अमेरिका में रह रहे भारतीयों को बड़ी राहत, ट्रंप के इस आदेश पर लगी रोक

US Court अमेरिका में रह रहे भारतीयों को आज बड़ी राहत मिली है। वीजा पर रहने वाले और ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे भारतीय छात्रों और पेशेवरों को अमेरिका छोड़ने का डर अब खत्म हो जाएगा। दरअसल, सिएटल के एक कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस आदेश पर अनिश्चित काल के लिए रोक दी है, जिसमें जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने का आदेश जारी किया गया था। 

कोर्ट ने क्या कहा?

ट्रंप सरकार के आदेश की आलोचना करते हुए, सिएटल कोर्ट ने कहा कि ट्रंप संविधान के साथ "नीतिगत खेल" खेलने के लिए कानूनी राज को दरकिनार करने की कोशिश कर रहे हैं।

ट्रंप को दूसरा बड़ा झटका

अमेरिका के जिला न्यायाधीश जॉन कफनौर का ये प्रारंभिक रोक जजमेंट अमेरिकी कानून को बदलने के साथ ट्रंप की व्यापक निर्वासन कार्रवाई को दूसरा बड़ा कानूनी झटका है। इससे पहले मैरीलैंड के एक जज ने भी ऐसा ही फैसला सुनाया था।

ट्रंप को जज ने सुनाई खरी-खरी

सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, सिएटल में गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान न्यायाधीश कफनौर ने सख्त लहजे में कहा, 

जज बोले- संविधान में करना होगा संशोधन

जज ने आगे कहा कि इस न्यायालय में और मेरी निगरानी में कानून का शासन बना रहेगा, चाहे कोई कुछ भी हो। जज ने आगे कहा कि संविधान ऐसी चीज नहीं है जिसके साथ सरकार नीतिगत खेल खेल सके। यदि सरकार जन्मजात नागरिकता के कानून को बदलना चाहती है, तो उसे संविधान में ही संशोधन करने की आवश्यकता है।

ट्रंप के आदेश का भारतीयों पर क्या पड़ता प्रभाव?

20 जनवरी को दूसरी बार कार्यभार संभालने के तुरंत बाद, ट्रंप ने अमेरिका में जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने वाले एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए। यह आदेश अमेरिकी धरती पर जन्मे उन बच्चों को अमेरिकी नागरिकता देने से इनकार करता है, जिनके माता-पिता अमेरिका के स्थायी निवासी नहीं हैं।

इस आदेश ने अमेरिका में भारतीय समुदाय के बीच चिंता पैदा कर दी, खासकर एच-1बी (कार्य वीजा), एल (इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर), एच-4 (आश्रित वीजा) और एफ (छात्र वीजा) जैसे अस्थायी वीजा पर रहने वालों के। ट्रंप के आदेश के अनुसार, अस्थायी वीजा पर माता-पिता से पैदा हुए बच्चों को नागरिकता नहीं मिलेगी, जब तक कि उनमें से एक माता-पिता अमेरिकी नागरिक या ग्रीन कार्ड धारक न हो। 


...

गोला-बारूद, मिसाइलें और फाइटर जेट भारत ने डिफेंस बजट में हजारों करोड़ बढ़ाकर दिया चीन-PAK को Red Alert

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में देश के वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश कर दिया है. वित्त मंत्री ने इस बार भारत का रक्षा बजट इतना बढ़ा दिया है जोकि चीन और पाकिस्तान के लिए रेड अलर्ट है. इस बार भारत सरकार ने रक्षा के लिए बजट 36 हजार 959 करोड़ रुपये बढ़ाकर चार लाख 91 हजार 732 करोड़ रुपये आवंटित किया है.  

जहां 2024-25 के लिए भारत सरकार ने चार लाख 54 हजार 773 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, वहीं इस बार 36 हजार 959 करोड़ रुपये बढ़ाकर रक्षा मंत्रालय को दिए गए हैं. भारत ने डिफेंस सेक्टर को ही सबसे ज्यादा बजट आवंटित किया है.  

डिफेंस सेक्टर को मिले बजट पर क्या बोले राजनाथ सिंह?

डिफेंस सेक्टर को मिले बजट पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछली बार से इस बार 37 हजार करोड़ रुपये बढ़ाया गया है. जोकि कुल बजट का 13.44 फीसदी है. डिफेंस फोर्सेज का मॉडर्नाइजेशन हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है. हम इसके लिए निरंतर कार्यरत हैं. इसके लिए हमारी सरकार ने एक लाख 80 हजार करोड़ का आवंटित किया गया है, जो सेनाओं की क्षमताओं को बढ़ाएगा. इस बजट में डिफेंस फोर्स के बजट के अंतर्गत तीन लाख 11 हजार करोड़ से अधिक का आवंटन किया गया है. जो पिछले वित्त वर्ष से 10 फीसदी अधिक है. पिछले बजट की तरह ही डिफेंस मॉडर्नाइजेशन बजट का 75 फीसदी हिस्सा डॉमेस्टिक इंडस्ट्री से खर्च किया जाएगा. इससे पीएम मोदी ने डिफेंस में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य रखा है, उसे पूरा करने में मदद मिलेगी. डॉमेस्किटक डिफेंस इंडस्ट्रीज को भी बढ़ावा मिलेगा. भूतपूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को बेहतर इलाज के लिए 8300 करोड़ से अधिक का आवंटन किया गया है. 

डिफेंस के बाद रूरल डेवलपमेंट को सबसे ज्यादा बजट

डिफेंस के बाद ग्रामीण विकास मंत्रालय को सबसे ज्यादा बजट मिला है. ग्रामीण विकास मंत्रालय को एक हजार करोड़ रुपये बढ़ाकर दो लाख 66 हजार 817 करोड़ रुपये कर दिया गया है. वहीं आईटी और टेलीकम्युनिकेश का बजट 21 हजार करोड़ रुपये घटाकर 95 हजार 298 करोड़ कर दिया गया है.  

डिफेंस, रूरल के बाद गृह मंत्रालय को मिला हाई बजट

इसके बाद गृह मंत्रालय को सबसे ज्यादा बजट आवंटित हुआ है. गृह मंत्रालय को पिछली बार से 13 हजार 568 करोड़ रुपये बढ़ाकर दो लाख 33 हजार 211 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसके बाद कृषि मंत्रालय को एक लाख 71 हजार 437 करोड़, शिक्षा को एक लाख 28 हजार 650 करोड़, स्वास्थ्य मंत्रालय को 98 हजार 311 करोड़, शहरी विकास मंत्रालय को 96 हजार 777 करोड़, ऊर्जा को 81 हजार 174 करोड़, कॉमर्स एंड इंडस्ट्री को 65 हजार 553 करोड़, सोशल वेलफेयर को 60 हजार करोड़ और साइंटिफिक डिपार्टमेंट के लिए 55 हजार 679 करोड़ रुपये दिए गए हैं.


...

10 महीने में लॉन्च होगा स्वदेशी जेन AI मॉडल, अमेरिका और चीन के दबदबे को चुनौती देगा भारत

अमेरिका और चीन के बाद अब भारत जल्द अपना एआई मॉडल लॉन्च करने जा रहा है। आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज इसका एलान किया है। भारत के स्वदेशी जेनरेटिव एआई मॉडल के अगले 10 महीनों में उपलब्ध होने की उम्मीद है। यह एआई मॉडल ChatGPT, Gemini और DeepSeek जैसे पॉपुलर एआई मॉडल को चुनौती देगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने इसके लिए 10 कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया है।

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि स्वदेशी एआई मिशन को पूरा करने के लिए मौजूदा समय में सरकारी कम्प्यूटिंग फैसेलिटी में 18,693 ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट (GPU) उपलब्ध हैं।

भारत ने स्वदेशी एआई मिशन के लिए रिलायंस जियो, टाटा कॉम्युनिकेशन, ओरिएंट टेक, योट्टा कॉम जैसी कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया है। इसके साथ ही सरकार ने अन्य कंपनियों से भी फांउडेशनल मॉडल के लिए आवेदन मांगे हैं। इसके साथ ही इडिविजुअल डेवलपर्स से भी आवेदन मांगे जा रहे हैं। 

प्राइवेसी को लेकर सरकार चिंतित

डीपसीक एआई की लोकप्रियता और यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर पूछे सवाल के जवाब में अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सरकार यूजर्स की प्राइवेसी को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने बताया कि सरकार जल्द ही यूजर्स की प्राइवेसी और सुरक्षा के लिए डीपसीक से भारत में सर्वर लगाने के लिए कहेगी।



...

रूस बना रहा एक और वैक्सीन, 48 घंटे में दिखेगा असर

आज के समय में पूरी दुनिया कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से परेशान है। कैंसर का मंहगा इलाज और वैक्सीन ना मिलने के कारण कई लोगों की मौत हो जाती है। वहीं, इस बीच रूस ने इस बीमारी के समाधान के लिए एक बड़ा एलान किया है, रूस ने कहा कि उसने कैंसर की वैक्सीन बना ली, जो सभी नागरिकों के लिए फ्री में उपलब्ध होगी।

रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर आंद्रेई काप्रिन ने कहा, रूस की इस कैंसर वैक्सीन को अलग-अलग तरह के मरीजों के लिए अलग-अलग बनाया जाएगा।

इस खासियत की वजह से इसकी कीमत करीब 2.5 लाख रुपए होगी। रूसी नागरिकों को ये वैक्सीन मुफ्त में मिलेगी। हालांकि दुनिया के बाकी देशों के ये वैक्सीन कब मिलेगी, इसके बारे में काप्रिन ने कोई जानकारी दी है।

2025 में कैंसर वैक्सीन होगी लॉन्च

रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय ने एलान किया है कि उसने कैंसर के खिलाफ एक टीका बना लिया है जिसे 2025 की शुरुआत से रूस के कैंसर रोगियों को फ्री में लगाया जाएगा।

रूसी राज्य के स्वामित्व वाली समाचार एजेंसी TASS के अनुसार, रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के जनरल डायरेक्टर एंड्री काप्रिन ने रूसी रेडियो चैनल पर इस वैक्सीन को लेकर जानकारी दी।

वहीं, डायरेक्टर आंद्रेई काप्रिन ने बताया कि प्रीक्लिनकल ट्रायल में वैक्सीन प्रभावी साबित हुई है। इससे ट्यूमर का विकास धीमा होने के साथ उस पर 80% तक कमी देखी गई है। इस वैक्सीन को मरीजों के ट्यूमर सेल्स के डेटा के आधार पर स्पेशल प्रोग्राम के जरिए डिजाइन किया जाता है।

48 घंटो में होगा वैक्सीन का असर

रूस की फेडरल मेडिकल बायोलॉजिकल एजेंसी की प्रमुख वेरोनिका स्वोर्त्सकोवा ने वैक्सीन के काम करने के तरीके को मेलानोमा (स्किन कैंसर) से समझाया है। सबसे पहले कैंसर के रोगी में से कैंसर सेल्स का सैंपल लिया जाता है।

इसके बाद वैज्ञानिक इस ट्यूमर के जीन की सीक्वेंसिंग करते हैं। इसके जरिए कैंसर सेल्स में बने प्रोटीन की पहचान की जाती है। प्रोटीन की पहचान के बाद पर्सनलाइज्ड mRNA वैक्सीन बनाई जाती है। R को लगने वाली कैंसर वैक्सीन शरीर को T सेल्स बनाने का आदेश देती है।

ये T सेल्स ट्यूमर पर हमला कर कैंसर को खत्म कर देती हैं। इसके बाद इंसानी शरीर ट्यूमर सेल को पहचानने लगता है, जिससे कैंसर दोबारा नहीं लौटता है।

अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा के कैंसर एक्सपर्ट एलियास सयूर के 

मुताबिक इस तकनीक से बन रही वैक्सीन ने ब्रैन कैंसर के लिए 48 घंटों से भी कम वक्त में असर दिखा दिया था।

एक और वैक्सीन का एलान करेगा रूस

रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के नेशनल मेडिकल रिसर्च रेडियोलॉजिकल सेंटर की वेबसाइट के मुताबिक कैंसर से लड़ने के लिए दो तरह की खोज में जुटे हुए थे। इनमें पहली mRNA वैक्सीन और दूसरी दूसरी ऑन्कोलिटिक वायरोथेरेपी है।

इस थेरेपी के तहत लैब में मॉडिफाई किए गए इंसानी वायरस से कैंसर सेल्स को टारगेट कर संक्रमित किया जाता है। इससे वायरस कैंसर सेल्स में खुद को मल्टीप्लाय करती है। इसका नतीजा ये होता है कि कैंसर सेल नष्ट हो जाती है। यानी इस थेरेपी में ट्यूमर को सीधे तौर पर नष्ट करने की जगह इम्युनिटी को सक्रिय करके कैंसर सेल्स नष्ट की जाती है।

इस थेरेपी के लिए बनाई जा रही वैक्सीन का नाम एंटेरोमिक्स है। इस वैक्सीन का रिसर्च साइकिल पूरा हो चुका है। जल्द ही इसका ऐलान हो सकता है।


...

रूस ने कैंसर की वैक्सीन बनाई

रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि हमने कैंसर की वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इसकी जानकारी रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर आंद्रेई कप्रीन ने रेडियो पर दी। रूसी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, इस वैक्सीन को अगले साल से रूस के नागरिकों को फ्री में लगाया जाएगा।

डायरेक्टर आंद्रेई ने बताया कि रूस ने कैंसर के खिलाफ अपनी mRNA वैक्सीन विकसित कर ली है। रूस की इस खोज को सदी की सबसे बड़ी खोज माना जा रहा है। वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल से पता चला है कि इससे ट्यूमर के विकास को रोकने में मदद मिलती है।

इससे पहले इस साल की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया था कि रूस कैंसर की वैक्सीन बनाने के बेहद करीब है।

क्या होती है mRNA वैक्सीन

mRNA या मैसेंजर-RNA इंसानों के जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारी सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाती है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है।

इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे कन्वेंशनल वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा जल्दी वैक्सीन बन सकती है। इसके साथ ही इससे शरीर की इम्युनिटी भी मजबूत होती है। mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित यह कैंसर की वैक्सीन पहली वैक्सीन है।

भारत में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को कैंसर

भारत में 2022 में कैंसर के 14.13 लाख नए केस सामने आए थे। इनमें 7.22 लाख महिलाओं में, जबकि 6.91 लाख पुरुषों में कैंसर पाया गया। 2022 में 9.16 लाख मरीजों की कैंसर से मौत हुई।

5 साल में भारत में 12% की दर से कैंसर मरीज बढ़ेंगे

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का आकलन है कि 5 साल में देश में 12% की दर से कैंसर मरीज बढ़ेंगे, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कम उम्र में कैंसर का शिकार होने की है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कम उम्र में कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में हमारी लाइफस्टाइल है।

ग्लोबल कैंसर ऑब्जरवेटरी के आंकड़ों के अनुसार, 50 साल की उम्र से पहले ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और थायराइड कैंसर सबसे ज्यादा हो रहे हैं। भारत में ब्रेस्ट, मुंह, गर्भाशय और फेफड़ों के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।


...

भारत पर लगाया आरोप तो कनाडा में ही हुई ट्रूडो की बेइज्जती, ईरानी पत्रकार ने भी घेरा

भारत और कनाडा के बीच पैदा हुए ताजा विवाद के बीच कनाडाई पत्रकार ने पीएम जस्टिन ट्रूडो पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं. डेनियल बॉर्डमैन नाम के एक जर्नलिस्ट ने ट्रूडो पर आरोप लगाते हुए कहा कि भारत के साथ तनाव बढ़ने के बाद जस्टिन ट्रूडो फिर से जनता को ठोस सबूत देने में विफल रहे है. इससे कनाडा को व्यापार में अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है. उन्होंने ये सब खालिस्तानी लोगों को खुश करने के लिए किया है.

डेनियल बॉर्डमैन ने एक ट्वीट में कहा है कि जिन कनाडाई लोगों ने जस्टिन ट्रूडो और उनके पूरी सरकार को हमारी सड़कों पर अराजकता और आतंकवाद को फैलाते हुए देखा है, उन्हें विश्वास नहीं होगा कि उन्हें वास्तव में कनाडाई सुरक्षा की परवाह है. उन्हें पता है कि वो जो भी भारत के खिलाफ कर रहे हैं वो एक झूठ है.

इसके अलावा ईरानी मूल के एक एक्टिविस्ट सलमान सीमा ने कहा कि ट्रूडो अक्सर झूठ बोलते हैं. वो चाहते हैं कि हम यह विश्वास कर लें कि भारत की ओर से कनाडाई लोगों पर हमला करने की बड़ी साजिश रची जा रही है, जबकि ट्रूडो की पुलिस ने ही जिहादियों और खालिस्तानियों को हमारी सड़कों पर कब्जा करने और यहूदी, ईरानी, ईसाई और हिंदू समुदायों पर हमला करने की अनुमति दी है.

भारत ने 6 राजनयिकों को निष्कासित किया

हाल ही में कनाडा ने भारत के उच्चायुक्त और अन्य भारतीय राजनयिकों पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था. इसके बाद भारतीय उच्चायुक्त और कुछ अन्य अधिकारियों को वापस बुला लिया गया और सोमवार (14 अक्टूबर)  को कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित करने की घोषणा की गई. विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा के राजनयिकों को 19 अक्टूबर को रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है


...

जापान में शिगेरू इशिबा बनेंगे अगले प्रधानमंत्री

जापान में रक्षा मंत्री रह चुके शिगेरू इशिबा अब देश के नए प्रधानमंत्री होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक शुक्रवार को लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। वे 1 अक्टूबर को संसद सत्र की शुरुआत के साथ पद संभालेंगे।

दरअसल, जापान में सत्ताधारी पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री चुना जाता है। LDP पार्टी के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष चुने गए इशिबा अब जुलाई 2025 तक PM पद पर रहेंगे। इसके बाद देश में आम चुनाव होंगे।

67 साल के इशिबा ने अपनी प्रतिद्वंदी सनाए तकाइची को 21 वोटों के अंतर से हराया। इशिबा को पार्टी सदस्यों के 215 वोट हासिल हुए। इशिबा इससे पहले भी 4 बार पार्टी लीडरशिप के लिए चुनाव लड़ चुके हैं। 2012 में वे शिंजो आबे के खिलाफ भी खड़े हुए थे, लेकिन उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा।

चुनाव जीतने के बाद इशिबा ने कहा, "अब पार्टी नए सिरे से खड़े होकर लोगों का भरोसा जीतेगी। मैं अपने कार्यकाल में देश की जनता से सच बोलूंगा। मैं देश को सुरक्षित और खुशहाल बनाने के लिए काम करता रहूंगा।"

जापान के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स बंद करने का वादा किया

इशिबा जापान के रक्षा और कृषि मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने 1986 में 29 साल की उम्र में पहला चुनाव जीता था। तब वे जापान की संसद के सबसे युवा सदस्य बने थे। इस बार अपने कैंपेन में इशिबा ने देश के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को धीरे-धीरे बंद करने का वादा किया है।

इसके अलावा उन्होंने चीन और नॉर्थ कोरिया जैसे खतरों से निपटने के लिए एशिया में भी एक NATO बनाने की बात कही है। इशिबा PM किशिदा के आलोचक हैं। वे LDP की नीतियों से इतर जापान में महिला सम्राट बनाने की पैरवी करते हैं। इस वजह से पार्टी के कई नेता उनके खिलाफ हैं। दरअसल, LDP के ज्यादातर सदस्यों का मानना है कि महिलाओं को एक मां और पत्नी के पारंपरिक कर्तव्य ही निभाने चाहिए।

भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे किशिदा, लोकप्रियता घटी

जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने 14 अगस्त को पार्टी चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी। वे 2021 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे। उनका तीन साल का कार्यकाल इस महीने के अंत में खत्म हो जाएगा। इस दौरान किशिदा पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हैं जिसकी वजह से उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है।

निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई में किशिदा की अप्रूवल रेटिंग 20% से नीचे थी। ये लगातार आठवां महीना है जब किशिदा की रेटिंग इतनी नीचे रही है। 2021 में पीएम किशिदा की रेटिंग 65% के करीब थी। शिंजो आबे की मौत के बाद उनकी रेटिंग में गिरावट आनी शुरू हुई। दरअसल आबे की मौत के बाद यूनिफिकेशन चर्च के साथ LDP के संबंधों का खुलासा हुआ था। ये चर्च पार्टी को आर्थिक सपोर्ट मुहैया कराता था।

बाद में इससे जुड़े कई घोटाले सामने आए। इस साल अप्रैल में स्थानीय चुनावों में LDP की बुरी हार हुई थी। इसके बाद जुलाई में टोक्यो मेट्रोपॉलिटन असेंबली के उपचुनावों में भी पार्टी की करारी हार मिली। यही वजह थी कि LDP के ज्यादातर सांसद अगले आम चुनाव से पहले नए चेहरे की जरूरत पर जोर दे रहे थे।

क्या थे भ्रष्टाचार के आरोप

किशिदा की पार्टी के सांसदों पर आरोप लगा कि उन्होंने पार्टी को मिले राजनीतिक चंदे का पैसा हड़प लिया। उन्होंने अकाउंट में हेराफेरी कर पार्टी का पैसा खुद के अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया। मामले का खुलासा होने के बाद PM किशिदा ने कई कैबिनेट मंत्रियों और अन्य लोगों को पद से हटा दिया था।


...

रूस पहली बार परमाणु नीति में बदलाव करेगा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एक बार फिर से पश्चिम देशों को परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, पुतिन ने राजधानी मॉस्को में बुधवार को सुरक्षा परिषद की तत्काल बैठक बुलाई थी। इसमें उन्होंने कहा कि सरकार परमाणु हथियारों के इस्तेमाल से जुड़े नियम और शर्तों को बदलने जा रही है।

पुतिन ने कहा कि देश के परमाणु नियमों में कई नई चीजें जोड़ी जाएंगी। इसमें रूस के खिलाफ मिसाइल या फिर ड्रोन हमलों के खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल भी शामिल है। अगर रूसी इलाके में बड़े पैमाने पर मिसाइल या ड्रोन हमला होता है, जिससे देश की संप्रभुता पर गंभीर खतरा आ सकता है, तब भी रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है।

रूसी राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि यदि कोई गैर-परमाणु संपन्न देश किसी परमाणु संपन्न देश के समर्थन से रूस पर हमला करता है तो इसे दोनों देशों की तरफ से किया गया हमला माना जाएगा। उन्होंने कहा कि रूस के परमाणु हथियार, देश और उसके नागरिकों की सुरक्षा की सबसे बड़ी गारंटी हैं।

पुतिन बोले- परमाणु नीति में बदलाव समय की मांग

पुतिन का ये बयान तब आया है, जब यूक्रेन पश्चिमी देशों से रूस में दूर तक हमला करने वाली मिसाइलों के इस्तेमाल की इजाजत मांग रहा है। पुतिन ने कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की शर्तों में बदलाव जरूरी था, क्योंकि दुनिया तेजी से बदल रही है।

यूक्रेन को ब्रिटेन ने स्टॉर्म शैडो, अमेरिका ने आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) मिसाइलें दी हुई हैं। ये लंबी दूरी की घातक मिसाइलें हैं, जो करीब 300 किमी तक सटीक निशाना लगा सकती हैं।

यूक्रेन इन मिसाइलों का इस्तेमाल रूस में नहीं, बल्कि सिर्फ अपनी सीमा के भीतर ही कर सकता है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की चाहते हैं कि इन प्रतिबंधों को हटाया जाए, ताकि वे रूस के भीतर लंबी दूरी के हथियारों का इस्तेमाल कर सकें।

बाइडेन से आज मिलेंगे जेलेंस्की

यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। वे गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात करने वाले हैं। इस दौरान वे रूस में लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल की अनुमति मांग सकते हैं।

यह पहली बार नहीं है, जब पुतिन ने पश्चिमी देशों को परमाणु युद्ध की धमकी दी हो। रूसी राष्ट्रपति ने 12 सितंबर को कहा था कि अगर पश्चिमी देश यूक्रेन को क्रूज मिसाइल के इस्तेमाल की अनुमति देते हैं तो इसका मतलब यह समझा जाएगा कि NATO, रूस के खिलाफ जंग में उतर चुका है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो वे इसका जवाब जरूर देंगे।

यूक्रेन ढाई साल से अमेरिका और पश्चिमी देशों के समर्थन से रूस के खिलाफ जंग लड़ रहा है। यूक्रेन ने अगस्त में रूस में घुस कर उसके कई इलाकों पर कब्जा कर लिया था। रूस अपने इलाकों को छुड़ाने की कोशिश में जुटा है।


...

खाड़ी देशों से अकेले जंग लड़ने वाला इजरायल, हमास के सामने झुका, भेजा जंग खत्म करने का पैगाम

इजरायल ने युद्ध खत्म करने की पेशकश की है. इजरायल का कहना है कि अगर सभी बंधकों को एक साथ रिहा कर दिया जाए और गाजा को निरस्त्र कर दिया जाए तो हमास नेता यह्या सिनवार को जाने दिया जाएगा. बंधकों के रिश्तेदारों ने योजना की सराहना की, लेकिन हमास के अधिकारी ने इसे 'हास्यास्पद' बताकर तुरंत खारिज कर दिया.

कान न्यूज ने गुरुवार (19 सितंबर) को बताया कि इजरायल ने एक प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत गाजा पट्टी में लड़ाई खत्म की जाएगी और हमास के प्रमुख को सुरक्षित तरीके से वहां से बाहर निकलने का रास्ता दिया जाएगा. इसके बदले में गाजा में बंधक बनाए गए सभी लोगों को तुरंत रिहा किया जाएगा, गाजा पट्टी को सैन्य मुक्त किया जाएगा और वहां एक वैकल्पिक शासकीय सत्ता की स्थापना की जाएगी. 

अमेरिकी अधिकारियों के सामने पेश की योजना

 इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, एक इजरायली अधिकारी ने कहा कि बंधकों के मामले में सरकार के प्रतिनिधि गैल हिर्श ने यह योजना अमेरिकी अधिकारियों के सामने पेश की थी, जिनसे यह अपेक्षा की गई थी कि वे इसे अनिर्दिष्ट अरब अधिकारियों को सौंपेंगे. कान न्यूज ने बताया कि हिर्श ने बंधकों के परिवारों को बताया कि यह प्रस्ताव पिछले सप्ताह व्हाइट हाउस और विदेश विभाग के अमेरिकी अधिकारियों के साथ बैठक में पेश किया गया था. 

कान न्यूज के मुताबिक, प्रस्ताव के तहत गाजा पट्टी में अब भी बंधक बनाए गए सभी 101 बंधकों को तुरंत वापस लौटा दिया जाएगा और इजरायल युद्ध खत्म कर देगा, जिसमें बंधकों की चरणबद्ध रिहाई और सैनिकों की क्रमिक वापसी की बात नहीं की गई है, जिस पर अब तक चर्चा चल रही थी. इजरायल अपनी जेलों से अनिर्दिष्ट संख्या में फिलिस्तीनी कैदियों को भी रिहा करेगा, व्यापक रूप से 7 अक्टूबर के हमले के मास्टरमाइंड माने जाने वाले हमास नेता सिनवार को गाजा पट्टी छोड़ने की इजाजत देगा.

हमास ने खारिज किया प्रस्ताव 

वहीं, हमास पोलित ब्यूरो के सदस्य गाजी हमद ने इस प्रस्ताव को तुरंत खारिज कर दिया और अल-अरबी अल-जदीद से कहा, "सिनवार के बाहर निकलने का प्रस्ताव हास्यास्पद है और कब्जे के दिवालियापन की ओर इशारा करता है." हमाद ने कहा, "यह आठ महीने की बातचीत के दौरान जो कुछ हुआ, उससे कब्जेदारों के इनकार की पुष्टि करता है. इजरायल के अड़ियल रुख के कारण बातचीत अटकी हुई है."

कब-कब हुआ इजरायल और खाड़ी देशों के बीच युद्ध

1948-49 में इजरायल और अरब के बीच हुए इस युद्ध को इजरायल में स्वतंत्रता संग्राम और अरब देशों में फिलिस्तीनी नकबा यानि कि तबाही के नाम से जाना जाता है. 1956 में हुए इस युद्ध को स्वेज संकट के नाम से जाना जाना जाता है. इस युद्ध में इजरायल ने मिस्र पर हमला किया था और स्वेज नहर के पूर्व में ज्यादातर प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया था. 1967 में अरब और इजरायल के बीच तीसरी बार झड़प हुई. इसके बाद 1973 में योम किप्पुर युद्ध, 1982 का लेबनान युद्ध, 2006 में दूसरा लेबनान युद्ध और 2023 में इजरायल-हमास युद्ध.


...

सरकार ने पोर्ट ब्लेयर का नाम श्री विजयपुरम किया

सरकार ने शुक्रवार को केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार आइलैंड की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर श्री विजयपुरम कर दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया X पर इसकी जानकारी दी।

शाह ने कहा- देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है।

इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 23 जनवरी 2023 को नेताजी की 126वीं बर्थ एनिवर्सरी पर अंडमान और निकोबार आइलैंड के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने का फैसला लिया था।

28 दिसंबर 2018 में अंडमान-निकोबार के हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप और रॉस द्वीप के नाम बदले थे। हैवलॉक द्वीप को स्वराज द्वीप, नील द्वीप को शहीद द्वीप और रॉस द्वीप को नेताजी सुभाष चंद्र द्वीप नाम दिया गया।

शाह ने सोशल मीडिया X पर लिखा...

देश को गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर आज गृह मंत्रालय ने पोर्ट ब्लेयर का नाम ‘श्री विजयपुरम’ करने का निर्णय लिया है। ‘श्री विजयपुरम’ नाम हमारे स्वाधीनता के संघर्ष और इसमें अंडमान और निकोबार के योगदान को दर्शाता है।

इस द्वीप का हमारे देश की स्वाधीनता और इतिहास में अद्वितीय स्थान रहा है। चोल साम्राज्य में नौसेना अड्डे की भूमिका निभाने वाला यह द्वीप आज देश की सुरक्षा और विकास को गति देने के लिए तैयार है। यह द्वीप नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी द्वारा सबसे पहले तिरंगा फहराने से लेकर सेलुलर जेल में वीर सावरकर व अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा माँ भारती की स्वाधीनता के लिए संघर्ष का स्थान भी है।

साल 2018 में PM मोदी ने पोर्ट ब्लेयर का दौरा किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा भारतीय धरती पर तिरंगा फहराने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर पोर्ट ब्लेयर के मरीना पार्क में एक जनसभा को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने सभी लोगों से मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू करने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि मोबाइल की फ्लैश लाइट चालू कीजिए और नेताजी को सम्मान दीजिए। 'इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां मौजूद लोगों से सुभाष बाबू जिंदाबाद के नारे लगवाए।

नेताजी देश ने सबसे पहले यहीं फहराया था तिरंगा

यही वह स्थान है, जहां नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश में आजादी से पहले तिरंगा फहराया था। यहां की सेलुलर जेल में वीर सावरकर समेत अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने कई साल सजा के तौर पर बिताए थे। वे देश की आजादी के लिए लड़ रहे थे।


...