Re-Entry से टचडाउन तक, कैसे होगी Shubhanshu Shukla की वापसी, SpaceX Dragon के सेफ स्पलैशडाउन की पूरी प्रक्रिया

अंतरिक्ष में भारत का कद बढ़ाने वाले शुभांशु शुक्ला की वापसी का सफर शुरू हो चुका है। वो कुछ ही देर में धरती पर लौटेंगे। उनको अंतरिक्ष से ला रहा स्पेसएक्स ड्रैगन भारतीय समयानुसार 3 बजे प्रशांत महासागर में उतरेगा। 

आईएसएस पर पहली बार भारत का परचम लहराकर भारतीयों को गौरवान्वित करने वाले अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला का स्वागत करने के लिए 140 करोड़ से अधिक भारतीय आतुर हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आइएसएस) पर 18 दिनों तक रहकर कई वैज्ञानिक प्रयोग करने के बाद गगनयात्री शुभांशु एक्सिओम-4 मिशन के अपने तीन सहयोगी अंतरिक्षयात्रियों के साथ आ रहे हैं।

ऐसे शुभांशु को वापस लाएगा स्पेसएक्स

1. डिपार्चर बर्न्स

ड्रैगन अपने आप स्पेस स्टेशन से अलग होगा और आर्बिटिंग लैबोरेटरी से दूर जाने के लिए कई छोटे छोटे बर्न्स परफार्म करेगा।

2. फेजिंग बर्न्स

ड्रैगन कई आर्बिट लोअरिंग पैंतरेबाजी करेगा, जिससे वह धरती पर वापसी के सही ट्रैक पर आ जाएगा। इससे ड्रैगन को धरती पर तय लोकेशन पर उतरने में मदद मिलेगी। डिपार्चर बर्न्स के बाद यह बेहद अहम प्रक्रिया है।

3. डीआर्बिट बर्न्स

ड्रैगन डीआर्बिट बर्न करेगा। यह 24 मिनट तक चल सकता है।

4. ट्रंक अलग होगा 

डीआर्बिट बर्न पूरा हो जाने के बाद ड्रैगन का फ्लाइट कंप्यूटर ट्रंक को प्रशांत महासागर में सुरक्षित तरीके से गिरा देगा। इस प्रक्रिया को ट्रक जेटीसन कहते हैं। स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वातावरण में दोबारा प्रवेश करने से पहले भार कम करने और सुरक्षित तरीके से नीचे उतरने के लिए ऐसा करते हैं। इससे ड्रैगन तय जगह पर ही लैंडिंग करने में कामयाब होता है।

5. री-एंट्री

ड्रैगन जब धरती के वातावरण में दोबारा प्रवेश करते समय बहुत ज्यादा करीब 1,900 डिग्री सेल्सियस तापमान और ड्रैग का सामना करेगा। इससे स्पेसक्राफ्ट की गति धीमी हो जाएगी और एक तय बिंदु पर उसका पैराशूट सुरक्षित तरीके से खुल जाएगा।

6. ड्रोग पैराशूट खुलेगा

धरती के वातावरण में प्रवेश के बाद प्रशांत महासागर के 5.5 किलोमीटर ऊपर ड्रैगन के दो पैराशूट खुल जाएंगे। ड्रैगन जब और नीचे आएगा तो समुद्र से दो किलोमीटर ऊपर चार मुख्य पैराशूट खुल जाएंगे।

7. स्पलैशडाउन

चार मुख्य पैराशूट के नीचे ड्रैगन 27 किमी प्रति घंटा की गति से पानी में गिरेगा और पैराशूट अपने आप स्पेसक्राफ्ट से अलग हो जाएंगा।

सफर की आएंगी ये चुनौतियां

28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उतरते हुए ड्रैगन कैप्सूल को एक समुद्र में एक तय जगह पर उतरना होता है। इस दौरान धरती घूमती रहती है।

डिपार्चर बर्न्स के साथ ड्रैगन स्पेस स्टेशन से सुरक्षित तरीके से अलग होता है। यह काफी सावधानी से किया जाता है जिससे स्पेसक्राफ्ट आइएसएस से न टकराए।

इसके बाद स्पेसक्राफ्ट फ्री फ्लाइट मोड में प्रवेश करता है। इस दौरान वह कक्षा में छह से 30 घंटे तक कहीं भी रह सकता है। यह अवधि धरती पर लैंड करने के हालात पर निर्भर करती है।

लैंडिंग के लिए जरूरी हालात

कैप्सूल फ्लोरिडा के तट पर खास रिकवरी जोन में लैंड कर सकता है, जहां मौसम के हालात कड़ी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करते हों । इन जोन में हवा की रफ्तार 16.5 किलोमीटर प्रति घंटे से कम होनी चाहिए। वेव स्लोप सात डिग्री से कम हो, बारिश की संभावना 25 प्रतिशत से कम और 16 किलोमीटर की रेंज में बिजली नहीं कड़कनी चाहिए। 

छह मिनट तक फायरिंगः स्पलैशडाउन से सात घंटे पहले ड्रैगन फेजिंग बर्न परफार्म करता है। इस प्रक्रिया में छोटे राकेट इंजन छह मिनट तक फायरिंग करते हैं। ऐसा स्पेसक्राफ्ट को सटीक फ्लाइट पथ पर लाने के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया बेहद अहम है।

गति होती है कम : स्पलैशडाउन से 52 मिनट पहले डीआर्बिट बर्न शुरू होता है। 15 मिनट तक छोटे राकेट इंजन लगातार फायर करते हैं और धीरे धीरे स्पेसक्राफ्ट की गति कम होती जाती है। इससे ड्रैगन पूरी तरह से रुक नहीं जाता है लेकिन इसकी गति काफी कम हो जाती है।

1,900 डिग्री से अधिक हो जाता है ड्रैगन का तापमान

डीआर्बिट बर्न के बाद ड्रैगन धरती के वातावरण में प्रवेश करता है। इस दौरान हवा के घर्षण से ड्रैगन 1,900 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म हो जाता है। हीट शील्ड ड्रैगन में सवार अंतरिक्ष यात्रियों को इस तापमान से बचाती है।

फाइनल टचडाउन : कैप्सूल करीब 27 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से समुद्र में पानी से टकराता है। अब भी गति तेज है लेकिन समुद्र कैप्सूल को सहारा देता है और कैप्सूल को इस तरह से बनाया गया है कि वह इस तरह की लैंडिंग सुरक्षित तरीके से कर सके।