PM मोदी दो दिन के अर्जेंटीना दौरे पर पहुंचे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को दो दिन के दौरे पर अर्जेंटीना पहुंच गए। यहां होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने उनका स्वागत किया।

PM बनने के बाद मोदी का यह दूसरा अर्जेंटीना दौरा है। इससे पहले वे 2018 में G20 समिट में हिस्सा लेने अर्जेंटीना गए थे।

PM मोदी और अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर जेवियर मिलई के बीच आज द्विपक्षीय बातचीत होगी। इसके अलावा वो भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करेंगे।

मोदी की यात्रा के दौरान भारत-अर्जेंटीना के बीच डिफेंस, एग्रीकल्चर, एनर्जी, परमाणु सहयोग, व्यापार और निवेश पर चर्चा हो सकती है। दोनों देशों में लिथियम सप्लाई पर भी समझौता संभव है।

अर्जेंटीना के पास दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा लिथियम भंडार है। मोदी 2 जुलाई से 10 जुलाई तक, 5 देशों की यात्रा पर हैं। वे घाना, त्रिनिदाद एंड टोबैगो के बाद अर्जेंटीना पहुंचेंगे। इसके बाद उनका अगला पड़ाव ब्राजील है।

अर्जेंटीना में मोदी के दौरे का शेड्यूल

5 जुलाई:

अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर मिलई से मुलाकात करेंगे।

भारत-अर्जेंटीना बिजनेस समिट 2025 में हिस्सा लेंगे।

महत्वपूर्ण समझौतों (MoUs) पर हस्ताक्षर करेंगे।

भारतीय मूल के लोगों के साथ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होंगे

6 जुलाई :

अर्जेंटीना के विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री, और ऊर्जा मंत्री के साथ बैठक करेंगे।

लिथियम और लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) की सप्लाई जैसे मुद्दों पर समझौता कर सकते हैं।

ब्राजील के लिए रवाना होंगे, जहां वह ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी

अर्जेंटीना में लगभग 3 हजार भारतीय प्रवासी रहते हैं। दोनों देश डिफेंस सेक्टर में सहयोग बढ़ाने पर काम कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच फरवरी, 2025 में मिलिट्री ज्वाइंट एक्सरसाइज और इक्विपमेंट पर चर्चा हुई थी।

भारत और अर्जेंटीना G20, G77 और यूनाइटेड नेशन के सदस्य हैं। 2023 में G20 समिट की मेजबानी को लेकर अर्जेंटीना ने भारत की सराहना की थी और अफ्रीकन यूनियन (AU) को G20 में सदस्यता देने का समर्थन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच ₹53 हजार करोड़ का बिजनेस

भारत, अर्जेंटीना का चौथा सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर है। दोनों देशों के बीच, 2019 और 2022 के बीच द्विपक्षीय व्यापार दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर 6.4 बिलियन अमरीकी डॉलर (53 हजार करोड़ रुपए) पहुंच गया है।

भारत अर्जेंटीना को पेट्रोलियम तेल, कृषि रसायन और दोपहिया वाहन एक्सपोर्ट करता है, जबकि भारत, अर्जेंटीना से वनस्पति तेल (जैसे सोयाबीन और सूरजमुखी), लेदर और अनाज इंपोर्ट करता है।

दोनों देश शांतिपूर्ण न्यूक्लियर प्रोग्राम और एनर्जी में सहयोग पर भी जोर देते हैं। अर्जेंटीना, भारत की न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) सदस्यता का समर्थन करता है। भारत ने NSG सदस्यता के लिए 2016 में आवेदन किया था।

भारत-अर्जेंटीना के बीच लीथियम को लेकर दो बड़े समझौते हुए

15 जनवरी, 2024 में भारत ने अर्जेंटीना के साथ लिथियम माइनिंग खनन के लिए एक समझौता किया था।

200 करोड़ रुपए की लागत वाले इस समझौते के तहत, भारत की सरकारी कंपनी खनिज विदेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) को अर्जेंटीना में पांच लिथियम ब्राइन ब्लॉक आवंटित किए जाएंगे।

दोनों देशों ने लिथियम खोजने और खनन में सहयोग बढ़ाने के लिए 19 फरवरी, 2025 को एक समझौता (MoU) किया है। भारत अभी तक लिथियम के लिए चीन पर निर्भर है। यह समझौता चीन पर निर्भरता कम करने के लिए किया गया था।

अर्जेंटीना 100 सालों में 9 बार दिवालिया हुआ

अर्जेंटीना 20वीं सदी की शुरुआत में दुनिया की 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। यह कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से भी आगे था। इसके बावजूद, 1816 में स्पेन से आजादी के बाद से अर्जेंटीना 9 बार अपने कर्ज चुकाने में नाकाम रहा है।

1930 से 1970 तक सरकार ने आयात पर निर्भरता कम करने, आत्मनिर्भरता को बढ़ाने और देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए इम्पोर्ट पर टैरिफ को बढ़ा दिया।

इसका सबसे बुरा असर खेती पर पड़ा। इम्पोर्ट कम होने से देश में अनाज की कमी हो गई, जिससे 1940-50 के दशक में भुखमरी के हालात बन गए।

1980 के दशक में तानाशाही के दौरान सरकारी खर्च और विदेशी कर्ज 75% तक बढ़ा। जरूरत की चीजों की कीमतें 5000% तक पहुंच गई। ब्रेड, दूध, और चावल, इस भयंकर मंहगाई से सबसे अधिक प्रभावित हुए।

वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, अर्जेंटीना लैटिन अमेरिका की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी जीडीपी 474.8 बिलियन डॉलर (लगभग 40 लाख करोड़ रुपए) और प्रति व्यक्ति जीडीपी 12 हजार डॉलर (10 लाख रुपए) है। इसके बावजूद, ये देश आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है।






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घाना की संसद को पीएम मोदी ने किया संबोधित, बोले- दोनों देशों के बीच मजबूत संबंध

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को घाना पहुंचे। यहां पहुंचते ही उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। पिछले 30 सालों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली घाना यात्रा है। पीएम मोदी ने घाना की संसद को भी संबोधित किया।

पीएम ने कहा कि मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र हमारे लिए सिस्टम नहीं, संस्कार है। पीएम ने देशवासियों की तरफ से आभार जताते हुए कहा कि कल शाम का अनुभव बहुत ही मार्मिक था, मेरे प्रिय मित्र राष्ट्रपति जॉन महामा से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करना सम्मान की बात है। भारत के 140 करोड़ लोगों की ओर से मैं इस सम्मान के लिए घाना के लोगों को धन्यवाद देता हूं।

पीएम बोले- सम्मानित महसूस कर रहा

पीएम मोदी ने कहा, 'दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में मैं अपने साथ 140 करोड़ भारतीयों की सद्भावना और शुभकामनाएं लेकर आया हूं। घाना को सोने की भूमि के रूप में जाना जाता है, न केवल आपकी धरती के नीचे छिपी हुई चीजों के लिए बल्कि आपके दिल में मौजूद गर्मजोशी और ताकत के लिए भी।'

उन्होंने कहा कि 'मैं घाना गणराज्य की संसद को संबोधित करके बहुत ही सम्मानित महसूस कर रहा हूं। घाना में होना सौभाग्य की बात है, यह एक ऐसी भूमि है जो लोकतंत्र की भावना को प्रसारित करती है।'


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केजरीवाल का गुजरात में ऐलान-बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी AAP

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में व्यस्त हैं. इसी बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है. उन्होंने स्पष्ट किया कि AAP बिहार विधानसभा चुनाव में अकेले उतरेगी और कांग्रेस या INDIA गठबंधन के साथ कोई गठबंधन नहीं करेगी. यह घोषणा केजरीवाल ने गुजरात दौरे के दौरान दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की.

केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “AAP बिहार चुनाव अकेले लड़ेगी. INDIA गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव 2024 के लिए था. अब कांग्रेस के साथ हमारा कोई गठबंधन नहीं है.” उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर गठबंधन था, तो कांग्रेस ने गुजरात के विसावदर उपचुनाव में हिस्सा क्यों लिया? वे हमें हराने और वोट काटने आए थे. बीजेपी ने कांग्रेस को हमारे खिलाफ भेजा था.” केजरीवाल का यह बयान बिहार में विपक्षी एकता को झटका दे सकता है, क्योंकि INDIA गठबंधन में शामिल दलों के बीच पहले से ही तनाव की खबरें आ रही हैं.

243 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रही AAP

AAP ने बिहार में अपनी संगठनात्मक तैयारियां तेज कर दी हैं. पार्टी के बिहार प्रभारी और दिल्ली के विधायक अजेश यादव ने हाल ही में बिहार इकाई के साथ बैठक की, जिसमें हर गांव तक संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया गया. AAP के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज कुमार ने X पर पोस्ट करते हुए कहा, “बिहार की जनता के लिए AAP सर्वश्रेष्ठ विकल्प है. हम सभी 243 सीटों पर पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ेंगे और बिहार को केजरीवाल मॉडल की सरकार चुनने का मौका देंगे.”

क्या बिहार में कांग्रेस के वोट बैंक पर डाका डालेगी AAP?

बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शेयर महज 7 प्रतिशत था और वह महागठबंधन के साथ 70 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से केवल 19 सीटें जीती थीं. हाल के उपचुनावों में भी कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. पोल ट्रैकर के सर्वे के मुताबिक, 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को 44.2 प्रतिशत वोट और 126 सीटें मिलने का अनुमान है, लेकिन इसमें कांग्रेस का योगदान सीमित रह सकता है. दूसरी ओर, AAP बिहार में भ्रष्टाचार, मुफ्त बिजली, और शिक्षा जैसे मुद्दों को उठाकर शहरी और युवा वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है.

जल्द बिहार के दौरा कर सकते हैं अरविंद केजरीवाल 

पार्टी सूत्रों के अनुसार AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जल्द ही बिहार का दौरा करने वाले हैं. पार्टी व्हाट्सएप ग्रुप्स, इंस्टाग्राम लाइव, और स्थानीय कैंपेनिंग के जरिए युवा और महिला वोटरों तक पहुंच रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार में कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक, खासकर शहरी और मध्यम वर्ग, अब AAP की ओर खिसक सकता है, क्योंकि कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई कई बार पब्लिक डोमेन में देखने को मिली है. AAP ने स्पष्ट किया है कि वह बिहार में किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी, जिससे RJD और JDU-BJP के वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना है.


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भारत को झटका दे सकता है रूस के खिलाफ लाया गया अमेरिकी बिल

अमेरिका में एक बिल पेश किया गया है, जिसमें कहा गया है कि रूस से तेल या गैस खरीदने वाले देशों पर 500% तक का शुल्क लगाने का प्रस्ताव है। इस पर भारत की तरफ से पहले ही अमेरिकी नेताओं से बातचीत की जा चुकी है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बिल को लेकर बड़ा बयान दिया है।

भारतीय विदेश मंत्री ने अमेरिका के विवादित रूस संबंधी बिल को लेकर साफ कहा है कि अगर यह भारत के हितों को प्रभावित करता है, तो उस स्थिति में निपटा जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत इस बिल को लेकर पूरी तरह से सतर्क हे।

जयशंकर का बयान

जयशंकर ने कहा, "जो भी चीज हमारे हितों को प्रभावित कर सकती है, वो हमारे लिए मायने रखती है।" उन्होंने बताया कि भारतीय दूतावास और अमेरिका में भारत के राजदूत लगातार अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं। भारत की ऊर्जा और रणनीतिक जरूरतों को अमेरिकी पक्ष के सामने रखा गया है।

जयशंकर ने कहा, हमने अपनी ऊर्जा, "सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को उनके साथ साझा किया है। अगर ऐसी कोई स्थिति आती है, तो हम उसका सामना करेंगे।"

अमेरिका का बिल

अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम द्वारा लाए गए इस प्रस्तावित बिल में कहा गया है कि रूस से तेल, गैस, यूरेनियम या अन्य वस्तुएं खरीदने वाले किसी भी देश से अमेरिका 500 प्रतिशत का टैरिफ वसूलेगा।

यह बिल अमेरिकी संसद में काफी मजबूत स्थिति में है और इसे 80 सीनेटरों का समर्थन प्राप्त है। इस स्थिति में यह बिल राष्ट्रपति की वीटो शक्ति को भी पार कर सकता है।


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SCO में PAK रक्षा मंत्री से नहीं मिले राजनाथ

चीन के किंगदाओ में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने जॉइंट स्टेट पर साइन करने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को हुई इस बैठक भारत की तरफ से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिस्सा लिया था।

जॉइंट स्टेटमेंट में पहलगाम में हुए आतंकी हमले को शामिल नहीं किया गया था, जबकि बलूचिस्तान में हुई घटना इसमें शामिल थी। भारत ने इससे नाराजगी जाहिर करते हुए स्टेटमेंट पर साइन नहीं किए।

बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, पहलगाम आतंकी हमले का पैटर्न भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों जैसा था। सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया।

कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति मानते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। फिर इसे इनकार करते हैं। ऐसे डबल स्टैंडर्ड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्हें समझना होगा कि अब आतंकवाद के एपिसेंटर सेफ नहीं हैं।

राजनाथ ने कहा, SCO को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।

इस बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे। दूसरी तरफ राजनाथ सिंह ने बैठक में पाकिस्तान के रक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ से भी मुलाकात नहीं की है।

SCO में राजनाथ का संबोधन, 4 पॉइंट

1. उग्रवाद और आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती

राजनाथ ने आगे कहा, मेरा मानना है कि सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं। इन समस्याओं की असल वजह कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में बढ़ोत्तरी है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा और संरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए।

2. आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस

राजनाथ ने कहा भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति आज हमारे एक्शन में भी नजर आती है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ स्वयं की रक्षा करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।

3. देशों के बीच संघर्ष रोकने के लिए संवाद की जरूरत

भारत का मानना है कि संवाद के बिना देशों के बीच संघर्ष को नहीं रोका जा सकता। इसके लिए सभी को साथ आना होगा। कोई भी देश, चाहे वह कितना भी बड़ा और शक्तिशाली क्यों न हो, अकेले काम नहीं कर सकता। साथ मिलकर काम करने की हमारी पुरानी पंरपरा रही है। यह हमारी सदियों पुरानी संस्कृत कहावत 'सर्वे जन सुखिनो भवन्तु' को भी दर्शाता है, जिसका अर्थ है सभी के लिए शांति और समृद्धि।"

4. ग्लोबल चैलेंज में सभी एक साथ आएं

कोरोना वायरस से यह साबित हो गया कि महामारियों की कोई सीमा नहीं होती। जब तक सभी सुरक्षित नहीं हो जाते, तब तक कोई भी सेफ नहीं है। यह इस बात का संकेत है कि कैसे महामारी, जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियां हमारे जन-जीवन का प्रभावित कर सकती हैं। इनसे निपटने के लिए सभी देशों को एकजुट होना पड़ता है।

SCO क्या है

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने मिलकर की थी। बाद में भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके सदस्य बने और 2023 में ईरान भी सदस्य बन गया।

SCO का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बढ़ाना है। संगठन आतंकवाद, उग्रवाद, ड्रग तस्करी और साइबर अपराध जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाता है।



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G7 समिट में मोदी बोले- भारत-कनाडा के संबंध महत्वपूर्ण

कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कननास्किस में 3 दिन चले G7 समिट पर ईरान-इजराइल तनाव का असर दिखा। रूस-यूक्रेन युद्ध और ईरान-इजराइल संघर्ष जैसे मुद्दों पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और बाकी 6 सदस्य देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई।

एक दिन पहले ट्रम्प अचानक समिट को छोड़कर अमेरिका लौट गए। इसकी वजह से G7 समिट के तय एजेंडा पर भी बातचीत नहीं हो पाई। समिट में G7 देशों के राष्ट्राध्यक्ष की सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता ही हुई।

PM मोदी ने समिट में गेस्ट नेशन के रूप में हिस्सा लिया। कनाडा के PM मार्क कार्नी ने मोदी का वेलकम किया। इसके बाद दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच द्विपक्षीय मुलाकात हुई।

मीटिंग के बाद मोदी ने कहा- भारत और कनाडा के संबंध काफी महत्वपूर्ण हैं। मैं भारत को जी-7 में आमंत्रित करने के लिए आपका (कनाडाई PM) बहुत आभारी हूं। मैं भाग्यशाली भी हूं कि मुझे 2015 के बाद एक बार फिर कनाडा आने और कनाडा के लोगों से जुड़ने का अवसर मिला है।

इसी के साथ भारत और कनाडा के बीच हाई कमिश्नर को फिर से बहाल करने पर सहमति बन गई है। दरअसल आतंकी निज्जर हत्याकांड के बाद पिछले साल अक्टूबर में दोनों देशों ने 6-6 डिप्लोमैट्स को देश से निकाल दिया था।




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राहुल गांधी का PM मोदी को पत्र, दलित छात्रों का उठाया मुद्दा, समस्याओं के समाधान की मांग

नई दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देशभर के दलित और वंचित समुदायों के छात्रों की शिक्षा संबंधी चुनौतियों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि देश के करीब 90% छात्र वंचित समुदायों से आते हैं और उनकी शिक्षा के मार्ग में दो प्रमुख बाधाएं हैं:

1. आवासीय छात्रावासों की बदहाल स्थिति

2. पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियों में भारी गड़बड़ी और देरी.

दरभंगा का उदाहरण, लेकिन समस्या देशव्यापी

राहुल गांधी ने बिहार के दरभंगा जिले स्थित आंबेडकर छात्रावास का हवाला देते हुए बताया कि वहां 6-7 छात्रों को एक कमरे में ठूंसकर रखा जाता है. छात्रावास में गंदे शौचालय, असुरक्षित पीने का पानी, भोजन की अव्यवस्था, और शैक्षणिक संसाधनों का अभाव जैसे गंभीर हालात हैं. उन्होंने इसे "मानव गरिमा के खिलाफ" बताते हुए व्यापक सुधार की जरूरत बताई.

छात्रवृत्ति योजना में गड़बड़ी, छात्रों को नहीं मिला हक

राहुल गांधी ने लिखा कि पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना भी लगातार विफल हो रही है. बिहार में यह योजना तीन वर्षों तक ठप रही, जिसके चलते 2021-22 में किसी भी छात्र को छात्रवृत्ति नहीं मिल सकी. 2022-23 में जहां 1.36 लाख दलित छात्रों को छात्रवृत्ति दी गई थी, वह संख्या 2023-24 में घटकर केवल 0.69 लाख रह गई. छात्रों ने शिकायत की है कि उन्हें जो राशि दी जाती है वह बेहद कम और अपमानजनक है, जिससे उनकी शिक्षा और जीवन दोनों पर असर पड़ रहा है.

राहुल गांधी की प्रधानमंत्री से दो मांगें

राहुल गांधी ने पत्र में सरकार से दो तात्कालिक कदम उठाने की अपील की:

1. छात्रावासों में बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं – जिसमें स्वच्छता, भोजन, पुस्तकालय, इंटरनेट और शैक्षणिक संसाधन शामिल हों.

2. छात्रवृत्तियों का समय पर वितरण हो, उनकी राशि में वृद्धि की जाए और राज्य सरकारों के साथ समन्वय बनाकर उसका बेहतर क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए.

“वंचितों का विकास ही भारत का विकास”

पत्र के अंत में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से कहा: “भारत का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा जब वंचित समुदायों के युवा शिक्षा और अवसरों में बराबरी पा सकें. मुझे विश्वास है कि आप इन मुद्दों को गंभीरता से लेंगे. मैं आपकी सकारात्मक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा करता हूं.”


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अदालत ने ईडी से पूछे कई सवाल, सोनिया गांधी और राहुल के खिलाफ दायर किया था आरोपपत्र

नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर आरोपपत्र पर सुनवाई के दौरान ईडी ने राउज एवेन्यू की विशेष अदालत से कहा कि अनुसूचित अपराध मनी लॉन्ड्रिंग के लिए एक ट्रिगर है और यह अपराध की गतिविधि हो सकती है, लेकिन कंपनी की हर गतिविधि मनी लॉन्ड्रिंग नहीं हो सकती।

अदालत ने सुनवाई के दौरान ईडी से पूछा कि क्या ये शेयर अनुसूचित अपराधों से उत्पन्न हैं? अदालत ने कहा कि जांच एजेंसी को कुछ चीजों को अपराध की आय के रूप में पहचानना होगा। अदालत ने पूछा क्या मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही के उद्देश्य के लिए शेयर, संपत्ति और किराए अपराध की आय बने रहेंगे?

अदालत ने उक्त टिप्पणी व सवाल तब किए जब ईडी ने कहा कि यंग इंडियन के पास आरोपितों के लाभ के लिए जारी रखने के अलावा कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं थी। ईडी ने कहा कि शेयर, संपत्ति और किराया अपराध की आय है, जबकि विज्ञापन और ऋण को बाहर रखा गया है।

ईडी ने दाखिल किया था आरोपपत्र

वहीं, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी से पूछा कि क्या आपके पास फोरेंसिक ऑडिटर है? अदालत को यह देखना होगा कि कंपनियां कैसे काम करती हैं और शेयर जारी करने के लिए क्या स्वीकार्य तरीके हैं। जवाब में ईडी ने कहा कि यह केवल अपराध की आय से प्राप्त संपत्ति से संबंधित हैं। एक बार शेयर जारी होने के बाद यह एक संपत्ति है। यंग इंडियन को एजेएल के शेयर जारी करना धोखाधड़ी का अपराध है। नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने 15 अप्रैल को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी समेत अन्य के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया था।

अदालत इस मामले में दो जुलाई से आठ जुलाई तक प्रतिदिन सुनवाई करेगी। मामले में ईडी के साथ अन्य आरोपितों की जिरह सुनी जाएगी। कोर्ट ने यह आदेश तब दिया जब प्रतिवादियों ने रिकॉर्ड की जांच के लिए सुनवाई स्थगित करने की मांग की। हालांकि, ईडी ने इसका विरोध किया।


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वक्फ एक्ट; केंद्र बोला-सरकारी जमीन पर किसी का हक नहीं

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साफ कहा कि कोई भी व्यक्ति सरकारी जमीन पर अधिकार का दावा नहीं कर सकता है। सरकार ने स्पष्ट किया कि उसे 'वक्फ बाई यूजर' के नाम पर वक्फ घोषित की गई सरकारी संपत्तियों का वापस कब्जा पाने का कानूनी अधिकार है। वक्फ बाई यूजर से आशय ऐसी संपत्ति से है जहां किसी संपत्ति को औपचारिक दस्तावेज के बिना भी धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए वक्फ के रूप में मान्यता दी जाती है। उसका आधार सिर्फ यही होता है कि इस संपत्ति का धार्मिक उपयोग लंबे समय से हो रहा है।

नए वक्फ कानून के पीछे केंद्र ने लगाया जोर

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकारों पर बुधवार को सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ता के वकीलों की दी हुई दलीलों का जवाब दिया। उन्होंने प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से अपनी दलीलें पेश कीं।

मेहता ने कहा, 'किसी को भी सरकारी जमीन पर दावे का अधिकार नहीं है। उच्चतम न्यायालय का एक फैसला है, जिसमें कहा गया है कि अगर संपत्ति सरकार की है और उसे वक्फ घोषित किया गया है, तो सरकार उसे बचा सकती है।' केंद्र सरकार के सर्वोच्च विधि अधिकारी मेहता ने शुरुआत में कहा कि किसी भी प्रभावित पक्ष ने अदालत का रुख नहीं किया है और 'किसी ने इस तरह का मामला नहीं रखा है कि संसद के पास इस कानून को पारित करने की क्षमता नहीं है।' उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट और इस तथ्य का हवाला दिया कि अधिनियम के अस्तित्व में आने से पहले कई राज्य सरकारों और राज्य वक्फ बोर्डों से परामर्श किया गया था।

वक्फ पर फैलाए जा रहे भ्रमों पर केंद्र का जवाब

पीठ ने याचिकाकर्ताओं की इन दलीलों पर केंद्र से जवाब मांगा कि जिलाधिकारी के पद से ऊपर का कोई अधिकारी वक्फ संपत्तियों पर इस आधार पर दावा तय कर सकता है कि वे सरकारी हैं। मेहता ने कहा, 'यह न केवल भ्रामक है बल्कि एक गलत तर्क है।' केंद्र ने अपने लिखित नोट में अधिनियम का दृढ़ता से बचाव करते हुए कहा कि वक्फ अपनी प्रकृति से ही एक 'धर्मनिरपेक्ष अवधारणा' है और इस कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती क्योंकि इसके पक्ष में 'संवैधानिकता की धारणा' है।

उसने उन मुद्दों पर ध्यान दिया जो अदालत ने पहले उठाए थे और कहा कि कानून केवल धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए वक्फ प्रशासन के धर्मनिरपेक्ष पहलुओं को विनियमित करने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई गंभीर स्थिति नहीं है कि इस पर रोक लगा दी जाए। नोट में कहा गया है, 'कानून में यह स्थापित स्थिति है कि संवैधानिक अदालतें किसी वैधानिक प्रावधान पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से रोक नहीं लगाएंगी और मामले पर अंतिम रूप से निर्णय लेंगी। संसद द्वारा बनाए गए कानूनों पर संवैधानिकता की धारणा लागू होती है।'

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- संसद के पारित कानूनों होती है संवैधानिकता

पीठ ने मंगलवार को 'कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा' को रेखांकित किया था और कहा कि वक्फ कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत के लिए 'मजबूत और स्पष्ट' तथ्य पेश करने की आवश्यकता है। जब कानून के खिलाफ वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें शुरू कीं तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'हर कानून के पक्ष में संवैधानिकता की धारणा होती है। अंतरिम राहत के लिए आपको एक बहुत मजबूत और स्पष्ट मामला बनाना होगा, वरना संवैधानिकता की धारणा रहेगी।' केंद्र ने पीठ से तीन मुद्दों पर सुनवाई को सीमित करने का आग्रह किया था।

एक मुद्दा 'अदालत द्वारा वक्फ, वक्फ बाई यूजर या वक्फ बाई डीड' घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के अधिकार का है। याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाया गया दूसरा मुद्दा राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना से संबंधित है, जहां उनका तर्क है कि पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही इसमें काम करना चाहिए। तीसरा मुद्दा एक प्रावधान से संबंधित है, जिसमें कहा गया है कि जब कलेक्टर यह पता लगाने के लिए जांच करते हैं कि संपत्ति सरकारी भूमि है या नहीं, तो वक्फ संपत्ति को वक्फ नहीं माना जाएगा।

5 अप्रैल को अस्तित्व में आया नया कानून

केंद्र ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को पिछले महीने अधिसूचित किया था। इसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिल गई थी। इस विधेयक को लोकसभा में 288 सदस्यों के मत से पारित किया गया, जबकि 232 सांसद इसके खिलाफ थे। राज्यसभा में इसके पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 सदस्यों ने मतदान किया।


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Waqf कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी

वक्फ संशोधन कानून 2025 पर अंतरिम रोक लगाने की मांग पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। कानून की वैधानिकता को चुनौती देने वाले मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कानून का विरोध करते हुए दलील दी कि 'कहा जा रहा है कि यह कानून वक्फ की सुरक्षा के लिए है , जबकि इसका उद्देश्य वक्फ पर कब्जा करना है। उन्होंने कहा कि कानून इस तरह बनाया गया है कि बिना किसी प्रक्रिया का पालन किये वक्फ संपत्ति छीन ली जाए।'

वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं

सिब्बल ने कानून की विभिन्न धाराओं को उल्लेखित कर उनकी वैधानिकता पर सवाल उठाया और वक्फ संशोधन कानून 2025 को अनुच्छेद 25 और 25 में मिले धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया। सिब्बल की दलीलें भोजनावकाश के बाद भी जारी रहेंगी।

सुप्रीम कोर्ट में बहुत सी याचिकाएं लंबित हैं जिनमें वक्फ संशोधन कानून 2025 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। मामले में प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ सुनवाई कर रही है।

वक्फ संशोधन कानून 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं में कानून पर अंतरिम रोक लगाने की भी मांग की गई है जबकि दूसरी ओर केंद्र सरकार ने कोर्ट में दाखिल किए गए जवाब में कानून को सही ठहराते हुए अंतरिम रोक का विरोध किया है।

सिब्बल ने की कानून पर अंतरिम रोक की मांग

वक्फ संशोधन कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं के अलावा शीर्ष अदालत में दो और याचिकाएं सुनवाई पर लगी हैं जिनमें मूल वक्फ कानून को चुनौती दी गई है और मूल वक्फ कानून 1995 व 2013 को गैर मुस्लिमों के प्रति भेदभाव वाला बताते हुए रद करने की मांग की गई है। हरिशंकर जैन और पारुल खेड़ा की इन याचिकाओं पर भी कोर्ट नोटिस जारी कर चुका है लेकिन अभी तक केंद्र ने इनका जवाब दाखिल नहीं किया है।

वक्फ संशोधन कानून 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं में संशोधित कानून को मुसलमानों के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए रद करने की मांग की गई है। वैसे तो कोर्ट में दो दर्जन याचिकाएं दाखिल हुईं थी लेकिन पिछली सुनवाई 17 अप्रैल को कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार व अन्य को नोटिस जारी करते वक्त ही साफ कर दिया था कि वह सिर्फ पांच मुख्य याचिकाओं पर ही विचार करेगा। उन पांच याचिकाओं में एआइएमआइएम के प्रमुख असदुद्दीन ओबैसी व जमीयत उलमा ए हिन्द की याचिका शामिल हैं।

पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने अंतरिम आदेश के मुद्दे पर केंद्र की ओर दिये गए आश्वासन को आदेश में दर्ज किया था। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि कोर्ट के अगले आदेश तक केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में गैर मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति नहीं की जाएगी।

इसके अलावा केंद्र ने यह भी कहा था कि अधिसूचित या पंजीकृत वक्फ जिनमें वक्फ बाई यूजर (उपयोग के आधार पर वक्फ) भी शामिल हैं, उन्हें गैर अधिसूचित नहीं किया जाएगा और न ही उनकी प्रकृति में बदलाव किया जाएगा।

कोर्ट ने उसी दिन आदेश में कह दिया था कि अगली तारीख पर होने वाली सुनवाई प्रारंभिक सुनवाई होगी और अगर जरूरत हुई तो अंतरिम आदेश भी दिया जाएगा। उसी आदेश के मद्देनजर मंगलवार को कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून पर अंतरिम रोक लगाने की मांग पर सुनवाई शुरू हुई।

मंगलवार को अंतरिम आदेश के मुद्दे पर पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पक्ष रखना शुरू किया। हालांकि इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि कोर्ट ने अंतरिम आदेश के पहलू पर तीन मुद्दे तय किये थे और उन्हीं तीन मुद्दों पर केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल किया है।

आज सुनवाई के दौरान सिब्बल ने क्या दी दलीलें

कोर्ट को उन्हीं तीन मुद्दों तक सुनवाई सीमित रखनी चाहिए। लेकिन कपिल सिब्बल ने मेहता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट ने मामले पर बहस को सिर्फ तीन मुद्दों तक सीमित रखने का काई आदेश नहीं दिया था। बहस कानून के सभी मुद्दों पर होगी।

दूसरे याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कहा कि सुनवाई टुकड़ों में नहीं हो सकती। इसके बाद सिब्बल ने बहस शुरू की और अपनी दलीलें रखीं। कोर्ट ने भी सुनवाई के दौरान उनका पक्ष स्पष्ट समझने के लिए कई सवाल पूछे जैसे कि क्या पहले के वक्फ कानून में वक्फ पंजीकृत कराना जरूरी था या स्वैच्छिक था। और क्या पंजीकृत न कराने का कोई परिणाम भी तय था।

सिब्बल ने कहा कि कानून में वक्फ पंजीकृत कराने की बात थी और मुतवल्ली की जिम्मेदारी थी वक्फ पंजीकृत कराएं और पंजीकरण न कराने पर मुतवल्ली पर कार्रवाई होने की बात थी लेकिन उस कानून में वक्फ समाप्त हो जाने जैसी कोई बात नहीं थी। सिब्बल की दलीलें भोजनावकाश के बाद भी जारी रहेंगी।


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