सेक्टर-91 बायोडायवर्सिटी पार्क में प्रस्तावित डियर पार्क सनसेट सफारी के लिए प्राधिकरण ने आर्किटेक्ट कंपनी का चयन कर लिया है। दोनों सलाहकारों के साथ आर्किटेक्ट कंपनी और नोएडा प्राधिकरण के बीच पहली बैठक सोमवार को होने जा रही है।
बैठक में सलाहकार के अनुसार आर्किटेक्ट डियर पार्क में हिरण के लिए बाड़ा, वाटर बाडी, फेंसिंग, लाइटिंग, ग्रीन एरिया समेत अन्य चीजों को तय कर डिजाइन तैयार करेगा। फाइनल डिजाइन को ही सीईओ के पास अनुमति के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद ही टेंडर जारी होगा।
बता दें कि करीब 30 एकड़ में मिनी जू की तर्ज पर इस डियर पार्क को बनाने में करीब 40 करोड़ रुपये की लागत आएगी। यह जिले की पहली सनसेट सफरी होगी। इसमें रात करीब 10 बजे तक लोग स्पेक्ट्रम लाइट की रोशनी में हिरण व जलीय पक्षियों को देख सकेंगे।
स्पेक्ट्रम लाइट में वहां पर मौजूद जानवरों को अंधेरा ही लगेगा। वहीं जो लोग सनसेट सफरी में पहुंचेंगे उनको स्पष्ट दिखाई देगा। नोएडा में 10 प्रजातियों के 132 हिरण को लाया जाएगा। इसमें तीन प्रजाति अफ्रीका से निर्यात की जाएंगी। इसके अलावा कानपुर, हैदराबाद और लखनऊ के चिड़ियाघर से यहां हिरण लाए जाएंगे।
नोएडा, गाजियाबाद और आसपास में ऐसा डियर पार्क नहीं है। इसलिए यहां डियर पार्क बनाया जा रहा है। इसके लिए नियुक्त किए गए सलाहकारों से बातचीत की जा रही है। ताकि विदेश से लाए जाने वाले हिरण के लिए यहां का पर्यावरण अनुकूल बनाया जा सके।
प्राधिकरण सीईओ डा लोकेश एम ने बताया कि जिन दो सलाहकार को नियुक्त किया गया है। इसमें एक रिटायर्ड आईएफएस प्रवीन चंद त्यागी और दूसरे संजय श्रीवास्तव है। दोनों अधिकारियों का वाइल्ड लाइफ में गहरा अनुभव रहा है। दोनों अधिकारियों की मार्ग दर्शन में ही डियर पार्क का सेटअप किया जाएगा।
एक आर्किटेक्ट नियुक्त होना था, उसका चयन कर लिया गया है। वहीं हिरण को मंगवाने के लिए उत्तर प्रदेश के अलग-अलग चिड़ियाघर प्रबंधकों को पत्र भेज दिया गया है। एक बार डिजाइन बनने के बाद सिविल कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया की जाएगी।
उन्होंने बताया कि जुलाई तक टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने की उम्मीद है। निर्माण पूरा होने के बाद ही हिरण को यहां लाया जाएगा। यहां नाइट सफारी भी रहेगी। ऐसे में सलाहकार के मार्ग दर्शन के बाद ही तय होगा कि डियर के लिए यह कितना अनुकूल है। साथ ही यहां और कौन कौन से जंतु लाए जा सकते है।
यहां एयरपोर्ट से रेस्क्यू किए जाने वाले हिरण को भी रखा जाएगा। हालांकि उनके लिए धनौरी वेटलैंड के पास से रेस्क्यू सेंटर भी बनाया जा रहा है। वहां से कुछ हिरण को यहां भी लाया जाएगा। इसके अलावा प्रदेश के अन्य चिड़ियाघरों से भी हिरण को यहां लाया जाएगा।