सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर रोक से इनकार कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने सोमवार को कानून में किए गए तीन बड़े संशोधनों पर अंतिम आदेश आने तक रोक लगा दी। इनमें वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रावधान शामिल है। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्रीय वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या 4 और राज्य वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक न हो। साथ ही सरकारों को यह प्रयास करने की सलाह दी कि नियुक्त होने वाले सरकारी सदस्य मुस्लिम समुदाय से हों।
22 मई को लगातार तीन दिन सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कानून को मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ बताया और अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी, जबकि केंद्र सरकार ने कानून के पक्ष में दलीलें रखीं।
पांच याचिकाओं पर हुई सुनवाई
कानून के खिलाफ दायर पांच प्रमुख याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की, जिनमें AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल थी। सुनवाई CJI बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने की। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन पेश हुए।
सुनवाई की मुख्य बातें
22 मई: SG तुषार मेहता ने सेक्शन 3E पर दलील दी, जो अनुसूचित क्षेत्रों की भूमि पर वक्फ निर्माण पर रोक लगाता है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान जनजातीय हितों की सुरक्षा के लिए है। वहीं, कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को गैर-न्यायिक तरीके से हथियाना चाहती है।
21 मई: केंद्र की ओर से SG मेहता ने कहा कि "वक्फ बाय यूजर" कोई मौलिक अधिकार नहीं है, बल्कि 1954 में विधायी नीति के तहत दिया गया था। संविधान के अनुसार सरकार इसे वापस ले सकती है।
20 मई: कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि अंतरिम राहत पाने के लिए मजबूत और स्पष्ट दलीलें पेश करनी होंगी।
कानून की प्रक्रिया और विपक्ष
यह बिल 5 अप्रैल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बना। लोकसभा में इसे 288 वोट से पास किया गया, जबकि 232 सांसदों ने विरोध किया। इसके खिलाफ कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने याचिकाएं दायर कीं।
पिछली सुनवाईयों में क्या हुआ?
15 मई: कोर्ट ने कहा कि अंतरिम राहत देने पर विचार किया जाएगा।
25 अप्रैल: केंद्र ने 1332 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया, जिसमें कहा गया कि 2013 के बाद वक्फ संपत्तियों में 20 लाख एकड़ से अधिक वृद्धि हुई है, जिससे कई विवाद खड़े हुए।
17 अप्रैल: SG मेहता ने कहा कि लाखों सुझावों और विचार-विमर्श के बाद नया कानून बना है।
16 अप्रैल: कोर्ट ने केंद्र को तीन निर्देश दिए। कपिल सिब्बल ने उस प्रावधान को चुनौती दी जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं और वह भी तभी जब वे पिछले पांच वर्षों से इस्लाम को मान रहे हों।