आतिशी ने केजरीवाल के लिए CM की कुर्सी खाली छोड़ी

दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने सोमवार (23 सितंबर) को पदभार संभाल लिया। वह आज सुबह करीब 12 बजे सीएम ऑफिस गईं और सभी औपचारिकताएं पूरी कीं। इस दौरान आतिशी ने CM ऑफिस में एक खाली कुर्सी छोड़ी दी और खुद दूसरी कुर्सी में बैठीं।

आतिशी ने कहा- उन्होंने ये खाली कुर्सी अरविंद केजरीवाल के लिए छोड़ी है। मुझे पूरा भरोसा है फरवरी में चुनाव बाद दिल्ली के लोग केजरीवाल को फिर से इसी कुर्सी पर बिठाएंगे। तब तक ये कुर्सी इसी कमरे में रहेगी और केजरीवाल जी का इंतजार करेगी।

दिल्ली शराब नीति केस में 13 सितंबर को जमानत पर बाहर आने के बाद केजरीवाल ने 17 सितंबर को CM पद से इस्तीफा दे दिया था। 21 सितंबर को आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री बन गईं।

आतिशी ने CM पद संभालते हुए कहा...

'भरत ने राम का 14 साल इंतजार किया, उसी तरह 4 महीने दिल्ली सरकार चलाऊंगी। आज मैंने दिल्ली के CM का कार्यभार संभाला है। आज मेरे मन में वही व्यथा है जब जब भगवान श्री राम 14 वर्ष के लिए अयोध्या से अयोध्या का शासन संभाला। जिस तरह भरत जी ने 14 साल तक भगवान श्री राम की खड़ाऊं रखकर अयोध्या का शासन संभाला। उसी तरह से आने वाले 4 महीने के लिए मैं दिल्ली सरकार चलाऊंगी। भगवान श्री राम ने अपने पिताजी द्वारा दिए गए एक वचन को निभाने के लिए 14 साल का वनवास स्वीकार किया। इसीलिए हम भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहते हैं। उनकी जिंदगी हम सबके लिए मर्यादा और नैतिकता की एक मिसाल है। बिल्कुल उसी तरह अरविंद केजरीवाल ने इस देश की राजनीति में मर्यादा और नैतिकता की एक मिसाल कायम की है। पिछले 2 साल से भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल पर कीचड़ उछालने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी।

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21 सितंबर: आतिशी दिल्ली की नई CM बनी, शपथ के बाद केजरीवाल के पैर छुए

आतिशी ने शनिवार को दिल्ली की 9वीं मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। राजनिवास में उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना ने उन्हें शपथ दिलाई। शपथ के बाद आतिशी ने अरविंद केजरीवाल के पैर छुए।

वे दिल्ली की सबसे युवा (43 साल) CM हैं। इससे पहले केजरीवाल 45 साल की उम्र में CM बने थे। आतिशी बतौर महिला सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के बाद दिल्ली की तीसरी महिला CM हैं।

आतिशी ने शिक्षा, PWD और वित्त समेत 13 विभाग अपने पास रखे। वहीं, सौरभ भारद्वाज को हेल्थ समेत 8 प्रमुख विभाग का जिम्मा दिया गया। आतिशी कालकाजी सीट से तीन बार की विधायक हैं।

17 सितंबर: केजरीवाल ने उप राज्यपाल वीके सक्सेना को इस्तीफा सौंपा

केजरीवाल ने 17 सितंबर की शाम उपराज्यपाल (LG) को सीएम पद से इस्तीफा सौंपा था। उनके साथ आतिशी और 4 मंत्री मौजूद रहे। इसके बाद आतिशी ने नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया था।

इसके बाद आतिशी ने कहा कि अगले चुनाव तक मेरे पास सिर्फ दो काम हैं। पहला- दिल्ली के लोगों की भाजपा के षड्यंत्र से रक्षा करना। दूसरा- केजरीवाल को फिर से सीएम बनाना।

केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों दिया, 3 बातें...

मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन पावर नहीं: दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद जमानत पर जेल से बाहर आए। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि वे CM ऑफिस नहीं जाएंगे और न ही किसी फाइल पर साइन करेंगे। यानी जेल से बाहर आने और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास पावर नहीं रही।

सिर्फ 5 महीने का कार्यकाल बचा: दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है। यानी सरकार के पास चुनाव में सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं। इस दौरान सरकारें लोक-लुभावन चुनावी फैसले लेती हैं। केजरीवाल कोर्ट की शर्तों में बंधे हैं। जेल से छूटने के बाद केजरीवाल के साथ सहानुभूति है। दो-तीन महीने पहले दिल्ली में चुनाव की मांग कर केजरीवाल इसे भुनाना चाहेंगे।

ईमानदार नेता की छवि को मजबूत करेंगे: दिल्ली शराब नीति केस में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद से ही भाजपा के नेता अरविंद केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग कर रहे थे। इस्तीफा देने के बाद वे भाजपा नेताओं को सीधे कह सकेंगे कि सिर्फ आरोप रहते उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। अब उनकी ईमानदारी का फैसला जनता करेगी।

13 सितंबर: शराब नीति केस में केजरीवाल 177 दिन बाद जेल से रिहा हुए

21 मार्च 2024 को शराब नीति केस में ED ने दो घंटे की पूछताछ के बाद केजरीवाल को उनके घर से गिरफ्तार किया था। 177 दिन बाद सुप्रीम काेर्ट ने 13 सितंबर 2024 को उन्हें जमानत दी थी।

इस्तीफे के बाद केजरीवाल ने जनता की अदालत शुरु की, बोले- ईमानदार लगूं तो ही वोट देना

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने 22 सितंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर जनता की अदालत कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने 2011 में हुए अन्ना आंदोलन और पहली बार चुनाव जीतने की घटना का जिक्र किया। कहा- हम पहली बार में ही ईमानदारी के दम पर सत्ता में आ गए।

इस्तीफे पर केजरीवाल ने कहा- सत्ता और कुर्सी का लालची नहीं हूं। भाजपा ने भ्रष्टाचारी और चोर कहा तो दुख हुआ। लांछन के साथ कुर्सी तो क्या सांस भी नहीं ले सकता हूं, जी भी नहीं सकता। अगला दिल्ली चुनाव मेरी अग्नि परीक्षा है, अगर ईमानदार लगूं तो ही वोट देना।

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