सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम श्री विजयपुरम किया

सरकार ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार आइलैंड की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया X पर इसकी जानकारी दी।

शाह ने कहा- देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 23 जनवरी 2023 को नेताजी की 126वीं बर्थ एनिवर्सरी पर अंडमान और निकोबार आइलैंड के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का फैसला लिया था।

28 दिसंबर 2018 में अंडमान-निकोबार के हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप और रॉस द्वीप के नाम बदले थे। हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप, नील द्वीप को शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप नाम दिया गया।

शाह ने सोशल मीडिया X पर लिखा...

देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है।

इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है। यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा माँ भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है।

साल 2018 में PM मोदी ने पोर्ट ब्लेयर का दौरा किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारतीय धरती पर तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पोर्ट ब्लेयर के मरीना पार्क में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने सभी लोगों से मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू कीजिए और नेताजी को सम्मान दीजिए। 'इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां मौजूद लोगों से सुभाष बाबू जिंदाबाद के नारे लगवाए।

नेताजी देश ने सबसे पहले यहीं फहराया था तिरंगा

यही वह स्थान है, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश में आजादी से पहले तिरंगा फहराया था। यहां की सेलुलर जेल में वीर सावरकर समेत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने कई साल सजा के तौर पर बिताए थे। वे देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे।


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कमला हैरिस और ट्रंप के बीच बहस आज, दोनों प्रत्याशियों पर टिकीं अमेरिकियों की नजरें

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में अब दो महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट प्रत्याशियों के बीच बहस पर सभी की नजरे टिकी हैं। डेमोक्रेट प्रत्याशी कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के बीच यह पहली बार आमने-सामने बहस होगी।

इस बहस के जरिये मतदाताओं को प्रभावित करने का दोनों के पास एक अच्छा अवसर होगा। पेन्सिलवेनिया राज्य के फिलाडेल्फिया में यह बहस भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के निर्धारित है। इससे पहले अमेरिकी गत जून में उस नाटकीय बहस के गवाह रहे हैं, जिसमें खराब प्रदर्शन के कारण राष्ट्रपति जो बाइडन को डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी से पीछे हटना पड़ा था। इसलिए इस बहस का प्रभाव समझा जा सकता है।

निजी टिप्पणियां बढ़ रहीं

जैसे-जैसे नवंबर में होने वाले चुनाव नजदीक आ रहे हैं ट्रंप की हैरिस पर निजी टिप्पणियां बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने पिछले शुक्रवार को पुलिस अधिकारियों की एक सभा में यह भी कहा कि उन्हें ''मतदाता धोखाधड़ी पर नजर रखनी चाहिए''।

कमला हैरिस विभिन्न सर्वे में ट्रंप पर मामूली बढ़त बनाए हुए है। बहस में ट्रंप की योजना हैरिस को अति उदारवादी बता हमला करने की है। इस बीच, कमला हैरिस के अभियान ने ट्रंप के उस बयान की कड़ी आलाचना की है जिसमें उन्होंने धमकी दी थी कि पांच नवंबर का चुनाव जीतने के बाद वह भ्रष्ट चुनाव अधिकारियों को जेल में डाल देंगे। उधर, व्हाइट स्ट्राइप्स ने सोमवार को ट्रंप पर अपने हिट गाने ''सेवन नेशन आर्मी'' का इस्तेमाल बिना अनुमति करने पर मुकदमा दायर किया है।

मस्क बोले, ट्रंप हारे तो यह देश का अंतिम वास्तविक चुनाव

ट्रंप समर्थक व टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने डेमोक्रेटिक पार्टी की आव्रजन नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यदि ट्रंप यह चुनाव हारे तो यह देश का अंतिम वास्तविक चुनाव होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि डेमोक्रेट 1.5 करोड़ अवैध प्रवासियों को वैध करना चाहते हैं। ऐसा इसलिए कि ये उन्हें चुनाव जीतने में मदद कर सकते हैं।


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इम्फाल की सड़कों पर मशाल लेकर निकली महिलाएं

मणिपुर में प्रदर्शनकारियों पर ड्रोन हमले के विरोध में सोमवार (9 सितंबर) की रात महिलाओं ने इम्फाल में मशाल जुलूस निकाला। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की मांग कर रहे हैं।

इम्फाल के थांगमीबंद में प्रदर्शनकारियों ने हाथों में मशालें और पोस्टर लेकर नारे लगाते हुए मार्च किया। इससे पहले सोमवार को ही प्रदर्शनकारियों ने राजभवन पर पथराव किया था।

छात्रों का नेतृत्व कर रहे एम. सनाथोई चानू ने बताया- हमने DGP, राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग की है। CRPF के पूर्व DG कुलदीप सिंह के नेतृत्व में बनी यूनीफाइड कमांड राज्य सरकार को सौंपने की मांग की है।

मणिपुर राजभवन पर पथराव हुआ था, सुरक्षाकर्मी जान बचाकर भागे थे

इंफाल में सोमवार दोपहर को सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। इस दौरान सुरक्षाकर्मी भागते दिखे। पुलिस और सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड लगाकर रोका। कई राउंड आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे। इसमें 20 स्टूडेंट्स घायल हो गए थे।

मैतेई समुदाय के ये छात्र मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं को लेकर 8 सितंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें स्थानीय लोग भी शामिल हैं। रविवार को किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च के बाद प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे।

सोमवार को सुरक्षाबलों ने ज्ञापन सौंपने की मांग पूरी कर दी, इसके बाद भी स्टूडेंट्स सड़क पर प्रदर्शन करते रहे। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे यहां डटे रहेंगे। इस दौरान उनकी सुरक्षाबलों के साथ झड़प भी हुई।

स्टूडेंट्स 1 और 3 सितंबर को मैतेई इलाकों में हुए ड्रोन हमलों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की। साथ ही राज्य के 60 में से 50 मैतेई विधायकों से अपना रुख स्पष्ट करने या इस्तीफा देने को कहा।

इन स्टूडेंट्स ने यह भी डिमांड की है कि राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे हैं।

11 दिन में 8 की मौत

मणिपुर में जारी हिंसा और अराजकता थम नहीं रही है। बीते 11 दिन में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। कुकी बहुल कांग्पोक्पी के थांगबू गांव में रविवार शाम संदिग्ध मैतेई हथियारबंद लोगों ने गोलीबारी की थी, जिसमें नेंगजाखल लहुगडिम (50) की मौत हो गई। विष्णुपुर के सुगनू गांव पर भी हमला हुआ।

दरअसल, विष्णुपुर मैतेई बहुल इंफाल और कुकी बहुल चूराचांदपुर के बीच बफर जोन है। यहां ज्यादातर मैतेई रहते हैं, लेकिन सुगनू गांव में कुकी हैं, जो चूराचांदपुर से सटा है।

मैतेई बहुल कोत्रुक, मोइरांग में सन्नाटा; 20 गांव निशाने पर थे

इंफाल से 20 किमी दूर कोत्रुक गांव में कुछ परिवारों को छोड़ दें तो 500 लोग घर छोड़ चुके हैं। जो बचे हैं, वो कई रात से सोए नहीं, क्योंकि हर वक्त ड्रोन हमले का खतरा है। यहीं 1 सितंबर को ड्रोन बम हमले हुए थे। विष्णुपुर जिले के मैतेई हिस्से में आने वाले मोइरांग में रॉकेट हमला हुआ था। यह 80% गांव खाली है।

कोत्रुक के रहने वाले एन. मैक्रॉन सिंह ने बताया, ज्यादातर लोग रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। उन्होंने दावा किया कि 1 सितंबर को उग्रवादी 20 गांवों पर बम गिराने वाले थे, लेकिन सुरक्षाबलों ने फायरिंग करके रोक दिया। सेना मोइरांग से कांग्पोक्पी तक सर्च ऑपरेशन चल रही है। इसमें कई जगह हथियार जब्त किए गए हैं। इसमें RPG और हाई एंड असॉल्ट राइफल शामिल हैं।

रिटायर्ड जवान की हत्या

मणिपुर के इंफाल वेस्ट में सोमवार सुबह असम राइफल्स के रिटायर्ड जवान लालबोई माते का शव मिला है। माते कुकी बहुल कांग्पोक्पी के मोटबुंग के रहने वाले थे। बताया गया है कि माते बफर जोन को पार कर मैतेई क्षेत्र में घुस आए थे।

बीते 7 दिनों में हिंसा बढ़ी, 8 लोगों की मौत हुई

मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। बीते 7 दिनों से हिंसा बढ़ गई है। इसमें 8 लोगों की मौत हुई है। 15 से ज्यादा घायल हैं। हाल ही में मणिपुर में ड्रोन से भी हमले हुए हैं। इनमें 2 लोगों की मौत हुई है।

मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं...

1 सितंबर- पहली बार ड्रोन से हमला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए।

3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की।

6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे।

7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई।

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया। मणिपुर के आईजी (इंटेलिजेंस) के. कबीब ने शनिवार (7 सितंबर) को बताया कि एक मजबूत एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के नए हथियार खरीदे जा रहे हैं। सीनियर पुलिस अफसर ग्राउंड पर उतारे गए हैं। आर्मी के हेलिकॉप्टर के जरिए हवाई पेट्रोलिंग जारी है। संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कर्मियों तैनात हैं।

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की शक्तियां बढ़ाने की मांग की

सीएम बीरेन सिंह ने गवर्नर लक्ष्मण आचार्य को 8 सूत्रीय मांगों की एक लिस्ट सौंपी है। इसमें संविधान के अनुसार राज्य सरकार को पावर और जिम्मेदारियां देने की बात कही गई है। साथ ही CM ने कुकी उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौते को रद्द करने की मांग की है, ताकि सिक्योरिटी फोर्सेज पूरी ताकत से कुकी उग्रवादियों पर कार्रवाई कर सकें। इसके अलावा नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की प्रक्रिया शुरू करने और सभी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की भी बात कही गई है।

मणिपुर हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत

मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह...

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।


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गाजा अटैक के बाद इजराइल में सबसे बड़ा प्रदर्शन

गाजा पट्टी में छह बंधकों के शव बरामद होने के बाद इजराइल में गुस्सा भड़क गया है। रविवार रात अलग-अलग शहरों में करीब 5 लाख लोगों ने प्रदर्शन किया। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी तेल अवीव में 3 लाख से ज्यादा और दूसरे शहरों में 2 लाख से ज्यादा लोग जुटे।

हॉस्टेज एंड मिसिंग फैमिली फोरम ने CNN से 7 लाख से ज्यादा लोगों के जुटने का दावा किया। प्रदर्शनकारियों ने मारे गए छह बंधकों के शवों के प्रतीक के तौर पर 6 ताबूत रखे थे। इजराइल में 7 अक्टूबर के हमलों के बाद यह सबसे बड़ा प्रदर्शन है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के घर के बाहर भी विरोध जताया गया।

इजराइली जनता बंधकों की रिहाई न होने से नाराज

प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री नेतन्याहू और उनकी सरकार पर बंधकों की रिहाई के लिए ठोस कदम नहीं उठाने का आरोप लगा रहे थे।

उनका कहना था नेतन्याहू अगर जंग रोकने का समझौता कर लेते तो बंधकों को छुड़ाया जा सकता था। नेतन्याहू राजनीतिक वजहों से समझौता करना नहीं चाहते।

रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारी रातभर विरोध प्रदर्शन करते रहे। उन्होंने कई हाईवे को जाम कर दिया। वे ‘नाउ-नाउ’ (अभी-अभी) के नारे लगा रहे थे। वे जल्द से जल्द हमास के साथ युद्धविराम की मांग कर रहे थे।

कई लोग बंधकों के जिंदा लौटने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने बंधकों के सम्मान में इजराइली झंडा, पीले रिबन और मारे गए 6 बंधकों से माफी मांगने वाली तख्तियां हाथों में ले रखी थीं।

मजदूर संघ ने देशभर में हड़ताल का आह्वान किया

इस बीच इजराइल के सबसे बड़े मजदूर संघ जनरल फेडरेशन ऑफ लेबर ने सोमवार से देशभर में हड़ताल का आह्वान किया है। स्वास्थ्य, परिवहन और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों के 8 लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यापार संघ ने कहा कि हड़ताल सोमवार से शुरू होगी।

इस हड़ताल का मकसद सरकार पर जंग रोकने के लिए दबाव बढ़ाना है ताकि गाजा में हमास की कैद से लोगों को वापस लाया जा सके। संगठन दावा कर रहा है कि हड़ताल की वजह से सोमवार को इजराइल का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बेन-गुरियन भी बंद रहेगा। हालांकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इनकार किया है।

7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद मजदूर संघ की यह पहली आम हड़ताल होगी। इससे पहले जून 2023 में भी एक आम हड़ताल हुई थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री नेतन्याहू को न्यायिक सुधारों वाली योजना टालनी पड़ी थी।

अपनी ही सरकार से नाराज हुए रक्षा मंत्री

6 बंधकों के शव मिलने के बाद इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने अपने ही सरकार के खिलाफ हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार बंधकों को मुक्त कराने की बजाए सीमा इलाके पर कब्जा करने को प्राथमिकता दे रही है।

गैलेंट का इशारा मिस्र और गाजा पट्टी से लगे बफर जोन फिलाडेल्फिया कॉरिडोर की तरफ था। 3 महीने पहले इजराइली सेना ने 14 किमी लंबे इस इलाके पर कब्जा कर लिया था। गैलेंट ने कहा कि हमारे पास अब समय नहीं है। अगर हम इसी तरह काम करते रहे तो बाकी बंधकों को कभी आजाद नहीं करा पाएंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक हमास फिलाडेल्फिया कॉरिडोर पर इजराइली कब्जे से नाराज है। गैलेंट ने कहा कि बंधकों को रिहा कराना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्हें रिहा कराने के बाद तो हम 8 घंटे के भीतर फिलाडेल्फिया कॉरिडोर पर कब्जा कर सकते हैं।

इजराइली सेना के पहुंचने से पहले बंधकों को मारा

इससे पहले इजराइली सेना ने शुक्रवार रात को गाजा के राफा में हमास की सुरंगों से 6 बंधकों के शव बरामद किए थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पाया गया कि गुरुवार और शुक्रवार की सुबह के बीच उनके सिर में बेहद करीब से गोली मारी गई। इजराइली सेना ने बताया कि सैनिकों के वहां पहुंचने से कुछ देर पहले ही हमास ने इन बंधकों को बर्बरता के साथ मार डाला।


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खत्म हुआ इंतजार, आज से साहिबाबाद से मेरठ तक जाएगी नमो भारत ट्रेन, जानिए कितना लगेगा किराया

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीति चरम पर है। एक ओर जहां रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप दौड़ में हैं तो वहीं डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस भी उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं। इस बीच डेमोक्रेटिक पार्टी का नेशनल कन्वेंशन चर्चा का विषय बन गया है। 

'ओम शांति शांति' से गूंजा कन्वेंशन हॉल

शिकागो में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन का तीसरा दिन खास इसलिए भी रहा, क्योंकि इसकी शुरुआत हिंदू पुजारी ने वैदिक मंत्रों से की। कन्वेंशन शुरू हुआ ही था कि पूरे हॉल में "ओम शांति शांति" के नारे गूंज उठे। मैरीलैंड के शिव विष्णु मंदिर के पुजारी राकेश भट्ट ने एकजुट देश के लिए आशीर्वाद मांगते हुए वैदिक प्रार्थना की।

हमें एकजुट होना होगा

पुजारी राकेश भट्ट ने कहा, 

कौन हैं पुजारी राकेश भट्ट

राकेश भट्ट एक माधव पुजारी हैं जो बेंगलुरु से अमेरिका चले गए थे। उन्होंने अपने गुरु, उडुपी अष्ट मठ के पेजावर स्वामीजी के अधीन ऋग्वेद और तंत्रसार (माधव) आगम में प्रशिक्षण लिया था। राकेश भट्ट हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में बोलते हैं। उनके पास तीन भाषाओं में संस्कृत, अंग्रेजी और कन्नड़ बैचलर और मास्टर डिग्री है।

उन्होंने बेंगलुरु के ओस्टीन कॉलेज से अंग्रेजी और कन्नड़ की डिग्री और जयचामाराजेंद्र कॉलेज से संस्कृत की डिग्री हासिल की। 

मंत्रोच्चारण पर क्या बोले डेमोक्रेटिक नेता?

डेमोक्रेटिक पार्टी के उप राष्ट्रीय वित्त अध्यक्ष अजय भूतोरिया ने कहा कि राकेश भट्ट की डी.एन.सी में हिंदू प्रार्थना एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो समावेशिता और विविधता के प्रति डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

क्या है DNC?

DNC (डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन) डेमोक्रेटिक पार्टी का सबसे बड़ा कार्यक्रम माना जाता है। ये चार साल में एक बार राष्ट्रपति चुनाव से पहले होता है। इसकी शुरुआत 1832 में हुई थी, जिससे तत्कालीन राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन को चुनने के लिए हुई थी।



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चीन और रूस के बॉम्बर विमान अमेरिका की सीमा में घुसे, कनाडा की भी उड़ी नींद

चीन के बॉम्बर ने अमेरिका में दहशत मचा दी. इसमें रूस के सहयोग की भी बात सामने आई है. चीन के H-6 सीरीज के 2 विमानों ने रूसी TU-95 बॉम्बर के साथ बुधवार सुबह अमेरिका के अलास्का के पास उड़ान भरी थी. फॉक्स न्यूज के मुताबिक, नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) ने कहा कि उसने अलास्का के तट पर 2 रूसी टीयू-95 बॉम्बर और 2 चीनी एच-6 बमवर्षक को रोकने के लिए लड़ाकू जेट भेजे. एजेंसी ने पुष्टि की है कि उसने 24 जुलाई को अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में 2 रूसी TU-95 और दो चीनी H-6 सैन्य विमानों का पता लगाया और उन्हें रोका गया.  

रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका और कनाडा के NORAD ने विमानों ने इन विमानों को वापस भेजा. फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया कि यह पहली बार हुआ, जब रूस और चीन ने अलास्का के तट पर संयुक्त बमवर्षक भेजे. एजेंसी ने ये भी कहा कि रूसी और चीन के विमान अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में ही बने रह. उन्होंने अमेरिकी या कनाडाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया. अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में में रूसी और चीन की इस गतिविधि को खतरे के रूप में नहीं देखा गया है हालांकि, अमेरिका इस पर निगरानी जारी रखेगा.

ये है चीन के विमानों की खासियत

चीन के H-6 सीरीज के विमानों में अलग-अलग प्रकार विमान शामिल हैं, जिनमें मिसाइल वाहक विमान और हवाई ईंधन भरने वाले टैंकर भी हैं. इसके साथ ही बड़े आकार के हथियार ले जाने के लिए इन्हें डिजाइन किया गया. विज्ञप्ति में ये नहीं बताया गया कि अमेरिका के किन विमानों ने चीनी और रूसी बॉम्बर को रोकने के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन संभावना है कि अमेरिकी वायुसेना के F-16 या F-22 विमान इसमें शामिल थे. 

क्या कहा है NORAD ने

नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) ने बयान में कहा कि उसने 24 जुलाई को अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन  में काम कर रहे 2 रूसी TU-95 और दो PRC पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के H-6 सैन्य विमानों का पता लगाया, उन पर नजर रखी और उन्हें रोका. NORAD ने कहा कि अमेरिकी और कनाडाई लड़ाकू विमानों ने यह काम किया और इस बात पर भी ध्यान दिया कि रूसी और चीनी विमान अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में ही रहे. उन्होंने अमेरिकी या कनाडाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया.


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कमला हैरिस को राष्ट्रपति उम्मीदवारी के लिए मिला बहुमत

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से बाइडेन के पीछे हटने के 24 घंटे में ही कमला हैरिस ने डेमोक्रेटिक पार्टी से नॉमिनेशन के लिए बहुमत हासिल कर लिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए 4 हजार में से अब तक 1976 डेलिगेट्स का समर्थन मिल चुका है।

1-7 अगस्त के बीच डेमोक्रैट्स नॉमिनेशन के लिए पहले राउंड की वोटिंग करेंगे। कमला हैरिस ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के 2024 के राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने के बाद पहली बार जनता को संबोधित किया।

उपराष्ट्रपति हैरिस ने राष्ट्रपति के काम की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बाइडेन ने सिर्फ चार साल में इतना काम किया है जितना कई राष्ट्रपति दो कार्यकाल में पूरा नहीं कर पाए। कमला हैरिस पेरिस ओलंपिक से पहले, व्हाइट हाउस में अमेरिकी खिलाड़ियों के लिए एक सम्मान समारोह में पहुंची थीं। कोविड पॉजिटिव होने के कारण बाइडेन इस अवसर पर मौजूद नहीं थे।

कमला हैरिस ने चुनाव से जुड़ी कोई बात नहीं की

हैरिस ने कहा कि जब वे अटॉर्नी जनरल थीं तो उनकी मुलाकात दिवंगत ब्यू बाइडेन से हुई थी। उन्होंने ही पहली बार अपने पिता के बारे में बताया था। वो उनकी तारीफ करते नहीं थकते थे।

सालों बाद मैंने खुद देखा कि राष्ट्रपति बाइडेन कैसे अमेरिकी लोगों के लिए हर दिन लड़ाई लड़ते हैं। अमेरिका और यहां के लोगों के लिए उनके दिल में गहरा प्रेम है। हम अपने देश के प्रति उनकी सेवा के लिए बहुत-बहुत आभारी हैं।

हैरिस ने कहा कि आज बाइडेन यहां होते, लेकिन बीमार होने की वजह से यहां नहीं आ सके। राष्ट्रपति पद की रेस में शामिल हैरिस ने अपने पहले भाषण में चुनाव से जुड़ी कोई बात नहीं की।हिलेरी क्लिंटन ने कमला का समर्थन किया

अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने अगले अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए कमला हैरिस का समर्थन किया है। हिलेरी क्लिंटन, डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रह चुकी हैं। तब वे ट्रम्प से हार गई थीं।

हिलेरी क्लिंटन ने सोशल मीडिया पर लिखा है, “मैं कमला हैरिस को लंबे समय से जानती हूं। वे प्रतिभाशाली वकील रह चुकी हैं। कमला हैरिस दोषी करार दिए गए अपराधी डोनाल्ड ट्रम्प और आजादी छीनने वाले ‘प्रोजेक्ट 2025’ के एजेंडे के खिलाफ लड़ेंगी। हालांकि, वे यह काम अकेली नहीं कर सकतीं। हिलेरी ने देश के लोगों से कमला हैरिस का साथ देने की अपील की।

कमला हैरिस ने समर्थन जुटाने के लिए 10 घंटे तक फोन पर बात की

CNN ने सूत्र के हवाले से बताया कि बाइडेन की तरफ से हरी झंडी मिलने के बाद उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने समर्थन जुटाने के लिए 10 घंटे तक लोगों से बातें कीं। इस दौरान हैरिस ने पूर्व राष्ट्रपतियों बराक ओबामा और बिल क्लिंटन के साथ-साथ पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन से भी बात की।

कश्मीर पर पाक समर्थक अलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि यह पहले से ज्यादा जरूरी है कि हमारी पार्टी और देश ट्रम्प को हराने के लिए एकजुट हों। इसके अलावा डेमोक्रेटिक सांसद कोरी बुश और इल्हान उमर ने भी हैरिस को अपना समर्थन दिया है।

कमला हैरिस अभी नहीं बनी पार्टी की उम्मीदवार

भले ही जो बाइडन से लेकर हिलेरी क्लिंटन ने कमला हैरिस की उम्मीदवारी का समर्थन किया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे डेमोक्रेटिक पार्टी की संभावित उम्मीदवार हैं। ‌BBC की रिपोर्ट के मुताबिक डेमोक्रेटिक पार्टी में राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए अभी भी कई उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होना है।

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में करीब 100 दिन बचे हैं, लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी में नया कैंडिडेट कैसे चुना जाएगा इसे लेकर अभी कोई रास्ता नहीं निकल पाया है।

मोक्रेट पार्टी का कन्वेंशन 19 अगस्त से, कमला को बहुमत पाना होगा

बाइडेन मैदान से हटे हैं, लेकिन जनवरी 2025 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे। वे इस हफ्ते देश को संबोधित करेंगे। सबकी निगाह 1-7 अगस्त के बीच शिकागो में होने वाले डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन पर है। इसमें पार्टी के 4 हजार प्रतिनिधि राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी का चयन करने के लिए जुटेंगे।

यह भी संभव है कि प्रत्याशी चयन कन्वेंशन से पहले वर्चुअल हो जाए। अगर, कोई डेमोक्रैट कमला को चुनौती देना चाहता है तो 600 प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर के साथ दावा करना होगा। कन्वेंशन में बहुमत समर्थन जुटाना होगा। कमला की उम्मीदवारी को गवर्नर गैविन न्यूसम, विटमर, बेशर और सैपियो से चुनौती मिल सकती है।

डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से बाइडेन-कमला के नाम पर 2007 करोड़ रु. का चंदा जमा हो चुका था। अब कमला को बाइडेन का समर्थन मिलने के बाद यह तय है कि वे इसका इस्तेमाल चुनाव में कर सकेंगी।

अपना नाम वापस लेते हुए बाइडेन ने उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट के तौर पर चुना है। हालांकि, अभी कमला के नाम पर पार्टी की मुहर लगनी बाकी है। कमला उम्र में बाइडेन से काफी छोटी हैं। विपक्ष के हमलों का जवाब देने में माहिर हैं, ब्लैक वोटर्स से लेकर महिलाओं तक में उनकी पैठ है। स्टोरी में वो 4 वजहें जो उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए बेस्ट उम्मीदवार बनाती हैं..


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ऑस्ट्रेलिया से लेकर जर्मनी तक माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर ठप, दुनियाभर में विमान सेवाएं प्रभावित

माइक्रोसॉफ्ट सर्वर में आई समस्या की वजह से दुनियाभर में विमान सेवाएं प्रभावित हुई हैं। कई देशों में विमान उड़ान नहीं भर पा रहे हैं। भारतीय एयरलाइन इंडिगो ने कहा है कि तकनीकी खराबी की वजह से विमान सेवाएं प्रभावित हुई है। कई विमानन कंपनियों के फ्लाइट उड़ान नहीं भर पा रही हैं।

विश्वभर में Windows पर काम करने वाले सिस्टम को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर ठप (Microsoft Server Outage) होने की वजह से दुनियाभर में बैंक से लेकर एयरलाइन्स तक की सर्विसेस बाधित हुई हैं।

दिल्ली एयरपोर्ट पर सेवाएं प्रभावित 

माइक्रोसॉफ्ट की बीएसओडी प्रॉब्लम का असर देश भर की कई एयरलाइंस कंपनियों पर भी पड़ा है। इंडिगो, अकासा और स्पाइसजेट एयरलाइंस के चेक इन सिस्टम डाउन हो गए हैं। दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल-2 पर सर्वर डाउन का असर पड़ा है।

 एयरलाइंस कंपनियां मैनुअल प्रोसेस को फॉलो कर रही है। 

टेकनिकल फॉल्ट पर एयर इंडिया ने भी जानकारी देते हुए कहा कि विमान कंपनी की डिजिटल सिस्टम भी प्रभावित हुई है।

दिल्ली एयरपोर्ट पर सेवाएं अस्थायी रूप से प्रभावित

दिल्ली एयरपोर्ट ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर जानकारी दी कि वैश्विक आईटी समस्या के कारण, दिल्ली हवाई अड्डे पर कुछ सेवाएं अस्थायी रूप से प्रभावित हुई हैं। हम अपने यात्रियों की असुविधा को कम करने के लिए अपने सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

यात्रियों से अनुरोध है कि वे उड़ान की अद्यतन जानकारी के लिए संबंधित एयरलाइन या ग्राउंड हेल्प डेस्क से संपर्क में रहें। हमें अपने यात्रियों को हुई असुविधा के लिए खेद है। वहीं, आईटी मंत्रालय सिस्टम आउटेज पर माइक्रोसॉफ्ट से बातचीत कर रहे हैं

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने बुलाई आपातकालीन बैठक 

अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों में विमान सेवाएं प्रभावित हुई हैं। कई एयरपोर्ट पर चेक-ईन सेवाएं बंद हो चुकी हैं। सबसे ज्यादा अमेरिकी एयरलाइंस सर्विस पर असर पड़ा है। ऑस्ट्रेलिया सरकार ने आपातकाल बैठक बुलाई है। ब्रिटिश समाचार चैनल स्काई न्यूज पर लाइव प्रसारण बंद हो चुका है।

 जर्मनी के बर्लिन एयरपोर्ट से विमानों के टेकऑफ बंद है। वहीं, एयरपोर्ट पर विमान सेवा रोक दी गई है। ब्रिटेन की रेल सेवा में भी तकनीकी खराबी आई है।


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जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमला, कैप्टन समेत 5 जवान शहीद

जम्मू-कश्मीर में डोडा जिले के डेसा में आतंकवादियों की फायरिंग में सेना के कैप्टन समेत 4 जवान शहीद हो गए। एक पुलिस कर्मी की भी मौत हुई है। यानी कुल 5 लोगों की जान गई है। राष्ट्रीय राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस यहां सोमवार से ही सर्च ऑपरेशन चला रही थी।

सर्चिंग के दौरान आतंकी फायरिंग करते हुए भागे। घना जंगल होने की वजह से वे बच निकले। सोमवार रात 9 बजे के आसपास फिर गोलीबारी हुई। इसमें 5 जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। इन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।

शहीद हुए जवानों में से एक झुंझुनूं जिले के बुहाना तहसील के भैसावता कलां के रहने वाले अजय सिंह हैं। वह राष्ट्रीय राइफल्स में सिपाही थे। सेना इलाके में हेलिकॉप्टर, ड्रोन से आतंकियों की तलाश कर रही है।

हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े कश्मीर टाइगर्स ने ली है। संगठन ने दावा किया है कि उनके हमले में आर्मी के कैप्टन समेत 12 जवान मारे गए हैं, जबकि 6 घायल हैं।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर्मी चीफ से बात की

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आर्मी चीफ से मुठभेड़ की जानकारी ली है। जम्मू डिवीजन के डोडा में 34 दिन में यह पांचवां एनकाउंटर है। इससे पहले 9 जुलाई को एनकाउंटर हुआ था। यहां 26 जून को एक और 12 जून को 2 हमले हुए थे। इसके बाद सुरक्षाबलों-आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसमें 3 आतंकी मारे गए थे।

हमले पर नेताओं के बयान...

राहुल गांधी: आज जम्मू-कश्मीर में फिर से एक आतंकी मुठभेड़ में हमारे जवान शहीद हो गए। शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोक संतप्त परिजनों को गहरी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। लगातार हो रहे ये आतंकी हमले जम्मू-कश्मीर की जर्जर स्थिति बयान कर रहे हैं।

भाजपा की गलत नीतियों का खामियाजा हमारे जवान और उनके परिवार भुगत रहे हैं। हर देशभक्त भारतीय की यह मांग है कि सरकार बार-बार हो रही सुरक्षा चूकों की पूरी जवाबदेही ले कर देश और जवानों के गुनहगारों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे। दुख की इस घड़ी में पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता से खड़ा है।

केंद्रीय मंत्री जीतेंद्र सिंह: मेरे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में डोडा जिले के डेसा क्षेत्र में सशस्त्र मुठभेड़ की खबरों से बहुत परेशान हूं। हमारे बहादुरों की शहादत पर शोक व्यक्त करने और निंदा करने के लिए शब्द कम हैं। हम सभी मिलकर दुश्मन के नापाक मंसूबों को हराएं और शांति और सद्भाव बनाए रखें, जिसके लिए डोडा हमेशा से जाना जाता है।

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल: डोडा जिले में हमारी सेना के जवानों और जेकेपी कर्मियों पर हुए कायरतापूर्ण हमले के बारे में जानकर मुझे गहरा दुख हुआ है। हमारे राष्ट्र की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि। शोक संतप्त परिवारों के सदस्यों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। हम अपने सैनिकों की मौत का बदला लेंगे और आतंकवादियों और उनके सहयोगियों के नापाक मंसूबों को विफल कर देंगे।

डोडा डिविजन में 34 दिन में पांचवां एनकाउंटर

पहला एनकाउंटर- तारीख: 11 जून, रात 1-2 बजे

क्या हुआ: आतंकियों ने डोडा के भद्रवाह-पठानकोट मार्ग पर 4 राष्ट्रीय राइफल्स और पुलिस की जॉइंट चेकपोस्ट पर फायरिंग की। 5 जवान और एक स्पेशल पुलिस ऑफिसर (SPO) घायल हो गए। हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन कश्मीर टाइगर्स (जेईएम/जैश) ने ली।

दूसरा एनकाउंटर- तारीख: 12 जून, रात 8:20 बजे

क्या हुआ: डोडा के गंडोह में कोटा टॉप में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई। इसमें स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के कॉन्स्टेबल फरीद अहमद जख्मी हो गए। फिलहाल उन्हें इलाज के लिए गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज डोडा में भर्ती कराया गया है।

तीसरा एनकाउंटर- तारीख: 26 जून, सुबह 9:50 बजे

क्या हुआ: 3 आतंकी मारे गए

डोडा जिले के गंडोह इलाके में 26 जून को सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया था। सुबह 2-3 आतंकियों के इलाके में छिपे होने की सूचना के बाद पुलिस और सेना ने सर्च ऑपरेशन लॉन्च किया था, जिसके बाद सुबह 9.50 बजे एनकाउंटर शुरू हुआ था। इस एनकाउंटर में जम्मू-कश्मीर पुलिस में तैनात स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप का जवान भी घायल हुआ था।

चौथा एनकाउंटर- तारीख: 9 जुलाई, शाम करीब 5 बजे

क्या हुआ- किसी आतंकी के मरने की खबर नहीं

डोडा के गढी भगवा इलाके में शाम को शुरू हुए एनकाउंटर में सेना और आंतकियों की तरफ से लगातार फायरिंग हुई। इलाके में 2-3 आतंकियों के फंसे होने की आशंका थी। मुठभेड़ रुकने तक किसी आतंकी के मरने की खबर नहीं मिली।


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ट्रंप पर हमले के बाद जो बाइडेन का अमेरिका को संदेश, कहा- इस चुनाव में दांव बहुत ऊंचे...

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ अब हिंसक हो चुकी है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर एक चुनावी रैली के दौरान गोली चलाई गई। ट्रंप की जान बाल-बाल बची क्योंकि गोली उनके कान को चीरते हुए निकल गई। इस घटना के बाद अमेरिका समेत पूरी दुनिया में हंगामे के दौर शुरू हो गया है। वहीं, ट्रंप पर इस जानलेवा हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्र के नाम संबोधन दिया है। आइए जानते हैं कि जो बाइडेन ने इस मुद्दे पर क्या कुछ कहा।

हिंसा जवाब नहीं है?

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि एक पूर्व राष्ट्रपति को गोली मार दी गई, और एक अमेरिकी नागरिक की हत्या कर दी गई। अमेरिका को उस रास्ते पर नहीं जाना चाहिए जिस पर हम अपने इतिहास में पहले भी जा चुके हैं। बाइडेन ने कहा कि हिंसा कभी भी जवाब नहीं रही है। चाहे वह कांग्रेस सदस्यों को गोली मारना हो, 6 जनवरी को कैपिटल हिल पर हमला हो, नैन्सी पेलोसी के पति पर हमला,  चुनाव अधिकारियों को धमकी, मौजूदा गवर्नर के खिलाफ अपहरण की साजिश या फिर डोनाल्ड ट्रम्प की हत्या का प्रयास हो। अमेरिका में इस प्रकार की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।

लोग कोई धारणा नहीं बनाए- जो बाइडेन

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि ट्रंप की हत्या का प्रयास एक राष्ट्र के रूप में हमारी सभी मान्यताओं के विपरीत है। बाइडेन ने कहा कि ट्रंप पर हमले की जांच गहन और त्वरित तरीके से करने का निर्देश दिया गया है। बाइडेन ने अमेरिकी लोगों से ये भी कहा कि हत्या के प्रयास को लेकर अटकलें न लगाए। उन्होंने कहा कि हमलावर के इरादे या किसी संगठन या व्यक्ति से संबंध के बारे में कोई धारणा नहीं बनाए।

चुनाव में दांव बहुत ऊंचे- बाइडेन

आप जानते हैं, इस देश में राजनीतिक रिकॉर्ड बहुत गर्म हो गया है। अब ठंडा होने का समय है और ऐसा करना हम सभी की जिम्मेदारी है। बाइडेन ने कहा कि हमने असहमतियों को गहराई से महसूस किया है। इस चुनाव में दांव बहुत ऊंचे हैं। बाइडेन ने कहा कि मैंने कई बार कहा है कि इस चुनाव में हम जो चुनेंगे, वह आने वाले दशकों में अमेरिका और दुनिया के भविष्य को आकार देगा।


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