'जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो फडणवीस ने कर दिया', मंच पर उद्धव के सामने राज ठाकरे ने कही ये बात

महाराष्ट्र की सियासत में आज का दिन बेहद अहम माना जा रहा है। लंबे समय के बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे आखिरकार साथ आ गए। दोनों चचेरे भाइयों ने एक साथ मंच साझा किया और साथ ही गले भी मिले।

दोनों भाई मुंबई के वर्ली में मराठी विजय दिवस मनाने के लिए मंच साझा किया। हालांकि, इस मिलन को सियासी पंडित महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव के संकेत बता रहे हैं।

इस मुलाकात के लिए राज ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला और बेटे अमित ठाकरे और बेटी उर्वशी के साथ पहुंचे थे। उद्धव ठाकरे भी अपने परिवार के साथ पहुंचे, जिसमें उनकी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य और तेजस साथ रहे।

इस दौरान राज ठाकरे ने कहा, "मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं, जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने किया। हम दोनों को साथ लाने का काम।"

 राज ठाकरे ने कहा, "मुझे हिंदी से कोई शिकायत नहीं है, कोई भी भाषा बुरी नहीं होती। भाषा को बनाने में बहुत मेहनत लगती है। मराठा साम्राज्य के दौरान हम मराठी लोगों ने कई राज्यों पर राज किया, लेकिन हमने उन हिस्सों पर मराठी कभी नहीं थोपी। उन्होंने हम पर हिंदी थोपने का प्रयोग शुरू किया और यह परखने की कोशिश की कि अगर हम इसका विरोध नहीं करेंगे तो वे मुंबई को महाराष्ट्र से अलग कर देंगे।"

उन्होंने कहा, "वे कहते हैं कि हमारे बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़े हैं। तो क्या हुआ? दादा भुसे मराठी स्कूलों में पढ़े और मंत्री बने। देवेंद्र फड़नवीस अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़े और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। तो क्या हुआ?"

राज ठाकरे ने कहा, "मैं आपको बता दूं कि मैंने मराठी स्कूल में पढ़ाई की है, लेकिन मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे और चाचा बालासाहेब ठाकरे अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़े थे। क्या कोई उनके मराठी प्रेम पर सवाल उठा सकता है? कल मैं हिब्रू भी सीखूंगा। क्या कोई मेरे मराठी गर्व पर सवाल उठाएगा?"

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा, "हम साथ रहने के लिए साथ आए हैं।" बता दें, महाराष्ट्र सरकार द्वारा हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के लिए दो सरकारी प्रस्तावों को रद करने के बाद, उद्धव ठाकरे गुट (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) ने मुंबई के वर्ली डोम में एक संयुक्त रैली की।

उद्धव ठाकरे ने कहा, "आप पहले ही हमारा काफी इस्तेमाल कर चुके हैं। अगर आपको बालासाहेब ठाकरे का समर्थन नहीं मिला होता, तो महाराष्ट्र में आपको कौन जानता था। आप हमें हिंदुत्व के बारे में सिखाने वाले कौन होते हैं? जब मुंबई में दंगे हो रहे थे, तब हम मराठी लोगों ने महाराष्ट्र के हर हिंदू को बचाया था, चाहे वह कोई भी हो। अगर आप मराठी लोगों को 'गुंडा' कह रहे हैं जो अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, न्याय मांग रहे हैं। तो हां, हम 'गुंडा' हैं।


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अर्जेंटीना में मोदी- फुटबॉल का दीवाना देश, करप्शन-पॉलिटिक्स में बर्बाद

70 के दशक में नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री साइमन कुजनेट्स ने यह बात मजाक में कही थी, लेकिन अर्जेंटीना के हालात बयान करने के लिए यह एक मशहूर वन लाइनर बन गया।

जापान 2 परमाणु हमले झेलकर भी दुनिया का टॉप अमीर देश बन गया, जबकि 100 साल पहले अमेरिका के साथ सुपरपावर बनने की रेस में रहा अर्जेंटीना पिछड़ता चला गया।

अर्जेंटीना ने 20वीं सदी में ऐसा पतन झेला, जिसकी इतिहास में दूसरी मिसाल मिलना काफी मुश्किल है। पिछले 100 साल में यह देश 7 बार दिवालिया हो चुका है। यहां 6 तख्तापलट हो चुके हैं।

यह देश नेचुरल रिसोर्सेज से मालामाल होने के साथ दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण भौगोलिक लोकेशन पर मौजूद है। इसके बाद भी अस्थिर आर्थिक नीतियों से इसे मुश्किलों में फंसाए रखा है। पॉलिटिक्स, करप्शन और फुटबॉल का इसमें बड़ा योगदान है।

यूरोप को अनाज बेच दुनिया का अन्न भंडार बना

अर्जेंटीना के विशाल उपजाऊ मैदान को पम्पास कहा जाता है। यह पूरी दुनिया में सबसे उपजाऊ मैदानों में से एक है। प्रथम विश्वयुद्ध में जब यूरोपीय देश जंग में उलझे थे तो वहां खेती और कारोबार ठप हो गया था। यूरोप की इस हालत का अर्जेंटीना ने फायदा उठाया।

अर्जेंटीना से गेहूं, मांस, ऊन बड़े पैमाने पर यूरोप भेजे जाने लगे। अर्जेंटीना को ‘दुनिया की ग्रेनरी' यानी ‘अन्न भंडार’ कहा जाने लगा। अर्जेंटीना में जब पैसे आए तो वहां यूरोप की कंपनियां पहुंचीं। उन्होंने रेल लाइनें, सड़कें और बंदरगाह बनाने में काफी निवेश किया।

ब्यूनस आयर्स, रोसारियो और कोरडोबा जैसे शहर यूरोपीय शहरों को टक्कर देने लगे। इस दौरान यूरोप से लाखों प्रवासी अर्जेंटीना आए। अर्जेंटीना की तरक्की देख कई एक्सपर्ट्स दावे करने लगे कि यह देश अमेरिका के साथ अगला सुपरपावर बनेगा।

यूरोपीय देशों की बराबरी की, मंदी से तबाह हुआ

एंगस मैडिसन जैसे इतिहासकारों की रिसर्च के मुताबिक 1925 में अर्जेंटीना की GDP कनाडा, ब्रिटेन, स्पेन, इटली जैसे यूरोपीय देशों के लगभग बराबर हो चुकी थी। अर्जेंटीना दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल हो चुका था। लेकिन कुछ ही समय में स्थिति बदलने वाली थी।

साल 1929 में अमेरिका में ‘द ग्रेट डिप्रेशन’ आया। इस महामंदी ने दुनिया की इकोनॉमी हिला दी। यूरोप और अमेरिका के पास पैसा कम हुआ तो डिमांड घटी। अर्जेंटीना को कम ऑर्डर मिलने लगे। वैश्विक व्यापार ठप होने से अर्जेंटीना का कृषि निर्यात अचानक गिर गया।

किसानों की आमदनी घटी, बेरोजगारी बढ़ी। अच्छी जिंदगी जीने की आदत डाल चुके लोगों में सरकार के लिए गुस्सा भर गया। आर्मी चीफ जनरल जोस फेलिक्स उरिबुरु ने इसका फायदा उठाया। उन्होंने राष्ट्रपति हिपोलिटो यरीगोयेन को गिरफ्तार कर लिया और राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। इस तख्तापलट में एक बूंद खून नहीं बहा।

हालांकि, जनरल उरिबुरु भी अर्जेंटीना की हालत सुधार नहीं पाए। 1931 में जनरल ने चुनाव का ऐलान कर दिया। 1932 में अर्जेंटीना में नई सरकार बनी। हालांकि, तख्तापलट का सिलसिला जो शुरू हुआ था आगे भी जारी रहा।

1930 से लेकर 1980 के बीच अर्जेंटीना में 6 बार सैन्य तख्तापलट हुए और सरकारें बदलती रहीं। इस अस्थिरता ने निवेशकों का भरोसा तोड़ा, उद्योग और कृषि को नुकसान पहुंचाया और विकास की रफ्तार रोक दी।

अर्जेंटीना ने खुद को दुनिया से अलग-थलग किया

साल 1943 में सैन्य तख्तापलट के बाद अर्जेंटीना में सेना के कब्जे वाली सरकार बनी। सैन्य सरकार ने 1944 में राष्ट्रपति पद पर एडेल्मिरो फर्रेल को बैठाया, हालांकि असल ताकत जनरल जुआन पेरोन के हाथ में थी।

पेरोन ने अर्जेंटीना को मंदी से उबारने के लिए देश को दुनिया से अलग कर दिया। विदेशी व्यापार पर पाबंदियां और ऊंचे टैक्स लगाए, ताकि घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिल सके।

इसका शुरुआती फायदा मिला। अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था में तेजी आई और लोगों का जीवनस्तर सुधरा। फिर कुछ ही सालों में आयात घटने और विदेशी पूंजी निकलने से महंगाई और वित्तीय संकट बढ़ने लगा।

वित्तीय संकट बढ़ने से देश में पेरोन के खिलाफ माहौल बन गया। उन्होंने इससे निपटने के लिए प्रेस पर पाबंदी लगा दी। इतना ही नहीं, पेरोन ने चर्च से भी दुश्मनी मोल ले ली। पेरोन ने चर्च की ताकत कम करने के लिए कुछ कानून बनाए और चर्च ने भी खुलकर पेरोन की आलोचना शुरू कर दी। कैथोलिक अर्जेंटीना में यह बड़ा मुद्दा बन गया।

सरकार ने खर्च चलाने के लिए अंधाधुन नोट छापे

सेना शुरू में पेरोन के साथ थी, लेकिन जैसे-जैसे देश में असंतोष फैला, सेना ने दूरी बना ली। साल 1955 में सेना ने एक बार फिर से देश में तख्तापलट कर दिया। पेरोन के जाने के बाद अर्जेंटीना की राजनीति में अस्थिरता का दौर शुरू हुआ। अगली दो दशकों तक कई बार तख्तापलट और लोकतंत्र की कोशिशें होती रहीं।

1970 के दशक में सरकारों ने सामाजिक कार्यक्रम, मजदूरी बढ़ाने और कर्ज चुकाने के लिए खर्च बढ़ा दिया, लेकिन कमाई नहीं बढ़ सकी। खर्च चलाने के लिए सरकारों ने सेंट्रल बैंक से बेहिसाब नोट छपवाने शुरू किए।

लगातार नोट छापने का नतीजा 1989 में हाइपरइन्फ्लेशन के रूप में सामने आया, जब महंगाई 3000% से ज्यादा हो गई। दुकानों पर सामानों की कीमतें रोज बदलने लगीं। लोग नोटों से भरी थैलियां लेकर रोटी खरीदने जाते थे। अर्जेंटीना की करेंसी पेसो का भरोसा पूरी तरह खत्म हो गया।

साल 1991 में अर्जेंटीना के राष्ट्रपति कार्लोस मेनेम ने पेसो को अमेरिकी डॉलर से जोड़ने का फैसला किया। सरकार ने तय किया कि 1 पेसो की कीमत 1 अमेरिकी डॉलर के बराबर होगी।

पेसो की वैल्यू डॉलर के बराबर रखने से अर्जेंटीना की करेंसी बहुत मजबूत हो गई। मजबूत करेंसी का नुकसान ये हुआ कि अर्जेंटीना के सामान दुनिया में महंगे हो गए जिससे एक्सपोर्ट घटने लगा।

वहीं, अर्जेंटीना में दूसरे देशों से सामान मंगवाना सस्ता हो गया। इसका नुकसान ये हुआ कि अर्जेंटीना के लोग बड़ी संख्या में विदेशी सामान खरीदने लगे। इससे लोकल फैक्ट्रियां और उद्योग ठप पड़ गए। बेरोजगारी चरम पर पहुंच गई।

जब देश के डॉलर खत्म होने लगे और अर्थव्यवस्था चरमरा गई, तो सरकार इसे संभाल नहीं पाई। 2001 में पेसो की कीमत अचानक तेजी से गिरी। बैंकों में लूटपाट जैसे हालत हो गए और देश कर्ज चुकाने में फेल होकर दिवालिया हो गया।

फुटबॉल का अर्जेंटीना की बर्बादी में बड़ा योगदान

जुआन पेरोन से लेकर बाद के नेताओं तक, अर्जेंटीना के नेताओं ने फुटबॉल को राष्ट्रीय गौरव और जनता का ध्यान भटकाने के साधन के तौर पर इस्तेमाल किया। जैसे कि 1978 के वर्ल्ड कप से पहले देश तानाशाही, ह्यूमन राइट्स के हनन और आर्थिक संकट में था, लेकिन सरकार ने वर्ल्ड कप को प्रोपगेंडा की तरह इस्तेमाल किया।

अर्जेंटीना ने फाइनल जीता और लोग खुशी में डूब गए, जबकि देश में सेना के अत्याचार जारी रहे। 1978 के वर्ल्ड कप के लिए अर्जेंटीना ने स्टेडियम और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर आज के हिसाब से करीब 700 मिलियन डॉलर (6000 करोड़ रुपए) खर्च कर दिए, जबकि देश पहले से कर्ज और महंगाई में डूबा था।

सरकारें जनता को खुश करने के लिए फुटबॉल में भारी निवेश करती रहीं, लेकिन जरूरी सुधार या उद्योगों में निवेश नहीं किया। नतीजा ये हुआ कि फुटबॉल ने अर्जेंटीना के नेताओं को राजनीतिक लोकप्रियता दिलाई, लेकिन देश आर्थिक रूप से पीछे चला गया।

जनता भी खेल के रोमांच में खो जाती थी और असली समस्याओं जैसे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी से ध्यान हट जाता था। अर्जेंटीना का फुटबॉल क्रेज नेताओं के लिए एक ताकतवर ‘डिस्ट्रैक्शन’ बन गया। सरकारें खेल के नाम पर जनता को खुश रखने के लिए फिजूल खर्च करती रहीं, और जरूरी आर्थिक फैसलों को टालती रहीं, जिससे अर्जेंटीना लंबे समय तक आर्थिक संकट से बाहर नहीं निकल पाया।


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पुरी में बहुड़ा यात्रा शुरू-सुरक्षा में 10 हजार जवान तैनात

ओडिशा के पुरी में बहुड़ा यात्रा शुरू हो गई है। इस यात्रा में महाप्रभु जगन्नाथ का नंदीघोष रथ, बलभद्र का तालध्वज और देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ गुंडिचा मंदिर से जगन्नाथ जी के मुख्य मंदिर लौटते हैं।

रथ यात्रा की शुरुआत इस बार 27 जून को हुई थी और 28 जून को तीनों गुंडिचा मंदिर पहुंचे थे। यह जगन्नाथ मंदिर से करीब 3 किमी दूर गुंडिचा मंदिर स्थित है। यहां भगवान अपनी मौसी के यहां ठहरते हैं।

बहुड़ा यात्रा के लिए गुंडिचा मंदिर के बाहर, भक्तों की भारी भीड़ की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगभग 10,000 पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।

श्री जगन्नाथ ट्रस्ट के मुताबिक पुरी के राजा गजपति महाराजा दिव्यसिंह देब दोपहर 2.30 बजे से 3.30 बजे के बीच रथों की औपचारिक सफाई करेंगे। इसके बाद रथों पर घोड़े लगाए जाएंगे। रथ खींचने का काम शाम 4 बजे होगा।

रविवार सुबह 4 बजे गुंडिचा मंदिर में मची थी भगदड़

रविवार (29 जून) तड़के करीब 4 बजे गुंडिचा मंदिर में भगदड़ मच गई थी। इसमें 3 लोगों की मौत हुई थी, जबकि करीब 50 लोग घायल हो गए थे। यहां भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ के दर्शन करने के लिए भारी भीड़ जुट गई थी, इसी दौरान भगदड़ मची।

जगन्नाथ रथ बाद में पहुंचा, लोगों में दर्शन की होड़ लग गई

पुरी की रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथों को उनकी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के सामने 9 दिन के लिए खड़ा कर दिया जाता है। यहां बलभद्र और सुभद्रा के रथ पहले पहुंच चुके थे। जगन्नाथ रथ बाद में पहुंचा, जिससे लोगों में उसके दर्शन करने की होड़ लग गई। इसी दौरान भगदड़ मची, जिसमें गिरने से कई लोग कुचल गए।

इस साल दो दिन निकली रथ यात्रा

रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून को हो गई थी। रथ यात्रा मार्ग पर 10 लाख से ज्यादा भक्त रथों के दर्शन करने और उन्हें खींचने आए हुए थे। भक्तों की भारी भीड़ की वजह से पहले दिन रथ गुंडिचा मंदिर नहीं पहुंच पाए। अगले दिन यानी 28 जून को रथ यात्रा फिर शुरू हुई और दोपहर में करीब 1.15 बजे तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गए थे।






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PM मोदी दो दिन के अर्जेंटीना दौरे पर पहुंचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दो दिन के दौरे पर अर्जेंटीना पहुंच गए। यहां होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका स्वागत किया।

PM बनने के बाद मोदी का यह दूसरा अर्जेंटीना दौरा है। इससे पहले वे 2018 में G20 समिट में हिस्सा लेने अर्जेंटीना गए थे।

PM मोदी और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर जेवियर मिलई के बीच आज द्विपक्षीय बातचीत होगी। इसके अलावा वो भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे।

मोदी की यात्रा के दौरान भारत-अर्जेंटीना के बीच डिफेंस, एग्रीकल्चर, एनर्जी, परमाणु सहयोग, व्यापार और निवेश पर चर्चा हो सकती है। दोनों देशों में लिथियम सप्लाई पर भी समझौता संभव है।

अर्जेंटीना के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार है। मोदी 2 जुलाई से 10 जुलाई तक, 5 देशों की यात्रा पर हैं। वे घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बाद अर्जेंटीना पहुंचेंगे। इसके बाद उनका अगला पड़ाव ब्राजील है।

अर्जेंटीना में मोदी के दौरे का शेड्यूल

5 जुलाई:

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से मुलाकात करेंगे।

भारत-अर्जेंटीना बिजनेस समिट 2025 में हिस्सा लेंगे।

महत्वपूर्ण समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर करेंगे।

भारतीय मूल के लोगों के साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे

6 जुलाई :

अर्जेंटीना के विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री, और ऊर्जा मंत्री के साथ बैठक करेंगे।

लिथियम और लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की सप्लाई जैसे मुद्दों पर समझौता कर सकते हैं।

ब्राजील के लिए रवाना होंगे, जहां वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी रहते हैं। दोनों देश डिफेंस सेक्टर में सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच फरवरी, 2025 में मिलिट्री ज्वाइंट एक्सरसाइज और इक्विपमेंट पर चर्चा हुई थी।

भारत और अर्जेंटीना G20, G77 और यूनाइटेड नेशन के सदस्य हैं। 2023 में G20 समिट की मेजबानी को लेकर अर्जेंटीना ने भारत की सराहना की थी और अफ्रीकन यूनियन (AU) को G20 में सदस्यता देने का समर्थन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच ₹53 हजार करोड़ का बिजनेस

भारत, अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। दोनों देशों के बीच, 2019 और 2022 के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर 6.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (53 हजार करोड़ रुपए) पहुंच गया है।

भारत अर्जेंटीना को पेट्रोलियम तेल, कृषि रसायन और दोपहिया वाहन एक्सपोर्ट करता है, जबकि भारत, अर्जेंटीना से वनस्पति तेल (जैसे सोयाबीन और सूरजमुखी), लेदर और अनाज इंपोर्ट करता है।

दोनों देश शांतिपूर्ण न्यूक्लियर प्रोग्राम और एनर्जी में सहयोग पर भी जोर देते हैं। अर्जेंटीना, भारत की न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) सदस्यता का समर्थन करता है। भारत ने NSG सदस्यता के लिए 2016 में आवेदन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच लीथियम को लेकर दो बड़े समझौते हुए

15 जनवरी, 2024 में भारत ने अर्जेंटीना के साथ लिथियम माइनिंग खनन के लिए एक समझौता किया था।

200 करोड़ रुपए की लागत वाले इस समझौते के तहत, भारत की सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) को अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्राइन ब्लॉक आवंटित किए जाएंगे।

दोनों देशों ने लिथियम खोजने और खनन में सहयोग बढ़ाने के लिए 19 फरवरी, 2025 को एक समझौता (MoU) किया है। भारत अभी तक लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है। यह समझौता चीन पर निर्भरता कम करने के लिए किया गया था।

अर्जेंटीना 100 सालों में 9 बार दिवालिया हुआ

अर्जेंटीना 20वीं सदी की शुरुआत में दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। यह कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से भी आगे था। इसके बावजूद, 1816 में स्पेन से आजादी के बाद से अर्जेंटीना 9 बार अपने कर्ज चुकाने में नाकाम रहा है।

1930 से 1970 तक सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने, आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए इम्पोर्ट पर टैरिफ को बढ़ा दिया।

इसका सबसे बुरा असर खेती पर पड़ा। इम्पोर्ट कम होने से देश में अनाज की कमी हो गई, जिससे 1940-50 के दशक में भुखमरी के हालात बन गए।

1980 के दशक में तानाशाही के दौरान सरकारी खर्च और विदेशी कर्ज 75% तक बढ़ा। जरूरत की चीजों की कीमतें 5000% तक पहुंच गई। ब्रेड, दूध, और चावल, इस भयंकर मंहगाई से सबसे अधिक प्रभावित हुए।

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी जीडीपी 474.8 बिलियन डॉलर (लगभग 40 लाख करोड़ रुपए) और प्रति व्यक्ति जीडीपी 12 हजार डॉलर (10 लाख रुपए) है। इसके बावजूद, ये देश आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है।






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गुकेश ने जाग्रेब सुपरयूनाइटेड रैपिड चेस खिताब जीता

क्रोएशिया के जाग्रेब में चल रहे सुपरयूनाइटेड रैपिड एंड ब्लिट्ज टूर्नामेंट में भारतीय शतरंज खिलाड़ी डी गुकेश ने रैपिड खिताब जीत लिया है।

यह टूर्नामेंट ग्रैंड चेस टूर 2025 का हिस्सा है और गुकेश ने रैपिड फॉर्मेट में 18 में से 14 पॉइंट अर्जित करके खिताब अपने नाम किया।

गुकेश ने आखिरी राउंड में अमेरिकी खिलाड़ी वेस्ली सो को 36 चालों में हराकर रैपिड खिताब अपने नाम किया। गुकेश ने टूर्नामेंट में 9 मुकाबलों में से 6 में जीत हासिल की, 2 ड्रॉ रहे और एक में उन्हें हार का सामना करना पड़ा

टूर्नामेंट में पहला मुकाबला हार गए थे गुकेश

गुकेश को टूर्नामेंट के पहले ही मुकाबले में पोलैंड के जान-क्रिस्टॉफ डूडा ने 59 चालों में मात दी थी। इसके बाद गुकेश ने वापसी की। उन्होंने फ्रांस के अलीरेजा फिरोजा और भारत के प्रगनानंद को हराया।

गुकेश ने टूर्नामेंट के चौथे राउंड में उज्बेकिस्तान के नोदिरबेक अब्दुसत्तोरोव और पांचवें राउंड में अमेरिका के फेबियानो कारुआना को हराया था।

छठे राउंड में गुकेश का मुकाबला नॉर्वे के मैग्नस कार्लसन से हुआ, जिसमें भारतीय ग्रैंडमास्टर ने जीत हासिल की। गुकेश ने कार्लसन को एक महीने के अंदर दूसरी बार हराया है। गुकेश ने कार्लसन को 2 जून को नॉर्वे चेस टूर्नामेंट में भी हराया था।

तीसरे दिन दोनों मुकाबले ड्रॉ रहे

टूर्नामेंट के तीसरे दिन (4 जुलाई) गुकेश के दोनों मुकाबले ड्रॉ रहे। उनकी इस दिन की शुरुआत डच ग्रैंडमास्टर अनीश गिरी के खिलाफ ड्रॉ के साथ हुई। उसके बाद क्रोएशिया के इवान शारिक के खिलाफ उन्होंने 87 चालों वाला लंबा मुकाबला खेला। यह मैच भी ड्रॉ रहा।

प्रगनानंद ने सिर्फ एक जीत हासिल की

इस टूर्नामेंट में प्रगनानंद का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। उन्होंने 9 मैचों में सिर्फ एक जीत इवान शारिक के खिलाफ दर्ज की। वहीं, 7 मुकाबले ड्रॉ खेले, जबकि एक में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कुल 9 अंक अर्जित किए। प्रगनानंद बुखारेस्ट फेज में विनर और वारसॉ में तीसरे स्थान पर रह चुके हैं। इससे वह ग्रैंड चेस टूर के ओवरऑल रैंकिंग में अब भी प्रबल दावेदार बने हुए हैं।

कार्लसन और डूडा किस पोजिशन पर रहे

मैग्नस कार्लसन ने टूर्नामेंट के आखिरी दिन (4 जुलाई) अमेरिकी प्लेयर फैबियानो कारुआना के खिलाफ जीत से शुरुआत की, लेकिन अगले गेम में नोदिरबेक अब्दुसत्तोरोव से ड्रॉ खेलकर वह गुकेश को चुनौती नहीं दे पाए। वहीं, डूडा, जिन्होंने पहले राउंड में गुकेश को हराया था, उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया और दूसरे स्थान पर रहे।

अब टूर्नामेंट का ब्लिट्ज फेज खेला जाएगा

इस टूर्नामेंट का ब्लिट्ज चरण शनिवार से शुरू होगा और 6 जुलाई को खत्म होगा। रैपिड और ब्लिट्ज – दोनों फॉर्मेट से अर्जित अंकों के आधार पर ओवरऑल विनर का फैसला होगा।



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गाजियाबाद में अब घर बनाना होगा आसान, नए भवन निर्माण नियम लागू

उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण भवन निर्माण एवं विकास उपविधियां तथा आदर्श जोनिंग रेगुलेशंस 2025 लागू करने का शासनादेश विशेष सचिव राजेश कुमार राय ने कैबिनेट की मंजूरी के बाद जारी किया।

जीडीए समेत आवास विकास परिषद के हजारों आवंटियों को इसका लाभ मिलेगा। नए बायलाज के मुताबिक अब नियमानुसार एक हजार वर्ग मीटर में ग्रुप हाउसिंग और घर में दुकान खोलने की भी मंजूरी दी गई है।

फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) ढाई से पांच होने पर शहर में भी उंची इमारताें का निर्माण हो सकेगा। मकान निर्माण के लिए ग्राउंड कवरेज की बाध्यता समाप्त होने के साथ ही अब सैटबैक को छोड़कर लोग पूरे भूखंड पर घर बना सकेंगे। इसके साथ ही छोटे भूखंड पर अपार्टमेंट का निर्माण किया जा सकेगा।

इससे मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोग लाभांवित होंगे, जो कम बजट में घर बना सकेंगे, जिसके निर्माण की प्रक्रिया भी आसान होगी। शासनादेश के मुताबिक नौ मीटर चौड़ी सड़क पर बिना बेड का अस्पताल और प्राइमरी स्कूल व सड़क किनारे 12 मीटर मार्ग पर इंटर कालेज व डिग्री कालेज और तकनीकी संस्थान के लिए पांच हजार वर्ग मीटर भूखंड में निर्माण हो सकेगा।

शासनादेश के मुताबिक औद्योगिक इकाइयों और चिकित्सालयों को पूर्णता प्रमाण पत्र देने की तिथि से 10 वर्ष में भवन का स्ट्रक्चरल आडिट कराना अनिवार्य होगा। इसके अलावा आवासीय परिसर में दुकान को भी मंजूरी दी गई है, लेकिन इसके लिए 90 मीटर के भूखंड और सामने नौ मीटर चौड़ी सड़क पर दुकान का निर्माण किया जा सकेगा। बड़ा भूखंड होने पर सड़क की चौड़ाई 12 मीटर होनी आवश्यक है।

एक हजार वर्ग मीटर के भूखंड पर ग्रुप हाउसिंग

नए बायलाज के अनुसार अब ग्रुप हाउसिंग एक हजार वर्ग मीटर के भूखंड पर की जा सकेगी। पहले इसके लिए दो हजार वर्ग मीटर भूखंड होने की बाध्यता थी। पुराने शहरी क्षेत्र (बिल्टअप एरिया) में एक हजार और अन्य क्षेत्रों में 1500 वर्गमीटर भूखंड पर ग्रुप हाउसिंग की अनुमति होगी।

औद्योगिक इकाइयों के लिए 300 की जगह 150 वर्गमीटर भूखंड और चिकित्सालय और शापिंग माल के लिए 20 हजार वर्ग मीटर की जगह तीन हजार वर्गमीटर भूखंड का निर्माण हो सकेगा। अब पहली मंजिल पर पार्किंग यानि स्टिल्ट पार्किंग को भी नए बायलाज के अनुसार मंजूरी मिली है। लोग अपने मकानों में इसका निर्माण कर सकेंगे। वहीं, अब शत प्रतिशत बेसमेंट के निर्माण की भी सुविधा मिलेगी।

भवन निर्माण के लिए 15 दिन में अनापत्ति प्रमाण पत्र देंगे विभाग

भवन निर्माण के लिए सरकारी विभागों को अब सात से 15 दिन में अनापत्ति प्रमाण पत्र देना होगा। देरी होने पर इसे स्वत: ही एनओसी मिलना माना जाएगा। वहीं, 100 वर्ग मीटर के आवासीय और 30 वर्ग मीटर के व्यवसायिक भवन निर्माण के लिए सिर्फ पंजीकरण कराना होगा।

महायोजना में आवासीय भू उपयोग के तहत 300 वर्गमीटर के भूखंड पर एकल आवासीय भवन नक्शा तय शुल्क अदा करने पर पास हो जाएगा। इसके अलावा स्वीकृत लेआउट वाले क्षेत्रों में 500 वर्गमीटर के आवासीय व 200 वर्ग मीटर के व्यवसायिक भवन निर्माण के लिए लाइसेंस प्राप्त आर्किटेक्ट का बनाया नक्शा आनलाइन प्रक्रिया के तहत पास होगा। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के साथ ही समय की भी बचत होगी।

नए बायलाज से कुछ खास

पूरे उत्तर प्रदेश के लिए एक जैसे भवन निर्माण नियम

ग्रीन बिल्डिंग, सोलर पैनल और रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य

डिजास्टर सेफ और विकलांगजन के लिए अनुकूल बिल्डिंग डिजाइन

आनलाइन नक्शा पास कराने की सुविधा

जनता से 30 दिन में सुझाव और आपत्तियां मांगी गईं

छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों तक यह नियम लागू होंगे

जीडीए की बोर्ड बैठक में उत्तर प्रदेश विकास प्राधिकरण भवन निर्माण एवं विकास उपविधियां 2025 का शासनादेश को रखकर अवगत कराया जाएगा। इससे गाजियाबाद के लोगों को लाभ मिलेगा। छोटे भूखंड वाले लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा और अब तेजी के साथ इमारतें भी बनती नजर आएंगी।




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रणबीर कपूर की 'रामायण' बनी भारत की सबसे महंगी फिल्म

दंगल और छिछोरे जैसी फिल्में बनाने जाने वाले नितेश तिवारी पहली बार किसी पौराणिक फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं। रामायण (Ramayana) उनके करियर की मोस्ट एंटीसिपेटेड और एक्सपेंसिव मूवी है। सिर्फ नितेश तिवारी ही नहीं, बल्कि रामायण भारतीय सिनेमा की भी सबसे महंगी फिल्म साबित हो गई है। मेकर्स ने इस फिल्म को बनाने में इतना पैसा लगाया है कि जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे।

रणबीर कपूर स्टारर रामायण दो भागों में बन रही है। पहला भाग 2026 और दूसरा भाग 2027 में रिलीज होगा। कास्ट शानदार है। वीएफएक्स भी कमाल का है, सिनेमैटोग्राफी और बाकी चीजों की बारीकियों को पर्दे पर दिखाने की फुल प्लानिंग है। ऐसे में मेकर्स ने रामायण को सबसे बेहतर ढंग से सिल्वर स्क्रीन पर दिखाने के लिए बजट के बारे में जरा भी नहीं सोचा है। इस फिल्म पर मेकर्स इतना पैसा लगा रही है कि उतना तो सुपरहिट फिल्म भी नहीं कमा पाती है।

रामायण का बजट

बॉलीवुड हंगामा की रिपोर्ट के मुताबिक, रामायण फ्रेंचाइजी के लिए मेकर्स ने 100-200 करोड़ नहीं बल्कि पूरे 1600 करोड़ रुपये का बजट लगाया है। सिर्फ रामायण के पहले भाग (Ramayana Part 1 Budget) का बजट 900 करोड़ रुपये है, जबकि सीक्वल के लिए 700 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं। यह भारी भरकम खर्च 'रामायण' को भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे महंगी सीरीज बनाता है।

रामायण का इतना भारी बजट स्टार कास्ट से लेकर प्रोडक्शन और वीएफएक्स सब मिलाकर 1600 करोड़ रुपये है। बजट दूसरे में कम लग रहा है क्योंकि सीक्वल में सारे स्टार कास्ट दिखाई देंगे और कुछ बड़े एक्शन सीक्वेंस है जिन पर खर्च हो रहा है।

रामायण की स्टार कास्ट

इस फिल्म का निर्माण नमित मल्होत्रा केजीएफ स्टार यश की प्रोडक्शन कंपनी मॉन्स्टर माइंड क्रिएशंस और प्राइम फोकस स्टूडियोस के साथ मिलकर कर रहे हैं। फिल्म के म्यूजिक का जिम्मा एआर रहमान और हंस जिमर के कंधे पर है। फिल्म का निर्देशन नितेश तिवारी कर रहे हैं। बात करें स्टार कास्ट की तो आप यहां उसकी लिस्ट देख सकते हैं।

रणबीर कपूर - भगवान राम

साई पल्लवी - माता सीता

यश - रावण

रवि दुबे - लक्ष्मण

सनी देओल - हनुमान

मोहित रैना - भगवान शिव

काजल अग्रवाल - मंदोदरी

रकुल प्रीत सिंह - शूर्पणखा

लारा दत्ता - कैकेयी

अमिताभ बच्चन - जटायू

अनिल कपूर - राजा जनक

कुणाल कपूर - भगवान इंद्र

विवेक ओबरॉय - विद्युतजिह्वा

अरुण गोविल - राजा दशरथ

आदिनाथ कोठारे - भरत

राम्या कृष्णन - कौशल्या

शीबा चड्ढा - सुमित्रा

बॉबी देओल - कुम्भकरण


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दूसरे दिन गिरे 12 विकेट, वेस्‍टइंडीज पहली पारी में 253 रन पर ढेर,ऑस्‍ट्रेलिया की खराब शुरुआत

ऑस्‍ट्रेलिया क्रिकेट टीम इन दिनों वेस्‍टइंडीज के दौरे पर है। दोनों टीमों के बीच 3 टेस्‍ट मैचों की सीरीज खेली जा रही है। नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, सेंट जॉर्जेस, ग्रेनेडा में खेले जा रहे दूसरे टेस्‍ट के दूसरे दिन स्‍टंप तक ऑस्‍ट्रेलिया ने दूसरी पारी में 2 विकेट खोकर 12 रन बना लिए हैं। कंगारू टीम के पास 45 रन की लीड है।

286 रन पर सिमटी थी ऑस्‍ट्रेलिया

पहले दिन स्‍टंप तक ऑस्‍ट्रेलिया टीम पहली पारी में 286 रन पर सिमट गई थी। दूसरे दिन की शुरुआत वेस्‍टइंडीज की पहली पारी के साथ हुई। ब्रैंडन किंग के अर्धशतक की बदौलत वेस्‍टइंडीज टीम ने पहली पारी में 253 रन बनाए। उनके अलावा कोई भी बल्‍लेबाज कुछ खास कमाल नहीं कर पाया। जॉन कैम्पबेल अर्धशतक के करीब पहुंचकर कैच आउट हो गए। उन्‍होंने 52 गेंदों पर 40 रन बनाए।

क्रैग ब्रैथवेट का नहीं खुला खाता

वेस्‍टइंडीज की शुरुआत खराब रही और दूसरे ही ओवर में टीम को पहला झटका लगा। जोश हेजलवुड ने क्रैग ब्रैथवेट को कॉट एंड बोल्‍ड आउट किया। क्रैग ब्रैथवेट ने 8 गेंदों का सामना किया और वह खाता तक नहीं खोल पाए। कीसी कार्टी ने 6, कप्‍तान रोस्टन चेज ने 16, शाई होप ने 21, जस्टिन ग्रीव्स ने 1, अल्‍जारी जोसेफ ने 27 और एंडरसन फिलिप ने 10 रन बनाए।

जेडन सील्स 7 रन बनाकर नाबाद रहे। ऑस्‍ट्रेलिया के स्पिनर नाथन लियोन ने 3 विकेट अपने नाम किए। उनके अलावा कप्‍तान पैट कमिंस और तेज गेंदबाज जोश हेजलवुड के खाते में 2-2 विकेट आए। मिचेल स्‍टार्क, ब्यू वेबस्टर और ट्रेविस हेड को 1-1 सफलता मिली।

दूसरी पारी में खराब शुरुआत रही

पहली पारी के आधार पर ऑस्‍ट्रेलिया को 33 रन की बढ़त मिली। हालांकि, दूसरी पारी में कंगारुओं की शुरुआत खराब रही। 4 रन के भीतर ही टीम के 2 विकेट गिर गए। पहले ही ओवर में जेडेन सील्स ने सैम कोनस्टास को बोल्‍ड किया। पहली पारी में 25 रन बनाने वाले सैम कोनस्टास का दूसरी पारी में खाता भी नहीं खुला। तीसरे ओवर में उस्‍मान ख्‍वाजा (2) को सील्‍ड ने LBW आउट किया। स्‍टंप तक कैमरून ग्रीन 6 और नाथन लियोन 2 रन बनाकर नाबाद हैं।


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अंक ज्योतिष – आपके जन्म की संख्या में छिपे जीवन के राज़

उपभोक्ता जनघोष:  क्या आपने कभी सोचा है कि आपके जन्म की तारीख सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि आपके जीवन की दिशा और स्वभाव की चाबी हो सकती है? यही है अंक ज्योतिष की खूबसूरती।

अंक ज्योतिष (Numerology) एक प्राचीन विज्ञान है, जो मानता है कि हर संख्या एक ऊर्जा रखती है – एक कम्पन, जो हमारे जीवन, व्यक्तित्व और भविष्य को प्रभावित कर सकती है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण होती है आपकी जन्मतिथि। आपकी जन्म की तारीख को जोड़कर निकाला गया मूलांक (Life Path Number) आपके स्वभाव, सोचने के तरीके और जीवन के सफर के कई पहलुओं को बताता है।

कैसे पता करें अपना मूलांक?

मान लीजिए आपकी जन्मतिथि है: 17 जुलाई 1990

तो इसे ऐसे जोड़ते हैं:

1 + 7 + 0 + 7 + 1 + 9 + 9 + 0 = 34

3 + 4 = 7

तो आपका मूलांक हुआ 7

मूलांक और उनका अर्थ (संक्षेप में):

1: जन्मजात लीडर, आत्मविश्वासी, नया करने की सोच

2: भावनात्मक, सहयोगी, शांतिप्रिय

3: रचनात्मक, बोलने में माहिर, खुशमिजाज

4: मेहनती, व्यवस्थित, धरातल से जुड़ा

5: आज़ाद ख्याल, घुमक्कड़, बदलाव पसंद

6: जिम्मेदार, पारिवारिक, प्रेमपूर्ण

7: गहराई से सोचने वाले, रहस्यप्रिय, आध्यात्मिक

8: महत्वाकांक्षी, शक्ति और पैसा आकर्षित करता है

9: सेवाभावी, परोपकारी, दयालु

क्यों करें अंक ज्योतिष को अपनाना?

अक्सर हम खुद को नहीं समझ पाते, या ये नहीं जान पाते कि हमें क्या करना चाहिए, किस दिशा में बढ़ना चाहिए। अंक ज्योतिष हमें खुद को समझने का एक रास्ता देता है – हमारे टैलेंट, कमजोरी, और कर्मों की दिशा तक।

मेरी राय:

मैंने जब खुद अंक ज्योतिष को समझना शुरू किया, तो लगा जैसे कोई मुझे आइना दिखा रहा हो – बिना जज किए, सिर्फ सच्चाई के साथ। आज जब भी कुछ नया शुरू करती हूं, पहले अपने अंकों से सलाह जरूर लेती हूं।

Edit By Priya Singh 

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सी पी एस आर ने किया लेख प्रतियोगिता का आयोजन

उपभोक्ता जनघोष:-  संवाददाता गाजियाबाद: गाजियाबाद के राज नगर एक्सटेंशन में स्थित काउंसिल फॉर पैरानॉर्मल एंड स्पिरिचुअल रिसर्च सोसाइटी में आज लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें सोसाइटी के सभी सदस्यों ने भाग लिया और ज्योतिष, परा विज्ञान, अंक ज्योतिष, हेल्थ जैसे टॉपिक पर अपने अपने लेख लिखे। जिसमें विशाल आमलेकर ( मध्य प्रदेश) ने प्रथम स्थान, मानसी नायडू (गुड़गांव) ने द्वितीय और ऋतिका जैन ( गाजियाबाद) ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। इन सभी को सोसाइटी के डायरेक्टर वैभव भारद्वाज ने सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया। साथ साथ अन्य सभी भाग लेने वाले सदस्यों को भी सर्टिफिकेट देकर हौसला बढ़ाया। इस अवसर पर सोसाइटी के सभी पदाधिकारी और सदस्य मौजूद रहे।

Edit By Priya Singh 

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