जापानी संगठन निहोन हिडानक्यो को साल 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला है। यह हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों का एक जमीनी आंदोलन है। इसे हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है।
जापानी संगठन को क्यों मिला पुरस्कार?
नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने अपने प्रशस्ति पत्र में कहा, "हिबाकुशा को परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया बनाने के अपने प्रयासों और गवाहों के बयान के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के लिए शांति पुरस्कार मिल रहा है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।" समिति ने कहा, "हिबाकुशा हमें अवर्णनीय का वर्णन करने, अकल्पनीय के बारे में सोचने और परमाणु हथियारों के कारण होने वाले अकल्पनीय दर्द और पीड़ा को समझने में मदद करता है।"
पिछले साल नरगिस मोहम्मदी को मिला था पुरस्कार
पिछले साल नोबेल शांति पुरस्कार जेल में बंद ईरानी पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को दिया गया था। नरगिस लोकतंत्र की वकालत करती हैं। वे लंबे समय से महिला अधिकारों और मृत्युदंड के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जारी संघर्ष की वजह से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि शायद नोबेल समिति इस वर्ष शांति पुरस्कार की घोषणा नहीं करेगी।
सोमवार को समाप्त होगा नोबेल सत्र
बता दें कि अन्य नोबेल पुरस्कारों का चयन स्टॉकहोम में किया जाता है। मगर अल्फ्रेड नोबेल के आदेश के मुताबिक नोबेल शांति पुरस्कार देने का निर्णय ओस्लो स्थित पांच सदस्यीय नोबेल समिति लेती है। नोबेल पुरस्कार के तहत एक मिलियन अमेरिकी डॉलर की नकद राशि दी जाती है। सोमवार को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा होगी। इसी के साथ नोबेल सत्र का समापन हो जाएगा।
10 दिसंबर को दिया जाएगा पुरस्कार
10 दिसंबर को हर साल नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाता है। इसी दिन स्वीडिश उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की मृत्यु हुई थी। उन्होंने अपनी वसीयत के तौर पर 1895 में पुरस्कार की शुरुआत की थी। अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी वसीयत में कहा था कि यह पुरस्कार राष्ट्रों के बीच भाईचारे के लिए सबसे अधिक या सर्वोत्तम कार्य, स्थायी सेनाओं के उन्मूलन या कमी और शांति सम्मेलनों के आयोजन के लिए दिया जाना चाहिए।
परमाणु हथियारों के खिलाफ पहले भी मिल चुका नोबेल पुरस्कार
2017 में आईसीएएन को नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। इस संगठन ने परमाणु हथियारों को खत्म करने का एक अंतरराष्ट्रीय अभियान चलाया था। उसे इसी अभियान के चलते नोबेल पुरस्कार मिला था।
1995 में जोसेफ रोटब्लाट और पगवाश सम्मेलन को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था। उन्हें यह पुरस्कार परमाणु हथियारों की भूमिका को कम करने और लंबे समय में ऐसे हथियारों को खत्म करने के उनके प्रयास की खातिर मिला था।