सिंधु जल समझौते पर बिलबिलाने लगा पाक, विदेश मंत्री बोले- पानी का मुद्दा नहीं सुलझा तो टूट सकता है सीजफायर

 भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर बीती शाम को मुहर लग गई। दोनों देशों के DGMO ने आपस में बात करके सीजफायर को हरी झंडी दिखा दी है। हालांकि सीजफायर फाइनल हुए अभी कुछ घंटे ही बीते हैं कि पाकिस्तान के मंत्री एक बार फिर सीजफायर टूटने की चेतावनी देने लगे हैं।

पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार का कहना है कि अगर भारत और पाक के बीच पानी का विवाद नहीं सुलझा तो यह सीजफायर ज्यादा दिन नहीं चलेगा।

इशाक डार का बयान

पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से इशाक डार ने कहा कि "अगर पानी के बंटवारे पर कोई समझौता नहीं हुआ तो यह 'एक्ट ऑफ वॉर' माना जाएगा। साथ ही उन्होंने कश्मीर के मुद्दे को इस पूरी लड़ाई की जड़ बताया है।

पहलगाम हमले के बाद रद हुई संधि

सिंधु समेत अन्य सहायक नदियों को लेकर पानी का बंटवारा अक्सर दोनों देशों के बीच विवाद का कारण रहा है। पहलगाम हमले के बाद भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया था। ऐसे में पानी का मुद्दा एक बार फिर दोनों देशों के बीच टकराव की वजह बन चुका है।

क्या थी सिंधु जल संधि?

1960 में हुए सिंधु जल समझौते के तहत सिंधु, चिनाब और झेलम नदी का पानी पाकिस्तान को और रावी, व्यास, सतलज का पानी भारत को मिलता था। हालांकि 22 अप्रैल को पुलवामा हमले के बाद भारत ने इस संधि को रद कर दिया। 12 मई को सीजफायर के तहत दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमला न करने पर सहमति जताई है। हालांकि, इसमें सिंधु जल समझौते का कोई जिक्र नहीं है।

पाकिस्तान को सता रहा है डर

सिंधु जल समझौता रद होने के बाद पाकिस्तान को डर सता रहा है कि भारत सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों पर बांध बनाकर पानी के बहाव को प्रभावित कर सकता है। बता दें कि पाकिस्तान का पंजाब और सिंध प्रांत पूरी तरह से सिंधु नदी के पानी पर निर्भर है। ऐसे में अगर भारत पानी का कुछ हिस्सा रोकने या पानी का बहाव मोड़ने में कामयाब होता है तो इससे पाकिस्तान को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।