JEE Mains का सिलेबस घटेगा, MP NHM में निकली 980 वैकेंसी

 JEE Mains एग्जाम के सिलेबस में होने वाले बदलाव । टॉप जॉब्स में बताएंगे MP NHM में निकली 980 वैकेंसी के बारे में और करेंट अफेयर्स में जानिए कौन बना है मलेशिया का नया किंग।

1. JEE Mains एग्जाम के सिलेबस में बदलाव किया जाएगा

अगले साल होने वाले JEE Mains यानी जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम का सिलेबस कम किया जा सकता है। इसके लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) जल्द ही नए सिलेबस का नोटिफिकेशन जारी करेगा। हर साल NTA 12वीं के बाद देश के इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर कॉलेजों में एडमिशन के लिए JEE Mains एग्जाम कंडक्ट कराता है। CBSE के साथ देश के हर बोर्ड के सिलेबस को ध्यान में रखकर एग्जाम के लिए नए सिरे से सिलेबस डिजाइन किया जाएगा। अगले साल JEE Mains जनवरी से अप्रैल महीने के बीच हो सकता हो।

2020 में जो बच्चे 9वीं में थे वो 2024 में देंगे एंट्रेंस एग्जाम

दरअसल, कोविड महामारी के दौरान CBSE और कई स्टेट बोर्ड्स ने बच्चों पर एग्जाम के प्रेशर को कम करने के लिए 9वीं से 12वीं के सिलेबस का कुछ हिस्सा कम कर दिया था। बोर्ड एग्जाम के सिलेबस से NCERT किताबों के कुछ चैप्टर्स हटा दिए गए थे। लेकिन, NEET और JEE Mains जैसे एंट्रेंस एग्जाम के सिलेबस में कटौती नहीं की गई थी। 2020 में कोविड महामारी के दौरान जिस बैच ने 9वीं के एग्जाम दिए थे वो बैच 2024 में 12वीं के बोर्ड्स और एंट्रेंस एग्जाम देगा। इन बच्चों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सिलेबस में बदलाव किए जा सकते हैं।

रिजल्ट की डेट भी पहले ही बता देंगे

NTA डायरेक्टर जनरल सुबोध कुमार सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उन्होंने सभी राज्यों के बोर्ड से JEE Mains के सिलेबस को लेकर चर्चा की है। फाइनल सिलेबस के नोटिफिकेशन के साथ ही एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन भी शुरू हो जाएगा। सुबोध कुमार सिंह ने ये भी बताया कि इस साल एग्जाम की रजिस्ट्रेशन डेट के साथ ही रिजल्ट डेट भी पहले से ही अनाउंस कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हर साल रिजल्ट की डेट को लेकर स्टूडेंट्स के मन में काफी एंग्जायटी रहती है।

इससे ना सिर्फ स्टूडेंट्स को फायदा होगा बल्कि इंस्टिट्यूट्स को भी एडमिशन साइकिल प्लान करने में आसानी होगी। इसी के साथ कैंडिडेट्स के रेजिडेंशियल एड्रेस के आस-पास ही टेस्ट सेंटर रखे जा सकते हैं, जिससे उन्हें होम स्टेट से बाहर ना जाना पड़े।

2. UPSSSC PET एग्जाम के दूसरे दिन STF ने नकलचियों को गिरफ्तार किया

उत्तर प्रदेश STF (स्पेशल टास्क फोर्स) ने 29 अक्टूबर को UPSSSC PET एग्जाम के दूसरे दिन एग्जाम से पहले करीब 60 नकलचियों को गिरफ्तार किया। इनमें से कुछ सॉल्वर्स को बांदा, प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर और नॉएडा के अलग-अलग एग्जाम सेंटर्स से पकड़ा गया।

सॉल्वर गैंग के लीडर दीपक कुमार पटेल और अजय कुमार पटेल के साथ नकल कराने में मदद कराने वाले एग्जाम इंविजिलेटर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। अब तक दोनों शिफ्टों में 38 सॉल्वरों और ब्लूटूथ डिवाइस की मदद से चीटिंग कर रहे 9 कैंडिडेट्स को गिरफ्तार किया गया है। फेस रिकॉग्निशन एप के जरिए 16 कैंडिडेट्स को अरेस्ट किया गया है।

एग्जाम के पहले दिन भी हुई थी सॉल्वर गैंग की गिरफ्तारी

इसके पहले 28 अक्टूबर को भी दो शिफ्टों में PET एग्जाम लिया गया। इस दिन भी STF ने अलीगढ़ के एग्जाम सेंटर से 5 सॉल्वरों को गिरफ्तार किया था। ये लोग एग्जाम हॉल में कान में ब्लूटूथ डिवाइस लगाकर पहुंचे थे। वहीं, कुछ सेंटर्स पर सॉल्वर गैंग से जुड़े लोगों ने परीक्षार्थियों के एडमिट-कार्ड में हेराफेरी कर चीटिंग करने की कोशिश भी की।

STF ने ग्रेटर नॉएडा के तिलपता गांव में आदर्श इंटर कॉलेज में STF में एडमिट कार्ड में हेराफेरी कर किसी और की जगह एग्जाम देने पहुंचे शख्स को गिरफ्तार किया। एडमिट कार्ड से कैंडिडेट की फोटो मैच नहीं होने पर STF ने सॉल्वर और रजिस्टर्ड कैंडिडेट दोनों को अरेस्ट किया। इसके अलावा उन्नाव से सुजीत कुमार, बांदा से पंकज कुमार मौर्य, वाराणसी से जीतेंद्र कुमार वर्मा, प्रतापगढ़ से दीपक कुमार पटेल, प्रयागराज से अजय कुमार पटेल को अरेस्ट किया गया है।

सॉल्वर पर जरूर होगी FIR: UPSSSC अध्यक्ष

28 अक्टूबर को एग्जाम से पहले UPSSSC के अध्यक्ष प्रवीण कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि अगर एग्जाम के बीच कोई सॉल्वर आता है तो वो चेकिंग के दौरान जरूर पकड़ा जाएगा और उस पर FIR की जाएगी। उन्होंने ये भी बताया कि पेपर लीक होने से बचाने के लिए अलग-अलग सेट में क्वेश्चन पेपर तैयार किए जाते हैं और पुलिस स्कॉड की मौजूदगी में नंबर लॉक सिस्टम वाले ट्रंक में एग्जाम सेंटर तक पहुंचाए जाते हैं।

1. MP NHM में वैकेंसी

मध्य प्रदेश नेशनल हेल्थ मिशन में कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर के 980 पदों पर वैकेंसी निकली है। उम्मीदवार iforms.mponline.gov.in पर जाकर इन पदों के लिए अप्लाई कर सकते हैं।

CCH सर्टिफिकेट इन कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स के लिए क्वालिफिकेशन BSc नर्सिंग, पोस्ट बेसिक BSc नर्सिंग/ जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (GNM)/ BAMS तय की गई है। वहीं, संविदा कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स - कम्युनिटी हेल्थ इंटीग्रेटेड कोर्स/ BSc नर्सिंग, पोस्ट बेसिक BSc नर्सिंग तय की गई है। इसके लिए ऐज लिमिट 21 से 40 साल है।

2. NABFID में वैकेंसी

नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट (NABFID) ने ऑफिसर एनालिस्ट के पद पर भर्ती निकाली है। उम्मीदवार www.nabfid.org/careers पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

अलग-अलग पोस्ट के लिए अलग-अलग क्वालिफिकेशन तय की गई हैं। इसके लिए ऐज लिमिट 21 से 32 साल है।

1. Zomato की महिला डिलीवरी पार्टनर्स के लिए योजना

27 अक्टूबर को फूड डिलीवरी ऐप Zomato ने अपनी महिला डिलीवरी पार्टनर्स के लिए 'मातृत्व बीमा योजना (Maternity Insurance Plan)' शुरू की है। इससे महिलाओं को गर्भावस्था से संबंधित खर्चों के लिए वित्तीय सहायता मिलेगी। 'मातृत्व बीमा योजना' से सामान्य डिलीवरी के लिए 25,000 रुपए तक और सिजेरियन सेक्शन के लिए 40,000 रुपए तक सहायता मिलेगी। इस योजना के तहत गर्भपात जैसी मदरहुड कॉम्पलेक्सिटी के मामले में 40,000 रुपए तक सहायता मिलेगी। Zomato ने ACKO बीमा कंपनी से साझेदारी की है, जो 'मातृत्व बीमा योजना' को कवर देगी। इस बीमा का लाभ महिला डिलीवरी पार्टनर्स को Zomato की 1,000 फूड डिलीवरी पूरी करने पर मिलेगा।

2. 'पैरा एशिनयन गेम्स 2022' में शीतल ने नया रिकॉर्ड बनाया

27 अक्टूबर को चीन के हांग्झू शहर में आयोजित 'पैरा एशियन गेम्स 2022' में तीरंदाज शीतल देवी ने दो गोल्ड मेडल जीते हैं। इसी के साथ वह एक सीजन में दो बार गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। शीतल देवी ने इंडिविजुअल कपाउंड इवेंट में गोल्ड जीता है। 16 साल की शीतल ने इससे पहले कंपाउंड मिक्स्ड टीम इवेंट में भी गोल्ड जीता था। उन्होंने कुल तीन मेडल्स जीते हैं, जिसमें महिला डबल्स का सिल्वर मेडल भी शामिल है। शीतल ने फाइनल में सिंगापुर की अलीम नूर स्याहिदाह को 144-142 से हराया।

3. मलेशिया ने अपने नए किंग की घोषणा की

27 अक्टूबर को मलेशिया ने अपने 17वें किंग की घोषणा की। अब दक्षिणी राज्य जोहोर से सुल्तान इब्राहिम सुल्तान इस्कंदर मलेशिया के नए किंग होंगे। वे 31 जनवरी 2024 से शासन संभालेंगे।

आखिर में काम की बात… UPSC डिफेंस सर्विस एग्‍जाम 1 का फाइनल रिजल्ट जारी हो गया है। स्टूडेंट्स ऑफिशियल वेबसाइट upsc.gov.in पर जाकर अपना रिजल्ट चेक कर सकते हैं।




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सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स की होम गार्ड के तौर हो नियुक्ति, केजरीवाल ने दिल्ली के गृहमंत्री को दिए निर्देश

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अगर सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को ही होमगार्ड के तौर पर नियुक्त करके बस मार्शल की ड्यूटी पर लगाया जाएगा तो इन लोगों के अनुभव का फायदा मिलेगा और इनकी नौकरी भी बनी रहेगी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली गृह मंत्री कैलाश गहलोत को सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स और होमगार्ड को लेकर निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स की होम गार्ड के तौर पर नियुक्ति की जाए. उन्होंने कहा कि दिल्ली के सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को होम गार्ड के तौर पर नियुक्त करने का प्लान बनाया जाए और उन्हें बस मार्शल के तौर पर काम करने दिया जाए.

इस प्लान के जरिए दिल्ली सरकार ने तर्क दिया है कि इन लोगों को नौकरी का जो अनुभव है उसका होमगार्ड और मार्शल के तौर पर फायदा मिलेगा. साथ ही वॉलिटियर्स की नौकरी भी रिजर्व रहेगी. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, अगर सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को ही होमगार्ड के तौर पर नियुक्त करके बस मार्शल की ड्यूटी पर लगाया जाएगा तो एक तरफ सरकार को इन लोगों के अनुभव का फायदा मिलेगा और दूसरी तरफ इनकी नौकरी भी बनी रहेगी.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिया ये तर्क

दिल्ली के गृह मंत्री को लिखे नोट में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि इस बात को लेकर कानूनी आपत्ति जाहिर की गई थी कि सिविल डिफेंस वॉलंटियर को बस मार्शल के तौर पर तैनात नहीं किया जा सकता क्योंकि यह कहा गया कि सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स से केवल आपदा के समय काम लिया जा सकता है नियमित नहीं. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि इस कानूनी आपत्ति के चलते ही यह सुझाव दिया गया था कि बस मार्शल के तौर पर सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को नहीं बल्कि होमगार्ड को लगाया जाए. 

उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भी भेजा सुझाव

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने नोट में बताया है कि उन्होंने उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को भी प्रस्ताव भेजा है. सुझाव में कहा गया है कि सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को तब तक न हटाया जाए जब तक पर्याप्त होमगार्ड की नियुक्ति बस मार्शल के तौर पर नहीं हो जाती.


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यूपी के बेसिक शिक्षक को किया जाएगा प्रशिक्षित

निपुण भारत मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों व शिक्षामित्रों को प्रशिक्षित करने की तैयारी की है। जिसके चलते आज से 10 दिसंबर तक अभियान चलाया जाएगा।

 निपुण भारत मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने कवायद और तेज कर दी है। बच्चों में बुनियादी भाषायी व गणित में दक्षता के विकास के लिए 4.30 लाख शिक्षकों व शिक्षामित्रों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए आज से 10 दिसंबर तक अभियान चलाया जाएगा।

निपुण लक्ष्य पाने के लिए शिक्षकों व ब्लॉक स्तरीय संदर्भदाताओं को प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। इसके लिए शासन की ओर से डीआईओएस, बीएसए व बीईओ आदि का प्रशिक्षण पूरा किया जा चुका है। इसी क्रम में अब प्राथमिक विद्यालय के सभी शिक्षकों व शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण का कार्यक्रम तय किया गया है। जिससे वे विद्यार्थियों को निपुण बनाने के अभियान को गति दे सकें।

इसके लिए ब्लॉक स्तरीय संदर्भदाताओं का प्रशिक्षण डायट स्तर पर आज से 4 नवंबर के बीच होगा। वहीं प्राथमिक विद्यालय के सभी शिक्षकों व शिक्षामित्रों का प्रशिक्षण ब्लॉक संसाधन केंद्र पर छह नवंबर से 10 दिसंबर के बीच होगा। हर ब्लॉक में पांच एआरपी व सभी डायट मेंटर शामिल होंगे। इनको सीमैट प्रयागराज के संदर्भदाता प्रशिक्षण देंगे। प्रशिक्षण के सभी मद के लिए 28 करोड़ 90 लाख रुपये जारी किया गया है।

वही महानिदेशक स्कूल विजय किरन आनंद ने पत्र जारी करते हुए कहा है कि शिक्षकों का बैच 50-50 का होगा। अगर शिक्षक अनुपस्थित मिलते हैं। तो इसके लिए बीईओ जिम्मेदार होंगे।


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डिजिटल इंडिया और मीडिया।

मुंबई उपभोक्ता जनघोष : मीडिया का सामान्य अर्थ "संचार माध्यम" होता है । मीडिया' शब्द लैटिन भाषा के शब्द मीडियम से निकला है, इसका अर्थ माध्यम है। मीडिया एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। चूँकि मनुष्य स्वभाव से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है एवं वह देश-दुनिया में घटित घटनाओं की जानकारी लेने में रुचि लेता है, अत: उसकी इसी प्रवृत्ति को उल्लेखनीय रूप से शान्त करने के लिए 'मीडिया' का जन्म हुआ। वर्तमान इसका दायरा विस्तृत रूप ले चुका ।

वह दौर ही कुछ था जब मीडिया नहीं हुआ करता था , पर फिर भी लोगों को सूचना मिलती थी और वह शहर में घटने वाले हर घटना से वाकिफ रहते थे। राजा महाराजा के ज़माने में जब प्रजा को सुचना पहुंचाना होता था तब ढोल नगाड़े वालो का इस्तेमाल किया जाता था । यहाँ तक की जब किसी सॉशल इश्यूज जैसे " पेढ़ लगाओ, बेटी पढ़ाओ; बेटी बचाओ " , आदि तब कटपुतली का खेल दिखा कर लोगों को सही गलत का सिख दिया जाता था । 

मीडिया के पहले २ मुख्य प्रकार थे ; ब्रॉडकास्ट मीडिया और प्रिंट मीडिया । ब्रॉडकास्ट मीडिया में आता हैं टेलीविजन और रेडियो । प्रिंट मीडिया में आता है न्यूजपेपर और मैगजींस। अब एक और नया मीडिया जुड़ गया हैं जो की हैं " ऑनलाइन मीडिया " अर्थात " डिजिटल मीडिया " जो इंटरनेट के माध्यम से इस्तेमाल किया जाता हैं। जहाँ हर मिनट एंटरटेनमेंट मौजूद हैं और खबरे भी हर सेकेंड की मिलती हैं। डिजिटल मीडिया एक प्रकार का मीडिया है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, मोबाइल फोन, कंप्यूटर, पॉडकास्ट, एप्लिकेशन आदि सहित डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से वितरित सामग्री और प्रचार को कवर करता है। कंपनियां और लोग सूचना स्रोत, मनोरंजन, गेम, व्यवसाय आदि सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए डिजिटल मीडिया का उपयोग करते हैं। यह व्यापारिक दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी मंच प्रदान करता है। अधिकांश ग्राहक अब बड़े पैमाने पर डिजिटल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं। कुछ उद्योग क्षेत्रों में यह संख्या बहुत अधिक है इसलिए व्यावसायिक दृष्टिकोण से डिजिटल मीडिया की समझ और उपयोग बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।

डिजिटल मीडिया में आने वाले माध्यम हैं इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर, व्हाट्सएप , इत्यादि। जिसके प्रयोग से लोग घर बैठे पैसे कमाते हैं जैसे ब्लॉगिंग और ब्लॉगिंग ; Vlogging :– व्लॉगिंग का मतलब होता है वीडियो के फॉर्म में कंटेंट क्रिएट करना जिस में हम वीडियो रिकॉर्ड करते है और Bloging Meaning हैं अपने विचारों, भावनाओं, ज्ञान या किसी भी जानकारी को लिखकर डिजिटल माध्यम के द्वारा लोगों तक पहुँचना ।

 देश बदल रहा हैं अपने नए टैगलाइन के साथ – पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया । आज हर किसी के पास स्मार्टफोन होना उतना ही अनिवार्य है जितना की पढ़ाई करना क्योंकि हर किसी के प्रॉब्लम का सॉल्यूशन फोन में ही हैं। बैंक से काम से लेकर सरकारी डॉक्यूमेंटेशन , फ़ोन कॉल से लेकर वीडियो कॉलिन और एसएमएस से लेकर पिक्चर मैसेज।

#UJNews आप सभी को डिजिटल मीडिया का उसे करके अपने आप को नए पड़ाव पर चलने को कहना चाहता हैं ।

Edit By Priya Singh

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कामकाजी महिलाएँ और उनकी घरेलू जिम्मेदारियाँ।

मुंबई उपभोक्ता जनघोष: संतुलन कला

 आज की आधुनिक दुनिया में, महिलाओं ने अपने करियर में काफी प्रगति की है, यहां तक कि उन भूमिकाओं में भी जो कभी केवल पुरुषों के लिए मानी जाती थीं।  उन्होंने कार्यस्थल पर महिलाएं क्या कर सकती हैं, इस बारे में पुरानी धारणाएं बदल दी हैं।  लेकिन साथ ही अधिकतर महिलाओं को अपने घरों के अलावा बाहर का काम भी करना पड़ता है और उन्हें अपने घर का काम भी करना पड़ता है।  वे हमेशा घर का अधिकांश काम करते हैं, जैसे घर, बच्चों और बूढ़े माता-पिता की देखभाल करना, यह एक कठिन काम है।  घरेलू ज़िम्मेदारी का बोझ केवल घर की महिलाओं को ही नहीं, बल्कि घर के सभी लोगों के बीच बाँटना होता है।  महिलाओं के लिए करियर और घरेलू जीवन को संभालना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है।  यह लेख महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और घरेलू जिम्मेदारियों के अधिक न्यायसंगत बंटवारे की आवश्यकता की पड़ताल करता है।

महिलाओं का संघर्ष और उनकी संतुलन बनाने की कला.  कई बार महिलाओं को दो "शिफ्टों" में काम करना पड़ता है।  पहला पूरे दिन ऑफिस में और दूसरा घर वापस आने के बाद।  उन्हें घर, अपने बच्चों और अपने माता-पिता की देखभाल करनी है।  यह अतिरिक्त काम उन्हें बहुत थका देता है और इसका असर न केवल उनके शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ेगा।

 घर और घरेलू जीवन में संतुलन बनाने का निरंतर संघर्ष चुनौतीपूर्ण रहा है और यह अपराधबोध और तनाव की भावना बहुत अधिक है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने अपने परिवार और अपनी नौकरी को उतना समय नहीं दिया जितना वे चाहते थे।  अपराधबोध और चिंता उन पर भावनात्मक बोझ बन जाती है।  और करियर में प्रगति का तनाव भी, क्योंकि घरेलू ज़िम्मेदारियों पर समय बिताने से करियर की प्रगति प्रभावित हो सकती है।  बहुत सी महिलाएं सोचती हैं कि करियर में आगे बढ़ना और अपनी पारिवारिक जरूरतों को प्राथमिकता देना बहुत चुनौतीपूर्ण है। दोनों जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाना बहुत कठिन है।

समाज ने पुरुषों और महिलाओं के बीच समान कर्तव्यों को विभाजित किया है, अर्थात यदि दोनों काम से आते हैं लेकिन महिला को अपने परिवार के लिए खाना बनाना पड़ता है।  और यह सब दर्शाता है कि घर का अधिकतर काम महिलाएं ही करती हैं और समाज अपेक्षा करता है कि महिलाओं को ही घर का काम करना होगा, भले ही वह  भी काम से आई हो और यह समानता नहीं है।

 समाज में चीजों को बदलने की जरूरत है, लैंगिक रूढ़िवादिता को तोड़ना समाज की लैंगिक भूमिकाओं की पारंपरिक सोच को चुनौती देना बहुत महत्वपूर्ण है, जिसमें एक व्यक्ति घर में काम करता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला, यह उन दोनों के लिए समान होना चाहिए और उन्हें करना होगा।  घर की समान जिम्मेदारी संभालें.  पति-पत्नी को घरेलू ज़िम्मेदारी और घर में अपने कर्तव्यों के बारे में खुलकर बात करने की ज़रूरत है।  उन्हें इस बारे में योजना बनानी होगी कि कौन किसके लिए ज़िम्मेदार है और ये चीज़ें हमें घरेलू ज़िम्मेदारी में निष्पक्ष और समान योगदान देने में मदद करती हैं।  एक कंपनी को उन महिलाओं की भी मदद करनी होती है जो काम करती हैं, उन्हें यह चुनने की अनुमति देती है कि उन्हें कब और कहाँ काम करना है और उन्हें समय देना है, भले ही उन्हें अपने परिवार की जिम्मेदारियों के कारण इसकी आवश्यकता हो।  वे उन्हें अपनी नौकरी और पारिवारिक जीवन में संतुलन बनाने में मदद कर सकते हैं।  साथ ही, महिलाओं को परिवार के सदस्यों जैसे कामों के लिए दूसरों से मदद मांगना या यहां तक कि घर के कामों के लिए लोगों को काम पर रखना भी ठीक होना चाहिए, इससे उनका जीवन थोड़ा आसान और कम तनावपूर्ण हो जाएगा।  यह उन महिलाओं के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है जो काम करती हैं, उन्हें अपना ख्याल रखना चाहिए और उन्हें उन चीजों के लिए कुछ समय निकालना सुनिश्चित करना चाहिए जो उन्हें खुश और आरामदायक बनाती हैं, जैसे शौक या बस आराम करना।  इससे उन्हें बेहतर महसूस करने और स्वस्थ जीवनशैली बनाए रखने में मदद मिलती है।          

कामकाजी महिलाओं को अपना काम करने और घर की देखभाल करने में कठिनाई होती है।  इससे वे थके हुए और तनावग्रस्त हो जाते हैं।  इसे आसान बनाने के लिए, परिवार में सभी को गृहकार्य में मदद करनी चाहिए, और कंपनियों को अधिक लचीला होना चाहिए।  महिलाओं को जरूरत पड़ने पर मदद भी मांगनी चाहिए और अपने लिए भी समय निकालना चाहिए।  इस तरह कामकाजी महिलाओं की जिंदगी बेहतर हो सकती है.

Edit By Priya Singh


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ऑनलाइन शिक्षण के साथ डिजिटल युग में आगे बढ़ना।

मुंबई उपभोक्ता जनघोष:  शिक्षा का विकास

 आज की तेज़ रफ़्तार दुनिया. शिक्षा प्रणाली में ऐसे संशोधन का अनुभव हुआ है जैसा पहले कभी नहीं हुआ। और प्रौद्योगिकी और इंटरनेट के स्रोत के साथ, यह ज्ञान का सबसे तेज़ तरीका बन गया है। पुराने समय में पारंपरिक कक्षाओं की चार दीवारें थीं लेकिन अब यह सब डिजिटल स्मार्ट बोर्ड और ऑनलाइन कक्षाओं के साथ स्मार्ट कक्षाओं में बदल गया है। इंटरनेट और ऑनलाइन शिक्षा हमारे विद्वतापूर्ण क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं।

आज के डिजिटल युग में प्रौद्योगिकी का अभिसरण हो गया है और प्रौद्योगिकी तथा शिक्षण के मिलन ने एक आदर्श परिवर्तन को उन्नत किया है जिसने हमेशा यह निर्धारित किया है कि हम ज्ञान और कौशल कैसे विकसित करते हैं। अपनी पहुंच, लचीलेपन और वैयक्तिकरण तकनीक के साथ ऑनलाइन अध्ययन, शिक्षा के भविष्य को समझने और आकार देने के तरीके को फिर से परिभाषित करता है। और इस परिवर्तन के कारण हमें भविष्य में अच्छे अवसर मिलेंगे।

पारंपरिक कक्षा व्यवस्था सदियों से शिक्षा की पहचान रही है लेकिन हाल के वर्षों में, ऑनलाइन अध्ययन ने प्रमुखता और विश्वसनीयता हासिल की है। अब डिजिटल युग की शुरुआत पहुंच, लचीलेपन और वैयक्तिकृत ऑनलाइन अध्ययन की मदद से ऑनलाइन सीखने के युग का नया तरीका बन गई है।

 शिक्षा तक पहुंच और ऑनलाइन अध्ययन का अर्थ है इंटरनेट की मदद से कोई भी व्यक्ति अन्य भौतिक उपस्थिति, स्थान या परिस्थितियों की परवाह किए बिना ज्ञान प्राप्त कर सकता है और यह शैक्षिक सामग्री को कुशलतापूर्वक समझने और समझने की अनुमति देता है। क्योंकि इंटरनेट शिक्षा दूरदराज के इलाकों और विकलांग लोगों तक भी पहुंच सकती है। और ऑनलाइन शिक्षण डिजिटल उपकरणों और लचीले विकल्पों का एक तरीका है और दीवारों को तोड़ने और कई अवसरों और विभिन्न शिक्षार्थियों तक पहुंचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ऑनलाइन सीखने या अध्ययन में लचीलापन एक फायदा है क्योंकि यह छात्रों को अपनी गति से समझने की अनुमति देता है। यह लचीलापन आपके शिक्षण को आपके जीवन के हिसाब से समायोजित रखने, इसे अधिक सुविधाजनक बनाने और आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने जैसा है।

 शिक्षा और ऑनलाइन पढ़ाई में तकनीकों को निजीकृत करना एक ऐसे शिक्षक के होने जैसा है जो जानता है कि आप किस तरीके से बेहतर समझ सकते हैं और अच्छा परिणाम ला सकते हैं। यह अपनी समझ के अनुसार चीज़ें बनाने जैसा है। वैयक्तिकरण से अधिक उपयोगी समझ विकसित होती है और आप अच्छे परिणाम ला सकते हैं।

ऑनलाइन सीखने में कुछ समस्याएं हैं जो छात्रों को कठिन लगती हैं क्योंकि उन्हें अपने व्याख्याता और सहपाठियों को व्यक्तिगत रूप से देखने का मौका नहीं मिलता है, जो सीखने के लिए आवश्यक हो सकता है। इसके अलावा, किसी को बताए बिना कि क्या करना है, चौकस रहना और अपने शेड्यूल को समझना कठिन हो सकता है। एक और मुद्दा यह है कि हर किसी के पास इंटरनेट और प्रौद्योगिकी तक समान पहुंच नहीं है, जिसका अर्थ है कि कुछ लोग ऑनलाइन सीखने के अवसरों से चूक सकते हैं क्योंकि वे ऑनलाइन नहीं हो सकते हैं। ऑनलाइन सीखने या पढ़ाई को लेकर ये चुनौतियाँ और चिंताएँ हैं।

शिक्षण के भविष्य का मतलब है कि ऑनलाइन शिक्षा ख़त्म नहीं होगी, यह और भी अधिक उपयोगी होगी। भविष्य में, यह एक मज़ेदार अनुभव में सीखने के लिए एक नई रोमांचक तकनीक होगी। यह एक विशेष वीडियो गेम बनाने या कंप्यूटर प्रौद्योगिकी की मदद से वास्तविक दुनिया के साथ मिश्रित शानदार सामग्री बनाने और उससे दिलचस्प छात्रों के लिए कहानी कहने या एनीमेशन सीखने की कल्पना करने जैसा है। ये कुछ चीजें हैं जो हम शिक्षा के भविष्य में देखेंगे जो सीखने को और अधिक रोमांचक और आनंददायक बना देंगी।

शिक्षा में, हम हाल के वर्षों में बदलाव देख सकते हैं, जिसमें ऑनलाइन शिक्षण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। शिक्षण का डिजिटल युग पहुंच, लचीलेपन और वैयक्तिकरण द्वारा चिह्नित है। हालाँकि चुनौतियाँ और चिंताएँ बनी हुई हैं, लेकिन COVID-19 महामारी के दौरान प्रदर्शित अनुकूलनशीलता और लचीलेपन से पता चलता है कि ऑनलाइन शिक्षण एक शक्तिशाली उपकरण है जो शिक्षा के भविष्य को आकार देना जारी रखेगा। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन शिक्षण की क्षमता का उपयोग करना महत्वपूर्ण है कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हम सभी के लिए सुलभ हो।

UJ NEWS आपको ऑनलाइन लर्निंग के साथ डिजिटल युग में शिक्षा के विकास के बारे में सूचित करना चाहता है और यह भविष्य में कैसे सहायक होगा।

Edit By Priya Singh

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समाज से अवसाद का संघर्ष.

मुंबई उपभोक्ता जनघोष: आजकल हमें पता चलता है कि युवा पीढ़ी डिप्रेशन की समस्या से जूझ रही है। डिप्रेशन एक बहुत ही गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है और इसका युवा पीढ़ी के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। हमें इस मुद्दे पर लोगों का समर्थन करना होगा क्योंकि अवसाद एक मानसिक विकार है, कोई शर्मनाक बात नहीं है और समाज के कारण अवसाद के लिए डॉक्टर के पास जाना भी बहुत चुनौतीपूर्ण है।

 मन में कई तरह के सवाल आते हैं कि लोग मुझे कैसे जज करेंगे ? परिवार क्या सोचेगा? सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न जो मन में आता है वह यह है कि समाज क्या सोचेगा। क्या समाज मुझे अपनाएगा? कि वह थेरेपी या दवा ले रहा है या सब जाने के बाद लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी मेरी तरफ। इस सब से व्यक्ति और अधिक उदास हो जाता है और वह सोचने लगता है कि उसकी बात सुनने या समझने वाला कोई नहीं है। लेकिन हमें यह जानना होगा कि अवसाद एक गंभीर समस्या है और यह कई तरह से आत्मविश्वास को प्रभावित कर सकता है, इसका प्रभाव आत्म-धारणा की विकृति और कठोर आत्म-आलोचना के लेंस के माध्यम से खुद को देखने का प्रभाव है और वे खुद को देखना शुरू कर देते हैं। क्योंकि यह नकारात्मक आत्म-कल्पना आत्म-संदेह को जन्म देती है जो उनकी क्षमताओं और निर्णयों पर सवाल उठाती है और उन्हें कार्रवाई करने में झिझकती है। इसलिए एक समाज के तौर पर हमें उन्हें अवसाद से बाहर आने में मदद करनी होगी। और उन्हें समझना होग। 

अवसाद के विभिन्न कारण हैं जैसे तनाव, दबाव, पारिवारिक मुद्दे, आघात और जीवन परिवर्तन, कलंक और भेदभाव। इस तेज़ और तनावपूर्ण जीवनशैली में युवाओं के लिए हर चीज़ के लिए बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा है। युवा पीढ़ी को नौकरी, शिक्षा, करियर, रिश्ते और सबसे महत्वपूर्ण भविष्य का तनाव है। समाज में सर्वश्रेष्ठ बनने और परीक्षा में प्रथम आने, अच्छी नौकरी पाने और उम्र के कारण शादी करने का दबाव होता है। पारिवारिक मुद्दे जैसे वित्तीय चिंताएँ, नौकरी, परिवार के साथ रिश्ते में ग़लतफ़हमियाँ या माता-पिता का तलाक। पिछले जीवन में घटित जीवन आघात जो हमें भावनात्मक और मानसिक रूप से प्रभावित कर सकता है और अवसाद का कारण बन सकता है। और जीवन में परिवर्तन जैसे कि नए शहर में जाना, माता-पिता की मृत्यु, और ब्रेकअप और यह परिवर्तन किसी व्यक्ति की स्थिरता और सुरक्षा की भावना को बाधित कर सकता है। कलंक और भेदभाव भी कारण हैं. अवसाद और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सामाजिक कलंक एक ऐसा वातावरण बना सकता है जो तनाव, चिंता और सामाजिक अलगाव को बढ़ावा देता है, ये सभी ऐसे कारक हैं जो अवसाद के विकास और तीव्रता में योगदान कर सकते हैं। भेदभाव करना भी एक तरह का ऑपरेशन दे सकता है। लोग को जैसे कि उच्च नीचता, अमीर गरीब। अवसाद किसी व्यक्ति की जीवनशैली को विभिन्न तरीकों से प्रभावित कर सकता है जैसे अतिरिक्त वजन या मोटापा, जिससे हृदय रोग और मधुमेह हो सकता है। उन्हें दर्द या शारीरिक बीमारी, बीपी और शुगर की स्वास्थ्य समस्याएं शुरू हो जाती हैं।

तनाव और चिंता भी अवसाद के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो अक्सर स्थिति से जुड़ते हैं और स्थिति को बढ़ाते हैं। अधिक सोचने का तनाव और चिंता अवसाद से ग्रस्त व्यक्तियों को सामाजिक या व्यक्तिगत अपेक्षाओं को पूरा करने में असमर्थता के बारे में चिंता का अनुभव हो सकता है, जबकि चिंता के कारण दिल की धड़कन बढ़ना या मांसपेशियों में तनाव जैसे शारीरिक लक्षण हो सकते हैं, जो निराशा की भावनाओं को और बढ़ा सकते हैं।

अवसाद से उबरने के लिए व्यक्ति को समाज में बहुत आसानी से उपलब्ध पेशेवर मदद मिल सके। और एक समाज के रूप में, हमें उनके लिए एक सहायता प्रणाली बनानी होगी। उनके साथ संवाद करें और उन्हें अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रेरित करें। और एक समाज के रूप में, हम एक खुले और गैर-निर्णयात्मक वातावरण को बढ़ावा देकर अवसाद से निपटने वाले व्यक्तियों की मदद कर सकते हैं जहां मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाती है और कलंक को कम किया जाता है। स्कूलों, कॉलेजों, क्लबों और कार्यस्थलों में मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा और जागरूकता को बढ़ावा देना, लोगों के साथ खुलकर संवाद करना और इस चीज़ को सामान्य बनाना।

 युवाओं को अवसाद से जूझने में मदद करने के लिए उन्हें सुनने की क्षमता, सहानुभूति और जरूरत पड़ने पर पेशेवर मदद लेने के लिए प्रोत्साहित करना शामिल है। एक समाज के तौर पर हमें उनका समर्थन करना होगा और उन्हें बताना होगा कि हम आपके साथ हैं और आप अकेले नहीं हैं। तभी हम एक अच्छा और समझदार समाज बना सकते हैं

 UJ NEWS समाज को जागरूक करना चाहता है कि अवसाद एक बहुत ही महत्वपूर्ण और गंभीर मुद्दा है और अवसाद के लिए सहायता प्राप्त करना कोई शर्मनाक बात नहीं है, एक समाज के रूप में हमें उनकी समस्या को समझना होगा न कि उन्हें आंकना होगा।

Edit By Priya Singh

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आधुनिक जीवन और उसके संघर्ष

मुंबई उपभोक्ता जनघोष:  आज की भागदौड़ भरी दुनिया में तनाव हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। लोग खुद पर ध्यान देना भूल गए हैं. आधुनिक जीवन की माँगों के कारण, लोग अपने परिवार, दोस्तों, शौक और सबसे महत्वपूर्ण, अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा करते हैं। लोग काम से तनाव लेते हैं.   तनाव सर्वव्यापी प्रतीत होता है, चाहे वह काम का दबाव हो, रिश्तों का दबाव हो, या समाज की बदलती मांगों को पूरा करने के लिए निरंतर संघर्ष हो।

अगर हम इन दिनों लोगों के तनावपूर्ण जीवन को देखें, तो हम देख सकते हैं कि काम का दबाव, जैसे कि आधुनिक कार्यस्थल, अक्सर तनाव के लिए प्रजनन स्थल होता है। लंबे समय तक काम करना और अपने बॉस द्वारा डांटे जाना या नौकरी का वादा कभी-कभी आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है।

आर्थिक चिंताएँ भी आत्मा के लिए एक बड़ी समस्या हैं। चाहे वह चीजों की कीमत बढ़ाना हो या बच्चों की पढ़ाई, मेडिकल खर्च या घर का भुगतान। आधुनिक जीवन में संघर्ष बढ़ता जा रहा है। लोगों के मानसिक जीवन पर इसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है। और आरामदायक जीवनशैली की चाहत वित्तीय तनाव का कारण बन सकती है।

आजकल रिश्तों का संघर्ष जैसे एक स्वस्थ रिश्ते को बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ग़लतफ़हमी, रिश्तों का टूटना या अन्य कई कारण इसका कारण हो सकते हैं। और ये सभी कारण भावनात्मक तनाव का कारण बन सकते हैं।

 बढ़ती बीमारी हो, बदलता मौसम हो, अस्वास्थ्यकर आहार हो या नींद की कमी, ये सभी चीजें हमारे जीवन पर तनाव डालती हैं। खासकर दिल और दिमाग पर जो कमजोरी और थकान का कारण बनता है।

 तनाव हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है। यह चिंता, अवसाद, अनिद्रा जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं और हृदय रोग, बीपी, मधुमेह, मोटापा और पाचन समस्याओं जैसी विभिन्न शारीरिक स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है या इन सब से बचने के लिए. सुबह जल्दी उठकर व्यायाम, ध्यान या फिर थोड़ी देर टहलने से भी हमें अत्यधिक लाभ मिल सकता है। सुबह उठकर ध्यान करने से आप बेहतर सोच सकते हैं। और ध्यान करके आप किसी भी चीज़ पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। और ये सभी तरीके हमारे तनाव को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं। आज की दुनिया में जीना निस्संदेह कठिन लगता है क्योंकि यह हमारे जीवन को कठिन बना देता है

तनावपूर्ण लेकिन अगर हम स्वस्थ को नियमित रूप दें तो यह संभव है। और यदि हम नियमों का ठीक से पालन करें तो हम तनाव को आसानी से कम कर सकते हैं और संतुलित और खुशहाल जीवन की ओर बढ़ सकते हैं।  याद रखें, दुनिया की चुनौतियों का सामना करते समय अपने अच्छे स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना महत्वपूर्ण है।

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आज के समय का महत्त्व

 मुंबई : क्या हैं ये समय ? क्यों हैं इस समय को समझने की जरूरत हर किसी को ? कोई कहता हैं समय से उठो , समय से खाओ , पर बहुत कम व्यक्ति ये कहता है की खुदको समाय दो । समय यानि वक्त ; एक ऐसी धारा हैं जिसमें हर जीव जंतुओं को बहना हैं हर रोज हर दिन । टाइम से नहीं उठे तो दिनचर्य बिगड़ जाता हैं , पर खुदको समय देकर कितना सुकून मिलता हैं ये किसी ने बहुत कम समझाया हैं ।

  २१ वीं सदी चल रही हैं , वक्त का पहिया अपनी रफ्तार को धीरे धीरे बढ़ा रहा है । बहुत सी चीजें बदल गई हैं स्मार्ट फोन का दौर – जिसका इस्तमाल हर व्यक्ति रोजाना करता हैं ; बच्चा हो या कोई बुज़ुर्ग आज हर किसी को इसका इस्तमाल करना आता हैं । पहले मम्मी लोरी गा कर बच्चो को चुप कराती थीं अब तो गाने स्मार्ट फोन में ऑन करके छोड़ देती हैं ।

 कहते हैं की हर सिक्के के दो पहलू होते हैं वैसे ही हर अच्छी चीज़ बुरी भी होती हैं। स्मार्ट फोन ने कई तरह के काम आसान कर दिए हैं, अब दफ़्तर जाते वक्त दुनिया भर का भार नहीं उठाना पढ़ता हैं ना की कुछ खरीदने मार्केट जाना पढ़ता हैं । वैसे ही पूरा दिन एक जगह बैठ कर स्मार्ट फोन इस्तमाल करना शरीर को नुकसान पहुंचाता हैं।

 उपभोक्ता जनघोष आप सभी को , आपके सेहत के प्रति  आगाह करना चाहता हैं – कुछ वक्त अपने आप को भी दो; योग करो ( मेडिटेशन, योगासन ,प्राणायाम ) और जिस भी काम में खुशी मिलती हो आप वो करो और स्वास्थ्य और तदुरुस्त रहो ।

 #ujnews #health #exercise #timemanagement

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सरकारी नौकरी:इंडियन कोस्ट गार्ड में 255 पदों पर निकली भर्ती

नई दिल्ली: इंडियन कोस्ट गार्ड ने एक भर्ती नोटिफिकेशन जारी किया है। इस भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया 6 फरवरी से शुरू होगी और 16 फरवरी तक चलेगी। ये अभियान इंडियन कोस्ट गार्ड (Indian Coast Guard) में कुल 255 नाविक (जनरल ड्यूटी और डोमेस्टिक ब्रांच) पद पर भर्ती के लिए चलाया जा रहा है।

एजुकेशनल क्वालिफिकेशन

इस भर्ती के तहत नाविक (जनरल ड्यूटी) पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को मैथ्स और फिजिक्स के साथ 12 वीं कक्षा पास होना चाहिए। जबकि नाविक (डोमेस्टिक ब्रांच) पद के लिए उम्मीदवारों का 12वीं क्लास पास होना जरूरी है।

उम्र सीमा

उम्मीदवारों की उम्र 18 से 22 साल के बीच होनी चाहिए।

अप्लीकेशन फीस

सामान्य वर्ग : 300 रुपये

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति : कोई फीस नहीं देना है।

सैलरी

21,700 रुपये प्रतिमाह।

सिलेक्शन प्रोसेस

उम्मीदवारों का सिलेक्शन स्टेज-1, स्टेज-2, स्टेज-3, स्टेज-4 परीक्षाओं, मेडिकल जांच और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के आधार पर किया जाएगा।

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