पहली बार 4 संसदीय कमेटी में 9 महिलाएं

मिनी संसद के रूप में अहम भूमिका निभाने वाली संसदीय समितियों में इस बार महिला सदस्यों का बोलबाला है। 4 संसदीय पैनल ऐसे हैं, जिनमें 9 महिलाएं हैं। 4 ऐसे हैं, जिनमें 5-7 महिलाएं और पांच ऐसे हैं, जिनमें 1-2 महिला सदस्य हैं।

दो समितियों की अध्यक्षता कद्दावर महिला सदस्य कर रही हैं। तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन कॉमर्स और द्रमुक की कनीमोझी करुणानिधि उपभोक्ता मामलों की कमेटी की अध्यक्षता कर रही हैं। हर समिति में 20-30% महिला प्रतिनिधित्व है। बता दें कि महिलाओें को आगे लाने की यह पहल सभी दलों की ओर से ही है। संसदीय समितियों में सदस्यों के नाम विभिन्न पार्टियां ही देती हैं।

महिला-बाल मामले की समिति में शिक्षा पूर्व शिक्षा मंत्री

शिक्षा, महिला, बाल एवं युवा मामले की समिति, स्वास्थ्य व परिवार कल्याण समिति, सामाजिक न्याय समिति और आवास एवं शहरी मामले की समिति में 9 महिलाएं हैं। इनमें से शिक्षा, महिला, बाल एवं युवा मामले की समिति में पूर्व शिक्षा मंत्री पुरंदेश्वरी देवी शामिल हैं। वहीं, आवास एवं शहरी मामले की समिति में मीसा भारती और लवली आनंद शामिल हैं।

विदेश मामलों की कमेटी की अध्यक्षता कांग्रेस के शशि थरूर कर रहे। इसमें भाजपा की बांसुरी स्वराज व तृणमूल की सदस्य और पत्रकार सागरिका घोष समेत 6 महिलाएं शामिल की गई हैं।

कंगना रनौत संचार एवं सूचना टेक्नोलॉजी कमेटी में

कंगना रनौत संचार एवं सूचना टेक्नोलॉजी कमेटी में हैं। निशिकांत दुबे इस कमेटी की अगुवाई कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा भी इसी कमेटी में हैं, पर निशिकांत से उनकी नहीं बनती। ऐसे में पार्टी चाहती है महुआ को इससे हटाया जाए। इस कमेटी में कंगना रनौत व शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी भी हैं। जया बच्चन अब लेबर कमेटी में चली गई हैं।

भारत सरकार के सभी मंत्रालयों/विभागों से जुड़ी कुल 24 समितियां हैं। ये कमेटी दो प्रकार की होती हैं - पहली- स्टैंडिंग कमेटी, दूसरी- एड हॉक कमेटी। एड हॉक कमेटी को कुछ विशेष कामकाज के लिए बनाया जाता है। एक बार जब वो काम पूरा हो जाता है तो कमेटी खत्म कर दी जाती है।

इनमें से हर समिति में 31 मेंबर्स होते हैं, जिसमें से 21 लोकसभा से और 10 राज्यसभा से चुने जाते हैं। इन सभी कमेटी का कार्यकाल एक साल से अधिक नहीं होता है। समिति के सदस्यों को जिन्हें सांसदों के पैनल के रूप में भी जाना जाता है। इन्हें सदन के अध्यक्ष की तरफ से नॉमिनेट किया जाता है। ये अध्यक्ष के निर्देश के अनुसार काम करते हैं।

अलग-अलग समितियों का अलग-अलग कार्यकाल

संसद में कुल 50 संसदीय कमेटी होती हैं। इनमें 3 फाइनेंशियल कमेटीज, 24 डिपार्टमेंटल कमेटीज, 10 स्टैडिंग कमेटीज और 3 एडहॉक कमेटीज का कार्यकाल 1 साल का होता है। 4 एडहॉक कमेटीज और 1 स्टैडिंग कमेटी का कार्यकाल 5 साल का होता है। वहीं, 5 अन्य स्टैडिंग कमेटीज का कार्यकाल फिक्स नहीं होता।


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5 साल में लॉन्च होंगे 52 जासूसी सैटेलाइट

भारत अगले 5 सालों में 52 जासूसी सैटेलाइट लॉन्च करेगा। इन सैटेलाइट्स का मकसद पड़ोसी देशों चीन-पाकिस्तान की गतिविधियों पर नजर रखना होगा। इससे सेना की निगरानी क्षमता में काफी बढ़ोतरी होगी।

 ISRO के सूत्र के हवाले से यह जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक PM नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने 7 अक्टूबर को स्पेस बेस्ड सर्विलांस (SBS-3) प्रोग्राम के तीसरे फेज को मंजूरी दे दी है। ये सभी सैटेलाइट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बेस्ड होंगे। 36 हजार किमी. ऊंचाई पर ये आपस में कम्यूनिकेट कर सकेंगे। इससे पृथ्वी तक सिग्नल भेजने, मैसेज-तस्वीरें भेजने में आसानी होगी।

सर्विलांस सैटेलाइट्स खास, 27 हजार करोड़ खर्च होंगे

52 सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग में करीब 27,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सभी 52 सैटेलाइट को इसरो तैयार नहीं करेगा। 21 सैटेलाइट इसरो की तरफ से बनाए जाएंगे। 31 सैटेलाइट प्राइवेट कंपनियां तैयार करेंगी।

सभी सैटेलाइट AI बेस्ड होंगे। ISRO के एक सीनियर अधिकारी ने पिछले दिसंबर में कहा था, सैटेलाइट के बीच कम्यूनिकेशन हो सकेगा।

किसी सैटेलाइट को 36,000 किमी की ऊंचाई पर GEO (जियोसिंक्रोनस इक्वेटोरियल ऑर्बिट) में कुछ पता लगाता है, तो वह निचली कक्षा (400-600 किमी. की ऊंचाई पर) में दूसरे सैटेलाइट को मैसेज भेज सकेगा कि संदिग्ध इलाके में और ज्यादा जांच करे।

अटल ने 2001 में शुरू किया था SBS मिशन

भारत के स्पेस बेस्ड सर्विलांस (SBS) मिशन की शुरुआत 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने की थी। SBS 1 प्रोग्राम के तहत 2001 में चार सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे। जिसमें रिसैट प्रमुख था। इसके बाद SBS 2 मिशन में 2013 में 6 सैटेलाइट लॉन्च किए गए।

भारतीय सेना के लिए 3 अलग-अलग सैटेलाइट

1. इसरो ने सबसे पहले 2013 में इंडियन नेवी के लिए GSAT-7 सैटेलाइट लॉन्च की थी। इसे रुक्मिणी भी कहते हैं।

2. पांच साल बाद 2018 में एयर फोर्स के लिए GSAT-7A या एंग्री बर्ड सैटेलाइट लॉन्च की।

3. आर्मी के लिए 2023 में GSAT-7 सैटेलाइट को मंजूरी दी गई। इसे 2026 तक अंतरिक्ष में स्थापित किया जा सकता है।


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अमेरिका में मिल्टन तूफान से 16 लोगों की मौत

अमेरिका में मिल्टन तूफान से आए बवंडर और बाढ़ ने तबाही मचा दी है। हरिकेन की वजह से फ्लोरिडा में अब तक 16 लोगों की मौत हो गई है। वहीं, करीब 30 लाख घरों और ऑफिसों में बिजली नहीं है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, तूफान की वजह से 120 घर तबाह हो चुके हैं।

सेंट्रल फ्लोरिडा में मिल्टन की वजह से 10-15 इंच तक की बारिश हुई, जिसकी वजह से बाढ़ आ गई। अमेरिकी कोस्टगार्ड ने गुरुवार को मैक्सिको की खाड़ी में फंसे एक शख्स को रेस्क्यू किया। वह एक लाइफ जैकेट और कूलर के भरोसे पानी में अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था।

मिल्टन फ्लोरिडा से टकराने वाला साल का तीसरा तूफान है। गुरुवार (10 अक्टूबर) को यह फ्लोरिडा के सिएस्टा में समुद्री तट से टकराया। इससे पहले ये कैटेगरी 5 का तूफान था। टकराते वक्त ये कैटेगरी 3 का हो गया था। तूफान की वजह से अमेरिका के नेशनल वेदर सर्विस ने 126 बवंडरों की वॉर्निंग जारी की थी।

मदद के लिए 9 हजार नेशनल गार्ड्स तैनात तूफान शांत होने के बाद शुक्रवार (11 अक्टूबर) से टैम्पा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को दोबारा खोलने की तैयारी की जा रही है। पेंटागन के प्रेस सेक्रेटरी जनरल पैट राइडर ने बताया कि तूफान से मची तबाही में लोगों की मदद के लिए फ्लोरिडा नेशनल गार्ड के 6500 लोगों को तैनात किया गया है।

इसके अलावा 19 राज्यों के 3 हजार गार्ड्स को भी तैनात किया गया है। इसके अलावा 26 हेलिकॉप्टर्स और 500 से ज्यादा हाई-वॉटर व्हीकल्स को भी सपोर्ट के लिए भेजा गया है।

फ्लोरिडा में 15 दिन में दूसरा तूफान मिल्टन फ्लोरिडा में 15 दिन के भीतर आने वाला दूसरा बड़ा तूफान है। इससे पहले फ्लोरिडा में हेलेन तूफान की वजह से 200 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। हेलेन तूफान से अमेरिका के 12 से ज्यादा राज्य प्रभावित हुए थे। जबकि सबसे ज्यादा असर फ्लोरिडा पर पड़ा था। 

टाइफून, हरिकेन और टॉरनेडो में क्या अंतर है? या सटॉर्म तूफान वातावरण में एक तरह का डिस्टर्बेंस होता है, जो तेज हवाओं के जरिए सामने आता है और उसके साथ बारिश, बर्फ या ओले पड़ते हैं। जब ये धरती पर होते हैं तो आम तूफान कहलाते है, लेकिन समुद्र से उठने वाले स्टॉर्म को हरिकेन कहते हैं। हरिकेन आम स्टॉर्म से ज्यादा खतरनाक होते हैं।

हरिकेन, साइक्लोन और टाइफून तीनों एक ही चीज होते हैं। दुनियाभर में साइक्लोन को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। जैसे- उत्तरी अमेरिका और कैरिबियन आइलैंड में बनने वाले साइक्लोन को हरिकेन, फिलीपींस, जापान और चीन में आने वाले साइक्लोन को टाइफून और ऑस्ट्रेलिया और हिंद महासागर यानी भारत के आसपास आने वाले तूफान को साइक्लोन कहा जाता है।

समुद्रों के लिहाज से देखें तो अटलांटिक और उत्तर-पश्चिम महासागरों में बनने वाले साइक्लोन हरिकेन कहलाते हैं। उत्तर पश्चिम प्रशांत महासागर में बनने वाले तूफान टाइफून कहलाते हैं। वहीं, दक्षिण प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में उठने वाले तूफान साइक्लोन कहलाते हैं।

इसी वजह से भारत के आसपास के इलाकों में आने वाले समुद्री तूफान साइक्लोन कहलाते हैं। वहीं, टॉरनेडो भी तेज तूफान होते हैं, लेकिन ये साइक्लोन नहीं होते, क्योंकि ये समुद्र के बजाय ज्यादातर धरती पर ही बनते हैं। सबसे ज्यादा टॉरनेडो अमेरिका में आते हैं।

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यूपी उपचुनाव पर बीजेपी ने बुला ली बड़ी बैठक, CM, डिप्टी सीएम, अमित शाह सब होंगे शामिल

यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर बीजेपी ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. इसी बीच यूपी में उपचुनाव को लेकर 13 अक्टूबर को दिल्ली में बीजेपी नेताओं की बड़ी बैठक होगी.

इस बैठक में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल होंगे. इसके अलावा इस बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, बृजेश पाठक और प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल भी शामिल होंगे.

जल्द हो सकता है तारीखों का ऐलान

जानकरी के अनुसार, इस महीने ही यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखें का ऐलान हो सकता है. माना जा रहा है कि अगले 10 से 15 दिनों में चुनाव आयोग (EC) कार्यक्रम जारी कर देगा. महाराष्ट्र और झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने हैं. इसके साथ ही यूपी के उपचुनाव का भी कार्यक्रम का ऐलान हो सकता है. 

10 सीटों होने हैं चुनाव 

उत्तर प्रदेश में  विधानसभा की 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. ये उपचुनाव गाजियाबाद, कुंदरकी, खैर, मीरापुर, करहल, कटेहरी, मिल्कीपुर, मझवां, सीसामऊ और फूलपुर हैं. कानपुर की सीसामऊ सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी के सजायाफ्ता होने के कारण खाली हुई है. वहीं, बाकि 9 सीटों के विधायक अब सांसद गए हैं. नियम के अनुसार, सीट खाली होने के 6 महीने के अंदर चुनाव कराने का नियम है.  सांसद बने विधायक 10 से 14 जून के बीच इस्तीफा दिया था. ऐसे में इन सीटों पर दिसंबर के पहले ही चुनाव हो सकते हैं. 


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जापानी संगठन 'निहोन हिडानक्यो' को मिला 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार

जापानी संगठन निहोन हिडानक्यो को साल 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। यह हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों का एक जमीनी आंदोलन है। इसे हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है।

जापानी संगठन को क्यों मिला पुरस्कार?

नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने अपने प्रशस्ति पत्र में कहा, "हिबाकुशा को परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने के अपने प्रयासों और गवाहों के बयान के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के लिए शांति पुरस्कार मिल रहा है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।" समिति ने कहा, "हिबाकुशा हमें अवर्णनीय का वर्णन करने, अकल्पनीय के बारे में सोचने और परमाणु हथियारों के कारण होने वाले अकल्पनीय दर्द और पीड़ा को समझने में मदद करता है।"

पिछले साल नरगिस मोहम्मदी को मिला था पुरस्कार

पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार जेल में बंद ईरानी पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को दिया गया था। नरगिस लोकतंत्र की वकालत करती हैं। वे लंबे समय से महिला अधिकारों और मृत्युदंड के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जारी संघर्ष की वजह से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि शायद नोबेल समिति इस वर्ष शांति पुरस्कार की घोषणा नहीं करेगी।

सोमवार को समाप्त होगा नोबेल सत्र

बता दें कि अन्य नोबेल पुरस्कारों का चयन स्टॉकहोम में किया जाता है। मगर अल्फ्रेड नोबेल के आदेश के मुताबिक नोबेल शांति पुरस्कार देने का निर्णय ओस्लो स्थित पांच सदस्यीय नोबेल समिति लेती है। नोबेल पुरस्कार के तहत एक मिलियन अमेरिकी डॉलर की नकद राशि दी जाती है। सोमवार को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा होगी। इसी के साथ नोबेल सत्र का समापन हो जाएगा।

10 दिसंबर को दिया जाएगा पुरस्कार

10 दिसंबर को हर साल नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाता है। इसी दिन स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हुई थी। उन्होंने अपनी वसीयत के तौर पर 1895 में पुरस्कार की शुरुआत की थी। अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में कहा था कि यह पुरस्कार राष्ट्रों के बीच भाईचारे के लिए सबसे अधिक या सर्वोत्तम कार्य, स्थायी सेनाओं के उन्मूलन या कमी और शांति सम्मेलनों के आयोजन के लिए दिया जाना चाहिए।

परमाणु हथियारों के खिलाफ पहले भी मिल चुका नोबेल पुरस्कार

2017 में आईसीएएन को नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। इस संगठन ने परमाणु हथियारों को खत्म करने का एक अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाया था। उसे इसी अभियान के चलते नोबेल पुरस्कार मिला था।

1995 में जोसेफ रोटब्लाट और पगवाश सम्मेलन को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। उन्हें यह पुरस्कार परमाणु हथियारों की भूमिका को कम करने और लंबे समय में ऐसे हथियारों को खत्म करने के उनके प्रयास की खातिर मिला था।


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सीएम योगी ने कन्‍याओं का पांव पखार कर मातृ शक्ति की आराधना की, बोले-महिला सशक्त तो समाज खूबसूरत

गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवरात्र की नवमी तिथि पर शुक्रवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर में मां भगवती के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना के बाद नौ कन्याओं और बटुक भैरव के पांव पखारकर कर व्रत का पारायण किया।

इसे दौरान उन्‍होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित भी किया। उन्‍होंने कहा कि शारदीय नवरात्र आधी आबादी के सम्मान, सुरक्षा और उनके स्वावलंबन की प्रेरणा प्रदान करता है। महिलाओं का सम्मान और सशक्तीकरण होगा तो समाज स्वयं ही सशक्त और समर्थवान होगा। भारतीय मनीषियों ने इसकी व्याख्या कुछ इस प्रकार की है कि दैवीय शक्तियां वहीं वास करती हैं जहां उनका सम्मान होता है। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि समाज में ऐसा माहौल बनाएं जिससे कि आधी आबादी और उसके साथ समाज सुरक्षित हो जाए।

सीएम योगी ने किया बटुक पूजन

बता दें कि शुक्रवार को शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजित कन्या पूजन अनुष्ठान में सीएम योगी ने नौ दुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं के पांव पखारे, उनका विधि विधान से पूजन किया, चुनरी ओढाई, आरती उतारी, श्रद्धापूर्वक भोजन कराया, दक्षिणा और उपहार देकर उनका आशीर्वाद लिया। मुख्यमंत्री ने परंपरा का निर्वहन करते हुए बटुक पूजन भी किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्यार-दुलार पाकर नन्हीं बालिकाओं व बटुकों की प्रसन्नता देखते ही बन रही थी। सत्कार और स्नेह के भाव से मुख्यमंत्री ने एक-एक कर नौ कन्याओं व बटुक भैरव के पांव पखारे और पूजन किया। इस दौरान सीएम योगी के हाथों दक्षिणा मिलने से सभी बालिकाएं काफी खुश दिखीं।

पूजन के बाद भोजन परोसते समय सीएम निरंतर संवाद भी करते रहे। यह भी ख्याल रखते रहे कि किसी भी बालक-बालिका की थाली में प्रसाद की कोई कमी न रहे। इसे लेकर वह मंदिर की व्यवस्था से जुड़े लोगों को निर्देशित करते रहे।

पूजन के दौरान गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, काशी से आए महामंडलेश्वर संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, द्वारिका तिवारी, वीरेंद्र सिंह, दुर्गेश बजाज, अमित सिंह मोनू, विनय गौतम आदि मौजूद रहे। सीएम योगी ने इसके पूर्व प्रातःकाल के पूजन सत्र में मंदिर के शक्तिपीठ में मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से आराधना की।

बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ खास कर महिलाओं के लिए मिशन शक्ति के जरिये आगे ले जाने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं। उन्‍होंने एंटी रोमियो स्क्वाड, पिंक टॉयलेट, पिंक बूथ, पिंक बसें, पीएसी में महिला बटालियन, थाने में तैनात महिला पुलिसकर्मियों को पहली बार बीट पर तैनाती, लखपति दीदी, बैंक सखी, कृषि सखी, सुकन्या योजना, स्वयं सहायता समूहों का सशक्तिकरण, निराश्रित महिला पेंशन की पात्रता के लिए उम्र की सीमा खत्म करने सहित कई योजनाएं चला रहे हैं।.


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PDA रथ पर लाई गई जेपी नारायण की प्रतिमा, आवास के बाहर ही अखिलेश ने क‍िया माल्यार्पण

 सपा प्रमुख अखि‍लेश यादव को लखनऊ स्‍थि‍त जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (JPNIC) जाने से रोके जाने को लेकर घमासान तेज हो गया है। गुरुवार को ही जेपी सेंटर के गेट पर टि‍न शेड लगा द‍िया गया था। शुक्रवार सुबह से अखि‍लेश यादव के बाहर बैर‍िकेडिंग और भारी संख्‍या में पुल‍िस बल तैनात कर द‍िया गया है। दूसरी ओर, सपा कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन शुरू कर द‍िया है।

जयप्रकाश नारायण की जयंती पर शुक्रवार को सपा प्रमुख अखिलेश यादव गोमती नगर स्थित जेपी सेंटर का दौरा करने वाले हैं, लेक‍िन लखनऊ व‍िकास प्राधि‍करण ने जेपी सेंटर के गेट पर टीन शेड लगाकर उसे बंद कर द‍िया है। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने गुरुवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निजी सचिव गंगाराम को पत्र भेजा था, जिसमें यह बताया गया था कि भवन अभी निर्माणाधीन है। इस वजह से निर्माण सामग्री अनियोजित ढंग से रखी हुई है। बारिश के बाद यहां जीव जंतु पाए जाने की आशंका है, जिसकी वजह से जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का यहां पर माल्यार्पण करना सुरक्षित नहीं है।

अखि‍लेश के आवास के बाहर बैर‍िकेड‍िंग, पुल‍िस फोर्स तैनात

अखि‍लेश यादव के आवास के बाहर शुक्रवार की सुबह से पुलिस बैरिकेडिंग कर दी गई है। उधर, जय प्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर (JPNIC) को सील कर बैरिकेडिंग कर दी गई है।  

सपा कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

अखि‍लेश यादव का रास्‍ता रोके जाने को लेकर सपा कार्यकर्ताओं ने सपा प्रमुख के आवास के बाहर पहुंचकर प्रदर्शन शुरू कर द‍िया। 

लोकतंत्र से डरती है ये सरकार: जूही स‍िंह

समाजवादी पार्टी नेता जूही सिंह ने कहा, "ये सरकार लोकतंत्र से डरती है, आवाजों से डरती है। केवल माल्यार्पण का कार्यक्रम था लेकिन हमें क्यों रोका गया है? क्या ये लोग JPNIC को बेचना चाहते हैं? अखिलेश यादव से डर गए हैं? हमारा संगठन यहां है... हम कोशिश करेंगे कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ माल्यार्पण कर सकें।"


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पद्म विभूषण रतन टाटा का 86 साल की उम्र में स्‍वर्गवास , मुंबई के अस्पताल में भर्ती थे

बुधवार को भारत के सबसे बड़े बिजनेस टाइकून और टाटा संस के मानद चेयरमैन पद्म विभूषण रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में स्‍वर्गवास हो गया। रतन टाटा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में गंभीर हालत में आईसीयू में भर्ती कराया गया था। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत खराब थी। बुधवार की शाम को उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने की खबर आई थी। रतन टाटा के निधन का समाचार मिलते ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ब्रीच कैंडी अस्पताल पहुंच गए हैं।

इससे पहले सोमवार को भी रतन टाटा की तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी, लेकिन रतन टाटा ने कुछ देर बार ही खुद इस खबर का खंडन किया था। उन्होंने जनता और मीडिया से गलत सूचना फैलाने से दूरी बरतने का अनुरोध करते हुए कहा कि चिंता की कोई बात नहीं है। मैं ठीक हूं। मुंबई के अस्पताल में भर्ती होने की खबरों को अफवाह बताते हुए 86 वर्षीय टाटा ने कहा था कि यह दावे निराधार हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत शीर्ष हस्तियों ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

रतन टाटा के निधन पर पीएम ने जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि रतन टाटा जी के साथ अनगिनत बातचीत से मेरा मन भरा हुआ है। जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, तब मैं उनसे अक्सर मिलता था।

हम विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करते थे। मुझे उनके दृष्टिकोण बहुत समृद्ध करने वाले लगे। दिल्ली आने पर भी ये बातचीत जारी रही। उनके निधन से बेहद दुखी हूं। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।

एन चंद्रशेखरन ने की पुष्टि

रतन टाटा के निधन पर एन चंद्रशेखरन ने बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि हम रतन नवल टाटा को बहुत ही गहरे दुख के साथ विदाई दे रहे हैं। उनके अतुल्य योगदान ने न केवल टाटा समूह को बल्कि हमारे राष्ट्र के ताने-बाने को भी आकार दिया है। टाटा समूह के लिए वह एक अध्यक्ष से कहीं बढ़कर थे। मेरे लिए वे एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे। उन्होंने हमेशा मुझे प्रेरित किया।

रतन टाटा को पद्म विभूषण से किया गया था सम्मानित

बिजनेस टाइकून रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में नवल टाटा और सूनी टाटा के घर हुआ था। साल 2008 में केंद्र सरकार ने टाटा को ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित किया था। कॉर्नेल विश्वविद्यालय में वास्तुकला में डिग्री के साथ स्नातक होने के बाद, वह भारत लौट आए और 1962 में उस समूह के लिए काम करना शुरू कर दिया, जिसे उनके परदादा ने लगभग एक सदी पहले स्थापित किया था।

विदेशी फर्म का सबसे बड़ा अधिग्रहण

उन्होंने 1996 में दूरसंचार फर्म टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में आईटी फर्म टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज की शुरुआत की थी। टाटा समूह ने 2000 में ब्रिटिश चाय फर्म टेटली को 432 मिलियन डॉलर में और 2007 में एंग्लो-डच स्टीलमेकर कोरस को 13 बिलियन डॉलर में खरीदा, जो उस समय किसी भारतीय कंपनी द्वारा किसी विदेशी फर्म का सबसे बड़ा अधिग्रहण था। इसके बाद टाटा मोटर्स ने 2008 में फोर्ड मोटर कंपनी से ब्रिटिश लग्जरी ऑटो ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदा।

रतन टाटा का सबसे पसंदीदा प्रोजेक्ट

टाटा मोटर्स में उनकी पसंदीदा परियोजनाओं में इंडिका और नैनो शंमिल थी। यह भारत में डिजाइन और निर्मित पहला कार मॉडल था, जिसे दुनिया की सबसे सस्ती कार बताया गया था। उन्होंने दोनों मॉडलों के लिए शुरुआती स्केच तैयार किए थे।

टाटा में उनका नेतृत्व विवादों से अछूता नहीं रहा

वर्ष 2016 में कंपनी द्वारा अरबपति शापूरजी पल्लोनजी परिवार के वंशज साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद सार्वजनिक दोनों में विवाद हुआ। टाटा समूह ने कहा कि मिस्त्री व्यवसायों को सुधारने में विफल रहे हैं। जबकि मिस्त्री ने रतन टाटा पर समूह में एक वैकल्पिक शक्ति केंद्र बनाने का आरोप लगाया।


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केमिस्ट्री में नोबेल पुरस्कार का ऐलान! जानें किन वैज्ञानिकों को मिला अवॉर्ड

2024 के रसायन विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विजेताओं का ऐलान कर दिया गया है. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने बुधवार (09 अक्टूबर) को घोषणा की कि 2024 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार डेविड बेकर, डेमिस हसाबिस और जॉन एम. जम्पर को दिया जाएगा. इन लोगों को प्रोटीन विज्ञान में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए इस अवॉर्ड से नवाजा गया है. 

अमेरिका के सिएटल स्थित वाशिंगटन विश्वविद्यालय के डेविड बेकर को "कम्प्यूटेशनल प्रोटीन डिजाइन के लिए" रसायन विज्ञान में प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार दिया गया, जबकि लंदन, यूके स्थित गूगल डीपमाइंड के डेमिस हसाबिस और जॉन एम. जम्पर को "प्रोटीन संरचना भविष्यवाणी के लिए" पुरस्कार दिया गया.

 रसायन विज्ञान के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष हेनर लिंके ने कहा, "इस साल मान्यता प्राप्त खोजों में से एक शानदार प्रोटीन के निर्माण से संबंधित है. दूसरी खोज 50 साल पुराने सपने को पूरा करने के बारे में है. उनके अमीनो एसिड अनुक्रमों से प्रोटीन संरचनाओं की भविष्यवाणी करना. इन दोनों खोजों से अपार संभावनाएं खुलती हैं."


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दिल्ली के फेमस कैफे की Coffee में मिला मरा कॉकरोच

दिल्ली के एल'ओपेरा खान मार्केट में एक ग्राहक को अपने टेकअवे आइस्ड लट्टे में एक मरा हुआ कॉकरोच मिला है। ग्राहक, जो Reddit पर उपयोगकर्ता नाम "WaltzSimple6037" से जाता है, डरावनी सच्चाई को समझने से पहले शुरू में उसने कीड़े को कॉफी बीन समझ लिया।

बाद में ग्राहक समस्या की रिपोर्ट करने के लिए कैफे में लौट आया लेकिन कर्मचारियों की प्रतिक्रिया से असंतुष्ट महसूस किया। ग्राहक ने कर्मचारियों को वास्तविक चिंता का अभाव बताया और मामले को गंभीरता से लेने के बजाय केवल रोबोटिक माफी मांगी।

आइस्ड लट्टे की कीमत 315 रुपये

जोमैटो पर कैफे के मेनू के मुताबिक 365 मिलीलीटर आइस्ड लट्टे की कीमत 315 रुपये है और इसमें लगभग 63 कैलोरी होती है। हालांकि, ग्राहक के बिल से पता चला कि उनके आइस्ड लट्टे की कीमत 335 रुपये है।

Reddit पर एक पोस्ट में उपयोगकर्ता ने अपना अनुभव सुनाया। जिसमें उसने लिखा कि "मैंने आज खान मार्केट में L'Opera का दौरा किया और जाने के लिए एक आइस्ड लट्टे का ऑर्डर दिया।

पीड़ित ने पहले समझा कॉफी में बीन

जब मैंने पेय खोला तो मुझे लगा कि मैंने एक कॉफी बीन को चारों ओर तैरते हुए देखा है, लेकिन जब मैंने उसे पलटा तो वह एक भयानक कॉकरोच था। मैं गंभीरता से सवाल कर रहा हूं कि यह जगह अब कितनी साफ है।

उपयोगकर्ता ने कर्मचारियों के उदासीन रवैये पर और निराशा व्यक्त की और कैफे की समग्र सफाई के बारे में चिंता जताई। उन्होंने इसकी तुलना बैंकॉक और चीन जैसे शहरों में अच्छी तरह से विनियमित स्ट्रीट कैफे से की। जो स्वच्छता रेटिंग बनाए रखते हैं।

सोशल मीडिया पर यूजर्स ने दी प्रतिक्रियाएं

पोस्ट को तुरंत सोशल मीडिया प्रतिक्रियाएं मिलीं। कई उपयोगकर्ताओं ने अपने अविश्वास और चिंताओं को साझा किया। एक टिप्पणीकार ने कहा "मैं अब कभी भी बाहर के भोजन पर भरोसा नहीं कर सकता,"जबकि दूसरे ने चुटकी लेते हुए कहा, "हर भोजन में अतिरिक्त प्रोटीन।" अन्य लोगों ने बेहतर स्वच्छता मानकों की आवश्यकता बताते हुए ग्राहक से अधिकारियों को घटना की रिपोर्ट करने का आग्रह किया।


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