मैं कर्नाटक की हिजाब गर्ल हूं

पिछले साल कर्नाटक की हिजाब गर्ल खूब चर्चा में रही। दुनियाभर में सुर्खियां बटोरीं। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में जिरह हुई। सोशल मीडिया पर मीम्स बने। कई लोगों ने तारीफ की, विदेश में पढ़ाई के ऑफर मिले, तो कुछ लोगों ने विरोध भी किया।

मैं वहीं हिजाब गर्ल मुस्कान खान हूं। जिसने अपने कॉलेज में कुछ हिंदू कट्टरवादी लड़कों के जय श्री राम का नारा लगाने पर अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए थे। उसके बाद दुनियाभर में मेरी वाहवाही तो हुई, लेकिन जिस दौर से मैं और मेरा परिवार गुजरा, वो कभी भूल नहीं सकती।

मैं कर्नाटक के मंडेया की रहने वाली हूं। फिलहाल बीकॉम सेकेंड ईयर में हूं। मेरे तीन भाई-बहन हैं। अब्बू का अपना बिजनेस है। मां घर पर रहती हैं। अब्बू ने हमेशा हम भाई-बहनों को पढ़ाने पर जोर दिया। अब्बू का कहना था कि पढ़-लिखकर लड़कियां अपने पैरों पर खड़ी हो जाएं, तो फिर उन्हें किसी के आसरे नहीं रहना पड़ेगा।

10वीं के बाद मेरे साथ की ज्यादातर लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी। उनकी शादी कर दी गई, लेकिन मैंने कॉलेज में दाखिला लिया, क्योंकि हमारे लिए पढ़ाई और परिवार ही सब कुछ था। राजनीति और किसी तरह की दुनियादारी से कोई वास्ता नहीं था।

उस दिन कॉलेज में जो हुआ, उस पर हर किसी ने मुझ पर कमेंट किए। रिश्तेदार अब्बू से कह रहे थे कि इसे कॉलेज क्यों भेजा, हंगामा हो गया न, इन सब चीजों की क्या जरूरत थी…? पर अब्बू ने मेरा साथ दिया। हिम्मत बनकर वे मेरे साथ खड़े रहे। कोई और होता तो शायद पढ़ाई छुड़वा देता, कॉलेज भेजना बंद करा देता, लेकिन अब्बू ने कहा कि तुमने जो किया ठीक किया।

दरअसल, सारा विवाद शुरू होता है हिजाब से। इस्लाम इल्म की इजाजत देता है। औरत को आजादी देता है। मुझे लगता है कि हिजाब डालना या नहीं डालना उसकी निजी चॉइस है। कोई किसी पर थोप नहीं सकता है।

हम कभी भी स्कूल या कॉलेज बुर्का पहन कर नहीं गए। घर से बुर्का पहनकर जाते थे और कॉलेज में हमें ड्रेस बदलने के लिए एक कमरा दिया गया था। वहां बुर्का निकाल कर हम सिर पर स्कार्फ बांध लेते थे। जो लड़कियां स्कार्फ नहीं बांधती थीं, वे कंधे पर दुपट्टा लेती थीं। कभी उस अनुशासन को नहीं तोड़ा।

बीते साल की बात है। बड़े भाई का रोड एक्सीडेंट हो गया था। उसे सिर में गहरी चोट आई थी। वह सीरियस था। कुछ कहा नहीं जा सकता था। हम सब डिप्रेशन में थे। दिन-रात रोते और दुआ करते बीतता था। घर में मातम जैसा माहौल था। इसी वजह से कई दिनों से मैं स्कूल भी नहीं जा पा रही थी।

एक दिन मेरी क्लासमेट का फोन आया कि इकोनॉमिक्स का असाइनमेंट जमा करने की कल आखिरी तारीख है। मेरा ध्यान तो भाई में ही था, कोई तैयारी की नहीं थी। मैंने फौरन अपनी स्कूटी निकाली और कॉलेज पहुंच गई।

मुझे पता नहीं था कि कॉलेज में क्या चल रहा है। मैंने गेट पर स्कूटी खड़ी की। उस वक्त कुछ लड़के मुझे घूर रहे थे और जय श्री राम के नारे लगा रहे थे। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं अंदर गई तो वे कहने लगे कि बुर्का निकालो, बुर्का निकालो, निकालो इसे।

जबकि मैंने चूड़ीदार सूट के साथ हिजाब पहना था। वहां सिर्फ मैं और नारा लगा रहे लड़के ही मौजूद थे। बाकी कोई और नहीं था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। फिर वे लोग एकदम मेरे सामने आ गए। नारेबाजी करने लगे। इस पर मैंने भी चिल्ला कर बोल दिया अल्लाह हू अकबर..अल्लाह हू अकबर...अल्लाह हू अकबर।

इससे वे लोग और गुस्से में आ गए, लेकिन मैं डरी नहीं। सच बताऊं, तो मुझे नहीं पता कि उस वक्त मुझे कहां से हिम्मत आई थी।

मैंने यह सब पहली बार देखा था। ऐसी भीड़ से पहली बार सामना हुआ था। मुझे अंदर से इतना गुस्सा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती। मेरा दिल जार-जार रो रहा था कि मेरा भाई बिस्तर पर है, उसकी जिंदगी खतरे में है और ये लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। मुझे परेशान कर रहे हैं। इसी बीच एक टीचर आए और मुझे कॉलेज के अंदर ले गए।

मैं कॉलेज में ही थी। इसी बीच मेरा वीडियो वायरल हो गया। एक सहेली ने बताया कि मुस्कान तेरा वीडियो यूट्यूब पर आ रहा है, मैंने ध्यान नहीं दिया। इतने में पता लगा कि कॉलेज में धारा 144 लग गई है। एक दोस्त ने मैसेज किया कि मुस्कान तुम टीवी पर आ रही हो, मैंने तब भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

मुझे प्रिंसिपल ने बुलाया और पूछताछ की। मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया। थोड़ी देर बाद पुलिस भी आ गई। मुझे देखकर पूछने लगे कि तुम्हीं हो न वो? फिर मैंने अब्बू को फोन लगाया। उन्हें बताया कि मेरे साथ ऐसा-ऐसा हुआ है। अब्बू ने कहा कि कोई बात नहीं, तुम घर आ जाओ।

मैं घर पहुंची तो मेरा ही इंतजार हो रहा था। अब्बू के दोस्त भी घर पर ही थे। वे कह रहे थे कि देखो तुम्हारी बेटी ने क्या किया है। कैसे मीडिया में आ रही है। मैंने अब्बू को सारी बात बताई। मां लगातार रो रही थीं। वे कह रही थीं कि तुमने ऐसा क्यों किया, तुम्हें कुछ हो जाता तो…।

मैंने टीवी ऑन किया। मेरा ही वीडियो टीवी पर चल रहा था। इसी बीच मीडिया वाले भी घर आ गए। मीडिया वालों की कतार लग गई। सब आवाज दे रहे थे कि मुस्कान को बाहर भेजो, मुस्कान को बाहर भेजो। मुस्कान बताओ आखिर हुआ क्या था, घटना की जानकारी दो।

इस पर पहले तो अब्बू ने मुझे मना कर दिया कि कुछ कहना नहीं है, कहीं जाना नहीं है। इधर मीडिया की भीड़ बढ़ती जा रही थी। वे वापस जाने को तैयार नहीं थे। फिर अब्बू के कहने पर मैं बाहर आई और मीडिया को सारी बात बताई।

इसके बाद तो हर दिन मीडिया वाले घर आने लगे। विदेशी मीडिया वाले भी बहुत आए। हम लोग पागल हो गए थे, परेशान हो गए थे रोज-रोज एक ही सवाल का जवाब देते-देते।

खैर उस घटना के बाद अल्लाह ने दुनिया में इतनी इज्जत दी, इतनी शोहरत दी कि मेरे पास शब्द नहीं हैं। हर जगह से मुझे दुआएं और तारीफें मिल रही थीं। कॉलेज में जो मेरी नॉन मुस्लिम दोस्त थीं, वे भी फोन करके बोल रही थीं कि मुस्कान तुमने अच्छा किया है।

हालांकि ये एक पक्ष था, जो दुनिया को दिख रहा था। एक दूसरा पक्ष भी था जिससे सिर्फ मैं और मेरा परिवार ही गुजर रहा था। मेरे खिलाफ समाज का एक तबका खड़ा हो गया था। हमारे अपने ही हमें कोस रहे थे। पापा को ताने मार रहे थे। कई कट्टरवादी लोग धमकी भी दे रहे थे।

घर में सभी लोग डर गए थे। कई महीने हम सोए नहीं, ठीक से खाना नहीं खाया, अम्मी हमेशा कहती थी कि तूने ऐसा क्यों किया। कोई तुम्हारे साथ कुछ गलत कर देगा तो क्या होगा, हम कहां जाएंगे..वगैरह, वगैरह। खैर इस घटना के बाद मैंने रेगुलर कॉलेज जाना छोड़ दिया था। पढ़ाई डिस्टर्ब हो गई। अब मैं ओपन स्टडी कर रही हूं।

मुझे कई विदेशी यूनिवर्सिटीज से पढ़ाई के लिए ऑफर आए, लेकिन मैं परिवार को छोड़कर नहीं जा सकती। मुझे भारत पसंद है, अपने देश से प्यार है और मुझे यहीं रहना है। यहां जिन कॉलेजों से मुझे पढ़ने के लिए ऑफर आए, वहां मेरे सब्जेक्ट नहीं थे। इसलिए मैंने घर पर ही रहकर ओपन स्टडी करना शुरू किया।

अब्बू मुझे शेरनी बुलाते थे और आज भी कहते हैं कि तुम सच में शेरनी हो। इतनी हिम्मत उन लड़कियों में ही होती है, जिनके पापा उनका साथ देते हैं। मैं अगर पढ़ी-लिखी नहीं होती तो रोकर या डरकर भाग जाती, लेकिन मैं जानती हूं कि मेरे अधिकार क्या हैं।

मुझे लगता है कि मैं उस कॉलेज की स्टूडेंट थी और लड़के भी उसी कॉलेज के स्टूडेंट थे। अगर उन्हें जय श्री राम कहने का हक था तो मुझे भी अल्लाह हू अकबर कहने का हक था। जैसा उनका हक, वैसा मेरा हक।

आज सब ठीक हो चुका है। मैंने उन लड़कों को भी माफ कर दिया है। उनसे कोई रंजिश नहीं है। एक और बात, यहां की पुलिस और सरकार ने हमारा साथ दिया। आज भी हम कहीं जाते हैं तो उन्हें बताकर जाते हैं। वे लोग हमारी हिफाजत करते हैं।

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अतीक-अशरफ के शव असद की कब्र के पास दफनाए गए

माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात प्रयागराज में हत्या कर दी गई। पुलिस दोनों को मेडिकल टेस्ट के लिए अस्पताल ले जा रही थी। पत्रकार साथ-साथ चलते हुए अतीक और अशरफ से सवाल कर रहे थे। इसी बीच तीन हमलावर पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए आए और अतीक के सिर में गोली मार दी, फिर अशरफ पर फायरिंग की। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे। इनके नाम लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य हैं। हमले के तुरंत बाद ही तीनों ने सरेंडर कर दिया। लवलेश बांदा, अरुण कासगंज और सनी हमीरपुर का रहने वाला है। उनसे हथियार बरामद किए गए हैं। कॉन्स्टेबल मानसिंह को भी गोली लगी है। सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरी ने बताया- तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। यहां अतीक का बेटा अली भी कैद है।

अतीक-अशरफ के शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद कसारी-मसारी स्थित कब्रिस्तान में इस्लामिक रीति-रिवाज से दफनाया गया। दोनों के शव को अतीक का बहनोई और दो रिश्तेदार लेकर पहुंचे थे। अतीक के दोनों छोटे बेटों को बाल सुधार गृह से लाया गया था। अतीक के बेटे असद की कब्र के पास दोनों की कब्र खुदवाई गई थीं। अशरफ की बेटी और पत्नी जैनब भी कब्रिस्तान में मौजूद रहीं।

कब्रिस्तान में सिर्फ चुनिंदा रिश्तेदारों को जाने दिया गया। कब्रिस्तान से करीब 300 मीटर दूर सभी को रोक दिया गया। मीडियाकर्मियों को कब्रिस्तान के बाहर तक जाने दिया गया। हालांकि, उनके नाम और मोबाइल नोट किए जा रहे हैं। पूरे शहर में तगड़ी सुरक्षा है। जगह-जगह फोर्स तैनात है।

आज के अपडेट्स

  • यूपी के गृह विभाग ने हत्याकांड की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया है। यह आयोग 2 महीने के अंदर मामले की जांच करके शासन को रिपोर्ट सौंपेगा। आयोग को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी लीड करेंगे। इसमें रिटायर्ड डीजीपी सुबेश सिंह, जिला कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार सोनी को भी शामिल किया गया है।
  • FIR में यह सामने आया है कि शनिवार रात अतीक-अशरफ पर हमले के दौरान एक शूटर लवलेश तिवारी को भी गोली लगी है। हमलावरों की फायरिंग में लवलेश घायल हुआ है।
  • घटना के बाद उमेश पाल के घर की सुरक्षा में PAC-RAF और पुलिस के करीब 100 जवान तैनात हैं। पत्नी जया पाल और मां शांति देवी को किसी से मिलने की इजाजत नहीं है।
  • यूपी STF ने महाराष्ट्र के नासिक में शनिवार शाम छापा मारा है। भास्कर को सूत्रों ने बताया कि STF ने वेलकम होटल से एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है।

  • आज के 2 बयान...

    1. आरोपी लवलेश के पिता यज्ञ तिवारी बोले, 'हमें जानकारी नहीं है और ना हमारा इससे कोई लेना-देना है। 5-6 दिन पहले आया था। उसका घर से कोई लेना-देना नहीं था। सालों से बोलचाल बंद है। थप्पड़ मारने के केस में जेल गया था, तब से बातचीत बंद है। नशा करता है। हमने उसे त्याग दिया है।'

    2. दूसरे आरोपी सनी सिंह के भाई ने कहा, अतीक-अशरफ को गोली मारने वालों में दूसरा शूटर सनी सिंह है। वह हमीरपुर का रहने वाला है। उसके भाई पिंटू सिंह ने ANI से बातचीत में कहा- 'हम लोग 3 भाई थे, जिसमें से एक की मृत्यु हो गई। सनी के ऊपर पहले से मामले दर्ज हैं। वह कुछ नहीं करता था। हम उससे अलग रहते हैं। वह बचपन में ही घर छोड़कर भाग गया था।'

  • जेल में बंद बेटा बेहोश हो गया
    अतीक की मौत की खबर सुनते ही नैनी जेल में बंद अतीक का दूसरा बेटा अली बेहोश हो गया। अतीक के दो नाबालिग बेटे राजरूपपुर बाल सुधार गृह में हैं। उनका टीवी कनेक्शन काट दिया गया।

    योगी की अफसरों के साथ मीटिंग
    घटना के बाद योगी आदित्यनाथ ने अफसरों के साथ इमरजेंसी मीटिंग की। उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई। संवेदनशील इलाकों में पुलिस फ्लैग मार्च कर रही है। मध्य प्रदेश के पूर्व CM कमलनाथ और UP की पूर्व CM मायावती ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने की मांग की है।

    14 तारीख को भी अतीक की तबीयत बिगड़ने पर कॉल्विन हॉस्पिटल लाया गया था
    अतीक अहमद और अशरफ को प्रयागराज के सीजेएम कोर्ट ने 13 से 17 अप्रैल तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा था। 13 अप्रैल की रात यानी गुरुवार को ही यूपी पुलिस और ATS ने दोनों से पूछताछ शुरू की। ये पूछताछ 23 घंटे तक चली। दोनों से करीब 200 सवाल पूछे गए थे।

    सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान अतीक ने कबूला था कि वह पाकिस्तान से हथियार की सप्लाई लेता रहा है। अहमदाबाद जेल से उसने ISI एजेंट को फोन किया था। यही नहीं, अतीक ने उमेश पाल हत्याकांड की साजिश का जुर्म भी कबूल किया। अशरफ ने पुलिस को बताया कि किसी चैनल से हथियार पंजाब के एक फॉर्म हाउस तक पहुंच जाते थे।

    पूछताछ के दौरान अतीक गिड़गिड़ाता रहा। वह बेटे के जनाजे में शामिल होने की मिन्नतें करता रहा। इसी दौरान 14 तारीख की शाम को अतीक की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उसे और अशरफ को एक ही हथकड़ी में प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल लाया गया।

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अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में हत्या

अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में हत्या कर दी गई है। हत्या किसने की यह अभी पता नहीं चला है।

माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हत्या कर दी गई है। जब पुलिस अतीक को लेकर कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल टेस्ट के लिए ले जा रही थी, तभी तीन लोगों ने पुलिस की गाड़ी पर हमला कर दिया। हमले में अतीक और अशरफ की मौत हो गई। हत्या के बाद तीनों हमलावरों ने सरेंडर कर दिया है। हालांकि यूपी पुलिस अभी इस मामले पर कुछ भी कह नहीं रही है।

गुरुवार को झांसी में हुआ था अतीक के बेटे का एनकाउंटर, शनिवार सुबह दफनाया गया
माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम का गुरुवार दोपहर साढ़े 12 से एक बजे के बीच झांसी में एनकाउंटर हुआ था। यूपी STF ने बताया कि उमेश पाल हत्याकांड के शूटर्स की लोकेशन मिलने के बाद STF की एक टीम बुधवार को झांसी पहुंची थी। STF को शुरुआती जानकारी गुड्‌डू मुस्लिम के छिपे होने की मिली थी। बाद में सोर्स ने असद और शूटर गुलाम के भी झांसी में चिरगांव के पास होने की जानकारी दी। हालांकि गुड्डू मुस्लिम तो STF के हाथ नहीं लगा, लेकिन असद और गुलाम STF के हत्थे चढ़ गए।

असद और गुलाम की लोकेशन मिलने के बाद STF दोनों को जिंदा पकड़ना चाहती थी, लेकिन उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। STF की जवाबी फायरिंग में दोनों मारे गए। असद को दो, जबकि गुलाम को एक गोली लगी। शनिवार सुबह 10 बजे असद को प्रयागराज के कब्रिस्तान में दफनाया गया।

अखिलेश यादव बोले- UP में अपराध की पराकाष्ठा हो गई
UP में अपराध की पराकाष्ठा हो गयी है और अपराधियों के हौसले बुलंद है। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।

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राहुल गांधी का अब क्या होगा

नई दिल्ली: राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहे। शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951’ की धारा 8 के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है।

एक दिन पहले, यानी गुरुवार को सूरत की कोर्ट ने उन्हें मानहानि का दोषी पाया और 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। राहुल ने 2019 के चुनावी भाषण में मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी। इसी मामले में उन पर मानहानि का मुकदमा चल रहा था। सूरत कोर्ट ने इसी पर फैसला सुनाया था। हालांकि उन्हें फौरन जमानत भी दे दी थी।

सांसदी जाने के बाद राहुल गांधी के पास अब क्या रास्ते हैं, 

सवाल 1: राहुल की संसद सदस्यता खत्म करने के फैसले को क्या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?

जवाब : राहुल गांधी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। भारतीय संविधान में अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकते हैं और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं।

इसे 2022 के आखिरी महीनों में UP की रामपुर सीट से सपा विधायक आजम खान के केस के उदाहरण से भी समझ सकते हैं।

27 अक्टूबर 2022 को रामपुर की कोर्ट ने हेट स्पीच के केस में आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई। इसके ठीक अगले दिन UP विधानसभा सचिवालय ने आजम की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी। इसके अगले ही दिन चुनाव आयोग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया कि 10 नवंबर को उप चुनाव का शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।

आजम इस पूरी प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। उनकी दलील थी कि अयोग्य करार देने, सीट खाली करने और उप चुनाव के लिए शेड्यूल जारी करने में इतनी तेजी उचित नहीं, वो भी तब जब कन्विक्शन के खिलाफ सेशन कोर्ट में उनकी अपील सुनी जानी है।

आजम की इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग, विधानसभा सचिव और UP सरकार से सवाल पूछा कि मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई जा रही है। आजम को सांस लेने का मौका दिया जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और उनकी पीठ ने सेशन कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक उप चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही सेशन कोर्ट को 10 दिन के भीतर आजम खान की अपील पर सुनवाई पूरी करने को कहा था। हालांकि, बाद में सेशन कोर्ट ने आजम खान के कन्विक्शन पर कोई राहत नहीं दी।

यानी आजम की तरह राहुल गांधी भी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

सवाल-2 : अगर हायर कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द हो जाती है तो क्या राहुल की सदस्यता बहाल हो जाएगी?

जवाब : मानहानि मामले में 2 साल की सजा के खिलाफ राहुल गांधी हायर कोर्ट में अपील करेंगे। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल कहते हैं कि अगर बड़ी कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द कर दे या रोक लगा दे तो उनकी लोकसभा सदस्यता बरकरार रहेगी।

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि हाईकोर्ट से राहुल के कन्विक्शन को रद्द कर दिया जाता है, या फिर उनकी सजा को कम कर दिया जाता है, तो भी खुद ब खुद उनकी सदस्यता फिर से बहाल नहीं होगी। इसके लिए राहुल गांधी को फिर से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा।

इसकी वजह है कि स्पीकर खुद अपने फैसले को नहीं पलटेंगे। हाईकोर्ट या संविधान पीठ का फैसला आया तो वे अपने फैसले को बदल सकते हैं।

वहीं अगर ऐसा कोई फैसला आने से पहले वायनाड में उप चुनाव हो गए तो राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल नहीं हो पाएगी।

सवाल-3 : राहुल की सदस्यता जाने के बाद क्या खाली हुई वायनाड सीट पर उप चुनाव होंगे?

जवाब : हां होंगे, क्योंकि लोकसभा के आम चुनाव मई 2024 में होने हैं। यानी अभी इसे होने में 6 महीने से ज्यादा का समय है। संविधान के मुताबिक, आम चुनाव होने में अगर 6 महीने से ज्यादा का समय है ताे केरल की वायनाड सीट पर उप चुनाव होगा।

सवाल-4 : अगर वायनाड सीट पर उपचुनाव हुए तो क्या राहुल गांधी फिर चुनाव लड़ पाएंगे?

जवाब : राहुल गांधी दो हालातों में ही वायनाड सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैंं…

1. उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले मानहानि के मूल केस में राहुल की कन्विक्शन पर बड़ी अदालत रोक लगा दे।

अभी तक राहुल ने सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना कि चूंकि फैसला 150 पेज का है और गुजराती में है। ऐसे में इसका अनुवाद करवाया जा रहा है।

2. राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा दे या इसे रद्द कर दे। ये सब कुछ उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो राहुल वायनाड से उप चुनाव लड़ पाएंगे।

मौजूदा हालात को देखते हुए इन दोनों विकल्पों की संभावना कम है। राहुल को कहीं से भी राहत मिलने से पहले उप चुनाव हो सकते हैं।

सवाल-5 : अगर ऊपरी अदालत से राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिली, तो क्या होगा?

जवाब : राहुल की कानूनी लड़ाई दो मोर्चों पर होगी।

1. मानहानि के केस में दोषी करार दिए जाने के खिलाफ।

2. दो साल की सजा के आधार पर सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन के खिलाफ।

मानहानि केस में राहुल की कन्विक्शन को रद्द नहीं किया जाता या उस पर रोक नहीं लगती तो उन्हें एक महीने बाद दो साल की सजा काटनी होगी और वह इसके 6 साल बाद भी कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो राहुल के चुनावी राजनीति के करियर में 8 साल का ब्रेक लग जाएगा।

अगर अपील में सजा 2 साल से कम हो जाती है तो राहुल को कानूनी लड़ाई लड़ने का एक और विकल्प मिल जाएगा।

सवाल 6 : क्या इससे पहले भी दोषी साबित होने के बाद सांसदों की सदस्यता खत्म हुई है और वो दोबारा चुनाव नहीं लड़ सके?

जवाब : देश में ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ के आने के बाद से अब तक कई सांसदों-विधायकों को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है...

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इमरान खान के घर में पुलिस घुसी, बुलडोजर चलाया

पाकिस्तान के पूर्व PM इमरान खान तोशाखाना मामले में सुनवाई के लिए इस्लामाबाद कोर्ट पहुंच गए हैं। इधर उनके निकलते ही पुलिस लाहौर में उनके घर जमान पार्क में घुस गई। यहां पुलिस ने बुलडोजर से गेट तोड़ा और घर के अंदर दाखिल हुई। इस दौरान पुलिस की PTI कार्यकर्ताओं से झड़प हुई। पुलिस ने PTI वर्कर्स पर लाठीचार्ज किया है और कई लोगों को गिरफ्तार किया।

जमान पार्क में पुलिस के पहुंचने पर इमरान ने ट्वीट कर कहा- पंजाब पुलिस मेरे पीछे से घर पहुंची है। मेरी बीवी वहां अकेली है। ये कार्रवाई किस कानून के तहत हो रही है। ये सब नवाज शरीफ के प्लान का हिस्सा है।

इमरान के काफिले की 3 गाड़ियां टकराईं
इस्लामाबाद जाने के रास्ते में इमरान के काफिले की 3 गाड़ियां कल्लर कहार के पास आपस में टकरा गईं। बताया जा रहा है कि हादसा तेज रफ्तार की वजह से हुआ। यह जगह राजधानी से करीब 135 किमी दूर है। हादसे में कई लोगों के घायल होने की खबर है। 

'नवाज शरीफ मुझे जेल भेजने चाहते हैं'
हादसे के बाद पूर्व पीएम ने कहा- मुझे रोकने की कोशिश की जा रही है। वे मुझे गिरफ्तार करना चाहते हैं। ये सब लंदन प्लान का हिस्सा है। नवाज शरीफ की डिमांड है कि इमरान को जेल में डाला जाए। वे नहीं चाहते कि मैं किसी भी चुनाव में हिस्सा लूं। मैं कानून पर विश्वास रखता हूं इसलिए कोर्ट में पेश होने जा रहा हूं। 

राजधानी में भारी सुरक्षा, धारा 144 लागू
इस्लामाबाद में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं। पुलिस ने शहर में धारा 144 लगा दी है। पाकिस्तान के दूसरे शहरों से करीब एक हजार पुलिसकर्मियों को सुरक्षा व्यवस्था के लिए इस्लामाबाद बुलाया गया है। जुडीशियल कॉम्प्लेक्स के पास मौजूद कि

इमरान को 9 केस में लाहौर हाईकोर्ट ने दी जमानत
इससे पहले शुक्रवार को शाम करीब साढ़े 6 बजे इमरान खान लाहौर हाईकोर्ट पहुंचे थे। यहां कोर्ट ने उन्हें 9 केस में प्रोटेक्टिव बेल दे दी है। इस्लामाबाद में चल रहे 5 केस के लिए कोर्ट ने खान को 24 मार्च तक जमानत दी है। वहीं लाहौर में चल रहे 3 केस के लिए उन्हें 27 मार्च तक जमानत दी गई है। 14-15 मार्च को इमरान की गिरफ्तारी को लेकर जमान पार्क के बाहर PTI कार्यकर्ता और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। इसकी तहकीकात के लिए कोर्ट ने पुलिस को जमान पार्क जाने की इजाजत दी है। सी गार्ड को भी कोई हथियार रखने की इजाजत नहीं है। वहां से गुजरने वाले सभी लोगों का ID कार्ड भी चेक किया जा रहा है। इसके अलावा पुलिस ने इलाके में कंटेनर्स भी रखे हैं।

इमरान को गिरफ्तार नहीं कर सकी थी पुलिस
14 मार्च को पुलिस और रेंजर्स की टीम इमरान खान को गिरफ्तार करने उनके लाहौर वाले बंगले पर पहुंची थी। उन्हें तोशाखाना मामले में अरेस्ट किया जाना था। लेकिन इमरान की पार्टी पाकिस्तान-तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पत्थर और लाठियों से हमला कर दिया था। इससे पुलिस इमरान को गिरफ्तार नहीं कर सकी। 

‘जियो न्यूज’ के मुताबिक, पुलिस और रेंजर्स की टीम 22 घंटे बाद खान के लाहौर वाले बंगले (जमान पार्क) से लौट गई थी। एक पुलिस अफसर ने कहा था- लाहौर में 15 से 19 मार्च तक पाकिस्तान सुपर लीग- सीजन आठ (PSL-8) के मैच कज्जाफी स्टेडियम में खेले जाने हैं। शहर में अफरातफरी और हिंसा का माहौल ना बने इसलिए हम गिरफ्तारी टाल रहे हैं। 

इमरान पर अब तक 80 केस दर्ज

  • खान पर अब तक कुल 80 केस दर्ज हो चुके हैं। खान पर तोशाखाना में जमा गिफ्ट्स को सस्ते में खरीदने और ज्यादा दामों में बेचने का आरोप है। इसे लेकर पाकिस्‍तान के चुनाव आयोग ने उन्हें 5 साल के लिए अयोग्‍य घोषित किया है। उनकी संसद सदस्यता भी रद्द कर दी गई है।
  • इस फैसले के खिलाफ इमरान समर्थकों ने चुनाव आयोग (EC) के ऑफिस के बाहर हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें कुछ लोग घायल भी हुए थे। इस घटना के बाद खान के खिलाफ एंटी टेररिज्म एक्ट के तहत वारंट जारी हुआ था।
  • पिछले साल 20 अगस्त को इस्लामाबाद में एक रैली के दौरान इमरान ने महिला जज और पुलिस अधिकारियों को खुलेआम धमकी दी थी। इसी बीच इमरान की पार्टी PTI की लीगल टीम ने इस्लामाबाद हाईकोर्ट में खान की गिरफ्तारी से पहले जमानत याचिका दायर कर दी थी। ये खारिज हो गई।


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ममता-अखिलेश ने बनाया नया मोर्चा

पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने BJP और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाने का फैसला किया है। शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इसके बाद अखिलेश ने कहा कि भगवा खेमे को हराने के लिए सपा मजबूती से TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ खड़ी रहेगी।

वहीं, ममता बनर्जी इसी मुद्दे पर 23 मार्च को ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक से भी मुलाकात करेंगी।

ममता से मुलाकात करने के बाद अखिलेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बंगाल में हम ममता दीदी के साथ हैं। हम भाजपा और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग 'BJP वैक्सीन' लगवा लेते हैं, उन्हें CBI, ED या IT से कोई फर्क नहीं पड़ता। संविधान की रक्षा के लिए समाजवादी पार्टी कोई भी बलिदान देने को तैयार है। अगर हम UP में भाजपा को हरा सकते हैं, तो पूरे देश में भाजपा को हराया जा सकता है।

पहले भी ममता की तारीफ कर चुके हैं अखिलेश
UP के पूर्व CM अखिलेश यादव ने भाजपा पर देश की संपत्ति को बेचने का आरोप भी लगाया। इससे पहले एक कार्यक्रम में अखिलेश 2021 के विधानसभा चुनाव में BJP को हराने के लिए ममता की तारीफ कर चुके हैं।

उधर, TMC सांसद सुदीप बंद्दोपाध्याय ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि BJP विदेश में दिए राहुल गांधी के एक बयान को लेकर संसद में हंगामा कर रही है। जब तक राहुल गांधी माफी नहीं मांगते, तब तक BJP संसद चलने नहीं देगी। मतलब साफ है कि वे कांग्रेस का इस्तेमाल कर संसद नहीं चलने दे रहे हैं। BJP चाहती है कि राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा बनें, जिससे BJP को मदद मिले।

TMC सांसद बोले- कांग्रेस विपक्ष का बिग बॉस नहीं
TMC सांसद ने कहा कि यह सोचना भ्रम है कि कांग्रेस विपक्ष का 'बिग बॉस' है। ममता बनर्जी 23 मार्च को नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगी। हम अन्य विपक्षी दलों से भी BJP और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाने के लिए बात करेंगे। उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह तीसरा मोर्चा है, लेकिन क्षेत्रीय दलों के पास BJP का मुकाबला करने की ताकत है।

वो साल 1997 था। महीना था, दिसंबर। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें ऐलान किया कि वो और उनके समर्थक ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। ममता की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल ही रही थी कि खबर आई कि उन्हें कांग्रेस से 6 साल के लिए बाहर कर दिया गया है। शायद पार्टी के इस फैसले का अंदाजा ममता को पहले ही हो चुका था। 

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राहुल ने 7 बार विदेश से मोदी सरकार को घेरा

नई दिल्ली :'जो लोग प्रधानमंत्री मोदी या उनकी सरकार पर सवाल उठाते हैं, उस पर हमला किया जाता है। BBC के साथ भी यही हुआ। मेरे फोन की जासूसी होती है। विपक्ष के खिलाफ केस दर्ज किए जाते हैं। भारत में विपक्षी नेता के तौर पर यह एक ऐसा दबाव है, जो लगातार झेलना पड़ता है।'

यह बयान कांग्रेस नेता राहुल गांधी का है। यह 7वीं बार है जब राहुल गांधी ने विदेशी धरती से मोदी सरकार की आलोचना की है। दरअसल, राहुल ब्रिटेन के 7 दिनों के दौरे पर हैं।

राहुल के बयान पर BJP ने ऐतराज जताया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल विदेशी धरती पर भारत को बदनाम कर रहे हैं।

लंदन में ‘आइडियाज फॉर इंडिया’ सम्मेलन हो रहा था। राहुल गांधी इस सम्मेलन में BJP सरकार पर हमला बोलते हैं। राहुल कहते हैं, ‘आवाज के बिना आत्मा का कोई मतलब नहीं है, भारत की आवाज दबा दी गई है। कांग्रेस अब भारत के लिए लड़ रही है। यह एक वैचारिक लड़ाई है। पाकिस्तान की तरह ED, CBI जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके राज्यों और संस्थानों को खोखला किया जा रहा है।’

राहुल ने आगे कहा था कि भारत की स्थिति इस वक्त ठीक नहीं है, BJP ने पूरे देश में केरोसिन छिड़क दिया है। एक चिंगारी और हम सब एक बड़े संकट में पहुंच जाएंगे। ये जिम्मेदारी भी कांग्रेस की है वो लोगों को एक साथ लेकर आए और लोगों का गुस्सा और जो आग लोगों के बीच है उसे शांत किया जाए। राहुल ने इस दौरान भारत की तुलना पाकिस्तान से की थी।

उन्होंने कहा कि जो रूस यूक्रेन में कर रहा है ठीक वही पैटर्न चीन भारत में डोकलाम और लद्दाख में दिखा रहा है। चीन ने भारत में डोकलाम और लद्दाख में अपनी सेना तैनात कर रखी है और अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख को भारत का हिस्सा मानने से इंकार करता है।

राहुल गांधी उस वक्त कांग्रेस के अध्यक्ष थे और जर्मनी के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में रोजगार की बड़ी समस्या है, लेकिन प्रधानमंत्री उस पर बात नहीं करना चाहते। चीन हर रोज 50 हजार लोगों को रोजगार देता है, जबकि भारत में रोजाना 400 लोगों को ही रोजगार मिलता है।

राहुल गांधी ने इस दौरान मोदी की तुलना ट्रंप जैसे पॉपुलर नेताओं से की। उन्होंने कहा कि लोगों की रोजगार जैसी समस्याएं सुलझाने के बजाय ये नेता उनके गुस्से का फायदा उठाते हैं। ऐसा करके ये लोग देश को नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों को अब सरकारी लाभ नहीं मिलता। गरीबों की योजनाओं का पैसा अब महज चंद बड़े कॉरपोरेट को दिए जा रहे हैं।

राहुल गांधी ने आतंकी संगठन IAS के बनने का जिक्र करते हुए आगाह किया या कि अगर विकास की प्रक्रिया से लोगों को बाहर रखा गया, तो इसी तरह के हालात देश में पैदा हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को बाहर रखना 21वीं सदी में बेहद खतरनाक है। अगर 21वीं सदी में आप लोगों को नजरिया नहीं देते हैं तो कोई और देगा।

राहुल ने कहा कि चीन के साथ डोकलाम में गतिरोध नहीं हुआ होता, अगर प्रधानमंत्री मोदी खुद सावधान रहते। उन्होंने कहा कि डोकलाम कोई अलग मुद्दा नहीं था। यह एक प्रक्रिया का हिस्सा था। यदि प्रधानमंत्री सावधानी से पूरी प्रक्रिया पर नजर रखते तो इसे रोका जा सकता था।

3. मार्च 2018 मलेशिया : नोटबंदी का प्रस्ताव मैं कचरे के डिब्बे में फेंक देता

मलेशिया दौर के समय राहुल गांधी ने 2016 में हुई नोटबंदी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा था। राहुल ने भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा था कि यदि मैं प्रधानमंत्री होता और कोई मुझे नोटबंदी करने के प्रस्ताव की फाइल देता, तो मैं उसे कचरे के डिब्बे में, कमरे से बाहर या कबाड़खाने में फेंक देता।’

उन्होंने कहा, ‘मैं इस तरह इसे लागू करता, क्योंकि मेरे हिसाब से नोटबंदी के साथ ऐसा ही किया जाना चाहिए, क्योंकि यह किसी के लिए भी अच्छी नहीं है।’

सिंगापुर के ली कुआन यी स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी के पैनल डिस्कशन में बोलते हुए राहुल ने कहा था कि भारत की परिकल्पना ही इसमें है कि भले ही व्यक्ति किसी भी धर्म, जाति या भाषा से संबंध क्यों न रखता हो, उसे अपने घर जैसा महसूस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ लोग चुनाव जीतने के लिए नफरत और हिंसा का सहारा ले रहे हैं। जबकि हमारा दृष्टिकोण लोगों को जोड़ने का है।

राहुल ने कहा था कि अगर आप मुझसे पूछते हैं कि मुझे अपने देश की किस बात पर गर्व होता है तो यह बहुलवाद का विचार है। यह विचार है कि भारत में लोग जो चाहें कह सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं, और उन्हें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा था कि लोग इंसाफ के लिए न्यायपालिका के पास जाते हैं, लेकिन पहली बार चार जज इंसाफ के लिए लोगों के पास आए। राहुल ने आरोप लगाया कि व्यवस्था पर और न्यायपालिका पर बहुत ही आक्रामक और संगठित हमला हो रहा है।

अगर आप प्रेस से, उद्योग जगत के लोगों से बात करेंगे तो वे भी आपको बताएंगे कि हम डरा हुआ महसूस करते हैं। इसलिए आमतौर पर डर का माहौल है।

5. जनवरी 2018 बहरीन : सरकार जॉब क्रिएट करने में नाकाम रही

कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी पहली बार विदेश दौरे पर बहरीन पहुंचे थे। राहुल ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा था कि देश में आज विचित्र स्थिति है। सरकार जॉब क्रिएट करने में नाकाम रही है। लोग सड़कों पर उतर आए हैं और गुस्से में दिखाई दे रहे हैं।

सरकार इससे बचने के लिए जातीय व धार्मिक उन्माद पैदा करवा रही है। देश में बांटने वाली ताकतें तय कर रही हैं कि लोगों को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।

देश में विघटन की स्थिति पैदा हो रही है। दलितों को पीटा जा रहा है, पत्रकारों को धमकाया जा रहा है। उनका विश्वास है कि आम चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी को हराकर फिर नया भारत बनाएगी।

साल 2017 के सितंबर में अपने दो हफ्ते के अमेरिकी दौरे के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बर्कले की मशहूर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि संसद को अंधेरे में रखकर नोटबंदी लाई गई, नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई।

उन्होंने कहा था कि आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही है। हिंसा का मतलब मुझसे बेहतर कौन जान सकता है क्योंकि इसमें मैंने अपनी दादी और पिता को खोया है। अहिंसा की विचारधारा आज खतरे में है, हालांकि यही एक ऐसी विचारधारा है जो मानवता को आगे ले जा सकती है।

राहुल ने कहा था, ‘हमने सूचना का अधिकार दिया, लेकिन मोदी सरकार ने इसे दबा दिया। अब सरकार में क्या हो रहा है, लोगों को नहीं पता। सांप्रदायिक ताकतें मजबूत हो रही हैं, उदारवादी पत्रकारों को गोली मार दी जा रही है।

राहुल ने कहा था कि भारत में 30 हजार युवा हर दिन जॉब मार्केट में आते हैं, मगर उनमें से सिर्फ 450 को ही रोजगार मिल पाता है। यह परिस्थिति आज भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। रोजगार की समस्या इसलिए पनप रही है, क्योंकि आजकल सिर्फ टॉप 100 कंपनियों पर ही फोकस किया जा रहा है। अगर रोजगार बढ़ाने हैं तो छोटी और मझोली कंपनियों को भी बढ़ावा देना होगा।

पॉलिटिकल एक्सपर्ट से राहुल द्वारा विदेश में सरकार की आलोचना करने का 5 मकसद जानिए

1. विपक्ष का काम ही है आलोचना करना : राशिद किदवई

  • पॉलिटिकल एक्सपर्ट राशिद किदवई कहते हैं कि राजनीतिक दलों का काम ही आलोचना करना होता है। सकारात्मक बात करने से कोई फायदा नहीं होता है। जब BJP विपक्ष में थी तो वो भी यही काम करती थी।
  • BJP पूरे समय जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी की आलोचना करती थी। सितंबर 2014 में मैडिसन स्क्वायर में भी प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष को कटघरे में खड़ा करते रहे हैं।

2. सोशल मीडिया के जमाने में देश-विदेश की बात करना जायज नहीं

  • किदवई कहते हैं कि आज जब हर चीज रियल टाइम पर सबको मिल रही है तो ऐसे में देश और विदेश की बात करना कहीं से जायज नहीं हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिर्फ भारत में तो है नहीं। ऐसे में कोई भी व्यक्ति चाहे चंडीगढ़ में बोले या लंदन में उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।
  • आज संचार माध्यमों को जो स्वरूप है वो हर जगह मौजूद है। ऐसे में ये कहना कि राहुल गांधी देश को बदनाम कर रहे हैं ये सही नहीं है।
  • देश में विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच जो राजनीतिक शिष्टाचार का भाव होता है उसका अभाव है। इसलिए जो आरोप लगाए जाते हैं वो काफी तीखे और व्यक्तिगत होते हैं।
  • राजनीति में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन मनभेद होना अटपटा होता है।
  • 3. देश में रहेंगे तो सरकार की आलोचना करेंगे और विदेश में जाएंगे तो सरकार की तारीफ ऐसा कोई नियम नहीं : अभय दुबे
    • पॉलिटिकल एक्सपर्ट अभय दुबे कहते हैं कि कोई भी जो भारत का नागरिक है, वो कहीं भी भारत के बारे में, उसकी व्यवस्था के बारे में बात कर सकता है।
    • राहुल विपक्ष के नेता हैं तो सरकार की आलोचना ही करेंगे। ये कौन सा नियम है कि देश में रहेंगे तो सरकार की आलोचना करेंगे और विदेश में जाएंगे तो सरकार की तारीफ करेंगे।
    • सरकार देश का पर्याय नहीं है। सरकार अस्थायी है यानी आती जाती रहती हैं और देश स्थायी होता हैं। इसलिए सरकार के कामों की आलोचना भी होगी और तारीफ होगी।
    • प्रधानमंत्री मोदी भी विदेश में जाते हैं तो नेहरू की आलोचना करते हैं। कहते हैं कि आजादी के 70 साल में कुछ नहीं हुआ। यह सब उन्होंने विदेशी धरती पर ही कहा है।
    • 4. राहुल को कोई फायदा नहीं मिलने वाला
      • किदवई कहते हैं कि राहुल गांधी ने कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक यात्रा की है। इस दौरान चीन से लेकर कई मुद्दों पर बात की।
      • अगर उसका राजनीति रूप से यानी गुजरात और पूर्वोत्तर के चुनावों में असर नहीं हुआ तो कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से कहने से भी कोई असर नहीं होगा।
      • राहुल गांधी कोई ऐसी बात तो बोल नहीं रहे हैं जो देश में नहीं बोले हों। राजनीतिक दल इसमें जरूर ऐसी कोशिश करते हैं कि राहुल गांधी देश के प्रति संवेदनशील नहीं है।

      5. भारतीय संघ और भारत सरकार के बीच का भेद मिटाने की कोशिश हो रही

      • किदवई बताते हैं कि देश में इस वक्त भारतीय संघ और भारत सरकार के बीच का भेद मिटाने की कोशिश हो रही है। मतलब एक नागरिक होने के नाते जो मेरी कटिबद्धता देश के प्रति होगी वह सरकार के प्रति नहीं होगी।
      • इस वक्त अगर आप सरकार की आलोचना करते हैं तो ऐसा माहौल बनाया जाता है कि आप देश की आलोचना कर रहे हैं।
      • वैसे ही राहुल और कई विपक्षी दलों की साख की कमी है। ऐसे मामले आने पर सरकार जानबूझकर इनकी साख कमजोर करने की कोशिश करता है।
      • ऐसा भी नहीं है कि विपक्ष बहुत भोला-भाला है। मौका आने पर विपक्ष भी सरकार की नीयत और निष्ठा पर सवाल उठाता है।

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कांग्रेस से गठबंधन पर चौटाला को ऐतराज नहीं

रियाणा के पूर्व सीएम और इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला रविवार को हिसार पहुंचे और दूरदर्शन केंद्र पर जाकर धरने पर बैठे कर्मचारियों को समर्थन दिया। चौटाला ने हरियाणा की मौजूदा BJP-JJP सरकार को लुटेरी सरकार बताया और BJP को हराने के लिए जरूरत पड़ने पर कांग्रेस से समझौते की संभावना से भी इनकार नहीं किया।

चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करने संबंधी सवाल पर चौटाला ने कहा कि हमारा किसी से द्वेष या दुश्मनी नहीं है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही चौटाला गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने हुड्‌डा का हालचाल जानने के लिए उनसे मुलाकात की थी। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में BJP को हराने के लिए देशभर की तमाम सियासी पार्टियां एकजुट होने की कोशिश कर रही हैं। जदयू नेता और बिहार के सीएम नीतिश कुमार भी कह चुके हैं कि कांग्रेस को आगे बढ़कर इसकी पहल करनी चाहिए।

चौटाला ने कहा कि हम तो इतना ही चाहते हैं कि समूचे देश का भविष्य उज्जवल हो। किसी समय हमारा देश गरीब मुल्कों की आर्थिक मदद किया करता था और आज नौबत ये आ चुकी है कि देश को चलाने के लिए लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है।

चौटाला ने कहा कि प्रदेश में विकास के नाम पर एक ईंट नहीं लगी। उनकी सरकार के समय जो सड़कें बनी थी, मौजूदा सरकार उनकी मरम्मत तक नहीं करवा पा रही। भाजपा और जजपा प्रदेश को लूटने में लगी है। सत्ता पक्ष से जुड़े लोग भी सरकार को छोड़कर भाग रहे हैं।

इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने भविष्यवाणी की कि बहुत जल्दी BJP और JJP का गठबंधन टूट जाएगा और मनोहर लाल की सरकार अल्पमत में आ जाएगी। उन्होंने प्रदेश में जल्दी विधानसभा चुनाव होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया।

बजट में उम्मीद न रखें

चौटाला ने हरियाणा सरकार के बजट सत्र के बारे में कहा कि इस सरकार ने अतीत में कुछ दिया होता तो भविष्य की उम्मीद होती है। ये तो लुटेरे हैं, किसी को कुछ देने वाले नहीं। इनेलो सुप्रीमो ने कहा कि उनकी पार्टी की पदयात्रा से अंदाजा हो जाएगा कि लोग क्या चाहते हैं? इस सरकार का अंत बहुत जल्दी होगा।

सरकार बंद कर चुकी हिसार दूरदर्शन केंद्र

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जनवरी में हिसार दूरदर्शन केंद्र को बंद कर दिया। इसी के विरोध में अनुबंधित कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। कर्मचारी अब तक हिसार के BJP लोकसभा मेंबर बृजेंद्र सिंह, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा समेत भाजपा और जजपा के तमाम विधायकों को अपना मांग पत्र सौंप चुके हैं। वह शहर के जनसंगठनों के साथ मिलकर BJP विधायकों के घर के आगे धरना भी लगा चुके हैं।

राज्यसभा में उठ चुका मामला
हिसार दूरदर्शन केंद्र का मामला राज्यसभा में उठ चुका है। सासंद दीपेंद्र हुड्‌डा ने यह मामला उठाया था। हिसार दूरदर्शन केंद्र चौधरी देवीलाल के नाम पर था और उनकी स्मृति में तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री सुषमा स्वराज ने इसका उद्घाटन किया था।

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मेघालय BJP चीफ बोले- मैं बीफ खाता हूं

मेघालय में BJP के प्रदेशाध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने कहा है कि वे बीफ खाते हैं और इससे उनकी पार्टी को कोई दिक्कत नहीं है। मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग होनी है। इससे हफ्तेभर पहले मावरी ने न्यूज एजेंसी IANS को दिए इंटरव्यू में NPP से गठबंधन, गो मांस बैन और CAA जैसे मुद्दों पर बात की। इसी दौरान उन्होंने यह बयान दिया।

क्या राज्य के 90% ईसाई भाजपा के कट्‌टर रुख को अपना लेंगे, इस पर मावरी बोले- भाजपा की सरकार को 9 साल हो चुके हैं। हमने अब तक किसी चर्च पर हमला नहीं देखा। बीफ खाने पर भी रोक नहीं है। मैं बीफ खाता हूं और मैं बीजेपी में हूं, इसमें कोई दिक्कत नहीं है। हमें विश्वास है कि मेघालय की जनता इस बार भाजपा के साथ है।

वोटिंग से 10 दिन पहले BJP ने NPP से गठबंधन तोड़ा
मेघालय में चुनाव प्रचार करने पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नॉर्थ तुरा में 17 फरवरी की रैली में NPP से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि BJP अब सभी 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मारवी भी उस दौरान मौजूद थे। उन्हें जनवरी 2020 में मेघालय भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। 

पढ़िए अर्नेस्ट के इंटरव्यू की खास बातें...

  • मेघालय में हमने NPP के साथ कोई गठबंधन नहीं किया है। न हमने 2018 में ऐसा किया। हम अपने दम पर लड़ रहे हैं और वे अपने दम पर। NPP पिछले 5 साल से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रही है। जबकि हमारी पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाया है।
  • हम MDA सरकार में थे, लेकिन भाजपा के केवल दो विधायक और एक मंत्री था। मंत्रालय में हमारे पास कोई महत्वपूर्ण विभाग नहीं था। जिन विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ, वे या तो NPP या उनके गठबंधन सहयोगी UDP के पास थे। हमने पिछले साल कई RTI लगाई थी। जिसके जरिए हमें भ्रष्टाचार का पता चला। हमारे पास सारे रिकॉर्ड हैं।
  • हम लोकल लेवल पर गठबंधन छोड़ने या बनाने का फैसला नहीं ले सकते। मेघालय के हालात के बारे में वरिष्ठों को बताया जा चुका है। इस मामले में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के अध्यक्ष या दिल्ली में पार्टी के नेताओं को फैसला करना चाहिए।
  • हमने सभी 60 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। रिजल्ट के बाद हम ऐसी पार्टियों से गठबंधन कर सकते हैं जिनके हाथ भ्रष्टाचार में न डूबे हों। हम TMC या कांग्रेस के साथ नहीं जा सकते। अभी हम ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर ध्यान दे रहे हैं।
  • कॉनराड संगमा के भ्रष्टाचार पहले ही बता चुका हूं। अगर TMC जीतती है, तो राज्य में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ होगी।
  • मेघालय में EVM को लेकर गलत जानकारी शेयर करने के आरोप में एक व्यक्ति को अरेस्ट किया गया है। इस बात की जानकारी चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर ने दी है। आर संगमा नाम के व्यक्ति ने 16 फरवरी को EVM का एक वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया था, जिसमें दावा किया जा रहा था कि किसी भी बटन को दबाने पर सभी वोट भाजपा को जा रहे हैं। 
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रविशंकर बोले- नीतीश से बिहार संभलता नहीं, देश संभालने चले

भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि नीतीश कुमार से बिहार तो संभल नहीं रहा है और वे देश संभालने की बात कर रहे हैं। रविशंकर प्रसाद ने यह बात नीतीश के उस बयान के जवाब में कही, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव में भाजपा के 100 सीटों पर सिमटने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि नीतीश का PM बनने का सपना कभी पूरा नहीं होगा क्योंकि देश की जनता PM मोदी और उनकी लीडरशिप पर यकीन करती है।

रविशंकर ने कहा कि नीतीश कई बार प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाए जाने की इच्छा जता चुके हैं, जबकि उनसे अपना राज्य ही नहीं संभल रहा है। नीतीश कुमार हों या कोई और, उन्हें यह पता होना चाहिए कि PM मोदी की लीडरशिप में देश ने बहुत तरक्की की है, जबकि नीतीश तो अभी तक अपनी राजनीतिक विश्वसनीयता भी नहीं बना पाए हैं।

कांग्रेस भाव नहीं दे रही, लालू के चक्कर में फंसे
रविशंकर प्रसाद ने न्यूज एजेंसी से कहा- बिहार के CM नीतीश कुमार को क्या हो गया है? वे बिहार को संभालने में सक्षम नहीं हैं। राज्य संकट में है। उनकी पार्टी में अराजकता है। कांग्रेस उन्हें भाव नहीं दे रही है, इसके बाद भी वे लालूजी के चक्कर में फंस गए हैं और रात में सपने देखने लगे है। नीतीश बाबू देवगौड़ा या इंद्र कुमार गुजराल बनना चाहते हैं। वे यह नहीं देख रहे हैं कि PM मोदी के नेतृत्व में भारत आगे बढ़ रहा है।

गिरिराज सिंह ने भी नीतीश को घेरा था
इससे पहले 18 जनवरी को केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला था और कहा था कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने के लिए बेताब हैं। गिरिराज सिंह ने कहा था नीतीश कुमार के दिमाग में प्रधानमंत्री बनने के लड्डू फूट रहे हैं। नीतीश कुमार 17 साल तक बिहार में विकास नहीं कर पाए। उनकी 'समाधान यात्रा' इस बात का सबूत है कि विकास नहीं हो सका।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा था कि जब केसीआर बिहार गए तो केसीआर के दिमाग में था कि नीतीश कुमार उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएंगे जबकि नीतीश ने सोचा था कि केसीआर उन्हें (नीतीश कुमार) उम्मीदवार बनाएं। लालू जी के साथ नीतीश कुमार कांग्रेस से मिले थे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

अब जानिए नीतीश कुमार ने क्या कहा था?

पटना में शनिवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-ML) के अधिवेशन में नीतीश ने कहा था- अब कांग्रेस को निर्णय लेना होगा कि 2024 में क्या रणनीति होनी चाहिए और विपक्षी एकता को किस तरह से मजबूत करना चाहिए। यदि कांग्रेस इस बात पर तैयार हो जाए तो 2024 में भाजपा 100 सीटों के अंदर सिमट कर रह जाएगी।

नीतीश की सलाह पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने जवाब दिया था। उन्होंने कहा- नीतीश कुमार जी जो आप सोचते हैं, वो कांग्रेस भी सोचती है। बस बात इतनी सी है कि पहले आई लव यू कौन कहेगा।

विपक्षी एकता का मैसेज दे रहे हैं नीतीश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों विपक्षी एकता को एकजुट करने की कवायद शुरू की थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के बिना भाजपा को हराया नहीं जा सकता है। इसके लिए कांग्रेस को विपक्षी एकता में शामिल करना ही होगा। कुछ लोगों ने सहमति जताई तो कुछ लोगों ने असहमति जताई थी।

पिछले साल लालू यादव के साथ नीतीश कुमार कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली गए थे, लेकिन मुलाकात नहीं हुई थी। तब ये कयास लगाई जाने लगी कि नीतीश कुमार के फॉर्मूले से कांग्रेस सहमत नहीं है।

नीतीश कुमार का क्या है फॉर्मूला?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फॉर्मूला यह है कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद को लेकर कोई भी विवाद नहीं होना चाहिए। किसी एक चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल बस इस उद्देश्य से चुनाव लड़ें कि भाजपा को हराना है और जब भाजपा हार जाएगी और विपक्षी एकता जीत जाएगी तो मिल बैठकर प्रधानमंत्री के चेहरे का फैसला कर लिया जाएगा।

अब ऐसे में कांग्रेस ने इस बात को लेकर अपनी सहमति नहीं दी थी। नीतीश कुमार बार-बार कह रहे हैं कि कांग्रेस को फैसला लेना है और यदि कांग्रेस फैसला ले ले तो आगे की राह आसान हो जाएगी।

महाधिवेशन में भाग लेने लेखिका अरुंधति रॉय भी पटना आईं

माले का 11वां राष्ट्रीय महाधिवेशन पटना के एसकेएम हॉल में चल रहा है। 16 फरवरी से यह महाधिवेशन जारी है। 15 फरवरी को माले की ओर से पटना के गांधी मैदान मे बड़ी रैली की गई थी। महाधिवेशन में भाग लेने चर्चित लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट अरुंधति रॉय भी पटना आईं। महाधिवेशन में दुनिया के 11 देशों से नेता पहुंचे। देश-दुनिया की वर्तमान समस्याओं के समाधान पर विस्तार से चर्चा हुई। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संकट पर भी मंथन हुआ।

 


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