भारत पर लगाया आरोप तो कनाडा में ही हुई ट्रूडो की बेइज्जती, ईरानी पत्रकार ने भी घेरा

भारत और कनाडा के बीच पैदा हुए ताजा विवाद के बीच कनाडाई पत्रकार ने पीएम जस्टिन ट्रूडो पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. डेनियल बॉर्डमैन नाम के एक जर्नलिस्ट ने ट्रूडो पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत के साथ तनाव बढ़ने के बाद जस्टिन ट्रूडो फिर से जनता को ठोस सबूत देने में विफल रहे है. इससे कनाडा को व्यापार में अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है. उन्होंने ये सब खालिस्तानी लोगों को खुश करने के लिए किया है.

डेनियल बॉर्डमैन ने एक ट्वीट में कहा है कि जिन कनाडाई लोगों ने जस्टिन ट्रूडो और उनके पूरी सरकार को हमारी सड़कों पर अराजकता और आतंकवाद को फैलाते हुए देखा है, उन्हें विश्वास नहीं होगा कि उन्हें वास्तव में कनाडाई सुरक्षा की परवाह है. उन्हें पता है कि वो जो भी भारत के खिलाफ कर रहे हैं वो एक झूठ है.

इसके अलावा ईरानी मूल के एक एक्टिविस्ट सलमान सीमा ने कहा कि ट्रूडो अक्सर झूठ बोलते हैं. वो चाहते हैं कि हम यह विश्वास कर लें कि भारत की ओर से कनाडाई लोगों पर हमला करने की बड़ी साजिश रची जा रही है, जबकि ट्रूडो की पुलिस ने ही जिहादियों और खालिस्तानियों को हमारी सड़कों पर कब्जा करने और यहूदी, ईरानी, ईसाई और हिंदू समुदायों पर हमला करने की अनुमति दी है.

भारत ने 6 राजनयिकों को निष्कासित किया

हाल ही में कनाडा ने भारत के उच्चायुक्त और अन्य भारतीय राजनयिकों पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था. इसके बाद भारतीय उच्चायुक्त और कुछ अन्य अधिकारियों को वापस बुला लिया गया और सोमवार (14 अक्टूबर)  को कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की गई. विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा के राजनयिकों को 19 अक्टूबर को रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है


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जापान में शिगेरू इशिबा बनेंगे अगले प्रधानमंत्री

जापान में रक्षा मंत्री रह चुके शिगेरू इशिबा अब देश के नए प्रधानमंत्री होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक शुक्रवार को लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। वे 1 अक्टूबर को संसद सत्र की शुरुआत के साथ पद संभालेंगे।

दरअसल, जापान में सत्ताधारी पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री चुना जाता है। LDP पार्टी के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष चुने गए इशिबा अब जुलाई 2025 तक PM पद पर रहेंगे। इसके बाद देश में आम चुनाव होंगे।

67 साल के इशिबा ने अपनी प्रतिद्वंदी सनाए तकाइची को 21 वोटों के अंतर से हराया। इशिबा को पार्टी सदस्यों के 215 वोट हासिल हुए। इशिबा इससे पहले भी 4 बार पार्टी लीडरशिप के लिए चुनाव लड़ चुके हैं। 2012 में वे शिंजो आबे के खिलाफ भी खड़े हुए थे, लेकिन उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा।

चुनाव जीतने के बाद इशिबा ने कहा, "अब पार्टी नए सिरे से खड़े होकर लोगों का भरोसा जीतेगी। मैं अपने कार्यकाल में देश की जनता से सच बोलूंगा। मैं देश को सुरक्षित और खुशहाल बनाने के लिए काम करता रहूंगा।"

जापान के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स बंद करने का वादा किया

इशिबा जापान के रक्षा और कृषि मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने 1986 में 29 साल की उम्र में पहला चुनाव जीता था। तब वे जापान की संसद के सबसे युवा सदस्य बने थे। इस बार अपने कैंपेन में इशिबा ने देश के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को धीरे-धीरे बंद करने का वादा किया है।

इसके अलावा उन्होंने चीन और नॉर्थ कोरिया जैसे खतरों से निपटने के लिए एशिया में भी एक NATO बनाने की बात कही है। इशिबा PM किशिदा के आलोचक हैं। वे LDP की नीतियों से इतर जापान में महिला सम्राट बनाने की पैरवी करते हैं। इस वजह से पार्टी के कई नेता उनके खिलाफ हैं। दरअसल, LDP के ज्यादातर सदस्यों का मानना है कि महिलाओं को एक मां और पत्नी के पारंपरिक कर्तव्य ही निभाने चाहिए।

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे किशिदा, लोकप्रियता घटी

जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने 14 अगस्त को पार्टी चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी। वे 2021 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे। उनका तीन साल का कार्यकाल इस महीने के अंत में खत्म हो जाएगा। इस दौरान किशिदा पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हैं जिसकी वजह से उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है।

निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई में किशिदा की अप्रूवल रेटिंग 20% से नीचे थी। ये लगातार आठवां महीना है जब किशिदा की रेटिंग इतनी नीचे रही है। 2021 में पीएम किशिदा की रेटिंग 65% के करीब थी। शिंजो आबे की मौत के बाद उनकी रेटिंग में गिरावट आनी शुरू हुई। दरअसल आबे की मौत के बाद यूनिफिकेशन चर्च के साथ LDP के संबंधों का खुलासा हुआ था। ये चर्च पार्टी को आर्थिक सपोर्ट मुहैया कराता था।

बाद में इससे जुड़े कई घोटाले सामने आए। इस साल अप्रैल में स्थानीय चुनावों में LDP की बुरी हार हुई थी। इसके बाद जुलाई में टोक्यो मेट्रोपॉलिटन असेंबली के उपचुनावों में भी पार्टी की करारी हार मिली। यही वजह थी कि LDP के ज्यादातर सांसद अगले आम चुनाव से पहले नए चेहरे की जरूरत पर जोर दे रहे थे।

क्या थे भ्रष्टाचार के आरोप

किशिदा की पार्टी के सांसदों पर आरोप लगा कि उन्होंने पार्टी को मिले राजनीतिक चंदे का पैसा हड़प लिया। उन्होंने अकाउंट में हेराफेरी कर पार्टी का पैसा खुद के अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया। मामले का खुलासा होने के बाद PM किशिदा ने कई कैबिनेट मंत्रियों और अन्य लोगों को पद से हटा दिया था।


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रूस पहली बार परमाणु नीति में बदलाव करेगा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर से पश्चिम देशों को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने राजधानी मॉस्को में बुधवार को सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने कहा कि सरकार परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से जुड़े नियम और शर्तों को बदलने जा रही है।

पुतिन ने कहा कि देश के परमाणु नियमों में कई नई चीजें जोड़ी जाएंगी। इसमें रूस के खिलाफ मिसाइल या फिर ड्रोन हमलों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है। अगर रूसी इलाके में बड़े पैमाने पर मिसाइल या ड्रोन हमला होता है, जिससे देश की संप्रभुता पर गंभीर खतरा आ सकता है, तब भी रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।

रूसी राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि यदि कोई गैर-परमाणु संपन्न देश किसी परमाणु संपन्न देश के समर्थन से रूस पर हमला करता है तो इसे दोनों देशों की तरफ से किया गया हमला माना जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस के परमाणु हथियार, देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा की सबसे बड़ी गारंटी हैं।

पुतिन बोले- परमाणु नीति में बदलाव समय की मांग

पुतिन का ये बयान तब आया है, जब यूक्रेन पश्चिमी देशों से रूस में दूर तक हमला करने वाली मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत मांग रहा है। पुतिन ने कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की शर्तों में बदलाव जरूरी था, क्योंकि दुनिया तेजी से बदल रही है।

यूक्रेन को ब्रिटेन ने स्टॉर्म शैडो, अमेरिका ने आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) मिसाइलें दी हुई हैं। ये लंबी दूरी की घातक मिसाइलें हैं, जो करीब 300 किमी तक सटीक निशाना लगा सकती हैं।

यूक्रेन इन मिसाइलों का इस्तेमाल रूस में नहीं, बल्कि सिर्फ अपनी सीमा के भीतर ही कर सकता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की चाहते हैं कि इन प्रतिबंधों को हटाया जाए, ताकि वे रूस के भीतर लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल कर सकें।

बाइडेन से आज मिलेंगे जेलेंस्की

यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। वे गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात करने वाले हैं। इस दौरान वे रूस में लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति मांग सकते हैं।

यह पहली बार नहीं है, जब पुतिन ने पश्चिमी देशों को परमाणु युद्ध की धमकी दी हो। रूसी राष्ट्रपति ने 12 सितंबर को कहा था कि अगर पश्चिमी देश यूक्रेन को क्रूज मिसाइल के इस्तेमाल की अनुमति देते हैं तो इसका मतलब यह समझा जाएगा कि NATO, रूस के खिलाफ जंग में उतर चुका है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका जवाब जरूर देंगे।

यूक्रेन ढाई साल से अमेरिका और पश्चिमी देशों के समर्थन से रूस के खिलाफ जंग लड़ रहा है। यूक्रेन ने अगस्त में रूस में घुस कर उसके कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था। रूस अपने इलाकों को छुड़ाने की कोशिश में जुटा है।


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खाड़ी देशों से अकेले जंग लड़ने वाला इजरायल, हमास के सामने झुका, भेजा जंग खत्म करने का पैगाम

इजरायल ने युद्ध खत्म करने की पेशकश की है. इजरायल का कहना है कि अगर सभी बंधकों को एक साथ रिहा कर दिया जाए और गाजा को निरस्त्र कर दिया जाए तो हमास नेता यह्या सिनवार को जाने दिया जाएगा. बंधकों के रिश्तेदारों ने योजना की सराहना की, लेकिन हमास के अधिकारी ने इसे 'हास्यास्पद' बताकर तुरंत खारिज कर दिया.

कान न्यूज ने गुरुवार (19 सितंबर) को बताया कि इजरायल ने एक प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत गाजा पट्टी में लड़ाई खत्म की जाएगी और हमास के प्रमुख को सुरक्षित तरीके से वहां से बाहर निकलने का रास्ता दिया जाएगा. इसके बदले में गाजा में बंधक बनाए गए सभी लोगों को तुरंत रिहा किया जाएगा, गाजा पट्टी को सैन्य मुक्त किया जाएगा और वहां एक वैकल्पिक शासकीय सत्ता की स्थापना की जाएगी. 

अमेरिकी अधिकारियों के सामने पेश की योजना

 इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, एक इजरायली अधिकारी ने कहा कि बंधकों के मामले में सरकार के प्रतिनिधि गैल हिर्श ने यह योजना अमेरिकी अधिकारियों के सामने पेश की थी, जिनसे यह अपेक्षा की गई थी कि वे इसे अनिर्दिष्ट अरब अधिकारियों को सौंपेंगे. कान न्यूज ने बताया कि हिर्श ने बंधकों के परिवारों को बताया कि यह प्रस्ताव पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस और विदेश विभाग के अमेरिकी अधिकारियों के साथ बैठक में पेश किया गया था. 

कान न्यूज के मुताबिक, प्रस्ताव के तहत गाजा पट्टी में अब भी बंधक बनाए गए सभी 101 बंधकों को तुरंत वापस लौटा दिया जाएगा और इजरायल युद्ध खत्म कर देगा, जिसमें बंधकों की चरणबद्ध रिहाई और सैनिकों की क्रमिक वापसी की बात नहीं की गई है, जिस पर अब तक चर्चा चल रही थी. इजरायल अपनी जेलों से अनिर्दिष्ट संख्या में फिलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा करेगा, व्यापक रूप से 7 अक्टूबर के हमले के मास्टरमाइंड माने जाने वाले हमास नेता सिनवार को गाजा पट्टी छोड़ने की इजाजत देगा.

हमास ने खारिज किया प्रस्ताव 

वहीं, हमास पोलित ब्यूरो के सदस्य गाजी हमद ने इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया और अल-अरबी अल-जदीद से कहा, "सिनवार के बाहर निकलने का प्रस्ताव हास्यास्पद है और कब्जे के दिवालियापन की ओर इशारा करता है." हमाद ने कहा, "यह आठ महीने की बातचीत के दौरान जो कुछ हुआ, उससे कब्जेदारों के इनकार की पुष्टि करता है. इजरायल के अड़ियल रुख के कारण बातचीत अटकी हुई है."

कब-कब हुआ इजरायल और खाड़ी देशों के बीच युद्ध

1948-49 में इजरायल और अरब के बीच हुए इस युद्ध को इजरायल में स्वतंत्रता संग्राम और अरब देशों में फिलिस्तीनी नकबा यानि कि तबाही के नाम से जाना जाता है. 1956 में हुए इस युद्ध को स्वेज संकट के नाम से जाना जाना जाता है. इस युद्ध में इजरायल ने मिस्र पर हमला किया था और स्वेज नहर के पूर्व में ज्यादातर प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया था. 1967 में अरब और इजरायल के बीच तीसरी बार झड़प हुई. इसके बाद 1973 में योम किप्पुर युद्ध, 1982 का लेबनान युद्ध, 2006 में दूसरा लेबनान युद्ध और 2023 में इजरायल-हमास युद्ध.


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सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम श्री विजयपुरम किया

सरकार ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार आइलैंड की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया X पर इसकी जानकारी दी।

शाह ने कहा- देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 23 जनवरी 2023 को नेताजी की 126वीं बर्थ एनिवर्सरी पर अंडमान और निकोबार आइलैंड के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का फैसला लिया था।

28 दिसंबर 2018 में अंडमान-निकोबार के हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप और रॉस द्वीप के नाम बदले थे। हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप, नील द्वीप को शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप नाम दिया गया।

शाह ने सोशल मीडिया X पर लिखा...

देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है।

इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है। यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा माँ भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है।

साल 2018 में PM मोदी ने पोर्ट ब्लेयर का दौरा किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारतीय धरती पर तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पोर्ट ब्लेयर के मरीना पार्क में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने सभी लोगों से मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू कीजिए और नेताजी को सम्मान दीजिए। 'इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां मौजूद लोगों से सुभाष बाबू जिंदाबाद के नारे लगवाए।

नेताजी देश ने सबसे पहले यहीं फहराया था तिरंगा

यही वह स्थान है, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश में आजादी से पहले तिरंगा फहराया था। यहां की सेलुलर जेल में वीर सावरकर समेत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने कई साल सजा के तौर पर बिताए थे। वे देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे।


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कमला हैरिस और ट्रंप के बीच बहस आज, दोनों प्रत्याशियों पर टिकीं अमेरिकियों की नजरें

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में अब दो महीने से भी कम समय बचा है। ऐसे में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट प्रत्याशियों के बीच बहस पर सभी की नजरे टिकी हैं। डेमोक्रेट प्रत्याशी कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के बीच यह पहली बार आमने-सामने बहस होगी।

इस बहस के जरिये मतदाताओं को प्रभावित करने का दोनों के पास एक अच्छा अवसर होगा। पेन्सिलवेनिया राज्य के फिलाडेल्फिया में यह बहस भारतीय समयानुसार बुधवार तड़के निर्धारित है। इससे पहले अमेरिकी गत जून में उस नाटकीय बहस के गवाह रहे हैं, जिसमें खराब प्रदर्शन के कारण राष्ट्रपति जो बाइडन को डेमोक्रेटिक उम्मीदवारी से पीछे हटना पड़ा था। इसलिए इस बहस का प्रभाव समझा जा सकता है।

निजी टिप्पणियां बढ़ रहीं

जैसे-जैसे नवंबर में होने वाले चुनाव नजदीक आ रहे हैं ट्रंप की हैरिस पर निजी टिप्पणियां बढ़ती जा रही हैं। उन्होंने पिछले शुक्रवार को पुलिस अधिकारियों की एक सभा में यह भी कहा कि उन्हें ''मतदाता धोखाधड़ी पर नजर रखनी चाहिए''।

कमला हैरिस विभिन्न सर्वे में ट्रंप पर मामूली बढ़त बनाए हुए है। बहस में ट्रंप की योजना हैरिस को अति उदारवादी बता हमला करने की है। इस बीच, कमला हैरिस के अभियान ने ट्रंप के उस बयान की कड़ी आलाचना की है जिसमें उन्होंने धमकी दी थी कि पांच नवंबर का चुनाव जीतने के बाद वह भ्रष्ट चुनाव अधिकारियों को जेल में डाल देंगे। उधर, व्हाइट स्ट्राइप्स ने सोमवार को ट्रंप पर अपने हिट गाने ''सेवन नेशन आर्मी'' का इस्तेमाल बिना अनुमति करने पर मुकदमा दायर किया है।

मस्क बोले, ट्रंप हारे तो यह देश का अंतिम वास्तविक चुनाव

ट्रंप समर्थक व टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने डेमोक्रेटिक पार्टी की आव्रजन नीति की आलोचना करते हुए कहा कि यदि ट्रंप यह चुनाव हारे तो यह देश का अंतिम वास्तविक चुनाव होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि डेमोक्रेट 1.5 करोड़ अवैध प्रवासियों को वैध करना चाहते हैं। ऐसा इसलिए कि ये उन्हें चुनाव जीतने में मदद कर सकते हैं।


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इम्फाल की सड़कों पर मशाल लेकर निकली महिलाएं

मणिपुर में प्रदर्शनकारियों पर ड्रोन हमले के विरोध में सोमवार (9 सितंबर) की रात महिलाओं ने इम्फाल में मशाल जुलूस निकाला। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की मांग कर रहे हैं।

इम्फाल के थांगमीबंद में प्रदर्शनकारियों ने हाथों में मशालें और पोस्टर लेकर नारे लगाते हुए मार्च किया। इससे पहले सोमवार को ही प्रदर्शनकारियों ने राजभवन पर पथराव किया था।

छात्रों का नेतृत्व कर रहे एम. सनाथोई चानू ने बताया- हमने DGP, राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग की है। CRPF के पूर्व DG कुलदीप सिंह के नेतृत्व में बनी यूनीफाइड कमांड राज्य सरकार को सौंपने की मांग की है।

मणिपुर राजभवन पर पथराव हुआ था, सुरक्षाकर्मी जान बचाकर भागे थे

इंफाल में सोमवार दोपहर को सैकड़ों की संख्या में प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स ने राजभवन पर पत्थरबाजी की थी। इस दौरान सुरक्षाकर्मी भागते दिखे। पुलिस और सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों को बैरिकेड लगाकर रोका। कई राउंड आंसू गैस के गोले और रबर बुलेट दागे। इसमें 20 स्टूडेंट्स घायल हो गए थे।

मैतेई समुदाय के ये छात्र मणिपुर में अचानक बढ़ी हिंसक घटनाओं को लेकर 8 सितंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं। इसमें स्थानीय लोग भी शामिल हैं। रविवार को किशमपट के टिडिम रोड पर 3 किलोमीटर तक मार्च के बाद प्रदर्शनकारी राजभवन और CM हाउस तक पहुंच गए। ये गवर्नर और CM को ज्ञापन सौंपना चाहते थे।

सोमवार को सुरक्षाबलों ने ज्ञापन सौंपने की मांग पूरी कर दी, इसके बाद भी स्टूडेंट्स सड़क पर प्रदर्शन करते रहे। स्टूडेंट्स का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वे यहां डटे रहेंगे। इस दौरान उनकी सुरक्षाबलों के साथ झड़प भी हुई।

स्टूडेंट्स 1 और 3 सितंबर को मैतेई इलाकों में हुए ड्रोन हमलों का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने सेंट्रल फोर्सेस पर चुप्पी साधने का आरोप लगाते हुए उनसे राज्य छोड़कर जाने की मांग की। साथ ही राज्य के 60 में से 50 मैतेई विधायकों से अपना रुख स्पष्ट करने या इस्तीफा देने को कहा।

इन स्टूडेंट्स ने यह भी डिमांड की है कि राज्य में यूनिफाइड कमांड की कमान मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को दी जाए। यानी, सेंट्रल और स्टेट फोर्स की कमान केंद्र की बजाय मुख्यमंत्री के पास हो। ये लोग DGP और सिक्योरिटी एडवाइजर को हटाने की भी मांग कर रहे हैं।

11 दिन में 8 की मौत

मणिपुर में जारी हिंसा और अराजकता थम नहीं रही है। बीते 11 दिन में 8 लोगों की मौत हो चुकी है। कुकी बहुल कांग्पोक्पी के थांगबू गांव में रविवार शाम संदिग्ध मैतेई हथियारबंद लोगों ने गोलीबारी की थी, जिसमें नेंगजाखल लहुगडिम (50) की मौत हो गई। विष्णुपुर के सुगनू गांव पर भी हमला हुआ।

दरअसल, विष्णुपुर मैतेई बहुल इंफाल और कुकी बहुल चूराचांदपुर के बीच बफर जोन है। यहां ज्यादातर मैतेई रहते हैं, लेकिन सुगनू गांव में कुकी हैं, जो चूराचांदपुर से सटा है।

मैतेई बहुल कोत्रुक, मोइरांग में सन्नाटा; 20 गांव निशाने पर थे

इंफाल से 20 किमी दूर कोत्रुक गांव में कुछ परिवारों को छोड़ दें तो 500 लोग घर छोड़ चुके हैं। जो बचे हैं, वो कई रात से सोए नहीं, क्योंकि हर वक्त ड्रोन हमले का खतरा है। यहीं 1 सितंबर को ड्रोन बम हमले हुए थे। विष्णुपुर जिले के मैतेई हिस्से में आने वाले मोइरांग में रॉकेट हमला हुआ था। यह 80% गांव खाली है।

कोत्रुक के रहने वाले एन. मैक्रॉन सिंह ने बताया, ज्यादातर लोग रिश्तेदारों के घर चले गए हैं। उन्होंने दावा किया कि 1 सितंबर को उग्रवादी 20 गांवों पर बम गिराने वाले थे, लेकिन सुरक्षाबलों ने फायरिंग करके रोक दिया। सेना मोइरांग से कांग्पोक्पी तक सर्च ऑपरेशन चल रही है। इसमें कई जगह हथियार जब्त किए गए हैं। इसमें RPG और हाई एंड असॉल्ट राइफल शामिल हैं।

रिटायर्ड जवान की हत्या

मणिपुर के इंफाल वेस्ट में सोमवार सुबह असम राइफल्स के रिटायर्ड जवान लालबोई माते का शव मिला है। माते कुकी बहुल कांग्पोक्पी के मोटबुंग के रहने वाले थे। बताया गया है कि माते बफर जोन को पार कर मैतेई क्षेत्र में घुस आए थे।

बीते 7 दिनों में हिंसा बढ़ी, 8 लोगों की मौत हुई

मणिपुर में मई 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा जारी है। बीते 7 दिनों से हिंसा बढ़ गई है। इसमें 8 लोगों की मौत हुई है। 15 से ज्यादा घायल हैं। हाल ही में मणिपुर में ड्रोन से भी हमले हुए हैं। इनमें 2 लोगों की मौत हुई है।

मणिपुर में हिंसा की ताजा घटनाएं...

1 सितंबर- पहली बार ड्रोन से हमला : एक सितंबर को राज्य में पहली बार ड्रोन हमला देखने को मिला। इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी इलाके से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले इलाकों में फायरिंग की और ड्रोन से हमला किया। इसमें 2 लोगों की मौत और 9 घायल हुए।

3 सितंबर- दूसरा ड्रोन अटैक: इंफाल जिले के सेजम चिरांग गांव में उग्रवादियों ने ड्रोन अटैक किए। इसमें एक महिला समेत 3 लोग घायल हो गए। उग्रवादियों ने रिहायशी इलाके में ड्रोन से 3 विस्फोटक गिराए, जो छत को तोड़ते हुए घरों के अंदर फटे। उग्रवादियों ने पहाड़ी की चोटी से गोलीबारी भी की।

6 सितंबर- पूर्व CM के घर रॉकेट से हमला: मणिपुर बिष्णुपुर जिला स्थित मोइरांग में पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर हमला हुआ था। कुकी उग्रवादियों ने रॉकेट बम फेंका। इस हमले में 1 एक बुजुर्ग की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। मैरेम्बम कोइरेंग राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे।

7 सितंबर- जिरिबाम में दो हमले, 5 की मौत: पहली घटना जिला हेडक्वार्टर से करीब 7 KM दूर हुई। यहां संदिग्ध पहाड़ी उग्रवादियों ने एक घर में घुसकर बुजुर्ग को सोते समय गोली मार दी। वे घर में अकेले रहते थे। दूसरी घटना में कुकी और मैतेई लोगों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 4 लोगों की मौत हुई।

मणिपुर में जारी हिंसा के बीच राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया। मणिपुर के आईजी (इंटेलिजेंस) के. कबीब ने शनिवार (7 सितंबर) को बताया कि एक मजबूत एंटी ड्रोन सिस्टम तैनात किया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों के नए हथियार खरीदे जा रहे हैं। सीनियर पुलिस अफसर ग्राउंड पर उतारे गए हैं। आर्मी के हेलिकॉप्टर के जरिए हवाई पेट्रोलिंग जारी है। संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा कर्मियों तैनात हैं।

मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार की शक्तियां बढ़ाने की मांग की

सीएम बीरेन सिंह ने गवर्नर लक्ष्मण आचार्य को 8 सूत्रीय मांगों की एक लिस्ट सौंपी है। इसमें संविधान के अनुसार राज्य सरकार को पावर और जिम्मेदारियां देने की बात कही गई है। साथ ही CM ने कुकी उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौते को रद्द करने की मांग की है, ताकि सिक्योरिटी फोर्सेज पूरी ताकत से कुकी उग्रवादियों पर कार्रवाई कर सकें। इसके अलावा नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) की प्रक्रिया शुरू करने और सभी अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की भी बात कही गई है।

मणिपुर हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत

मणिपुर में 3 मई, 2023 से कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर हिंसा चल रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिंसा में अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। 1100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 65 हजार से ज्यादा लोग अपना घर छोड़ चुके हैं।

4 पॉइंट्स में जानिए क्या है मणिपुर हिंसा की वजह...

मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।


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गाजा अटैक के बाद इजराइल में सबसे बड़ा प्रदर्शन

गाजा पट्टी में छह बंधकों के शव बरामद होने के बाद इजराइल में गुस्सा भड़क गया है। रविवार रात अलग-अलग शहरों में करीब 5 लाख लोगों ने प्रदर्शन किया। टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी तेल अवीव में 3 लाख से ज्यादा और दूसरे शहरों में 2 लाख से ज्यादा लोग जुटे।

हॉस्टेज एंड मिसिंग फैमिली फोरम ने CNN से 7 लाख से ज्यादा लोगों के जुटने का दावा किया। प्रदर्शनकारियों ने मारे गए छह बंधकों के शवों के प्रतीक के तौर पर 6 ताबूत रखे थे। इजराइल में 7 अक्टूबर के हमलों के बाद यह सबसे बड़ा प्रदर्शन है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू के घर के बाहर भी विरोध जताया गया।

इजराइली जनता बंधकों की रिहाई न होने से नाराज

प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री नेतन्याहू और उनकी सरकार पर बंधकों की रिहाई के लिए ठोस कदम नहीं उठाने का आरोप लगा रहे थे।

उनका कहना था नेतन्याहू अगर जंग रोकने का समझौता कर लेते तो बंधकों को छुड़ाया जा सकता था। नेतन्याहू राजनीतिक वजहों से समझौता करना नहीं चाहते।

रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शनकारी रातभर विरोध प्रदर्शन करते रहे। उन्होंने कई हाईवे को जाम कर दिया। वे ‘नाउ-नाउ’ (अभी-अभी) के नारे लगा रहे थे। वे जल्द से जल्द हमास के साथ युद्धविराम की मांग कर रहे थे।

कई लोग बंधकों के जिंदा लौटने की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने बंधकों के सम्मान में इजराइली झंडा, पीले रिबन और मारे गए 6 बंधकों से माफी मांगने वाली तख्तियां हाथों में ले रखी थीं।

मजदूर संघ ने देशभर में हड़ताल का आह्वान किया

इस बीच इजराइल के सबसे बड़े मजदूर संघ जनरल फेडरेशन ऑफ लेबर ने सोमवार से देशभर में हड़ताल का आह्वान किया है। स्वास्थ्य, परिवहन और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों के 8 लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यापार संघ ने कहा कि हड़ताल सोमवार से शुरू होगी।

इस हड़ताल का मकसद सरकार पर जंग रोकने के लिए दबाव बढ़ाना है ताकि गाजा में हमास की कैद से लोगों को वापस लाया जा सके। संगठन दावा कर रहा है कि हड़ताल की वजह से सोमवार को इजराइल का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बेन-गुरियन भी बंद रहेगा। हालांकि एयरपोर्ट अथॉरिटी ने इनकार किया है।

7 अक्टूबर को इजराइल पर हमास के हमले के बाद मजदूर संघ की यह पहली आम हड़ताल होगी। इससे पहले जून 2023 में भी एक आम हड़ताल हुई थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री नेतन्याहू को न्यायिक सुधारों वाली योजना टालनी पड़ी थी।

अपनी ही सरकार से नाराज हुए रक्षा मंत्री

6 बंधकों के शव मिलने के बाद इजराइल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने अपने ही सरकार के खिलाफ हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार बंधकों को मुक्त कराने की बजाए सीमा इलाके पर कब्जा करने को प्राथमिकता दे रही है।

गैलेंट का इशारा मिस्र और गाजा पट्टी से लगे बफर जोन फिलाडेल्फिया कॉरिडोर की तरफ था। 3 महीने पहले इजराइली सेना ने 14 किमी लंबे इस इलाके पर कब्जा कर लिया था। गैलेंट ने कहा कि हमारे पास अब समय नहीं है। अगर हम इसी तरह काम करते रहे तो बाकी बंधकों को कभी आजाद नहीं करा पाएंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक हमास फिलाडेल्फिया कॉरिडोर पर इजराइली कब्जे से नाराज है। गैलेंट ने कहा कि बंधकों को रिहा कराना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्हें रिहा कराने के बाद तो हम 8 घंटे के भीतर फिलाडेल्फिया कॉरिडोर पर कब्जा कर सकते हैं।

इजराइली सेना के पहुंचने से पहले बंधकों को मारा

इससे पहले इजराइली सेना ने शुक्रवार रात को गाजा के राफा में हमास की सुरंगों से 6 बंधकों के शव बरामद किए थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पाया गया कि गुरुवार और शुक्रवार की सुबह के बीच उनके सिर में बेहद करीब से गोली मारी गई। इजराइली सेना ने बताया कि सैनिकों के वहां पहुंचने से कुछ देर पहले ही हमास ने इन बंधकों को बर्बरता के साथ मार डाला।


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खत्म हुआ इंतजार, आज से साहिबाबाद से मेरठ तक जाएगी नमो भारत ट्रेन, जानिए कितना लगेगा किराया

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीति चरम पर है। एक ओर जहां रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप दौड़ में हैं तो वहीं डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस भी उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं। इस बीच डेमोक्रेटिक पार्टी का नेशनल कन्वेंशन चर्चा का विषय बन गया है। 

'ओम शांति शांति' से गूंजा कन्वेंशन हॉल

शिकागो में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन का तीसरा दिन खास इसलिए भी रहा, क्योंकि इसकी शुरुआत हिंदू पुजारी ने वैदिक मंत्रों से की। कन्वेंशन शुरू हुआ ही था कि पूरे हॉल में "ओम शांति शांति" के नारे गूंज उठे। मैरीलैंड के शिव विष्णु मंदिर के पुजारी राकेश भट्ट ने एकजुट देश के लिए आशीर्वाद मांगते हुए वैदिक प्रार्थना की।

हमें एकजुट होना होगा

पुजारी राकेश भट्ट ने कहा, 

कौन हैं पुजारी राकेश भट्ट

राकेश भट्ट एक माधव पुजारी हैं जो बेंगलुरु से अमेरिका चले गए थे। उन्होंने अपने गुरु, उडुपी अष्ट मठ के पेजावर स्वामीजी के अधीन ऋग्वेद और तंत्रसार (माधव) आगम में प्रशिक्षण लिया था। राकेश भट्ट हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, तमिल, तेलुगु और कन्नड़ में बोलते हैं। उनके पास तीन भाषाओं में संस्कृत, अंग्रेजी और कन्नड़ बैचलर और मास्टर डिग्री है।

उन्होंने बेंगलुरु के ओस्टीन कॉलेज से अंग्रेजी और कन्नड़ की डिग्री और जयचामाराजेंद्र कॉलेज से संस्कृत की डिग्री हासिल की। 

मंत्रोच्चारण पर क्या बोले डेमोक्रेटिक नेता?

डेमोक्रेटिक पार्टी के उप राष्ट्रीय वित्त अध्यक्ष अजय भूतोरिया ने कहा कि राकेश भट्ट की डी.एन.सी में हिंदू प्रार्थना एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो समावेशिता और विविधता के प्रति डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

क्या है DNC?

DNC (डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन) डेमोक्रेटिक पार्टी का सबसे बड़ा कार्यक्रम माना जाता है। ये चार साल में एक बार राष्ट्रपति चुनाव से पहले होता है। इसकी शुरुआत 1832 में हुई थी, जिससे तत्कालीन राष्ट्रपति एंड्रयू जैक्सन को चुनने के लिए हुई थी।



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चीन और रूस के बॉम्बर विमान अमेरिका की सीमा में घुसे, कनाडा की भी उड़ी नींद

चीन के बॉम्बर ने अमेरिका में दहशत मचा दी. इसमें रूस के सहयोग की भी बात सामने आई है. चीन के H-6 सीरीज के 2 विमानों ने रूसी TU-95 बॉम्बर के साथ बुधवार सुबह अमेरिका के अलास्का के पास उड़ान भरी थी. फॉक्स न्यूज के मुताबिक, नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) ने कहा कि उसने अलास्का के तट पर 2 रूसी टीयू-95 बॉम्बर और 2 चीनी एच-6 बमवर्षक को रोकने के लिए लड़ाकू जेट भेजे. एजेंसी ने पुष्टि की है कि उसने 24 जुलाई को अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में 2 रूसी TU-95 और दो चीनी H-6 सैन्य विमानों का पता लगाया और उन्हें रोका गया.  

रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका और कनाडा के NORAD ने विमानों ने इन विमानों को वापस भेजा. फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया कि यह पहली बार हुआ, जब रूस और चीन ने अलास्का के तट पर संयुक्त बमवर्षक भेजे. एजेंसी ने ये भी कहा कि रूसी और चीन के विमान अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में ही बने रह. उन्होंने अमेरिकी या कनाडाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया. अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में में रूसी और चीन की इस गतिविधि को खतरे के रूप में नहीं देखा गया है हालांकि, अमेरिका इस पर निगरानी जारी रखेगा.

ये है चीन के विमानों की खासियत

चीन के H-6 सीरीज के विमानों में अलग-अलग प्रकार विमान शामिल हैं, जिनमें मिसाइल वाहक विमान और हवाई ईंधन भरने वाले टैंकर भी हैं. इसके साथ ही बड़े आकार के हथियार ले जाने के लिए इन्हें डिजाइन किया गया. विज्ञप्ति में ये नहीं बताया गया कि अमेरिका के किन विमानों ने चीनी और रूसी बॉम्बर को रोकने के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन संभावना है कि अमेरिकी वायुसेना के F-16 या F-22 विमान इसमें शामिल थे. 

क्या कहा है NORAD ने

नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) ने बयान में कहा कि उसने 24 जुलाई को अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन  में काम कर रहे 2 रूसी TU-95 और दो PRC पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के H-6 सैन्य विमानों का पता लगाया, उन पर नजर रखी और उन्हें रोका. NORAD ने कहा कि अमेरिकी और कनाडाई लड़ाकू विमानों ने यह काम किया और इस बात पर भी ध्यान दिया कि रूसी और चीनी विमान अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में ही रहे. उन्होंने अमेरिकी या कनाडाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया.


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