अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को प्रोस्टेट कैंसर हो गया है। यह अब हड्डियों तक फैल चुका है। बाइडेन के ऑफिस ने रविवार को बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है।
82 साल के बाइडेन ने पिछले हफ्ते पेशाब में दिक्कत होने पर डॉक्टर को दिखाया था। जांच के बाद बीते शुक्रवार को उन्हें इस बीमारी का पता चला।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बाइडेन की बीमारी को लेकर कहा- मेलानिया और मैं उनकी बीमारी के बारे में जानकर दुखी हैं। हम जिल बाइडेन और उनके परिवार के लिए दुआ करते हैं और जो बाइडेन के जल्दी और पूरी तरह ठीक होने की कामना करते हैं।
2023 में स्किन कैंसर का इलाज कराया था
इससे पहले 2023 में जो बाइडेन को स्किन कैंसर हुआ था। व्हाइट हाउस के डॉक्टरों ने बताया कि उनकी छाती पर बेसल सेल कार्सिनोमा पाया गया था, जो एक सामान्य प्रकार का त्वचा कैंसर था। इस घाव को फरवरी में सर्जरी के दौरान हटा दिया गया था।
अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक अमेरिका में, प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों को होने वाला सबसे आम कैंसर है और कैंसर से होने वाली मौतों की दूसरी प्रमुख वजह है।
सबसे ज्यादा उम्र के अमेरिकी राष्ट्रपति रहे हैं बाइडेन
82 साल के बाइडेन ने 2020 में डोनाल्ड ट्रम्प को हराया था और पिछले साल फिर से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनकी उम्र और मानसिक स्थिति पर सवाल उठने की वजह से उन्होंने राष्ट्रपति पद की रेस से हटने का फैसला किया था।
उन्होंने तत्कालीन उप-राष्ट्रपति कमला हैरिस को समर्थन दिया था। बाइडेन से 3 साल छोटे ट्रम्प ने पिछले साल नवंबर में कमला हैरिस को हराकर दूसरी बार राष्ट्रपति चुनाव जीता था।
जो बाइडेन अमेरिका में राष्ट्रपति बनने वाले सबसे ज्यादा उम्र के शख्स बने थे। जब उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तब उनकी उम्र 78 साल 220 दिन थी। ट्रम्प जब दूसरी बार राष्ट्रपति बने थे, तब उनकी उम्र 78 साल 61 दिन है। अमेरिकी संविधान के मुताबिक ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति नहीं बन सकते थे। ऐसे में कुछ सालों तक बाइडेन का रिकॉर्ड कायम रहेगा।
सबसे युवा सीनेटर से राष्ट्रपति तक बाइडेन के करियर पर एक नजर
राष्ट्रपति पद से हटने के साथ ही बाइडेन के 5 दशक के राजनीतिक करियर का अंत हो गया था। उन्होंने 1972 में डेलावेयर राज्य से 30 साल की उम्र में सीनेटर चुनाव जीतकर अपने करियर की शुरुआत की थी। उस वक्त बाइडेन देश के सबसे युवा सीनेटर थे।
उन्होंने 1988 और 2008 में राष्ट्रपति उम्मीदवारी की रेस में भी हिस्सा लिया था। 2008 में बराक ओबामा की जीत के बाद वो अगले 2 कार्यकाल तक उपराष्ट्रपति भी रहे थे। 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी ने डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ उन्हें अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया था।
2020 में ट्रम्प को हराकर बाइडेन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बने थे। 2024 में उन्होंने पार्टी के दबाव की वजह से दूसरी बार राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी छोड़ दी थी। इसके बाद कमला हैरिस राष्ट्रपति उम्मीदवार बनीं, जिन्हें ट्रम्प के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। चुनाव के नतीजे पर बोलते हुए बाइडेन ने कहा था कि अगर वो उम्मीदवार होते तो ट्रम्प को हरा सकते थे।
अब जानिए क्या होता है प्रोस्टेट कैंसर
एक आंकड़े के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल करीब 14 लाख लोग प्रोस्टेट कैंसर के शिकार होते हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के मुताबिक लंग्स और माउथ कैंसर के बाद पुरुषों पर सबसे ज्यादा प्रोस्टेट कैंसर का खतरा रहता है। 50 की उम्र के बाद इसका खतरा बढ़ जाता है। कई मामलों में इससे कम उम्र के मरीज भी सामने आए हैं।
कई केस ऐसे भी हैं जब तक इसका पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। प्रोस्टेट कैंसर भीतर ही भीतर बढ़ते हुए ब्लैडर, लिवर, फेफड़ों और पेट जैसे अंगों में भी फैल जाता है। खून के साथ कैंसर की कोशिकाएं हड्डियों तक पहुंच जाती हैं, जिससे हड्डियों में बेतहाशा दर्द रहने लगता है, वह टूटने लगती हैं।
प्रोस्टेट कैंसर की वजह से संबंध बनाने से लेकर हमेशा के लिए पिता बनने की क्षमता तक खत्म हो सकती है। बीमारी ही नहीं, इसके इलाज के भी साइड इफेक्ट्स से जूझना पड़ सकता है। प्रोस्टेट कैंसर में यूज होने वाली हॉर्मोन थेरेपी से टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन बनने बंद हो सकते हैं और इरेक्टाइल डिसफंक्शन का सामना करना पड़ सकता है।
रेडिएशन थेरेपी का भी पुरुषों के रिप्रोडक्टिव हेल्थ यानी पिता बनने की क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। जान बचाने के लिए प्रोस्टेट ग्लैंड ही निकालनी पड़ सकती है। इसीलिए अगर मरीज की उम्र कम हो, तो सर्जरी से पहले डॉक्टर मरीज को स्पर्म फ्रीज कराने की सलाह देते हैं, ताकि आईवीएफ जैसी सुविधा के जरिए व्यक्ति पिता बन सके।
स्पर्म को बचाने का इंतजाम करती है प्रोस्टेट ग्लैंड्स
प्रोस्टेट ग्लैंड्स पुरुषों के प्रजनन तंत्र का अहम हिस्सा है। इसमें बनने वाला लिक्विड स्पर्म की सुरक्षा करता है, उसे पोषण देता है और उन्हें फीमेल रिप्रोडक्टिव अंगों तक पहुंचाने में मदद करता है। यह इजेकुलेशन और यूरिनेशन के बीच एक मेकेनिकल स्विच का काम करता है। इजेकुलेशन के दौरान प्रेशर के साथ सीमन को यूरेथ्रा से बाहर फेंकता है।
आमतौर पर प्रोस्टेट ग्लैंड का वजन करीब 30 ग्राम होता है। उम्र के साथ इसका साइज बढ़ता रहता है। लेकिन, कई बार इसके बढ़ने की वजह कैंसर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।