जापान में रक्षा मंत्री रह चुके शिगेरू इशिबा अब देश के नए प्रधानमंत्री होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक शुक्रवार को लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। वे 1 अक्टूबर को संसद सत्र की शुरुआत के साथ पद संभालेंगे।
दरअसल, जापान में सत्ताधारी पार्टी का अध्यक्ष ही प्रधानमंत्री चुना जाता है। LDP पार्टी के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है। ऐसे में पार्टी अध्यक्ष चुने गए इशिबा अब जुलाई 2025 तक PM पद पर रहेंगे। इसके बाद देश में आम चुनाव होंगे।
67 साल के इशिबा ने अपनी प्रतिद्वंदी सनाए तकाइची को 21 वोटों के अंतर से हराया। इशिबा को पार्टी सदस्यों के 215 वोट हासिल हुए। इशिबा इससे पहले भी 4 बार पार्टी लीडरशिप के लिए चुनाव लड़ चुके हैं। 2012 में वे शिंजो आबे के खिलाफ भी खड़े हुए थे, लेकिन उन्हें हर बार हार का सामना करना पड़ा।
चुनाव जीतने के बाद इशिबा ने कहा, "अब पार्टी नए सिरे से खड़े होकर लोगों का भरोसा जीतेगी। मैं अपने कार्यकाल में देश की जनता से सच बोलूंगा। मैं देश को सुरक्षित और खुशहाल बनाने के लिए काम करता रहूंगा।"
जापान के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स बंद करने का वादा किया
इशिबा जापान के रक्षा और कृषि मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने 1986 में 29 साल की उम्र में पहला चुनाव जीता था। तब वे जापान की संसद के सबसे युवा सदस्य बने थे। इस बार अपने कैंपेन में इशिबा ने देश के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स को धीरे-धीरे बंद करने का वादा किया है।
इसके अलावा उन्होंने चीन और नॉर्थ कोरिया जैसे खतरों से निपटने के लिए एशिया में भी एक NATO बनाने की बात कही है। इशिबा PM किशिदा के आलोचक हैं। वे LDP की नीतियों से इतर जापान में महिला सम्राट बनाने की पैरवी करते हैं। इस वजह से पार्टी के कई नेता उनके खिलाफ हैं। दरअसल, LDP के ज्यादातर सदस्यों का मानना है कि महिलाओं को एक मां और पत्नी के पारंपरिक कर्तव्य ही निभाने चाहिए।
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे किशिदा, लोकप्रियता घटी
जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने 14 अगस्त को पार्टी चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी। वे 2021 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष चुने गए थे। उनका तीन साल का कार्यकाल इस महीने के अंत में खत्म हो जाएगा। इस दौरान किशिदा पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे हैं जिसकी वजह से उनकी लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है।
निक्केई एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई में किशिदा की अप्रूवल रेटिंग 20% से नीचे थी। ये लगातार आठवां महीना है जब किशिदा की रेटिंग इतनी नीचे रही है। 2021 में पीएम किशिदा की रेटिंग 65% के करीब थी। शिंजो आबे की मौत के बाद उनकी रेटिंग में गिरावट आनी शुरू हुई। दरअसल आबे की मौत के बाद यूनिफिकेशन चर्च के साथ LDP के संबंधों का खुलासा हुआ था। ये चर्च पार्टी को आर्थिक सपोर्ट मुहैया कराता था।
बाद में इससे जुड़े कई घोटाले सामने आए। इस साल अप्रैल में स्थानीय चुनावों में LDP की बुरी हार हुई थी। इसके बाद जुलाई में टोक्यो मेट्रोपॉलिटन असेंबली के उपचुनावों में भी पार्टी की करारी हार मिली। यही वजह थी कि LDP के ज्यादातर सांसद अगले आम चुनाव से पहले नए चेहरे की जरूरत पर जोर दे रहे थे।
क्या थे भ्रष्टाचार के आरोप
किशिदा की पार्टी के सांसदों पर आरोप लगा कि उन्होंने पार्टी को मिले राजनीतिक चंदे का पैसा हड़प लिया। उन्होंने अकाउंट में हेराफेरी कर पार्टी का पैसा खुद के अकाउंट में ट्रांसफर कर लिया। मामले का खुलासा होने के बाद PM किशिदा ने कई कैबिनेट मंत्रियों और अन्य लोगों को पद से हटा दिया था।