जलवायु परिवर्तन समझौते व वर्तमान स्थिति

नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से पैदा हुए खतरों से दुनिया परिचित हो चुकी है। आज यह कोई वैज्ञानिक भविष्यवाणी मात्र न रह कर एक सचाई के रूप में विभिन्न प्राकृतिक दुर्घटनाओं के रूप में सामने आ रही है। बाढ़, सूखा, समुद्री तूफान, अंधड़, बेमौसमी बर्फबारी, ग्लेशियर पिघलने के कारण आसन्न जल संकट जैसे कितने ही बदलाव दृष्टिगोचर हो रहे हैं। समुद्री तटों से लगते इलाके और देश बढ़ते समुद्र तल के कारण डूबने के खतरे में घिर सकते हैं। इन खतरों के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र संघ लगातार पहल कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन इस दिशा में आधारभूत सम्मेलन है। 1992 में इस सम्मेलन के निष्कर्षों पर 197 देशों ने हस्ताक्षर किए और 21 मार्च 1994 से इस समझौते को लागू माना गया। इस समझौते की मूल बात यह है कि इसके द्वारा यह माना गया कि जलवायु परिवर्तन एक समस्या है और इसके समाधान के लिए कुछ किया जाना चाहिए, जिसका मूल कारक हरित प्रभाव गैसें हैं जो वैश्विक तापमान वृद्धि का कारण हैं। और ये गैसें ऊर्जा उत्पादन के लिए मुख्यतः कोयला या खनिज तेल जलाने के कारण पैदा हो रही हैं और वातावरण में जमा हो रही हैं।

 

इसी वृद्धि से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इस समझौते द्वारा विभिन्न पक्षों से यह अपेक्षा की गई कि वे हरित-प्रभाव गैसों के मानव-जनित उत्सर्जन को इस सीमा के भीतर नियंत्रित करेंगे जिससे जलवायु तंत्र पर खतरनाक प्रभाव न पड़ें। इस लक्ष्य की घोषणा हो ताकि एक शुरुआत हो और आगे चल कर विस्तृत, विशिष्ट समझौते किए जा सकें। इसमें जलवायु के संदर्भ में सांझी किंतु जिम्मेदारियों के संदर्भ में अलग-अलग जिम्मेदारियों की संकल्पना की गई, जिसका अर्थ यह है कि विकासशील देशों से यह उम्मीद की जाती है कि वे जलवायु परिवर्तन रोकने में योगदान करेंगे, किंतु विकसित देश जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए पहलकदमी करेंगे क्योंकि ये देश ऐतिहासिक रूप से पहले ही बहुत ज्यादा हरित-प्रभाव गैसों का उत्सर्जन कर चुके हैं। विकासशील देशों में खासकर और वैश्विक स्तर पर आमतौर पर टिकाऊ आर्थिक विकास पर बल देने की बात की गई। इस दिशा में विकासशील देशों की उपलब्धि व प्रदर्शन को विकसित देशों द्वारा तकनीक हस्तांतरण और आर्थिक सहायता से जोड़ा गया। इस समझौते में सभी देशों द्वारा हरित प्रभाव गैसों के उत्सर्जन की मात्रा की घोषणा करने और विकसित देशों द्वारा हरित प्रभाव गैसों के उत्सर्जन को कम करने से संबंधित नीतियों की घोषणा करने की भी अपेक्षा की गई। इसके बाद लगातार सम्मेलन होते रहे जिन्हें संबंधित पक्ष सम्मेलन कहा गया। इन सम्मेलनों में क्योटो सम्मेलन पहला महत्त्वपूर्ण सम्मेलन है जहां क्योटो प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर हुए। इस प्रोटोकॉल द्वारा पहली बार संयुक्त राष्ट्र संघ जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन के आशयों को लागू करने के लिए नियम बनाए गए। रूस द्वारा मान्यता देने के बाद 2005 में इसे लागू माना गया, किंतु एक हरित गैसों के उत्सर्जक बड़े देश अमेरिका ने इस प्रोटोकॉल को मान्यता नहीं दी क्योंकि विकासशील देश होने के कारण पहले दर्जे के हरित गैस उत्सर्जक चीन और तीसरे दर्जे के उत्सर्जक भारत पर कोई नियंत्रण इस प्रोटोकॉल में नहीं सुझाए गए थे।

 

 जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन में यह अपेक्षा की गई थी कि जलवायु परिवर्तन की प्रक्रिया को उस स्तर के भीतर रोकना होगा जिससे परिस्थिति तंत्र स्वयं को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढाल सके, और टिकाऊ विकास और कृषि उत्पादन पर घातक प्रभाव न पड़े। इस प्रोटोकॉल में 37 औद्योगिक देशों के लिए उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य निर्धारित किए गए। 1990 के स्तर से 5 फीसदी उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य रखा गया। अमेरिका ने इसे भेदभावपूर्ण मानते हुए इसे मान्यता नहीं दी। अन्य 184 देशों ने इसे मान्यता दे दी। विकासशील देशों के लिए कोई लक्ष्य इस तर्क पर निर्धारित नहीं किया गया कि जिन विकसित देशों ने जलवायु को पहले ही अधिक नुकसान पहुंचाया है, उन्हें पहल करनी चाहिए। उत्सर्जन कम करने के लक्ष्य की पूर्ति न करने पर आर्थिक दंड का भी प्रावधान किया गया। पेरिस समझौता इस कड़ी में सबसे महत्त्वपूर्ण है। इसमें सभी देशों को अपने-अपने उत्सर्जन स्तर में कमी करने के वादे दायर करने का प्रावधान है। इसे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान कहा गया है। हर 5 वर्ष में इसका पुनरावलोकन व आकलन करने की वैश्विक स्तर पर व्यवस्था है। यह समझौता 2015 में किया गया। इसमें तापमान वृद्धि को औद्योगिक क्रांति के समय के तापमान से 2 डिग्री सेंटीग्रेड के नीचे रोकने का लक्ष्य रखा गया है। कोशिश यह करनी है कि तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड से कम पर ही रुक जाए। वैश्विक स्तर पर नेट जीरो उत्सर्जन स्तर 2050 तक हासिल करना है। नेट जीरो उत्सर्जन का अर्थ है कि हरित प्रभाव गैसों का उत्सर्जन उतना ही होगा जितनी मात्रा में हरित प्रभाव गैसों का उत्सर्जन कुछ अन्य गतिविधियों द्वारा घटा लिया गया है। इसे जलवायु तटस्थ या कार्बन तटस्थ स्थिति भी कहा गया है। देशों ने अपने लक्ष्य स्वयं निर्धारित किए हैं, फिर भी ट्रम्प प्रशासन के अंतर्गत अमेरिका ने समझौते से किनारा कर लिया था। हालांकि अब जो बाइडेन प्रशासन ने फिर समझौते को मान्यता दे दी है।

 

 पेरिस समझौता आर्थिक, तकनीकी और क्षमता निर्माण के लिए ढांचा बनाने की व्यवस्था करता है ताकि  समझौते की पूर्ति के लिए जरूरतमंद देशों को सहायता दी जा सके। इसी कड़ी में जलवायु परिवर्तन से संबंधित पक्षों का 26वां सम्मेलन ग्लास्गो में 31 अक्तूबर से 12 नवंबर 2021 तक संपन्न हुआ। इसमें मुख्य चार लक्ष्यों पर निर्णय लिए गए : 1. न्यूनीकरण, इसमें हरित प्रभाव गैसों के उत्सर्जन को 2030 तक नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करके कम करने के वादे किए गए। 2. अनुकूलन : इसके तहत जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का सामना करने के प्रयासों को बढ़ावा देने का निर्णय हुआ। 3. आर्थिक सहयोग : विकसित देशों ने हरित प्रभाव गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए विकासशील देशों को आर्थिक सहायता देने के लिए 2023 तक 100 बिलियन डालर फंड इकट्ठा करने की दिशा में प्रगति की है। 4. सहयोग : सरकारों के बीच स्वच्छ हरित ऊर्जा, विद्युत चालित वाहन, जहाजरानी, शून्य उत्सर्जन स्टील निर्माण, हाइड्रोजन फ्यूल   आदि क्षेत्रों में तकनीकी और आर्थिक सहयोग द्वारा जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने पर सहमति बनी है। इस समय गैस उत्सर्जन मामले में चीन पहले, अमेरिका दूसरे तथा भारत तीसरे स्थान पर बना हुआ है। ये तीनों देश कितनी गंभीरता से इस मुद्दे को लेते हैं उसी पर बहुत हद तक जलवायु परिवर्तन त्रासदी से निपटने के प्रयासों की सफलता निर्भर होगी।

...

दिल्ली में पारा गिरा, वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में

नई दिल्ली : दिल्लीवासियों की शनिवार सुबह की शुरुआत सर्द मौसम के साथ हुई और न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री कम सात डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने यह जानकारी दी।


केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, शनिवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज किया गया। सुबह नौ बजे एक्यूआई 412 दर्ज किया गया।


शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बहुत खराब' तथा 401 और 500 'गंभीर' माना जाता है।


मौसम विभाग ने बताया कि शहर में आसमान मुख्यत: साफ रहने और अधिकतम तापमान 23 डिग्री से. तक पहुंचने का अनुमान है। सापेक्षिक आर्द्रता का स्तर सुबह साढ़े आठ बजे 95 प्रतिशत है।


शुक्रवार दोपहर चार बजे शहर का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 415 था। बृहस्पतिवार को यह 423, बुधवार को 407 और मंगलवार को 402 था।




...

कश्मीर घाटी में अधिकतर स्थानों पर न्यूनतम तापमान गिरा

श्रीनगर : कश्मीर में अधिकतर स्थानों पर शुक्रवार की रात न्यूनतम तापमान में गिरावट दर्ज की गई, जबकि मौसम विभाग ने रविवार से अगले दो दिनों तक केंद्र शासित प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि काजीगुंड को छोड़कर शुक्रवार रात को समूची घाटी में न्यूनतम तापमान गिरा। शुक्रवार रात को श्रीनगर में न्यूनतम तापमान 1.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि बृहस्पतिवार की रात को यह 2.4 डिग्री सेल्सियस था। घाटी के काजीगुंड में न्यूनतम तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो बृहस्पतिवार रात से एक डिग्री ज्यादा है। दक्षिण कश्मीर के निकटवर्ती कोकेरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से एक डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में पारा शून्य से नीचे 0.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि बृहस्पतिवार रात को यहां तापमान 2.2 डिग्री सेल्सियस था। वार्षिक अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर के रूप में कार्य करन वाले पहलगाम का न्यूनतम तापमान शून्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जो बृहस्पतिवार रात शून्य से 1.3 डिग्री सेल्सियस नीचे था। गुलमर्ग में तापमान बृहस्पतिवार रात के शून्य से 5.1 डिग्री सेल्सियस के मुकाबले शुक्रवार रात को शून्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया। यह जम्मू कश्मीर में सबसे ठंडा स्थान रहा।






...

कोलकाता समेत बंगाल के अन्य इलाकों में ठंड बढ़ी, दार्जिलिंग में न्यूनतम तापमान 3.5 डिग्री सेल्सियस

कोलकाता : उत्तर भारत के अन्य इलाकों की तरह पश्चिम बंगाल में भी ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। राजधानी कोलकाता समेत राज्य के अन्य हिस्सों में न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट देखी जा रही है।


कोलकाता में सोमवार को न्यूनतम तापमान 11.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि दार्जिलिंग में पारा 3.5 डिग्री सेल्सियस पर आ गया।


मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले कुछ दिनों में कोलकाता में दिन और रात के तापमान में गिरावट देखी जा सकती है।


कोलकाता का अधिकतम तापमान सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस नीचे 22.8 डिग्री सेल्सियस जबकि न्यूनतम तापमान भी सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस नीचे 11.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।


पश्चिम बंगाल के मैदानी इलाकों में श्रीनिकेतन सबसे ठंडा इलाका रहा, जहां न्यूनतम तापमान 7.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।


मौसम विभाग के मुताबिक कलिम्पोंग में न्यूनतम तापमान 7.5 डिग्री सेल्सियस, पुरुलिया (7.5), पानागढ़ (7.6), कलाईकुंडा (7.5), सिलीगुड़ी (8.6), वर्धमान (8.6), कूचबिहार (9.3) और दीघा में न्यूनतम तापमान 9.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।






...

दिल्ली में मौसम की अब तक की सबसे सर्द सुबह

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार की सुबह मौसम का अब तक का सबसे कम 8.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बताया कि यह औसत से एक डिग्री कम रहा।


शहर में सुबह आठ बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 302 रहा, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। पड़ोस के फरीदाबाद में (266), गाजियाबाद (262), ग्रेटर नोएडा (224), गुड़गांव (288) और नोएडा (254) में भी खराब श्रेणी में वायु गुणवत्ता दर्ज की गई।


शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।


शहर में शुक्रवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 314 दर्ज किया गया। इससे पहले दिल्ली में मौसम का सबसे कम तापमान बृहस्पतिवार को दर्ज किया गया था,तब तापमान 8.4 डिग्री सेल्सियस था।


मौसम विभाग ने दिन में हल्की धुंध छाए रहने और अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहने का अनुमान व्यक्त किया है। सुबह साढ़े आठ बजे हवा में नमी का स्तर 87 प्रतिशत दर्ज किया गया।


आईएमडी के मुताबिक शुक्रवार को अधिकतम तापमान 23.7 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान नौ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।





...

राजस्थान में सर्दी ने जोर पकड़ा, न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री तक गिरा

जयपुर : राजस्थान के अनेक हिस्सों में सर्दी ने जोर पकड़ लिया है और सर्द हवाओं से आम जनजीवन प्रभावित होने लगा है। बीती रात चुरू में न्यूनतम तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस रहा।


मौसम विभाग के अनुसार बुधवार रात सीकर में न्यूनतम तापमान 5 डिग्री जबकि पिलानी, अलवर, हनुमानगढ़, नागौर और भीलवाड़ा में क्रमश: 6.4, 6.6, 6.7, 6.9 और 7.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।


अन्य जगहों पर रात का न्यूनतम तापमान 8 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा।


विभाग के अनुसार आगामी 48 घंटों के दौरान राज्य के अनेक हिस्सों में सर्दी जारी रहेगी।



...

नासिक शहर में 24 घंटे में दिसंबर महीने की सर्वाधिक बारिश दर्ज की गई

नासिक (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र के नासिक शहर में 24 घंटे में दिसंबर महीने की सर्वाधिक बारिश दर्ज की गई।


मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, एक दिसंबर को शहर और जिले के कुछ हिस्सों में बेमौसम बारिश हुई, जो बुधवार तथा बृहस्पतिवार की दरमियानी रात भी जारी रही।


मौसम विज्ञान विभाग के सूत्रों ने बताया कि शहर में बुधवार सुबह साढ़े आठ बजे से 24 घंटे में 63.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जिसने दिसंबर महीने में 24 घंटे में हुई बारिश के अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। इससे पहले, 16 दिसंबर 1967 को 24 घंटे में 31 मिलीमीटर बारिश हुई थी।


जिले में इस मौसम में अब तक 176 मिलीमीटर बारिश हुई है। शहर के अलावा इगतपुरी, त्र्यंबकेश्वर, डिंडोरी, पेठ, निफड़, सिन्नार, चंदवाड़, देवला, नंदगांव, येओला, बगलान, कलवां और सुरगना सहित जिले के अन्य हिस्सों में भी बारिश हुई।





...

कश्मीर में लोगों को ठंड से थोड़ी राहत

श्रीनगर : कश्मीर में लोगों को ठंड से थोड़ी राहत मिली है लेकिन घाटी में पारा जमाव बिंदु से नीचे रहा। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।


अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर में बुधवार रात तापमान शून्य से 1.8 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि मंगलवार रात यह शून्य से 2.5 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा था। श्रीनगर में मंगलवार को इस सर्द ऋतु का सबसे न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।


अधिकारियों ने बताया कि वार्षिक अमरनाथ यात्रा के आधार शिविर पहलगाम में तापमान शून्य 4.2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया, जबकि एक दिन पलहे पहलगाम में तापमान शून्य से 5.2 डिग्री सेल्सियस नीचे था।


उत्तरी कश्मीर में बारामूला जिले के गुलमर्ग में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में तापमान शून्य से 3.3 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा।


काजीगुंड में तापमान शून्य से 1.5 डिग्री सेल्सियस नीचे, जबकि कोकेरनाग में न्यूनतम तापमान शून्य से 1.4 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा। मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि मौसम तीन दिसंबर तक शुष्क बना रहेगा।


अधिकारियों ने बताया कि घाटी में सप्ताहांत में कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के दस्तक देने का अनुमान है। बूंदाबांदी से घाटी में शुष्क मौसम खत्म होगा।


गौरतलब है कि कश्मीर में 40 दिन का 'चिल्लई कलां' का दौर 21 दिसंबर से शुरू होगा। इस दौरान क्षेत्र में कड़ाके की ठंड पड़ती है।




...

देश में इस साल नवंबर में पांच वर्षों में सर्वाधिक बारिश हुई :मौसम विभाग

नई दिल्ली: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बुधवार को बताया कि देश में नवंबर महीने में 645 बार भारी बारिश हुई और 168 बार बहुत भारी बारिश हुई, जो पिछले पांच वर्षों में इस महीने में सर्वाधिक है।


इस महीने में 11 बार अत्यधिक भारी बारिश (204.4 मिमी से अधिक) हुई, जो पिछले साल के आंकड़े के बराबर है।


आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार देश में नवंबर महीने में 645 बार भारी बारिश (64.5 मिमी से 115.5 मिमी) और 168 बार भारी बारिश (115.6 मिमी से 204.5 मिमी) बारिश हुई, जो पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है।


प्रायद्वीपीय भारत में अत्यंत भारी बारिश से लेकर बहुत भारी बारिश हुई, जिसकी वजह से आंध्र प्रदेश में 44, तमिलनाडु में 16 और कर्नाटक में 15 और केरल में तीन लोगों की मौत हो गई।


मौसम विभाग ने बताया कि नवंबर में सामान्य बारिश 30.5 मिमी की तुलना में 56.5 मिमी बारिश हुई, यानी 85.4 प्रतिशत ज्यादा बारिश हुई। प्रायद्वीपीय भारत में 160 प्रतिशत ज्यादा बारिश (232.7 मिमी) हुई।






...

पश्चिमी विक्षोभ से राजस्थान के कई इलाकों मे बारिश का अनुमान

जयपुर : पश्चिमी विक्षोभ के असर से राजस्थान के कई इलाकों में आगामी दो-तीन दिन में मध्यम से भारी बारिश होने का अनुमान है। मौसम केंद्र जयपुर के अनुसार दक्षिणी अंडमान सागर में आगामी 12 घंटों में कम दबाव के क्षेत्र के बनने की संभावना है।


साथ ही राज्य में एक दिसंबर से पश्चिमी विक्षोभ के भी सक्रिय होने की संभावना है।


केंद्र के अनुसार इस मौसमी तंत्र के प्रभाव से एक दिसंबर को राजस्थान के जोधपुर,कोटा, उदयपुर संभाग में हल्के से मध्यम दर्जे की वर्षा होने की संभावना है। वहीं दो दिसंबर को राज्य के जोधपुर,कोटा, जयपुर, उदयपुर व अजमेर संभाग के जिलों में हल्के से मध्यम दर्जे की वर्षा तथा उदयपुर संभाग में एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा भी होने की संभावना है।


इसी तरह तीन दिसंबर को भी राज्य के कई हिस्सों कहीं-कहीं हल्की बारिश होने की संभावना है जबकि चार दिसंबर को एक बार पुनः राज्य में मौसम शुष्क होने की संभावना जताई गई है।


वहीं, बीती सोमवार रात के न्यूनतम तापमान की बात की जाए तो यह चुरू में 6.0 डिग्री सेल्सियस, सीकर में 6.6 डिग्री, पिलानी में 7.6 डिग्री, संगरिया में 7.1 डिग्री व अलवर में 8.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।





...