एक्टर करण वीर मेहरा ने 'खतरों के खिलाड़ी 14' का खिताब अपने नाम कर लिया है। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, एक्टर ने शो में अपने अनुभव, कठिन स्टंट्स और उन चुनौतियों के बारे में खुलकर बात की।
बातचीत के दौरान, उन्होंने 'बिग बॉस' के ऑफर पर अपनी राय भी व्यक्त की। पढ़िए बातचीत के प्रमुख अंश:
शो का विजेता बनने पर आपको कैसा महसूस हो रहा है? शो में कौन सा स्टंट आपके लिए सबसे चुनौतीपूर्ण था?
बहुत ही अच्छा लग रहा है। अभी तक पूरी तरह से यकीन नहीं हो रहा है। अभी तो बस इतना लग रहा है कि हां, हो गया... हो गया... लेकिन पूरी तरह से यकीन नहीं हुआ है।
करेंट वाला स्टंट सबसे चुनौतीपूर्ण था। मेरे पैर में पहले से ही प्लेट लगी थी एक एक्सीडेंट की वजह से, तो मुझे और ज्यादा डर लग रहा था। लोग खतरों के खिलाड़ी में अपना डर निकालने आते हैं, और मैं एक एक्स्ट्रा डर लेकर आया।
क्या कभी ऐसा पल आया जब आपको लगा कि अब और नहीं हो पाएगा, अब आगे बढ़ना मुश्किल है?
नहीं, ऐसा कभी नहीं हुआ। मेरे अंदर हमेशा ये भावना थी कि या तो मैं कर लूंगा, या फिर मर जाऊंगा। मैंने कभी हार मानने का सोचा ही नहीं। हर एक स्टेप पर मैंने खुद को धक्का दिया और आगे बढ़ता रहा।
शो के बाद आपके करियर में क्या बदलाव आया है? आगे किस तरह के प्रोजेक्ट्स करना चाहेंगे?
सच कहूं तो, मेरी कोई एक्सपेक्टेशन नहीं है। बचपन से ही मेरा एक ही लक्ष्य रहा है कि अच्छा काम करना है, बस। अच्छी बात ये है कि अब मेरे पास चॉइस ज्यादा है। पहले चॉइस कम थी, अब चॉइस ज्यादा मिल रही है। लेकिन मेरा एजेंडा हमेशा एक ही रहा है – ऐसे लोगों के साथ काम करना जो अच्छी कहानियां सुनाना चाहते हैं और जिनका मकसद केवल पैसे बनाना नहीं है।
जैसे इस शो को ही देख लीजिए, ये एक फ्लैगशिप शो था, बहुत बड़ा शो था। मेरा मानना है कि इस तरह के शो से चैनल की पहचान बनती है। ये कुछ अलग करने के लिए बनाया गया था। तो मैं ऐसे ही प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनना चाहता हूं जहां अच्छी कहानी हो, अच्छे लोग हों और मेहनत से काम किया जाए। चाहे वो फिल्म हो, ओटीटी हो, टीवी हो, या रियलिटी शो, मुझे बस अच्छा काम करना है।
जीत की राशि के साथ आपने कुछ सोचा है कि क्या करना चाहेंगे?
सबसे पहले तो अपने बकाया बिल चुका दूंगा (हंसते हुए) मेरी गाड़ी भी पुरानी हो गई है, शायद एक नई गाड़ी लूं, लेकिन शो में गाड़ी भी मिली है तो अब कन्फ्यूज हूं कि क्या करुं?
क्या आपके करियर में कभी पैसे की तंगी आई है, जब आपको बुनियादी ज़रूरतें पूरी करने पर सोचना पड़ा?
नहीं, भगवान की कृपा रही है कि ऐसा समय कभी नहीं आया। पिछले 20 सालों से मैं काम कर रहा हूं और मैंने हमेशा खुद को संभाल कर रखा है। भले ही हम एक साधारण बैकग्राउंड से हैं, लेकिन मैंने कभी इस बारे में नहीं सोचा कि मुझे बड़ी गाड़ी चाहिए या बड़ा घर। थिएटर से शुरुआत की, और जो मिलता गया उसी में संतुष्ट रहा।
रोहित शेट्टी के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
बहुत ही बेहतरीन अनुभव रहा। मैंने पहले भी कहा था कि मुझे उन पर 'मैन क्रश' हो गया था। वो बहुत ही डाउन टू अर्थ इंसान हैं और जब भी वो कुछ बोलते थे, ऐसा लगता था कि उनकी आवाज में कोई जादू है जो हमें अंदर से चार्ज कर देती थी। चाहे कोई भी कंटेस्टेंट हो, अगर वो हार मानने की कगार पर होता था, तो रोहित सर की आवाज से उसे फिर से जोश मिल जाता था।
अगर कभी मौका मिला तो मैं जरूर उनके साथ फिल्म में काम करना चाहूंगा, लेकिन अभी तक ऐसा कोई मौका नहीं आया। मैंने उनसे खुद जाकर कुछ नहीं कहा, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि अगर उन्हें मेरा काम पसंद आया होगा, तो वो मुझे जरूर याद करेंगे।
क्या आप इस साल 'बिग बॉस' का हिस्सा बनेंगे?
एप्रोच तो हर साल होता है, लेकिन इस बार पता नहीं क्या होगा। देखिए, ऐसा शो है जिसके लिए आप कोई तैयारी नहीं कर सकते। ये पूरी तरह से आपकी पर्सनैलिटी पर निर्भर होता है। अगर आप जीतते हैं, तो मुझे लगता है कि आपके माता-पिता और टीचर्स की जो ब्रेकिंग है, वही काम आती है। और अगर हारते हो, तो आपने कितने दोस्त बनाए और उनकी वजह से शो में कैसे टिके, ये मायने रखता है। मुझे ये भी लगता है कि ये बहुत पर्सनैलिटी-बेस्ड शो है। मैंने अब तक केवल एक-दो सीजन ही थोड़े-थोड़े देखे हैं, इसलिए मुझे पूरी तरह से समझ नहीं आया कि शो में क्या होता है।
हर साल एप्रोच होने के बावजूद आप इस शो में हिस्सा क्यों नहीं लेते?
मैं डर के मारे पैसे ज्यादा मांग लेता हूं, तो फिर वे कहते हैं- यहां से चलो भाई। (हंसते हुए) दूसरी बात ये है कि मुझे नहीं पता कि मैं फैमिली के बिना शो में टिक पाऊंगा या नहीं। आजकल हम सब एक-दूसरे से इतने कनेक्टेड हैं कि फैमिली से दूर रहना मुश्किल है। मेरी मां दिल्ली में हैं, बहन कनाडा में, मैं मुंबई में हूं और हम सब रोज लंच या डिनर वीडियो कॉल पर साथ करते हैं। 'बिग बॉस' का घर बिल्कुल इसके उलट है – वहां फैमिली नहीं होती और स्पेस भी नहीं मिलता।
...