" जिंदगी का सफर "

मुंबई उपभोक्ता जनघोष: सुना हैं की मूवीज ( movies ) एजूकेट ( Educate ) यानि शिक्षित करती हैं और इसका सही मायने में एक उधारण हैं " आनंद " मूवी जो कि १९७१ में रिलीज हुई थी, जिसका लोकप्रिय गीत हैं "जिंदगी का सफर, हैं यह कैसा सफर ; कोई समझा नहीं, कोई जाना नहीं !! । इस मूवी ने बहुत कुछ सिखाया हैं, जिंदगी को हस्ते हुए जीने का तरीका बताया हैं । मूवी में "राजेश खन्ना" साहब हमारे "आनंद बाबू" कहते हैं जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं..., तो आओ उपभोक्त जनघोश के संग इस बड़ी सी जिंदगी पर एक नजर डालते हैं।

इस ज़िंदगी के सफर में , हर व्यक्ति के अंदर एक आनंद बाबू बसा हैं जो अपनी तकलीफ को छिपाकर रखना बाखूबी जानता हैं। हम अपनी तकलीफ क्यों छिपाते हैं ? क्योंकि हमें डर होता हैं की कही लोग मजाक न उड़ाए या कोई ये ना पूछ ले की गलती आपकी कितनी थी ? बड़े बच्चो को तो समझा देते हैं की गलती करने पर बढ़ो से आकर वार्तालाप किया करो, पर खुद अपनी गलतियों पर पर्दा डालते हैं कभी झूठ बोलकर तो कभी बात टाल कर और इसी कारणवश हम ज़िंदगी का आनंद लेना भूल जाते हैं।

बड़े बुजुर्ग कहते हैं की जिंदगी का आनंद लेना हैं तो शारीर को तंदुरुस्त रखो और तंदुरुस्त रहने का सही उपाय हैं "सफर" , "यात्रा" ( Traveling ) । हम जैसे हर दिन एक ही पदार्थ का सेवन नहीं कर सकते हैं वैसे ही एक ही जगह रह कर इंसान का मन ऊब जाता हैं। स्वास्थ के लिए जितना खाना जरूरी है उतना ही नए और ताज़ी हवा का शरीर में लगना भी जरूरी हैं। 

बच्चो को गर्मी में छुट्टी मिलती हैं ताकि नए वर्ग या कक्षा में जानें से पहले उनका शरीर और बुद्धि अच्छे से काम कर सके। वैसे ही ऑफिस से छुट्टी निकाल कर बढ़ो को भी शहर से बाहर जाना चाहिए। इससे केवल आपके शरीर को आराम ही नहीं बल्कि सोचने की क्षमता भी बढ़ती हैं। हमारे शरीर में २०८ हड्डी हैं, जैसे वाहन को चलाने के लिए ऑयल की आवश्कता हैं वैसे ही शरीर को चलाने के लिए ताज़ी हवा की जरूरत हैं।

अब अंग्रेजी "Suffer" और असली सफर में बहुत अंतर हैं परंतु फिर भी दोनो एक दूसरे के साथी हैं। दोनो ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं पर दोनो का अंत सफलता की ऊंचाई को छू लेता हैं। वैसे ही ज़िंदगी में बेहद कठिनाई आएंगी पर यदि हम सफर में मुसाफिर बने रहेंगे तो हर मुशीकिले हस्ते हस्ते पार कर सकते हैं। इस जीवन मैं खुश वही है जो suffer के साथ सफर करना जानता हैं।

उपभोक्ता जनघोष के साथ मुसाफिर बनते हैं हम और अपनी अपनी मंजिलें पार करते हैं।

 #UJnews को tag करके जरूर अपनी सफर की दास्तां सुनाइएं और अपने भीतर "आनंद बाबू" के साथ खुश रहिए। 

Edit By Priya Singh


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