर्शन के साथ ही गुरुवार को वार्षिक यात्रा भी शुरू हो गई। पहले जत्थे में बालटाल मार्ग से गए 12,348 श्रद्धालुओं ने माथा टेका। केंद्रीय राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने भी पहले दिन दर्शन किए।

बालटाल मार्ग से 1999 श्रद्धालु हुए रवाना

उधर, पहलगाम से तड़के पवित्र गुफा की ओर रवाना हुए श्रद्धालु अभी रास्ते में हैं और वे शनिवार तड़के दर्शन करेंगे। इस बीच, जम्मू से तड़के 5,246 श्रद्धालुओं का दूसरा जत्था यात्रा के लिए रवाना हुआ। इनमें पहलगाम मार्ग से 3,247 और बालटाल मार्ग के लिए 1,999 श्रद्धालु रवाना हुआ। 

शाम को दोनों जत्थे अपने-अपने आधार शिविरों में पहुंच गए। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस बार श्री अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं के उत्साह ने पूरी दुनिया को संदेश दिया है कि भारत आतंकवाद के आगे न झुकेगा-न रुकेगा। वहीं, शुक्रवार को तीर्थयात्रियों का तीसरा जत्था कड़ी सुरक्षा के बीच यात्री निवास, पंथा चौक, श्रीनगर से बालटाल और नुनवान आधार शिविरों के लिए रवाना हुआ।

बम-बम भोले के जयघोष के साथ आगे बढ़े यात्री

बालटाल शिविर से रवाना हुए श्रद्धालु व साधु-संत बम-बम भोले के जयघोष लगाते आगे बढ़ते गए। रास्ते में अगर किसी श्रद्धालु को चलने में कठिनाई हुई या सांस लेने में दिक्कत हुए तो सुरक्षा कर्मियों से लेकर स्वास्थ्य कर्मी आक्सीजन के साथ उनकी पूरी मदद करते नजर आए।

जगह-जगह लगाए गए भंडारों में भी सेवादार हाथ जोड़े श्रद्धालुओं का स्वागत करते नजर आए। श्रद्धालु जम्मू-कश्मीर प्रशासन व श्राइन बोर्ड की व्यवस्था से संतुष्ट नजर आए।

शिवमय हुए जम्मू यात्री निवास, बालटाल और पहलगाम के आधार शिविर जम्मू में यात्री निवास की तरह कश्मीर में बालटाल और पहलगाम आधार शिविर भी शिवमय हो चुके हैं। तीनों आधार शिविरों में शिव भजनों के साथ भंडारे और आते-जाते श्रद्धालुओं से माहौल उत्सव की तरह प्रतीत हो रहा है।

बालटाल और पहलगाम में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए लगाए गए हजारों टैंट किसी विशाल टेंट सिटी की तरह लग रहे हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहले ही बालटाल और पहलगाम पहुंच गए हैं, हालांकि प्रशासन ने इस बार किसी भी यात्री को जम्मू से बिना सुरक्षा घेरे में यात्रा पर न जाने की बात कहीं थी। 


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जगन्नाथ जी की मूर्ति में हाथ-पैर क्यों नहीं होते? अधूरी प्रतिमा का जानें रहस्य

ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ का मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है। हर साल आयोजित होने वाली यह रथ यात्रा दुनिया भर में आकर्षण का केंद्र होती है। यह पावन यात्रा (Jagannath Rath Yatra 2025) आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने-अपने रथों पर सवार होकर अपने मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाते हैं।

वहीं, इस मंदिर और यहां की मूर्तियों से जुड़े कई रहस्य हैं, जिनमें से एक सबसे बड़ा रहस्य यह है कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं अधूरी क्यों हैं? उनके हाथ-पैर के पंजे क्यों नहीं हैं? आइए इस अनूठी प्रतिमा के पीछे के रहस्य को जानते हैं।

अधूरी प्रतिमा का रहस्य क्या है? (Why Lord Jagannath Idol Is Incomplete?)

भगवान जगन्नाथ की अधूरी मूर्तियों के पीछे कई सारी पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से एक का जिक्र हम अपने इस आर्टिकल में करेंगे। ऐसा माना जाता है कि जब भगवान कृष्ण ने अपने शरीर का त्याग किया, तो पांडवों ने उनका दाह संस्कार किया। लेकिन उनके शरीर जलने के बाद भी हृदय नहीं जला, जिस कारण पांडवों ने उनके हृदय को पवित्र नदी में प्रवाहित कर दिया। ऐसा माना जाता है कि जल में प्रवाह‍ित हृदय ने एक लठ्ठे का रूप ले ल‍िया था, जिसकी जानकारी कान्हा जी ने सपने में राजा इंद्रदयुम्न को दी, इसके बाद राजा ने उस लट्ठे से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी की मूर्ति को बनाने का संकल्प लिया।

तब विश्वकर्मा जी वहां एक वृद्ध बढ़ई का वेश धारण कर राजा के पास आए और उनके सामने प्रतिमाओं को बनाने का प्रस्ताव रखा, लेकिन उनकी शर्त यह थी कि 'वे 21 दिन में मूर्तियां बनाएंगे, इस दौरान उन्हें किसी भी कमरे में अकेले काम करने दिया जाए और कोई भी वहां आए-जाए न।' इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 'अगर शर्त तोड़ी गई, तो वे उसी समय काम छोड़ देंगे।'

राजा ने उनकी शर्त मान ली और विश्वकर्मा जी ने एक बंद कमरे में मूर्तियों को बनाना शुरू किया। कमरे से लगातार औजारों के चलने की आवाजें आती रहीं। 14 दिन बीतने के बाद, रानी गुंडिचा के मन में विचार आया कि 'कहीं बूढ़े बढ़ई को कुछ हो न गया हो? उन्होंने राजा से दरवाजा खोलने का आग्रह किया। राजा ने रानी के कहने पर 21 दिन पूरे होने से पहले ही दरवाजा खोल दिया।'

इस वजह से अधूरी रह गईं प्रतिमाएं

जैसे ही दरवाजा खुला, भगवान विश्वकर्मा गायब हो गए और अंदर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की प्रतिमाएं अधूरी रह गईं। भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के छोटे-छोटे हाथ थे, लेकिन पैर नहीं थे, जबकि सुभद्रा की प्रतिमा में हाथ-पैर बने ही नहीं थे। राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन उन्होंने इसे भगवान की इच्छा मानकर, इन्हीं अधूरी मूर्तियों को मंदिर में स्थापित कर दिया। तब से लेकर आज तक तीनों भाई-बहन इसी स्वरूप में जगन्नाथ पूरी मंदिर में विराजमान हैं।


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अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था रवाना

अमरनाथ यात्रा के लिए बुधवार को पहला जत्था जम्मू से रवाना हो गया। उपराज्यपाल (LG) मनोज सिन्हा ने भगवती नगर बेस कैंप से जत्थे को झंडी दिखाई। इस दौरान श्रद्धालु 'हर हर महादेव' और 'बम बम भोले' के जयकारे लगाते रहे। आधिकारिक तौर पर यात्रा की शुरुआत 3 जुलाई से होगी।

वहीं, पंजाब के पठानकोट से भी यात्रियों के जत्थे को रवाना किया गया। यहां से श्रद्धालु बालटाल होकर बाबा बर्फानी की गुफा पहुंचेंगे।

38 दिन तक चलने वाली यात्रा पहलगाम और बालटाल दोनों रूटों से होगी। यात्रा का समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा। पिछले साल यात्रा 52 दिन चली थी और 5 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए थे।

इस साल अब तक 3.5 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। तुरंत रजिस्ट्रेशन के लिए जम्मू में सरस्वती धाम, वैष्णवी धाम, पंचायत भवन और महाजन सभा में सेंटर खोले गए हैं। ये सेंटर रोज दो हजार श्रद्धालुओं का रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं।

1. पहलगाम रूट: इस रूट से गुफा तक पहुंचने में 3 दिन लगते हैं, लेकिन ये रास्ता आसान है। यात्रा में खड़ी चढ़ाई नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी है। ये बेस कैंप से 16 किमी दूर है। यहां से चढ़ाई शुरू होती है।

तीन किमी चढ़ाई के बाद यात्रा पिस्सू टॉप पहुंचती है। यहां से पैदल चलते हुए शाम तक यात्रा शेषनाग पहुंचती है। ये सफर करीब 9 किमी का है। अगले दिन शेषनाग से यात्री पंचतरणी जाते हैं। ये शेषनाग से करीब 14 किमी है। पंचतरणी से गुफा सिर्फ 6 किमी रह जाती है।

2. बालटाल रूट: वक्त कम हो, तो बाबा अमरनाथ दर्शन के लिए बालटाल रूट से जा सकते हैं। इसमें सिर्फ 14 किमी की चढ़ाई चढ़नी होती है, लेकिन एकदम खड़ी चढ़ाई है, इसलिए बुजुर्गों को इस रास्ते पर दिक्कत होती है। इस रूट पर संकरे रास्ते और खतरनाक मोड़ हैं।

यात्रा के दौरान किन बातों का ध्यान रखें...

यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, RFID कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म अपने साथ रखें। फिजिकल फिटनेस के लिहाज से हर रोज 4 से 5 किलोमीटर पैदल चलने की प्रैक्टिस करें। सांस वाला योग जैसे प्राणायाम और एक्सरसाइज करें। यात्रा में ऊनी कपड़े, रेनकोट, ट्रैकिंग स्टिक, पानी बॉटल और जरूरी दवाओं का बैग अपने साथ रखें।


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पुरी भगदड़-एग्जिट गेट बंद कर VIP एंट्री हो रही थी

ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान हुई भगदड़ के समय मौजूद लोगों ने बताया- एक ही रास्ते से एंट्री और एग्जिट था। एग्जिट गेट बंद कर दिया गया था। वहीं से वीआईपी एंट्री करवाई जा रही थी। आम भक्तों के लिए कोई अलग रास्ता नहीं था। पुलिस भीड़ को संभाल नहीं पाई।

इसी बीच, रथ के सामने पूजा सामग्री से लदे दो ट्रक घुस आए, जिससे कई भक्त ट्रक से टकराकर गिर पड़े। इससे ही भगदड़ मच गई। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि हादसे के वक्त मौके पर कोई पुलिसकर्मी नहीं था। एंबुलेंस एक किमी दूर थी। घायलों को लोग हाथों पर उठा ले गए।

एक मृतका के पति ने कहा-

मेरी पत्नी पानी मांगती रही। कोई सुनने वाला नहीं था। पुलिस से मदद नहीं मिली। प्रशासन की लापरवाही से मेरी पत्नी की जान गई।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रात से ही मंदिर के पास व्यवस्था बिगड़ी हुई थी। श्रद्धालु जिस पॉलीथिन पर बैठे थे, बारिश में वह फिसलन भरी हो गई, जिससे लोग गिरते चले गए।

पुरी में रविवार सुबह 4:20 बजे जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान गुंडिचा मंदिर के पास भगदड़ मच गई। इसमें तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई। 50 से ज्यादा घायल हुए। हादसा जगन्नाथ मंदिर से करीब 3 किमी दूर गुंडिचा मंदिर के सामने हुआ। यहां भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के दर्शन के लिए भारी भीड़ जुटी थी।

जगन्नाथ जी का रथ बाद में पहुंचा, लोगों में दर्शन की होड़ लग गई

पुरी की रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के सामने 9 दिन के लिए खड़ा कर दिया जाता है। यहां बलभद्र और सुभद्रा के रथ पहले पहुंच चुके थे। जगन्नाथ रथ बाद में पहुंचा, जिससे लोगों में उसके दर्शन करने की होड़ लग गई।

इसी दौरान भगदड़ मची, जिसमें गिरने से कई लोग कुचल गए। बताया जा रहा है कि घटना के समय वहां पर्याप्त पुलिस बल तैनात नहीं था। हादसे में मारे गए लोगों के नाम बसंती साहू (36), प्रेमकांति महांति (78) और प्रभाती दास हैं। इनके शव पुरी मेडिकल कॉलेज में रखे गए हैं।

शुक्रवार को सैकड़ों श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ी थी

इससे पहले शुक्रवार (27 जून) को देवी सुभद्रा के रथ के आसपास भीड़ का दबाव बढ़ने से 625 से ज्यादा श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई थी। प्रशासन के मुताबिक 70 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इनमें से 9 की हालत गंभीर बताई जा रही है।

रथयात्रा शुक्रवार को शुरू, रविवार को पूरी हुई

पुरी में शुक्रवार (27 जून) को शाम 4 बजे भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा शुरू हुई थी। सबसे पहले भगवान बलभद्र का रथ खींचा गया। इसके बाद सुभद्रा और जगन्नाथ के रथ खींचे गए। पहले दिन बलभद्र का रथ 200 मीटर तक खींचा गया, सुभद्रा-भगवान जगन्नाथ के रथ भी कुछ दूरी तक खींचे गए।

शनिवार को 10 बजे फिर रथयात्रा शुरू हुई। भक्तों ने तीनों रथों को खींचना शुरू किया। सुबह 11.20 बजे भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज और दोपहर 12.20 बजे देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और इनके बाद भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ 1.11 बजे गुंडिचा मंदिर पहुंचा।

जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान पिछले 2 हादसे..

2024- भगदड़ में 2 की मौत, कई घायल

2024 में जगन्नाथ रथयात्रा का आयोजन 7-8 जुलाई को किया गया था। रथयात्रा के पहले दिन 7 जुलाई को 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु पंहुचे थे, इस वजह से भगदड़ की स्थिति बन गई। भगदड़ के दौरान घबराहट की वजह से 2 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई लोग घायल भी हुए।

2008- भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत

2008 में जगन्नाथ यात्रा का आयोजन 4-5 जुलाई को किया गया था। यात्रा के पहले दिन 4 जुलाई को भगवान जगन्नाथ मंदिर के बाहर सिंहद्वार के सामने भगदड़ मच गई, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 12 से ज्यादा लोग घायल हो गए। मरने वालों में 3 महिलाएं भी शामिल थीं। यह हादसा उस समय हुआ जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को रथयात्रा के लिए मंदिर से बाहर लाया जा रहा था।


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पुरी में तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचे,दो दिन की रथ यात्रा में 10 लाख से ज्यादा भक्त पहुंचे

ओडिशा के पुरी में सालाना जगन्नाथ यात्रा का शनिवार को दूसरा दिन है। आज सुबह 10 बजे फिर रथयात्रा शुरू हुई। भक्तों ने तीनों रथों को खींचना शुरू किया।

सुबह 11.20 बजे भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज और दोपहर 12.20 बजे देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ और इनके बाद भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ 1.11 बजे गुंडिचा मंदिर पहुंच गया है।

मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर की दूरी 2.6 किमी दूर है। 8 लाख से ज्यादा श्रद्धालु होने की वजह से अभी दो से तीन घंटे और लग सकते हैं। गुंडिचा मंदिर में भगवान 9 दिन ठहरेंगे।

पुरी में सुबह से हल्की बारिश हो रही है। इससे मौसम में अच्छा हो गया है। कल की अपेक्षा आज भीड़ 10-20% कम है, लेकिन आज भी कई लोग बीमार हो गए। पिछले दिन में 650 से श्रद्धालुओं के तबीयत खराब होने की खबर है।

शुक्रवार को रथ यात्रा में 10 लाख से ज्यादा लोग थे। देर शाम देवी सुभद्रा के रथ के आसपास भीड़ का दबाव बढ़ने से 625 से श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ गई। प्रशासन के मुताबिक, 70 अस्पताल में भर्ती किया गया। इनमें से 9 की हालत गंभीर है।

जगन्नाथ रथ यात्रा में पुरी जिला प्रशासन ने सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। ये कैमरे यात्रा मार्ग की निगरानी के साथ-साथ भीड़ नियंत्रण में भी मदद कर रहे हैं। अपर पुलिस महानिदेशक (ट्रैफिक) दयाल गंगवार ने बताया कि इस तकनीक की मदद से श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है।

पुरी जिला अधिकारी सिद्धार्थ स्वैन ने एएनआई को बताया कि यात्रा मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ काफी अधिक है। सभी अनुष्ठान समय पर हो रहे हैं। इस बार एनडीआरएफ को भी तैनात किया गया है। कल हमने 6-7 अवैध ड्रोन जब्त किए हैं, क्योंकि श्री जगन्नाथ मंदिर और गुंडिचा मंदिर के ऊपर ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं है।


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बाबा बर्फानी के दर्शन को हो जाएं तैयार! जम्मू से दो जुलाई को रवाना होगा पहला जत्था

यश्री बाबा अमरनाथ की यात्रा के लिए जम्मू से पहला जत्था दो जुलाई को रवाना होगा। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भगवती नगर स्थित आधार शिविर से जत्थे को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस बार सभी यात्रियों को सुरक्षा की दृष्टि से जत्थे से ही रवाना किया जाएगा।

प्रशासन ने निजी वाहनों में आने वालों को भी जत्थे के साथ ही रवाना होने की अपील की है। वहीं यात्रियों के ठहरने के लिए जम्मू संभाग में 106 आवास केंद्रों पर पचास हजार लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई है। प्रशासन ने यह भी साफ कर दिया है कि इस बार की अमरनाथ यात्रा वंदे भारत ट्रेन से नहीं होगी।

50 हजार से अधिक लोगों के ठहरने की व्यवस्था

शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए जम्मू के मंडलायुक्त रमेश कुमार ने कहा कि तीर्थयात्रियों का पहला जत्था यात्रा शुरू होने से एक दिन पहले जम्मू स्थित भगवती नगर बेस कैंप से कश्मीर के लिए रवाना होगा।

जम्मू क्षेत्र के लखनपुर से बनिहाल तक विभिन्न आवास केंद्रों पर 50000 से अधिक लोगों के लिए भोजन और ठहरने की सुविधा उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। इस उद्देश्य के लिए कुल 106 आवास केंद्र स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि ये व्यवस्था पुलिस शाखाओं के अलावा कठुआ, सांबा, जम्मू, उधमपुर और रामबन के जिला प्रशासनों ने की है।

उन्होंने कहा कि कठुआ, सांबा, जम्मू, उधमपुर और रामबन जिलों में तीर्थयात्रियों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए स्वयं सेवी संगठनों के सहयोग से सामुदायिक रसोई स्थापित की गई हैं।

इन जिलों के सभी आवास केंद्रों पर शौचालय की व्यवस्था सहित स्वच्छता सुविधाएं भी की गई हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक संगठनों के सहयोग से तीर्थयात्रियों को ठहराने के लिए जम्मू शहर में भोजन और ठहरने के केंद्र बनाए गए हैं।

3 जुलाई से कश्मीर से शुरू होगी यात्रा

कुमार ने कहा कि यात्रा 2 जुलाई को जम्मू से शुरू होगी। यात्रा औपचारिक रूप से 3 जुलाई को कश्मीर से शुरू होगी। उन्होंने कहा कि नियमित पंजीकरण काउंटरों के अलावा, तत्काल पंजीकरण की सुविधा भी होगी जो माता वैष्णो देवी मंदिर में उपलब्ध होगी। यह पंजीकरण दैनिक कोटा के आधार पर किया जाएगा।

इसके लिए पांच पंजीकरण केंद्र हैं। जिन तीर्थयात्रियों ने अपना पंजीकरण पूरा कर लिया है उन्हें यात्रा के लिए आरएफआईडी कार्ड जारी किए जाएंगे। ये आरएफआईडी कार्ड लखनपुर प्रवेश द्वार, सांबा, जम्मू, चंद्रकोट और बनिहाल केंद्रों से प्राप्त किए जा सकते हैं।

यात्रा काफिले में सभी तीर्थयात्रियों को शामिल करने पर उन्होंने कहा कि जिनके पास अपने वाहन हैं और जो यात्रा से जुड़े हैं, वे भी सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने के बाद काफिले के साथ चलेंगे। कुमार ने कहा कि जो लोग निजी वाहनों से यात्रा करना चाहते हैं, वे भी सुरक्षा घेरे में कश्मीर जाएंगे। एक परामर्श जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि बाहर से आने वाले व्यक्तिगत तीर्थयात्रियों को भी काफिले के साथ आगे बढ़ना होगा।

उन्होंने बताया कि सभी यात्री जम्मू के भगवती नगर बेस कैंप में चेकइन करेंगे जहां से वे सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा में रोजाना काफिले में रवाना होंगे। मंडलायुक्त ने बताया कि इस बार अमरनाथ यात्रा में ट्रेन से यात्रा नहीं होगी।

यात्रा के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने बताया कि खराब मौसम या राजमार्ग बंद होने की स्थिति में यात्रियों को वास्तविक समय में सूचना देने के लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में विभिन्न अन्य यात्राओंए खासकर पुंछ में बूढ़ा अमरनाथ तीर्थयात्रा के लिए भी व्यवस्थाएं की गई हैं।

डॉक्टरों ने पहुंचना शुरू किया

यात्रा में डयूटी देने के लिए डाक्टरों ने कश्मीर में पहुंचना शुरू कर दिया है। जम्मू से रवाना हुए 15 डाक्टरों सहित 51 स्वास्थ्य कर्मी शुक्रवार को कश्मीर में पहुंच गए। इन डॉक्टरों को यात्रा के दोनोे मागों पर तैनात किया गया है। बालटाल और पहलगाम मार्ग पर बने बेस अस्पतालों से लेकर भवन तक बने केंद्रों में तैनात किया गया है। वहीं देश के विभिन्न अस्पतालों से भी कश्मीर में स्वास्थ्य कर्मी आने लगे हैं।


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लैंडस्लाइड के चलते केदारनाथ हाईवे फिर बंद

मौसम विभाग ने आज देश के 31 राज्यों में बारिश की चेतावनी जारी की है। UP-बिहार समेत देश के 27 राज्यों में बारिश का यलो अलर्ट है। वहीं, उत्तराखंड, गुजरात, महाराष्ट्र (मध्य), केरल में तेज बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।

उत्तराखंड के सोनप्रयाग में शुक्रवार देर रात तेज बारिश के चलते लैंडस्लाइड हुई। इस वजह से केदारनाथ हाईवे बंद हो गया है। रास्ते से मलबे को हटाने का काम जारी है। पुलिस ने यात्रियों को कुछ दूर पहले सुरक्षित स्थान पर ही रोक लिया है।

राजस्थान के 29 जिलों में बारिश का यलो अलर्ट है। शुक्रवार को जैसलमेर, जयपुर, सीकर, अलवर समेत 25 से ज्यादा जिलों में तेज बारिश हुई। वहीं, बिजली गिरने से बूंदी में एक युवक और महिला, सिरोही में बच्चे और डूंगरपुर में युवक की मौत हो गई।

महाराष्ट्र में तेज बारिश जारी है। मुंबई में समुद्र में हाई टाइड उठ रहा है। इस वजह से समुद्र किनारे की सड़कों को नुकसान पहुंचा है। वहीं, महाराष्ट्र के चंद्रपुर का ताड़ोबा अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) का मेन एरिया मानसून की वजह से 1 जुलाई से तीन महीने के लिए पर्यटकों के लिए बंद किया गया है।

त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, असम (दक्षिण) में रेलवे लाइन पर कई जगहों पर तेज बारिश के चलते लैंडस्लाइड हुई है। इस वजह से शुक्रवार को लगातार पांचवे दिन ट्रेन सर्विस बाधित रही। वहीं, केरल में इडुक्की जिले का मुल्लापेरियार बांध का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। जो 135.35 फीट हो गया है और जल्द ही 136 फीट के खतरे के निशान को छू सकता है।

29 जून के मौसम का अनुमान

दिल्ली-एनसीआर में मानसून की औपचारिक शुरुआत होने की संभावना है। हल्की से मध्यम बारिश की उम्मीद है, जिससे तापमान में कमी आएगी। उत्तर प्रदेश में तेज से बारिश की संभावना है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने और लैंडस्लाइड की चेतावनी है। असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश में तेज बारिश जारी रहेगी। बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात में भारी बारिश हो सकती है। कर्नाटक, केरल, गोवा, कर्नाटक, केरल में तेज बारिश होगी।






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