किष्किंधाकांड रामायण का वह अध्याय है जो मित्रता, निष्ठा और सहयोग की अमूल्य सीख देता है। इसी कांड में भगवान श्रीराम की भेंट वानरराज सुग्रीव से होती है। दोनों के बीच एक सच्ची मित्रता स्थापित होती है — जहाँ श्रीराम सुग्रीव की सहायता से उसके भाई बाली का वध करते हैं, वहीं सुग्रीव श्रीराम की पत्नी सीता की खोज में अपनी पूरी वानर सेना समर्पित कर देते हैं। इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा मित्र वही होता है जो संकट की घड़ी में साथ खड़ा रहे और धर्म के मार्ग पर अडिग रहे। किष्किंधाकांड यह भी सिखाता है कि एकता, सहयोग और सही संकल्प के बल पर किसी भी असंभव कार्य को संभव बनाया जा सकता है।