सोने ने बनाया नया रिकॉर्ड, पहली बार 94 हजार पार

सोने के दाम ने आज यानी 16 अप्रैल को नया ऑल टाइम हाई बनाया। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम ₹1,387 बढ़कर ₹94,489 पर पहुंच गया। इससे पहले 10 ग्राम सोने की कीमत ₹93,102 थी।

एक किलो चांदी की कीमत आज ₹373 बढ़कर ₹95,403 प्रति किलो हो गई है। इससे पहले चांदी का भाव ₹95,030 प्रति किलो था। वहीं 28 मार्च को चांदी ने ₹1,00,934 और 11 अप्रैल को सोने ने ₹93,353 का हाई बनाया था।

सोने में तेजी के 3 कारण

अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी के कारण ट्रेड वॉर का खतरा बढ़ गया है। इससे इकोनॉमी के बढ़ने की रफ्तार धीमी हो सकती है। ग्लोबल मंदी की आशंका भी बढ गई है। ऐसे में लोग सोने में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। मंदी के समय सोने को सुरक्षित निवेश माना जाता है।

डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से सोने की कीमतों में तेजी आई है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब रुपया कमजोर होता है तो इसे इंपोर्ट करने में ज्यादा पैसे खर्च होते हैं। इस साल रुपए में लगभग 4% की गिरावट आई है, जिससे सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है।

शादियों का मौसम नजदीक आ रहा है, ऐसे में सोने के गहनों की मांग बढ़ रही है। मुंबई, दिल्ली और चेन्नई जैसे शहरों में ज्वैलर्स ने बताया कि ऊंची कीमतों के बावजूद बिक्री में तेजी है, क्योंकि लोग सोने को निवेश और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखते हैं।

4 महानगरों और भोपाल में सोने की कीमत

दिल्ली : 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,300 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,320 रुपए है।

मुंबई : 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,150 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 95,180 रुपए है।

कोलकाता : 10 ग्राम 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 88,150 रुपए और 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत 96,170 रुपए है।

चेन्नई : 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,150 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,170 रुपए है।

भोपाल : 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 88,200 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 96,220 रुपए है।

इस साल अब तक 18,327 रुपए महंगा हो चुका है सोना

इस साल यानी 1 जनवरी से अब तक 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 76,162 रुपए से 18,327 रुपए बढ़कर 94,489 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी का भाव भी 86,017 रुपए प्रति किलो से 9,386 रुपए बढ़कर 95,403 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं पिछले साल यानी 2024 में सोना 12,810 रुपए महंगा हुआ था।

साल के आखिर तक ₹1.10 लाख तक जा सकता है सोना

अमेरिकी-चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर और मंदी की आशंकाओं के कारण इस साल सोना 3,700 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। इंटरनेशनल रेट के हिसाब से कैलकुलेट करें तो भारत में 10 ग्राम सोने के दाम 1.10 लाख रुपए तक जा सकते हैं। विदेशी इन्वेस्टमेंट बैंक गोल्डमैन सैक्स ने ये अनुमान जारी किया है।

सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें

हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड रहता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह होता है- AZ4524। हॉलमार्किंग के जरिए ये पता करना संभव है कि कोई सोना कितने कैरेट का है।


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ट्रम्प के टैरिफ से चीन की GDP 1.5% गिरी थी

1 दिसंबर 2018

वैंकूवर एयरपोर्ट, कनाडा

कनाडा ने अमेरिका के कहने पर मेक्सिको जा रही एक चीनी महिला को गिरफ्तार कर लिया। उस पर आरोप लगा कि वह एक अमेरिकी बैंक को गलत जानकारी देकर ईरान के साथ बिजनेस कर रही है।

यह महिला कोई आम चीनी नागरिक नहीं बल्कि चीन की सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी हुआवे के मालिक रेन झेंगफेई की बेटी मेंग वानझोउ थी। मेंग की गिरफ्तारी से चीन बेहद नाराज हो गया और उसने अंजाम भुगतने की धमकी दी।

मेंग को अमेरिका भेजने की कोशिश हो ही रही थी कि 10 दिसंबर को चीन ने कनाडा के दो नागरिक माइकल कोवरिग और माइकल स्पारोव को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

मेंग की गिरफ्तारी के पीछे की असल वजह अमेरिका और चीन के बीच चल रहा ट्रेड वॉर था। इस जंग में ट्रूडो फंस गए थे।

अमेरिकी कंपनियों की नकल करती थीं चीनी कंपनियां

डोनाल्ड ट्रम्प 2017 में पहली बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने। ट्रम्प ने चुनाव में वादा किया था कि वो चीन के साथ व्यापार घाटा कम करेंगे।

ट्रम्प जब राष्ट्रपति बने तब अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा 355 अरब डॉलर था। उसी साल अगस्त में ट्रम्प ने चीन पर बौद्धिक संपदा की चोरी यानी अमेरिकी कंपनियों के उत्पादों की नकल करने का आरोप लगाया और इसकी जांच शुरू करवाई।

ट्रम्प ने ट्रेड वॉर की शुरुआत जनवरी 2018 में सौलर पैनल पर 30% और वॉशिंग मशीन पर 20 से 50% टैरिफ लगाकर की। इसके बाद ट्रम्प ने स्टील पर 25% और एल्यूमीनियम पर 10% टैरिफ लगाया।

ये सभी देशों पर लागू किए गए, लेकिन इनका सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ा। चीन इनका बड़ा आपूर्तिकर्ता था। 2018 में अमेरिका का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 419 अरब डॉलर हो गया।

22 मार्च 2018 को अमेरिकी कंपनियों की नकल से जुड़ी जांच की रिपोर्ट भी आ गई। इसमें पाया गया कि चीन की नीतियां अमेरिकी कंपनियों को नुकसान पहुंचा रही है।

दुनिया की ग्रोथ 3.6% से घटकर 2.9% पर आई

ट्रम्प के ट्रेड वॉर का चीन के टेक सेक्टर पर सीधा असर पड़ा। अमेरिका ने हुआवे और ZTE जैसी टेक कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया। इससे इन कंपनियों को अमेरिकी सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर मिलने में दिक्कत आने लगी। इसकी वजह से चिप यानी सेमीकंडक्टर की सप्लाई का संकट गहरा गया।

चीन ने भी अमेरिकी सोयाबीन की खरीद घटा दी थी। इससे अमेरिकी किसानों को भारी नुकसान हुआ। इसका सबसे ज्यादा असर सेंट्रल अमेरिका के राज्यों पर पड़ा।

दूसरी तरफ ट्रेड वॉर से रॉ मटेरियल्स मंहगे हो गए। इससे कंपनियों की उत्पादन लागत बढ़ने लगी। इसकी वजह से मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और रोजमर्रा की चीजों की कीमतें बढ़ने लगीं।

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड की लड़ाई सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं रही। इसने पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डाला। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने बताया कि इस ट्रेड वॉर से 2019 की ग्लोबल ग्रोथ 3.6% से गिरकर 2.9% पर आ गई।

अमेरिका-चीन में फेज वन समझौते ने रोका टैरिफ वॉर

डोनाल्ड ट्रम्प ने दिसंबर 2019 से 160 अरब डॉलर के चीनी सामान पर 15% टैरिफ लगाने का प्लान बनाया था। वे इससे पहले सितंबर में 112 अरब डॉलर के सामान पर टैरिफ लगा चुके थे।

इस बीच दिसंबर में दोनों देशों ने तनाव कम करने की कोशिश की। इस कोशिश के मद्देनजर ट्रम्प ने 160 अरब डॉलर के सामान पर टैरिफ लगाने का प्लान रद्द कर दिया। इसके अलावा 120 बिलियन सामान पर टैरिफ 15% से घटाकर 7.5% कर दिया।

15 जनवरी 2020 को अमेरिका और चीन ने फेज वन व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। चीन ने वादा किया कि वो अमेरिका से ज्यादा कृषि उत्पाद खरीदेगा। साथ ही अमेरिकी कंपनियों की बौद्धिक संपदा की चोरी और करेंसी में हेरफेर को रोकेगा।

अमेरिका ने कई टैरिफ कम किए, लेकिन 350 अरब डॉलर के सामान पर 7.5 से 25% टैरिफ बरकरार रखा।

4 साल बाद फिर ट्रेड वॉर की शुरुआत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले तीन महीनों में चीन के साथ ट्रेड वॉर शुरू कर दिया है। ट्रम्प अब तक चीन पर 145% टैरिफ बढ़ा चुके हैं।

इसके जबाव में चीन भी अमेरिकी सामान पर 125% टैरिफ बढ़ा चुका है। दूसरी तरफ ट्रम्प ने दुनिया के बाकी देशों पर लगाए रेसिप्रोकल टैरिफ पर रोक लगा दी है।

ट्रम्प ने 2 अप्रैल को भारत,चीन समेत 60 देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था, जिसे 9 अप्रैल को 90 दिन के लिए टाल दिया। लेकिन अमेरिकी ने अपने इस फैसले में चीन को कोई रियायत नहीं दी है। इससे एक बार फिर अमेरिका और चीन के बीच फिर से व्यापारिक तनाव गहराने लगे हैं।

ट्रेड वॉर में भारत पिछली बार मौका छूटा, इस बार बेहतर उम्मीद

जब 2018 में ट्रम्प प्रशासन ने चीन के खिलाफ टैरिफ वॉर छेड़ा था, तब भारत को उम्मीद थी कि चीन से निकलकर कंपनियां उसकी ओर रुख करेंगी। लेकिन ऐसा बड़े पैमाने पर नहीं हुआ। अब 2024-25 में हालात दोबारा वैसे ही बनते दिख रहे हैं।

इकोनॉमिक्स टाइम्स की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में जापान, अमेरिका और यूरोपीय कंपनियां चीन छोड़ना चाहती थीं, लेकिन भारत की नीतिगत सुस्ती, लेबर लॉ की जटिलता और कमजोर लॉजिस्टिक्स की वजह से इन कंपनियों ने वियतनाम और बांग्लादेश का रुख किया।

हालांकि, इस बार यह स्थिति बदल सकती है। ब्लूमबर्ग की 2024 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने PLI स्कीम, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर, सिंगल विंडो क्लियरेंस जैसे सुधार लागू किए हैं। इससे अमेरिकी या दूसरे देशों की कंपनियों को पहले की तुलना में भारत आने के लिए थोड़ी आसानी हो सकती है।

2018 में चीन ने अमेरिका से सोयाबीन, गेहूं और कॉटन के आयात पर टैरिफ लगाए, लेकिन भारत गुणवत्ता और वॉल्यूम के मामले में मुकाबले में नहीं उतर पाया। इकोनॉमिक सर्वे के मुताबिक भारत ने इस बार ग्लोबल GAP जैसी गुणवत्ता मानकों को अपनाया हैं। निर्यात में वृद्धि के लिए फूड प्रोसेसिंग पर जोर दिया जा रहा है।


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शेयर बाजार में जबरदस्त उछाल, 1750 अंक ऊपर चढ़ा सेंसेक्स, 10 सेकेंड में निवेशकों ने कमाए 6 लाख करोड़

आरबीआई रेपो रेट में कटौती से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स पर ट्रंप के टैरिफ में राहत देने के फैसले ने एशियाई बाजार से भारतीय बाजार तक बूस्टर डोज का काम किया है. एक तरफ जहां वॉल स्ट्रीट से लेकर जापान तक एशियाई बाजार में रौनक दिखी तो दूसरी ओर भारतीय शेयर बाजार भी मंगलवार को ऊंची उड़ान भर रहा है. 10 सेकेंड में ही करीब 6 लाख करोड़ रुपये की बारिश हुई है.

शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स करीब 1500 अंक यानी 2 प्रतिशत ऊपर चढ़ा. सुबह 9 बजकर 27 मिनट पर सेंसेक्स 1576.45 प्वाइंट यानी 2.10 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 76,733.71 पर पहुंच गया. जबकि निफ्टी 470 प्वाइंट यानी 2.06 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 23,298.75 पर आ गया. बैंक निफ्टी में 1100 प्वाइंट से ज्यादा का उछाल आया है. जिन शेयरों में सबसे ज्यादा तेजी देखी गई वो है- टाटा मोटर्स, HDFC, भारतीय एयरटेल, L&T, M&M ये सभी निफ्टी के टॉप गेनर है. 

शुरुआती कारोबार के दौरान बजाज ग्रुप की कंपनी बजाज फाइनेंस के शेयर करीब 3.5% तक उछल गए. टाटा मोटर्स 5 प्रतिशत चढ़कर निफ्टी का टॉप गेनर बना. जबकि आईटी, मेटल और रियल्टी के शेयरों में भी जोरदार तेजी देखी गई.  

एशियाई मार्केट में रौनक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से स्मार्ट फोन और कंप्यूटर को टैरिफ के दायरे से बाहर रखने के फैसले के बाद टेक्नोलॉजी स्टॉक ने उड़ान भरी और वॉल स्ट्रीट में मंगलवार को रौनक दिखी. ट्रंप की तरफ से कुछ ऑटोमेकर्स को मदद करने के उनके बयान के बाद ऑटो सेक्टर के शेयरों में भी बढ़त दिखी और निवेशकों के सेंटिमेंट को पॉजिटिव किया.  

अमेरिकी सरकार ने चीन से बड़ी मात्रा में आयात होने वाले स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर और अन्य इलेक्ट्रोनिक्स को टैरिफ के दायरेसे बाहर रखा है. जापान के निक्केई 225 प्वाइंट यानि 1.15% ऊपर चढ़ा जबकि टॉपिक इंडेक्स में 1.16 प्रतिशत की बढ़त देखी गई. ऑटो स्टॉक सबसे ज्यादा फायदा में रहने वाला रहा. सुजुकी मोटर के शेयर में 5.28 प्रतिशत की उछाल दिखी जबकि माजदा मोटर 5.08 प्रतिशत, होंडा मोटर 5.50 प्रतिशत और टोयोटा मोटर के शेयरों में 4.483 प्रतिशत की बढ़त दिखी.

टैरिफ पर राहत से मिला बूस्टर डोज

ऑटो स्टॉक में मजबूती के बाद दक्षिण कोरिया के Kospi में 0.39 प्रतिशत की बढ़त दिखी, हालांकि, टेक हैवी Kosdaq 0.32 प्रतिशत नीछे फिसल गया, किया कॉर्प के शेयरों में 2.89 प्रतिशत और हुंडई मोटर के शेयर 2.57 प्रतिशत ऊपर चढ़ा. जबकि, हांगकांड का हेंग सेंग इंडेक्स फ्यूचर्स मजबूती के साथ खुला. 

ट्रंप की तरफ से इलेक्टॉनिक्स को टैरिफ से राहत देने के बाद  अमेरिकी स्टॉक मार्केट वॉल स्ट्रीट में टेक स्टॉक में तेजी देखी गई.  डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 312.08 अंक यानी 0.78 प्रतिशत ऊपर चढ़कर 40,524.97 पर पहुंच गया. वहीं S&P 500 में 42.61 अंक यानी 0.79 प्रतिशत चढ़कर 5,405.97 पर कारोबार किया. जबकि नैस्डेक कंपोजिच 107.03 अंक यानी 064 प्रतिशत चढ़कर 16,831.48 पर पहुंच गया.


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सोना ऑलटाइम हाई पर, चांदी में गिरावट

2 अप्रैल 2025 को दिल्ली के सर्राफा बाजार में सोने की कीमत अपने ऑल टाइम हाई 94,150 रुपये प्रति 10 ग्राम पर स्थिर रही. अखिल भारतीय सर्राफा संघ के अनुसार, मंगलवार को 99.9% शुद्धता वाला सोना 2,000 रुपये की शानदार तेजी के साथ इस स्तर पर बंद हुआ था, जो करीब दो महीनों में सबसे बड़ी एकदिवसीय बढ़त है. वहीं, 99.5% शुद्धता वाला सोना भी 93,700 रुपये प्रति 10 ग्राम पर स्थिर रहा. दूसरी ओर, चांदी की कीमत में 1,000 रुपये की गिरावट देखी गई और यह 1,02,500 रुपये से घटकर 1,01,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई.

अमेरिकी जवाबी शुल्क का असर

कारोबारियों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित कई देशों पर जवाबी शुल्क लगाए जाने की आशंका से पहले सोने की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) सौमिल गांधी ने बताया, “जवाबी शुल्क लागू होने की संभावना सभी वित्तीय परिसंपत्तियों में अस्थिरता की नई लहर ला सकती है. निवेशक वैश्विक व्यापार, अर्थव्यवस्था और भू-राजनीतिक स्थिति पर इसके प्रभाव का आकलन करेंगे. ऐसी अनिश्चितता आमतौर पर सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं के लिए सकारात्मक होती है.”

वैश्विक बाजार में सोने और चांदी के भाव

वैश्विक स्तर पर हाजिर सोना 0.11% की बढ़त के साथ 3,116.86 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया. जून डिलिवरी के लिए कॉमेक्स सोना वायदा 3,149.30 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर रहा. वहीं, एशियाई बाजार में हाजिर चांदी 0.52% चढ़कर 33.87 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रही थी. कोटक सिक्योरिटीज की एवीपी (जिंस शोध) कायनात चैनवाला ने कहा, “बाजार अमेरिकी निजी नौकरियों की रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है, जो फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति पर और स्पष्टता दे सकती है.”

सोने-चांदी की कीमतों को कौन कर रहा प्रभावित

अमेरिकी शुल्क नीति: जवाबी शुल्क की आशंका से निवेशक सुरक्षित संपत्तियों की ओर बढ़ रहे हैं.

वैश्विक अस्थिरता: भू-राजनीतिक तनाव और व्यापारिक अनिश्चितता सोने की मांग बढ़ा रही है.

मौद्रिक नीति: फेडरल रिजर्व के फैसले और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आंकड़े कीमती धातुओं पर असर डाल सकते हैं.

आज का गोल्ड प्राइस (2 अप्रैल 2025)

99.9% शुद्ध सोना: 94,150 रुपये प्रति 10 ग्राम

99.5% शुद्ध सोना: 93,700 रुपये प्रति 10 ग्राम

चांदी: 1,01,500 रुपये प्रति किलोग्राम


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मई में स्पेस स्टेशन जा सकते हैं शुभांशु शुक्ला

भारत ने एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार करने की ओर कदम बढ़ाया है. भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिनके पास 2,000 से ज्यादा उड़ान घंटे का अनुभव है, अगले महीने मई 2025 में स्पेसएक्स ड्रैगन यान पर सवार होकर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं. यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है और भारत की वैश्विक अंतरिक्ष में बढ़ती भागीदारी का प्रतीक बनेगा. इस मिशन के तहत शुक्ला एक्सिओम स्पेस के एक्स-4 मिशन का हिस्सा होंगे, जिसमें वे चार निजी अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं. नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन इस मिशन की कमान संभाल रही हैं.

भारतीय संस्कृति को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा

अंतरिक्ष में भारत की उपस्थिति को और मजबूत बनाने के लिए शुक्ला का यह मिशन बेहद महत्वपूर्ण है. यह मिशन, जो विज्ञान के साथ-साथ भारतीय संस्कृति को अंतरिक्ष में लेकर जाएगा, भारतीय अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक नई दिशा और अवसर खोलेगा शुक्ला के द्वारा अंतरिक्ष में भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें भारतीय कलाकृतियां और योग आसनों का सूक्ष्मगुरुत्व में अभ्यास शामिल है. यह कदम भारतीय विज्ञान और संस्कृति के संयोजन को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करने की पहल है, जो किसी अन्य अंतरिक्ष यात्रा से बिल्कुल अलग है.

ऐतिहासिक क्षण

शुक्ला का यह अंतरिक्ष मिशन न केवल भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक ऐतिहासिक क्षण होगा, बल्कि यह भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए भी एक अहम मील का पत्थर साबित होगा. गगनयान मिशन का उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्री को एक स्वदेशी अंतरिक्ष यान में अंतरिक्ष यात्रा पर भेजना है और शुक्ला को इस मिशन के लिए नामित किया गया है. इस बीच, एक्स-4 मिशन में वे नासा, एक्सिओम स्पेस और इसरो के सहयोग से पृथ्वी की निचली कक्षा में वैज्ञानिक प्रयोगों, शैक्षिक कार्यों और वाणिज्यिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे.


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अब 12 लाख रुपए तक की कमाई टैक्स फ्री होगी

नया बजट आज से लागू हो जाएगा। यानी, 1 फरवरी को सरकार ने बजट पेश करते हुए जो ऐलान किए थे उन पर काम शुरू होगा। हालांकि, योजनाओं का फायदा कब से मिलेगा यह योजना के प्रकार और लागू करने की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा।

आयकर छूट या सब्सिडी जैसे फायदे 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाते हैं, क्योंकि ये वित्तीय वर्ष के साथ जुड़े होते हैं। वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाएं, सामाजिक कल्याण योजनाओं का फायदा मिलने में समय लगता है, क्योंकि इन पर काम करने की एक लंबी प्रोसेस होती है।

6 बदलाव जो कल से लागू होंगे...

1. टैक्स स्लैब में बदलाव: 20 से 24 लाख की इनकम के लिए नया स्लैब

क्या बदलाव हुआ है: न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी। न्यू टैक्स रिजीम में 20 से 24 लाख की इनकम के लिए 25% टैक्स का नया स्लैब भी शामिल किया गया है।

असर क्या होगा: पहले 30% की अधिकतम दर 15 लाख रुपए से ऊपर की आय पर लागू होती थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 24 लाख रुपए कर दी गई है। इससे मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत होगी।

2. TDS लिमिट की सीमा बढ़ी: ₹6 लाख तक की रेंटल इनकम पर टैक्स नहीं

क्या बदलाव हुआ है: कुछ भुगतानों पर TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) की सीमा को बढ़ाया गया है...

रेंट से होने वाली इनकम पर TDS छूट दोगुनी : रेंट से होने वाली इनकम पर TDS की सीमा ₹2.4 लाख से बढ़कर ₹6 लाख हो गई है।

वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज आय पर छूट दोगुनी : बैंक FD से ब्याज आय अर्जित करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए TDS सीमा ₹50 हजार से बढ़कर ₹1 लाख हो गई है।

प्रोफेशनल सर्विस पर TDS सीमा में बढ़ोतरी: प्रोफेशनल सर्विस पर TDS की सीमा अब 30 हजार से बढ़कर 50 हजार हो गई है।

असर क्या होगा: इससे कम आय वाले व्यक्तियों पर TDS का बोझ कम होगा और नकदी प्रवाह में सुधार होगा।

3. TCS लिमिट की सीमा बढ़ी: विदेश में पढ़ाई के लिए ₹10 लाख तक भेजने पर टैक्स नहीं

क्या बदलाव हुआ है: विदेश में पढ़ाई के लिए पैसा भेजने पर टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की लिमिट अब 7 लाख रुपए से बढ़कर 10 लाख रुपए हो गई है। वहीं अगर पैसा किसी फाइनेंशियल आर्गनाइजेशन जैसे बैंक आदि से लोन लिया गया हो TCS नहीं लगेगा।

असर क्या होगा: TCS हटने से छात्रों और उनके परिवारों दोनों को फायदा होगा। पहले 7 लाख से ज्यादा कि राशि पर 0.5%-5% TCS कटता था। इससे ट्रांसफरिंग प्रोसेस थोड़ी हेक्टिक बन जाती थी। वहीं अब दूसरे छोर पर 10 लाख रुपए तक की पूरी राशि पहुंच पाएगी।

4. अपडेटेड रिटर्न भरने के लिए ज्यादा समय: 48 महीने तक दाखिल कर सकेंगे

क्या बदलाव हुआ है: अब टैक्सपेयर्स असेसमेंट ईयर के अंत से 24 महीने के बजाय 48 महीने तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। इसकी कुछ शर्तें हैं...

24 से 36 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 60% अतिरिक्त टैक्स।

36 से 48 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 70% अतिरिक्त टैक्स।

असर क्या होगा: इससे करदाताओं को अपनी गलतियों को सुधारने के लिए अधिक समय मिलेगा। स्वैच्छिक अनुपालन भी बढ़ेगा। यानी, किसी व्यक्ति या संगठन का अपनी मर्जी से नियमों, कानूनों का पालन करना।

5. यूलिप पर कैपिटल गेन टैक्स: ₹2.5 लाख से ज्यादा प्रीमियम कैपिटल एसेट माना जाएगा

क्या बदलाव हुआ है: यदि यूलिप यानी, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए से अधिक है, तो इसे कैपिटल एसेट माना जाएगा। ऐसे यूलिप को भुनाने से होने वाले किसी भी फायदे पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यूलिप एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें प्रीमियम का एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है।

यदि इसे 12 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में 12.5% टैक्स लगेगा।

यदि इसे 12 महीने से कम समय तक रखा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के रूप में 20% टैक्स लगेगा।

असर क्या होगा: उच्च प्रीमियम वाले ULIP में निवेश करने वालों को अब टैक्स देना होगा। सरकार ने ये बदलाव हाई-इनकम टैक्स पेयर्स को यूलिप को टैक्स-फ्री इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट के रूप में उपयोग करने से रोकने के लिए किए हैं। यूलिप प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है, इसलिए सरकार का तर्क था कि इसे ट्रेडिशनल इंश्योरेंस की तरह टैक्स छूट नहीं मिलनी चाहिए।

6. सस्ता-महंगा: कस्टम ड्यूटी बदलने का 150-200 प्रोडक्ट पर असर

क्या बदलाव हुआ है: सरकार ने फरवरी में पेश किए गए बजट में कुछ प्रोडक्ट पर कस्टम ड्यूटी घटाई थी और कुछ पर बढ़ाई थी। इससे करीब 150-200 प्रोडक्ट प्रभावित होंगे। आम तौर पर वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2025 से कस्टम ड्यूटी में हुए बदलाव लागू होते हैं।

हालांकि, कुछ बदलावों की लागू होने की तारीखें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के नोटिफिकेशन पर निर्भर करती हैं। जैसे, पिछले बजट में कुछ कस्टम ड्यूटी बदलाव (जैसे मोबाइल फोन और कीमती धातुओं पर) 24 जुलाई 2024 से लागू हुए थे।

असर क्या होगा: कुछ चीजें सस्ती और कुछ महंगी हो सकती है। कस्टम ड्यूटी के घटने-बढ़ने का इनडायरेक्ट असर चीजों की कीमतों पर पड़ता है।

आइटम जो सस्ते हो सकते हैं:

40 हजार डॉलर से ज्यादा कीमत या 3 हजार CC से ज्यादा की इंजन क्षमता वाली आयातित कारें।

CBU यूनिट के रूप में आयातित मोटरसाइकिलें जिनकी इंजन क्षमता 1600 CC से अधिक नहीं है।

36 लाइफ सेविंग दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने से क्रिटिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट कम हो जाएगी।

EV सस्ते हो सकते हैं। सकार ने बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए 35 कैपिटल गुड्स की ड्यूटी हटा दी है।

मोबाइल फोन बैटरी प्रोडक्शन के लिए 28 कैपिटल गुड्स को कस्टम ड्यूटी से छूट दी गई।

आइटम जो महंगे हो सकते हैं:

स्मार्ट मीटर सौर सेल, आयातित जूते, आयातित मोमबत्तियां, आयातित नौकाएं और अन्य जहाज, PVC फ्लेक्स फिल्म्स, PVC फ्लेक्स शीट्स, PVC फ्लेक्स बैनर, निटिंग प्रोसेस से बना कपड़ा, LCD/LED टीवी

बजट में जिन योजनाओं की घोषणा हुई थी उनका फायदा कब से मिलेगा?

सामाजिक कल्याण योजनाएं जैसे किसानों, महिलाओं के लिए स्कीम्स, या रोजगार योजनाओं का फायदा जून-जुलाई से मिलना शुरू हो सकता है।

सड़क, रेल, या स्कूल-हॉस्पिटल जैसी परियोजनाओं का फायदा मिलने में समय लगता है, क्योंकि इनके लिए योजना, टेंडर और निर्माण की प्रक्रिया होती है।

7 पॉइंट में जानें बजट की पूरी प्रोसेस...

बजट की तैयारी: बजट वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है। वित्त मंत्री के नेतृत्व में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और विशेषज्ञों से परामर्श लिया जाता है।

बजट का प्रस्तुति: हर साल 1 फरवरी को वित्त मंत्री लोकसभा में वार्षिक बजट पेश करते हैं। बजट भाषण में सरकार की आय और व्यय की डिटेल्स होती है।

संसद में चर्चा: बजट पेश होने के बाद, लोकसभा और राज्यसभा में इस पर विस्तृत चर्चा होती है। सांसद विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखते हैं।

विनियोग विधेयक: चर्चा के बाद, दोनों सदनों में इसे पेश किया जाता है, जो सरकार को समेकित निधि से धन निकालने की अनुमति देता है।

फाइनेंस बिल: बजट में प्रस्तावित टैक्स संबंधी बदलावों को लागू करने के लिए वित्त विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पेश किया जाता है।

राष्ट्रपति की मंजूरी: दोनों बिल (विनियोग और फाइनेंस) के संसद से पारित होने के बाद, इन्हें राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है।

अमल में लाना: राष्ट्रपति की सहमति के बाद ये कानून बन जाते हैं और बजट लागू हो जाता है। बजट 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए लागू होता है।


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कॉमर्शियल सिलेंडर ₹44.50 तक सस्ता हुआ

नया महीना यानी अप्रैल अपने साथ कई बदलाव लेकर आया है। अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर इनकम टैक्स नहीं देना होगा। इसके अलावा आज से मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, किआ इंडिया, हुंडई इंडिया और होंडा की गाड़ियों के दाम बढ़ गए हैं।

अप्रैल महीने में होने वाले 10 बदलाव...

1.कॉमर्शियल सिलेंडर ₹44.50 सस्ता, घरेलू सिलेंडर की कीमतों में बदलाव नहीं

आज से 19 किलो वाला कॉमर्शियल सिलेंडर ₹44.50 तक सस्ता हो गया है। दिल्ली में इसकी कीमत ₹41 घटकर ₹1762 हो गईं। पहले ये ₹1803 में मिल रहा था। कोलकाता में यह ₹44.50 घटकर ₹1868.50 में मिल रहा है, पहले इसके दाम ₹1913 थे।

मुंबई में सिलेंडर ₹1755.50 से ₹42 घटकर ₹1713.50 रुपए हो गया है। चेन्नई में सिलेंडर ₹1921.50 का मिल रहा है। हालांकि, 14.2 KG वाले घरेलू गैस सिलेंडर की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिल्ली में यह ₹803 और मुंबई में ₹802.50 का मिल रहा है।

2. न्यू टैक्स रिजीम में 12 लाख रुपए तक की इनकम टैक्स फ्री

अब न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी। सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम के स्लैब में भी बदलाव किया गया है। पुरानी टैक्स रिजीम में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

3. 'महिला सम्मान सेविंग्स सर्टिफिकेट' स्कीम (MSSC) बंद

सरकार द्वारा महिलाओं के लिए चलाई जा रही खास इन्वेस्टमेंट स्कीम 'महिला सम्मान सेविंग्स सर्टिफिकेट' (MSSC) बंद हो गई। इस स्कीम की डेडलाइन 31 मार्च 2025 थी। इस स्कीम में 7.5% सालाना ब्याज दिया जाता था। इसमें कम से कम 1000 रुपए से लेकर अधिकतम 2 लाख रुपए का निवेश 2 साल के लिए निवेश करने होते थे।

4. फोर व्हीलर खरीदना हुआ महंगा

मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, किआ इंडिया, हुंडई इंडिया और होंडा कार्स ने आज से अपनी गाड़ियों की कीमतें बढ़ा दी हैं। मारुति सुजुकी की गाड़ियां 4% तक महंगी हो गई हैं, यह मॉडल के आधार पर अलग-अलग होगी।

5. इनएक्टिव मोबाइल नंबरों पर काम नहीं करेगा UPI

अगर आप UPI से ट्रांजैक्शन करते हैं और बैंक से लिंक्ड आपका मोबाइल नंबर लंबे समय से इनएक्टिव है तो इस नंबर पर UPI का इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। ऐसे नंबरों को UPI सिस्टम से हटा दिया जाएगा। ऐसे में आपको पेमेंट करने में परेशानी हो सकती है।

6. वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज से आय पर दोगुनी छूट

वरिष्ठ नागरिकों को बैंक और पोस्ट ऑफिस के ब्याज से होने वाली कमाई पर मिलने वाली टैक्स छूट को 50 हजार से बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया गया है। यानी अब ब्याज की इनकम पर वरिष्ठ नागरिकों को 1 लाख रुपए तक की राहत मिलेगी।

7. केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम शुरू होगी

नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) तहत आने वाले केंद्रीय कर्मचारी अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का फायदा ले सकते हैं। इस स्कीम में कम से कम 25 साल की सर्विस वाले कर्मचारी अपने अंतिम 12 महीनों के औसत मूल वेतन के 50% के बराबर पेंशन के लिए पात्र होंगे। इसमें न्यूनतम पेंशन 10 हजार रुपए महीने की गारंटी भी है।

यह योजना पुरानी पेंशन स्कीम (OPS), नई पेंशन स्कीम (NPS) और कर्मचारियों की विभिन्न मांगों के बीच एक संतुलन बनाने के लिए लाई गई है। UPS के तहत कर्मचारी अपनी सैलरी का 10% योगदान देंगे, जबकि सरकार 18.5% का योगदान करेगी (NPS में सरकार 14% देती थी)। मौजूदा NPS के तहत आने वाले कर्मचारी UPS चुन सकते हैं या NPS में ही रह सकते हैं।

8. यूलिप पर कैपिटल गेन टैक्स

यदि यूलिप यानी, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए से अधिक है, तो इसे कैपिटल एसेट माना जाएगा। ऐसे यूलिप को भुनाने से होने वाले किसी भी फायदे पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यूलिप एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें प्रीमियम का एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है।

यदि इसे 12 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में 12.5% टैक्स लगेगा।

यदि इसे 12 महीने से कम समय तक रखा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के रूप में 20% टैक्स लगेगा।

9. बैंक में मिनिमम बैलेंस से जुड़े कई नियम में बदलाव

SBI, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और कुछ अन्य बैंकों ने मिनिमम बैलेंस से जुड़े कई नियम में बदलाव किया है। अब यह बैलेंस इस बात पर निर्भर करता है कि आपका खाता शहरी, अर्ध-शहरी या ग्रामीण इलाके में है। आपको तय राशि से कम बैलेंस पर जुर्माना भी देना पड़ सकता है।

10. ATF 6,064.1 रुपए तक सस्ता: हवाई सफर सस्ता हो सकता है

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) की कीमतों को घटाया है। इससे हवाई सफर सस्ता हो सकता है। इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, चेन्नई में ATF 6,064.10 रुपए सस्ता होकर 92,503.80 रुपए प्रति किलोलीटर (1000 लीटर) हो गया है।

पेट्रोल-डीजल के दाम में बदलाव नहीं

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आज यानी 1 अप्रैल को भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल 94.72 रुपए लीटर है, तो डीजल 87.62 रुपए लीटर के हिसाब से बिक रहा है। वहीं, मुंबई में पेट्रोल 103.44 रुपए और डीजल 89.97 रुपए प्रति लीटर मिल रहा है।


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1 अप्रैल से लागू हो रहा बजट, 6 बड़े बदलाव

नया बजट कल 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएगा। यानी, 1 फरवरी को सरकार ने बजट पेश करते हुए जो ऐलान किए थे उनपर काम शुरू होगा। हालांकि, योजनाओं का फायदा कब से मिलेगा यह योजना के प्रकार और लागू करने की प्रक्रिया पर निर्भर करेगा।

आयकर छूट या सब्सिडी जैसे फायदे 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाते हैं, क्योंकि ये वित्तीय वर्ष के साथ जुड़े होते हैं। वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाएं, सामाजिक कल्याण योजनाओं का फायदा मिलने में समय लगता है, क्योंकि इनपर काम करने की एक लंबी प्रोसेस होती है।

6 बदलाव जो कल से लागू होंगे...

1. टैक्स स्लैब में बदलाव: 20 से 24 लाख की इनकम के लिए नया स्लैब

क्या बदलाव हुआ है: न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी। न्यू टैक्स रिजीम में 20 से 24 लाख की इनकम के लिए 25% टैक्स का नया स्लैब भी शामिल किया गया है।

असर क्या होगा: पहले 30% की अधिकतम दर 15 लाख रुपए से ऊपर की आय पर लागू होती थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 24 लाख रुपए कर दी गई है। इससे मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत होगी।

2. TDS लिमिट की सीमा बढ़ी: ₹6 लाख तक की रेंटल इनकम पर टैक्स नहीं

क्या बदलाव हुआ है: कुछ भुगतानों पर TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) की सीमा को बढ़ाया गया है...

रेंट से होने वाली इनकम पर TDS छूट दोगुनी : रेंट से होने वाली इनकम पर TDS की सीमा ₹2.4 लाख से बढ़कर ₹6 लाख हो गई है।

वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज आय पर छूट दोगुनी : बैंक एफडी से ब्याज आय अर्जित करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस सीमा ₹50 हजार से बढ़कर ₹1 लाख हो गई है।

प्रोफेशनल सर्विस पर TDS सीमा में बढ़ोतरी: प्रोफेशनल सर्विस पर TDS की सीमा अब 30 हजार से बढ़कर 50 हजार हो गई है।

असर क्या होगा: इससे कम आय वाले व्यक्तियों पर TDS का बोझ कम होगा और नकदी प्रवाह में सुधार होगा।

3. TCS लिमिट की सीमा बढ़ी: विदेश में पढ़ाई के लिए ₹10 लाख तक भेजने पर टैक्स नहीं

क्या बदलाव हुआ है: विदेश में पढ़ाई के लिए पैसा भेजने पर टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की लिमिट अब 7 लाख रुपए से बढ़कर 10 लाख रुपए हो गई है। वहीं अगर पैसा किसी फाइनेंशियल आर्गनाइजेशन जैसे बैंक आदि से लोन लिया गया हो टीसीएस नहीं लगेगा।

असर क्या होगा: टीसीएस हटने से छात्रों और उनके परिवारों दोनों को फायदा होगा। पहले 7 लाख से ज्यादा कि राशि पर 0.5%-5% टीसीएस कटता था। इससे ट्रांसफरिंग प्रोसेस थोड़ी हेक्टिक बन जाती थी। वहीं अब दूसरे छोर पर 10 लाख रुपए तक की पूरी राशि पहुंच पाएगी।

4. अपडेटेड रिटर्न भरने के लिए ज्यादा समय: 48 महीने तक दाखिल कर सकेंगे

क्या बदलाव हुआ है: अब टैक्सपेयर्स असेसमेंट ईयर के अंत से 24 महीने के बजाय 48 महीने तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। इसकी कुछ शर्तें हैं...

24 से 36 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 60% अतिरिक्त टैक्स।

36 से 48 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 70% अतिरिक्त टैक्स।

असर क्या होगा: इससे करदाताओं को अपनी गलतियों को सुधारने के लिए अधिक समय मिलेगा। स्वैच्छिक अनुपालन भी बढ़ेगा। यानी, किसी व्यक्ति या संगठन का अपनी मर्जी से नियमों, कानूनों का पालन करना।

5. यूलिप पर कैपिटल गेन टैक्स: ₹2.5 लाख से ज्यादा प्रीमियम कैपिटल एसेट माना जाएगा

क्या बदलाव हुआ है: यदि यूलिप यानी, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए से अधिक है, तो इसे कैपिटल एसेट माना जाएगा। ऐसे यूलिप को भुनाने से होने वाले किसी भी फायदे पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। यूलिप एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें प्रीमियम का एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है।

यदि इसे 12 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) के रूप में 12.5% टैक्स लगेगा।

यदि इसे 12 महीने से कम समय तक रखा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के रूप में 20% टैक्स लगेगा।

असर क्या होगा: उच्च प्रीमियम वाले ULIP में निवेश करने वालों को अब टैक्स देना होगा। सरकार ने ये बदलाव हाई-इनकम टैक्स पेयर्स को यूलिप को टैक्स-फ्री इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट के रूप में उपयोग करने से रोकने के लिए किए हैं। यूलिप प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है, इसलिए सरकार का तर्क था कि इसे ट्रेडिशनल इंश्योरेंस की तरह टैक्स छूट नहीं मिलनी चाहिए।

6. सस्ता-महंगा: कस्टम ड्यूटी बदलने का 150-200 प्रोडक्ट पर असर

क्या बदलाव हुआ है: सरकार ने फरवरी में पेश किए गए बजट में कुछ प्रोडक्ट पर कस्टम ड्यूटी घटाई थी और कुछ पर बढ़ाई थी। इससे करीब 150-200 प्रोडक्ट प्रभावित होंगे। आम तौर पर वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2025 से कस्टम ड्यूटी में हुए बदलाव लागू होते हैं।

हालांकि, कुछ बदलावों की लागू होने की तारीखें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) के नोटिफिकेशन पर निर्भर करती हैं। जैसे, पिछले बजट में कुछ कस्टम ड्यूटी बदलाव (जैसे मोबाइल फोन और कीमती धातुओं पर) 24 जुलाई 2024 से लागू हुए थे।

असर क्या होगा: कुछ चीजें सस्ती और कुछ महंगी हो सकती है। कस्टम ड्यूटी के घटने-बढ़ने का इनडायरेक्ट असर चीजों की कीमतों पर पड़ता है।

आइटम जो सस्ते हो सकते हैं:

40 हजार डॉलर से ज्यादा कीमत या 3 हजार सीसी से ज्यादा की इंजन क्षमता वाली आयातित कारें।

सीबीयू यूनिट के रूप में आयातित मोटरसाइकिलें जिनकी इंजन क्षमता 1600 सीसी से अधिक नहीं है।

36 लाइफ सेविंग दवाओं से कस्टम ड्यूटी हटाने से क्रिटिकल ट्रीटमेंट की कॉस्ट कम हो जाएगी।

EV सस्ते हो सकते हैं। सकार ने बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए 35 कैपिटल गुड्स की ड्यूटी हटा दी है।

मोबाइल फोन बैटरी प्रोडक्शन के लिए 28 कैपिटल गुड्स को कस्टम ड्यूटी से छूट दी गई।

आइटम जो महंगे हो सकते हैं:

स्मार्ट मीटर सौर सेल, आयातित जूते, आयातित मोमबत्तियां, आयातित नौकाएं और अन्य जहाज, पीवीसी फ्लेक्स फिल्म्स, पीवीसी फ्लेक्स शीट्स, पीवीसी फ्लेक्स बैनर, नीटिंग प्रोसेस से बना कपड़ा, एलसीडी/एलईडी टीवी

बजट में जिन योजनाओं की घोषणा हुई थी उनका फायदा कब से मिलेगा?

सामाजिक कल्याण योजनाएं जैसे किसानों के लिए नकद सहायता, महिलाओं के लिए स्कीम्स, या रोजगार योजनाओं का फायदा जून-जुलाई से मिलना शुरू हो सकता है।

सड़क, रेल, या स्कूल-हॉस्पिटल जैसी परियोजनाओं का फायदा मिलने में समय लगता है, क्योंकि इनके लिए योजना, टेंडर और निर्माण की प्रक्रिया होती है।

7 पॉइंट में जानें बजट की पूरी प्रोसेस...

बजट की तैयारी: बजट वित्त मंत्रालय द्वारा तैयार किया जाता है। वित्त मंत्री के नेतृत्व में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और विशेषज्ञों से परामर्श लिया जाता है।

बजट का प्रस्तुति: हर साल 1 फरवरी को वित्त मंत्री लोकसभा में वार्षिक बजट पेश करते हैं। बजट भाषण में सरकार की आय और व्यय की डिटेल्स होती है।

संसद में चर्चा: बजट पेश होने के बाद, लोकसभा और राज्यसभा में इस पर विस्तृत चर्चा होती है। सांसद विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखते हैं।

विनियोग विधेयक: चर्चा के बाद, दोनों सदनों में इसे पेश किया जाता है, जो सरकार को समेकित निधि से धन निकालने की अनुमति देता है।

फाइनेंस बिल: बजट में प्रस्तावित टैक्स संबंधी बदलावों को लागू करने के लिए वित्त विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों में पेश किया जाता है।

राष्ट्रपति की मंजूरी: दोनों बिल (विनियोग और फाइनेंस) के संसद से पारित होने के बाद, इन्हें राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाता है।

अमल में लाना: राष्ट्रपति की सहमति के बाद ये कानून बन जाते हैं और बजट लागू हो जाता है। बजट 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष के लिए लागू होता है।


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सेंसेक्स ने लगाई 800 अंक की उछाल, शेयर बाजार में तूफानी तेजी

इस हफ्ते के पहले कारोबारी दिन यानी सोमवार को शेयर बाजार में तूफानी तेजी देखी जा रही है। शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। अभी लिखते समय बीएसई सेंसेक्स लगभग 800 अंक से अधिक चढ़ चुका है। वहीं एनएसई निफ्टी में भी अच्छी खासी बढ़तोतरी है। एनएसई निफ्टी 270 अंक उछलकर 23,616 पर ट्रेड कर रहा है।

आज बाजार में मिड कैप और स्मॉल कैप में बढ़ोतरी दिख रही है। वहीं आईटी स्टॉक में भी उछाल देखा जा रहा है। चलिए जानते हैं कि शेयर बाजार में लगातार दूसरे हफ्ते भी तेजी आने का क्या कारण है।

क्या है शेयर बाजार में तेजी का कारण?

चौथी तिमाही के नतीजों में अच्छी ग्रोथ की उम्मीद की जा रही है। जिसकी वजह से ही शेयर बाजार में हरियाली छाई हुई है।

वहीं देश की केंद्रीय बैंक, आरबीआई (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) जल्द ही मौद्रिक नीति समिति की बैठक करने वाली है। ऐसा माना जा रहा है कि केंद्रीय बैंक इस बैठक के दौरान ब्याज दरों में कटौती कर सकती है।

इससे पहले आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती की थी। जिसका असर बैंकों के ब्याज दर में भी देखने को मिला था।

इसके साथ ही हाल ही में जारी हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में गिरावट आई है। जो एक तरह आम आदमी के लिए अच्छी खबर है। पीआईबी के मुताबिक सीपीआई में गिरावट दर्ज की गई है। जनवरी के मुकाबले फरवरी में सीपीआई 0.65 फीसदी तक गिरा है। फरवरी में सपीआई 3.61 फीसदी दर्ज किया गया।

सरल शब्दों में कहा जाए, तो कुल मिलाकर सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महंगाई कम हुई है।

आज के टॉप गैनर्स और टॉप लूजर्स

निफ्टी टॉप गैनर्स और लूजर्स- 24 मार्च सोमवार को एनएसई निफ्टी में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखी जा रही है। आज एनएसई निफ्टी में pearlpoly, amdind, lambodhara, goldtech और salasar टॉप गैनर बन चुके हैं। वहीं IKIO, quintegra, rcom, kesoramind और alpsindus टॉप लूजर की लिस्ट में शामिल हो चुके हैं।

निफ्टी स्टॉक- 50 शेयर वाले एनएसई निफ्टी में अभी बैंक स्टॉक सबसे आगे चल रहे हैं। इनमें करीब 2 फीसदी की बढ़त देखी जा रही है। वहीं प्राइवेट बैंक और पीएसयू बैंक स्टॉक में भी अच्छी ग्रोथ है। इसके अलावा फाइनेंशियल सर्विस, Reality और आईटी स्टॉक भी लगभग 2 फीसदी बढ़ चुके है।

बीएसई सेंसेक्स टॉप गैनर्स और लूजर्स- बीएसई सेंसेक्स में भी लगातार हरियाली देखी जा रही है। बीएसई सेंसेक्स में आज salasar, fincables, powermech, IIFcaps और rajeshexpo टॉप गैनर बन चुके हैं। वही्ं jyotistruc, jsl, kec, suvenphar और Apl ltd टॉप लूजर बन चुके हैं।

इससे पहले कैसा रहा शेयर बाजार

इससे पहले 21 मार्च शुक्रवार को शेयर बाजार अच्छी बढ़ोतरी के साथ बंद हुए। शेयर बाजार के मुख्य इंडेक्स बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में हरियाली देखी गई। बीएसई सेंसेक्स 557 अंक बढ़कर 76,905 पर क्लोज हुआ। वहीं एनएसई निफ्टी में बढ़ोतरी देखी गई है। एनएसई निफ्टी 159 अंक चढ़कर 23,350 पर बंद हुआ है।


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सोना ₹88,680 के ऑलटाइम हाई पर पहुंचा

सोने की कीमत आज यानी 19 मार्च को ऑल टाइम हाई पर पहुंच गई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के अनुसार, 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम ₹326 बढ़कर ₹88,680 हो गया है। इससे पहले मंगलवार को सोने की कीमत ₹88,354 थी।

वहीं, एक किलो चांदी आज ₹152 सस्ती होकर ₹1,00,248 प्रति किलो पर आ गई है। इससे पहले कल चांदी का भाव ₹1,00,400 प्रति किलो था, जो इसका ऑल टाइम हाई भी रहा। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार इस साल सोना ₹92 हजार तक जा सकता है।

4 महानगरों और भोपाल में सोने की कीमत

दिल्ली: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 83,050 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 90,590 रुपए है।

मुंबई: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 82,900 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 90,440 रुपए है।

कोलकाता: 10 ग्राम 22 कैरेट गोल्ड की कीमत 82,900 रुपए और 24 कैरेट 10 ग्राम सोने की कीमत 90,440 रुपए है।

चेन्नई: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 82,900 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 90,440 रुपए है।

भोपाल: 10 ग्राम 22 कैरेट सोने की कीमत 82,950 रुपए और 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 90,490 रुपए है।

इस साल अब तक 12,518 रुपए महंगा हो चुका है सोना

इस साल यानी 1 जनवरी से अब तक 10 ग्राम 24 कैरेट सोने का दाम 76,162 रुपए से 12,518 रुपए बढ़कर 88,680 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं, चांदी का भाव भी 86,017 रुपए प्रति किलो से 14,231 रुपए बढ़कर 1,00,248 रुपए पर पहुंच गया है। वहीं पिछले साल यानी 2024 में सोना 12,810 रुपए महंगा हुआ था।

सोने में तेजी के 3 कारण

ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ गई हैं।

डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से सोना महंगा हो रहा है।

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ने से लोग गोल्ड में निवेश बढ़ा रहे हैं।

इस साल 92 हजार रुपए तक जा सकता है सोना

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि एक बड़ी रैली के बाद सोने में गिरावट आनी थी, वह आ चुकी है। जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ने से गोल्ड को सपोर्ट मिल रहा है। वहीं गोल्ड ETF में निवेश भी बढ़ रहा है। इससे गोल्ड की डिमांड बढ़ रही है। ऐसे में इस साल सोना 92 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच सकता है।

वहीं अगर चांदी की बात करें तो HDFC सिक्योरिटीज के कमोडिटी और करेंसी हेड अनुज गुप्ता के अनुसार इसकी कीमत में आगे भी तेजी देखने को मिल सकती है। साल के आखिर चांदी 1 लाख 8 हजार रुपए तक जा सकती है।

सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें

हमेशा ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का हॉलमार्क लगा हुआ सर्टिफाइड गोल्ड ही खरीदें। सोने पर 6 अंकों का हॉलमार्क कोड रहता है। इसे हॉलमार्क यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर यानी HUID कहते हैं। ये नंबर अल्फान्यूमेरिक यानी कुछ इस तरह होता है- AZ4524। हॉलमार्किंग के जरिए ये पता करना संभव है कि कोई सोना कितने कैरेट का है।




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