Iran के परमाणु केंद्रों वाले शहरों पर मिसाइल हमला

इजरायल की जवाबी कार्रवाई के बाद ईरान दहल उठा है। इजरायल (Israel News) ने आज सुबह अपनी तय रणनीति के अनुसार, ईरान के कई शहरों में मिसाइल अटैक किया। ये धमाके ईरान के न्यूक्लियर प्लांट वाले शहरों में किया गया है। इसी के साथ ईरानी हवाईअड्डे और उसके एयरबेस को निशाना बनाकर भी हमले किए गए हैं। 

इजरायल ने ईरान (Iran Israel Conflict) के इस्फहान शहर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। यहीं ईरान का एक प्रमुख एयरबेस और मिलिट्री रिसर्च और डेवलपमेंट सेंटर भी हैं। आखिर, इजरायल के हमले में ईरान को क्या-क्या नुकसान हुआ और हमले के बाद का क्या नया अपडेट है, आइए जानते हैं...

इजरायल के इस अटैक को ईरान के एक सप्ताह पहले किए गए हमले के बदले के रूप में देखा जा रहा है। 

इजरायल ने ईरान के तीसरे सबसे बड़ी आबादी वाले शहर इस्फहान पर हमला किया है। इसमें ईरान के एयरपोर्ट और सेना के एयरबेस को ड्रोन और मिलाइल से निशाना बनाया गया है।

इजरायल के हमले की सूचना मिलते ही ईरान ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को एक्टिव कर दिया, जिससे इजरायल के कई ड्रोन मार गिराए गए।

दूसरी ओर ईरानी मीडिया का कहना है कि वहां मिसाइल अटैक नहीं हुआ है और कुछ ड्रोन हमलों को भी नाकाम किया गया है।

यूएस फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन डेटाबेस के अनुसार, ईरान ने हमले के बाद तेहरान के इमाम खुमैनी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे की सभी उड़ानों को बंद कर दिया है। 

बता दें कि इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने देश पर हुए ईरानी हमले के बाद बदला लेने की कसम खाई थी। इजरायली पीएम ने इसके बाद युद्ध कैबिनेट के साथ बैठक के बाद हमले का स्थान और समय तय किया था। माना जा रहा है कि इसी बैठक में हमले को लेकर पूरी रणनीति बनी थी।

इससे एक हफ्ते पहले ईरान ने इजरायल पर कई मिसाइल और ड्रोन अटैक किए थे। ईरान ने आरोप लगाया था कि इजरायल ने दमिश्क में उसके राजदूतों की हत्या की थी, जिसका उसने बदला लिया है।


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एयर इंडिया ने ईरान के एयरस्पेस से गुजरना किया बंद

मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है, जिसका असर अब हवाई सेवाओं पर भी देखने को मिल रहा है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एयर इंडिया फ्लाइट्स ने शनिवार (13 अप्रैल) को ईरानी एयरस्पेस से गुजरना बंद कर दिया है. ईरान ने इजरायल पर हमले की चेतावनी दी है. सूत्रों ने बताया है कि यूरोप जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट्स ईरानी एयरस्पेस से बचते हुए लंबे रास्ते से अपने डेस्टिनेशन पर जा रही हैं. 

दरअसल, एक अप्रैल को सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर इजरायली फाइटर जेट्स ने हमला किया था. इसकी वजह से ईरान और इजरायल के बीच तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया. ईरान के मीडिया के अनुसार इजरायली हमले में दो जनरल समेत रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के सात जवान मारे गए थे. ईरान ने उसी वक्त बदले के संकेत दे दिए थे और शुक्रवार (12 अप्रैल) से ही उम्मीद जताई जा रही है कि तेहरान किसी भी वक्त हमला कर सकता है.

रविवार को ईरान कर सकता है हमला!

अमेरिका समेत कई देशों की खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ईरान रविवार तक इजरायल पर जवाबी कार्रवाई कर सकता है. अगर ये हमला हुआ तो इसकी वजह से मिडिल ईस्ट में जबरदस्त जंग छिड़ सकती है. दोनों ही देशों के बीच छद्म युद्ध तो लंबे समय से चल रहा है, लेकिन अब सीधी जंग का खतरा मंडराने लगा है. ऐसा ही तनावपूर्ण माहौल 2020 में भी देखने को मिला था, जब इजरायली हमले में ईरान के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी. 

इजरायल को सजा जरूर मिलेगी: अयातुल्लाह अली खामनेई

ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने इस हफ्ते की शुरुआत में चेतावनी देते हुए कहा था कि इजरायल को सजा जरूर मिलनी चाहिए और उसे मिलेगी. उन्होंने कहा था, "किसी भी देश में वाणिज्य दूतावास और दूतावास कार्यालय उसी देश का हिस्सा होते हैं. जब उन्होंने हमारे दूतावास पर हमला किया, तो इसका मतलब है कि उन्होंने हमारे इलाके पर अटैक किया है." उनके एक एडवाइजर ने यहां तक कह दिया था कि इजरायली दूतावास ज्यादा सुरक्षित नहीं हैं. 

ईरान ने हमला किया तो देंगे जवाब: इजरायल

इजरायली सेना ने कहा है कि इसने अभी तक नागरिकों के लिए ताजा एडवाइजरी जारी नहीं की है, लेकिन वह पूरी तरह से हाई अलर्ट पर है. उसने कई तरह के हालातों के लिए तैयारी की हुई है. गुरुवार को विदेश मंत्री इजरायल कात्ज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर फारसी भाषा में ट्वीट किया था. इसमें उन्होंने कहा था, "अगर ईरान अपने इलाके से हमला करता है, तो इजरायल भी जवाबी कार्रवाई करेगा और ईरान पर हमला किया जाएगा."

भारत ने जारी की ट्रैवल एडवाइजरी

वहीं, भारत, फ्रांस, रूस, अमेरिका समेत कई मुल्कों ने अपने नागिरकों से मिडिल ईस्ट के इन दोनों ही देशों की यात्रा करने से बचने को कहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, "क्षेत्र में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर सभी भारतीयों को सलाह दी जाती है कि अगले नोटिस तक ईरान या इजरायल की यात्रा नहीं करें. वे सभी जो वर्तमान में ईरान या इजरायल में रह रहे हैं, उनसे अनुरोध है कि वे वहां भारतीय दूतावासों से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं."


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दुनिया के लिए आफत बन गया चीन का ये अनोखा कीड़ा

भारत का पड़ोसी देश चीन अक्सर अपने कारनामों की वजह से दुनिया में बदनाम होता है. कभी किसी वायरस की वजह से तो कभी अपनी गलत सीमा नीतियों की वजह से. लेकिन इस बार चीन अपने यहां के एक कीड़े की वजह से दुनियाभर में बदनाम हो रहा है. दरअसल, चीन का ये अनोखा कीड़ा पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है. इसके अंदर इतनी शक्ति है कि यह पूरा का पूरा जंगल तबाह कर सकता है.

कौन सा है ये कीड़ा?

हम जिस कीड़े की बात कर रहे हैं. उसे लॉन्ग हॉर्न बीटल कहा जाता है. एक समय तक ये सिर्फ चीन, ताइवान और कोरिया के कुछ हिस्सों में ही पाया जाता था. हालांकि, आज ये दुनिया के कई देशों में पहुंच गया है. ये कीड़ा पेड़ों के लिए सबसे ज्यादा हानिकारक है. लेकिन अगर ये आपके घर के अंदर पहुंच गया तो वहां मौजूद लकड़ी की हर चीज तबाह कर सकता है.

इसे भगाना मुश्किल है?

इस कीड़े की सबसे खास बात है कि अगर ये किसी पेड़ या पौधे में लग गया तो उसे वहां से हटाना लगभग नामुमकिन है. इसे हटाने का एक ही रास्ता है कि उस टहनी को काट दिया जाए, जिसे इसने अपनी गिरफ्त में ले लिया है. अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, मध्य पूर्व, ऑस्ट्रेलिया, स्‍व‍िटजरलैंड और भारत के कई राज्‍यों में यह कीड़ा आफत मचा रहा है.

वैज्ञानिक भी हैरान

इस कीड़े से वैज्ञानिक भी हैरान हैं. जर्मनी के हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, अगर ये कीड़ा आपके घर में घुस जाए तो यह आपका सोफा, डाइनिंग टेबल, कुर्सियां यहां तक खिड़कियां और दरवाजे भी खा सकता है. स्‍व‍िटजरलैंड में तो इस कीड़े की वजह से जंगल का एक पूरा हिस्सा काटना पड़ा था. खासतौर से बांस की लकड़ी को यह कीड़ा सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. दरअसल, लॉन्ग हॉर्न बीटल गोल छेद बनाता है और वहीं अंडे देते हैं. इसके बाद बच्‍चे पैदा करते हैं और फ‍िर तेजी से फैल जाते हैं.


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एक बिल्ली के कारण जापान में जारी हुआ हाई अलर्ट

जापान का एक शहर एक बिल्ली के कारण हाई अलर्ट पर है। बता दें कि वो बिल्ली देर रात में गायब होने से पहले खतरनाक रसायनों के एक टैंक में गिर गई थी।       

हिरोशिमा प्रान्त के फुकुयामा में अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने गश्त बढ़ा दी है और निवासियों को जानवर के पास न जाने की चेतावनी दी है, जिसे आखिरी बार सुरक्षा फुटेज में रविवार को एक प्लेटिंग फैक्ट्री से निकलते हुए देखा गया था।

कैंसर पैदा करने वाले रसायन में गिरी थी बिल्ली

अधिकारियों ने कहा कि सोमवार को एक कार्यकर्ता द्वारा खोजे गए पंजे के निशान से हेक्सावलेंट क्रोमियम की 3 मीटर गहरी टंकी मिली, जो एक कैंसर पैदा करने वाला रसायन है जो छूने या साँस लेने पर चकत्ते और सूजन पैदा कर सकता है।

फुकुयामा सिटी हॉल के एक अधिकारी ने कहा कि आस-पड़ोस की तलाशी के दौरान अभी तक बिल्ली नहीं मिली है और यह भी स्पष्ट नहीं है कि जानवर जीवित है या नहीं।

नोमुरा मेक्की फुकुयामा फैक्ट्री के प्रबंधक अकिहिरो कोबायाशी ने कहा कि जब कर्मचारी सप्ताहांत के बाद काम पर लौटे तो रासायनिक वैट को ढकने वाली एक शीट आंशिक रूप से फटी हुई पाई गई। उन्होंने कहा, कर्मचारी तब से बिल्ली की तलाश कर रहे हैं।

कोबायाशी ने कहा, फैक्ट्री के कर्मचारी आमतौर पर सुरक्षात्मक कपड़े पहनते हैं और कर्मचारियों के बीच कोई स्वास्थ्य समस्या सामने नहीं आई है।

हेक्सावलेंट क्रोमियम के संपर्क से जा सकती है जान

हेक्सावलेंट क्रोमियम, या क्रोमियम -6, शायद 2000 की फिल्म "एरिन ब्रोकोविच" में जूलिया रॉबर्ट्स अभिनीत कैंसरजन्य रसायन के रूप में जाना जाता है।

वास्तविक जीवन के कानूनी मामले पर आधारित यह नाटकीयता एक उपयोगिता कंपनी के खिलाफ नामधारी कार्यकर्ता की लड़ाई पर केंद्रित है, जिस पर कैलिफोर्निया के ग्रामीण समुदाय में पानी को प्रदूषित करने का आरोप है, जिससे इसके निवासियों में कैंसर का स्तर बढ़ गया और मृत्यु हो गई।

यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, यह पदार्थ आंखों, त्वचा और श्वसन प्रणाली के लिए हानिकारक है।

सीडीसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि हेक्सावलेंट क्रोमियम के संपर्क से श्रमिकों को नुकसान हो सकता है।एक्सपोजर का स्तर खुराक, अवधि और किए जा रहे कार्य पर निर्भर करता है।

बिल्ली जल्द ही मर सकती है- विशेषज्ञ

विशेषज्ञों ने इस बात पर संदेह जताया है कि पदार्थ के संपर्क में आने के बाद बिल्ली लंबे समय तक जीवित रह सकेगी या नहीं।

स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में रासायनिक जोखिम मूल्यांकन में विशेषज्ञता रखने वाली शोधकर्ता लिंडा शेंक ने कहा, भले ही फर त्वचा को तुरंत बड़ी जलन से बचाएगा, बिल्लियां अपने फर को चाटकर साफ करती हैं, संक्षारक घोल को मुंह में ले जाती हैं।

मेरा अनुमान है कि बिल्ली दुर्भाग्य से रासायनिक जलन से मर गई है या शीघ्र ही मर जाएगी।


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हिंद महासागर में चीन को जवाब-मॉरिशस में मिलिट्री बेस तैयार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरिशस के PM प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने मॉरीशस के अगालेगा द्वीप में 3 किमी के रनवे और सेंट जेम्स जेट्टी सहित 6 प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया।

मुंबई से 3,729 किमी दूर मॉरिशस के उत्तरी अगालेगा द्वीप पर मिलिट्री बेस के लिए आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है, इसमें रनवे, जेट्टी, विमान के लिए हैंगर शामिल है।

यहां से भारत-मॉरिशस मिलकर पश्चिमी हिंद महासागर में चीन के सैन्य जहाजों और पनडुब्बियों पर नजर रख सकेंगे।

क्या है भारत का सागर प्रोजेक्ट

भारत को घेरने और हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन ने पाकिस्तान के ग्वादर, श्रीलंका के हंबनटोटा से लेकर अफ्रीकी देशों में कई पोर्ट प्रोजेक्ट में पैसा लगाया है। इसके जवाब में भारत सरकार ने 2015 में हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर आल इन द रीजन (सागर प्रोजेक्ट) शुरू किया था।

चिंता: पश्चिमी हिंद महासागर में चीन लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है

हिंद महासागर में चीन की चालबाजी बढ़ती जा रही है। चीन ने BRI प्रोजेक्ट के नाम पर कई अफ्रीकी देशों के बंदरगाहों पर कब्जा जमाया है। चीन ने जिबूती का डोकालेह, कैन्या के लामू और मोंबासा, तंजानिया के टेंगा और डेर अस सलाम, मोजाम्बिक का बैरा, दक्षिण अफ्रीका के रिचर्ड बे पोर्ट के अलावा मेडागास्कर के सेंट मैरी पोर्ट को लीज पर लिया है। जानकारों का कहना है कि चीन कभी भी इन पोर्ट का सैन्य इस्तेमाल कर सकता है।

तैयारी: चीनी कार्गो शिप, युद्धपोतों और पनडुब्बियों पर नजर रख सकेगा भारत

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के थिंक टैंक सैमुअल बेशफील्ड का कहना है कि अगालेगा सबसे महत्वपूर्ण शिपिंग लाइन पर स्थित है। इसलिए यहां से गुजरने वाले चीन के कार्गों, सैन्य जहाजों और पनडुब्बियों पर नजर रखी जा सकेगी। हिंद महासागर की सुरक्षा में तैनात भारतीय नौसेना के जहाजों को अभी ईंधन लेने के लिए ब्रिटिश-अमेरिकी मिलिट्री बेस डिएगो गार्शिया जाना पड़ता है। इस बेस के बाद हमारी सेना का समय बचेगा।

अफ्रीकी देशों में चीनी बंदरगाहों के मुकाबले के लिए बड़ी सफलता

उत्तरी अगालेगा द्वीप 12 किमी लंबा है और 1.5 किमी चौड़ा है। यहां करीब 300 लोग रहते हैं।

भारत की मदद से 3 किमी लंबा रनवे तैयार किया गया है। हैंगर 180 फीट लंबा और 200 फीट चौड़ा है।

पनडुब्बियों की निगरानी करने वाले भारतीय नौसेना के पी-8आई विमान को तैनात किया जाएगा।

अगालेगा द्वीप स्थित इस बेस के संचालन के लिए भारतीय नौसना के 50 जवानों को तैनात किया जाएगा।


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अमेरिका के कैंसस में फायरिंग, 21 लोगों को गोलियां लगीं

अमेरिका के कैंसस शहर में गुरुवार सुबह एक रैली के दौरान गोलीबारी हुई। एक व्यक्ति की मौत हो गई। 21 लोग घायल हुए। इसमें कई बच्चे हैं। सभी को गोलियां लगी हैं। मौत का आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

पुलिस ने इस मामले में 3 लोगों को हिरासत में लिया है। गोलीबारी की वजह सामने नहीं आई है। हालांकि, पुलिस तीनों संदिग्धों से पूछताछ कर रही है। घटना का एक वीडियो सामने आया है। इसमें दो लोग एक हमलावर को पकड़ते नजर आ रहे हैं।

हमलावर को धक्का देकर गिराया फिर पकड़ा

 गोलीबारी से भगदड़ मच जाती है। इस बीच एक आदमी और महिला तेजी से दौड़ते हुए हमलावर को पकड़ते हैं। उसे धक्का देकर गिरा देते हैं और उसे पकड़ लेते हैं। इस दौरान उसकी गन गिर जाती है। इसके बाद एक महिला हमलावर के पास पड़ी बंदूक को उठा लेती है।

ली 3 किलोमीटर लंबी थी

हमलावर को पकड़ने वाले आदमी ने बताया- 'रैली करीब 3 किलोमीटर लंबी थी। हजारों लोग इसमें शामिल थे। मैं हमलावर के पीछे ही था। जैसे ही गोलीबारी हुई लोग यहां-वहां भागने लगे। भीड़ के बीच मुझे हमलावर दिखा। मैंने पीछे से उसे पकड़ने की कोशिश की,लेकिन उस तक नहीं पहुंच पाया। कुछ सेकेंड बाद मैंने उसे धक्का दे दिया। जैसी ही वो गिरा मैंने अपना पूरा बल लगा दिया उसे पकड़ने के लिए। इतने में एक महिला आई और उसने हमलावर के पास पड़ी बंदूक उठा ली।'

2022 में फ्रीडम डे परेड में फायरिंग हुई थी

अमेरिका के स्वतंत्रता दिवस (4 जुलाई) पर शिकागो में फ्रीडम डे परेड के दौरान गोलीबारी हुई थी। इस मामले में 22 साल के संदिग्ध रॉबर्ट ई क्रीमो III को गिरफ्तार किया गया है। क्रीमो एक रैपर है, वह हमला करने के बाद भागने की फिराक में था।

पुलिस ने शिकागो हाईवे पर लंबी दूरी तक पीछाकर रॉबर्ट को गिरफ्तार किया। इसके बाद उसने खुद को म्यूजिशियन बताया। कल इलेनॉय राज्य के हाईलैंड पार्क की घटना में 6 लोगों की मारे गए थे, जबकि 31 घायल हो गए थे। परेड सुबह 10 बजे शुरू हुई थी, लेकिन फायरिंग होने के 10 मिनट बाद ही रोक दी गई। इसे देखने के लिए सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए थे।

अमेरिका की आबादी 33 करोड़ और यहां 40 करोड़ गन

नागरिकों के बंदूक रखने के मामले में अमेरिका दुनिया में सबसे आगे है। स्विट्जरलैंड के स्मॉल आर्म्स सर्वे यानी SAS की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में मौजूद कुल 85.7 करोड़ सिविलियन गन्स में से अकेले अमेरिका में ही 39.3 करोड़ सिविलयन गन्स मौजूद हैं। दुनिया की आबादी में अमेरिका का हिस्सा 5% है, लेकिन दुनिया की कुल सिविलियन गन्स में से 46% अकेले अमेरिका में हैं।

अक्टूबर 2020 के गैलप सर्वे के मुताबिक, 44% अमेरिकी वयस्क उस घर में रहते हैं, जहां बंदूकें हैं। इनमें से एक तिहाई वयस्कों के पास बंदूकें हैं। 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में 63 हजार लाइसेंस्ड गन डीलर थे, जिन्होंने उस साल अमेरिकी नागरिकों को 83 हजार करोड़ रुपए की बंदूकें बेची थीं।

अमेरिका 231 साल बाद भी अपने गन कल्चर को खत्म नहीं कर पाया है। इसकी दो वजहें हैं। पहली- कई अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर वहां के राज्यों के गवर्नर तक इस कल्चर को बनाए रखने की वकालत करते रहे हैं। दूसरी- गन बनाने वाली कंपनियां, यानी गन लॉबी भी इस कल्चर के बने रहने की प्रमुख वजह है।

1791 में संविधान के दूसरे संशोधन के तहत अमेरिका नागरिकों को हथियार रखने और खरीदने का अधिकार दिया गया। अमेरिका में इस कल्चर की शुरुआत तब हुई थी, जब वहां अंग्रेजों का शासन था। उस वक्त वहां परमानेंट सिक्योरिटी फोर्स नहीं थी, इसीलिए लोगों को अपनी और परिवार की सुरक्षा के लिए हथियार रखने का अधिकार दिया गया, लेकिन ये कानून आज भी जारी है।


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यमन के पास एक और जहाज पर ड्रोन अटैक

अरब सागर में यमन के पास फिर से एक जहाज पर ड्रोन अटैक हुआ है। इसके बाद जहाज में आग भी लग गई। हालांकि बाद में इस पर काबू पा लिया गया। जेन्को पिकार्डी नाम के इस जहाज पर मार्शल आइलैंड का फ्लैग लगा हुआ था। भारतीय नेवी ने बताया कि हमला मंगलवार रात करीब 11 बजकर 11 मिनट पर हुआ।

नेवी के मुताबिक, हमले के वक्त जहाज अदन की खाड़ी में यमन के अदन पोर्ट से करीब 111 किमी दूर था। अटैक के तुरंत बाद जहाज ने मदद के लिए सिग्नल भेजा। जहाज पर 22 क्रू मेंबर्स सवार हैं, जिसमें से 9 भारतीय हैं। हमले में किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है। ड्रोन अटैक की सूचना मिलते ही नेवी ने वॉरशिप INS विशाखापट्टनम को मदद के लिए रवाना किया।

देर रात करीब 12 बजकर 30 मिनट पर वॉरशिप ने वहां पहुंचकर हमले का मुआयना किया। आग से वेसल को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। बॉम्ब एक्सपर्ट्स ने कहा कि जहाज आगे की यात्रा जारी रख सकता है। हालांकि, हमला किसने किया इसकी जानकारी फिलहाल सामने नहीं आई है।

अमेरिका ने चौथी बार हूतियों पर हमला किया

अरब सागर में जहाज पर हमला उस वक्त हुआ है जब अमेरिका की सेना ने यमन में हूती विद्रोहियों पर बुधवार को चौथी बार हमला किया। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक हवाई हमले में हूतियों की 14 मिसाइल और लॉन्चर तबाह हुए हैं।

अमेरिका ने 3 जगहों पर टॉमहॉक मिसाइलों से हमला किया। अमेरिका का कहना है कि वो यमन में हमले करके अरब सागर में जहाजों पर हूतियों के हमलों को रोकने की कोशिश कर रहा है। हालांकि, हूतियों ने कहा है कि वो गाजा के समर्थन में जहाजों पर किए जा रहे हमले जारी रखेंगे।

जयशंकर ने ईरान में की थी जहाजों पर हमले रोकने की अपील

अमेरिका लगातार ईरान पर हूती विद्रोहियों को हमले के लिए हथियार देने का आरोप लगाता है। ऐसे में समुद्री हमले बढ़ने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर सोमवार को 2 दिन के ईरान दौरे पर गए थे। यहां उन्होंने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और ईरान के विदेश मंत्री से मुलाकात की थी।

बैठक के बाद साझा बयान में जयशंकर ने कहा था- भारत के आसपास जहाजों पर हमले अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसका भारत की ऊर्जा और आर्थिक हितों पर सीधा असर पड़ता है। ऐसे में इन्हें तुरंत रोका जाना चाहिए। दरअसल, इस समुद्री रास्ते से दुनिया के शिपिंग यातायात की लगभग 15% आवाजाही होती है।

हूतियों और समुद्री लुटेरों के हमले बढ़े

समुद्र में जहाजों पर हूतियों और समुद्री लुटेरों के हमले का असर भारत पर भी पड़ रहा है। दोनों गुटों ने कई बार भारत आ रहे जहाजों या फिर भारतीय क्रू वाले जहाजों पर हमला किया है। ऐसे कुछ मामलों पर एक नजर...

5 जनवरी 2024

4 जनवरी को सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने अरब सागर में लाइबेरिया के फ्लैग वाले लीला नोर्फोक जहाज को हाईजैक कर लिया था। भारतीय नौसेना ने 5 जनवरी को बताया कि जहाज ने ब्रिटेन के मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशन्स (UKMTO) पोर्टल पर एक संदेश भेजा था। इसमें कहा गया था कि 4 जनवरी की शाम को 5-6 समुद्री लुटेरे हथियारों के साथ जहाज पर उतरे थे।

जानकारी मिलते ही भारतीय नौसेना ने हाईजैक किए गए जहाज को छुड़ाने के लिए वॉरशिप INS चेन्नई और मैरिटाइम पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट P8I को रवाना किया गया था। इसके बाद इसमें सवार 15 भारतीयों समेत सभी 21 क्रू मेंबर्स को सुरक्षित निकाल लिया गया।

23 दिसंबर 2023

इससे पहले 23 दिसंबर को हिंद महासागर में भारत आ रहे मालवाहक जहाज केम प्लूटो पर हमला हुआ था। इसमें 21 भारतीय और एक वियतनामी क्रू मेंबर सवार थे। सऊदी अरब से तेल लेकर भारत आ रहा यह जहाज जापान का था और लाइबेरिया के फ्लैग से ऑपरेट हो रहा था। हमले के वक्त जहाज पोरबंदर तट से 217 नॉटिकल मील (करीब 400 किमी) दूर था।

14 दिसंबर 2023

समुद्री लुटेरों ने माल्टा के एक जहाज को हाईजैक कर लिया था। इसके बाद भारतीय नौसेना ने अपने एक युद्धपोत को अदन की खाड़ी में हाइजैक हुए जहाज MV रुएन की मदद के लिए भेजा था। जहाज को 6 लोगों ने अगवा किया था।

भारतीय नौसेना ने माल्टा के जहाज से एक नाविक को रेस्क्यू किया था। द मैरीटाइम एग्जीक्यूटिव की रिपोर्ट के मुताबिक हाइजैक हुआ जहाज कोरिया से तुर्किये की तरफ जा रहा था। तभी सोमालिया के समुद्री लुटेरों ने उस पर हमला किया था।

19 नवंबर 2023

हूती विद्रोहियों ने लाल सागर से एक कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर को हाइजैक कर लिया था। उन्होंने इसका वीडियो भी जारी किया था। यह जहाज तुर्किये से भारत आ रहा था। हूती विद्रोहियों ने इसे इजराइली जहाज समझ कर हाइजैक किया था। हूती विद्रोही जिस हेलिकॉप्टर से जहाज पर कूदे थे उस पर फिलिस्तीन का झंडा बना हुआ था।


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बीच में खड़ी चीन की दीवार! मालदीव और भारत को अब भी क्यों है एक दूसरे की जरूरत

मालदीव ने भारत के खिलाफ बयानबाजी की तो भारत के लोग हुक्का-पानी लेकर मालदीव पर चढ़ बैठे. लोगों ने मालदीव जाने की बुकिंग कैंसल की और उसे खरी-खोटी सुनाया. लोगों ने अपने लक्षद्वीप को मालदीव से बेहतर बताया. फिर मालदीव को भी बैकफुट पर आना पड़ा. वहां मंत्रियों का इस्तीफा लेना पड़ा.

दोनों देशों को एक-दूसरे की जरूरत

राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव तक की नौबत आ गई, लेकिन हकीकत तो ये है कि जिस तरह से भारत के बिना मालदीव का काम नहीं चल सकता है, ठीक उसी तरह से मालदीव की मुखालफत कर भारत को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है. आखिर मालदीव में ऐसा क्या है कि दोनों ही देशों को एक दूसरे की सख्त जरूरत है. 

दुनिया के नक्शे पर मालदीव को देखिए. उसके पास जो सबसे बड़ी चीज है, वो है उसकी लोकेशन. मालदीव हिंद महासागर में बसा हुआ देश है और भारत के वेस्ट कोस्ट से महज 300 नॉटिकल मील की दूरी पर बसा हुआ है.

हालांकि ये जहां पर है, वो दुनिया के सबसे प्रचलित व्यापारिक समुद्री रास्तों में से एक है, जिसकी जरूरत भारत ही नहीं दुनिया के तमाम मुल्कों को है, लेकिन भारत के साथ एक और खास चीज है और वो है भारत की समुद्री इलाके की सुरक्षा, जो सीधे तौर पर हिंद महासागर में मालदीव के साथ जुड़ा हुआ है.

मालदीव के सैनिकों को ट्रेंड करता है भारत

यही वजह है कि भारत मालदीव की सुरक्षा के लिए भी उसके सैनिकों की ट्रेनिंग पर पैसे खर्च करता है. एक आंकड़ा बताता है कि मालदीव की सेना की 70 फीसदी ट्रेनिंग भारत ही करवाता है. ये ट्रेनिंग या तो आइलैंड पर होती है या फिर उन्हें इंडिया की मिलिट्री एकेडमी में ट्रेंड किया जाता है. क्योंकि भारत का मानना है कि मालदीव सुरक्षित है तो समंदर में भारत भी सुरक्षित रहेगा.

पिछले 10 साल में भारत ने मालदीव की सेना मालदीवियन नेशनल डिफेंस फोर्स के करीब 1500 जवानों को ट्रेनिंग दी है. हवाई रास्तों के जरिए समंदर पर निगरानी रखने के लिए भारत ने मालदीव की सेना को एयरक्राफ्ट और चॉपर्स तक दिए हैं. मालदीव के जवानों को आईलैंड पर वर्टिकली लैंड करने की ट्रेनिंग भी भारत ने ही दी है. इसके अलावा हिंद महासागर में चल रही गतिविधियों की निगरानी के लिए भारत मालदीव में कोस्टर रडार सिस्टम भी लगाना चाहता है.

भारत की समुद्री सुरक्षा में मालदीव की भूमिका

मालदीव के कुछ नेताओं की उल्टी-सीधी हरकत से भले ही सोशल मीडिया बौखलाया हुआ हो और लोग जी भरकर मालदीव को कोसें, छुट्टियां मनाने वहां न जाएं, लेकिन हकीकत ये है कि फिलहाल तो मालदीव के बिना हिंद महासागर में भारत की स्थिति कमजोर हो सकती है. लिहाजा डिप्लोमेटिक स्तर पर भारत मालदीव के साथ बातचीत करके ही मसले सुलझा रहा है और मालदीव भी यही कर रहा है.

बाकी कहने वाले तो कह सकते हैं कि हम मालदीव के बिना भी हिंद महासागर में मजबूत स्थिति में आ सकते हैं. उनकी बात सच हो भी सकती है, लेकिन जिस तरह से चीन ने हिंद महासागर पर नजर गड़ा रखी है और मालदीव में निवेश के जरिए वो भी वहां पर अपना बेस बनाता जा रहा है, वो हमारे लिए चिंता का सबब है. यही वजह है कि हम या हमारा देश किसी जल्दबाजी में किसी नेता की बयानबाजी में कोई ऐसा कदम नहीं उठा सकता है कि भविष्य के लिए वो नासूर बन जाए.

इंफ्रास्ट्रक्चर का काम भारत करता है

मालदीव को तो हमारी जरूरत है ही, क्योंकि मालदीव जो चावल, दाल, सब्जियां, चिकन, फल और दवाइयां खाता है, वो भारत से ही जाती है. इसके अलावा मालदीव को स्कूल बनाना हो या अस्पताल, घर बनाना हो या पुल, सड़क बनानी हो या एयरपोर्ट, उसके लिए जरूरी सारा साजो सामान जैसे सीमेंट, ईंट और बोल्डर वो सब भारत ही मालदीव को भेजता है.

बाकी तो मालदीव के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक 300 बेड का मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल है, जो भारत ने ही बनवाया है और उसका नाम इंदिरा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल है. ऐसे में अगर मालदीव भारत से दुश्मनी मोल लेता है तो उसके नागरिकों को हर रोज परेशानियां उठानी पड़ेंगी, जो कोई भी देश नहीं चाहेगा.


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इंदौर लगातार छठी बार सबसे स्वच्छ शहर घोषित, सूरत दूसरे स्थान पर बरकरार

नयी दिल्ली, एक अक्टूबर (भाषा) केंद्र के वार्षिक सर्वेक्षण में इंदौर को लगातार छठी बार सबसे स्वच्छ शहर चुना गया, जबकि सूरत और नवी मुंबई ने क्रमश: दूसरा तथा तीसरा स्थान हासिल किया। सर्वेक्षण के परिणामों की घोषणा शनिवार को की गई।

‘स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2022’ में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों की श्रेणी में मध्य प्रदेश ने पहला स्थान हासिल किया है, इसके बाद छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र का स्थान है।

इंदौर और सूरत ने इस साल बड़े शहरों की श्रेणी में अपना शीर्ष स्थान बरकरार रखा, जबकि विजयवाड़ा ने अपना तीसरा स्थान गंवा दिया और यह स्थान नवी मुंबई को मिला।

सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, 100 से कम शहरी स्थानीय निकायों वाले राज्यों में त्रिपुरा ने शीर्ष स्थान हासिल किया है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को यहां एक कार्यक्रम में विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किए। इस मौके पर केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी और अन्य भी मौजूद थे।

एक लाख से कम आबादी वाले शहरों की श्रेणी में महाराष्ट्र का पंचगनी पहले स्थान पर रहा। इसके बाद छत्तीसगढ़ का पाटन (एनपी) और महाराष्ट्र का करहड़ रहा।

एक लाख से अधिक आबादी की श्रेणी में हरिद्वार गंगा के किनारे बसा सबसे स्वच्छ शहर रहा। इसके बाद वाराणसी और ऋषिकेश रहे।

सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, एक लाख से कम आबादी वाले गंगा के किनारे बसे शहरों में बिजनौर पहले स्थान पर रहा। इसके बाद क्रमशः कन्नौज और गढ़मुक्तेश्वर का स्थान रहा।

सर्वेक्षण में, महाराष्ट्र के देवलाली को देश का सबसे स्वच्छ छावनी बोर्ड चुना गया।

स्वच्छ सर्वेक्षण का सातवां संस्करण स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) की प्रगति का अध्ययन करने और विभिन्न स्वच्छता मानकों के आधार पर शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) को रैंक देने के लिए आयोजित किया गया था।


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ईरान में हिजाब नहीं पहनने पर महिलाओं के साथ क्रूरता

ईरान में अनिवार्य हिजाब का उल्लंघन करने पर दो महिलाओं को सजा सुनाई गई है. हिजाब न पहनने पर एक महिला को 74 कोडे़ मारे गए हैं, जबकि दूसरी को 2 साल जेल की सजा सुनाई गई है. गौरतलब है कि ईरान मेें हिजाब पहनना अनिवार्य है. ऐसे में अनिवार्य हिजाब का उल्लंघन करने पर यहां महिलाओं को कड़ी से कड़ी सजा सुनाई जाती है.

ईरान की अदालत ने जिन दो महिलाओं को सजा सुनाई है, उनमें से एक रोया हेशमती हैं, जो हिजाब की मुखर आलोचक रहीं हैं. ईरानी अधिकारियों के अनुसार, तेहरान की एक अदालत ने रोया हेशमती को 74 कोड़े मारने की सजा सुनाई है. रोया हेशमती ने खुद अपनी सजा के दुखद अनुभव के बारे में बताया है.

हेशमती ने बताया कि सजा के दिन वह अपने वकील के साथ 74 कोड़े खाने के लिए प्रवर्तन इकाई में पहुंची. अदालत में प्रवेश करते समय उन्होंने अपना हिजाब उतार दिया. जिसे देख वहां मौजूद अधिकारी भड़क गया और उसने हिजाब को लेकर रोया को एक बार फिर चेतावनी दी. 

रोया को मारे गए कोड़े 

अधिकारी ने रोया से कहा कि अपना दुपट्टा अपने सिर पर रखो ताकि तुम्हें परेशानी न हो. जिसपर रोया ने कहा कि मैं इसी कारण से आई हूं. मुझे कोड़े मारो. हेशमती के अनुसार, अधिकारी ने हिजाब का पालन न करने पर कहा, 'तुम्हें पता चल जाएगा कि तुम कहां हो.' आगे अधिकारी ने कहा कि 'मैं तुम्हारे लिए एक नया मामला खोलूंगा.' 

जेनब को सुनाई गई दो साल की सजा 

इन सब के बीच रोया ने बताया कि वह जल्लाद के पास पहुंच गई, जहां उसने कोट उतारने को कहा गया और उन्हें बेरहमी के साथ अनगिनत कोड़े मारे गए. ईरान में हिजाब न पहनने के एक अन्य मामले में अहवाज प्रांत के बेहबहान की निवासी जेनब को दो साल की सजा दी गई है. जेनब को सोशल मीडिया पर बिना हिजाब के तस्वीरें साझा करने के लिए दो साल जेल की सजा सुनाई गई है. उनके वकील, सज्जाद चत्रसेफ़िड ने पुष्टि की कि उन्हें बेहबहान आपराधिक न्यायालय द्वारा कारावास की सजा सुनाई गई.


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