मैं कर्नाटक की हिजाब गर्ल हूं

पिछले साल कर्नाटक की हिजाब गर्ल खूब चर्चा में रही। दुनियाभर में सुर्खियां बटोरीं। जिस पर सुप्रीम कोर्ट में जिरह हुई। सोशल मीडिया पर मीम्स बने। कई लोगों ने तारीफ की, विदेश में पढ़ाई के ऑफर मिले, तो कुछ लोगों ने विरोध भी किया।

मैं वहीं हिजाब गर्ल मुस्कान खान हूं। जिसने अपने कॉलेज में कुछ हिंदू कट्टरवादी लड़कों के जय श्री राम का नारा लगाने पर अल्लाह हू अकबर के नारे लगाए थे। उसके बाद दुनियाभर में मेरी वाहवाही तो हुई, लेकिन जिस दौर से मैं और मेरा परिवार गुजरा, वो कभी भूल नहीं सकती।

मैं कर्नाटक के मंडेया की रहने वाली हूं। फिलहाल बीकॉम सेकेंड ईयर में हूं। मेरे तीन भाई-बहन हैं। अब्बू का अपना बिजनेस है। मां घर पर रहती हैं। अब्बू ने हमेशा हम भाई-बहनों को पढ़ाने पर जोर दिया। अब्बू का कहना था कि पढ़-लिखकर लड़कियां अपने पैरों पर खड़ी हो जाएं, तो फिर उन्हें किसी के आसरे नहीं रहना पड़ेगा।

10वीं के बाद मेरे साथ की ज्यादातर लड़कियों ने पढ़ाई छोड़ दी। उनकी शादी कर दी गई, लेकिन मैंने कॉलेज में दाखिला लिया, क्योंकि हमारे लिए पढ़ाई और परिवार ही सब कुछ था। राजनीति और किसी तरह की दुनियादारी से कोई वास्ता नहीं था।

उस दिन कॉलेज में जो हुआ, उस पर हर किसी ने मुझ पर कमेंट किए। रिश्तेदार अब्बू से कह रहे थे कि इसे कॉलेज क्यों भेजा, हंगामा हो गया न, इन सब चीजों की क्या जरूरत थी…? पर अब्बू ने मेरा साथ दिया। हिम्मत बनकर वे मेरे साथ खड़े रहे। कोई और होता तो शायद पढ़ाई छुड़वा देता, कॉलेज भेजना बंद करा देता, लेकिन अब्बू ने कहा कि तुमने जो किया ठीक किया।

दरअसल, सारा विवाद शुरू होता है हिजाब से। इस्लाम इल्म की इजाजत देता है। औरत को आजादी देता है। मुझे लगता है कि हिजाब डालना या नहीं डालना उसकी निजी चॉइस है। कोई किसी पर थोप नहीं सकता है।

हम कभी भी स्कूल या कॉलेज बुर्का पहन कर नहीं गए। घर से बुर्का पहनकर जाते थे और कॉलेज में हमें ड्रेस बदलने के लिए एक कमरा दिया गया था। वहां बुर्का निकाल कर हम सिर पर स्कार्फ बांध लेते थे। जो लड़कियां स्कार्फ नहीं बांधती थीं, वे कंधे पर दुपट्टा लेती थीं। कभी उस अनुशासन को नहीं तोड़ा।

बीते साल की बात है। बड़े भाई का रोड एक्सीडेंट हो गया था। उसे सिर में गहरी चोट आई थी। वह सीरियस था। कुछ कहा नहीं जा सकता था। हम सब डिप्रेशन में थे। दिन-रात रोते और दुआ करते बीतता था। घर में मातम जैसा माहौल था। इसी वजह से कई दिनों से मैं स्कूल भी नहीं जा पा रही थी।

एक दिन मेरी क्लासमेट का फोन आया कि इकोनॉमिक्स का असाइनमेंट जमा करने की कल आखिरी तारीख है। मेरा ध्यान तो भाई में ही था, कोई तैयारी की नहीं थी। मैंने फौरन अपनी स्कूटी निकाली और कॉलेज पहुंच गई।

मुझे पता नहीं था कि कॉलेज में क्या चल रहा है। मैंने गेट पर स्कूटी खड़ी की। उस वक्त कुछ लड़के मुझे घूर रहे थे और जय श्री राम के नारे लगा रहे थे। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं अंदर गई तो वे कहने लगे कि बुर्का निकालो, बुर्का निकालो, निकालो इसे।

जबकि मैंने चूड़ीदार सूट के साथ हिजाब पहना था। वहां सिर्फ मैं और नारा लगा रहे लड़के ही मौजूद थे। बाकी कोई और नहीं था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है। फिर वे लोग एकदम मेरे सामने आ गए। नारेबाजी करने लगे। इस पर मैंने भी चिल्ला कर बोल दिया अल्लाह हू अकबर..अल्लाह हू अकबर...अल्लाह हू अकबर।

इससे वे लोग और गुस्से में आ गए, लेकिन मैं डरी नहीं। सच बताऊं, तो मुझे नहीं पता कि उस वक्त मुझे कहां से हिम्मत आई थी।

मैंने यह सब पहली बार देखा था। ऐसी भीड़ से पहली बार सामना हुआ था। मुझे अंदर से इतना गुस्सा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती। मेरा दिल जार-जार रो रहा था कि मेरा भाई बिस्तर पर है, उसकी जिंदगी खतरे में है और ये लोग मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं। मुझे परेशान कर रहे हैं। इसी बीच एक टीचर आए और मुझे कॉलेज के अंदर ले गए।

मैं कॉलेज में ही थी। इसी बीच मेरा वीडियो वायरल हो गया। एक सहेली ने बताया कि मुस्कान तेरा वीडियो यूट्यूब पर आ रहा है, मैंने ध्यान नहीं दिया। इतने में पता लगा कि कॉलेज में धारा 144 लग गई है। एक दोस्त ने मैसेज किया कि मुस्कान तुम टीवी पर आ रही हो, मैंने तब भी ज्यादा ध्यान नहीं दिया।

मुझे प्रिंसिपल ने बुलाया और पूछताछ की। मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया। थोड़ी देर बाद पुलिस भी आ गई। मुझे देखकर पूछने लगे कि तुम्हीं हो न वो? फिर मैंने अब्बू को फोन लगाया। उन्हें बताया कि मेरे साथ ऐसा-ऐसा हुआ है। अब्बू ने कहा कि कोई बात नहीं, तुम घर आ जाओ।

मैं घर पहुंची तो मेरा ही इंतजार हो रहा था। अब्बू के दोस्त भी घर पर ही थे। वे कह रहे थे कि देखो तुम्हारी बेटी ने क्या किया है। कैसे मीडिया में आ रही है। मैंने अब्बू को सारी बात बताई। मां लगातार रो रही थीं। वे कह रही थीं कि तुमने ऐसा क्यों किया, तुम्हें कुछ हो जाता तो…।

मैंने टीवी ऑन किया। मेरा ही वीडियो टीवी पर चल रहा था। इसी बीच मीडिया वाले भी घर आ गए। मीडिया वालों की कतार लग गई। सब आवाज दे रहे थे कि मुस्कान को बाहर भेजो, मुस्कान को बाहर भेजो। मुस्कान बताओ आखिर हुआ क्या था, घटना की जानकारी दो।

इस पर पहले तो अब्बू ने मुझे मना कर दिया कि कुछ कहना नहीं है, कहीं जाना नहीं है। इधर मीडिया की भीड़ बढ़ती जा रही थी। वे वापस जाने को तैयार नहीं थे। फिर अब्बू के कहने पर मैं बाहर आई और मीडिया को सारी बात बताई।

इसके बाद तो हर दिन मीडिया वाले घर आने लगे। विदेशी मीडिया वाले भी बहुत आए। हम लोग पागल हो गए थे, परेशान हो गए थे रोज-रोज एक ही सवाल का जवाब देते-देते।

खैर उस घटना के बाद अल्लाह ने दुनिया में इतनी इज्जत दी, इतनी शोहरत दी कि मेरे पास शब्द नहीं हैं। हर जगह से मुझे दुआएं और तारीफें मिल रही थीं। कॉलेज में जो मेरी नॉन मुस्लिम दोस्त थीं, वे भी फोन करके बोल रही थीं कि मुस्कान तुमने अच्छा किया है।

हालांकि ये एक पक्ष था, जो दुनिया को दिख रहा था। एक दूसरा पक्ष भी था जिससे सिर्फ मैं और मेरा परिवार ही गुजर रहा था। मेरे खिलाफ समाज का एक तबका खड़ा हो गया था। हमारे अपने ही हमें कोस रहे थे। पापा को ताने मार रहे थे। कई कट्टरवादी लोग धमकी भी दे रहे थे।

घर में सभी लोग डर गए थे। कई महीने हम सोए नहीं, ठीक से खाना नहीं खाया, अम्मी हमेशा कहती थी कि तूने ऐसा क्यों किया। कोई तुम्हारे साथ कुछ गलत कर देगा तो क्या होगा, हम कहां जाएंगे..वगैरह, वगैरह। खैर इस घटना के बाद मैंने रेगुलर कॉलेज जाना छोड़ दिया था। पढ़ाई डिस्टर्ब हो गई। अब मैं ओपन स्टडी कर रही हूं।

मुझे कई विदेशी यूनिवर्सिटीज से पढ़ाई के लिए ऑफर आए, लेकिन मैं परिवार को छोड़कर नहीं जा सकती। मुझे भारत पसंद है, अपने देश से प्यार है और मुझे यहीं रहना है। यहां जिन कॉलेजों से मुझे पढ़ने के लिए ऑफर आए, वहां मेरे सब्जेक्ट नहीं थे। इसलिए मैंने घर पर ही रहकर ओपन स्टडी करना शुरू किया।

अब्बू मुझे शेरनी बुलाते थे और आज भी कहते हैं कि तुम सच में शेरनी हो। इतनी हिम्मत उन लड़कियों में ही होती है, जिनके पापा उनका साथ देते हैं। मैं अगर पढ़ी-लिखी नहीं होती तो रोकर या डरकर भाग जाती, लेकिन मैं जानती हूं कि मेरे अधिकार क्या हैं।

मुझे लगता है कि मैं उस कॉलेज की स्टूडेंट थी और लड़के भी उसी कॉलेज के स्टूडेंट थे। अगर उन्हें जय श्री राम कहने का हक था तो मुझे भी अल्लाह हू अकबर कहने का हक था। जैसा उनका हक, वैसा मेरा हक।

आज सब ठीक हो चुका है। मैंने उन लड़कों को भी माफ कर दिया है। उनसे कोई रंजिश नहीं है। एक और बात, यहां की पुलिस और सरकार ने हमारा साथ दिया। आज भी हम कहीं जाते हैं तो उन्हें बताकर जाते हैं। वे लोग हमारी हिफाजत करते हैं।

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अतीक-अशरफ के शव असद की कब्र के पास दफनाए गए

माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात प्रयागराज में हत्या कर दी गई। पुलिस दोनों को मेडिकल टेस्ट के लिए अस्पताल ले जा रही थी। पत्रकार साथ-साथ चलते हुए अतीक और अशरफ से सवाल कर रहे थे। इसी बीच तीन हमलावर पुलिस का सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए आए और अतीक के सिर में गोली मार दी, फिर अशरफ पर फायरिंग की। दोनों की मौके पर ही मौत हो गई।

हमलावर मीडियाकर्मी बनकर आए थे। इनके नाम लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य हैं। हमले के तुरंत बाद ही तीनों ने सरेंडर कर दिया। लवलेश बांदा, अरुण कासगंज और सनी हमीरपुर का रहने वाला है। उनसे हथियार बरामद किए गए हैं। कॉन्स्टेबल मानसिंह को भी गोली लगी है। सरकारी वकील गुलाब चंद्र अग्रहरी ने बताया- तीनों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनी सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। यहां अतीक का बेटा अली भी कैद है।

अतीक-अशरफ के शवों को पोस्टमॉर्टम के बाद कसारी-मसारी स्थित कब्रिस्तान में इस्लामिक रीति-रिवाज से दफनाया गया। दोनों के शव को अतीक का बहनोई और दो रिश्तेदार लेकर पहुंचे थे। अतीक के दोनों छोटे बेटों को बाल सुधार गृह से लाया गया था। अतीक के बेटे असद की कब्र के पास दोनों की कब्र खुदवाई गई थीं। अशरफ की बेटी और पत्नी जैनब भी कब्रिस्तान में मौजूद रहीं।

कब्रिस्तान में सिर्फ चुनिंदा रिश्तेदारों को जाने दिया गया। कब्रिस्तान से करीब 300 मीटर दूर सभी को रोक दिया गया। मीडियाकर्मियों को कब्रिस्तान के बाहर तक जाने दिया गया। हालांकि, उनके नाम और मोबाइल नोट किए जा रहे हैं। पूरे शहर में तगड़ी सुरक्षा है। जगह-जगह फोर्स तैनात है।

आज के अपडेट्स

  • यूपी के गृह विभाग ने हत्याकांड की जांच के लिए 3 सदस्यीय न्यायिक आयोग गठित किया है। यह आयोग 2 महीने के अंदर मामले की जांच करके शासन को रिपोर्ट सौंपेगा। आयोग को हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अरविंद कुमार त्रिपाठी लीड करेंगे। इसमें रिटायर्ड डीजीपी सुबेश सिंह, जिला कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बृजेश कुमार सोनी को भी शामिल किया गया है।
  • FIR में यह सामने आया है कि शनिवार रात अतीक-अशरफ पर हमले के दौरान एक शूटर लवलेश तिवारी को भी गोली लगी है। हमलावरों की फायरिंग में लवलेश घायल हुआ है।
  • घटना के बाद उमेश पाल के घर की सुरक्षा में PAC-RAF और पुलिस के करीब 100 जवान तैनात हैं। पत्नी जया पाल और मां शांति देवी को किसी से मिलने की इजाजत नहीं है।
  • यूपी STF ने महाराष्ट्र के नासिक में शनिवार शाम छापा मारा है। भास्कर को सूत्रों ने बताया कि STF ने वेलकम होटल से एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है।

  • आज के 2 बयान...

    1. आरोपी लवलेश के पिता यज्ञ तिवारी बोले, 'हमें जानकारी नहीं है और ना हमारा इससे कोई लेना-देना है। 5-6 दिन पहले आया था। उसका घर से कोई लेना-देना नहीं था। सालों से बोलचाल बंद है। थप्पड़ मारने के केस में जेल गया था, तब से बातचीत बंद है। नशा करता है। हमने उसे त्याग दिया है।'

    2. दूसरे आरोपी सनी सिंह के भाई ने कहा, अतीक-अशरफ को गोली मारने वालों में दूसरा शूटर सनी सिंह है। वह हमीरपुर का रहने वाला है। उसके भाई पिंटू सिंह ने ANI से बातचीत में कहा- 'हम लोग 3 भाई थे, जिसमें से एक की मृत्यु हो गई। सनी के ऊपर पहले से मामले दर्ज हैं। वह कुछ नहीं करता था। हम उससे अलग रहते हैं। वह बचपन में ही घर छोड़कर भाग गया था।'

  • जेल में बंद बेटा बेहोश हो गया
    अतीक की मौत की खबर सुनते ही नैनी जेल में बंद अतीक का दूसरा बेटा अली बेहोश हो गया। अतीक के दो नाबालिग बेटे राजरूपपुर बाल सुधार गृह में हैं। उनका टीवी कनेक्शन काट दिया गया।

    योगी की अफसरों के साथ मीटिंग
    घटना के बाद योगी आदित्यनाथ ने अफसरों के साथ इमरजेंसी मीटिंग की। उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई। संवेदनशील इलाकों में पुलिस फ्लैग मार्च कर रही है। मध्य प्रदेश के पूर्व CM कमलनाथ और UP की पूर्व CM मायावती ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में दखल देने की मांग की है।

    14 तारीख को भी अतीक की तबीयत बिगड़ने पर कॉल्विन हॉस्पिटल लाया गया था
    अतीक अहमद और अशरफ को प्रयागराज के सीजेएम कोर्ट ने 13 से 17 अप्रैल तक के लिए पुलिस रिमांड पर भेजा था। 13 अप्रैल की रात यानी गुरुवार को ही यूपी पुलिस और ATS ने दोनों से पूछताछ शुरू की। ये पूछताछ 23 घंटे तक चली। दोनों से करीब 200 सवाल पूछे गए थे।

    सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान अतीक ने कबूला था कि वह पाकिस्तान से हथियार की सप्लाई लेता रहा है। अहमदाबाद जेल से उसने ISI एजेंट को फोन किया था। यही नहीं, अतीक ने उमेश पाल हत्याकांड की साजिश का जुर्म भी कबूल किया। अशरफ ने पुलिस को बताया कि किसी चैनल से हथियार पंजाब के एक फॉर्म हाउस तक पहुंच जाते थे।

    पूछताछ के दौरान अतीक गिड़गिड़ाता रहा। वह बेटे के जनाजे में शामिल होने की मिन्नतें करता रहा। इसी दौरान 14 तारीख की शाम को अतीक की तबीयत बिगड़ गई। इसके बाद उसे और अशरफ को एक ही हथकड़ी में प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल लाया गया।

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अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में हत्या

अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में हत्या कर दी गई है। हत्या किसने की यह अभी पता नहीं चला है।

माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की शनिवार रात उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हत्या कर दी गई है। जब पुलिस अतीक को लेकर कॉल्विन अस्पताल में मेडिकल टेस्ट के लिए ले जा रही थी, तभी तीन लोगों ने पुलिस की गाड़ी पर हमला कर दिया। हमले में अतीक और अशरफ की मौत हो गई। हत्या के बाद तीनों हमलावरों ने सरेंडर कर दिया है। हालांकि यूपी पुलिस अभी इस मामले पर कुछ भी कह नहीं रही है।

गुरुवार को झांसी में हुआ था अतीक के बेटे का एनकाउंटर, शनिवार सुबह दफनाया गया
माफिया अतीक अहमद के बेटे असद और शूटर गुलाम का गुरुवार दोपहर साढ़े 12 से एक बजे के बीच झांसी में एनकाउंटर हुआ था। यूपी STF ने बताया कि उमेश पाल हत्याकांड के शूटर्स की लोकेशन मिलने के बाद STF की एक टीम बुधवार को झांसी पहुंची थी। STF को शुरुआती जानकारी गुड्‌डू मुस्लिम के छिपे होने की मिली थी। बाद में सोर्स ने असद और शूटर गुलाम के भी झांसी में चिरगांव के पास होने की जानकारी दी। हालांकि गुड्डू मुस्लिम तो STF के हाथ नहीं लगा, लेकिन असद और गुलाम STF के हत्थे चढ़ गए।

असद और गुलाम की लोकेशन मिलने के बाद STF दोनों को जिंदा पकड़ना चाहती थी, लेकिन उन्होंने फायरिंग शुरू कर दी। STF की जवाबी फायरिंग में दोनों मारे गए। असद को दो, जबकि गुलाम को एक गोली लगी। शनिवार सुबह 10 बजे असद को प्रयागराज के कब्रिस्तान में दफनाया गया।

अखिलेश यादव बोले- UP में अपराध की पराकाष्ठा हो गई
UP में अपराध की पराकाष्ठा हो गयी है और अपराधियों के हौसले बुलंद है। जब पुलिस के सुरक्षा घेरे के बीच सरेआम गोलीबारी करके किसी की हत्या की जा सकती है तो आम जनता की सुरक्षा का क्या। इससे जनता के बीच भय का वातावरण बन रहा है, ऐसा लगता है कुछ लोग जानबूझकर ऐसा वातावरण बना रहे हैं।

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3 हजार करोड़ की ठगी करने वाला बना 'गुरू'

देश में 3 हजार करोड़ का फ्रॉड करने वाला 7वीं फेल फ्यूचर मेकर कंपनी का चेयरमैन कम मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) राधेश्याम अब 'गुरू' बन गया है। राधेश्याम 4 साल 3 महीने जेल में रहा। जनवरी 2022 में वह जेल से बाहर आया। इसके बाद वह अपने हिसार स्थित घर जाने के बजाय गायब हो गया। अब अचानक वह प्रवचन के नाम पर ज्ञान बांटते हुए नजर आने लगा है।

राधेश्याम खुद को भगवान श्रीकृष्ण का भक्त बता रहा है। उसने परमधाम नाम से अपनी संस्था बनाई है। इसी नाम से उसने अपना सोशल मीडिया अकाउंट बनाया हुआ है। इस पर अपने प्रवचनों के 12 वीडियो अपलोड किए है। इनमें वह आजकल के दूसरे बाबाओं को कोस रहा है।

राधेश्याम कहता है कि बाबा अध्यात्म का ज्ञान नहीं दे रहे बल्कि व्यापार कर रहे हैं। यह सोचने वाली बात है। लोगों से करोड़ों ठगने वाला राधेश्याम कह रहा है कि परमात्मा ने जितना दिया है, उसी में आनंद लेना चाहिए।

जानिए कौन है राधेश्याम और कैसे उसने 3 हजार करोड़ का फ्रॉड किया..

प्रॉपर्टी के काम में पैसा कमाया: राधेश्याम हिसार के सीसवाल गांव का रहने वाला है। वह आदमपुर में प्रॉपर्टी का काम करता था। छोटे भाई के साथ मिलकर उसने मोटा पैसा कमाया। हालांकि जब प्रॉपर्टी का काम मंदा हुआ तो शातिर राधेश्याम ने फ्यूचर मेकर कंपनी खोली।

नेटवर्किंग चेन वाली कंपनी बनाई: राधेश्याम ने फ्यूचर मेकर कंपनी की स्कीम लॉन्च की। इसमें एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के साथ जुड़कर पूरी चैन बनानी होती थी। जॉइनिंग के लिए साढ़े 7 हजार रुपए देने पड़ते थे। कंपनी जॉइनिंग के बाद ढ़ाई हजार रुपए वापस लौटाने का लालच देती और बाकी बचे हुए पैसों के बराबर की राशि का इस्तेमाल कपड़े और दवाइयां खरीदने का लालच दिया जाता।

इसके साथ ही स्कीम के अनुसार, अगर एक व्यक्ति 7200 रुपए कंपनी में इन्वेस्ट करता है तो उसे दो साल में 60 हजार रुपए वापस मिलने का लालच दिया जाता। नए मेंबर्स जोड़ने पर पुराने मेंबर को कमीशन भी दिया जाता था।

सेमिनार के जरिए जोड़े लोग : राधेश्याम लोगों की जोड़ने की कला में माहिर था। वह सेमिनार के जरिए लोगों को जोड़ता। जहां उसकी बातों व ठाठ-बाठ देखकर युवा उसके जाल में फंसते चले गए। आलम यह था कि राधेश्याम ने एक साल में कंपनी में 1 करोड़ लोगों को जोड़ने का दावा किया। उसकी पर्सनल सिक्योरिटी थी और वह जगुआर से चलता था। देश के बड़े शहरों में उसके सेमिनार होते थे।

ऐसे फूटा राधेश्याम का भांडा
तेलंगाना की साइबराबाद पुलिस ने हरियाणा पुलिस के साथ मिलकर हिसार में चल रही मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी का पर्दाफाश किया। यह कंपनी पिछले 4-5 सालों से लोगों से करीब 1200 करोड़ रुपए की ठगी कर चुकी है। तेलंगाना पुलिस ने हरियाणा की एसटीएफ के साथ मिलकर आरोपियों को दबोचा।

इसी मामले के मास्टरमाइंड के तौर पर राधेश्याम और सुरेंद्र सिंह के तौर पर हुई। राधेश्याम फ्यूचर मेकर लाइफ केयर ग्लोबल मार्केटिंग का चेयरमैन और सुरेंद्र सिंह डायरेक्टर था। पुलिस ने कंपनी के 200 करोड़ रुपयों को सीज किया है।

9 राज्यों में 50 एफआईआर
2018 में राधेश्याम की फ्यूचर मेकर कंपनी में निवेश के नाम पर 3 हजार करोड़ का फ्रॉड उजागर हुआ। इस ठगी के केस में हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में करीब 50 केस दर्ज हुए। इन मामलों में पुलिस 21 आरोपियों को पकड़ चुकी है। एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ने करीब 300 करोड़ की प्रॉपर्टी अटैच की है।

राधेश्याम ने बताई 'गुरू' बनने की कहानी
राधेश्याम कह रहा है कि उसने चार साल में गहरा चिंतन किया। जिसमें उसने ज्ञान अर्जित किया। उसने कहा कि भगवान ने रास्ता दिखाया कि आने वाली पीढ़ियों को ज्ञान दें। चार साल में मैने भगवत गीता पर काम किया है। 8 से 10 ग्रंथ लिखे हैं और जल्द ही मेडिटेशन कैंप शुरू करने जा रहा हूं।

लोग बोले- हमारा पैसा खाकर गुरू बन गया
राधेश्याम के ज्ञान की बातों पर लोग खूब कमेंट कर रहे हैं कि कई गरीब लोगों की बद्दुआ है, अब ज्ञान देने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। ऊपरवाला देख रहा है। इसी जन्म में भुगतना पड़ेगा तुझे। एक यूजर ईश्वर मेहता ने कहा कि लोगों का पैसा खा कर गुरु बनना ठीक नहीं है। पहले गरीब लोगों का पैसा लोटा दो।

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राहुल गांधी का अब क्या होगा

नई दिल्ली: राहुल गांधी अब सांसद नहीं रहे। शुक्रवार को लोकसभा सचिवालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। उन्हें संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951’ की धारा 8 के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया है।

एक दिन पहले, यानी गुरुवार को सूरत की कोर्ट ने उन्हें मानहानि का दोषी पाया और 2 साल कैद की सजा सुनाई थी। राहुल ने 2019 के चुनावी भाषण में मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी। इसी मामले में उन पर मानहानि का मुकदमा चल रहा था। सूरत कोर्ट ने इसी पर फैसला सुनाया था। हालांकि उन्हें फौरन जमानत भी दे दी थी।

सांसदी जाने के बाद राहुल गांधी के पास अब क्या रास्ते हैं, 

सवाल 1: राहुल की संसद सदस्यता खत्म करने के फैसले को क्या सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?

जवाब : राहुल गांधी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। भारतीय संविधान में अगर किसी के अधिकारों का हनन होता है तो वह हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकता है। अनुच्छेद 226 के तहत हाईकोर्ट भी जा सकते हैं और अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट भी जा सकते हैं।

इसे 2022 के आखिरी महीनों में UP की रामपुर सीट से सपा विधायक आजम खान के केस के उदाहरण से भी समझ सकते हैं।

27 अक्टूबर 2022 को रामपुर की कोर्ट ने हेट स्पीच के केस में आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई। इसके ठीक अगले दिन UP विधानसभा सचिवालय ने आजम की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी। इसके अगले ही दिन चुनाव आयोग ने एक नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें कहा गया कि 10 नवंबर को उप चुनाव का शेड्यूल जारी कर दिया जाएगा।

आजम इस पूरी प्रक्रिया के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए। उनकी दलील थी कि अयोग्य करार देने, सीट खाली करने और उप चुनाव के लिए शेड्यूल जारी करने में इतनी तेजी उचित नहीं, वो भी तब जब कन्विक्शन के खिलाफ सेशन कोर्ट में उनकी अपील सुनी जानी है।

आजम की इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग, विधानसभा सचिव और UP सरकार से सवाल पूछा कि मामले में इतनी तेजी क्यों दिखाई जा रही है। आजम को सांस लेने का मौका दिया जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और उनकी पीठ ने सेशन कोर्ट में सुनवाई पूरी होने तक उप चुनाव की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। साथ ही सेशन कोर्ट को 10 दिन के भीतर आजम खान की अपील पर सुनवाई पूरी करने को कहा था। हालांकि, बाद में सेशन कोर्ट ने आजम खान के कन्विक्शन पर कोई राहत नहीं दी।

यानी आजम की तरह राहुल गांधी भी अपनी सदस्यता रद्द करने के लोकसभा सचिवालय के नोटिफिकेशन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं।

सवाल-2 : अगर हायर कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द हो जाती है तो क्या राहुल की सदस्यता बहाल हो जाएगी?

जवाब : मानहानि मामले में 2 साल की सजा के खिलाफ राहुल गांधी हायर कोर्ट में अपील करेंगे। सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल कहते हैं कि अगर बड़ी कोर्ट से राहुल गांधी की कन्विक्शन रद्द कर दे या रोक लगा दे तो उनकी लोकसभा सदस्यता बरकरार रहेगी।

कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि हाईकोर्ट से राहुल के कन्विक्शन को रद्द कर दिया जाता है, या फिर उनकी सजा को कम कर दिया जाता है, तो भी खुद ब खुद उनकी सदस्यता फिर से बहाल नहीं होगी। इसके लिए राहुल गांधी को फिर से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा।

इसकी वजह है कि स्पीकर खुद अपने फैसले को नहीं पलटेंगे। हाईकोर्ट या संविधान पीठ का फैसला आया तो वे अपने फैसले को बदल सकते हैं।

वहीं अगर ऐसा कोई फैसला आने से पहले वायनाड में उप चुनाव हो गए तो राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल नहीं हो पाएगी।

सवाल-3 : राहुल की सदस्यता जाने के बाद क्या खाली हुई वायनाड सीट पर उप चुनाव होंगे?

जवाब : हां होंगे, क्योंकि लोकसभा के आम चुनाव मई 2024 में होने हैं। यानी अभी इसे होने में 6 महीने से ज्यादा का समय है। संविधान के मुताबिक, आम चुनाव होने में अगर 6 महीने से ज्यादा का समय है ताे केरल की वायनाड सीट पर उप चुनाव होगा।

सवाल-4 : अगर वायनाड सीट पर उपचुनाव हुए तो क्या राहुल गांधी फिर चुनाव लड़ पाएंगे?

जवाब : राहुल गांधी दो हालातों में ही वायनाड सीट से उपचुनाव लड़ सकते हैंं…

1. उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले मानहानि के मूल केस में राहुल की कन्विक्शन पर बड़ी अदालत रोक लगा दे।

अभी तक राहुल ने सूरत की मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं दी है। कांग्रेस सूत्रों का कहना कि चूंकि फैसला 150 पेज का है और गुजराती में है। ऐसे में इसका अनुवाद करवाया जा रहा है।

2. राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा दे या इसे रद्द कर दे। ये सब कुछ उप चुनाव घोषित होने और उसके नामांकन की अंतिम तारीख से पहले होना चाहिए। अगर ऐसा होता है तो राहुल वायनाड से उप चुनाव लड़ पाएंगे।

मौजूदा हालात को देखते हुए इन दोनों विकल्पों की संभावना कम है। राहुल को कहीं से भी राहत मिलने से पहले उप चुनाव हो सकते हैं।

सवाल-5 : अगर ऊपरी अदालत से राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिली, तो क्या होगा?

जवाब : राहुल की कानूनी लड़ाई दो मोर्चों पर होगी।

1. मानहानि के केस में दोषी करार दिए जाने के खिलाफ।

2. दो साल की सजा के आधार पर सदस्यता रद्द करने के नोटिफिकेशन के खिलाफ।

मानहानि केस में राहुल की कन्विक्शन को रद्द नहीं किया जाता या उस पर रोक नहीं लगती तो उन्हें एक महीने बाद दो साल की सजा काटनी होगी और वह इसके 6 साल बाद भी कोई चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो राहुल के चुनावी राजनीति के करियर में 8 साल का ब्रेक लग जाएगा।

अगर अपील में सजा 2 साल से कम हो जाती है तो राहुल को कानूनी लड़ाई लड़ने का एक और विकल्प मिल जाएगा।

सवाल 6 : क्या इससे पहले भी दोषी साबित होने के बाद सांसदों की सदस्यता खत्म हुई है और वो दोबारा चुनाव नहीं लड़ सके?

जवाब : देश में ‘रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपुल्स एक्ट 1951’ के आने के बाद से अब तक कई सांसदों-विधायकों को अपनी सदस्यता गंवानी पड़ी है...

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ममता-अखिलेश ने बनाया नया मोर्चा

पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी और समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने BJP और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाने का फैसला किया है। शुक्रवार को समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इसके बाद अखिलेश ने कहा कि भगवा खेमे को हराने के लिए सपा मजबूती से TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ खड़ी रहेगी।

वहीं, ममता बनर्जी इसी मुद्दे पर 23 मार्च को ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल के प्रमुख नवीन पटनायक से भी मुलाकात करेंगी।

ममता से मुलाकात करने के बाद अखिलेश ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बंगाल में हम ममता दीदी के साथ हैं। हम भाजपा और कांग्रेस दोनों से समान दूरी बनाए रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग 'BJP वैक्सीन' लगवा लेते हैं, उन्हें CBI, ED या IT से कोई फर्क नहीं पड़ता। संविधान की रक्षा के लिए समाजवादी पार्टी कोई भी बलिदान देने को तैयार है। अगर हम UP में भाजपा को हरा सकते हैं, तो पूरे देश में भाजपा को हराया जा सकता है।

पहले भी ममता की तारीफ कर चुके हैं अखिलेश
UP के पूर्व CM अखिलेश यादव ने भाजपा पर देश की संपत्ति को बेचने का आरोप भी लगाया। इससे पहले एक कार्यक्रम में अखिलेश 2021 के विधानसभा चुनाव में BJP को हराने के लिए ममता की तारीफ कर चुके हैं।

उधर, TMC सांसद सुदीप बंद्दोपाध्याय ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि BJP विदेश में दिए राहुल गांधी के एक बयान को लेकर संसद में हंगामा कर रही है। जब तक राहुल गांधी माफी नहीं मांगते, तब तक BJP संसद चलने नहीं देगी। मतलब साफ है कि वे कांग्रेस का इस्तेमाल कर संसद नहीं चलने दे रहे हैं। BJP चाहती है कि राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा बनें, जिससे BJP को मदद मिले।

TMC सांसद बोले- कांग्रेस विपक्ष का बिग बॉस नहीं
TMC सांसद ने कहा कि यह सोचना भ्रम है कि कांग्रेस विपक्ष का 'बिग बॉस' है। ममता बनर्जी 23 मार्च को नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगी। हम अन्य विपक्षी दलों से भी BJP और कांग्रेस दोनों से दूरी बनाने के लिए बात करेंगे। उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि यह तीसरा मोर्चा है, लेकिन क्षेत्रीय दलों के पास BJP का मुकाबला करने की ताकत है।

वो साल 1997 था। महीना था, दिसंबर। पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल ममता बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें ऐलान किया कि वो और उनके समर्थक ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ेंगे। ममता की प्रेस कॉन्फ्रेंस चल ही रही थी कि खबर आई कि उन्हें कांग्रेस से 6 साल के लिए बाहर कर दिया गया है। शायद पार्टी के इस फैसले का अंदाजा ममता को पहले ही हो चुका था। 

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शादी के लिए 28 KM पैदल चला दूल्हा

ओडिशा के रायगढ़ा जिले में कॉर्मशियल गाड़ियों के ड्राइवरों की हड़ताल एक दूल्हे के परेशानी का सबब बन गई। उसे 28 किमी पैदल चलकर दुल्हन के घर पहुंचना पड़ा। दरअसल, दूल्हा और उसके परिवार के लोग गुरुवार को कल्याणंसिंहपुर ब्लॉक के सुनाखांडी पंचायत से बारात लेकर निकले थे, लेकिन हड़ताल की वजह से वे लोग गाड़ियों की व्यवस्था नहीं कर सके, जिसके बाद उन लोगों ने पैदल चलने का फैसला किया।

पूरी रात चलने के बाद दिबालापाडु पहुंचे। यहां शुक्रवार को विवाह संपन्न हुआ। जानकारी के मुताबिक, शादी होने के बाद दूल्हे पक्ष के लोग दुल्हन के घर में रुके रहे। हड़ताल वापसी का इंतजार करते रहे।

बारात के लिए चार SUV का इंतजाम था
22 साल के दूल्हे नरेश प्रस्का ने बारात के लिए चार SUV का इंतजाम किया था, लेकिन जब ड्राइवर हड़ताल पर चले गए, तो काफी मुश्किल हुई। नरेश ने कहा- हमने टू व्हीलर्स पर शादी के लिए जरूरी सामान भेजा। इसके बाद आठ महिलाओं सहित परिवार के लगभग 30 सदस्यों, रिश्तेदारों और दोस्तों ने चलने का फैसला किया। यह एक लंबी यात्रा थी, लेकिन एक यादगार अनुभव भी था।

परिवार वाले बोले- हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं था
दूल्हे और उसके परिवार के पूरी रात पैदल चलने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। दूल्हे के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि वाहन चालकों की हड़ताल की वजह से कोई भी ड्राइवर चलने के लिए तैयार नहीं था। हम पूरी रात पैदल चलकर लड़की वाले के घर पहुंचे। हमारे पास कोई ऑप्शन नहीं था।

हड़ताल की वजह क्या थी
ओडिशा में ड्राइवरों के एक संगठन एकता महासंघ ने बीमा, पेंशन और कल्याण बोर्ड गठित करने को लेकर बुधवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की थी। हालांकि, सरकार के अश्वासन के बाद ड्राइवरों ने अपनी हड़ताल 90 दिनों के लिए स्थगित कर दी है।

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संपूर्ण जीवन और वैदिक ज्ञान का सार

नई दिल्ली: श्रीमद्भगवद्गीता को गीतोपनिषद भी कहा जाता है। ये हमारे संपूर्ण जीवन और वैदिक ज्ञान का सार है। आप सभी जानते है इस महाग्रंथ के वक्ता स्वयं विष्णु अवतार श्री कृष्ण जी है। इस ग्रंथ के सभी पृष्ठ ज्ञान के सार से भरे हुए है। इस महाग्रंथ में भगवान कृष्ण ने अर्जुन से कहते है की मैं तुम्हे इस परम रहस्य को इसीलिए प्रदान कर रहा हु क्योंकि तुम मेरे मित्र और भक्त हो। इससे ये ज्ञात होता है की ये महाग्रंथ विशेष रूप से भगवदभक्त भक्तो के निमित्त है। अध्यात्मवादियो की तीन श्रेणियों है। 

1. ज्ञानी2. योगी3. भक्त इस महाग्रंथ में भगवान कृष्ण अर्जुन कहते है की वे उनको इस परंपरा का सबसे पहला पात्र बना रहे है। क्योंकि उस समय प्राचीन परंपरा खंडित हो गई थी। वे चाहते थे की द्रोणशिष्य अर्जुन इस महाग्रंथ का प्रमाणिक विद्वान बने। आप सभी जानते भी है इस महाग्रंथ का उपदेश केवल विशेष रूप से अर्जुन के लिए ही दिया गया था। क्योंकि आप सभी जानते भी है अर्जुन कृष्ण भगवान का भक्तप्रत्यक्ष शिष्यतथा घनिष्ठ मित्र था। जिस व्यक्ति में अर्जुन जैसे गुण पाए जाते है वो इस महाग्रंथ को सबसे अच्छी तरह समझ सकता है। मेरे इस वाक्य का साधारण सा अर्थ है इस महाग्रंथ को पूर्ण रूप से समझने के लिए भक्त को भगवान से सच्ची भावना सच्चे मन और सच्चे भाव से समर्पित होना चाहिए। जैसे ही कोई सच्ची भावना के साथ भगवान का भक्त बन जाता है उसका सीधा संबंध भगवान से बन जाता है। अर्थात मुंह में राम बगल में छुरी वाली भावना नहीं होनी चाहिए। आज मैं  भगवान और भक्त के मध्य होने वाले कुछ संबंध आपके सामने रख रहा हूंआशा करता हूँ आपको अच्छे से समझ में आएगा।

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कांग्रेस से गठबंधन पर चौटाला को ऐतराज नहीं

रियाणा के पूर्व सीएम और इनेलो सुप्रीमो ओपी चौटाला रविवार को हिसार पहुंचे और दूरदर्शन केंद्र पर जाकर धरने पर बैठे कर्मचारियों को समर्थन दिया। चौटाला ने हरियाणा की मौजूदा BJP-JJP सरकार को लुटेरी सरकार बताया और BJP को हराने के लिए जरूरत पड़ने पर कांग्रेस से समझौते की संभावना से भी इनकार नहीं किया।

चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन करने संबंधी सवाल पर चौटाला ने कहा कि हमारा किसी से द्वेष या दुश्मनी नहीं है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही चौटाला गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने हुड्‌डा का हालचाल जानने के लिए उनसे मुलाकात की थी। गौरतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में BJP को हराने के लिए देशभर की तमाम सियासी पार्टियां एकजुट होने की कोशिश कर रही हैं। जदयू नेता और बिहार के सीएम नीतिश कुमार भी कह चुके हैं कि कांग्रेस को आगे बढ़कर इसकी पहल करनी चाहिए।

चौटाला ने कहा कि हम तो इतना ही चाहते हैं कि समूचे देश का भविष्य उज्जवल हो। किसी समय हमारा देश गरीब मुल्कों की आर्थिक मदद किया करता था और आज नौबत ये आ चुकी है कि देश को चलाने के लिए लगातार कर्ज लेना पड़ रहा है।

चौटाला ने कहा कि प्रदेश में विकास के नाम पर एक ईंट नहीं लगी। उनकी सरकार के समय जो सड़कें बनी थी, मौजूदा सरकार उनकी मरम्मत तक नहीं करवा पा रही। भाजपा और जजपा प्रदेश को लूटने में लगी है। सत्ता पक्ष से जुड़े लोग भी सरकार को छोड़कर भाग रहे हैं।

इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने भविष्यवाणी की कि बहुत जल्दी BJP और JJP का गठबंधन टूट जाएगा और मनोहर लाल की सरकार अल्पमत में आ जाएगी। उन्होंने प्रदेश में जल्दी विधानसभा चुनाव होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया।

बजट में उम्मीद न रखें

चौटाला ने हरियाणा सरकार के बजट सत्र के बारे में कहा कि इस सरकार ने अतीत में कुछ दिया होता तो भविष्य की उम्मीद होती है। ये तो लुटेरे हैं, किसी को कुछ देने वाले नहीं। इनेलो सुप्रीमो ने कहा कि उनकी पार्टी की पदयात्रा से अंदाजा हो जाएगा कि लोग क्या चाहते हैं? इस सरकार का अंत बहुत जल्दी होगा।

सरकार बंद कर चुकी हिसार दूरदर्शन केंद्र

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जनवरी में हिसार दूरदर्शन केंद्र को बंद कर दिया। इसी के विरोध में अनुबंधित कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। कर्मचारी अब तक हिसार के BJP लोकसभा मेंबर बृजेंद्र सिंह, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्‌डा समेत भाजपा और जजपा के तमाम विधायकों को अपना मांग पत्र सौंप चुके हैं। वह शहर के जनसंगठनों के साथ मिलकर BJP विधायकों के घर के आगे धरना भी लगा चुके हैं।

राज्यसभा में उठ चुका मामला
हिसार दूरदर्शन केंद्र का मामला राज्यसभा में उठ चुका है। सासंद दीपेंद्र हुड्‌डा ने यह मामला उठाया था। हिसार दूरदर्शन केंद्र चौधरी देवीलाल के नाम पर था और उनकी स्मृति में तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री सुषमा स्वराज ने इसका उद्घाटन किया था।

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मेघालय BJP चीफ बोले- मैं बीफ खाता हूं

मेघालय में BJP के प्रदेशाध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी ने कहा है कि वे बीफ खाते हैं और इससे उनकी पार्टी को कोई दिक्कत नहीं है। मेघालय और नगालैंड में 27 फरवरी को वोटिंग होनी है। इससे हफ्तेभर पहले मावरी ने न्यूज एजेंसी IANS को दिए इंटरव्यू में NPP से गठबंधन, गो मांस बैन और CAA जैसे मुद्दों पर बात की। इसी दौरान उन्होंने यह बयान दिया।

क्या राज्य के 90% ईसाई भाजपा के कट्‌टर रुख को अपना लेंगे, इस पर मावरी बोले- भाजपा की सरकार को 9 साल हो चुके हैं। हमने अब तक किसी चर्च पर हमला नहीं देखा। बीफ खाने पर भी रोक नहीं है। मैं बीफ खाता हूं और मैं बीजेपी में हूं, इसमें कोई दिक्कत नहीं है। हमें विश्वास है कि मेघालय की जनता इस बार भाजपा के साथ है।

वोटिंग से 10 दिन पहले BJP ने NPP से गठबंधन तोड़ा
मेघालय में चुनाव प्रचार करने पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नॉर्थ तुरा में 17 फरवरी की रैली में NPP से गठबंधन तोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि BJP अब सभी 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मारवी भी उस दौरान मौजूद थे। उन्हें जनवरी 2020 में मेघालय भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। 

पढ़िए अर्नेस्ट के इंटरव्यू की खास बातें...

  • मेघालय में हमने NPP के साथ कोई गठबंधन नहीं किया है। न हमने 2018 में ऐसा किया। हम अपने दम पर लड़ रहे हैं और वे अपने दम पर। NPP पिछले 5 साल से बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रही है। जबकि हमारी पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाया है।
  • हम MDA सरकार में थे, लेकिन भाजपा के केवल दो विधायक और एक मंत्री था। मंत्रालय में हमारे पास कोई महत्वपूर्ण विभाग नहीं था। जिन विभागों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ, वे या तो NPP या उनके गठबंधन सहयोगी UDP के पास थे। हमने पिछले साल कई RTI लगाई थी। जिसके जरिए हमें भ्रष्टाचार का पता चला। हमारे पास सारे रिकॉर्ड हैं।
  • हम लोकल लेवल पर गठबंधन छोड़ने या बनाने का फैसला नहीं ले सकते। मेघालय के हालात के बारे में वरिष्ठों को बताया जा चुका है। इस मामले में नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस के अध्यक्ष या दिल्ली में पार्टी के नेताओं को फैसला करना चाहिए।
  • हमने सभी 60 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। रिजल्ट के बाद हम ऐसी पार्टियों से गठबंधन कर सकते हैं जिनके हाथ भ्रष्टाचार में न डूबे हों। हम TMC या कांग्रेस के साथ नहीं जा सकते। अभी हम ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने पर ध्यान दे रहे हैं।
  • कॉनराड संगमा के भ्रष्टाचार पहले ही बता चुका हूं। अगर TMC जीतती है, तो राज्य में बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी घुसपैठ होगी।
  • मेघालय में EVM को लेकर गलत जानकारी शेयर करने के आरोप में एक व्यक्ति को अरेस्ट किया गया है। इस बात की जानकारी चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर ने दी है। आर संगमा नाम के व्यक्ति ने 16 फरवरी को EVM का एक वीडियो सोशल मीडिया में शेयर किया था, जिसमें दावा किया जा रहा था कि किसी भी बटन को दबाने पर सभी वोट भाजपा को जा रहे हैं। 
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