इजरायल ने परमाणु ठिकाने किए ध्वस्त, तो ईरान ने आयरन डोम को चकमा देकर किया बड़ा हमला

शुक्रवार को इजरायल ने ईरान पर ताबड़तोड़ हमले किए थे। इसके जवाब में ईरान ने शनिवार सुबह इजरायल पर मिसाइल हमले किए, जिसमें विशेष रूप से इजरायल के उत्तरी क्षेत्र को निशाना बनाया गया।

ईरान के हमले को देखते हुए इजरायल के उत्तरी क्षेत्र में सायरन बजने लगे हैं और वहां की सरकार ने लोगों से बंकरों में शरण लेने का आग्रह किया है। यह घटना ईरान द्वारा इजरायल के विरुद्ध सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलों के दागे जाने के कुछ ही घंटों बाद हुई, जिससे मिडिल-ईस्ट में संघर्ष बढ़ने और वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित होने का खतरा है।

ईरान ने इजरायल के शहरों को बनाया निशाना

मिडिल-ईस्ट से कई तरह के वीडियोज सामने आए हैं, जिसमें साफतौर से देखा जा सकता है कि इजरायल के कई बड़े शहरों को निशाना बनाकर मिसाइल हमले किए गए हैं। इससे पहले इजरायल ने ईरान पर हमला कर कई शीर्ष ईरानी जनरल को मार गिराया था।

ईरान द्वारा किए गए हमले के बाद इजरायली सेना ने कहा, "पिछले एक घंटे में ईरान ने इजरायल पर दर्जनों मिसाइलें दागी हैं, जिनमें से कुछ को रोक दिया गया।" ईरान ने इजरायल के तेल अवीव और यरुशलम में हमले किए हैं।

इस बीच ईरान में सरकारी मीडिया ने बताया कि जवाबी हमले की आशंका को देखते हुए हवाई सुरक्षा को फिर से सक्रिय कर दिया गया है। दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव ने आक्रामकता को और आगे बढ़ा दिया है।

जानें अभी तक क्या-क्या हुआ...

शनिवार तड़के इजरायल के दो सबसे बड़े शहर तेल अवीव और यरुशलम में हवाई हमले के सायरन बजने लगे।

दोनों शहरों को लोगों को सायरन बजते ही सुरक्षित स्थान पर भागना पड़ा।

इजरायली सेना ने कहा कि उसकी वायु रक्षा प्रणालियां ईरानी मिसाइलों को रोकने के लिए काम कर रही हैं।

इजरायली सेना के अनुसार, ईरान की ओर से दर्जनों मिसाइलें दागी गईं, जिनमें से कुछ को रोक दिया गया।

ईरान के इन हमलों में इजरायल में क्या नुकसान हुआ है और हताहतों की संख्या क्या है, इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

इजरायली मीडिया के अनुसार, तेल अवीव में एक संदिग्ध मिसाइल गिरी।

रॉयटर्स ने बताया कि एक प्रत्यक्षदर्शी ने जेरूसलम में एक जोरदार धमाका सुना।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरानियों से कहा है कि इजरायली हमलों के बाद अभी और हमले होने वाले हैं।

इजरायल का आयरन डोम डिफेंस सिस्टम हुआ विफल

ईरान ने तेल अवीव में इजरायली रक्षा मुख्यालय पर हमला किया है, जिसे रोकने में आयरन डोम एअर डिफेंस सिस्टम भी विफल हो गया। ईरान की जवाबी कार्रवाई 24 घंटे के भीतर ईरान पर इजरायली हवाई हमलों की दो लहरों के बाद हुई है।


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ईरान ने किया इजरायल पर 'आसमानी प्रहार', 100 से ज्यादा ड्रोन बरसा रहे बारूद

इजरायल की ओर से शुक्रवार को ईरान पर जबरदस्त हवाई हमला हुआ. इस हमले में ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया गया. इसके अलावा इस हमले में परमाणु बम बनाने में लगे वैज्ञानिकों की भी जान चली गई. वहीं, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के चीफ और चीफ ऑफ स्‍टाफ्स इजरायल के इस मिसाइल अटैक में मारे गए. अब ईरान ने भी इस हमले पर पलटवार करते हुए 100 से ज्यादा ड्रोन इजरायल पर लॉन्च कर दिए हैं.

इजरायली सेना ने की पुष्टि

इजरायली सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल एफी डेफ्रिन ने बताया कि ये सभी ड्रोन इजरायल की सीमा की ओर बढ़ रहे हैं और उन्हें रोकने की हरसंभव कोशिश की जा रही है. ईरान पर हमले को लेकर इजरायली सेना का कहना है कि उन्होंने परमाणु ठिकानों, बैलेस्टिक मिसाइल फैक्ट्रियों और ईरानी सेना के उच्च अधिकारियों को टारगेट किया. इस ऑपरेशन को इजरायल ने “Rising Lion” नाम दिया है और इसे एक लंबे अभियान की शुरुआत बताया है.

200 फाइटर जेट्स से हमला

शुक्रवार की सुबह इजरायल ने 200 फाइटर जेट्स की मदद से ईरान में 100 जगहों पर जोरदार हमला किया. ईरानी मीडिया और चश्मदीदों के अनुसार, नतांज स्थित यूरेनियम संवर्धन संयंत्र सहित कई जगहों पर जोरदार धमाके हुए. ईरान की एलीट रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने पुष्टि की है कि उनके टॉप कमांडर हुसैन सलामी इस हमले में मारे गए हैं. इसके अलावा राजधानी तेहरान में स्थित उनके मुख्यालय को भी निशाना बनाया गया.

खामेनेई ने कहा भुगतना होगा

ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्ला अली खामेनेई ने इजरायल के हमले पर कहा कि इजरायल को अब इस हमले का अंजाम भुगतना होगा. उन्होंने कहा कि इजरायल ने ईरान के खिलाफ खूनी संघर्ष छेड़ दिया है और अब इजरायल को “घातक अंजाम” के लिए तैयार रहना होगा.

एक्स पर पोस्ट करते हुए ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने लिखा कि इजरायली हमलों में कई कमांडर और वैज्ञानिक मारे गए हैं. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे. मैं चाहता हूं कि उनके उत्तराधिकारी और सहकर्मी बिना किसी देरी के अपने काम शुरू कर दें.


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अमेरिका हिंसा- 12 राज्यों के 25 शहरों में प्रदर्शन

अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के शहर लॉस एंजिल्स में हिंसक विरोध-प्रदर्शन (Los Angeles Protest) जारी है. हालात इस हद तक बिगड़ गए हैं कि लॉस एंजिल्स के मेयर करेन बास ने विरोध प्रदर्शन के दौरान हो रही लूटपाट और हिंसा से निपटने के लिए शहर के कई हिस्सों में कर्फ्यू तक लगा दिया है. दरअसल लॉस एंजिल्स शहर में इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन के कदमों के खिलाफ हिंसक विरोध-प्रदर्शन जारी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अधिकारी दावा कर रहे हैं कि इस शहर में दूसरे देशों (खासकर लैटिन अमेरिका) से आए कई अवैध प्रवासी रह रहे हैं और अब उनको निकालने की तैयारी है.

सवाल है कि अमेरिका के कुछ सबसे धनी और सबसे शक्तिशाली लोगों का घर- लॉस एंजिल्स ट्रंप की सबसे सख्त आप्रवासन कार्रवाई (अवैध प्रवासियों को निकालने) का केंद्र क्यों बन गया है? इस सवाल का जवाब इस शहर की जातीय, नस्लीय और जनसांख्यिकीय संरचना में छिपा हुआ है.

लॉस एंजिल्स की आबादी की बनावट

लॉस एंजिल्स काउंटी दक्षिणी कैलिफोर्निया के 4,000 वर्ग मील में फैली हुई है. इस लॉस एंजिल्स काउंटी में लॉस एंजिल्स शहर के साथ-साथ पॉश बेवर्ली हिल्स, हॉलीवुड, लॉन्ग बीच, मालिबू, पासाडेना, सांता मोनिका और कई अन्य समुदाय शामिल हैं. अमेरिकी जनगणना के अनुसार, लॉस एंजिल्स काउंटी लगभग 1 करोड़ लोगों का घर है- यानी कैलिफोर्निया की आबादी का 27 प्रतिशत. खास बात है कि इनमें से एक तिहाई विदेशी मूल के व्यक्ति हैं. 

लॉस एंजिल्स काउंटी का दिल है लॉस एंजिल्स शहर. जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि लॉस एंजिल्स शहर, जो अभी अस्थिर आप्रवासन विरोधी विरोध प्रदर्शनों का केंद्र है, लगभग 39 लाख लोगों का घर है. इनमें से 35 प्रतिशत से अधिक लोग अमेरिका के बाहर पैदा हुए थे. यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया डोर्नसाइफ के 2020 की एक स्टडी के अनुसार, इसमें लगभग 900,000 बिना डॉक्यूमेंट वाले अप्रवासी हैं, जिनमें से कई एक दशक से अधिक समय से अमेरिका में रह रहे हैं. यानी उन्हें कानून जब चाहे सरकार अमेरिका से निकाल सकती है. लॉस एंजिल्स में हर पांच में से लगभग एक व्यक्ति ऐसे परिवार में रहता है जहां कम से कम एक सदस्य के पास कोई डॉक्यूमेंट नहीं है.

यूएसए टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, लॉस एंजिल्स के आधे से अधिक विदेशी मूल के निवासी प्राकृतिक नागरिक (naturalised citizens) हैं यानी उनका जन्म अमेरिका में हुआ है और उन्हें यहां कि नागरिकता मिल गयी है. लॉस एंजिल्स के 18 लाख से अधिक निवासी हिस्पैनिक या लातीनी हैं, लगभग 50 लाख एशियाई, मूल हवाईयन या अन्य प्रशांत द्वीपवासी हैं. 11.5 लाख से अधिक लोग कहते हैं कि वे "कोई अन्य जाति" हैं, और उनमें से 50 लाख से अधिक लोग दो या दो से अधिक जातियों से संबंधित हैं. शहर में 56 प्रतिशत से अधिक लोग घर पर अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषा बोलते हैं - मुख्यतः स्पेनिश.

लॉस एंजिल्स में विरोध प्रदर्शन कैसे शुरू हुआ?

विरोध प्रदर्शन शुक्रवार को तब शुरू हुआ जब इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) अधिकारियों ने शहर के प्रमुख लातीनी आबादी वाले क्षेत्रों में छापेमारी की. इन छापों के बाद दर्जनों गिरफ्तारियां हुईं, जिनके बारे में अधिकारियों का कहना है कि ये अवैध प्रवासी और गैंग के सदस्य हैं.

शहर के निवासियों ने गिरफ्तारियों का जवाब नारेबाजी और अंडे फेंककर दिया. पुलिस अधिकारियों को काली मिर्च के स्प्रे और गैर-घातक गोला-बारूद का उपयोग करके भीड़ को तितर-बितर करने के लिए मजबूर होना पड़ा. विरोध प्रदर्शन पांच दिनों से चल रहा है, जो शहर के निचले हिस्से और भारी लातीनी उपनगर पैरामाउंट तक फैल गया है.

जनवरी में व्हाइट हाउस लौटने के बाद से, ट्रंप ने अवैध रूप से अमेरिका में रहने वाले रिकॉर्ड संख्या में लोगों को देश से निकालने करने और यूएस-मेक्सिको सीमा को बंद करने का वादा किया है, जिसमें कम से कम 3,000 हर दिन गिरफ्तारियों का लक्ष्य रखा गया है.


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चीन में मिला वायरस इंसानों में फैलने से एक-कदम दूर

कोरोना के बाद चीन में एक नया वायरस मिला है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि HKU5-CoV-2 नाम का यह वायरस इंसानों को संक्रमित कर सकता है।

फिलहाल यह वायरस चमगादड़ों में पाया गया है, लेकिन एक छोटे से बदलाव (म्यूटेशन) के बाद यह इंसानों में फैल जाएगा। यह वायरस MERS (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) से मिलता-जुलता है।

इस वायरस को सबसे पहले चीन के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्रों में चमगादड़ों में पाया गया था। इसे वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने पहचाना था। यह वही लैब है, जहां से कोविड-19 के लीक होने की आशंका जताई जाती है।

यह खबर ऐसे समय में आई है, जब एशिया के सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग, चीन, थाईलैंड और इंडिया में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अकेले भारत में एक्टिव केस की संख्या 5 हजार से ज्यादा हो गई है।

HKU5-CoV-2 का लाइनेज 2 टाइप इंसानों को संक्रमित करने में सक्षम

HKU5-CoV-2 यह वायरस मर्बेको वायरस फैमिली का हिस्सा है, जिसमें मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS-CoV) जैसे घातक वायरस शामिल हैं। MERS-CoV मुख्य रूप से चमगादड़ों में पाया जाता है।

यह ऊंटों के जरिए इंसानों में फैलता है। ऊंट इसके रिजरवायर (जहां निष्क्रिय वायरस रहते है) माने जाते हैं। MERS पहली बार 2012 में सऊदी अरब में सामने आया था। MERS की मृत्यु दर लगभग 34% अधिक है। यानी, हर तीन में से एक संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने HKU5 वायरस का अध्ययन किया और 'नेचर कम्युनिकेशंस' पत्रिका में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए। उन्होंने पाया कि HKU5-CoV-2 का एक टाइप, लाइनेज 2, पहले से ही इंसानी कोशिकाओं को संक्रमित करने की क्षमता रखता है।

वायरस के स्पाइक प्रोटीन में एक छोटा सा बदलाव उसे ह्यूमन ACE2 कोशिकाओं से जुड़ने में सक्षम बना सकता है, जो लोगों के गले, मुंह और नाक में पाए जाते हैं।

विशेषज्ञों ने चीन के बाजारों से इस वायरस के इंसानों में फैलने का खतरा जताया

HKU5-CoV-2 अभी केवल चमगादड़ों में फैल रहा है, और इंसानों में इसके फैलने का कोई सबूत नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञों को डर है कि चीन में बेकाबू वन्यजीव व्यापार के कारण इसके फैलने का खतरा बढ़ गया है।

वैज्ञानिकों ने 'स्यूडोवायरस' (नकली वायरस) बनाकर प्रयोग किए, जिसमें HKU5 के स्पाइक प्रोटीन का उपयोग किया गया। ये प्रयोग दिखाते हैं कि यह वायरस चमगादड़ों की कोशिकाओं को आसानी से संक्रमित करता है,और इंसानी कोशिकाओं में भी प्रवेश कर सकता है अगर इसमें खास म्यूटेशन हों जाए। चमगादड़ और इंसानों के बीच केवल एक म्यूटेशन होने की देरी है।

अगर यह वायरस चमगादड़ों से किसी और जानवर जैसे मिंक या सीवेट (जंगली बिलाव) तक पहुंचता है, तो इसमें म्यूटेशन होगा, जिसके बाद ये वायरस इंसानों को संक्रमित करने में सक्षम हो जाएगा।

विशेषज्ञों ने चीन के बाजारों से भी इस वायरस के इंसानों में फैलने का खतरा जताया है, क्योंकि इन बाजारों में जानवरों को खुले और गंदी परिस्थितियों में रखा जाता।

थाईलैंड-चीन में में कोविड-19 के 1 लाख से ज्यादा मामले

नेशनल थाईलैंड की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी से लेकर मई तक थाईलैंड में कोविड-19 के 1 लाख 87 हजार मामले और कम से कम 44 मौतें दर्ज की गई हैं। एक सप्ताह (18-24 मई) में कुल 67 हजार नए मामले और आठ मौतें दर्ज की गईं, जिनमें बैंकॉक सबसे आगे रहा।

सिंगापुर में भी मामलों में वृद्धि देखी गई है, मई की शुरुआत में लगभग 14,200 संक्रमण थे। सिंगापुर में 1 मई से 19 मई के बीच 3000 मरीज सामने आए हैं। अप्रैल के आखिरी हफ्ते तक ये संख्या 11,100 थी। यहां मामलों में 28% का इजाफा हुआ है।

वहीं, हॉन्गकॉन्ग में जनवरी से अब मई तक 81 मामले सामने आए। इनमें से 30 की मौत हो चुकी है। दूसरी ओर चीन के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र ने जून की शुरुआत में 15.8 प्रतिशत की दर से मामले सामने आने की सूचना दी थी।

निक्केई एशिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल में चीन में 1 लाख 68 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें 340 गंभीर मामले और नौ मौतें शामिल हैं।

भारत में तेजी से फैल रहा वायरस, 24 घंटे में 500 नए मामले आए

भारत में भी कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पिछले 20 दिन में केसों की संख्या में 58 गुना की बढ़ोतरी हुई है। 16 मई को देशभर में कोविड के 93 एक्टिव केस थे, जिनकी संख्या अब 5364 पहुंच गई है।

कोरोना 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैल गया है। बीते 24 घंटे में 500 नए मामले सामने आए हैं। केरल में सबसे ज्यादा 1679 मामले हैं। इसके बाद गुजरात में 615, पश्चिम बंगाल में 596, दिल्ली में 592 और महाराष्ट्र में 548 एक्टिव केस हैं।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक भारत में कोरोना से 5 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। भारत में कोरोना का पहला मामला जनवरी 2020 में सामने आया था। मार्च 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन लागू किया गया।

इम्यूनिटी को कमजोर करता है JN1 वेरिएंट

इस बार संक्रमण के लिए ओमिक्रोन के नए वेरिएंट JN1 और उसके सब-वेरिएंट्स LF7 और NB1.8 को जिम्मेदार माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जिससे यह लगे कि ये नए वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक या तेजी से फैलने वाले हैं। हालांकि, उनका मानना है कि यह लहर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर अपना असर दिखा सकती है।

JN1, ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक स्ट्रेन है। जिसे अगस्त 2023 में पहली बार देखा गया था। दिसंबर 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित किया।

इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी को कमजोर करते हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार JN1 पहले के वैरिएंट्स की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। यह दुनिया के कई हिस्सों में सबसे आम वेरिएंट बना हुआ है।

COVID-19 JN1 के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक कहीं भी रह सकते हैं। अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लॉन्ग-COVID हो । यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं।


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एलन मस्क ने छोड़ा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का साथ

टेस्ला और स्पेस एक्स के प्रमुख एलन मस्क ने घोषणा की है कि उनका अमेरिकी सरकार में विशेष सरकारी कर्मचारी (SGE) के रूप में 130-दिन का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व Twitter) पर लिखा कि मैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को सरकारी खर्च को कम करने के दिए गए मौके के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं. DOGE मिशन समय के साथ और मजबूत होता जाएगा.

Department of Government Efficiency (DOGE) एक प्रशासनिक इनोवेशन था, जिसमें मस्क को सरकारी खर्चों में कटौती और दक्षता बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी. इस अभियान के माध्यम से अनावश्यक सरकारी खर्च की पहचान की गई. विदेशी सहायता और सार्वजनिक प्रसारण पर खर्च कम करने के सुझाव दिए गए. NPR, PBS और विदेशी सहायता कार्यक्रमों में $9.4 बिलियन की कटौती का प्रस्ताव रखा गया. यह कदम सरकारी सुधार और फालतू खर्च खत्म करने की दिशा में उठाया गया था.

एलन मस्क का बड़ा बयान

एलन मस्क का हटना ऐसे समय पर हुआ है, जब उन्होंने ट्रंप के बिग एंड व्यूटिफूल बिल की आलोचना की है. बता दें कि बिग ब्यूटिफूल बिल में मल्टी-ट्रिलियन डॉलर की टैक्स ब्रेक, रक्षा खर्च में भारी वृद्धि और आव्रजन नियंत्रण उपाय से जुड़े खर्च शामिल है. इसको लेकर मस्क ने कहा कि यह बिल DOGE के काम को कमजोर करता है. इससे घाटा बढ़ सकता है. इस पर ट्रंप ने ओवल ऑफिस में कहा था कि मैं इसके कुछ हिस्सों से खुश नहीं हूं, लेकिन हम देखेंगे कि आगे क्या होता है. 

 कांग्रेस और सीनेट में भी बंटी राय

मस्क के इस बयान को कुछ रिपब्लिकन नेताओं ने भी समर्थन दिया सीनेटर रॉन जॉनसन (विस्कॉन्सिन) ने कहा कि मैं एलन के हतोत्साहित होने से सहानुभूति रखता हूं. हालांकि, राष्ट्रपति पर दबाव डालना किसी भी तरह से असर नहीं करता है. हाउस स्पीकर माइक जॉनसन ने कहा कि वे चाहते हैं कि सीनेट में बिल में कम से कम बदलाव हों, ताकि संतुलन बना रहे. हालांकि, बिल को लेकर अगर स्टेज में सीनेट बिल में बदलाव करेगी, जिसके बाद इसे फिर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में वोटिंग के लिए लाया जाएगा.

मस्क का निजी क्षेत्र में लौटना और राजनीतिक खर्च में कटौती

सरकारी पद से हटते हुए एलन मस्क ने कहा अब मैं पूरी तरह से टेस्ला और स्पेसएक्स को समर्पित हूं. मैं अपने राजनीतिक खर्च को भी कम करूंगा, क्योंकि मेरा मानना है कि मैंने अपना योगदान दे दिया है. उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि वे राजनीति से पीछे हटकर अपनी कंपनियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे.


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ट्रंप प्रशासन ने स्टूडेंट वीजा के इंटरव्यू पर लगाई रोक

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी वाणिज्य दूतावासों को सख्त निर्देश जारी किया है। इसके तहत छात्र (F), व्यावसायिक (M) और एक्सचेंज विजिटर (J) वीजा इंटरव्यू की नई अपॉइंटमेंट्स पर रोक लगा दी गई है। अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार को कहा कि विदेशी छात्रों के लिए वीजा जांच प्रक्रिया जल्द ही और ज्यादा सख्त हो सकती है। बता दें कि वीजा जांच ट्रंप प्रशासन की बढ़ती चिंताओं के बीच उठाया गया कदम है। यह कदम विदेशी छात्रों के लिए अनिवार्य सोशल मीडिया स्क्रीनिंग लागू करने की व्यापक योजना का हिस्सा है। पोलिटिको की एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है कि जिसमें अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेजों का हवाला दिया गया है।

टैमी ब्रूस ने क्या कहा?

बता दें कि स्टेट डिपार्टमेंट ब्रीफिंग में मीडिया को संबोधित करते हुए प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका सभी वीजा आवेदकों की जांच को बहुत गंभीरता से ले रहा है। ब्रूस ने कहा है कि चाहे आप छात्र हों या पर्यटक, जिसे वीजा की आवश्यकता हो या आप जो भी हों, हम आप पर नजर रखेंगे। पोलिटिको की रिपोर्ट में एक और जानकारी सामने आई है कि ट्रंप प्रशासन विदेशी छात्र वीजा जांच के लिए विचार कर रहा है, जिसमें उनके सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच करने का प्रस्ताव भी शामिल है।

विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने क्या कहा?

विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अमेरिकी दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों को दिशानिर्देश देते हुए कहा कि छात्र वीजा आवेदकों के लिए नए इंटरव्यू नियुक्तियों को रोकने का आदेश दिया गया है। टैमी ब्रूस ने आगे कहा कि ट्रंप प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम ‘प्रतिकूल’ लग सकते हैं, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि अमेरिका आने वाले लोग इसके कानून को समझें। उन्होंने कहा, ‘हम यहां मीडिया के सामने यह नहीं बताने जा रहे हैं कि उठाए गए कदमों की प्रकृति क्या है। हम जो तरीके अपनाते हैं वे शायद थोड़े प्रतिकूल प्रतीत होंगे, लेकिन यह एक लक्ष्य है जिसके जरिए यह सुनिश्चित करना है कि जो लोग यहां हैं, वे कानून को समझते हैं, उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, वे यहां के अनुभव में योगदान देने जा रहे हैं। चाहे उनका प्रवास कितना भी छोटा या लंबा क्यों न हो, इसलिए मैं इसका डिटेल आपके साथ साझा नहीं करुंगी, लेकिन उम्मीद है कि यह एक ऐसा कदम है, जो हमें यह समझने में मदद करेगा कि कौन इस देश में आने का हकदार है और कौन नहीं।’

अमेरिका आने वाले कानून का करें पालन

टैमी ब्रूस ने कहा कि चाहे आप छात्र हों याया किसी भी श्रेणी के वीजा धारक हों, हम हर किसी की जांच करेंगे। इस प्रक्रिया को विवादास्पद नहीं माना जाना चाहिए, क्योंकि इसका उद्देश्य अमेरिका की सुरक्षा और सामाजिक हितों की रक्षा करना है। राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री रूबियो की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि अमेरिका आने वाले लोग कानून का पालन करें, आपराधिक मानसिकता न रखें और अमेरिका में अपने प्रवास के दौरान सकारात्मक भूमिका निभाएं। वहीं, इस मामले में एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि निलंबन अस्थायी है और यह उन आवेदकों पर लागू नहीं होगा, जो पहले ही इंटरव्यू दे चुके हैं।

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर की थी सख्त कार्रवाई

बता दें कि हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। प्रशासन ने यह कहते हुए हार्वर्ड में विदेशी छात्रों को दाखिला देने से मना कर दिया था कि यूनिवर्सिटी काफी उदार हो गया है और यहूदी विरोध को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि, एक संघीय अदालत ने इस फैसले पर अस्थायी रोक लगा दी है।


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बांग्लादेश में न दुल्हन खरीदना, न डेटिंग और शादी करना,चीन ने अपने नागरिकों के लिए जारी की एडवाइजरी

चीन में बहुत से नागरिक दूसरे देशों में दुल्हन की तलाश में आते हैं। इनमें बांग्लादेश भी शामिल है, लेकिन अब ढाका स्थिति चीनी दूतावास ने अपने नागरिकों को इस बारे में एक एडवाइजरी कर इससे दूर रहने को कहा है। चीनी दूतावास ने रविवार को जारी एडवाइजरी में चीनी नागरिकों से अवैध क्रॉस बॉर्डर विवाह से दूर रहने और ऑनलाइन मैचमेकिंग से बचकर रहने को कहा है। चीन के सरकारी मीडिया आउटलेट ग्लोबल टाइम्स ने इस बारे में जानकारी दी है।

देर रात जारी किया गया रिमाइंडर

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दूतावास ने चीनी नागरिकों को चेतावनी दी कि वे शॉर्ट वीडियो प्लेटफॉर्म पर भ्रामक डेटिंग सामग्री के झांसे में न आएं। देर रात जारी किए गए रिमाइंडर में कहा गया है कि चीनी नागरिकों को विदेश में विवाह से संबंधित कानून का सख्ती से पालन करना चाहिए। अवैध मैचमेकिंग एजेटों से बचना चाहिए। दूतावास ने कहा कि विदेशी पत्नी खरीदने के विचार को खारिज करना चाहिए और बांग्लादेश में शादी करने से पहले दो बार सोचना चाहिए।

चीनी युवा बड़ी संख्या में गरीब दक्षिण एशियाई देशों में दुल्हन की तलाश में जाते हैं। इन देशों में चीनी युवकों को दुल्हन उपलब्ध कराने के लिए एक पूरा नेटवर्क काम करता है, जिसका एक बड़ा अवैध कारोबार फैला हुआ है। इसमें लड़कियों को फंसाकर चीनी नागरिकों से शादी करा दी जाती है। आगे चलकर ये औरतें चीन ले जाई जाती हैं, जहां उन्हें बंधक बनाकर रखा जाता है। अतीत में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।

चीन में पुरुषों को नहीं मिल रही जीवनसंगिनी

ये चेतावनियां चीन में दुल्हन की तस्करी को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच आई है। लंबे समय तक एक बच्चा नीति और बेटों के लिए वरीयता के चलते चीन लैंगिक असंतुलन से जूझ रहा है। अनुमान है कि 3 करोड़ चीनी पुरुषों को जीवनसाथी नहीं मिल रहा है। इसके चलते विदेशी दुल्हनों की मांग में बढ़ावा हुआ है। बांग्लादेशी मीडिया आउटलेट डेली स्टार की एक रिपोर्ट में बांग्लादेश की महिलाओं को कथित शादी के बहाने चीन में बेचे जाने के मामलों के बारे में बताया गया है।


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ट्रम्प की यूरोपीय यूनियन पर 50% टैरिफ लगाने की धमकी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने यूरोपीय यूनियन के देशों पर 50% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए बताया कि यूरोपीय यूनियन से आने वाले सभी प्रोडक्ट्स पर 50% टैरिफ लगेगा, जब तक कि ये प्रोडक्ट्स अमेरिका में नहीं बनाए जाते।

ट्रम्प इसे 1 जून लागू करने का प्लान बना रहे हैं। PTI की रिपोर्ट के मुताबिक ट्रम्प यूरोपीय यूनियन के साथ ट्रेड डील के आगे न बढ़ने से नाराज है। EU ने आपसी सहमति से सभी टैरिफ को 0 करने का प्रस्ताव रखा है, जबकि ट्रम्प सभी तरह के आयात पर 10% टैरिफ लगाने की बात पर अड़े हैं।

ट्रम्प ने ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत में साफ किया कि वे EU से कोई समझौता नहीं चाहते। अगर कंपनियां अमेरिका में निवेश करें तो टैरिफ को टाल सकते हैं।

दूसरे देशों से आने वाले स्मार्टफोन पर 25% टैरिफ

यूरोप पर टैरिफ के ऐलान से पहले ट्रम्प ने भारत और दूसरे देशों में बनने वाले आईफोन पर 25% टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी।

ट्रम्प ने कहा कि

मैंने पहले ही Apple के टिम कुक को बता दिया था कि अमेरिका में बिकने वाले iPhones अमेरिका में ही बनाए जाने चाहिए। भारत या कहीं और नहीं। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो Apple को अमेरिका को कम से कम 25% टैरिफ देना होगा।

बाद में ट्रम्प ने साफ किया कि विदेशों में बने सभी स्मार्टफोन पर टैरिफ लगेगा और यह जून के अंत तक लागू हो सकता है।

ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बनें

डोनाल्ड ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बने। पिछले हफ्ते ट्रम्प ने कंपनी के CEO टिम कुक से कहा था कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है।

एपल CEO के साथ हुई इस बातचीत की जानकारी ट्रम्प ने गुरुवार (15 मई) को कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा था कि एपल को अब अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाना होगा।

इसके बावजूद एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन ने भारत में 1.49 बिलियन डॉलर (करीब ₹12,700 करोड़) का निवेश किया है। फॉक्सकॉन ने अपने सिंगापुर यूनिट के जरिए बीते 5 दिन में तमिलनाडु के युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में यह निवेश किया है।

2026 तक देश में सालाना 6 करोड़+ आईफोन बनेंगे

फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए एपल काफी समय से अपनी सप्लाई चेन को वहां से बाहर शिफ्ट करने पर काम कर रही है।

एपल अगर अपनी असेंबलिंग भारत की ओर इस साल के आखिर तक शिफ्ट कर लेती है, तो 2026 से यहां सालाना 6 करोड़ से ज्यादा आईफोन का प्रोडक्शन होगा। ये मौजूदा कैपेसिटी से दोगुना है।

आईफोन के मैन्युफैक्चरिंग पर अभी चीन का दबदबा है। IDC के अनुसार, 2024 में कंपनी के ग्लोबल आईफोन शिपमेंट में इसका हिस्सा लगभग 28% था।


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गोरे किसानों का नरसंहार,साउथ अफ्रीकी राष्ट्रपति को उनका वीडियो दिखाकर जलील करते रहे ट्रंप

दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा संबंधों को फिर से सुधारने अमेरिका (Donald Trump-Cyril Ramaphosa Argumet) पहुंचे थे, लेकिन व्हाइट हाउस में ट्रंप ने उनको ऐसे जलील किया कि पूरी दुनिया ने देखा. ये बिल्कुल वैसा ही था, जैसा कुछ समय पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ हुआ था. ट्रंप ने गोरे किसानों की हत्या का ऐसा मुद्दा उठाया कि सिरिल रामफोसा से उनकी जमकर तीखी बहस होने लगी. यह ट्रंप की मीडिया के सामने किसी विदेशी नेता के साथ दूसरी बड़ी बहस थी.

ट्रंप- रामफोसा के बीच तीखी नोकझोंक

बता दें कि 1994 में रंगभेद युग के समाप्त होने के बाद से दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका के बीच के संबंध अपने सबसे निचले स्तर पर हैं. इस मुलाकात का मकसद दोनों देशों के बीच रिश्तों को फिर से सुधारना था. ट्रंप- रामफोसा के बीच दोस्ताना माहौल में बैठक शुरू तो हुई लेकिन खत्म वैसे नहीं हुई. क्यों कि डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के सामने अचानक 'श्वेत नरसंहार' का मुद्दा उठाकर सबको चौंका दिया. किसी ने सोचा नहीं था कि बैठक में ये मुद्दा भी उठेगा.

अचानक गरमा गया व्हाइट हाउस का माहौल

शुरुआत में तो दोनों नेताओं के बीच व्यापार और खनिज संसाधनों पर चर्चा हुई, लेकिन ट्रंप ने अचानक एक वीडियो चलवाया जिसमें दावा किया गया था कि दक्षिण अफ्रीका में हजारों श्वेत किसानों की हत्या कर दी गई है. बस फिर क्या था व्हाइट हाउस का माहौल अचानक गरमा गया. 

जब जोर-जोर चिल्लाने लगे ट्रंप

राष्ट्रपति रामफोसा हालांकि शांत रहे और वीडियो को देखते रहे. हालांकि उन्होंने वीडियो में किए गए दावे को नकार दिया. उन्होंने कहा कि वह इस वीडियो की प्रामाणिकता की जांच करेंगे. लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप शांत नहीं रहे. उन्होंने आक्रामक रुख अपनाते हुए उनको लेखों की प्रतियां दिखा डालीं, जिनमें दक्षिण अफ्रीका में मारे गए गोरे लोगों का जिक्र था. ट्रंप ने जोर-जोर से "मृत्यु, मृत्यु..." कहते हुए पन्ने पलटे, जिससे माहौल और भी तनावपूर्ण हो गया.

श्वेत नरसंहार का मुद्दा उठा और फिर...

ट्रंप ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत लोगों को सबसे ज्यादा निशाना बनाया जाता है.वीडियो में हजारों श्वेत किसानों की कब्रें दिखाई गई हैं. हालांकि रामफोसा ने उनके इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि ऐसा उन्होंने पहले नहीं देखा, वह इसकी जांच करवाएंगे. लेकिन ट्रंप यहीं शांत नहीं हुए उन्होंने कई लेख भी दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति को दिखाए. जिसके बाद ट्रंप का दिमाग गरमा गया और व्हाइट हाउस का माहौल भी गरम हो गया. 


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US में इजरायली दूतावास के 2 कर्मचारियों की हत्या, हमलावर ने 'फ्री फलस्तीन' के नारे लगाकर उतारा मौत के घाट

अमेरिका के वॉशिंगटन में यहूदी संग्रहालय के पास से गोलीबारी की खबर सामने आई है। इस घटना में इजरायली दूतावास के दो कर्मचारी की मौत हो गई। होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने इस घटना की जानकारी दी है।

नोएम ने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया, जहां गोलीबारी हुई वह जगह एफबीआई के फील्ड ऑफिस से कुछ कदम की दूरी पर स्थित है। मामले की जांच की जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, हमलावर को फिलहाल हिरासत में ले लिया गया है, उसने इस दौरान फ्री फलस्तीन के नारे भी लगाए।

मौके पर पहुंचे अमेरिकी अटॉर्नी जनरल

वहीं अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी और डीसी के कार्यवाहक अमेरिकी अटॉर्नी जीनिन पिरो कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर गोलीबारी की घटना स्थल पर पहुंच गए हैं।

संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत डैनी डैनन ने गोलीबारी को 'यहूदी-विरोधी आतंकवाद' का घृणित कृत्य करार दिया। हालांकि पुलिस ने अभी गोलीबारी के संभावित मकसद के बारे में कोई डिटेल नहीं दी। एक समाचार सम्मेलन की उम्मीद है।

गोलीबारी के बाद इजरायल के राजदूत का आया पोस्ट

डैनन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'हमें विश्वास है कि अमेरिकी अधिकारी इस आपराधिक कृत्य के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।' इजरायल अपने नागरिकों और प्रतिनिधियों की रक्षा के लिए दृढ़ता से काम करना जारी रखेगा।


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